इस साल पंजाब में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक और सामाजिक बदलाव के अलग किस्म की आबोहवा बन गई थी. स्टैंडअप कौमेडी और पंजाबी फिल्मों में काम कर पंजाब की राजनीति में जगह बनाने वाले भगवंत मान की नई सरकार द्वारा कई फैसले लिए गए. उन में एक बड़ा फैसला वीवीआईपी की सुरक्षा कम करने का भी सामने आया था. इसे ले कर सुरक्षा प्राप्त सेलिब्रेटीज की चिंता बढ़ गई थी. उस के ठीक एक दिन बाद ही हिंसा की जो वारदात हुई, उस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

रविवार की शाम 29 मई को 5 बजे का वक्त था. पंजाबी सिंगर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला ने गांव की सरपंच मां चरणजीत कौर सिद्धू से कहा कि वह अपनी मौसी से मिलने जाना चाहता है. चुनाव में व्यस्त होने के कारण काफी समय से मौसी से मिलनाबतियाना नहीं हो पाया था. वह उन का हालचाल लेना चाहता है. सिद्धू की मां मानसा जिले में मूसेवाला गांव की सरपंच हैं और कांग्रेस के समर्थन में राजनीतिक पहचान रखती हैं.

पंजाब कांग्रेस में अच्छी पकड़ रखने की बदौलत ही कौर ने अपने सिंगर और मौडल बेटे शुभदीप सिद्धू को भी कांग्रेस से विधानसभा का टिकट दिलवा दिया था. सिद्धू मूसेवाला ने इस साल पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था, किंतु सफलता नहीं मिल पाई थी. वैसे उस रोज चरणजीत कौर अपने बेटे के मौसी से मिलने जाने की बात पर खुश हो गई थीं. उन्होंने पूछा, ‘‘तुम्हारे साथ और कौन जा रहा है?’’

‘‘जी, वो गुरप्रीत और गुरविंदर है न,‘‘सिद्धू ने बताया.

गुरविंदर सिंह उन का पड़ोसी और गुरप्रीत सिंह चचेरा भाई था. दोनों सिद्धू के खास दोस्तों की तरह थे.

‘‘गाड़ी तू ड्राइव करेगा?’’ चरणजीत बोलीं.

‘‘हां तो! क्या हुआ बेबे?’’ सिद्धू ने मां को जवाब दिया.

‘‘अरे पुत्तर मैंनू बोलूं गाड़ी तेजी से मत भगइयो…वैसे कौन वाली गाड़ी ले जा रहा है?’’ बेबे ने पूछा.

‘‘थार से ही चला जाता हूं,’’ सिद्धू ने बताया.

‘‘थार से क्यों, उस में कम जगह होती है. गनर कहां बैठेंगे?’’ बेबो ने चिंता जताई.

‘‘तू तो बेवजह चिंता करती है बेबे… पजेरो का पिछला पहिया पंक्चर है. गनर मेरे साथ नहीं जाएगा तो क्या हो जाएगा? थोड़ी दूर ही तो जाना है. जल्द लौट आऊंगा.’’

‘‘देख ले भई, जैसी तुम्हारी मरजी. रब तेरी खैर रखे.’’ मां हाथ ऊपर उठा कर लंबी सांस लेती हुई बोलीं.

‘‘तू किसी रब से कम है क्या बेबे!’’ यह कहते हुए सिद्धू ने मां के गले लगने के बाद पैर छूए. फिर लंबे कद भरते हुए थार की ड्राइविंग सीट पर जा बैठे. उस में पहले से ही उस के दोनों दोस्त बैठ चुके थे. एक अगली और दूसरा पिछली सीट पर.

सिद्धू की गाड़ी के पीछे लग गए हमलावर

सिद्धू के पास थार जीप के अलावा पजेरो एसयूवी, टोयोटा फौर्च्युनर, मर्सिडीज बेंज, रेंज रोवर और अपने जमाने की लोकप्रिय मौडर्न बन चुकी जीप भी थी. उस रोज उन्होंने महिंद्रा की थार जीप से मौसी के घर जाने का निर्णय लिया था, जो बुलेटप्रूफ भी नहीं थी. हालांकि कम जगह वाली थार ले जाने का कारण मूसेवाला ने अपनी मां को जल्द लौट आना बताया था. इस कारण उन्होंने गनमैन को भी साथ ले जाने की भी जरूरत नहीं समझी और अपने दोनों दोस्तों के साथ निकल पड़े. वे ज्यादा दूर नहीं निकले थे. करीब 500 मीटर पहुंचे होंगे, तभी एक गाड़ी पीछा करने लगी थी. वो गाड़ी थी कोरोला. थार की पिछली सीट पर बैठे एक दोस्त ने देखा कि उन की गाड़ी का एक कोरोला गाड़ी पीछा कर रही है.

वह बोला, ‘‘लगता है कोई हमारा पीछा कर रहा है.’’

इस पर दूसरा दोस्त बोला, ‘‘अरे, होगा कोई फैन.’’

उस गाड़ी को मूसेवाला ने भी देखा. फिर बोले, ‘‘अरे, ये मेरे फैंस होंगे. फोटो खिंचवाने के लिए पीछे आ रहे होंगे. मेरे साथ अकसर ऐसा होता है.’’

‘‘हो सकता है,’’ दोस्त बोला.

फिर एक दोस्त के कहने के कुछ देर बाद ही एक जगह पर 2 मोड़ आए, जहां से मूसेवाला बाईं तरफ निकले तो पीछा कर रही गाड़ी दाहिनी तरफ चली गई. ऐसा होते ही सिद्धू मूसेवाला खुद ही दोस्तों से बोले, ‘‘देखो क्या कहा था मैं ने, वो गाड़ी चली गई. वो फैंस ही थे. पहले पीछेपीछे आ रहे थे, जब हम अपने दूसरे रास्ते पर आए तब वह अपने रास्ते चले गए.’’

‘‘हां मूसे, तू सही कह रहा है. लेकिन…’’ एक दोस्त बोला.

‘‘अरे, तू बहुत लेकिनवेकिन करता है. अबे तेरी की… न्यू सौंग पर क्या गजब के कमेंट आए हैं.’’ दूसरा दोस्त पहले वाले को मोबाइल दिखाता हुआ बोला.

‘‘तो फिर इसी खुशी में इस बार भाई का बर्थडे धमाकेदार होना चाहिए.’’

‘‘हां क्यों नहीं. मैं दू्ंगा तुम सब को बड़ी पार्टी. बोल कहां लेगा? दिल्ली का कोई फार्महाउस बुक करें?’’ गाड़ी ड्राइव करते हुए मूसेवाला बोल पड़े.

‘‘अरे…अरे… देख वही गाड़ी फिर से आ रही है,’’ पहले वाला दोस्त इस बार तेजी से हड़बड़ाहट के साथ बोला.

‘‘अरे आने दे न उसे, मैं तो अपने रास्ते पर हूं,’’ लेकिन मूसेवाला के इतना कहते ही दूसरे रास्ते से वही कोरोला कार अचानक थार के  साथसाथ चलने लगी. कुछ सेकेंड में ही थार के बिलकुल करीब आ गई. उस ने थार को ओवरटेक कर रोक लिया.

मूसेवाला ने भी तुरंत ब्रेक लगा दिए. थार वहीं एक झटके के साथ रुक गई. ठीक आगे कोरोला को देख कर मूसेवाला समझ गए कि उस में सवार फैंस नहीं, कोई और हैं. शायद उन के दुश्मन हो सकते हैं. उन्होंने तुरंत अपने एक हाथ से पिस्टल निकाल लिया. मूसेवाला और पीछे बैठे दोस्त अभी सतर्क हो पाते कि इस से पहले ही कोरोला में सवार लोगों ने ताबड़तोड़ गोलियां दागनी शुरू कर दीं. हमलावरों ने थार गाड़ी के टायरों में गोलियां मारीं, जिस से 3 टायर पंक्चर हो गए. इस अचानक हमले के बाद भी मूसेवाला ने दोस्तों से कहा, ‘‘डरने की जरूरत नहीं. हौसला रखो. मेरे पास पिस्टल है.’’ फिर मूसेवाला ने तुरंत पिस्टल निकाली और 2 फायर किए.

इसे देख हमलावर भी डर गए. और अपनी गाड़ी दूर कर ली. लेकिन इस के बाद ही मूसेवाला के पिस्टल की गोलियां खत्म हो गईं. उस वक्त इत्तफाक से मूसेवाला की पिस्टल में सिर्फ 2 ही गोलियां थीं. फायरिंग बंद हो गई, लेकिन कुछ सेकेंड में ही वहां 2 बोलेरो गाड़ी भी आ गईं. उस में भी हमलावर सवार थे. हमलावरों की संख्या बढ़ गई. वे आधुनिक हथियारों से लैस थे. वे थार की बोनट पर चढ़ गए.

मूसेवाला को निशाना बना कर बरसाई गोलियां

सिर्फ मूसेवाला को ही निशाना बना कर अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे. जिस से पूरी गाड़ी में धुआं ही धुआं फैल गया. मूसेवाला लहूलुहान हो कर आगे बैठे दोस्त की गोद में गिर गए थे. उस के बाद हमलावरों ने इत्मीनान से मूसेवाला को चैक किया. एक हमलावर ने मूसेवाला के साथ सेल्फी तक ली. जब वे आश्वस्त हो गए कि उन की मौत हो चुकी है, तब वे वहां से फरार हो गए. इस हिंसक वारदात के चश्मदीद मूसेवाला के दोनों दोस्त गुरविंदर सिंह और गुरप्रीत सिंह ही थे. वे भी घायल हो चुके थे. बाद में उन्होंने मीडिया को इस की जानकारी देते हुए पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया. तुरंत मूसेवाला पर हमले की खबर तेजी से फैल गई.

सिद्धू हत्याकांड में चश्मदीद गवाह के रूप में उन के 2 दोस्त जरूर थे, लेकिन 30 राउंड चली गोलियों में सभी हमलावरों की पहचान करना आसान नहीं था. हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी कनाडा में बैठे गोल्डी बरार ने ले ली थी. वह सिद्धू को दुश्मन मानने वाला लारेंस बिश्नोई का सहयोगी है. इस घटना को ले कर तुरंत काररवाई करते हुए मूसेवाला के हत्यारों को सलाखों के पीछे डालने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एडीजीपी एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) की देखरेख में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया था.

एक परची से खुली हत्याकांड की परतें

एसआईटी ने घटनास्थल का पूरा मुआयना करने के बाद वारदात में इस्तेमाल किए गए वाहनों की तलाशी भी ली. इसी सिलसिले में उन्हें एक परची हाथ लगी. इस की बदौलत ही पंजाब पुलिस को हत्या से पहले के घटनाक्रम को उजागर करने में मदद मिली. इस के सहारे पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई समेत 10 लोगों को हिरासत में लिया. उन में शामिल 4 शूटरों की भी पुलिस ने पहचान कर ली. गिरफ्तार आरोपियों के अलावा इस हत्याकांड में 9 अन्य लोगों बठिंडा के बलिराम नगर का चरणजीत सिंह उर्फ चेतन, सिरसा (हरियाणा) का संदीप सिंह उर्फ केकड़ा, बठिंडा के तलवंडी साबो का मनप्रीत सिंह उर्फ मन्ना, फरीदकोट के धाईपाई का मनप्रीत भाऊ, अमृतसर के गांव डोडे कलसिया का सूरज मिंटू, हरियाणा के तख्तमाल का प्रभदीप सिद्धू उर्फ पब्बी, सोनीपत के गांव रेवली का मोनू डागर, फतेहाबाद के पवन बिश्नोई और नसीब हैं. इस के अतिरिक्त गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई जो तिहाड़ जेल दिल्ली में बंद है, को प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया.

दरअसरल, हमलावरों ने जिस एक बोलेरो कार का इस्तेमाल किया था, उस में फतेहाबाद के एक पेट्रोल पंप से 25 मई, 2022 को पेट्रोल खरीदने की रसीद मिली. बाद में इस बोलेरो को लगभग 13 किलोमीटर दूर ख्याला गांव के पास छोड़ दिया गया था. एजीटीएफ के एडीजीपी ने उसी दिन सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करने के लिए एक पुलिस टीम को तुरंत फतेहाबाद के पेट्रोल पंप पर भेज दिया. पुलिस टीमों ने हासिल की सीसीटीवी फुटेज से एक व्यक्ति की पहचान कर ली, जो शायद शूटर था. बाद में उस की पहचान सोनीपत के प्रियव्रत के रूप में हुई. पेट्रोल पंप पर डीजल भरने से पहले और बाद में बोलेरो के जाने के सीसीटीवी फुटेज भी प्राप्त किए गए. इसी तरह बोलेरो के इंजन नंबर और चेसिस नंबर के आधार पर इस के मालिक का भी पता लगा लिया गया.

उस के बाद पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल की गई महिंद्रा बोलेरो, टोयोटा कोरोला और सफेद आल्टो कार समेत सभी वाहनों को बरामद कर लिया. पता चला कि आल्टो कार भी हथियारों के दम पर छीनी गई थी. उसे 30 मई को मोगा जिले में धर्मकोट के निकट वीरान जगह से बरामद किया था. इस तरह आरोपियों के भागने के रास्ते की जानकारी सीसीटीवी फुटेज के जरिए मिल गई. इसी के साथ जांच में कोरोला कार का रजिस्ट्रेशन नंबर भी असली पाया गया और उस के मालिक की पहचान भी कर ली गई, लेकिन जिस व्यक्ति के नाम पर खरीद का शपथ पत्र बरामद किया गया वह वास्तविक मालिक नहीं था, बल्कि उस ने मनप्रीत मन्ना को अपना आधार कार्ड दिया था. वह गोल्डी बराड़ से जुड़ा गैंगस्टर फिरोजपुर जेल में बंद है.

मनप्रीत भाऊ, जिसे कोरोला कार के इस्तेमाल के संदेह में पुलिस ने उत्तराखंड के चमोली से 30 मई को गिरफ्तार किया था, ने पूछताछ के दौरान बताया कि उस ने मनप्रीत मन्ना के निर्देश पर 2 संदिग्ध शूटरों, मोगा के मुनकुश और अमृतसर के जगरूप सिंह उर्फ रूपा को भेजा था. उस ने यह भी बताया कि यह शूटर सरज मिंटू द्वारा मुहैया कराए गए थे, जो गोल्डी बराड़ और सचिन थापन का करीबी है.

फैन बन कर की थी रेकी

आरोपियों में प्रभदीप सिद्धू उर्फ पब्बी 3 जून को गिरफ्तार किया गया था. उस ने पूछताछ में बताया कि उसी ने गोल्डी बराड़ के 2 साथियों को पनाह दी थी, उन्हें सिद्धू मूसेवाला के घर की रेकी करने में भी उस ने मदद की थी. पब्बी के इस खुलासे के अनुसार वह खुद भी मूसेवाला के घर गया और वहां सुरक्षा प्रबंध और कैमरों आदि की स्थिति का उस ने पता लगाया था. साथ ही एसआईटी को भरोसेमंद सूत्रों से गोल्डी बराड़ और लारेंस बिश्नोई के करीबी साथी मोनू डागर के बारे में भी सूचना मिली थी. उसे भी प्रोडक्शन वारंट पर लिया गया था. पूछताछ में उस ने स्वीकार कर लिया कि  गोल्डी बराड़ के निर्देश पर ही उस ने सोनीपत निवासी 2 शूटरों प्रियव्रत और अंकित का इंतजाम किया था.

उस ने बताया कि फतेहाबाद निवासी पवन बिश्नोई और नसीब दोनों ने सादुर शहर से सफेद बोलेरो जीप की व्यवस्था की थी और बाद में उसे बठिंडा के केशव नाम के व्यक्ति के जरिए शूटरों के हवाले कर दिया था. डागर ने इन शूटरों को छिपने में भी मदद की थी. पुलिस ने आरोपी संदीप केकड़ा को 6 जून, 2022 को गिरफ्तार कर लिया. उस ने पूछताछ में बताया कि उस का भाई, जो कलियांवाली का रहने वाला है, ने बिट्टू सिरसा के तख्तमल निवासी निक्कू के साथ मिल कर मूसेवाला के घर की रेकी की थी.

29 मई को बिट्टू ने उसे निक्कू के साथ मोटरसाइकिल पर मूसेवाला के घर उन का फैन बन कर जाने को कहा था. उस ने यह भी माना कि उस ने निक्कू के मोबाइल फोन से मूसेवाला के साथ सेल्फी भी ली और बाद में सचिन थापन को वीडियो काल कर मूसेवाला के घर से निकलने की पूरी जानकारी दी. जिस में बताया कि मूसेवाला काले रंग की थार जीप की ड्राइविंग सीट पर है और उस के साथ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है. घर से कुछ दूरी पर ही कई फैंस थे, जिन में केकड़ा उर्फ संदीप और निक्कू 2 मुखबिर भी थे. इन दोनों ने भी सिद्धू मूसेवाला का प्रशंसक बन कर पहले सेल्फी ली. इस के बाद वहीं से तुरंत वीडियो काल किया.

ये वीडियो काल विदेश में मौजूद सचिन बिश्नोई को किए थे. जिस में यह दिखाया गया कि सिद्धू मूसेवाला बिना बुलेटप्रूफ गाड़ी से निकला है. इस के अलावा वो खुद गाड़ी ड्राइव कर रहा है. साथ में कोई गनर भी नहीं है. अब ये सब कुछ खुद सचिन बिश्नोई ने अपनी आंखों से वीडियो काल पर देख लिया, तब उसी ने शूटर्स को जानकारी दी. इसी के बाद गोल्डी बराड़, सचिन और अनमोल बिश्नोई इन्होंने तुरंत शूटर्स को अलर्ट किया. शूटर्स कोरोला और बोलेरो ले कर पीछे लग गए. कुछ देर बाद एक जगह सड़क पर मोड़ आया तो सिद्धू मूसेवाला की गाड़ी धीमी हुई. उसी जगह पर शूटर्स ने उन्हें घेर लिया और उन के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

शुरू में सिद्धू मूसेवाला ने भी एक पिस्टल से फायरिंग की थी. लेकिन उन के पिस्टल की गोलियां खत्म होने के बाद शूटर्स ने थार गाड़ी के बोनट पर चढ़ कर सिर्फ सिद्धू मूसेवाला को ही टारगेट बना कर ताबड़तोड़ गोलियां दागी थीं. यह भी पता चला है कि गोलीबारी के दौरान बोलेरो गाड़ी डैमेज हो गई. जिस के बाद शूटर्स ने वहां से गुजर रही एक अल्टो कार को लूट लिया और उसी में बैठ कर फरार हो गए थे.

इस तरह से एडीजीपी ने बताया कि जांच में यह साफ हो गया है कि गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी लारेंस बिश्नोई और कनाडा में छिपे गोल्डी बराड़, सचिन थापन, अनमोल बिश्नोई और विक्रम बराड़ (इस समय दुबई में) के इशारे पर काम कर रहे थे. इन गैंगस्टरों ने वारदात के बाद खुलेआम फेसबुक पोस्ट के जरिए हत्या की जिम्मेदारी ली.

मूसेवाला की दोस्ती, दुश्मनी, हमले और विवाद

पंजाब के मानसा जिले के मूसेवाला गांव में बलकौर सिंह के घर 11 जून, 1993 को जन्म लेने वाले शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला ने लुधियाना के गुरु नानकदेव इंजीनियरिंग कालेज से 2016 में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. चूंकि उन की मां चरणजीत कौर गांव की सरपंच और कांग्रेस पार्टी की नेता हैं, इसलिए उन्हीं के प्रयास से सिद्धू ने इसी साल मानसा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. लेकिन वह चुनाव हार गए थे. सिद्धू तुपक शकुर को अपना आदर्श मानते थे, जो एक मशहूर गायक थे. इस के बावजूद सिद्धू ने छठी क्लास से हिपहौप गाने शुरू करने वाले लुधियाना के हरविंदर बिद्दू का गाना सीखा था. इस के बाद रैप सीखने के लिए कनाडा चले गए.

सिद्धू ने गायक के तौर पर ही नहीं बल्कि एक गीतकार के तौर पर भी अपने करिअर की शुरुआत की. गायक के तौर पर ‘जी वैगन’ गाने के साथ सब के सामने पहली बार पेश हुए. सिद्धू की पहचान ‘गो हार्ड’ गाने से हुई, जिसे 490 मिलियन लोगों ने देखा. इस गाने से वह चमकता सितारा बन गए और उन्होंने अपने नाम के साथ गांव का नाम ‘मूसेवाला’ लगाना शुरू कर दिया.

सिद्धू के उजले चरित्र पर लगा दाग

उन का नाता न केवल म्यूजिक और मौडलिंग से था, बल्कि वह राजनीति के अतिरिक्त गैंगस्टर से भी अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे. उन के गानों के फैंस लाखों में थे, जबकि दोस्तों की लंबी फेहरिस्त थी और दुश्मन भी कम नहीं थे. उन के दुश्मनों को दोस्तों और प्रशंसकों में से पहचान पाना बहुत मुश्किल था. युवा दिलों पर राज करने वाले सिद्धू मूसेवाला के उजले चरित्र पर उस वक्त दाग लगा, जब उन की गायकी के जलवे जवानी की दहलीज पर कुलांचे भर रहे थे. अकाली दल के युवा नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा की हत्या में सिद्धू मूसेवाला और उन के मैनेजर शगुनदीप सिंह का नाम उछला था.

दरअसल, बात करीब 9 महीने पुरानी 7 अगस्त, 2021 की है. विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा मोहाली के सेक्टर 71 में रहने वाले प्रौपर्टी डीलर दोस्त से मिल कर लौट रहा था, तभी 2 गाडि़यों से आए बदमाशों ने उन पर गोली चला दी. विक्की जान बचाने के लिए करीब आधा किलोमीटर तक भागा, लेकिन बदमाशों ने उसे घेर लिया और वह उस पर तब तक गोलियां बरसाते रहे, जब तक विक्की की मौत न हो गई. युवा नेता विक्की की हत्याकांड की जिम्मेदारी माफिया डौन देवेंदर बंबीहा ने ली थी, लेकिन पुलिस जांच में कुछ और ही सामने आया था.

जांच में पता चला कि युवा अकाली नेता की हत्या करनाल जेल में बंद गैंगस्टर कौशल चौधरी ने भगोड़ा चल रहे 3 साथियों अमित डागर, सज्जन सिंह भोला (झज्जर, हरियाणा) और अनिल उर्फ लठ (ककरौला, दिल्ली) की मदद से कराई गई थी. इस के पीछे का सब से बड़ा दिमाग आर्मेनिया में बैठे गैंगस्टर गौरव पटियाला का था. गौरव ने ही विक्की की हत्या की सुपारी कौशल चौधरी को दी थी. इस का खुलासा 26 गैंगस्टरों से हुई पूछताछ से हुआ.

सिद्धू पर 6 बार हुए जानलेवा हमले

इस के अलावा इस साल अप्रैल महीने में दिल्ली पुलिस ने 8 नामी गैंगस्टर पकड़े थे. इस दौरान विक्की की हत्या में शामिल 3 गैंगस्टर भी पकड़े गए. उन्होंने खुलासा किया कि विक्की मिद्दूखेड़ा हत्याकांड को अंजाम देने से पहले उन्हें खरड़ की एक नामी सोसायटी में ठहराया गया था. उन्हें ठहराने की सारी जिम्मेदारी और विक्की तक पहुंचाने का काम सिद्धू मूसेवाला के मैनेजर शगुनदीप सिंह ने किया था. इस के बाद शगुनदीप सिंह अंडरग्राउंड हो गया और आज तक वह पुलिस के हाथ नहीं लगा.

इस के बाद से ही सिद्धू मूसेवाला लारेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर चढ़ गया था. उस ने कसम खाई थी कि जब तक वह अपने भाई विक्की की हत्या का बदला नहीं ले लेगा, चैन से नहीं बैठेगा. यही कारण रहा कि पहले भी सिद्धू मूसेवाला पर 6 बार जानलेवा हमले हो चुके थे. जिस में वह बालबाल बच गए थे. यह कहें कि मौत साए की तरह उन का पीछा कर रही थी. वह गैंगस्टर्स के निशाने पर बने हुए थे. इस आशंका के चलते उन के साथसाथ परिवार के लोग भी हमेशा सतर्क रहते थे. उन्होंने अपने लिए बुलेटप्रूफ कार भी खरीद ली थी.

वह गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर काफी समय से थे. एक बार बिश्नोई ने खुद फोन कर उन्हें धमकाया था, तब सिद्धू ने फोन पर ही इस धमकी का करारा जवाब देते हुए कहा था कि उसे जो करना है, वह कर ले. उन की गन भी हमेशा लोड रहती है, और इसलिए वह किसी से नहीं डरता. यह सुन कर बिश्नोई का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया था. पुलिस की अब तक की गई पड़ताल में सामने आया कि हत्या के कुछ दिन पहले भी सिद्धू को मारने की कोशिश की गई थी. एक बार तो उन्हें जान बचाने के लिए एक 5 स्टार होटल के पिछले दरवाजे से भागना पड़ा था. नए साल पर दिल्ली के एक पांचसितारा होटल में उन का म्यूजिकल कंसर्ट था. यहां एक बिना नंबर प्लेट की कार ने सिद्धू का पीछा किया. किसी तरह सिद्धू हमलावरों से बच कर अपने होटल पहुंचे और यहां से पीछे के दरवाजे से बच निकलने में कामयाब रहे थे.

पंजाब के कई गैंगस्टर के लिए सिद्धू मोटी कमाई करने वाला शख्स था. इस के चलते वसूली के लिए सिद्धू मूसेवाला के साथसाथ उन के पिता बलकौर सिंह को भी धमकियां मिलती रहती थीं. वह सेना में अधिकारी थे. एक घटना के अनुसार 16 सितंबर, 2020 को जालंधर पुलिस ने 2 शूटर्स को पकड़ा था. दोनों हथियार के साथ घूमते पाए गए थे. पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया था कि वे सिद्धू मूसेवाला से 50 लाख रुपए की रंगदारी लेने आए थे. अगर सिद्धू उन्हें पैसे देने से मना करते तो वह उसी समय सिद्धू को मारने का प्लान बना कर आए थे.

उन के एक गाने ‘बोले नी बंबीहा बोले’ को पंजाब के गैंगस्टर देवेंदर बंबीहा से जोड़ कर देखा जा रहा था. बंबीहा गैंग पहले ही बिश्नोई गैंग का विरोधी था. इस गाने ने सिद्धू की बिश्नोई से दुश्मनी बढ़ाने में आग में घी डालने जैसा काम किया था. बंबीहा पर सिद्धू का गाना आने के बाद लारेंस बिश्नोई के गैंग को लगने लगा कि सिद्धू की बंबीहा गैंग के साथ काफी नजदीकियां हैं. इस के बाद ही उन के और बिश्नोई गैंग के बीच सीधी लड़ाई की शुरुआत हो गई.

वैसे सिद्धू की मौत की असली प्लानिंग कबड्डी प्लेयर संदीप नंगल अंबिया के मर्डर के बाद शुरू हुई थी. तब लारेंस बिश्नोई ने संदीप की मौत के बाद कहा था कि वह उस के बड़े भाई के समान था. इसलिए उस की मौत का बदला लिया जाएगा. इस के बाद से ही लारेंस ने फोन कर सिद्धू मूसेवाला को अंजाम भुगतने की धमकी दी थी.

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