Murder Story कविता राघव अपने दोनों बेटों शिवम और शशांक को एक स्कूल के वाइस प्रिंसिपल शबाबुल आलम की हत्या करने के लिए मजबूर कर रही थी. उस ने बेटों से यहां तक कह दिया कि यदि तुम यह काम नहीं करोगे तो मैं किसी शूटर से उस की हत्या करा दूंगी. मम्मी के कहने पर दोनों बेटों ने शबाबुल को मार दिया. पढ़ें, यह रोचक कहानी कि एक मां ने अपने बेटों को कातिल क्यों बनाया?

कविता राघव बेचैन अपने कमरे में चहलकदमी कर रही थी. आधी रात का वक्त था. वह समझ नहीं पा रही थी कि आखिर वह करे तो क्या करे. उस की आंखों की नींद गायब थी. आखिरकार वह बगल के कमरे में सो रहे बड़े बेटे शिवम के पास गई. वह गहरी नींद में सो रहा था. उसे झकझोर कर जगा दिया. शिवम राघव हड़बड़ा कर उठ बैठा. बोला, ”क्या हुआ मम्मी, इतनी रात को क्यों जगा दिया. कल ड्यूटी जाना है. थका हुआ हूं.’’

”तू मजे में सो रहा है और मुझे नींद नहीं आ रही. क्या करूं बारबार छोटे बेटे प्रिंस की शिकायत दिमाग में घूम रही है, उस का मासूम चेहरा तैर रहा है.’’ कविता बोली.

”लेकिन मम्मी, अब हम क्या कर सकते हैं. जब पुलिस ने ही फाइनल रिपोर्ट लगा कर उसे बचा लिया तो हमारे पास उस हरामजादे प्रिंसिपल के खिलाफ कोई सबूत भी तो नहीं था.’’ शिवम बोला.

”साला हरामी का पिल्ला उसे जब भी देखती हूं, तब मेरे तनबदन में आग लग जाती है. जी तो करता है कि उसे उसी वक्त गोली मार दूं.’’ कविता लगभग चीखती हुई बोली. उस की आवाज सुन कर दूसरा बेटा शशांक राघव भी वहां आ गया. बोला, ”क्यों तुम लोग फिर आधी रात को बहस कर रहे हो.’’

”बेटा, मैं बहस नहीं कर रही. तुम लोग मेरी हालत नहीं समझ रहे हो. मेरे दिल में आग लगी है आग.’’ कविता बोली.

”तुम्हीं बताओ न, हम क्या कर सकते हैं… मुझे भी प्रिंस की मौत का गम है, जितना तुम को है. प्रिंसिपल को सजा दिलवाने के लिए हम ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी. वह साला पुलिस जांच में बेदाग बच निकला.’’

”यही तो गम है बेटा, हरामजादा बेदाग बच निकला और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. तुम्हारा बाप यहां होता तो प्रिंस की मौत का बदला जरूर लेता. वह भी जेल में सड़ रहा है.’’

”कोई तरीका है तो बताओ.’’

”तरीका है. मैं जैसा कहूं वैसा करना. पहले एक कट्टे का इंतजाम कर. फिर मैं उस मुसलमान मास्टर और हरामजादी मास्टरनी को भी देख लूंगी.’’ कविता फुंफकारती हुई बोली.

”चलो, अभी सो जाओ. समझो, कल तुम्हारा काम हो गया.’’ शिवम ने मम्मी को समझाया कि उस के 2 बेटे जिंदा हैं, वे भाई के सुसाइड का बदला जरूर लेंगे, चाहे जैसे भी हो. आगे की योजना कविता ने बनाई. उस के दिल को तसल्ली हुई. उस ने एक गिलास पानी पीया और दोनों बेटों के सिर पर हाथ फेरती हुई बोली, ”ऐसा कर, किसी शूटर का भी इंतजाम कर!’’

शशांक तपाक से बोल पड़ा, ”अरे मम्मी, तू चिंता मत कर, वो है न हर्ष. कल ही तो कानपुर से आया है. मैं उस से बात कर लूंगा.’’

”ठीक है. दशहरा चल रहा है. दीवाली तक काम हो जाना चाहिए. अपने दोस्त को बोलना अच्छा कट्टा लाएगा…और शिवम तू अपनी बाइक की नंबर प्लेट बदलने का इंतजाम कर लेना.’’ कविता बोली और सोने चली गई.

मिशन मर्डर को ऐसे दिया अंजाम

(Murder Story) अगले रोज मां कविता के कहे मुताबिक दोनों भाई मिशन पर निकल चुके थे. सब कुछ योजना के अनुसार हो रहा था. वह दिन भी आ गया, जिस का कविता और दोनों भाइयों को इंतजार था. हर्ष भी आ गया था. चारों ने एक कमरे में बैठ कर प्लानिंग पर विचार किया. उस में जो कुछ कमी नजर आ रही थी, उस का समाधान कविता ने निकाला. कविता चाहती थी कि उस का वार किसी भी सूरत में खाली न जाए. वारदात को इस तरह से अंजाम दिया जाए कि किसी को उन पर कोई शक न हो.

…और फिर 5 नवंबर, 2024 मंगलवार का दिन आ गया. मुरादाबाद के मझोला थानाक्षेत्र इलाके में दहशत फैल गई. हत्यारे बाइक पर आए और स्कूल जा रहे व्यक्ति को नजदीक से गोली दाग दी थी. वह घटनास्थल पर ही धड़ाम हो गया था. आसपास के लोगों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन कनपटी पर गोली लगने से उस की मौत हो गई.

मरने वाला व्यक्ति श्रीसाईं पब्लिक स्कूल का वाइस प्रिंसिपल शबाबुल आलम (37) था. उस की हत्या की खबर आग की तरह पूरे शहर में तेजी से फैल गई. यह भी खबर फैल गई कि उस की बाइक सवार ने गोली मार कर हत्या कर दी थी. वह मुसलिम था. इस कारण प्रशासन तुरंत चौकन्ना हो गया. दरअसल, मुरादाबाद के लाकड़ी फाजलपुर मसजिद के पास रहने वाला शबाबुल आलम रोजाना की तरह 5 नवंबर को भी सुबह 8 बजे के करीब स्कूल जाने के लिए घर से निकला था. स्कूल करीब 200 मीटर की दूरी पर ही था.

वह मुख्य सड़क पर कुछ कदम आगे चल कर भूप सिंह के मकान के पास पहुंचा था, तभी पीछे से बाइक पर सवार 2 युवक आए. तभी बाइक पर पीछे बैठे युवक ने तमंचा निकाल कर हाथ आगे बढ़ाया और निशान लगा कर गोली चला दी. वारदात को अंजाम देने के बाद बाइक सवार फरार हो गए. हत्याकांड वहां लगे सीसीटीवी में रिकौर्ड हो गया था. सड़क पर गिरे शबाबुल आलम को मौके पर जुटी लोगों की भीड़ में से कुछ लोग आननफानन में अस्पताल ले गए. वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

कविता की ओर ऐसे घूमी शक की सूई

(Murder Story)  इस घटना की सूचना पा कर सीओ (सिविल लाइंस) अर्पित कपूर, एसएचओ (मझोला) मोहित चौधरी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. थोड़ी देर में ही एसएसपी सतपाल अंतिल भी आ गए. फोरैंसिक विभाग की फील्ड यूनिट ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करवाया. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद परिजनों की तहरीर पर हत्या का केस दर्ज कर लिया गया. साथ ही सीसीटीवी फुटेज की मदद से बदमाशों की पहचान करने की पहल की गई. मामला एक मुसलिम शिक्षक की हत्या का था. शिक्षक का इलाके में अच्छा मानसम्मान था. इस कारण पुलिस ने मामले को संवेदनशील मानते हुए तुरंत जांच टीम बना दी और हमलावरों की तलाश शुरू करवा दी.

बेटे की हत्या की खबर सुन कर जाहिद हुसैन लखनऊ से भागेभागे आए. वह लखनऊ में ही फरनीचर का काम करते हैं. मुरादाबाद में मां शमां परवीन, 4 बहनें मुमताज, शहनाज, गुलफ्शा और आसिया खातून हैं. 2 बहनों की शादी हो चुकी है, जबकि छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है. पुलिस ने शबाबुल आलम की हत्या के सिलसिले में उस की मां और बहनों से पूछताछ की. किसी के साथ उन की व्यक्तिगत दुश्मनी या झगड़े वगैरह की जानकारी लेनी चाही. पूछताछ में आलम की बहनों ने मुरादाबाद शहर के नयागांव की कविता का नाम लिया. वह उन्हें कई बार यह धमकी दे चुकी थी कि शबाबुल आलम की मां भी एक दिन उस की तरह ही एक दिन तड़पेगी. उस ने हत्या कराने की धमकी दी थी.

धमकी के बारे में पूछने पर बहनों से कविता के बेटे की मौत के बारे में मालूम हुआ. वह उसी स्कूल में पढ़ता था, जहां शबाबुल वाइस प्रिंसिपल था. कविता के छोटे बेटे प्रिंस ने अपने घर में ही पंखे से झूल कर फांसी लगा ली थी. वह 7वीं का छात्र था. कविता उस की आत्महत्या का दोषी शबाबुल को ही मानती थी. अनहोनी की आशंका को देखते हुए छोटा भाई रियाजुद्ïदीन शबाबुल आलम को स्कूल छोडऩे जाने लगा था. घटना वाले दिन भी रियाजुद्ïदीन बड़े भाई को छोडऩे जा रहा था, लेकिन एक व्यक्ति से बात करने के चक्कर में वह कुछ पीछे रुक गया था.

पुलिस को उन की शमा की बातों से कविता और उस के बेटे पर हत्या का संदेह गहरा हो गया था. तुरंत कविता राघव को हिरासत में ले लिया गया. कुछ घंटे बाद ही उस के दोनों बेटे शिवम राघव और शशांक राघव को भी पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. शशांक नाबालिग था. शशांक ने बिना किसी डर के पुलिस से कहा, ”हां, मैं ने मारा है. उस को तो मरना ही था.’’ शशांक 10वीं का छात्र है. कविता भी उसी लहजे में बोली, ”उस कमीने को मरवाती नहीं तो और क्या करती, वह कोई पाकसाफ इंसान नहीं था. उस के चलते ही मेरे मासूम बेटे ने फांसी लगा ली थी. उस कमीने ने मेरे बेटे को न सिर्फ डांटाडपटा बल्कि स्कूल से ही निकाल दिया. उस की प्रताडऩा मेरा बेटा नहीं झेल पाया और…’’ बोलतेबोलते कविता की आंखों से आंसू निकल आए.

सभी आरोपियों के बयान लेने के बाद पुलिस ने उस मामले की तहकीकात की, जिस में 4 माह पहले प्रिंस की आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी. कविता की जिंदगी कई सालों से अव्यवस्थित चल रही थी. उस का पति साथ में नहीं था. वह ड्रग्स तस्करी में कर्नाटक की जेल में बंद था. कविता दूसरों के घरों में झाड़ूपोंछे का काम करती थी. बड़ा बेटा शिवम एक फैक्ट्री में काम करता था, जबकि दूसरा बेटा पढ़ाई कर रहा था.

वाइस प्रिंसिपल और महिला टीचर को देखा आपत्तिजनक स्थिति में

शबाबुल की हत्या का मामला 4 माह पहले कविता के बेटे प्रिंस की खुदकुशी से जुड़ा हुआ था. वह मझोला थाना क्षेत्र के लाकड़ी फाजलपुर स्थित श्रीसाईं पब्लिक स्कूल में 7वीं कक्षा का छात्र था. दरअसल, नयागांव के रहने वाले प्रिंस ने एक रोज स्कूल में वाइस प्रिंसिपल को स्कूल की ही एक महिला शिक्षिका के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. इस के बाद शबाबुल ने प्रिंस की बुरी तरह से पिटाई की थी. मार खा कर प्रिंस बहुत परेशान हो गया था. चोटों के जितने निशान शरीर पर नहीं पड़े थे, उस से अधिक गहरे निशान उस के मनमस्तिष्क पर पड़े थे. वह बड़े ही उदास मन से बोझिल घर पहुंचा था. मम्मी कविता उसे उदास पा कर पूछ बैठी, ”आज फिर तुम्हारी पिटाई हुई क्या? किस ने मारा?’’

प्रिंस गुमसुम बना रहा. कविता उस का सिर सहलाने लगी. बैग पीठ से उतार ही रही थी कि वह फफकफफक कर रोने लगा. कविता से लिपट गया. कविता के मातृत्व की ममता उमड़ पड़ी. आंचल से आंसू पोंछती हुई पुचकारने लगी. थोड़ा सहज होने पर प्रिंस ने स्कूल की घटना बता दी, जो उस ने देखी थी. कविता को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. उस ने नहीं सोचा कि प्रिंसिपल ऐसा कर सकता है. क्योंकि वह तो उसे भला इंसान समझती थी. प्रिंस मन मसोस कर रह गया, क्योंकि उस की मम्मी ने इतनी गंभीर बात को हल्के में लिया और उसे ही समझानेबुझाने लगी. अगले रोज प्रिंस की घर में तबीयत खराब हो गई.

उसे हल्का बुखार आ गया. उस रोज स्कूल में छुट्टी थी. इस बीच कविता ने उस की देखभाल की और 15 फरवरी को समय पर स्कूल भेज दिया. उस रोज प्रिंस भारी मन से स्कूल गया. प्रिंस के साथ उस का एक दोस्त भी था, जिन 2 छात्रों ने दोनों शिक्षकों के कारनामे को देखा था. दोनों की वाइस प्रिंसिपल और महिला शिक्षक ने फिर पिटाई कर दी. उसी दिन घर लौटने के बाद प्रिंस ने फंदे पर लटक कर घर में आत्महत्या कर ली थी.

पुलिस ने नहीं की काररवाई तो खुद दी सजा

(Murder Story)  प्रिंस के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. हालांकि इस बारे में कविता ने स्कूल जा कर शिकायत की, लेकिन स्कूल प्रशासन की ओर से महिला टीचर और वाइस प्रिंसिपल के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की गई. पुलिस ने भी इस मामले में केस दर्ज नहीं किया. इस के बाद कविता कोर्ट चली गई. कोर्ट के आदेश पर 21 मई, 2024 को मझोला थाने में शबाबुल आलम के खिलाफ मारपीट और आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया. लेकिन पुलिस ने कुछ दिन बाद ही केस में फाइनल रिपोर्ट लगा कर उसे बेकुसूर बताया. इस मामले की शिकायत अफसरों से की गई तो दोबारा जांच शुरू की गई. फिर भी शबाबुल के खिलाफ कोई काररवाई नहीं हो पाई.

यही बात कविता के मन को रातदिन कचोटती रही. वह बदले की आग में जल रही थी. बारबार अपने दोनों बेटों से प्रिंस की मौत का बदला लेने के लिए दबाव बना रही थी. पुलिस पूछताछ में शिवम राघव ने बताया कि उन्होंने पहले तो कानूनी काररवाई के जरिए ही वाइस प्रिंसिपल को सजा दिलाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए. उस की मम्मी कविता बारबार कहती थी कि 2 बेटों के होते हुए भी वह अपने छोटे बेटे की मौत का बदला नहीं ले पा रही है. कविता ने बेटों से यहां तक कहा था कि अगर वह शबाबुल आलम को नहीं मार पाएंगे तो वह कुछ भी करेगी और रुपए जुटा कर सुपारी दे कर उसे मरवा देगी.

दशहरे पर शिवम का दोस्त हर्ष चौधरी शिवम के घर आया था. इस दौरान शिवम, उस की मम्मी कविता, उस के छोटे भाई और हर्ष चारों ने बैठ कर योजना को अंजाम देने की रूपरेखा तैयारी की थी. हर्ष ने बताया था कि उस के दोस्तों ने नया मुरादाबाद स्थित पाश्र्वनाथ प्रतिभा सोसायटी के अंदर घुस कर भाजपा नेता की सुपारी दे कर हत्या की थी. तय योजना के मुताबिक शबाबुल आलम की हत्या की साजिश रची गई. इस के बाद हर्ष ने तमंचे की व्यवस्था की और शिवम ने अपनी बाइक की नंबर प्लेट बदल दी. साथ ही वाइस प्रिंसिपल की रेकी की गई.

दीवाली पर पटाखों के शोर के बीच हत्याकांड को अंजाम देने की साजिश रची गई थी, लेकिन लगातार छुट्टी होने के कारण स्कूल बंद रहा और शबाबुल घर से बाहर नहीं निकला था. दीवाली वाली रात तीनों शिवम राघव, उस का छोटा भाई शशांक राघव और दोस्त हर्ष एक ही बाइक से लाकड़ी फाजलपुर गांव में पहुंच गए. कई घंटों इधरउधर घूमते रहे, लेकिन मौका नहीं मिल पाया.

भाईदूज के बाद सोमवार 4 नवंबर, 2024 को भी लाकड़ी फाजलपुर गए, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. फिर मंगलवार 5 नवंबर की सुबह शिकार की तलाश में निकले. जैसे ही उन्हें शबाबुल आलम स्कूल की तरफ जाता दिखा तो बाइक उस के नजदीक ले जा कर गोली चला दी. वारदात को अंजाम दे कर वे फरार हो गए.

आरोपियों से पूछताछ के बाद हर्ष को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने आरोपी कविता राघव, उस के बेटे शिवम राघव और दोस्त हर्ष से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जिला जेल भेज दिया. नाबालिग शशांक को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में शंशांक परिवर्तित नाम है.

 

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