Gay Apps गे ऐप्स आजकल अपराधियों का अड्डा बनते जा रहे हैं. इन ऐप्स के जरिए गे कैटेगरी के लोग इतनी आसानी से अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं कि उन्हें आभास ही नहीं हो पाता. आप भी जानें कि अपराधी इन ऐप्स के जरिए अपने शिकार को कैसे फांसते हैं?
गुजरात के महानगर राजकोट के गोकुलधाम रोड पर स्थित बापा सीताराम सोसायटी का रहने वाला 23 साल का जिग्नेश (बदला हुआ नाम) सोसायटी के पास ही एक मैडिकल स्टोर में नौकरी करता था. युवा हो चुके जिग्नेश का मन अब एक पुरुष साथी यानी समलैंगिक संबंध के लिए बेचैन रहने लगा था. उस ने अपने आसपास ऐसे किसी साथी की बहुत तलाश की, पर शरम और संकोच की वजह से उस की यह तलाश पूरी नहीं हो सकी.
जब जिग्नेश को इस तरह कोई पुरुष साथी नहीं मिला तो उस ने अपने मोबाइल पर पुरुषों को पुरुष से यानी समलैंगिक लोगों को मिलाने के लिए प्लेस्टोर पर जो ऐप्स दिए गए हैं, उन में से हीसे (॥द्गद्गह्यड्ड4) ऐप डाउनलोड किया. इसी ऐप के जरिए उस ने ऐसे पुरुष साथी की तलाश शुरू की, जो उस के शहर या आसपास के जिले का रहने वाला हो. इसी ऐप के माध्यम से उस की चैट यानी संदेश द्वारा बातचीत रुद्र गोस्वामी नाम के युवक से शुरू हुई. रुद्र गोस्वामी रहने वाला तो गुजरात के जिला जूनागढ़ का था, पर उस ने जिग्नेश को बताया था कि वह भी राजकोट का ही रहने वाला है. एकदूसरे का परिचय लेने के बाद जिग्नेश ने पूछा, ”तुम्हें क्या पसंद है?’’
जवाब में रुद्र ने कहा, ”मैं तो टौप हूं और तुम?’’
जिग्नेश को अभी तक कोई अच्छा पुरुष पार्टनर नहीं मिला था, इसलिए उस ने कहा, ”मुझे तो दोनों पसंद है. आप टौप हैं, कोई बात नहीं. मैं आप से मिलना चाहूंगा. आप को खुश कर के मुझे खुशी मिलेगी.’’
”सच, मुझे आप जैसा ही साथी चाहिए, जो मुझे खुश कर सके. मुझे आप से मिल कर खुशी होगी. तो बताओ, कब मिल रहे हो?’’ रुद्र ने पूछा.
”जब आप की इच्छा हो, बता दीजिएगा. पर मेरे पास जगह (मिलने के लिए एकांत स्थान, जहां दोनों शारीरिक संबंध बना सकें) नहीं है. इसलिए जगह की व्यवस्था आप को ही करनी होगी.’’ जिग्नेश ने कहा.
रुद्र ने तुरंत जवाब दिया, ”आप को जगह की चिंता करने की जरूरत नहीं है. उस सब की व्यवस्था मेरे पास है.’’ रुद्र ने कहा, ”पर यार, आप ने अपना नंबर तो दिया नहीं.’’
”आप न मांगा ही कहां. अब मांगा है तो यह लीजिए.’’ इसी के साथ जिग्नेश ने अपना फोन नंबर भी मैसेज कर दिया.
जिग्नेश के नंबर भेजने के अगले पल ही जिग्नेश के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. नंबर देख कर उसे लगा कि यह रुद्र का ही फोन होगा. फोन रिसीव कर के उस ने कहा, ”हाय रुद्र.’’
”आप को कैसे पता चला कि मैं ने ही फोन किया है?’’ रुद्र ने कहा.
”पहली बात तो यह कि अब यह आप वाला संबोधन बंद कर के तुम पर आ जाइए. अब तुम मेरे हो गए हो, इसीलिए मुझे पता चल गया कि फोन तुम्हारा ही है.’’ जिग्नेश ने कहा.
”बड़ी जल्दी तुम ने तो मुझे अपना मान लिया, जबकि अभी हम मिले भी नहीं.’’ दूसरी ओर से रुद्र ने कहा.
”यार, जब तक अपना नहीं मानेंगे, मिलेंगे कैसे. कोई किसी अंजान से थोड़े ही मिलता है. फिर हमारा मिलन तो खालीखाली मिलना नहीं होगा. जब भी मिलना होगा, दिल का ही नहीं, शरीर का भी मिलन होगा.’’ जिग्नेश ने कहा.
”भई, तुम तो बहुत रोमांटिक लगते हो. लगता है, मिलने के लिए बहुत उतावले हो?’’ रुद्र ने कहा.
जवाब में मदहोश आवाज में जिग्नेश ने कहा, ”मेरी चले तो मैं अभी आ जाऊं तुम से मिलने. अब मुझ से रहा नहीं जा रहा. मेरा मन और शरीर दोनों बेचैन हो रहा है तुम से मिलने के लिए.’’
”तो ठीक है, मैं तुम से जल्दी ही मिलता हूं और तुम्हारी इच्छा पूरी करता हूं.’’ रुद्र ने कहा, ”अब बाकी बातें बाद में.’’
”वैसे फोन काटने का मन तो नहीं हो रहा, पर मजबूरी है, नौकरी पर जो हूं. लेकिन रात को फिर फोन करूंगा. तब फ्री रहूंगा. खूब बातें करेंगे.’’ कह कर जिग्नेश ने फोन काट दिया.
इस के बाद जब भी जिग्नेश को मौका मिलता, वह रुद्र को फोन लगा देता और खूब बातें करता. अब दोनों के बीच समलैंगिक सैक्स को ले कर ही बातें होती थीं. मैसेज भी बहुत अश्लील करते थे दोनों. 20 अक्तूबर, 2024 को जिग्नेश मैडिकल स्टोर पर अपनी नौकरी पर था, तभी रुद्र का फोन आया. जैसे ही जिग्नेश ने फोन रिसीव किया, रुद्र ने कहा, ”यार जिग्नेश, मेरा बड़ा मन कर रहा है तुम से मिलने का. मैं ने स्थान की व्यवस्था कर ली है. अगर तुम फ्री हो तो आ जाओ.’’
जिग्नेश तो रुद्र से मिलने के लिए कब से बेचैन था. उस ने कहा, ”मैं फ्री हूं. बताओ, कहां आना है?’’
समलैंगिक संबंध बनाने के अरमानों पर क्यों फिरा पानी
रुद्र ने जिग्नेश को पास के बसस्टैंड पर मिलने के लिए बुला लिया. मैडिकल स्टोर के मालिक से जरूरी काम की बात कह कर जिग्नेश वहां से निकला और थोड़ी देर में बसस्टैंड पर पहुंच गया. रुद्र ने जो स्थान बताया था, वह वहीं पर खड़ा था. जिग्नेश पहुंचा तो उस के साथ एक युवक और था. रुद्र ने उस का परिचय अपने मित्र राजदीप गोस्वामी के रूप में कराया.
रुद्र अपनी बाइक से आया था. 2-4 बातें कर के रुद्र ने जिग्नेश से बाइक पर बैठने को कहा तो वह उस के पीछे बाइक पर बैठ गया. उस के पीछे राजदीप बैठ गया. रुद्र जिग्नेश को बाइक पर बैठा कर चल पड़ा. जिग्नेश के मन में मजे लेने के लड्डू फूट रहे थे. वह आंखें बंद करता तो उसे स्वर्गिक आनंद के सपने दिखाई देते. रुद्र बस स्टैंड से निकल कर कटारिया चौराहे से होते हुए मुंजका चौराहे के पास पहुंचा तो वहां स्थित एक खुले मैदान के पास बाइक रोक दी. बाइक के रुकते ही सब से पीछे बैठा राजदीप उतर कर जिग्नेश के पास आ गया. जिग्नेश ने जब उस की ओर देखा तो उस के चेहरे के भाव ही बदले हुए थे. लग रहा था कि उस का इरादा वह नहीं है, जिस के लिए जिग्नेश उन लोगों के साथ आया था.
राजदीप ने गुस्से से जिग्नेश का कौलर पकड़ कर कहा, ”तुझे शरम नहीं आती मेरे भाई को इस तरह के मैसेज करते हुए. तू क्यों भेजता है मेरे भाई को इस तरह के गंदे मैसेज?’’
”तुम्हारा भाई भी तो भेजता है मुझे उसी तरह के मैसेज. मै तो सिर्फ जवाब देता हूं.’’ जिग्नेश ने कहा.
”लेकिन शुरुआत तो तू ही करता है. अगर तू उस तरह के मैसेज न भेजे तो वह तुझे क्यों करेगा उस तरह के गंदे मैसेज. बड़ी आग लगी है न तेरी उस में… अभी ठंडी किए देता हूं.’’ कह कर राजदीप ने जिग्नेश को बाइक से खींच कर नीचे गिरा दिया और लातघूंसों से उस की पिटाई शुरू कर दी. रुद्र ने भी बाइक स्टैंड पर खड़ी कर दी और राजदीप के साथ जिग्नेश को मारने लगा. बात यहीं खत्म नहीं हुई. रुद्र और राजदीप ने जिग्नेश का आईफोन-8 मोबाइल छीनने के साथ उस के पर्स में रखे करीब एक हजार रुपए भी छीन लिए. इसके बाद उन्होंने जिग्नेश को फिर बाइक पर बैठाया और कटारिया चौराहे की ओर चल पड़े.
रास्ते में ट्रैफिक की वजह से बाइक थोड़ी धीमी हुई तो जिग्नेश कूद पड़ा. जिग्नेश को चोट तो बहुत लगी, पर रुद्र और जयदीप से उस की जान छूट गई, वरना पता नहीं वे उसे कहां ले जाते और क्या करते. जिग्नेश जहां कूदा था, वहां काफी भीड़भाड़ थी, इसलिए रुद्र और जयदीप रुकने के बजाय अपनी बाइक भगा कर निकल गए. जिग्नेश को काफी चोट आई थी. लोगों ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर दिया था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम ने एंबुलेंस बुला कर जिग्नेश को अस्पताल पहुंचाया.
प्राथमिक चिकित्सा के बाद जब पुलिस ने उस से पूछा कि यह सब कैसे हुआ तो उस ने पूरी कहानी पुलिस को सुना दी. यह एक तरह से आपराधिक मामला था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम ने इस घटना की सूचना स्थानीय थाना गोकुलधाम पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थाना गोकुलधाम के एसएचओ बी.आर. पावडिया अस्पताल पहुंच गए. वह जिग्नेश को थाना गोकुलधाम ले आए और उस के बयान के आधार पर रुद्र गोस्वामी तथा राजदीप गोस्वामी के खिलाफ अपहरण और लूटपाट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर के इस घटना की सूचना राजकोट शहर के डीसीपी (जोन-2) जगदीश बांगरवा को दे दी.
इस के बाद डीसीपी जगदीश बांगरवा के आदेश पर रुद्र और राजदीप को टैक्निकल सोर्स और मुखबिर की सूचना के आधार पर 150 फुट रिंग रोड से गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर डीसीपी जगदीश बांगरवा की उपस्थिति में एसएचओ बी.आर. पावडिया ने दोनों आरोपियों रुद्र गोस्वामी और राजदीप से पूछताछ की तो उन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उन का यह पहला अपराध था. उन्होंने अखबार में समाचार पढ़ा था कि गे ऐप्स से लड़कों को बुला कर उन का फोन भी ले लिया और पैसे भी. इतना ही नहीं, उस के एकाउंट में जितने रुपए थे, उन्हें अपने एकाउंट में ट्रांसफर करा लिए. उस के बाद लड़के की अश्लील वीडियो बना कर उसे धमकी दी कि अगर उस ने किसी को यह बात बताई या पुलिस को सूचना दी तो वे उस का वीडियो वायरल कर देंगे.
यह समाचार पढऩे के बाद उन के मन में भी आया कि पैसे कमाने का यह अच्छा आइडिया है. बस, उन्होंने भी ‘हीसे ऐप’ Gay Apps डाउनलोड कर लिया, जिस के द्वारा उन का संपर्क जिग्नेश से हुआ. वे जिग्नेश का फोन और उस के पास जो रुपए थे, उन्हें ले कर उस का अश्लील वीडियो बनाने के लिए ले जा रहे थे. पर उन का दुर्भाग्य था कि बाइक धीमी होते ही वह कूद गया, जिस की वजह से वे पकड़े गए. बाकी उन्हें समलैंगिक संबंधों में कोई रुचि नहीं है. पूछताछ के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था.
दोस्ती के जरिए कैसे हुई ठगी
ऐसा ही कुछ अहमदाबाद शहर के बोपल के रहने वाले जयराज के साथ हुआ था. 5 सितंबर, 2024 को जयराज ने अपने मोबाइल में ‘ग्रींडर’ नामक ऐप इंस्टाल किया. इस ऐप में किसी का मोबाइल नंबर नहीं दिखाई देता. पर अगर नजदीक के किसी ने इस ऐप को इंस्टाल किया हो तो उस की आईडी जरूर दिखाई देती है. 8 सितंबर को जयराज के मोबाइल पर ग्रींडर ऐप के माध्यम से किसी का मैसेज आया. जयराज ने उस का नाम पूछा तो अपना नाम बताने के बजाए उस ने एक फोटो भेजी. इस के बाद जयराज और उस युवक के बीच मैसेज द्वारा बातचीत होने लगी.
कुछ दिनों बाद दोनों ने बागबान चौराहे के पास स्थित एक कैफे में मिलने का निर्णय लिया. मैसेज करने वाला युवक कार ले कर आया था. जयराज को उस ने अपनी कार में बैठाया और चल पड़ा. थोड़ी दूर जाने के बाद एक जगह उस ने कार रोकी तो अन्य 2 लोग आ कर कार में पिछली सीट पर बैठ गए. जयराज ने जब कार चला रहे युवक से उन दोनों के बारे में पूछा कि ये लोग कौन हैं तो कार में बैठे उन दोनों युवकों ने जयराज पर हमला बोल दिया. कार चला रहे युवक ने जयराज की पिटाई करते हुए उस का मोबाइल छीन लिया. इस के बाद गूगल पे से 16 हजार रुपए यूपीआई नंबर पर ट्रांसफर कर लिए. फिर जयराज को कार से उतार कर सभी भाग गए.
जयराज ने अपने साथ घटी इस घटना की रिपोर्ट थाना बोपल में दर्ज कराई है. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है. लेकिन कथा लिखे जाने तक जयराज का अपहरण कर उस के मोबाइल से 16 हजार रुपए ट्रांसफर करने वाले युवक पकड़े नहीं गए थे. जयराज को लूटने वाले आरोपी भले ही न पकड़े गए हों, पर 5 अगस्त, 2024 को सूरत के दीपेश रत्नकलाकार से ग्रींडर ऐप से दोस्ती कर के एक लाख 80 हजार रुपए लूटने वाले आरोपी पकड़े जा चुके हैं. सूरत की तहसील कामरेज के मोहल्ला पासोदरा के रहने वाले 35 साल के दीपेश रत्नकलाकार ने प्लेस्टोर से ‘ग्रींडर नियरबौय गे डेटिंग ऐंड चैटिंग’ ऐप Gay Apps इंस्टाल किया था. इस के बाद वह इसी ऐप के माध्यम से अनेक दोस्त बना कर उन से चैटिंग करने लगा था.
पहली अगस्त को दीपेश के मोबाइल पर एक अनजान व्यक्ति का मैसेज आया. थोड़ी बातचीत के बाद उस अनजान व्यक्ति ने समलैंगिक संबंध बनाने के लिए दीपेश को वराछा इलाके में मिलने के लिए बुलाया. दीपेश जब वराछा पहुंचा तो वह व्यक्ति उसे जगदीशनगर स्थित एक मकान में ले गया. दीपेश ने समलैंगिक संबंध बनाने के लिए जैसे ही कपड़े उतारे, 3 लोग कमरे में घुस आए. शायद जिस व्यक्ति ने दीपेश को बुलाया था, उस ने दरवाजा बंद नहीं किया था. उन तीनों में से एक व्यक्ति दीपेश की वीडियो बनाने लगा तो एक ने पूछा, ”तुम यहां क्यों आए हो और यह क्या कर रहे हो? तुम्हारा पर्स कहां है?’’
दीपेश ने कहा कि उस के पास पर्स नहीं हो तो उन में से एक व्यक्ति ने दीपेश का मोबाइल फोन छीन कर कहा, ”अगर तुम्हें अपनी इज्जत बचानी है तो इस का पासवर्ड बता दो. वरना तुम्हारा यह वीडियो हम वायरल कर देंगे.’’
दीपेश ने पासवर्ड बता दिया तो उन्होंने दीपेश के मोबाइल से ग्रींडर नियरबौय गे डेटिंग ऐंड चैटिंग ऐप डिलीट कर दिया और गूगल पे का पासवर्ड ले कर अलगअलग यूपीआई नंबरों पर कुल एक लाख 80 हजार रुपए ट्रांसफर कर लिए. रुपए ट्रांसफर करने के बाद उन लोगों ने दीपेश को धमका कर भगा दिया. लुटापिटा दीपेश सीधे थाना वराछा पहुंचा और अपने साथ घटी घटना की रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस ने सीधे उसी मकान में छापा मारा, जिस मकान में दीपेश को बुलाया गया था. संयोग से वहां पुलिस को 2 आरोपी मिल गए. इस तरह पुलिस ने घटना घटने के बाद कुछ ही घंटे में 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. उन्हीं की शिनाख्त पर बाकी के भी 2 आरोपी पकड़े गए थे.
गुजरात के ही जूनागढ़ में एंटरटेनमेंट ऐप के माध्यम से जो हुआ था, वह चौंकाने वाला था. जूनागढ़ के गलियावाड़ गांव के रहने वाले 24 साल के आशीष ने अपने मोबाइल में हीसे ऐप इंस्टाल किया. इसी ऐप के माध्यम से उस का संपर्क विशाल लोलाडिया से हुआ. कुछ दिनों तक दोनों के बीच इसी ऐप के माध्यम से मैसेज द्वारा बातचीत होती रही. जबकि दूसरी ओर आशीष इस बात से अंजान था कि वह एक बड़ी साजिश का शिकार होने वाला है. 9 सितंबर, 2024 की रात 11 बजे फोन कर के विशाल ने आशीष को मिलने के लिए बुलाया. आशीष विशाल से मिलने के लिए बेचैन था, इसलिए उतनी रात को ही बाइक ले कर वह विशाल से मिलने के लिए चल पड़ा. विशाल उसे ले कर वीरपुर-गलियावाड़ा के बीच स्थित नदी के पुल के नीचे पहुंचा था कि विशाल के अन्य साथी शाहनवाज, वारिस और असलम पहुंच गए.
पहले तो चारों ने मिल कर आशीष को खूब मारा. इस के बाद देर रात आशीष को बाइक पर बैठा कर माखीयाडा और वडाल के बीच सड़क से काफी अंदर स्थित एक मंदिर के पास ले गए. यहां भी पहले तो विशाल और उस के साथियों ने आशीष की जम कर पिटाई की, उस के बाद उस की जेब से जबरदस्ती 500 रुपए निकाल लिए. फिर आशीष के गले पर चाकू रख कर उस के सारे कपड़े उतरवाए और विशाल ने उस के साथ कुकर्म करते हुए वीडियो बनवाई.
इस के बाद विशाल और उस के साथी उसी वीडियो के माध्यम से आशीष को ब्लैकमेल करने लगे. वीडियो डिलीट करने के लिए विशाल और उस के साथियों ने आशीष से पहले 20 हजार रुपए मांगे. उन्होंने धमकी भी दी कि अगर उस ने रुपए नहीं दिए तो उस की वीडियो वायरल कर देंगे, साथ ही यह भी कहा कि अगर उस ने यह बात किसी को बताई तो वे उसे जान से मार देंगे.
विशाल और उस के साथियों से परेशान आशीष ने जूनागढ़ के तालुका थाने में विशाल, शाहनवाज, वारिस और असलम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन के आधार पर कुछ ही घंटों में चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब चारों की खातिरदारी करते हुए पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पुलिस को विशाल के मोबाइल से वह वीडियो भी मिल गया था, जिसे विशाल ने अपने साथियों से आशीष के साथ कुकर्म करते हुए बनाया था. सबूत के तौर पर पुलिस ने विशाल का फोन जब्त कर लिया था.
पूछताछ के बाद पुलिस ने विशाल, शाहनवाज, वारिस और असलम को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया है.
एंटरटेनमेंट ऐप बन रहे हैं समस्या
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार आजकल डिजिटल प्लेटफार्म पर एंटरटेनमेंट के लिए तमाम विकल्प मौजूद हैं, जिस में डेटिंग ऐप्स Gay Apps भी हैं. जिन का खूब उपयोग हो रहा है. इस तरह ऐप्स यूजर से कौन्टैक्ट नंबर, मैसेज, लाइव लोकेशन जैसे सेंसटिव डाटा ले लेते हैं. इस डाटा का दुरुपयोग होने की संभावना अधिक रहती है. इस तरह ऐप्स के उपयोग से यूजर को होने वाले नुकसान का निराकरण होने की संभावना कम ही रहती है.
ये ऐप्स इसलिए ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि इन का सर्वर देश के बाहर होता है. जिस की वजह से इन के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की जा सकती. इस के अलावा यूजर का गोपनीय डाटा भी बाहर के सर्वर में चला जाता है. कम्युनिकेशन के लिए यूजर किसी अनजान व्यक्ति से कौन्टैक्ट करता है. उस अनजान व्यक्ति की सही पहचान मिल नहीं पाती, इसलिए इस तरह के ऐप्स का उपयोग करना और खतरनाक हो जाता है. ऐप्स की व्यापकता को इसलिए नहीं रोका जा सकता, क्योंकि एंटरटेनमेंट की वजह से लोगों में इस का उपयोग बढ़ता जा रहा है. जागरूकता का अभाव, ठीक से समझ न होने के कारण लोग अपनी पर्सनल जानकारी जानेअनजाने में दे देते हैं.
भारत में इस तरह के ऐप्स को मान्यता नहीं है, क्योंकि यूजर द्वारा दी गई जानकारी किस हद तक सही है, इस का कोई मापदंड नहीं होता. इस का सर्वर दूसरे देश में होता है, इसलिए ऐप वहां के नियमकानून के अनुसार बनाया जाता है. सामान्य रूप से युवा कुछ नया जानने की चाहत और नए मित्रों के संपर्क में आने की इच्छा के कारण इस तरह के ऐप का उपयोग करते हैं. इस समय टास्क बेस्ड फ्रौड, डिजिटल अरेस्ट जैसे मामले बढ़ रहे हैं. दिमाग वाले ऐप का नाम बदल देते हैं और कोई न कोई लोभलालच दे कर अपराधी इस तरह का ऐप इंस्टाल करा देते हैं और फिर यूजर के फोटो, वीडियो, कौन्टैक्ट, ओटीपी और मैसेज जैसी जानकारी ले लेते हैं.
दरअसल, ऐप Gay Apps डाउनलोड करते समय वह जो परमीशन मांगता है, उस का खास ध्यान रखना चाहिए. लोकेशन एक्सेस, कैमरा एक्सेस और कौन्टैक्ट एक्सेस मांगे तो इस की मंजूरी देने के पहले सोचना चाहिए.
किसी के विश्वास में आ कर कोई भी ऐप इंस्टाल नहीं करना चाहिए. जिसे पहचानते न हों, उस से या नेट से चाहे जहां से ऐप इंस्टाल नहीं करना चाहिए. इस तरह के अपराध विदेश से औपरेट होते हैं. ऐसे अपराध रोकने के लिए केवल जागरूकता की जरूरत है.