Love Crime Stories : लालची स्वभाव की काजल ने अपने जीजा आशुतोष राजपूत उर्फ प्रिंस के दोस्त आयुष गुप्ता से दोस्ती कर नजदीकियां तो बढ़ा लीं, लेकिन उसे इस के अंजाम की तनिक भी आशंका नहीं थी. फिर एक दिन इस का ऐसा खौफनाक नतीजा सामने आया कि…

सर्दी बहुत ज्यादा थी. हो भी क्यों न, जनवरी का सर्द महीना जो था. इस मौसम में धूप बहुत अच्छी लगती है, लेकिन सूरज के भी खुल कर दीदार नहीं हो पा रहे थे. गलियां ऐसे मौसम में बेरौनक हो जाती हैं क्योंकि ज्यादातर लोग घरों के दरवाजे बंद कर के रोजमर्रा का काम करते हैं. शाहजहांपुर के गदियाना मोहल्ले में रहने वाले आशुतोष राजपूत उर्फ प्रिंस उर्फ बबुआ की साली काजल इस सर्द मौसम में उस के यहां आई हुई थी, किंतु ठंड ने उसे रजाई में दुबका कर बिठा दिया था. दिन के 11 बज रहे थे. काजल नित्य कर्म से फारिग होने के बाद रजाई में आ कर बैठ गई थी. वह मोबाइल में यूट्यूब देखने में खोई हुई थी.

 

कमरे में उस की बहन पलक चाय की ट्रे ले कर आई तो काजल को रजाई में दुबकी देख कर मुसकरा पड़ी, ”तुम तो घूमने के इरादे से आई थी काजल .’’

”सर्दी बहुत है दीदी, बिस्तर से पांव नीचे रखने की हिम्मत नहीं हो रही है, तुम घूमने की बात कह रही हो.’’ काजल ठिठुरन भरे लहजे में बोली.

”चाय लो, शरीर में स्फूर्ति और गरमी आ जाएगी.’’ चाय का प्याला काजल की ओर बढ़ाते हुए पलक बोली.

”चाय भी कुछ ही देर के लिए गरमी देती है दीदी.’’

”तो किसी पुरुष से दिल लगाओ न, शरीर से ठंडी उडऩछू हो जाएगी.’’ काजल की बात काट कर पलक ने हंसते हुए कहा.

काजल और पलक दोनों बहनें जरूर थीं, लेकिन एक साथ रहते हुए दोनों हर तरह की बातें दिल खोल कर करती थीं.

”ओह!’’ काजल ने पलकें झपकाईं, ”यह मंत्र तुम ने शादी के बाद सीखा है क्या दीदी?’’

”अरी नहीं.’’ पलक झेंप गई, ”मैं ने सुना है. वैसे इस दिल लगाने का मेरी नजर में यह मतलब निकलता है कि दिल लगाने से नारी का मन पुरुष के खयालों में ही उलझा रहता है. उस से कहां मिलना है, कब मिलना है, इसी में उलझी नारी अपने अंदर ठंड का अहसास नहीं करती या यूं समझ लो ठंड उस के पास नहीं फटकती.’’

”यह तो मैं मान सकती हूं दीदी, ठंड को महसूस किया जाए या याद किया जाएगा तो वह हमें आ कर चिपकेगी. मन इधरउधर लगा रहेगा तो ठंड का अहसास ही नहीं होगा. किंतु ठंड का अहसास न हो इस के लिए पुरुष से ही दिल क्यों लगाया जाए, कुछ और भी तो किया जा सकता है.’’

”पुरुष की कंपनी मिलेगी तो हम लंबे समय के लिए बिजी हो सकते हैं. दूसरा काम तो शुरू किया और घंटे 2 घंटे में खत्म.’’

”यह बात तो है दीदी.’’

”तो फिर निकलो रजाई से और किसी सुंदर, सजीले पुरुष की तलाश करो, जिस से तुम दिल लगा सको.’’

”तुम मुझे यह सलाह दे रही हो दीदी?’’ काजल से पलकें झपकाईं.

”क्या हुआ, आज का मौडर्न जमाना है, तुम अपने लिए बौयफ्रैंड चुन लोगी तो मम्मीपापा और हमारी टेंशन भी दूर हो जाएगी. हम तुम्हारी उस लड़के से शादी कर देंगे.’’

”शादी न कर के मैं उस के साथ फुर्र हो गई तो..?’’ काजल ने आंखें नचा कर कहा.

”तो और भी अच्छा होगा. हमारा शादी का खर्चा बच जाएगा.’’ पलक ने कहा और हंस पड़ी, ”मैं जानती हूं तुझे, तू ऐसा कदम नहीं उठाएगी.’’

”क्यों नहीं उठाऊंगी?’’

”क्योंकि तू हम लोगों से प्यार करती है.’’ पलक ने मुसकरा कर कहा.

काजल थोड़ी देर खामोश रही फिर बोली, ”दीदी, तुम सचमुच कह रही हो न कि मुझे कोई बौयफ्रैंड ढूंढना चाहिए?’’

”हां.’’ पलक ने सिर हिलाया, ”इस में गलत क्या है, तू जवान हो गई है, तुझे अपने लिए हैंडसम लड़का ढूंढ लेना चाहिए. हां, यह याद रखना, लड़का हैंडसम ही न हो, उस की जेब मे माल भी होना चाहिए. यानी दौलतमंद लड़का हो.’’ काजल ने होंठों को गोल दायरे में सिकोड़ कर सीटी बजाई.

”ऐसा एक लड़का मैं ने यहीं गौटिया मंदिर में कल ही देखा था. शाम को जब मैं माथा टेकने मंदिर गई थी तो वह वहां मुझे नजर आया था.’’

”तूने कैसे भांप लिया वह दौलतमंद है?’’

”उस के पास बढिय़ा बाइक थी. उस ने मंदिर के बाहर बैठे गरीबों को 50-50 रुपए का दान भी दिया.’’

”शक्लसूरत से कैसा है तेरा वह दौलतमंद?’’ पलक ने मुसकरा कर पूछा.

”दुबलापतला है, खूबसूरत भी है. कहो तो मैं उस का आज नामपता मालूम कर आऊं!’’

”कर ले.’’ पलक ने हरी झंडी दे दी, ”लड़का अच्छा हुआ तो तेरे लिए हम रिश्ते की बात कर लेंगे.’’

”ठीक है, मैं आज शाम को मंदिर हो कर आऊंगी. अब तुम मुझे बढिय़ा खाना बना कर खिलाओ दीदी. पेट में चूहे दौडऩे लगे हैं.’’

”बनाती हूं, सब्जी पक रही है. बस वह तैयार होते ही रोटियां बना कर परोस दूंगी.’’ पलक ने कहा और कप ट्रे में रख कर वह कमरे से बाहर निकल गई.

आयुष गुप्ता को फांसने के लिए काजल ने चुना अनोखा तरीका

काजल ने जिस लड़के को गौटिया मंदिर में देखा था, उस का नाम आयुष गुप्ता था. उस के पापा दिलीप कुमार गुप्ता काफी पैसे वाले थे. उन का टेंट का बड़ा कारोबार था, जिस की देखभाल की जिम्मेदारी उन्होंने बेटे आयुष के कंधे पर डाल दी थी. अब आयुष ही टेंट के कारोबार को देखता था. आयुष बहुत सीधा और धार्मिक प्रवृत्ति वाला इंसान था. वह रोज मंदिर जाता था और गरीबों को खाना खिलाने के लिए रुपयों का दान करता था. काजल ने अपनी बहन पलक के कहने पर उसी शाम मंदिर में जा कर आयुष के बारे में वहां के गरीब लोगों से मालूम कर लिया था. गरीब लोग आयुष को काफी समय से पहचानते थे. उन्होंने ही बताया था कि आयुष गुप्ता बगैर नागा किए इस मंदिर में शाम को जरूर आता है.

काजल ने दूसरी शाम आयुष की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए बहुत खूबसूरत नाटक किया था. वह शाम को शाल ओढ़ कर उन गरीब लोगों की पंगत में जा कर बैठ गई थी, जो आयुष से कुछ पाने की आस में रोज कतार लगा कर मंदिर की सीढिय़ों पर बैठ जाते थे. आयुष अपने समय पर मंदिर में आया तो उस के हाथ में पूजा की टोकरी थी, जिस में फूल और पूजा करने के लिए धूपबत्ती, माचिस, चंदन आदि था. आयुष ने मंदिर में जा कर पहले पूजा की, फिर खाली टोकरी ले कर वह बाहर सीढिय़ों की ओर आ गया.

सीढिय़ों पर गरीब लोग कतार में उसी का इंतजार करते बैठे रहते थे. आयुष ने जेब से रुपए निकाल कर सभी को 50-50 रुपए देने शुरू किए और कतार की अंतिम छोर तक आ गया. यहां बैठी काजल ने हथेली ऊपर उठा कर आयुष की तरफ देखा. आयुष उस की खूबसूरती देख कर क्षण भर को चौंका, फिर सिर झटक कर उस ने 50 रुपए का नोट काजल की तरफ बढ़ाया, ”लो, इस से अपने लिए खाना खरीद लेना.’’

”मुझे यह रुपए नहीं चाहिए,’’ काजल ने गंभीर स्वर में कहा.

”तो क्या चाहिए?’’ आयुष ने हैरानी से पूछा.

”मुझे आप चाहिए. संपूर्ण रूप से.’’ बेझिझक काजल ने कह दिया.

”क्या कह रही हैं आप?’’ आयुष चौंकता हुआ बोला.

”जो आप ने सुना है. मैं चाहती हूं आप मुझे 50 रुपए का दान न दें, बल्कि पूर्णरूप से मुझे मिल जाएं.’’

”आप को मालूम है आप क्या मांग रही है?’’

”हां. यही पाने के लिए तो मैं भी आप की तरह रोज इस मंदिर में आ कर माथा टेकती हूं. मैं आप को पाना चाहती हूं, आयुष बाबू.’’

”खड़ी हो जाइए,’’ आयुष ने गंभीर हो कर कहा.

काजल खड़ी हो गई. आयुष ने उस की सुंदरता को ऊपर से नीचे तक निहारा, फिर बोला, ”आप को विश्वास है, आप जो मांग रही हैं, वह आप को मिल जाएगा?’’

”मैं दान पाने वालों की लाइन में बैठी हूं. यह दान देने वाले की इच्छा पर डिपेंड करता है कि वह मुझे दान दे सकेगा या नहीं.’’

”आप बहुत होशियार हैं, आप की मंशा पूरी कर के कोई भी धन्य हो जाएगा. मैं तो बहुत तुच्छ हूं.’’

”आप समर्थ हैं आयुषजी.’’ काजल गंभीर हो गई, ”आप मेरी मनोकामना पूरी कर सकते हैं.’’

”लेकिन मैं आप के बारे में कुछ नहीं जानता हूं.’’ आयुष गंभीर स्वर में बोला, ”आइए, वहां सामने चाय का स्टाल है, वहीं बैठ कर एकदूसरे को करीब से जान लेते हैं.’’

आयुष से दोस्ती कर गदगद क्यों हुई काजल

काजल आयुष के साथ चाय के स्टाल पर आ गई. दोनों वहां कोने की मेज के सामने की कुरसियों पर आ कर बैठे. आयुष ने चाय बिसकुट का और्डर दिया.

”क्या नाम है आप का?’’ आयुष ने पूछा.

”मेरा नाम काजल है.’’

”कहां रहती हो?’’

”मैं यहां अपने जीजा के पास रहती हूं. वह मोहल्ला गदियाना, सदर बाजार थाना क्षेत्र में रहते हैं.’’

”गदियाना में..?’’ आयुष चौंका, ”क्या नाम है आप के जीजा का?’’

”आशुतोष राजपूत उर्फ प्रिंस उर्फ बबुआ.’’

”क्याऽऽ’’ आयुष हैरानी से बोला, ”आप प्रिंस की साली हैं? अरे! वह तो मेरा फ्रेंड है. वाह! क्या अजीब संयोग है, प्रिंस से दोस्ती थी, अब उस की साली साहिबा मेरी जिंदगी में एंट्री कर रही हैं.’’

”ओह! आप मेरे जीजा के फ्रेंड हैं. यह तो और अच्छी बात हो गई.’’ काजल हंस पड़ी, ”अब तो आप मुझे अपना बनाने का मेरा प्रस्ताव मंजूर कर लेंगे न?’’

”बेशक!’’ आयुष हंस कर बोला, ”आप सुंदर हैं, हसीन हैं, आप का प्रस्ताव मैं कैसे ठुकरा दूं.’’ आयुष ने हाथ आगे बढ़ाया. काजल ने मुसकरा कर अपना हाथ आयुष के हाथ में दे दिया.

आयुष से दोस्ती हो जाने के बाद काजल बहुत खुश हुई.

यह बात जब उस ने अपनी बहन पलक को बताई तो उस ने भी काजल की पसंद की सराहना की क्योंकि आयुष एक अमीर बिजनैसमैन का बेटा था.

धीरेधीरे काजल और आयुष के बीच दोस्ती का दायरा बढ़ता गया. हालांकि आयुष शादीशुदा था, इस के बावजूद उस का काजल के साथ चक्कर चल गया. वह उसे अपनी गाड़ी से इधरउधर घुमाता और शौपिंग कराता था. काजल और पलक दोनों बहनें लालची स्वभाव की थीं, इसलिए कभीकभी काजल Love Crime Stories अपनी बहन पलक को भी आयुष के साथ घूमने के लिए बुला कर ले जाती थी. आयुष दोनों बहनों को शौपिंग कराता और महंगे रेस्टोरेंट में खाना खिलाता था.

दिनदहाड़े आयुष को किस ने मारी गोली

उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के थाना सदर बाजार में 2 दिसंबर, 2024 की दोपहर बाद कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि ओसीएफ रामलीला मैदान में 2 गुटों में जम कर मारपिटाई हुई है, जिस में एक पक्ष के युवक को गोली मार दी है. मौका मुआयना किया जाए. एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह ने इस सूचना को रोजनामचे में दर्ज कर के अपनी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर कूच कर दिया. पुलिस जब ओसीएफ रामलीला मैदान पहुंची तो वहां कुछ लोगों की भीड़ नजर आ रही थी. इन्हीं में उस युवक के घर वाले भी थे, जिस को गोली मार देने की सूचना कंट्रोल रूम से दी गई थी.

एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह ने पास जा कर देखा तो जमीन पर एक 24-25 साल का युवक खून से लथपथ औंधा पड़ा हुआ था. उस की खोपड़ी के पीछे वाले भाग पर एक छोटा सा सुराख नजर आ रहा था, जिस में से गाढ़ा खून बह कर उस के कपड़ों को रंग रहा था. चूंकि खून गाढ़ा हो चुका था, इस से अनुमान लगाया गया कि युवक के सिर में जो गोली मारी गई है, उसे बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. युवक के शरीर में प्राण नहीं रह गए थे. वह इस दुनिया को छोड़ चुका था. युवक के पास 2-3 युवक, एक बुजुर्ग दंपति और कुछ महिलाएं थीं. बुजुर्ग और एक महिला दहाड़ें मार कर रो रहे थे. शायद ये दोनों इस मृत युवक के मम्मीपापा हो सकते थे.

”आप लोग इस के पास से हट जाइए. हमें अपनी काररवाई करने दीजिए.’’ एसएचओ ने गंभीर स्वर में कहा.

यह सुनने के बाद फैमिली वाले उठ कर युवक के शव के पास से दूर खड़े हो गए. एसएचओ सुरेंद्र पाल अपनी जांच में जुट गए. उन्होंने युवक की नब्ज टटोली तो वह थम चुकी थी. युवक के शरीर पर चोट के भी निशान नजर आ रहे थे, लग रहा था उसे पहले जम कर पीटा गया है. मृतक का अच्छी तरह मुआयना कर लेने के बाद एसएचओ ने सब से पहले एसपी राजेश एस. को इस घटना की सूचना दे दी.

इस के बाद एसएचओ मृतक के फैमिली वालों के पास आए. वह अभी भी जारजार रो रहे थे.

”यह युवक आप का क्या लगता था?’’ एसएचओ ने सहानुभूति से पूछा.

”यह मेरा बेटा है साहब.’’ बुर्जुग व्यक्ति रोते हुए बोला, ”इस का मैं अभागा बाप हूं. मेरा नाम दिलीप कुमार गुप्ता है और यह मेरी पत्नी रानी गुप्ता है. आयुष मेरा एकलौता बेटा था, जिसे उन लोगों ने मार डाला.’’

”आप बताएंगे, आप के बेटे का किन लोगों से झगड़ा हुआ था और इस झगड़े का कारण क्या रहा था.’’

”साहब, मेरा बेटा बहुत सीधासादा था. उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. इस को जिस व्यक्ति ने मारा है, उस का नाम प्रिंस है. नामालूम उस ने मेरे बेटे की जान क्यों ली है.’’

”यह हम मालूम कर लेंगे, आप यहां की काररवाई पूरी हो जाने के बाद रिपोर्ट दर्ज करवा देना. हम आरोपियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेंगे.’’

”जी साहब, मैं चाहता हूं कि मेरे बेटे के कातिल को फांसी की सजा मिले.’’ दिलीप कुमार रोते हुए बोला.

”ऐसा ही होगा.’’ एसएचओ गंभीर हो गए.

चूंकि एसपी राजेश एस फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट और फोटोग्राफर्स की टीम के साथ वहां आ गए थे, इसलिए एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह मृतक के फैमिली वालों के पास से हट गए और एसपी साहब के पास आ गए. उन्होंने एसपी साहब को सैल्यूट किया और युवक के शव को दिखा कर बोले, ”सर, इस युवक के सिर में गोली मारी गई है. इस के फादर दिलीप कुमार गुप्ता का कहना है कि इसे प्रिंस नाम के व्यक्ति ने गोली मारी है.’’

एसपी साहब युवक के शव के पास आए और उस का मुआयना करने लगे. थोड़ी देर बाद उन्होंने फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और फोटोग्राफर्स को अपनी काररवाई करने का इशारा कर दिया.

”इस युवक के सिर में गोली मारी गई है सिंह साहब, आप मालूम कीजिए ये कौन हैं और उन्होंने यह कदम क्यों उठाया है. मुझे आप जांच कर कल तक रिपोर्ट देंगे.’’ एसपी साहब बोले.

”ठीक है सर.’’ एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह ने सिर हिला कर कहा.

सीसीटीवी में कैद हुए हत्यारे

एसपी राजेश एस. एसएचओ को कुछ हिदायतें दे कर घटनास्थल से चले गए. उन्होंने वहां मौजूद कुछ चश्मदीदों से घटना के बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि यहां 2 गुटों का आपस में झगड़ा हुआ था. एक पक्ष के लोग कुछ ज्यादा थे. सभी लाठीडंडों से लैस थे. वही इस युवक के गुट पर भारी पड़ गए थे. उन्होंने भगदड़ मचने पर इस युवक को पीछे से गोली मारी. गोली लगते ही यह नीचे गिर कर तड़पने लगा तो सब भाग गए. उन सभी के नाम वह नहीं बता पाए. जब युवक के पास से सबूत एकत्र करने का काम पूरा कर लिया गया तो शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया.

वहां पुलिस की ड्यूटी लगा दी गई ताकि सबूत नष्ट करने की कोई कोशिश न हो. एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह वापस थाने लौट आए. उन के साथ युवक के पापा दिलीप कुमार गुप्ता भी थे. मृतक आयुष के पापा दिलीप कुमार गुप्ता शाहजहांपुर के ही रहने वाले आशुतोष राजपूत उर्फ प्रिंस उर्फ बबुआ, उस की पत्नी पलक, साली काजल के अलावा स्वप्निल शर्मा, निशांत मिश्रा, अरविंद वर्मा, अनमोल सक्सेना, शेखर मौर्य, अनुज सिंह, आर्यन सिंह, पीयूष राठौर, कमल, मोहम्मद आदिल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने इन के खिलाफ बीएनएस की धारा 191 (2), 191 (3), 190/61 (2), 103 (1) के तहत मामला दर्ज कर लिया.

मुख्य अभियुक्त आशुतोष राजपूत को बनाया गया था, जो सत्यपाल का बेटा था. यह मोहल्ला गदियाना में रहता था. शेष अभियुक्तों के बारे में विवेचना कर के ही मालूम किया जाना था. एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह ने एसपी राजेश एस को दूसरे ही दिन यह जानकारी दे दी. उन्होंने एएसपी (सिटी) के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित कर दी, जिस में सीओ (सिटी) पंकज पंत, एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह, एसआई दिलशाद खां, प्रदीप शर्मा, अहसान अली, दिनेश कुमार, जगेंद्र प्रताप सिंह, कांस्टेबल मोनू चौधरी, आकिब सैफी, अंकित धाना और विनीत कुमार को शामिल किया गया.

इस टीम को सब से पहले प्रिंस के खिलाफ ठोस सबूत एकत्र करने थे. 2 दिसंबर, 2024 को दिनदहाड़े ओसीएफ रामलीला मैदान में यह घटना घटी थी. इस घटना में कौनकौन लोग शामिल थे, यह जांच कर के ही मालूम किया जाना था. पुलिस टीम ने इस की जांच रामलीला Love Crime Stories ग्राउंड से ही शुरू की. रामलीला ग्राउंड में कई सीसीटीवी लगे हुए थे. जाहिर था यह घटना उन सीसीटीवी में रिकौर्ड हुई होगी. यही बात ध्यान में रख कर पुलिस टीम रामलीला ग्राउंड में पहुंच गई.

वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक करने का काम शुरू हुआ तो बहुत कुछ स्पष्ट होता गया. सीसीटीवी कैमरों ने यह रिकौर्ड कर लिया था कि 2 दिसंबर की दोपहरी में वहां क्या कुछ घटित हुआ था. उन फुटेज में 2 गुट वहां दिखाई दिए थे. पहले से एक गुट के लोग वहां मोर्चा संभाले नजर आ रहे थे. मृतक युवक आयुष गुप्ता बाद में अपने साथ 5-7 युवकों के साथ पार्क में पहुंचता दिखाई दिया. पहले से वहां मौजूद युवकों के पास लाठीडंडे थे.

आयुष जब वहां पहुंचा तो एक 25-26 साल का युवक उस के पास आया था. उस के साथ 3-4 अन्य युवक थे. पास आ कर उस ने आयुष से कुछ कहा था. फिर आयुष के साथ धक्कामुक्की शुरू कर दी थी. वह युवक बहुत गुस्से में था. आयुष के साथ आए युवकों ने बीचबचाव करना चाहा था, तब उन में मारपिटाई शुरू हो गई थी. लाठीडंडे चलते दिखाई दे रहे थे. सभी एकदूसरे से गुत्थमगुत्था हो रहे थे. फिर आयुष का दल भागता दिखाई दिया. आयुष एक बाइक पर बैठने की कोशिश में उस के पीछे दौड़ रहा था, तभी उसे किसी व्यक्ति ने गोली मार दी थी. आयुष को वहां बुलाने वाला दूसरे दल का लीडर कौन था, यह अनुमान लगाया जा रहा था. उस की पहचान के लिए दिलीप कुमार गुप्ता को वहां पर बुलवाया गया.

उन्हें जब सीसीटीवी की फुटेज दिखाई गई तो उन्होंने पहचान कर बताया, ”साहब, यह पतला सा युवक प्रिंस राजपूत है. दूसरा युवक अरविंद वर्मा, तीसरा पीयूष राठौर है. यह मोहल्ला जलाल नगर बजरिया, थाना सदर बाजार में रहता है. मैं अन्य को नहीं पहचानता.’’

”हमारे हाथ प्रिंस आ गया तो सभी के नाम सामने आते जाएंगे.’’ सीओ (सिटी) पंकज पंत बोले, ”फिलहाल हमें अपना ध्यान प्रिंस के ऊपर केंद्रित करना है. उसे गिरफ्तार करना जरूरी है.’’

सीसीटीवी कैमरों की फुटेज ले कर पुलिस टीम थाने लौट आई. प्रिंस को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर दबिश दी गई तो वह घर से फरार मिला. पुलिस ने उस के घर पर गुप्तरूप से निगरानी के लिए एक पुलिसकर्मी को लगा दिया.

डैडबौडी रख कर ढाई घंटे तक क्यों किया हाइवे जाम

4 दिसंबर, 2024 को फैमिली वालों को जिला अस्पताल से आयुष गुप्ता का शव पोस्टमार्टम के बाद मिल गया. चूंकि अभी तक पुलिस उस की हत्या में शामिल नामजद अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर पाई थी, इसलिए आयुष के फैमिली वालों में काफी गुस्सा था. उन्होंने आयुष की डैडबौडी शाहजहांपुर-पीलीभीत हाइवे पर रख कर जाम लगा दिया. पुलिस ने उन्हें समझाया और सड़क को सुचारू रूप चलने देने के लिए शव हटा कर उस का अंतिम संस्कार करने को कहा तो वे लोग नहीं माने. उन की एक ही मांग थी कि पुलिस पहले हत्यारों को गिरफ्तार करे, तभी आयुष का अंतिम संस्कार होगा.

मौके पर डीएम प्रवेंद्र सिंह और सीओ (सिटी) पंकज पंत भी वहां आ गए, लेकिन आयुष के फैमिली वाले नहीं माने. जाम बढऩे लगा, तब पुलिस ने आलाधिकारियों को फोन किया तो एसपी राजेश एस स्वयं घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने फैमिली वालों को आश्वासन दिया कि 24 घंटे में वह मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल पहुंचा देंगे. उन के समझाने पर ढाई घंटे बाद वह आयुष की डैडबौडी को राजमार्ग से हटाने पर राजी हुए. फिर आयुष के शव का विधिविधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया.

उसी शाम को आशुतोष राजपूत उर्फ प्रिंस उर्फ बबुआ, आर्यन उर्फ शुभांकर व काजल को गिरफ्तार कर लिया गया. इन से पूछताछ करने पर 11 अन्य लोगों के नाम सामने आए. पुलिस ने प्रिंस से वह तमंचा और 2 कारतूस भी हासिल कर लिया, जिस से आयुष की खोपड़ी में गोली मारी गई थी. आयुष को उस की प्रेमिका काजल, जो प्रिंस की साली लगती थी, उस के द्वारा झूठ बोल कर ओसीएफ रामलीला ग्राउंड में बुलवाया गया था. काजल ने आयुष से कहा था कि वह वहां पर उस का इंतजार कर रही है. लेकिन आयुष को दाल में कुछ काला लगा था, क्योंकि एक दिन पहले ही उस की प्रिंस से झड़प हो गई थी.

दरअसल, प्रिंस और आयुष गुप्ता दोस्त थे, लेकिन प्रिंस ने उसे पहली दिसंबर, 2024 को अपनी पत्नी पलक और साली काजल के साथ आयुष को नैशनल हाइवे पर एक ढाबे से एक साथ बाहर निकलते देख लिया था. यह देख कर वह आयुष पर आगबबूला हो कर बोला था, ”तेरी हिम्मत कैसे हो गई मेरी पत्नी और साली को इस ढाबे में लाने की. मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा. तू कल ओसीएफ ग्राउंड में आना, वहां देखूंगा तुझे.’’

इसी धमकी की वजह से 5-7 लड़के ले कर दोपहरी में ओसीएफ रामलीला ग्राउंड में आयुष गया था, लेकिन वहां प्रिंस ने पहले से 12-13 लड़के इकट्टे कर रखे थे, जिन्होंने आयुष को घेर कर मारना शुरू कर दिया था. आयुष घबरा कर अपने साथियों के साथ भागने लगा था, तब पीछे से उस की खोपड़ी में गोली मार दी गई थी. जिस से आयुष की मौके पर ही मौत हो गई थी. पुलिस टीम के सामने 14 लोगों के नाम सामने आए तो एसपी राजेश एस. ने 4 पुलिस टीमें बना कर शेष अभियुक्तों को पकडऩे का आदेश दे दिया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने मोहित, अमन खां, पीयूष राठौर को पकड़ कर जेल भेज दिया था.

अन्य फरार अभियुक्तों में हिंदू युवा वाहिनी का पूर्व जिलाध्यक्ष स्वप्निल शर्मा, शेखर मौर्या, अनमोल सक्सेना और अनुज भी हैं. पुलिस टीमें इन्हें पकडऩे के लिए पूरा जोर लगाए हुए थीं. इन की गिरफ्तारी पर एसपी ने 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया. उम्मीद है कि ये लोग भी शीघ्र पुलिस के हत्थे चढ़ जाएंगे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...