Film पति से तलाक होने के बाद 32 वर्षीय ज्योत्सना प्रकाश आकरे फौजी अजय वानखेड़े के संपर्क में आई. होटल में हसरतें पूरी करने के बाद फौजी ने उस से शादी करने का वायदा किया, लेकिन इस दौरान इन के बीच ऐसा क्या हो गया कि फौजी अजय ने न सिर्फ ज्योत्सना की हत्या कर दी, बल्कि घटना को फिल्म ‘दृश्यम’ की कहानी का रूप देने की कोशिश की?
28 अगस्त, 2024 को अजय वानखेड़े ने अपनी प्लानिंग के मुताबिक एक दूसरे फोन से ज्योत्सना से बात करने के बाद उसे नागपुर के वर्धा रोड पर आने के लिए कहा. उस ने ज्योत्सना को कहा कि वह उस से शादी करने को बिलकुल तैयार है, मगर उस से पहले वह शादी की कुछ जरूरी बातचीत अकेले में करना चाहता है.
इस बारे में वह अपने घर वालों को अभी कुछ न बताए, क्योंकि इस मामले में कुछ अड़चन सामने आ गई है, जोकि दोनों की आपसी बातचीत से ही सुलझ सकती है. ज्योत्सना ने प्रेमी अजय की बातों पर विश्वास कर लिया और उस ने प्रेमी से मिलने के लिए हामी भर दी. फिर ज्योत्सना ने अपने पिता और भाई को झूठ बोलते हुए यही बताया कि वह अपनी दोस्त अमृता उगे के घर किसी काम से जा रही है और वह रात को उसी के घर पर रुकेगी.
अजय ने होटल में कमरा पहले से ही बुक कर रखा था. जैसे ही ज्योत्सना वहां पहुंची तो अजय उसे पहले होटल में ले गया, फिर वह होटल में सामान रख कर घूमने के बहाने ज्योत्सना को अपनी कार में ले कर होटल से बाहर निकल गया. अजय ने रास्ते में टोल प्लाजा के पास ज्योत्सना को नशीली कोल्डड्रिंक पिला दी और फिर ज्योत्सना के बेहोश होते ही उस ने पहले ज्योत्सना की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद उस ने आधी रात को न सिर्फ जंगल में गड्ढा खोदा, बल्कि उस में ज्योत्सना की लाश को दफन करने के बाद अपने साथ लाए सीमेंट से लाश वाले गड्ढे को पूरी तरह से बंद कर दिया.
इस के बाद कातिल प्रेमी अजय वानखेड़े ने ‘दृश्यम’ फिल्म की तर्ज पर सभी को उलझाने के लिए एक और काम किया. उस ने कत्ल करने के बाद ज्योत्सना के मोबाइल को एक चलते ट्रक में फेंक दिया, ताकि पुलिस इस कत्ल की साजिश का कभी भी परदाफाश न कर सके. इस के बाद उस ने एक और शातिराना चाल चली और इस वारदात को अंजाम देने के बाद वह तुरंत पुणे के आर्मी अस्पताल में भरती हो गया, ताकि कोई भी उस पर वारदात में शामिल होने को ले कर शक न कर सके.
फौजी के बायोडाटा से क्यों इंप्रैस हुई ज्योत्सना
32 वर्षीय ज्योत्सना प्रकाश आकरे तीखे नाकनक्श की खूबसूरत युवती थी. वह हुडको कालोनी कमलेश्वर नागपुर की रहने वाली थी. ज्योत्सना के घर पर उस के पापा कमल आकरे व एक छोटा भाई सिद्धेश्वर आकरे था. उस की मम्मी की काफी पहले मृत्यु हो चुकी थी. ज्योत्सना ने ग्रैजुएशन करने के बाद कंप्यूटर में भी 3 साल का कोर्स कर रखा था. पढ़ीलिखी थी तो उसे नागपुर में ही एक आटोमोबाइल कंपनी में जौब मिल गई थी. वर्ष 2019 में ज्योत्सना का विवाह अनूप नामक युवक से हुआ था, लेकिन पति से अनबन के कारण एक साल बाद ही दोनों में तलाक हो गया था.
उस के बाद ज्योत्सना ने विवाह करने का विचार लगभग छोड़ ही दिया था, लेकिन दूसरी ओर उस के पापा की उम्र बढ़ती जा रही थी इसलिए उस के पापा और भाई ज्योत्सना से विवाह करने के लिए अकसर कहते रहते थे. ज्योत्सना के पापा कमल आकरे ने तो एक दिन उस से कह ही दिया, ”देख बेटी ज्योत्सना, घर में तेरी मम्मी भी अब जीवित नहीं रहीं. एक तेरा छोटा भाई सिद्धेश्वर है, जिस की नौकरी लग चुकी है. एक दिन उस का विवाह भी हो जाएगा. मेरी उम्र अब इतनी अधिक हो चुकी है कि न जाने कब ऊपर वाले का बुलावा आ जाए. मेरे मरने के बाद तेरा क्या होगा, यही सोचसोच कर मैं चिंता में रहता हूं. मांबाप के बाद बेटी को भाई, बहन या भाभी या दूसरे रिश्तेदार कोई भी नहीं पूछते. अब तू बता कि तुझे शादी करनी है या नहीं?’’
इस के बाद ज्योत्सना ने भी अपने पापा से कह ही दिया, ”पापा, आप इतने दुखी व परेशान न रहा करें. मैं अपना बायोडाटा शादी डौटकौम पर डाल देती हूं, अगर मुझे कोई लड़का पसंद आ गया तो आप की सहमति से उस के साथ विवाह कर लूंगी. अब तो आप थोड़ा मुसकरा दीजिए.’’ और यह कहते हुए अपने पापा के गले लग गई थी. उस के बाद हंसमुख ज्योत्सना ने शादी डौटकौम पर अपनी फोटो और अपना पूरा विवरण अपलोड कर दिया और फिर इसी के जरिए अप्रैल 2024 में अजय वानखेड़े ने उस से संपर्क किया. अजय वानखेड़े न्यू कैलाश नगर, मानेवाड़ा, नागपुर का ही रहने वाला था. मैट्रीमोनियल साइट से अब दोनों की बातचीत होने लगी थी. ज्योत्सना को अजय वानखेड़े की बातचीत काफी अच्छी लगने लगी थी.
अजय और ज्योत्सना आकरे के बीच अब काफी बातचीत भी होने लगी थी. एक दिन कुरिअर से ज्योत्सना को एक पत्र मिला, भेजने वाले का नाम अजय वानखेड़े था और पता नागालैंड का था. ज्योत्सना को बड़ा आश्चर्य हुआ कि अजय वानखेड़े ने तो बातचीत में कभी नागालैंड का जिक्र तक नहीं किया था. उत्सुकतावश उस ने लिफाफा फाड़ा और पत्र गौर से पढऩे लगी. अजय ने पत्र में लिखा था, ‘मेरी प्रिय ज्योत्सनाजी, आप की फोटो और आप की बातें दिनरात सताती रहती हैं. ऐसा कोई भी पल नहीं होता, जब तुम्हारी याद मेरे ऊपर हावी नहीं होती, अगर आप मेरी इस सूनी जिंदगी में नहीं आतीं तो मेरा क्या होता? इस कल्पना से ही मेरा कलेजा मुंह को आ जाता है.
‘ज्योत्सना मैं ने तुम से अपनी कुछ बातें छिपाई हैं, जो मैं तुम्हें अपने पत्र मैं खुल कर बताना चाहता हूं, ताकि कल तुम मेरे ऊपर कोई तोहमत न लगा सको. पहली बात तो यह है कि भले ही मैं पोस्ट ग्रैजुएट हूं, लेकिन मैं भारतीय सेना में फार्मेसिस्ट हूं. फौज की नौकरी में मैं आप को सारे सुख दे भी पाऊंगा या नहीं, मैं कह नहीं सकता.
‘दूसरा, मैं एक बार शादी भी कर चुका हूं और मेरा पत्नी से तलाक हो गया. अब इस मुकाम पर आ कर कभीकभी मेरे दिलोदिमाग में यह विचार आता है कि मेरी इस सूनी जिंदगी के इस नाजुक मोड़ पर अगर तुम भी मुझे छोड़ दोगी तो फिर मेरा क्या होगा? मैं तो जीते जी मर जाऊंगा. तुम मुझे छोड़ोगी तो नहीं न?
‘सौरी ज्योत्सना, मैं आप से तो अब तुम पर भी आ गया. इसलिए कि मैं तुम्हें काफी अपना समझने लगा हूं और तुम्हें तो अब अपने दिल के काफी करीब भी मानने लगा हूं. देखो, मैं अगले महीने की 10 तारीख को एक महीने की छुट्टी पर नागपुर आ रहा हूं. एक बार तुम से मिलना चाहता हूं. मुझ से मिलोगी न तुम?
तुम्हारा अजय’
अजय का पत्र पढ़ कर ज्योत्सना भावविभोर हो उठी थी. उसे सब से अच्छी बात तो अजय की यह लगी कि उस ने अपने अतीत की सारी बातें सचसच पत्र में लिख डाली थीं. दूसरा वह उस की फोटो देख कर ही ज्योत्सना से इतना अधिक प्यार करने और चाहने लगा था. इसलिए उसी दिन शाम को ज्योत्सना ने अजय को फोन कर के बता दिया कि वह भी उसे पसंद करने लगी है. बाकी सारी बातें मिलने पर एकदूसरे को देख कर आपस में बातचीत कर के हो जाएंगी. उस ने अजय से ये भी कह दिया कि उसे फौजी बहुत पसंद हैं और वह अजय से मिलने के लिए बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही है.
होटल में मिला नजदीक से जानने का मौका
10 जनवरी, 2024 को पहली बार अजय और ज्योत्सना की मुलाकात एक होटल में हुई. दोनों एकदूसरे से बातचीत करते और कुछ ही देर के बाद उन्हें ऐसा लगा कि वे दोनों तो वर्षों एकदूसरे को जानते हैं. इस के बाद एक दिन अजय ने ज्योत्सना से कहा कि एक दिन एक होटल में कमरा ले कर रुकते हैं. इस से हमें एकदूसरे को नजदीक से जानने का मौका भी मिल सकेगा. ज्योत्सना ने अजय की बात बात मान ली.
”हां अजयजी, यहां पर आप क्या बात कहना चाहते हैं. यहां पर आ कर भला हमारे बीच नजदीकियां कैसे बढ़ सकती हैं?’’ होटल में आ कर ज्योत्सना ने अजय से पूछा.
”ज्योत्सनाजी, आज आप को अपने सामने देख कर मैं अपने आप को दुनिया का सब से बड़ा भाग्यशाली व्यक्ति समझ रहा हूं. तुम्हारे सौंदर्य के सामने तो स्वर्ग की अप्सराएं भी कुछ नहीं हैं. कभीकभी तो मुझे विश्वास ही नहीं हो पा रहा है कि दुनिया की सब से सुंदर नारी मेरी बांहों में है.’’ यह कहतेकहते अजय ने ज्योत्सना को अपनी दोनों बांहों में ले लिया.
यह सुन कर और अजय की एकाएक बांहों में आ कर ज्योत्सना के गालों पर गुलाबी सुर्खी छा गई थी. भावावेश में आ कर ज्योत्सना ने अपना सिर अजय के कंधों पर रख दिया था. तभी उन के कमरे में बैरा कोल्डड्रिंक्स और स्नैक्स ले कर आ गया तो अजय ने फुरती से एक गिलास में नशे की गोली मिला दी थी. अजय की यह एक शातिराना चाल थी. अगले ही पल उस ने वह गिलास ज्योत्सना के हाथों में थमा दिया और कहा, ”ज्योत्सना, आज की हमारी पहली मुलाकात का एक छोटा सा जाम!’’
”अरे अजयजी, आप जाम की बात कहां करने लगे, मैं तो इस से दूर रहती हूं.’’ कहते हुए ज्योत्सना ने गिलास थाम लिया और उसे धीरेधीरे पीने लगी.
थोड़ी ही देर के बाद उसे एक अजीब सा नशा छाने लगा था और फिर वह अचेत हो गई. अजय ने इस का भरपूर फायदा उठाते हुए ज्योत्सना के साथ बेहोशी की अवस्था में संबंध स्थापित कर लिए. ज्योत्सना की बेहोशी पूरे 2 घंटे के बाद टूटी तो उस ने अपने आप को निर्वस्त्र अजय की बांहों में पाया. अजय उस समय चैन की नींद सो रहा था. ज्योत्सना ने उसे झिंझोड़ कर उठा दिया और जब अजय की आंखें खुलीं तो ज्योत्सना उस के ऊपर बुरी तरह से भड़क गई थी.
”अजय, तुम इतने गिरे हुए इंसान निकलोगे, ऐसा कभी मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था. तुम ने तो मुझे कहीं पर भी मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. शादी से पहले ही तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा आखिर क्यों किया?’’ ज्योत्सना ने गुस्से से कहा.
”ज्योत्सना, मैं सचमुच तुम्हारे सौंदर्य को देख कर बहक गया था. अपने आप पर बिलकुल ही काबू नहीं रख सका. इस के लिए मैं तुम से दिल से माफी मांगता हूं. मैं तुम्हें वचन देता हूं कि मैं केवल तुम्हारे साथ ही शादी करूंगा.’’ अजय ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.
सब कुछ लुटाने के बाद भी ज्योत्सना ने फौजी को क्यों किया माफ
उस के बाद दोनों मिलते रहे. ज्योत्सना उसे हर बार अपने घर में आने के लिए कह चुकी थी, मगर अजय कुछ न कुछ बहाना कर के उसे टालता रहता था. एक दिन ज्योत्सना उसे जबरदस्ती अपने घर ले कर आ गई. उस समय ज्योत्सना के घर पर उस के पापा और भाई सिद्धेश्वर भी था. ज्योत्सना ने अजय की तारीफों के पुल बांधते हुए अपने पापा से उस का परिचय कराते हुए कहा, ”पापा, यही अजय वानखेड़े है. अजय भारतीय सेना में फार्मेसिस्ट हैं. मैं ने इन के बारे में पहले भी आप को बताया था. अजय बहुत ही अच्छे इंसान हैं. मुझ से बहुत प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’
उस के बाद ज्योत्सना चाय बना कर ले आई. अजय से ज्योत्सना के भाई और पापा ने काफी देर बातचीत भी की. कुछ देर के बाद अजय अपने घर चला गया. उस के बाद ज्योत्सना के पापा ने उस से कहा, ”बेटी, आजकल किसी पर इतनी जल्दी विश्वास करना ठीक नहीं है. तुम ने उस के बारे में पता किया है कि वह कौन है, उस के परिवार में कौनकौन लोग हैं, उस के परिवार का और उस का क्या इतिहास रहा है?’’
”पापा, मैं ने अजय के बारे में सब कुछ जान लिया है. मुझे तो वह हर तरह से योग्य लगता है, उस का भविष्य भी मुझे काफी उज्जवल दिखता है,’’ ज्योत्सना ने कहा.
”देख बेटी, मेरा अनुभव तो यह कहता है कि वह ठीक इंसान नहीं है, पहली ही नजर में वह मुझ से नजरें चुराने लगा था. इसलिए मैं तो कहता हूं कि जरा सोचसमझ कर फैसला लेना. एक बार शादी कर के तुम देख चुकी हो, इस बार कहीं धोखा मत खा जाना.’’ कमल आकरे ने उसे समझाते हुए कहा. उधर ज्योत्सना ने अजय को अपना तन समर्पित कर दिया तो वह उस पर शादी का दबाव बनाने लगी. सच्चाई यह थी कि अजय उस से शादी नहीं करना चाहता था. वह तो केवल उसे मौजमस्ती का साधन समझ रहा था. इसलिए उस ने ज्योत्सना से दूरी बनानी शुरू कर दी.
ज्योत्सना जब कभी उसे फोन करती तो वह उस की काल रिसीव नहीं करता. ज्योत्सना बहुत परेशान रहने लगी. वह वह वाट्सऐप पर भी चैटिंग का जवाब नहीं देता. एक दिन ज्योत्सना ने अपनी एक परिचित महिला, जो अजय की भी रिश्तेदार थी, से उसे मैसेज भिजवाया कि अजय उस से जल्द बातचीत करे नहीं तो वह उस की सारी करतूतें नागालैंड में अजय के कमांड अधिकारी को बता कर उस के खिलाफ कानूनी काररवाई करवा देगी. इस से अजय वानखेड़े घबरा गया और वह ज्योत्सना से पीछा छुड़ाने के उपाय तलाशने लगा. फिर उस ने ‘दृश्यम’ फिल्म की तरह ज्योत्सना को खत्म करने की प्लानिंग तैयार कर ली. और 28 अगस्त को उसे मिलने के बहाने बुला कर उस की हत्या कर दी.
29 अगस्त, 2024 को बेलतरोड़ी थाने के सीनियर पुलिस इंसपेक्टर मुकुंदा कावड़े सुबहसुबह अपने औफिस में बैठे ही थे कि तभी एक युवक बदहवास सा उन के कार्यालय में आ गया. उस ने अपना नाम सिद्धेश्वर आकरे निवासी हुडको कालोनी कमलेश्वर, नागपुर बताया. उस ने बताया कि उस की बड़ी बहन ज्योत्सना आकरे बेसा में रहने वाली अपनी सहेली अमृता उगे के घर में रात को रुकने को कह कर कल दोपहर में निकली थी. आज सुबह अमृता उगे का फोन मेरे मोबाइल पर आया और उस ने ज्योत्सना के बारे में पूछा. इस पर मैं ने उसे बताया कि ज्योत्सना तो कल रात तुम्हारे घर पर रहने को कह कर घर से निकली थी.
अमृता ने बताया कि ज्योत्सना तो कल उस के घर आई ही नहीं थी, उस का फोन भी नहीं लग रहा था. अमृता ने सिद्धेश्वर से कहा कि ज्योत्सना कभी झूठ नहीं बोलती, इसलिए वह जरूर किसी मुसीबत में फंस गई होगी, तुम उस को अपने रिश्तेदारों में और पुलिस में रिपोर्ट कर दो. सिद्धेश्वर ने एसएचओ को बताया कि वह अपने सारे नातेरिश्तेदारों व जानपहचान वाले लोगों से संपर्क कर चुका है, मगर मेरी बहन का कहीं कुछ पता नहीं चला. यह कह कर वह जोरजोर से रोने लगा.
सीनियर पुलिस इंसपेक्टर मुकुंदा कावड़े ने रोते हुए सिद्धेश्वर आकरे को ढांढस बंधाया और तुरंत उस की तरफ से लिखित रिपोर्ट दर्ज कर ली. बेल्तारोड़ी पुलिस ही 29 अगस्त, 2024 को ज्योत्सना की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. इस के बाद ज्योत्सना आकरे को ढूंढने से जुट गई. इधर दूसरी तरफ ज्योत्सना के पिता, भाई, रिश्तेदार और दोस्त भी उसे अपनेअपने स्तर पर ढूंढ रहे थे.
पुलिस ने ज्योत्सना का मोबाइल ट्रैकिंग पर लगा दिया था, उस का मोबाइल फोन तो औन था, मगर फोन कोई रिसीव नहीं कर रहा था. दूसरी तरफ फोन की लोकेशन लगातार बदलती जा रही थी. ऐसे में पुलिस कुछ भी अनुमान नहीं लगा पा रही थी. इस तरह 2 हफ्ते से ज्यादा का समय गुजर गया.
मोबाइल की लोकेशन से क्यों उलझी पुलिस
18 सितंबर, 2024 को सिद्धेश्वर आकरे फिर थाने पहुंचा. उस पर नजर पड़ते ही एसएचओ ने उसे पास बैठने को कहा.
”देखो, हम लोग ज्योत्सना को दिनरात ढूंढने में व्यस्त हैं. मगर अभी तक हमें कोई सफलता नहीं मिल सकी है. आप फिर भी निश्चिंत रहें, हम जरूर कामयाब होंगे.’’ एसएचओ मुकुंदा कावड़े ने कहा.
”इंसपेक्टर साहब, हमें यह मामला किडनैपिंग का लग रहा है. मेरी दीदी बालिग लड़की है, पढ़ीलिखी आत्मनिर्भर भी. इसलिए आप अपहरण का केस दर्ज कर लीजिए.’’ कहते हुए सिद्धेश्वर ने अपने दोनों हाथ जोड़ दिए थे.
पुलिस को भी यह मामला कुछ अजीब सा ही लग रहा था, क्योंकि ज्योत्सना आटोमोबाइल के एक शोरूम में काम करती थी और दूसरी बात यह थी कि वह हमेशा अपने घर वालों के संपर्क में रहती थी, ऐसी स्थिति में उस का अचानक से गायब हो जाना और पिछले 20 दिनों से किसी से भी फोन पर बात न करना पुलिस को भी अखर रहा था. इंसपेक्टर मुकुंदा कावड़े ने इस बात की सूचना तुरंत अपने उच्च अधिकारियों को दे दी. बेलतरोड़ी पुलिस थाने में 18 सितंबर, 2024 को ज्योत्सना की गुमशुदगी का मामला अपहरण के रूप में दर्ज कर लिया गया और नागपुर पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंघल के आदेश पर तुरंत एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया गया.
नागपुर पुलिस की विशेष टीम ने सीसीटीवी फुटेज, काल डिटेल्स और मोबाइल फोन का डंप डाटा निकाल कर ये समझने की कोशिश की कि ज्योत्सना की आखिरी बार किस से बातचीत हुई थी और उस की लास्ट लोकेशन कहां थी. काफी छानबीन के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका. पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन ट्रैस की तो उस की लोकेशन अलगअलग जगहों की आ रही थी. लोकेशन के अनुसार पुलिस महाराष्ट्र से ले कर हैदराबाद और छत्तीसगढ़ तक ढूंढती रही, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
नागपुर पुलिस ज्योत्सना के मोबाइल की लोकेशन का पता लगाते हुए एक ट्रक ड्राइवर के पास पहुंची तो पता चला कि उस ने ज्योत्सना के मोबाइल सिम कार्ड निकाल कर अपना सिम लगा लिया था और काम के सिलसिले में वह देश भर में घूम रहा था. ड्राइवर ने उसे बताया कि यह मोबाइल उसे उस के ट्रक में पड़ा मिला था. पुलिस ने ड्राइवर से ज्योत्सना का सिम कार्ड ले कर जब उस की जांच की तो पता चला कि ज्योत्सना ने अंतिम काल अजय वानखेड़े को की थी. पुलिस ने अजय वानखेड़े के बारे में जांच की तो पता चला कि वह सेना में फार्मेसिस्ट है और उस की पोस्टिंग नागालैंड में है. पुलिस को उस पर 3 वजहों से शक हुआ, जो बाद में सही भी निकला.
पहली वजह तो यह कि अजय उन्हीं दिनों पुणे के सेना अस्पताल में भरती हुआ था, जिन दिनों ज्योत्सना गायब हुई थी. हालांकि वह नागालैंड में पोस्टेड था, परंतु सेना का अधिकारी या जवान जो सेना में वर्तमान में कार्य कर रहा है, वह छुट्टी के दौरान भी किसी एक्सीडेंट या किसी अन्य कारण से अस्वस्थ महसूस करता है तो वह अपने नजदीकी किसी भी सेना के अस्पताल में भरती हो कर अपना इलाज करा सकता है. अजय वानखेड़े अपनी शुगर की बीमारी को दिखा कर दक्षिणी कमान के सेना के अस्पताल जोकि पुणे में स्थित था, वहां पर भरती हो गया था.
दूसरी वजह यह थी कि गुमशुदगी के दिन यानी कि 28 अगस्त, 2024 को ज्योत्सना और अजय वानखेड़े की लोकेशन एक जगह पर थी और तीसरी वजह यह थी कि अजय वानखेड़े की ज्योत्सना के अलावा और भी कई अन्य गर्लफ्रैंड थीं. ऐसे में पुलिस को उस की हरकतों पर शक होने लगा था. नागपुर की विशेष टीम ने जब विस्तृत जांच की तो पता चला कि सेना में फार्मेसिस्ट की नौकरी करने वाला अजय वानखेड़े की असल में पहले भी 2 शादियां हो चुकी थीं और वह अब तीसरी बीवी की तलाश में था. उस का उस का दोनों पत्नियों से तलाक हो चुका था, जबकि ज्योत्सना आकरे का भी पहले एक बार तलाक हो चुका था.
ज्योत्सना के परिजनों से भी पुलिस को यह मालूम हो चुका था कि ज्योत्सना और अजय एकदूसरे के संपर्क में काफी समय से थे और शादी भी करना चाहते थे. अब नागपुर पुलिस अजय वानखेड़े के पीछे पड़ गई थी. अजय वानखेड़े की तलाश करते हुए नागपुर पुलिस को पता चला कि अजय डाइबिटीज की शिकायत को ले कर पुणे के आर्मी अस्पताल में भरती है. चूंकि अब अजय पुलिस की रडार पर आ चुका था, इसलिए नागपुर पुलिस ने सेना अस्पताल से रिक्वेस्ट की कि हमें इस जवान पर शक है, इसलिए इस के ऊपर कड़ी निगरानी रखी जाए और जैसे ही यह अस्पताल से डिस्चार्ज हो, उसे तुरंत नागपुर पुलिस के हवाले कर दिया जाए.
मगर अजय वानखेड़े इतना शातिर निकला कि वह सेना के अस्पताल से ही फरार हो गया और नागपुर पुलिस और सेना भी भौचक्की हो कर रह गई पुलिस अब पूरी तरह से अजय वानखेड़े के पीछे पड़ चुकी थी. इसी बीच पुलिस का शक तब और भी गहरा हो गया, जब अजय वानखेड़े ने नागपुर के सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन उस की याचिका खारिज कर दी गई. उस के बाद अजय वानखेड़े ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
एडवोकेट श्रीरंग भंडारकर और एडवोकेट एस.पी. सोनवाने ने अजय वानखेड़े की ओर से उच्च न्यायालय में पैरवी की, लेकिन न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी फाल्के ने 15 सितंबर, 2024 को अजय वानखेड़े की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया.
अजय ने किया पुलिस के सामने सरेंडर और फिर खुला ज्योत्सना मर्डर का राज
तब आखिरकार उस ने खुद ही नागपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. इस के बाद पुलिस ने उस से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की. दरअसल, ज्योत्सना कहीं गायब नहीं हुई थी बल्कि उस की नृशंस हत्या की गई थी और हत्या करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि खुद अजय वानखेड़े ही था. अजय ने ज्योत्सना की हत्या की बात कुबूल करने के साथ ही उस की लाश को जंगल में दफनाने की बात भी कही.
उस के बाद पुलिस ने अजय की निशानदेही पर नागपुर के बाहरी इलाके में मौजूद एक सुनसान जगह से ज्योत्सना की जमीन में दफन सड़ीगली लाश बरामद की. फौजी अजय वानखेड़े ने ज्योत्सना की लाश जहां पर दफनाई थी, उस जगह को उस ने सीमेंट डाल कर सील कर दिया था, ताकि किसी भी कीमत पर लाश का राज कभी भी न खुल सके. बस यूं समझ लीजिए कि अजय देवगन और तब्बू द्वारा अभिनीत Film फिल्म ‘दृश्यम’ की तर्ज पर ही अजय वानखेड़े ने इस कत्ल की साजिश और प्लानिंग की थी. मगर इतनी सारी कोशिशें करने के बावजूद आखिरकार पुलिस ने उस की हरकतों, उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स, उस की लोकेशन और ज्योत्सना के भाई के बयान के आधार पर उसे पकड़ ही लिया. और इस मर्डर मिस्ट्री का परदाफाश हो गया.
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि अपराध चाहे कितनी भी चतुराई से क्यों न किया जाए, कानून से बच पाना असंभव है. कहानी लिखे जाने तक पुलिस आरोपी फौजी अजय वानखेड़े को जेल भेज चुकी थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है