Social News : तथाकथित पत्रकार जगदीश परमार ने अंजना को विश्वास में ले कर न सिर्फ उस का शारीरिक शोषण किया, बल्कि उस से मोटी रकम भी ऐंठ ली. इस शातिर पत्रकार ने अंजना को ही नहीं बल्कि कई और महिलाओं को अपने झांसे में ले कर…

बात 17 मई, 2018 की है. मध्य प्रदेश के उज्जैन रेंज के आईजी राकेश गुप्ता अपने औफिस में विभागीय कार्य निपटा रहे थे, तभी अंजना नाम की एक युवती उन के पास अपनी शिकायत ले कर पहुंची. अंजना उज्जैन के ही पटेल नगर में अपने पति और 2 बच्चों के साथ रहती थी. जो शिकायत ले कर वह आईजी साहब के पास पहुंची थी, वह शिकायत इलैक्ट्रौनिक मीडिया के एक तथाकथित पत्रकार जगदीश परमार के खिलाफ थी.

महिला ने आरोप लगाया कि उज्जैन के सेठी नगर के रहने वाले जगदीश परमार ने न सिर्फ उस के साथ बलात्कार किया बल्कि उस से लाखों रुपए भी ठगे हैं. चूंकि मामला गंभीर और नारी अपराध से जुड़ा था, इसलिए आईजी राकेश गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उस की प्रारंभिक जांच कराई तो उस के आरोपों में सच्चाई नजर आई. इस के बाद उन के निर्देश पर एडीशनल एसपी रंजन भट्टाचार्य खुद अंजना को ले कर महिला थाने पहुंचे. वहां पर अंजना की तरफ से जगदीश परमार के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 384, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई. इस के बाद महिला थानाप्रभारी रेखा वर्मा ने सरकारी अस्पताल में रात में ही अंजना का मैडिकल परीक्षण कराया.

चूंकि यह काररवाई आईजी साहब के निर्देश पर की गई थी इसलिए एडीशनल एसपी ने की गई काररवाई की जानकारी आईजी राकेश गुप्ता को दे दी. पुलिस को अगली काररवाई पत्रकार जगदीश परमार के खिलाफ करनी थी. चूंकि जगदीश परमार के जिले के अधिकांश अधिकारियों के साथ अच्छे संबंध थे, इसलिए आईजी राकेश गुप्ता ने उस की गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टीम का गठन करने के बाद टीम को स्पष्ट निर्देश दे दिया था कि उस की गिरफ्तारी में कोई भी कोताही न बरती जाए.

विशेष टीम ने सेठीनगर में स्थित जगदीश परमार के घर दबिश दी, लेकिन शायद उसे इस बात की भनक लग चुकी थी, इसलिए वह पुलिस के पहुंचने से पहले ही भूमिगत हो चुका था. तब एसपी सचिन अतुलकर ने क्राइम ब्रांच के एडीशनल एसपी प्रमोद सोनकर व महिला थाने की प्रभारी रेखा वर्मा को उस की गिरफ्तारी की जिम्मेदारी सौंपी. दोनों अधिकारियों ने जगदीश के छिपने के संभावित ठिकानों पर ताबड़तोड़ दबिशें डालीं. लेकिन उस का पता नहीं चल सका. लेकिन जगदीश को अपने साथियों की मदद से पुलिस काररवाई की सारी जानकारी मिल रही थी.

पत्रकारिता की ओट ले कर जगदीश परमार ने पिछले कुछ सालों में जिले के अनेक अधिकारियों के बीच अपनी जो पहचान बना रखी थी, उसे देखते हुए उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि पुलिस उस के खिलाफ ऐसी काररवाई भी कर सकती है. पुलिस काररवाई को देखते हुए जगदीश समझ गया था कि अब उस का बच पाना (Social News) मुश्किल है, इसलिए 2 दिन बाद ही उस ने खुद महिला थाने पहुंच कर आत्मसमर्पण कर दिया. उसे गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने सब से पहले उस का मोबाइल फोन और लैपटाप बरामद कर लिया.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पहले तो वह खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता रहा लेकिन बाद में उस ने अंजना के साथ अपने संबंध होना तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उस ने ब्लैकमेलिंग और बलात्कार की बात से इनकार किया. उस का कहना था कि हम दोनों के बीच संबंध पूरी तरह आपसी सहमति से बने थे. अंजना ने उसे जो लाखों रुपए दिए थे, उस के सबूत वह पुलिस को सौंप चुकी थी. उन सबूतों के आधार पर पुलिस ने जब जगदीश से पूछताछ की तो वह इस आरोप को झुठला नहीं सका. वह पुलिस की कार्यप्रणाली से वाकिफ था.

वह जानता था कि पुलिस किसी न किसी तरह सच्चाई उगलवा ही लेती है. लिहाजा उस ने झूठ बोलने के बजाय सच्चाई पुलिस को बता दी. इस के बाद वाहन चोर से पत्रकार बने जगदीश परमार के ब्लैकमेलर बनने की कहानी इस प्रकार सामने आई—

जगदीश परमार मूलरूप से बड़नगर तहसील में खरसोद कला गांव का रहने वाला था. बचपन से ही वह शातिर और तिकड़मी था, जिस के कारण घर वाले इस से खासे परेशान रहते थे. उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा था और गलत बच्चों की संगति में पड़ गया, जिस से वह फेल हो गया. तब उस के पिता ने उसे गुस्से में डांट कर घर से निकल जाने को कह दिया तो जगदीश सचमुच में घर छोड़ कर इंदौर भाग आया. इंदौर के खजराना इलाके में वह पहुंचा तो उस की मुलाकात शाकिर नाम के युवक से हुई. शाकिर एक जानामाना वाहन चोर था, इसलिए जगदीश भी उस के साथ मिल कर वाहन चोरी करने लगा. इस मामले में वह पहली बार पंडरीनाथ पुलिस के हाथ लग गया.

पुलिस ने कानूनी काररवाई कर के उसे जेल भेज दिया. वह 3 महीने जेल में रहा. गैंग के लोगों ने ही उस की जमानत कराई. उसे लगा कि यह गलत काम उस के लिए ठीक नहीं है. तब वह अपने गांव पहुंच गया और घर जा कर अपने पिता से माफी मांगते हुए वह उन के कदमों में गिर गया. पिता का दिल पिघल गया और उन्होंने उसे घर में पनाह दे दी. जगदीश को तिकड़म की कमाई खाने की आदत पड़ चुकी थी, इसलिए उस ने गांव में गैस सिलेंडर की कालाबाजारी करनी शुरू कर दी. लेकिन इतने से उस का मन नहीं भर रहा था. वह जल्द मोटी कमाई करने के चक्कर में था.

फिर कुछ दिनों बाद गांव के ही एक आदमी के साथ मिल कर वह सट्टा लगवाने का काम करने लगा. जिस के चलते जगदीश परमार का नाम पूरे इलाके में मशहूर हो गया. उस का यह धंधा भी बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया. थाना भाटपचाला पुलिस को इस की जानकारी हुई तो तत्कालीन थानाप्रभारी धर्मेंद्र तोमर ने उसे गिरफ्तार कर के उस का पूरे गांव में जुलूस निकाला. इस से पूरे गांव में उस की बहुत बदनामी हुई. जगदीश की जिंदगी में यह वह मोड़ था जब उसे लगा कि अपराध की दुनिया में जमे रहने के लिए पुलिस से संबंध बनाना जरूरी है. इस के लिए उस ने पत्रकारिता का रास्ता चुना.

जगदीश ने उज्जैन से प्रकाशित होने वाले एक छोटे से अखबार में संपर्क बना कर उस के लिए काम करना शुरू कर दिया. इस के बाद उस ने पुलिस अधिकारियों से दोस्ती की और उन के लिए मुखबिरी और दलाली करने लगा. फिर इन संबंधों की ओट में वह लोगों को ब्लैकमेल करने लगा. बताया जाता है कि कुछ समय पहले जगदीश ने महिदपुर की एक महिला को भी ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी. उस महिला की शिकायत पर उसे जेल भी जाना पड़ा था. इस के बाद जगदीश ने उज्जैन को अपना ठिकाना बनाया. यहां आ कर वह अफसरों की चाटुकारिता करने लगा.

बताते हैं कि वह पहले अफसरों को लाभ पहुंचा कर बाद में खुद उन से फायदा उठाने की नीति पर काम करता था इसलिए जल्द ही वह सभी विभागों में अधिकारियों का कृपापात्र बन गया. उज्जैन आ कर उस ने एक लोकल न्यूज चैनल में बात की और वहां कैमरामैन बन गया. इस के साथ वह अफसरों के लिए दलाली कर अपना उल्लू सीधा करने लगा. कहानी की दूसरी किरदार अंजना की कहानी भी काफी उतारचढ़ाव भरी है. पटेल नगर में रहने वाली अंजना की आंखें किशोरावस्था में ही मोहल्ले के रहने वाले संजय से लड़ गई थीं.

अति संपन्न किसान परिवार से संबंध रखने वाला संजय उतना ही स्मार्ट था जितनी कि खूबसूरत अंजना थी, इसलिए दोनों की दोस्ती परवान चढ़ी और प्यार में बदल गई. अंजना उस समय बीकौम कर रही थी. बीकौम की डिग्री पूरी होते ही दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया. बाद में इन के 2 बच्चे हुए. अंजना की जिंदगी हंसीखुशी से बीत रही थी कि अचानक शराब ने उस के खुशहाल जीवन में जहर घोल दिया. संजय को दोस्तों के साथ शराब पीने की ऐसी लत लगी कि वह दिनरात शराब के नशे में डूबा रहने लगा. अंजना ने उसे रोकने की कोशिश की तो संजय उस के साथ मारपीट करने लगा. अंजना के लिए यह बात किसी अजूबे से कम नहीं थी क्योंकि कभी उस के लिए जान देने की बातें करने वाला संजय उस पर हाथ जो उठाने लगा था. ऐसे में अंजना अपने पति को रास्ते पर लाने के प्रयास करने लगी.

जाहिर है कि उज्जैन में लोगों के संकट के समय सब से पहले महाकाल ही याद आते हैं, इसलिए अंजना नियमित रूप से महाकाल के दरबार में प्रार्थना करने के लिए जाने लगी. दुर्भाग्य से खबरों के जुगाड़ में जगदीश परमार अकसर इस मंदिर में मौजूद रहता था. जगदीश ने 1-2 बार अंजना को मंदिर में भगवान के सामने आंसू बहाते देखा था. दूसरे अंजना के शरीर पर कीमती जेवर देख कर वह समझ गया कि पार्टी पैसे वाली होने के साथसाथ परेशान हालत में है. इसलिए आसानी से इसे जाल में फंसाया जा सकता है. यह बात 2 साल पहले की है.

इस के बाद जगदीश ने अंजना को फांसने के लिए उस के चारों तरफ जाल बुनना शुरू कर दिया. एक दिन मंदिर में काफी भीड़ थी, अपना प्रभाव जमाने के लिए जगदीश खुद अंजना के पास पहुंचा और बोला, ‘‘मैं देख रहा हूं कि आप बहुत परेशान हैं. आइए, मैं आप को दर्शन करवा देता हूं. आप शायद मुझे नहीं जानतीं लेकिन मैं ने अकसर आप को यहां आंसू बहाते देखा है. मैं एक पत्रकार हूं, इस वजह से आप को आसानी से दर्शन करवा सकता हूं. आप को परेशान देख कर शायद महाकाल ने ही मुझे आप की मदद के लिए भेज दिया है.’’

जगदीश की बातों से अंजना काफी प्रभावित हुई और उसी समय उस के साथ हो गई. तब जगदीश ने वीआईपी गेट से ले जा कर अंजना को महाकाल के दर्शन करवा दिए. इस के बाद जगदीश अंजना को अकसर मंदिर में मिलता और वीआईपी गेट से अंदर ले जा कर उसे दर्शन करा देता. इस से कुछ ही दिनों में दोनों के बीच दोस्ताना ताल्लुकात बन गए. जब जगदीश को भरोसा हो गया कि लोहा चोट करने योग्य गरम हो चुका है तो उस ने एक दिन अंजना से पूछा, ‘‘अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं पूछ सकता हूं कि आप की परेशानी क्या है, जिस के लिए आप रोज महाकाल के दरबार में हाजिरी लगा रही हैं?’’

अब तक अंजना जगदीश को भला आदमी समझने लगी थी, इसलिए उस ने किशोरावस्था में हुए प्यार से ले कर अब तक की अपनी सारी कहानी उसे बता दी. तब जगदीश बोला, ‘‘आप की समस्या सुन कर अब मुझे विश्वास हो गया कि सचमुच ही महाकाल ने आप की सहायता के लिए ही मुझे आप से मिलवाया है.’’

‘‘वो कैसे?’’ अंजना ने पूछा.

‘‘वो ऐसे कि मक्सी रोड पर एक नशा मुक्ति केंद्र है. वहां मेरी अच्छी पकड़ है. आप चिंता न करें, मैं वहां से आप के पति का नशा छुड़ाने का इलाज करवा दूंगा, जिस से वह बिलकुल ठीक हो जाएंगे.’’ जगदीश ने कहा.

‘‘अगर ऐसा है तो मैं आप का अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी.’’

‘‘अहसान भले ही अगले दिन भूल जाना, लेकिन हम दोनों की दोस्ती जिंदगी भर याद रखना. सच मानिए, मेरी जिंदगी में अब तक आप के जैसा कोई दोस्त नहीं आया, इसलिए मैं आप को खोना नहीं चाहता.’’ जगदीश परमार ने अंजना को अपनी गिरफ्त में ले भावुक हो कर कहा.

बात ही जगदीश ने ऐसी कही थी कि अंजना भी भावुक हो गई और उस ने जगदीश से जिंदगी भर यह दोस्ती निभाने का वादा कर लिया. इस के अगले दिन वह अंजना को अपने साथ नशा मुक्ति केंद्र ले गया, जहां उस ने अपनी पत्रकारिता का प्रभाव दिखा कर अंजना को उस के पति का नशा छुड़ाने की दवा दिलवा दी. अब तक अंजना जगदीश परमार पर आंख बंद कर के भरोसा करने लगी थी. जगदीश को इसी मौके का इंतजार था, इसलिए उस ने 2 जुलाई, 2016 को अंजना को अपने घर दवाई लेने बुलाया. अंजना बिना किसी संकोच के जगदीश के घर पहुंच गई जो उस की सब से बड़ी भूल साबित हुई.

जगदीश को अब अपनी हसरतें पूरी करनी थीं. उस ने अंजना को अपने घर में कैद करने के बाद डराधमका कर उस के साथ न केवल बलात्कार किया, इस की वीडियो भी बना ली और अंजना के निर्वस्त्र फोटो भी अपने मोबाइल फोन में कैद कर लिए. इतना ही नहीं, इस बात का जिक्र किसी से करने पर उसे व उस के बच्चों को जान से मारने की धमकी भी दी. साथ ही यह भी कहा कि उस ने मुंह खोला तो उस के अश्लील फोटो और वीडियो पूरे उज्जैन में वायरल कर देगा. अंजना को जगदीश से इतने बड़े धोखे की उम्मीद नहीं थी. वह जगदीश को उस के पाप की सजा दिलाना चाहती थी, लेकिन उस की धमकी से डर कर वह चुप रही.

अंजना को इस घटना का इतना सदमा लगा कि वह इस के बाद 15 दिन तक मंदिर भी नहीं गई. उस का सोचना था कि न वह मंदिर जाएगी और न उस धोखेबाज से उस की मुलाकात होगी. लेकिन जगदीश का काम अभी पूरा कहां हुआ था. वह अंजना का तन तो लूट चुका था, धन लूटना तो अभी बाकी था इसलिए कुछ दिनों बाद उस ने अंजना को फोन कर अकेले में मिलने के लिए बुलाया. इतना ही नहीं, उस ने साथ में बड़ी रकम भी लाने को कहा. अंजना ने मना किया तो जगदीश ने उसे अश्लील वीडियो और फोटो वायरल करने की धमकी दी. जिस से न चाहते हुए भी उसे उस के द्वारा मांगी गई रकम ले कर उस से मिलने के लिए जाना पड़ा. उस से पैसे लेने के बाद जगदीश ने एक बार फिर अंजना के साथ बलात्कार किया.

अंजना ने पुलिस को बताया कि पिछले 22 महीनों में जगदीश ने कई बार उस का यौनशोषण किया. उस ने यह भी बताया कि अब तक वह उसे 10 लाख रुपए और अपने जेवर भी दे चुकी है. अब घर से पैसे दे पाना संभव नहीं था, लेकिन वह उस के तन से तो खिलवाड़ कर ही रहा था साथ में लगातार ब्लैकमेल भी कर रहा था. अंजना ने बताया कि उस ने जगदीश को सारी स्थिति बता दी थी कि अब किसी स्थिति में वह उसे और पैसे नहीं दे सकती, लेकिन जगदीश के मन में इतना जहर भरा था कि वह हर हाल में उस से पैसे चाहता था.

इसी दौरान अंजना को पता चला कि जगदीश उस की तरह और भी कई लड़कियों का शारीरिक ही नहीं बल्कि आर्थिक शोषण कर रहा है, तब उस ने उस के खिलाफ कानून की मदद लेने का फैसला किया. और फिर इस के अलावा उस के पास कोई रास्ता नहीं बचा था. इसलिए वह शिकायत ले कर आईजी राकेश गुप्ता के पास पहुंची थी. इस संबंध में जांच अधिकारी रेखा वर्मा का कहना है कि तथाकथित पत्रकार जगदीश परमार के खिलाफ पुख्ता सबूत इकट्ठे हो गए हैं. उस का मोबाइल और लैपटाप भी बरामद कर के जांच के लिए भेज दिया गया है.

जगदीश परमार से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे न्यायालय में पेश कर के पुलिस ने उसे न्यायिक हिरासत में पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित और कथा में अंजना नाम परिवर्तित है.

 

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