भाजपा से निष्कासित पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को ले कर की गई टिप्पणी को ले कर उपजा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. धर्म विशेष के लोगों ने जितने क्रूर तरीके से उदयपुर में कन्हैयालाल और अमरावती में उमेश प्रह्लादराव कोल्हे की हत्या की है, इस से यही लग रहा है कि उन के अंदर नफरत की आग किस तरह दहक रही है.

इन घटनाओं की गूंज देश से ले कर विदेश तक में सुनी गई. दोनों जघन्य हत्याकांड का कनेक्शन, आतंकी संगठन के साथसाथ हिंदूमुसलिम समाज, राजनीतिक गलियारे और धर्म की रोटियां सेंकने वाले धर्मांधों तक से जुड़ गया. सामान्य दिनों की तरह ही मंगलवार 28 जून, 2022 का दिन भी था, किंतु कन्हैयालाल साहू ने 6 दिनों से बंद अपनी टेलरिंग की दुकान खोली थी. मुसलिम बहुल इलाका भूतमहल (मालदास स्ट्रीट) के पास ‘सुप्रीम टेलर्स’ नाम से उस की दुकान थी. जबकि वह उदयपुर के गोवर्धन विलास इलाके में रहता था. उस की दुकान में और दूसरे कारीगर गिरीश शर्मा और राजकुमार भी काम करते थे. उस दिन वे भी दुकान पर आ कर अपनेअपने काम में जुट गए गए थे.

उस रोज कन्हैया अपनी दुकान के अगले हिस्से में कपड़ों की कटिंग का काम कर रहा था. शाम के करीब 3 बजे थे. गिरीश शर्मा दुकान के भीतरी हिस्से में सिलाई के काम में लगा हुआ था. वह पिछले 10 सालों से उस की दुकान में काम कर रहा था. उस के साथ दूसरा कारीगर राजकुमार भी सिलाई कर रहा था. वैसे वे वहां से बाहर से आनेजाने वालों को देख सकते थे. उस दिन 2 मुसलिम युवक दुकान पर आए. उन में एक कन्हैयालाल से बोला, ‘‘मास्टरजी, झब्बा वाला पायजामा सिल दोगे क्या?’’

‘‘हांहां भई क्यों नहीं, बिलकुल सिलेंगे.’’ कन्हैयालाल ने पेशेवराना अंदाज कहा.

‘‘अच्छे वाले कपड़े आप के पास होंगे न?’’ वह युवक बोला.

‘‘हां है न, अभी दिखाता हूं.’’ कहते हुए कन्हैयालाल सामने रैक पर रखे कपड़े की थान निकालने लगा.

तभी साथ आया दूसरा युवक बोल पड़ा, ‘‘अरे इस में देखना क्या है, जो पायजामे के लायक तुम्हें अच्छा लगे उसी को निकाल दो. और हां, मेरा कुरता भी टाइट करवाना है. बहुत ढीला है.’’

‘‘क्यों नहीं भाई. यह सफेद वाला गरमी के लिए अच्छा रहेगा.‘‘ कन्हैयालाल बोला.

‘‘ठीक है, मैं उधर आ जाता हूं, मेरा नाप ले लो.’’ पायजामा सिलवाने वाला युवक बोला.

कन्हैयालाल ने उस के पायजामे की नाप लेने के लिए गरदन में लटका फीता निकाल लिया. तभी उस युवक के साथ आए दूसरे युवक ने अपने मोबाइल से दोनों की वीडियो बनानी शुरू कर दी.

‘‘ठीक से वीडियो बनइयो गौस! यूट्यूब पर डालनी है. इन भाईजान की दुकान वायरल करनी है, ताकि ग्राहकों की लाइन लग जाए.’’ युवक बोला.

‘‘भाई रियाज, देखना एकदम झक्कास वीडियो बनाऊंगा. तभी तो पब्लिक जानेगी झब्बेवाले पायजामे की नाप कैसे ली जाती है… और पायजामा कैसे सिला जाता है…’’ हाथ में मोबाइल लिए हुए गौस बोला.

कन्हैयालाल जैसे ही नाप लेने के लिए नीचे की ओर झुका वैसे ही रियाज ने अपनी कमर में छिपा कर लाए तेजधार और चौड़े फन का चाकू निकाल उस की गरदन से सटा दिया और डपटते हुए गाली के साथ बोला, ‘‘रुक साले! हम ने क्या कहा था तेरा सिर धड़ से अलग कर दूंगा. यह ले और कर उस… (भद्दी गालियां) का समर्थन…साले हरामी की औलाद, हमारे धर्म को भलाबुरा कहता है… मादर…(गालियों की बौछार)’’

कन्हैयालाल अचानक गरदन से सटे चाकू को देख कर समझ गया कि जिस का उसे डर था वही हुआ. मुंह से चीख निकल गई. टेबल पर से कैंची गिरने और स्टूल लुढ़कने की आवाज और चीख सुन कर कारीगर राजकुमार तेजी से सिलाई का काम छोड़ कन्हैयालाल की तरफ भागा. तब तक उस युवक ने कन्हैयालाल की गरदन रेत डाली थी. वह लहूलुहान हो गया था. वहीं जमीन पर गिर पड़ा था. इस के बाद भी उस ने चाकू से कन्हैया पर कई वार किए. राजकुमार ने बीचबचाव किया किंतु रियाज ने उस पर भी कातिलाना हमला कर दिया. वह भी घायल हो गया और अपना बचाव करता हुआ दुकान से बाहर आ गया. बाहर निकल कर ‘बचाओ बचाओ’ चिल्लाने लगा.

तब तक कन्हैयालाल की हत्या की जा चुकी थी. उस का रक्तरंजित शरीर जमीन पर गिर गया था. उस की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. यह जघन्य हत्याकांड उदयपुर के धनमंडी थानाक्षेत्र में हुआ. कन्हैयालाल की हत्या की खबर जल्द ही बाजार में फैल गई और डर की वजह से लोगों ने दुकानें बंद कर दीं. हत्या के बाद दोनों मुसलिम युवक मोटरसाइकिल से फरार हो गए. कुछ समय बाद ही कन्हैयालाल हत्याकांड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में दोनों युवकों को साफसाफ देखा और पहचाना जा सकता है. हत्यारों ने इस जघन्य वारदात का वीडियो एक घोषणा के साथ वायरल किया था. वीडियो के अनुसार कन्हैयालाल पर आधा दरजन से अधिक वार कर दिए थे. वहीं हत्यारों ने उस की गरदन रेत दी थी. वीडियो में दोनों हाथों में छुरे ले कर अपना जुर्म कुबूल करते दिखे.

वीडियो में हत्यारे हथियार पर खून और चेहरे पर हंसी के साथ दिख रहे थे. जिस में वे कहते हैं, ‘मैं मोहम्मद रियाज अंसारी और ये हमारे गौस मोहम्मद भाई, उदयपुर के अंदर जो माता स्टेट वाला है उस का सिर कलम कर दिया है.’ आगे मजहबी नारा लगाते हुए कहता है, ‘हम जिएंगे आप के लिए और मरेंगे आप के लिए.’ हत्याकांड के बाद दोनों ने एक और वीडियो बनाया. उसे भी सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. जिस में उन्होंने टेलर कन्हैयालाल की हत्या को कुबूल कर लिया. वीडियो में उन्होंने यह भी दावा किया कि यह हत्या बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर की गई गलत टिप्पणी का बदला है.

यही नहीं, हमलावर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरदन काटने और नूपुर शर्मा को धमकी देते हुए कहता है, ‘ये नरेंद्र मोदी सुन ले, आग तूने लगाई है और बुझाएंगे हम. इंशाअल्लाह मैं रब से दुआ करता हूं कि यह छुरा तेरी गरदन तक भी जरूर पहुंचेगा और उस ‘कुतिया’ तक भी पहुंचेगा. उदयपुर वालो, नारा लगाओ गुस्ताखे नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा… दुआओं में याद रखना.’

उदयपुर पुलिस तत्पर तब हुई, जब हत्याकांड का वीडियो मीडिया में वायरल हो गई. जबकि पुलिस की डायरी में कन्हैयालाल को मिली धमकियों की शिकायतें पहले से ही दर्ज थीं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कन्हैयालाल की जघन्य हत्या की भर्त्सना की, साथ ही इस घटना में शामिल सभी अपराधियों के खिलाफ कठोर काररवाई करने का आश्वासन दिया. उन्होंने दूसरे ट्वीट में एक अपील भी की कि इस घटना का वीडियो शेयर कर माहौल खराब करने का प्रयास न करें. उन का कहना था कि वीडियो शेयर करने से अपराधी का समाज में घृणा फैलाने का उद्देश्य सफल होगा.

कन्हैयालाल की हत्या के बाद लोगों में आक्रोश भर गया. हिंदू संगठनों के अलावा अन्य लोग भी सड़कों पर उतर आए. वे हत्यारों को फांसी देने की मांग कर रहे थे. भीड़ को देख कर प्रशासन के भी हाथपैर फूल गए. पुलिस ने पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगा दी और इंटरनेट सेवा भी बंद करा दी ताकि लोग भड़काऊ सामग्री का प्रचार न कर सकें. प्रदेश के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने 29 जून की शाम को ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन उस बैठक में भारतीय जनता पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा. बैठक में सभी ने इस मामले की जांच एनआईए से कराने पर सहमति जताई.

दोनों हत्यारों के फोटो मीडिया में प्रचारित हो चुके थे, इसलिए पूरे राजस्थान की पुलिस अलर्ट हो गई थी. हत्यारों को दबोचने में राजसमंद के 2 जांबाज युवकों शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह चूड़ावत की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही. राजसमंद पुलिस को सूचना मिली कि दोनों आरोपी बाइक से भीलवाड़ा-देवगढ़ इलाके की तरफ गए हैं. चालीस मील नाम से प्रसिद्ध इस मार्ग पर न तो सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही यहां पुलिस थाना या चौकी है. ऐसे में भीम थाने के कांस्टेबल बाबूसिंह ने अपने जानकार शक्ति सिंह को फोन किया. शक्ति सिंह और प्रह्लाद कई मामलों में पुलिस की पहले भी मदद करते रहे हैं. बाबूसिंह ने बता दिया कि हत्यारे 2611 नंबर की बाइक पर हैं.

इस के बाद दोनों दोस्तों ने सूरजपुरा बसअड्डे पहुंच कर नजर रखनी शुरू कर दी. जैसे ही उक्त नंबर की बाइक पर 2 युवक आते दिखाई दिए, उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी. पुलिस ने उन से कहा कि हम अभी दूर हैं, तुम उन पर नजर रखो. दोनों निहत्थे दोस्तों ने अपनी बाइक से उन की बाइक का पीछा किया. भनक लगने पर आरोपियों ने अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा दी. शक्ति सिंह और प्रह्लाद भी उचित दूरी से उन के पीछे चलते रहे और वह पुलिसकर्मी बाबूसिंह और डीएसपी राजेंद्र सिंह को जानकारी देते रहे.

चालीस मील रोड से दोनों भीम रोड की तरफ मुड़ गए. भीम-ब्यावर रोड पर पुलिस पहले से खड़ी थी. युवकों ने पुलिस को इशारा किया, पुलिस ने आरोपियों को चलती बाइक से गिरा कर दबोच लिया. दोनों दोस्तों ने आरोपियों का करीब 20 किलोमीटर तक पीछा किया था.

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जांबाज शक्ति सिंह और प्रह्लाद सिंह चूड़ावत की इस बहादुरी की आम लोगों ने ही नहीं बल्कि पुलिस ने भी तारीफ की और मुख्यमंत्री से दोनों को सम्मानित करने और पुलिस में सेवा लेने की मांग की. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों को अपने औफिस में बुला कर सम्मानित किया. हत्यारोपी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद को हिरासत में ले कर पुलिस ने पूछताछ की.

वैसे आरोपी मोहम्मद रियाज मूलत: भीलवाड़ा के आसींद का रहने वाला बताया जाता है, लेकिन वह उदयपुर के खांजीपीर में किराए के मकान में रहता था. वह वेल्डिंग और जमीन के लेनदेन के काम से जुड़ा हुआ था. गौस मसजिद में खिदमत का काम करता था. अभियुक्तों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और मामले की जांच के लिए एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ के निर्देशन में एसआईटी का गठन किया गया.

राजस्थान के गृह राज्यमंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि एक अभियुक्त गौस मोहम्मद 2014 में पकिस्तान के कराची गया था और पिछले 2-3 सालों से पकिस्तान में 8-10 नंबरों पर फोन करता रहा है. गौस कराची में 45 दिनों तक रहने के अलावा नेपाल भी गया था. इस के बाद 2018-19 में अरब के देशों में गया था. इसी तरह से राजस्थान के डीजीपी मोहन लाठर का कहना था कि गौस कराची स्थित दावत ए इस्लामी संगठन से जुड़ा हुआ है. यह एक सुन्नी इसलामी संगठन है. मामला संवेदनशील होने के कारण अभियुक्तों के खिलाफ एनआईए ने जांच शुरू कर दी.

कन्हैयालाल साहू (40) के परिवार में उस के 2 बेटों मे एक 21 साल का यश और दूसरा 18 साल का तरुण है. यश बीकौम सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रहा है, जबकि तरुण बी फार्मा के फर्स्ट ईयर में है.

पति की मौत के गम में डूबी पत्नी यशोदा के अनुसार कन्हैयालाल को पिछले 7-8 दिन से धमकियां मिल रही थीं. लोग दुकान में आ कर धमकी दे रहे थे. इस वजह से वह रोजाना दुकान नहीं जा रहे थे. 1-2 दिन में दुकान जा कर देख आते थे. नूपुर के समर्थन में पोस्ट शेयर करने के बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही थीं. उन्हें इस बात का भय था कि उन की हत्या हो सकती है. पत्नी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस अगर समय रहते काररवाई करती तो उन के पति जिंदा होते. यशोदा का कहना है 8 जून से ही वह दहशत में थे. इसी दिन उन के मोबाइल पर एक विवादित पोस्ट का मामला सामने आया था.

कन्हैयालाल ने इस की शिकायत खुद पुलिस से की और बताया कि गेम खेलते वक्त उस के बच्चे से गलती से विवादित कंटेंट पोस्ट हो गया. 10 जून, 2022 को कन्हैयालाल की दुकान पर कुछ लोगों ने आ कर काल करने के बहाने से उस का फोन ले लिया और बताया कि उस में कुछ विवादित मैटर पोस्ट हो गया है. इस के बाद कन्हैयालाल ने उस पोस्ट को डिलीट कर दिया. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि 11 जून को कन्हैयालाल के पड़ोसी नाजिम ने उस के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करवा दिया. इस शिकायत पर धनमंडी थाने की पुलिस ने उसे फोन कर बताया कि उस के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज की गई है. कन्हैयालाल जब थाने पहुंचा, तब मालूम हुआ कि उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने वाला उस का पड़ोसी नाजिम है. विवादित पोस्ट के चलते उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

इस मामले में 12 जून को जमानत मिल गई, लेकिन अगली पेशी की तारीख 29 जून तय की गई थी. जमानत मिलने के बाद कन्हैयालाल का जीना और भी दूभर हो गया था. कारण, उस ने 13 जून को पाया कि कुछ लोग उस के दुकान की रेकी कर रहे हैं. साथ ही उसे फोन पर सिर कलम करने की धमकी भी मिली. इस बाबत कन्हैयालाल ने 15 जून को धनमंडी थाने में शिकायत दी. उस में उस ने लिखा कि पड़ोसी नाजिम समेत 4-5 लागों ने उस के नाम और नंबर वायरल कर दिए हैं. वे दुकान नहीं खोलने की धमकी दे रहे हैं. शिकायत में उस ने यह भी आशंका जताई कि वे उसे जान से मार सकते हैं.

इस शिकायत पर उसी दिन पुलिस ने कन्हैयालाल और नाजिम को थाने बुला कर उन के बीच समझौता करवा दिया. दोनों पक्षों के बीच सुलह समझौते के तहत कन्हैया ने पुलिस को लिख कर दिया कि अब वह कानूनी काररवाई नहीं चाहता. इस पर पुलिस ने कन्हैया को 16 जून को सलाह दी कि वह अगले कुछ दिनों तक वह दुकान न खोले और अपनी दुकान में सीसीटीवी कैमरे लगवा ले. कन्हैया ने पुलिस की सलाह मानते हुए वैसा ही किया. दुकान बंद रखी और सीसीटीवी कैमरे लगवा लिए. उस के बाद 18 जून को पुलिस ने कन्हैया को कहा कि वह अब दुकान खोल सकता है. अगले रोज 19 जून को कन्हैया ने दुकान खोली. दुकान में अपना रुटीन का काम किया. इस बीच थाने से एक सिपाही ने मौके का जायजा भी लिया.

कन्हैया को 20-24 जून के दौरान 2 बार धमकियां मिलीं. उस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उस ने समझा कि पुलिस से समझौता हो चुका है. किंतु 25 जून को दुकान पर एक महिला और पुरुष आ कर धमकी दे गए. उन्होंने कहा कि तुझे जमीन में गाड़ देंगे. इस धमकी के बाद कन्हैयालाल परेशान हो गया. फिर वह दुकान पर 28 जून को ही गया. कन्हैयालाल की हत्या के मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. जांचकर्ताओं के अनुसार दोनों हमलावरों की योजना कुछ और थी. वे कन्हैया को उस के घर में घुस कर मारना चाहते थे. घर का सही पता नहीं चल पाने के कारण उन्होंने दुकान में हत्या को अंजाम दे दिया.

जांच करने वाली टीम को यह भी पता चला है कि जिन हमलावरों ने टेलर कन्हैयालाल की हत्या की थी, वे पाकिस्तान में बैठे आकाओं के इशारे पर काम कर रहे थे. दोनों आरोपी नूपुर शर्मा के बयान के बाद से ही कुछ बड़ा करने की प्लानिंग कर रहे थे. अब तक हुए खुलासे के मुताबिक दोनों हत्यारे कन्हैयालाल की लाइव हत्या करना चाहते थे ताकि इन की इस हरकत से एक समुदाय में दहशत फैल सके और ये अपने धर्म के हीरो बन जाएं. रियाज और मोहम्मद गौस ने बताया कि हत्या करने के बाद वे उदयपुर के सापेटिया इलाके में स्थित शोएब के औफिस गए.

शोएब के औफिस में बैठ कर दोनों ने हथियार के साथ कबूलनामे वाला वीडियो बनाया था और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. इसी औफिस से 17 जून को बनाया गया वीडियो भी वायरल किया गया था. पुलिस को इसी औफिस से हथियार भी मिले. रियाज और मोहम्मद गौस ऐसे कई वाट्सऐप ग्रुप से जुड़े हुए थे, जिस में पाकिस्तान समेत कई और दूसरे देशों के लोग शामिल थे और ये सभी कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोग थे. इस ग्रुप में हमेशा भड़काने वाले बयान दिए जाते थे. गौस मोहम्मद अपने मातापिता और परिवार वालों के साथ किशन पोल इलाके के एक मकान में रहता था. दूसरा आरोपी मोहम्मद रियाज उदयपुर में 20 सालों के दौरान कई मकानों में किराए पर रहा. अकसर वो किराए का घर बदलता रहा.

कन्हैयालाल हत्याकांड की गहन जांच के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने 10 अधिकारियों की टीम बनाई तो वहीं राजस्थान सरकार की ओर से एसआईटी का गठन किया गया.  एसआईटी में एसओजी एडीजी अशोक राठौड़, एटीएएस आईजी प्रफुल्ल कुमार एवं एक एसपी और एडिशनल एसपी शामिल किए गए. इसी के साथ सरकार ने एसपी और आईजी के समेत 4 पुलिस अधिकारियों को इसलिए सस्पेंड कर दिया, क्योंकि उन्होंने समय रहते कन्हैयालाल को मिली धमकियों के संदर्भ में पहल करने में अनदेखी की.

डीजीपी लाठर के आदेश पर एएसपी (सिटी) अशोक मीणा, सीओ (ईस्ट) जरनैल सिंह, सीओ (वेस्ट) जितेंद्र आंचलिया, सूरजपोल एसएचओ लीलाधर मालवीय के सस्पेंड किए जाने से पहले धानमंडी एसएचओ गोविंद सिंह और एएसआई भंवरलाल सस्पेंड कर दिए गए थे. उन्हें भी इसलिए सस्पेंड किया गया, क्योंकि उन्होंने कन्हैयालाल की तरह ही एक व्यापारी को हत्या की धमकी मिलने के बावजूद कोई काररवाई नहीं की. एनआईए को मिले जिन पक्के सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाने की उम्मीद बनी, उन में एक बाइक का नंबर 2611 है, जबकि दूसरा सबूत दोनों आरोपियों के भागने का सीसीटीवी फुटेज है. इस के अलावा कन्हैयालाल के खून से सना बड़ा चाकू और उसे बनाने वाली फैक्ट्री के साथसाथ उन के द्वारा कत्ल के वक्त और उस के बाद बनाए गए वीडियो के सबूत पर्याप्त हैं.

जांच में यह भी मालूम हुआ कि 2611 नंबर की यह बाइक सन 2013 में खरीदी गई थी और रियाज अत्तारी ने अपनी पसंद का 2611 नंबर लेने के लिए आरटीओ में एक हजार रुपए चुकाए थे. यह आरोपियों के जेहादी जहर को दर्शाता है. बहरहाल, कन्हैयालाल के आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ‘यूएपीए’ के अधीन मुकदमा दर्ज कर लिया है. साथ ही हत्या के मामले में सीमा पार से जुड़े तार का पता लगाने के लिए डिजिटल सबूत की भी जांच की जा रही थी. एनआईए ने अपनी एफआईआर संख्या आरसी 27/2022 में कत्ल की धारा के अलावा आईपीसी 452,153ए,153बी, 295ए के साथ साथ सेक्शन 16, 18 और यूएपीए की धारा 20 को भी शामिल किया है. एनआईए ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि इस पूरे मामले को सोचीसमझी साजिश और पूरी प्लानिंग के साथ अंजाम दिया गया.

एनआईए ने कन्हैयालाल की हत्या की साजिश में शामिल रहे 2 और आरोपियों मोहसिन और आसिफ को भी गिरफ्तार कर लिया. चारों आरोपियों को भारी सुरक्षा के बीच एनआईए कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें अजमेर की हाईसिक्योरिटी जेल भेज दिया गया. उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल के मर्डर का खून अभी सूखा भी नहीं था कि महाराष्ट्र के अमरावती जिले में उसी के जैसी एक और खबर सामने आ गई. हत्या की यह घटना 21 जून की है, लेकिन इस का कारण भी नूपुर के समर्थन में विवादित बयान की पोस्ट ही है.

उमेश प्रह्लादराव कोल्हे (54) की अमरावती के श्याम चौक क्षेत्र के घंटाघर के पास रात करीब साढ़े 10 बजे चाकू से गरदन काट दी थी. पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. उमेश कोल्हे एक मैडिकल स्टोर चलाते थे. वह 21 जून की रात को बेटे संकेत और बहू वैष्णवी के साथ अलगअलग बाइक पर अपने घर लौट रहे थे. तभी घात लगा कर बैठे हमलावरों ने उन की गरदन पर पीछे से चाकू से हमला कर दिया था. इस हमले के बारे में पुलिस ने जब तहकीकात की, तब मालूम हुआ कि उमेश कोल्हे ने एक वाट्सऐप ग्रुप पर नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर की थी. संयोग से उस ग्रुप में एक मुसलिम सदस्य भी जुड़ा हुआ था.

पुलिस को इस का खुलासा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक से हुआ. उस ने पुलिस को बताया कि उन के मुताबिक यह पैगंबर मोहम्मद का अपमान था. इसलिए उन की हत्या की गई. पुलिस उपायुक्त विक्रम साली के अनुसार, मृतक के बेटे संकेत की तहरीर पर पुलिस ने यूएपीए कानून की धारा 16, 18 और 80 के अलावा भादंवि की धारा 302, 153ए, 153बी के तहत केस दर्ज करने के बाद 23 जून को 2 आरोपियों मुदस्सिर अहमद और शाहरुख पठान (25) को गिरफ्तार किया था.

उन से पूछताछ में 4 अन्य लोगों के भी इस हत्याकांड में शामिल होने की बात सामने आई थी. जिन में से अब्दुल तौफीक (24) शोएब खान (22) और आतिब रशीद (22) को बीते 25 जून को गिरफ्तार किया गया. तब तक एक अन्य आरोपी अहमद फिरोज उर्फ यूसुफ खान और मुख्य आरोपी इरफान फरार था. बाद में इरफान शेख भी 7वें आरोपी के तौर पर 3 जुलाई, 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया. एनजीओ चलाने वाला इरफान फरार होने की फिराक में था, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया था.

इस मामले में उमेश के भाई महेश कोल्हे ने भी चौंकाने वाला एक खुलासा किया. उस ने बताया कि हत्याकांड में शामिल यूसुफ खान अमरावती में वेटेरनरी डाक्टर है और उमेश से उस की अच्छी दोस्ती थी. यूसुफ मैडिकल पर आ कर दवाएं खरीदता था. यही नहीं, कई बार वह उमेश के घर भी आया था. यूसुफ डाक्टरों और मैडिकल वालों के उस वाट्सऐप ग्रुप में था, जिस में उमेश ने नूपुर शर्मा के समर्थन वाला पोस्ट फारवर्ड किया था.

उमेश की पोस्ट को यूसुफ ने ही शेख इरफान तक पहुंचाया था. उस ने कहा कि देखो यह हमारे धर्म के खिलाफ बोलने वाली नूपुर का समर्थन कर रहा है और आप लोग उस की दुकान से दवा खरीदते हैं. उस के बाद इरफान उत्तेजित हो गया था और हत्याकांड की साजिश रची थी, जिस की गिरफ्तारी नागपुर से हुई थी. उस ने हत्याकांड को अंजाम देने के लिए हत्यारों को 10-10 हजार रुपए एवं एक कार का इंतजाम भी किया था. उमेश कोल्हे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उन के गले पर 5 इंच चौड़ा, 7 इंच लंबा और 5 इंच गहरा जख्म था. इस से पता चलता है कि हत्यारों में कितना आक्रोश भरा था.

एनआईए का कहना है कि इस का मकसद देश में एक वर्ग के लोगों को दहशतजदा करना था. उदयपुर और अमरावती के मामलों की एनआईए गहनता से जांच कर रही है. पाकिस्तान के दावतएइसलामी का क्राइम कनेक्शन एनआईए की जांच में पता चला कि रियाज अत्तारी का निकाह पाकिस्तान के दावत ए इसलामी संगठन की ओर से ही करवाया गया था. तभी से उस ने अपने नाम के साथ संगठन के संस्थापक का टाइटल अत्तारी जोड़ लिया था. इस संगठन के बारे में पता चला कि इस की बुनियाद धार्मिक कार्यों के लिए रखी गई थी, जो बाद में जेहादी गतिविधियों में शामिल हो गया.

कन्हैया लाल की हत्या के मामले में दावत ए इसलामी संगठन का नाम सामने आया है. साथ ही कन्हैया लाल की हत्या के आरोपियों की पाकिस्तान से कनेक्शन की बात राजस्थान के गृह राज्यमंत्री तक ने की है. अधिकारियों के अनुसार कन्हैया लाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार एक अभियुक्त गौस मोहम्मद 8 साल पहले पाकिस्तान गया था. वह वहां से फोन करता था.  मोहम्मद गौस कराची स्थित दावत ए इसलामी के दफ्तर जा चुका है. दावत ए इसलामी एक सुन्नी इसलामिक संगठन है. इस का गठन पाकिस्तान में 1981 में मोहम्मद इलियास अत्तार कादरी ने किया था.

कराची स्थित दावत ए इसलामी अपनी पहचान एक गैरराजनीतिक संस्था के तौर पर जाहिर करता है. संस्था के मुताबिक, यह संगठन दुनिया भर में मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ कुरान और पैगंबर मोहम्मद की बातों का प्रचार करता है. दावत ए इसलामी वेबसाइट के मुताबिक, मोहम्मद इलियास अत्तार कादरी ने संस्था की स्थापना लोगों को अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने, इसलाम की सीख देने और समाज की गंदगी को साफ करने के उद्देश्य से की थी. स्थापना के बाद से ही संस्था सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी समुदाय के हजारों लोगों को सीख दे चुकी है. इस की गतिविधियां भले ही हिंसक मामलों से नहीं जुड़ी रही हों और संस्था के प्रमुख ने किसी भी सार्वजनिक मंच से कभी हिंसा का समर्थन नहीं किया हो, लेकिन उन के विचारों से जेहादी भावना भड़कने की आशंका बनी रहती है.

पिछले कुछ सालों में इस समुदाय के अंदर भी पैगंबर मोहम्मद को ले कर कट्टरपंथ बढ़ा है. यहां तक कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के जुर्म में मुमताज कादरी को फांसी दिए जाने के बाद बरेलवी संगठनों में कट्टरपंथ बढ़ा. वे हिंसक होने लगे हैं. मुमताज कादरी, जो सलमान तासीर के अंगरक्षक थे, ने 2011 में उन की हत्या कर दी थी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि सलमान तासीर ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया है. जब कादरी को 2016 में फांसी दी गई, तब उन के जनाजे में बरलेवी समुदाय के हजारों लोग शामिल हुए थे.

बताते हैं कि दावत ए इसलामी का राजस्थान में नेटवर्क है. इस संगठन ने इस साल लगभग एक महीने में राजस्थान के कुछ सीमावर्ती गांवों और कस्बों से 20 लाख रुपए का चंदा इकट्ठा किया था.

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