कड़ाके की सर्दी हो और ऊपर से बरसात हो जाए तो सर्दी के तेवर और भी भयावह हो जाते हैं. रोज की तरह दोपहर को भोगनाथ बिट्टू के घर पहुंचा तो वह रजाई में लिपटी बैठी थी. दोनों एकदूसरे को देख कर मुसकराए, फिर हथेलियां रगड़ते हुए भोगनाथ बोला, ‘‘आज तो गजब की सर्दी है.’’
‘‘इसीलिए तो रजाई में दुबकी बैठी हूं,’’ बिट्टू बोली, ‘‘रजाई छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा, लेकिन तुम इतनी ठंड में कहां घूम रहे हो?’’
‘‘घूम नहीं रहा, सुबह से तुम्हें देखा नहीं था, इसलिए रोज की तरह तुम से मिलने चला आया,’’ भोलानाथ ने जवाब दिया, ‘‘सोचा था, तुम आग ताप रही होगी तो मैं भी हाथ सेंक लूंगा, लेकिन यहां तो हालात दूसरे ही है. लगता है मुझ से ज्यादा तुम्हें गर्मी की जरूरत है. दूसरे तरीके से हाथ सेंक कर मुझे तुम्हारी ठंड दूर करनी होगी.’’ कहने के बाद भोगनाथ ने बिट्टू का चेहरा अपने हाथों में ले लिया.
बिट्टू ने एक झटके से अपना चेहरा अलग कर लिया और ठंडे हो गए गालों पर हथेलियां मलते हुए बोली, ‘‘हटो भी, कितने ठंडे हैं तुम्हारे हाथ, एकदम बर्फ जैसे.’’
‘‘बिट्टू, कुछ चीजें ठंडी जरूर लगती हैं, लेकिन उन की तासीर बड़ी गर्म होती है,’’ भोगनाथ ने चुहल की, ‘‘मेरी बात पर विश्वास न हो तो आजमा कर देख लो. 2 मिनट में मेरे हाथ तुम्हें गर्म तो लगने ही लगेंगे, खुद भी इतनी गर्म हो जाओगी कि रजाई शरीर से उतार फेंकोगी.’’
भोगनाथ के कथन का आशय समझ कर बिट्टू के गाल सुर्ख हो गए. वह उसे मीठी फटकार लगाते हुए बोली, ‘‘मैं तुम से कई बार कह चुकी हूं कि इस तरह की बातें मत किया करो. लेकिन तुम हो कि मानते ही नहीं.’’
भोगनाथ ने थोड़ा आगे की ओर झुक कर बिट्टू की आंखों में झांका, ‘‘तो फिर कैसी बातें किया करूं?’’
‘‘वैसी ही अच्छीअच्छी बातें, जैसे दूसरे प्रेमी करते हैं.’’
‘‘प्रेमियों की बात कहीं से भी शुरू हो, जिस्म पर ही पहुंच कर खत्म होती है.’’
‘‘भोग, अभी हमारी शादी नहीं हुई है.’’
‘‘शादी भी जल्दी हो जाएगी.’’
‘‘तब जो मन में आए, बातें कर लेना.’’
‘‘बातें तो अभी भी कर रहा हूं. शादी के बाद तो कुछ और करूंगा.’’
बिट्टू को उस की बातों में रस आने लगा. मुसकरा कर उस ने पूछा, ‘‘शादी के बाद क्या करोगे?’’
‘‘कह कर बताऊं या कर के?’’
‘‘फिर शुरू हो गए.’’
‘‘उकसा तो तुम ही रही हो,’’ भोगनाथ मुसकराया, ‘‘लगता है तुम्हारा मन डोल रहा है.’’
जवाब में मुंह खोलने के लिए बिट्टू ने मुंह खोला ही था कि तभी हवा का तेज झोंका बरसात की ठंडी फुहारों को खुले दरवाजे के भीतर तक ले आया. ठंड से बिट्टू और भोगनाथ दोनों के बदन सिहर उठे. बिट्टू ने रजाई को और मजबूती से लपेट लिया, ‘‘उफ! यह बारिश और यह ठंड आज किसी की जान ले कर ही मानेगी.’’
‘‘किसी की क्या, फिलहाल तो मेरी जान पर ही बनी हुई है.’’
‘‘वो कैसे?’’
‘‘तुम ने तो सर्दी से अपना बचाव कर रखा है, मैं खुले दरवाजे के सामने खड़ा ठंड से कांप रह हूं.’’
‘‘तो दरवाजा भेड़ कर तुम भी रजाई ओढ़ लो.’’ बिट्टू के मुंह से अनायास निकल गया. यह बात उस ने कैसे कह दी. वह खुद ही नहीं समझ पाई.
भोगनाथ को शायद इसी पल की प्रतीक्षा थी. बिट्टू ने उस से दरवाजा भेड़ने को कहा था, पर उस ने दरवाजा बंद कर के सिटकनी लगा दी. उस के पास आ कर बिटटू की रजाई में घुसने लगा, ‘‘बिट्टू, तुम कितनी गर्म हो. अपने जैसा मुझे भी गर्म कर दो न?’’
‘‘मेरी रजाई में तुम कहां घुसे आ रहे हो,’’ बिट्टू ने हड़बड़ा कर कहा, ‘‘कोई आ जाए तो मैं मुफ्त में बदनाम हो जाऊंगी.’’
‘‘इश्क की दुनिया में उन का ही नाम होता है, जो बदनाम होते हैं.’’
‘‘समझने की कोशिश करो भोग,’’ बिट्टू ने प्रतिरोध किया, ‘‘तुम लड़के हो, तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’
‘‘मैं चाहता भी नहीं हूं कि कोई तुम्हारा मुंह देखे. तुम्हारा मुंह देखने के लिए मैं हूं न.’’ भोगनाथ ने रजाई के साथसाथ बिट्टू को भी जकड़ लिया. बिट्टू के बदन में ठंड की सिहरन दौड़ी तो पुरुष स्पर्श की मादक अनुभूति भी हुई.
गर्म रजाई और बिट्टू के तन की गरमी से भोगनाथ का शरीर सुलगने लगा. रजाई के भीतर से ही उस ने बिट्टू की कमर में हाथ डाल दिया. बिट्टू के तनमन में चिंगारियां सी चटखने लगीं. आनंद की उठती लहरों से उस की पलकें मुंदने लगीं और सांसों की रफ्तार तेज हो गई. दोनों चुप थे, लेकिन उन की शारीरिक गतिविधियां एकदूसरे से बहुत कुछ कह रही थीं. मस्ती में भर कर वह भोगनाथ को अपने ऊपर खींचने लगी. बिट्टू की देह को मस्त और बहकते देख कर भोगनाथ ने उसे निर्वस्त्र किया, फिर स्वयं भी निर्वस्त्र हो गया. इस के बाद दोनों एकदूसरे में समा गए.
कुछ देर में जब दोनों के तन की आग ठंडी हुई तो दोनों एकदूसरे की बांहों से आजाद हुए. उस के बाद ही बिट्टू को पता चला कि पुरुष संसर्ग कितना आनंददायक होता है.
उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के पिसावां थाना क्षेत्र के गांव सरवाडीह में भगौती रहता था. उस के परिवार में उस की पत्नी रामश्री और 2 बेटियां बिट्टू, सीमा और एक बेटा शोभित था. भगौती पिसावां कस्बे में एक दुकान पर लोहे की ग्रिल बनाने का काम करता था. भगौती को मिलने वाली मजदूरी से घर का खर्च बड़ी मुश्किल से चल पाता था. घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी.
घर में बिट्टू भाईबहनों में सब से बड़ी थी. बात उस समय की है, जब बिट्टू की उम्र 16 साल थी. यौवन की दहलीज पर बिट्टू की खूबसूरती निखर गई थी.
भगौती के मकान से कुछ दूरी पर केदार रहता था. उस के परिवार में पत्नी जयरानी और 3 बेटों भोगनाथ, पिंटू और शिवा के अलावा 1 बेटी सविता थी. केदार मेहनतमजदूरी कर के परिवार का भरणपोषण करता था. दोनों के घरों में काफी मेलजोल था और एकदूसरे के घर भी आनाजाना था.
आनेजाने के दौरान जवान होती बिट्टू पर भोगनाथ की नजर पड़ी तो उस की मदमस्त काया देख कर उस की नजरें उस पर जम गईं. जैसी लड़की की चाहत उस के दिल में थी, बिट्टू ठीक वैसी थी. बिट्टू का हसीन चेहरा उस की आंखों के रास्ते उस के दिल में उतरता चला गया.
घर के रास्ते पहले से खुले हुए थे. भोगनाथ की बिट्टू से खूब पटती थी. उस का कारण भी था, बिट्टू भी दिल ही दिल में भोगनाथ को पसंद करने लगी थी. धीरेधीरे वह भी उस की तरफ खिंचती चली गई. दोनों एकदूसरे से दिल ही दिल में प्यार करते थे. अपने प्यार का इजहार करने के लिए उन के पास पर्याप्त अवसर थे. इसलिए उन्हें न मोहब्बत के इजहार में वक्त लगा न इश्क के इकरार में.
गांव में मकान एक लाइन से बने थे. उन की छतें भी आपस में मिली हुई थीं. भोगनाथ अपने मकान से कई मकानों की छत फांद कर बिट्टू के पास पहुंच जाता था और छत पर बने कमरे में उस के साथ घंटों प्यार की मीठीमीठी बातें करता था.
प्रेम के हिंडोले में झूमती हुई बिट्टू कहती, ‘‘भोग, दिल तो मैं ने तुम्हें दे दिया है, पर तुम भी उस की लाज रखना. देखना कभी भूले से मेरा दिल न टूटे.’’
‘‘कैसी बात करती हो बिट्टू, तुम्हारा दिल अब मेरी जान है और कोई अपनी जान को यूं ही जाने देता है क्या?’’
‘‘इसी भरोसे पर तो मैं ने तुम से प्यार किया है. मनआत्मा से तुम्हें वरण कर के मैं 7 जन्मों के लिए तुम्हारी हो चुकी. देखना है कि तुम किस हद तक प्यार निभाओगे.’’
‘‘प्यार निभाने की मेरी कोई हद नहीं है. प्यार निभाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं.’’
बिट्टू ने इत्मीनान से सांस ली, ‘‘पता नहीं, वह दिन कब आएगा, जब मैं तुम्हारी पत्नी बनूंगी.’’
‘‘विश्वास रखो बिट्टू, हमारे प्यार को मंजिल मिलेगी.’’ बिट्टू का हाथ अपने हाथों में ले कर भोगनाथ बोला, ‘‘वैसे भी हमारी शादी में कोई अड़चन तो है नहीं, हमारा धर्म और जाति एक है. हमारा सामाजिकआर्थिक स्तर एक जैसा है. सब से बड़ी बात यह कि हम दोनों प्यार करते हैं.’’
भोगनाथ की बात तो बिट्टू को यकीन दिलाती ही थी, उसे खुद भी पूरा भरोसा था कि दोनों की शादी कोई अड़चन नहीं आएगी. इसलिए उसे अपने प्रेम व भविष्य के प्रति कभी नकारात्मक विचार नहीं आते थे. उसे पलपल भोगनाथ का इंतजार रहता था. भोगनाथ के आते ही वह खुली आंखों से भविष्य के सुनहरे सपने देखने लगती थी.
तन्हाई, दो जवां जिस्म और किसी के आने का कोई डर नहीं. यही भावनाओं के बहकने का पूरा वातावरण होता था. कभीकभी बिट्टू और भोगनाथ के दिल बहकने लगते थे, लेकिन बिट्टू जल्द ही संभल जाती और भोगनाथ को भी बहकने से रोक लेती थी. लेकिन एक वर्ष पूर्व कड़कड़ाती ठंड में वह सब तनहाई में हो गया, जो बिट्टू नहीं चाहती थी.
उस दिन दोपहर को बने शारीरिक संबंध में बिट्टू को ऐसा आनंद आया कि वह बारबार उस आनंद को पाने के लिए उतावली रहने लगी. भोगनाथ भी कम मतवाला नहीं था.
इसी दौरान एक दिन इत्तफाक से बिट्टू की अनस नाम के एक युवक से बात हुई. उस के बाद इन दोनों की प्रेम कहानी में एक नया मोड़ आ गया. सीतापुर की सीमा से सटे हरदोई जनपद के टडि़यावां थाना क्षेत्र के कस्बा गोपामऊ में नवी हसन रहते थे. नवी हसन के परिवार में पत्नी नाजिमा के अलावा 3 बेटे थे- साबिर, अनस और असलम.
नबी हसन की कस्बे में ही खाद की दुकान थी, जिस पर उस के साथ उस के बेटे अनस और असलम बैठते थे. साबिर किसी फैक्ट्री में काम करता था. अनस काफी खूबसूरत नौजवान था, साथ ही अविवाहित भी. उसे दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने में काफी मजा आता था.
एक दिन सुहानी सुबह अनस उठ कर छत पर चला आया. छत की मुंडेर पर बैठ कर वह आसमान की तरफ निहार रहा था कि अचानक उस का मोबाइल बज उठा इतनी सुबह फोन करने वाला कोई दोस्त ही होगा, सोच कर अनस मोबाइल स्क्रीन पर बिना नंबर देखे ही बोला, ‘‘हां बोल?’’
‘‘जी, आप कौन बोल रहे हैं?’’ दूसरी ओर से किसी युवती की आवाज सुनाई दी तो अनस चौंक पड़ा. उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. उस ने तुरंत ‘सौरी’ कहते हुए कहा, ‘‘माफ करना, दरअसल मैं समझा इतनी सुबह कोई दोस्त ही फोन कर सकता है, इसलिए… वैसे आप को किस से बात करनी है, आप कौन बोल रही हैं?’’
‘‘मैं बिट्टू बोल रही हूं. मुझे भी अपनी दोस्त से बात करनी थी, लेकिन गलत नंबर डायल हो गया.’’
‘‘कोई बात नहीं, आप को अपनी दोस्त का नंबर सेव कर के रखना चाहिए. ऐसा करने से दोबारा गलती नहीं होगी.’’
‘‘आप पुलिस में हैं क्या?’’
‘‘नहीं तो, क्यों?’’
‘‘पूछताछ तो पुलिस वालों की तरह कर रहे हैं. 25 सवाल और सलाह भी.’’ कह कर बिट्टू जोर से हंसी.
‘‘अरे नहीं, मैं ने तो वैसे ही बोल दिया. दोस्त आप की, फोन भी आप का. आप चाहें नंबर सेव करें या न करें.’’
‘‘तो आप दार्शनिक भी हैं?’’ बिट्टू ने फिर छेड़ा.
‘‘नहीं नहीं, आम आदमी हूं.’’
‘‘किसी के लिए तो खास होंगे?’’
‘‘आप बहुत बातें करती हैं.’’
‘‘अच्छी या बुरी?’’
‘‘अच्छी.’’
‘‘क्या अच्छा है मेरी बातों में?’’
अब हंसने की बारी अनस की थी. वह जोर से हंसा, फिर बोला, ‘‘माफ करना, मैं आप से नहीं जीत सकता.’’
‘‘और मैं माफ न करूं तो?’’
‘‘तो आप ही बताएं, मैं क्या करूं?’’ अनस ने हथियार डाल दिए.
‘‘अच्छा जाओ, माफ किया.’’
दरअसल बिट्टू ने अपनी सहेली से बात करने के लिए नंबर मिलाया था, लेकिन गलत नंबर डायल होने से अनस का नंबर मिल गया था. लेकिन अनस की आवाज उसे भा गई थी. इस के बाद उस के दिल में फिर से अनस से बात करने की इच्छा हुई, लेकिन संकोचवश वह अपने आप को रोक लेती थी.
फिर एक दिन उस से रहा नहीं गया तो उस ने अनस का नंबर फिर मिला दिया. इस बार अनस भी जैसे उस के फोन का इंतजार कर रहा था. उसे इस बात का एहसास था कि बिट्टू उसे फिर से फोन जरूर करेगी. इस बार जब दोनों की बात हुई तो काफी देर तक चली. बिट्टू ने अपने बारे में बताया तो अनस ने भी अपने बारे में सब कुछ बता दिया. दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुईं कि दोनों एकदूसरे के प्रति अपनापन सा महसूस करने लगे. यह दिसंबर 2017 की बात है. फिर उन के बीच बराबर बातें होने लगीं. एक दिन दोनों ने रूबरू मिलने का फैसला कर लिया. दोनों मिले तो एकदूसरे को सामने पा कर काफी खुश हुए. बिट्टू काफी खुश थी.
उस ने भोगनाथ और अनस की तुलना की तो पाया कि भोगनाथ और अनस का कोई मुकाबला नहीं है. अनस भोगनाथ से ज्यादा खूबसूरत था और उस की आर्थिक स्थिति भी भोगनाथ से लाख गुना अच्छी थी. इसलिए वह भोगनाथ से दूरी बना कर अनस से नजदीकियां बढ़ाने लगी. अनस अपने आप चल कर आए मौके को भला कैसे गंवा देता. उसे भी बैठेबिठाए एक खूबसूरत युवती का साथ मिला तो वह भी बिट्टू का हो गया. समय के साथ दोनों की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि तन की दूरियां भी खत्म हो गईं. एक दिन दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया.
13 मई की शाम साढ़े 7 बजे भोगनाथ घर में बैठा खाना खा रहा था कि तभी उस के मोबाइल पर किसी की काल आई. वह पूरा खाना खाए बिना घर से चला गया. काफी रात होने पर भी वह नहीं लौटा तो घर वाले चिंता में पड़ गए. सुबह होने पर उस की काफी तलाश की गई लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. 16 मई की सुबह किसी राहगीर ने पिसावां थाने में डीह कबीरा बाबा के जंगल में किसी अज्ञात युवक की लाश पड़ी होने की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
मृतक की उम्र 24-25 वर्ष रही होगी. उस के मुंह व गले पर कस कर अंगौछा बांधा गया था, जिस से दम घुटने से उस की मृत्यु हो गई थी. घटनास्थल पर काफी भीड़ एकत्र थी. थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने उस की शिनाख्त कराई तो पता चला वह गांव सरवाडीह का भोगनाथ है. घटनास्थल सरवाडीह गांव के बाहर ही था. इसलिए गांव के लोग भी वहां पहुंच गए थे. उन्होंने ही लाश की शिनाख्त की थी. पता चलते ही भोगनाथ का पिता केदार भी घर के अन्य सदस्यों के साथ वहां आ गया. भोगनाथ की लाश देख कर सब रोनेबिलखने लगे.
थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने केदार से कुछ आवश्यक पूछताछ की और फिर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दी. केदार को साथ ले कर वह थाने आ गए. केदार की लिखित तहरीर पर उन्होंने अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. भोगनाथ के पास मोबाइल था, जो उस के पास से नहीं मिला था. केदार से भोगनाथ का मोबाइल नंबर ले कर थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने उसे सर्विलांस पर लगा दिया. इस के अलावा भोगनाथ के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स भी निकलवाई.
भोगनाथ को बुलाने के लिए जिस नंबर से काल की गई थी, उस नंबर की जब विस्तृत जानकारी जुटाई गई तो वह नंबर सरवाडीह निवासी बिट्टू का निकला. इस के बाद थानाप्रभारी दिनेश सिंह ने बिट्टू को हिरासत में ले कर महिला सिपाही की उपस्थिति में उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने भोगनाथ की हत्या का जुर्म स्वीकार करते हुए अपने 3 साथियों के नाम भी बता दिए.
इस के बाद बिट्टू के प्रेमी अनस को गिरफ्तार कर लिया गया. अनस के 2 दोस्त गोपामऊ निवासी विपिन और मोनू भी इस अपराध में शामिल थे. इस के बाद एसपी महेंद्र चौहान ने प्रैसवार्ता कर बिट्टू और अनस को मीडिया के सामने पेश किया. जब भोगनाथ ने बिट्टू को अपने से दूरी बनाते देखा तो उस ने पता किया. जल्द ही उसे पता चल गया कि बिट्टू उस से किए गए सारे वादे, रिश्तेनाते तोड़ कर उस से दूर होना चाहती है तो वह तिलमिला गया. ऐसे मौके के लिए ही उस ने अपने मोबाइल से बिट्टू के साथ अंतरंग पलों के फोटो खींच रखे थे.
भोगनाथ ने बिट्टू से मिल कर उसे धमकाया कि वह उस से दूर हुई तो उस के अश्लील फोटो सब को भेज देगा. फोटो के बल पर भोगनाथ उसे ब्लैकमेल कर के उस के साथ संबंध बनाने लगा. बिट्टू उस के हाथ का खिलौना बनने के लिए मजबूर थी. इसी बीच उस के घर वालों ने हरदोई जनपद के पिहानी थाना क्षेत्र के एक युवक से उस की शादी तय कर दी. शादी 29 जून को होनी थी. भोगनाथ की हरकतों से आजिज आ कर बिट्टू ने अनस से बात की. उस से कहा कि उस की जिंदगी में आने से पहले उस का एक दोस्त भोगनाथ था. भोगनाथ के पास उस के कुछ अश्लील फोटो हैं, जिन के सहारे वह उसे ब्लैकमेल करता है.
वैसे भी उस की शादी तय हो गई है. वह उस की शादी में अड़चन डाल सकता है. बिट्टू ने अनस से कहा कि भोगनाथ को ठिकाने लगाना पड़ेगा. इस के लिए मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूं. बिट्टू ने अनस से यह भी कहा कि भले ही उस की शादी हो रही हो, लेकिन उस के साथ संबंध हमेशा बने रहेंगे. अनस ने बिट्टू की परेशानी को हमेशा के लिए खत्म करने का फैसला कर लिया. उस ने अपने जिगरी दोस्तों विपिन और मोनू से मदद मांगी तो दोस्ती की खातिर दोनों अनस का साथ देने को तैयार हो गए. इस के बाद भोगनाथ को मारने की योजना बनाई गई.
योजनानुसार 13 मई को अनस ने एक मारुति वैगनआर कार बुक की. कार मालिक को उस ने बताया कि उसे दोस्तों के साथ एक तिलक समारोह में जाना है. कार में बैठ कर अनस अपने दोस्तों के साथ चल दिया. दूसरी ओर बिट्टू ने शाम साढ़े 7 बजे के करीब भोगनाथ को मिलने के लिए डीह कबीरा बाबा के जंगल में बुलाया. भोगनाथ उस समय खाना खा रहा था, लेकिन अपनी प्रेमिका के बुलाने पर वह खाना बीच में छोड़ कर तुरंत वहां पहुंच गया. वहां उसे बिट्टू मिली. योजना के अनुसार बिट्टू उसे अपनी प्यार भरी बातों में उलझाए रही.
दूसरी ओर अनस ने चुनी गई जगह से कुछ पहले हडियापुर गांव के पास ड्राइवर से यह कह कर कार रुकवा दी कि आगे का रास्ता खराब है. वह वहीं खड़ा हो कर उन के आने का इंतजार करे. इस के बाद अनस और उस के दोस्त पैदल ही कबीरा बाबा के जंगल पहुंचे. वहां पहुंच कर उन्होंने बिट्टू के साथ मौजूद भोगनाथ को दबोच लिया. फिर उस के गले में पड़े अंगौछे को रस्सी की तरह बना कर उस के मुंह में दबाते हुए उस के गले में फंदा बना कर कस दिया, इस से भोगनाथ चिल्ला न सका और गले पर कसाव बढ़ते ही उस का दम घुटने लगा. वह कुछ देर छटपटाया, फिर उस का शरीर शिथिल पड़ गया.
भोगनाथ को मौत के घाट उतारने के बाद बिट्टू छिपतेछिपाते हुए घर चली गई. अनस भी दोनों दोस्तों के साथ भागते हुए कार तक पहुंचा और ड्राइवर से बोला कि वह तेजी से कार चलाए जहां वह लोग गए थे, वहां उन का झगड़ा हो गया है. ड्राइवर ने यह सुन कर कार की गति बढ़ा दी. गोपामऊ पहुंच कर सब लोग अपने घर चले गए.
लेकिन अपने आप को ये लोग कानून की गिरफ्त में आने से नहीं बचा सके. उन के पास से भोगनाथ का मोबाइल और हत्या की साजिश में प्रयुक्त 2 मोबाइल फोन पुलिस ने उन से बरामद कर लिए.
29 मई, 2018 को पुलिस ने विपिन और मोनू को भी गिरफ्तार कर लिया. सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.
– साथ में मोहित शुक्ला