Top 5 Cyber Crime Story  : आजकल साइबर क्राइम बहुत तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण कई लोग इसका शिकार भी बने है और कुछ लोगो को जान गंवानी पढ़ी. तो खुद को इस ठगी और धोखाधड़ी से बचाने के लिए और समाज को इस साइबर क्राइम से जागरूक करने के लिए पढ़ें ये Top 5 Cyber Crime Story in Hindi में पढ़े.

साइबर फ्रौड से बचने के लिए किए जा रहे तमाम सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. देश भर में साइबर फ्रौड की घटनाएं आए दिन बढ़ती जा रही हैं. साइबर क्रिमिनल्स लोगों को अलगअलग तरीकों से अपना शिकार बना रहे हैं. पुलिसिया सिस्टम आखिर इस पर अंकुश लगाने में नाकाम क्यों है?

राजस्थान के जोधपुर में प्रभाव नगर के रहने वाले नरेश कुमार बैरवा अपने मोबाइल में सोशल मीडिया साइट्स पर बिजी थे, तभी उन के पास एक फोन काल आई तो उन का ध्यान उधर चला गया. नरेश कुमार ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ”मैं सीबीआई औफिस से बात कर रहा हूं. अगस्त महीने में आप के आधार कार्ड द्वारा जो सिम कार्ड लिया गया है, उस मोबाइल नंबर का इस्तेमाल मुंबई में मनी लांड्रिंग में हुआ है.’’

”लेकिन सर, मैं तो पिछले 20 सालों से मुंबई गया ही नहीं हूं, फिर यह कैसे संभव है.’’ नरेश कुमार घबराते हुए बोले.

”ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत करो, जो पूछा जाए, उस का सहीसही जबाब दो. लो, हमारे सर से बात करो.’’ फोन करने वाले ने धमकाते हुए कहा.

”हमारे रिकौर्ड के मुताबिक आप का मोबाइल नंबर मनी लांड्रिंग केस में उपयोग हुआ है. सचसच बताइए, नहीं तो हमारी टीम जल्द ही आप के बैंक अकाउंट और प्रौपर्टी की जांच करने आप के घर पहुंच रही है.’’ दूसरे व्यक्ति ने कड़क आवाज में कहा.

”लेकिन सर… मेरी बात तो सुनिए…’’

”हमें कुछ नहीं सुनना, अपने बैंक अकाउंट के नंबर और उस में जमा पैसों का पूरा विवरण दो. तुम्हें पता नहीं इस मामले में बड़े लोग जुड़े हुए हैं और वो तुम्हारी जान भी ले सकते हैं, इसलिए जो कहा जा रहा है, वो करो. एक बात और ध्यान से सुनो कि काल डिस्कनेक्ट नहीं करना.’’ जान का खतरा होने का डर दिखाते हुए फोन करने वाले व्यक्ति ने कहा.

नरेश कुमार बुरी तरह डर गए और अपनी बैंक डिटेल्स उन्होंने फोन करने वाले लोगों को बता दी. यह घटना 25 नवंबर, 2024 की थी. अगले दिन 26 नवंबर की सुबह सीबीआई औफिसर बन कर मनी लांडिंग का केस बताया और फरजी सेटअप लगा कर नरेश कुमार से पूछताछ शुरू कर दी. पूछताछ के नाम पर सीबीआई अफसर बताने वाले अधिकारी ने कहा, ”आप के बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपया आया है. यह पैसा बैंक मैनेजर ने गलती से आप के अकाउंट में ट्रांसफर किया है. बैंक स्टेटमेंट में इस की एंट्री भी आप को दिखाई नहीं देगी.’’

”लेकिन सर, मुझे तो इस की कोई जानकारी ही नहीं है, किस ने मेरे अकाउंट में रुपए भेजे हैं?’’

अफसर ने झांसा देते हुए कहा, ”अगर इस पूरे मामले में आप का इन्वौल्वमेंट नहीं है तो आप को डरने की कोई जरूरत नहीं है. यदि आप देशभक्त हो तो इस तरह की ठगी को ले कर आप को सहयोग करना होगा, जिस से गलत ट्रांजैक्शन करने वाले बैंक मैनेजर के खिलाफ काररवाई की जा सके.’’

इस के बाद नरेश कुमार को रिजर्व बैंक औफ इंडिया के नाम से एक फार्म औनलाइन भेजा गया और उस पर साइन करवाए गए. इस में यह लिखवाया कि यदि इस में मेरा इन्वौल्वमेंट नहीं होता है तो मेरी पूरी जमापूंजी 24 घंटे में रिटर्न कर दी जाएगी. अगले 3 दिन अफसरों ने नरेश कुमार से अलगअलग धनराशि के 11 चैक बनवा लिए, जिस में कुल जमा रुपए एक करोड़ 84 लाख 50 हजार थी. नरेश कुमार चैक जमा कराने घर से 2 किलोमीटर दूर स्टेट बैंक औफ इंडिया (स्क्चढ्ढ) की ब्रांच में जाते रहे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह बात किसी को बताई तो जांच में समस्या आ सकती है और असली आरोपी अलर्ट हो सकता है. इसी वजह से वह चुपचाप बैंक में चैकजमा करवा कर लौट आते.

61 साल के नरेश कुमार बैरवा इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम करते थे. लगातार स्वास्थ्य खराब रहने से साल 2020 में उन्होंने वीआरएस ले लिया था. रिटायरमेंट पर उन्हें बड़ी रकम विभाग की तरफ से मिली थी. नरेश कुमार जोधपुर में किराए के मकान में रह कर अपना इलाज करवा रहे थे. तथाकथित अफसरों के बताए अनुसार नरेश 24 घंटे बाद रुपया अकाउंट में वापस आने का इंतजार करते रहे, लेकिन 30 नवंबर तक जब पैसा वापस नहीं आया तो नरेश कुमार ने उसी नंबर पर काल कर रुपयों की मांग की तो फिर से उन्हें धमकाया गया और कहा गया, ”आप को अपने भाई का नंबर भी देना होगा. उन की जान को भी खतरा है.’’

परिवार को जान से मारने की धमकी सुन कर नरेश और ज्यादा घबरा गए और अपने भाई का नंबर भी दे दिया. इस के बाद भाई को भी काल कर के कहा कि आप का भाई किसी मुसीबत में फंस गया है. जल्दी नजदीकी थाने जा कर उन की मदद करो. परंतु भाई उस तथाकथित अफसर के झांसे में नहीं आया और फोन काट दिया. इस के बाद भाई ने नरेश से बात कर के  बताया कि ये ठगी करने वाले लोग हैं. तब जा कर उन्हें समझ आया कि उन के साथ साइबर फ्रौड हुआ है. फिर दोनों भाइयों ने थाने जा कर मामला दर्ज करवाया.

विदेश में रहने वाली महिला डाक्टर से कानपुर में ठगी

इसी तरह कानपुर में ग्वालटोली की रहने वाली डा. आभा गुप्ता ने ग्वालटोली थाने में 4 अक्तूबर, 2024 को शिकायत दर्ज कराई कि नौबस्ता में रहने वाले राहुल कटियार, पनकी रतनपुर में रहने वाली नेहा तिवारी और बैंक कर्मचारी रजत सिंह ने उन की बहन के साथ Top 5 Cyber Crime Story फरजीवाड़ा किया है. शिकायत में बताया गया कि तीनों ने विदेश में रहने वाली उन की बहन डा. प्रतिभा रोहतगी के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपए का लोन ले कर हड़प लिया. नेहा तिवारी और राहुल कटियार फाइनैंस सेक्टर में काम करते थे. ये दोनों डा. प्रतिभा का भी अकाउंट देखते थे. इसी का फायदा उठा कर उन्होंने विदेश में रहने वाली डा. प्रतिभा के दस्तावेजों के सहारे डेढ़ करोड़ का लोन करा लिया था.

ग्वालटोली में रहने वाली  92 साल की डा. प्रतिभा रोहतगी ‘आभा नर्सिंग होम’ चलाती थीं. पिछले 4 सालों से वह अल्जाइमर से पीडि़त हैं और इस के चलते उन्होंने पावर औफ अटार्नी अपनी छोटी बहन डा. आभा गुप्ता के नाम पर कर दी थी. इस के बाद से वह कैलिफोर्निया में शिफ्ट हो गईं. उन के ग्वालटोली वाले घर में देखभाल के लिए कुछ कर्मचारी रहते हैं. प्रतिभा के एक कंपनी में शेयर फंसे थे. साल 2021 में उसी सिलसिले में प्रतिभा की मुलाकात राहुल कटियार और नेहा तिवारी से हुई थी. धीरेधीरे दोनों डा. प्रतिभा का फाइनैंस का काम देखने लगे थे.

इन दोनों ने बैंक कर्मचारियों की मदद से प्रतिभा के नाम पर किदवई नगर स्थित एचडीएफसी बैंक में फरजी दस्तावेजों से खाता खुलवा लिया. इस काम में बैंक के कर्मचारी रजत सिंह ने भी उन का साथ दिया, फिर इसी बैंक की दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कालोनी स्थित ब्रांच में औनलाइन खाता खुलवा कर ब्रांच से डेढ़ करोड़ का लोन ले लिया. लोन की यह रकम उन्होंने किदवई नगर वाले खाते में ट्रांसफर करा ली.

इस के बाद जब लोन की किस्तें नहीं भरी गईं तो बैंक से उन के पास नोटिस आ गया. इस के बाद बहन डा. आभा को पूरा मामला समझ आया. उस समय आभा अमेरिका में थी. आभा ने अमेरिका से ही कानपुर के पुलिस कमिश्नर से शिकायत की. पुलिस कमिश्नर ने एसीपी (कर्नलगंज) से गोपनीय जांच कराई तो पूरे खेल का खुलासा हुआ. डा. प्रतिभा रोहतगी के नाम से डेढ़ करोड़ का लोन लेने के बाद शातिरों ने रुपए निकालने के लिए भी बेहद चालाकी भरा रास्ता चुना. आरोपियों ने दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कालोनी स्थित ब्रांच में खाता खुलवाने के बाद रुपए किदवई नगर ब्रांच में खोले गए डा. प्रतिभा के फरजी अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए.

फिर आभा नर्सिंग होम के पास स्थित एक एटीएम से कई बार में पूरे रुपए निकाल लिए, जिस से अगर भविष्य में यह बात खुले तो कह सकें कि डा. प्रतिभा ने ही अपने नजदीकी एटीएम से रुपए निकाले हैं. डा. आभा ने बताया कि बहन प्रतिभा ने साल 2020 में ही पावर औफ एटार्नी मेरे नाम कर दी थी. इस वजह से किसी भी खाते से एक भी रुपए का लेनदेन बिना मेरी इजाजत के नहीं हो सकता. डेढ़ करोड़ की ठगी की मास्टरमाइंड नेहा तिवारी ने अपने पति से भी धोखाधड़ी कर के लाखों रुपए हड़प लिए थे. किदवई नगर में रहने वाले विशाल पांडे से 5 मई, 2018 को नेहा की शादी हुई थी. विशाल को शादी के बाद से ही नेहा की गतिविधियां संदिग्ध लगने लगी थीं.

अलगअलग लोगों से मिलना, पार्टी करना और देर रात घर आना नेहा का शौक बन गया था. उस ने धोखाधड़ी कर के पति से भी लाखों रुपए हड़प लिए तो दोनों के बीच झगड़ा हुआ और नौबत तलाक तक आ गई. नेहा तिवारी ने फरवरी, 2021 में विशाल के खिलाफ दहेज का मुकदमा दर्ज करा दिया. डीसीपी (सेंट्रल) दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि पूछताछ में नेहा ने यह बात कुबूल की है कि ठगी की रकम से उस ने हाईवे पर 2 बीघा जमीन खरीदी और उस पर बड़ा ढाबा खोल दिया. इस में ठगी में शामिल राहुल भी पार्टनर है. नेहा ने ठगी की रकम से अपने भाई के नाम पर भी जमीन खरीदी थी.

2 महीने से कानपुर पुलिस को चकमा दे रही शातिर ठग नेहा तिवारी को आखिरकार पुलिस ने पहली दिसंबर, 2024 को गिरफ्तार कर लिया. नेहा के एक साथी राहुल कटियार को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. नेहा उस का भी फाइनेंस मैनेज करती थी. इन दोनों के साथ एक बैंक कर्मचारी रजत भी शामिल था.

राजस्थान में बुजुर्ग दंपति को लगाई एक करोड़ की चपत

राजस्थान के श्रीगंगानगर साइबर थाने में 16 नवंबर, 2024 को चूनावढ़ क्षेत्र गांव के  रहने वाले बुजुर्ग दंपति 69 वर्षीय जसविंदर कौर पत्नी सोहन सिंह ने भी उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर एक करोड़ रुपए की चपत लगाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. बुजुर्ग दंपति के 2 बेटे हैं. एक बेटा हरप्रीत सिंह कनाडा में और दूसरा बेटा पवनदीप सिंह आस्ट्रेलिया में रहता है. दोनों बेटों के विदेश चले जाने के बाद 3 साल पहले बुजुर्ग दंपति अपनी 32 बीघा जमीन की देखभाल नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने जमीन बेच कर इस के एवज में मिली लगभग एक करोड़ से अधिक रकम अलगअलग बैंक Top 5 Cyber Crime Story अकाउंट्स में जमा कर दी.

15 नवंबर, 2024 को जसविंदर कौर के मोबाइल पर एक कालर ने फोन करते हुए खुद को दिल्ली में सीबीआई अधिकारी बताते हुए परिचय दिया. उस ने धमकाते हुए कहा, ”आप के बैंक अकाउंट्स में फरजी तरीके से काफी धनराशि जमा हुई है. जमा के संबंध में सीबीआई की ओर से केस दर्ज किया जा रहा है.’’ तकरीबन घंटे भर की बातचीत में बुजुर्ग दंपति को उलझा कर सीबीआई अफसर बने कालर ने बातचीत के दौरान फैमिली के सदस्यों के बारे में पूरी डिटेल्स मांग ली.

बैंकिंग के बारे में बुजुर्ग दंपति को ज्यादा जानकारी नहीं थी. इसी का फायदा उठाते हुए जालसाज ने 16 नवंबर को उन्हें बारबार फोन किया और धमकी दी कि अगर उन्होंने अपनी पूरी जमा राशि 3 अलगअलग खातों में ट्रांसफर नहीं की और पुलिस को इस की वास्तविकता सत्यापित करने की परमिशन नहीं दी तो उन्हें 7 साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा. जालसाज ने उन्हें भरोसे में लेते हुए कहा, ”अगर जांच में यह पाया गया कि आप के अकाउंट में जमा यह रकम जैनुइन तरीके से कमाई की है तो कुछ दिनों के भीतर यह रकम आप के खाते में सुरक्षित रूप से रिफंड कर दी जाएगी.’’

अगले दिन इस कालर ने एक बैंक अकाउंट भी दिया. यह अकाउंट भोपाल के शाहपुरा के बैंक का था. उस के बताए अनुसार उन्होंने उस अकाउंट में एक करोड़ 5 लाख 59 हजार 960 रुपए जमा करवा लिए. जब इस घटना के बारे में जसविंदर ने अपने परिचितों को बताया, तब उन्हें अपने साथ ठगी होने का अहसास हुआ. मोबाइल फोन पर फरजी सीबीआई अफसर बन क र बुजुर्ग महिला और उस के पति को डिजिटल अरेस्ट कर लगभग एक करोड़ 5 लाख रुपए ठग लिए. जैसे ही उन्हें अहसास हुआ कि वे डिजिटल फ्रौड का शिकार हो गए हैं, उन्होंने मामले की सूचना साइबर सेल को दी. जिस के बाद गंगानगर के एसपी गौरव यादव ने जांच शुरू की. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि भोपाल में 2 बैंक अकाउंट्स में 18 लाख रुपए जमा किए गए थे.

पुलिस टीम ने तुरंत बैंक अधिकारियों से संपर्क किया और खातों को फ्रीज कर दिया, ताकि कोई लेनदेन न हो सके. गंगानगर साइबर थाने में 18 नवंबर को मामला दर्ज होने के बाद आखिरकार साइबर पुलिस ने इस गैंग के 3 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. डीवाईएसपी कुलदीप वालिया और एसआई चंद्रभान की अगुवाई में टीम ने जयपुर से 3 युवकों को दबोचा. जयपुर के सुंदरनगर सांगानेर निवासी अजय प्रजापति, सांगानेर लक्ष्मी कालोनी निवासी मोहित सोनी और दौसा जिले के गांव माहरिया हाल निवासी किशन सिंह राजावत को गिरफ्तार किया. जांच अधिकारी ने बताया कि आरोपी मोहित सोनी ने अपने साथियों से करीब 10-15 हजार रुपए ले रखे थे.

आरोपियों को 6 दिसंबर, 2024 को अदालत में पेश कर 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है. मामला दर्ज होते ही जांच अधिकारी डीवाईएसपी कुलदीप वालिया ने एक करोड़ 5 लाख रुपए डाले गए बैंक अकाउंट की डिटेल्स निकाली तो सामने आया कि यह मध्य प्रदेश में चल रहा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का अकाउंट है.

जांच में सामने आया कि इस अकाउंट में पीडि़त दंपति के एक करोड़ 5 लाख रुपए ही नहीं बल्कि उसी 16 नवंबर को 24 घंटों के दौरान 5 करोड़ 5 लाख 95 हजार रुपए की रकम साइबर फ्रौड के जरिए जमा हुई थी. आप को यह जान कर हैरानी होगी कि साइबर ठगों का यह मकडज़ाल इतना बड़ा है कि खाली इसी केस की स्टडी की तो सामने आया कि ठगी की यह रकम 24 घंटे के भीतर देश के 15 दूसरे राज्यों के 40 जिलों में  80 से अधिक बैंक अकाउंट्स में भेज दी गई. ठगी का यह गेम 24 घंटे के दौरान ही खेला गया.

मोहित ने बताया कि उस ने अपने साथियों की उधारी रकम चुकाने के लिए अपना बैंक अकाउंट आरोपी किशन सिंह को किराए पर दिया था. आरोपी किशन सिंह के कहे अनुसार मोहित के खाते में 5 लाख रुपए जमा हुए थे. इसी प्रकार अजय प्रजापति के बैंक अकाउंट में 5 लाख रुपए जमा किए गए. किशन सिंह ठेकेदारी के रूप में काम करता था. आरोपी उन लोगों को झांसे में लेता था, जो 10-12 लाख रुपए में अपना बैंक अकाउंट किराए पर देते थे.

पढ़ेलिखे लोग ठगों को आसानी से कैसे दे देते हैं करोड़ों रुपए

रूआबांधा सेक्टर भिलाई के रहने वाले इंद्रप्रकाश कश्यप पश्चिम बंगाल के खडग़पुर स्थित रश्मि ग्रुप औफ कंपनीज के वाइस प्रेसिडेंट हैं. 7 नवंबर, 2024 को उन के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से एक वाट्सऐप काल आया. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव किया तो दूसरी तरफ से बात करने वाले शख्स ने कहा, ”मैं टेलीकाम रेग्युलेटरी अथौरिटी औफ इंडिया (ट्राई) से बोल रहा हूं. आप इंद्रप्रकाश बोल रहे हैं न?’’

”हां जी, मैं इंद्रप्रकाश ही बोल रहा हूं.’’ जबाब देते हुए उन्होंने कहा.

”आप के आधार कार्ड से जो सिम ली गई है, उस से 29 लोगों को आपत्तिजनक मैसेज भेजे गए हैं.’’ इस के बाद इसी दौरान उस व्यक्ति ने मुंबई के कथित साइबर ब्रांच के अधिकारी को फोन ट्रांसफर कर दी.

उस अधिकारी ने उन से कहा, ”आप के आधार कार्ड से मलाड मुंबई के केनरा बैंक में एक अकाउंट खोला गया है और उस अकाउंट से करोड़ों रुपए का सस्पेक्टेड ट्रांजैक्शन की गई है. साइबर ब्रांच को उस में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के खाते से भी रुपयों का लेनदेन मिला है. जिस के आधार पर सीबीआई कोलाबा ने एफआईआर की है और सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.’’

इंद्रप्रकाश ये बातें सुन कर डर गए, जिस का फायदा उठा कर आरोपियों ने कहा कि जांच होने तक वे उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं. इस के बाद वह व्यक्ति समयसमय पर वीडियो काल कर उन की गतिविधि पर नजर रखने लगे. फिर इंद्रप्रकाश से कहा गया कि वे एक एसएसए (सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट) खोल रहे हैं, जिस में उन्हें अपने सभी खातों में जमा रुपयों को ट्रांसफर करना होगा, जिसे जांच के 2 दिन बाद उन्हें वापस कर दिया जाएगा. उन को पूरी तरह से अपने जाल में फंसाने के लिए आरोपियों ने उन्हें वीडियो काल पर एक फरजी कोर्ट रूम भी दिखाया, जहां पर जज बन कर बैठे व्यक्ति के सामने उन की पेशी कराई गई. जज बने व्यक्ति ने पीडि़त को डिजिटल अरेस्ट करने का आदेश दिया, जिस के बाद पीडि़त इंद्रप्रकाश कश्यप पूरी तरह से आरोपितों के चंगुल में फंस गए थे.

इंद्रप्रकाश के अकाउंट्स से संबंधित डाक्यूमेंट्स भिलाई में थे तो आरोपियों ने उन्हें भिलाई जाने के लिए कहा. ट्रेन में भी आरोपी उन पर नजर रखे रहे. इस के बाद पीडि़त 11 नवंबर को भिलाई आए और उन के बताए हुए बैंक अकाउंट में 49 लाख एक हजार 190 रुपए ट्रांसफर कर दिए. बाद में जब इंद्रप्रकाश को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने थाने में मामला दर्ज कराया. पुलिस ने इंद्रप्रकाश के मोबाइल पर आने वाले वाट्सऐप नंबरों एवं बैंक अकाउंट के संबंध में जानकारी खंगाल कर काल डिटेल्स निकाली और ठगी में उपयोग किए बैंक अकाउंट्स के स्टेटमेंट प्राप्त कर लिए.

इनवैस्टीगेशन के बाद पता चला कि आरोपी बापू श्रीधर भराड़ ने औरंगाबाद के आईसीआईसीआई बैंक के एक अकाउंट का यूज किया था. इस के बाद पुलिस की एक टीम औरंगाबाद (महाराष्ट्र) भेजी गई, जहां  पहुंच कर पता चला कि अकाउंट का यूज वैष्णवी आटो स्पेयर, दिशा कामर्शियल कौंप्लेक्स बजाज नगर, औरंगाबाद के नाम पर किया गया था.

उक्त कंपनी 4-5 साल पहले तक चल रही थी, वर्तमान में कहीं और चले जाने का पता चला. इस के बाद टीम श्रीधर भराड़ के निवास के एड्रैस अक्षय तृतीया अपार्टमेंट पहुंची, जहां से कोई जानकारी नहीं मिल पाई. आखिर में पुलिस टीम ने बैंक में मोबाइल टावर के डंप डाटा के आधार पर महाराष्ट्र औरंगाबाद बजाज नगर एमआईडीसी आरएल 96/1 निवासी बापू श्रीधर भराड़ (40 वर्ष) को राहेगांव से अरेस्ट कर लिया. उस से अन्य आरोपियों के बारे में पतासाजी करने लगी.

भिलाई के एडीशनल एसपी सुखनंदन राठौर ने बताया कि आरोपी ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उस ने अपने कारपोरेट बैंक अकाउंट को 20 प्रतिशत के कमीशन पर जालसाजों को दिया था और उस व्यक्ति का नाम बताया तथा यह भी कुबूल किया कि उस के अकाउंट से 2 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन 2 बार में हुआ है. ठगी करने वाले गिरोह के बारे में उसे जानकारी नहीं है. डिजिटल अरेस्ट मामले में अकाउंट होल्डर को गिरफ्तार किया है.

पूछताछ में जो डिटेल मिली है, जिस अकाउंट पर आरोपी के खाते से ट्रांजैक्शन हुए हैं, उस अकाउंट के आधार पर पतासाजी की जा रही है  जल्द ही पूरे गिरोह का परदाफाश किया जाएगा.

ठगों ने डीसीपी पर भी फेंका ठगी का जाल

साइबर फ्रौड करने वाले क्रिमिनल्स के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्हें पुलिस तक का खौफ नहीं है. 24 नवंबर, 2024 को इंदौर क्राइम ब्रांच के एडीशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया पुलिस कंट्रोल रूम स्थित क्राइम ब्रांच में मीडिया ब्रीफिंग कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल पर फोन नंबर 1(684) 751-6466 से आटो रिकार्डेड काल आया. काल करने वाले ने एडिशनल डीसीपी को बताया कि वह रिजर्व बैंक औफ इंडिया (आरबीआई) का औफिसर है. ठग ने कहा कि आप के नाम से जारी आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और उस से एक लाख रुपए का संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुआ है, इसलिए आरबीआई द्वारा आप के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. साथ ही 11 हजार 930 रुपए की पेनल्टी भी लगाई है.

ठग ने केस के संबंध में बयान दर्ज कराने और एक्सप्लेनेशन के लिए 2 घंटे में मुंबई में अंधेरी ईस्ट थाना पुलिस के सामने पेश होने को कहा. मोबाइल नंबर देख कर और ठग की बात सुनते ही एडिशनल डीसीपी समझ गए कि उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने तुरंत मीडियाकर्मियों को इशारा कर ठग की बातचीत रिकौर्ड करानी शुरू कर दी. ठग ने उन से बाकायदा पुलिस अधिकारी के अंदाज में बात की और हाजिर होने का आदेश दिया. औनलाइन बयान दर्ज करने के नाम पर ठग ने जैसे ही वीडियो काल लगाया एडिशनल डीसीपी वरदी में दिखे, तब ठग ने मीडियाकर्मियों की भीड़ देख कर पूछा, ”ये आसपास कौन खड़े हैं?’’

एडीसीपी ने जब अपना परिचय दिया और कहा, ”मैं खुद एक पुलिस अधिकारी हूं और मैं ने तुम्हारी करतूत कैमरे में रिकौर्ड कर ली है.’’

इतना सुनते ही ठग ने फोन कट कर दिया.

क्यों बढ़ रहे हैं साइबर फ्रौड के मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल  2017 में 3,466 मामले, 2018 में 3,353, 2019 में 6,229, 2020 में 10,395, 2021 में 14,007 और 2022 में 17,470 मामले दर्ज किए गए. फरवरी 2024 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया था कि साल 2023 में साइबर धोखाधड़ी की 11,28,265 शिकायतें मिली थीं. इंटरनेट यूजर्स की बढ़ती संख्या के साथ साइबर फ्रौड का खतरा पिछले कुछ सालों में बढ़ा है. सूचना और प्रसारण सचिव संजय जाजू ने हाल ही में कहा है कि 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स के साथ भारत ने डिजिटल इंडिया के तहत असाधारण डिजिटल विकास को देखा है, लेकिन इस विकास के साथ साइबर धोखाधड़ी की चुनौतियां भी आई हैं, जिन से निपटने में सरकार नाकाम रही है.

डिजिटल अरेस्ट में स्कैमर आडियो या वीडियो काल के दौरान लोगों को डराने के लिए कभी सीबीआई तो कभी कस्टम अधिकारी तो कभी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारियों के तौर पर बात करते हैं और लोगों को गिरफ्तारी का डर दिखा कर उन्हें उन के ही घर में कैद कर के पैसे ऐंठते हैं. मार्च 2024 में गृह मंत्रालय ने एक प्रैस विज्ञप्ति जारी कर लोगों को पुलिस अधिकारियों, सीबीआई, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य जांच एजेंसियों के नाम पर फरजी काल करने वाले ब्लैकमेलर्स के प्रति सतर्क किया था.

इन धोखाधड़ी करने वालों का तरीका आमतौर पर पीडि़तों से संपर्क करना और दावा करना होता है कि पीडि़त ने या तो नशीले पदार्थ, नकली पासपोर्ट या अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे अवैध सामानों वाला एक पार्सल भेजा है या प्राप्त करने वाला है. कुछ मामलों में वे आरोप लगाते हैं कि पीडि़त का कोई करीबी रिश्तेदार या दोस्त किसी क्राइम या दुर्घटना में शामिल रहा है और अब हिरासत में है. तथाकथित मामले को सुलझाने के लिए धोखाधड़ी करने वाले पैसे की मांग करते हैं. कुछ मामलों में पीडि़तों को एक ‘डिजिटल अरेस्ट’ से गुजरने के लिए बरगलाया जाता है, उन्हें स्काइप या अन्य वीडियो कौन्फ्रेंसिंग प्लेटफार्म के जरिए लगातार निगरानी में तब तक रखा जाता है, जब तक कि उन क्रिमिनल्स की मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

फ्रौड करने वाले क्रिमिनल पुलिस थानों और गवर्नमेंट औफिस के दिखाने के लिए स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं और रियल औफिसर दिखने के लिए वे वरदी भी पहनते हैं. यह एक तरह का संगठित औनलाइन आर्थिक क्राइम है. हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसी कोई चीज नहीं है, फिर भी शिक्षित व्यक्ति लगातार इन फ्रौड करने वालों के Top 5 Cyber Crime Story झांसे में आ रहे हैं. इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिस में कहा गया है कि सीबीआई, पुलिस या ईडी किसी भी अपराधी को  वीडियो काल पर गिरफ्तार नहीं करते हैं.

साइबर क्राइम से बचने के लिए क्या करें

साइबर सिक्योरिटी से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर क्राइम में वृद्धि के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सरकारी तंत्र भी दोषी है, जो इस खतरे को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा. साइबर फ्रौड करने वाले क्रिमिनल बेखौफ हो कर लंबे समय से वित्तीय धोखाधड़ी करते आ रहे हैं. यह सरकारी नीतियों की विफलता है, जिस के कारण ये क्रिमिनल अब निडर हो गए हैं. सरकार की ओर से ऐसे क्राइम को रोकने के लिए उठाए गए कदम केवल कागजों पर ही हैं. मन की बात कार्यक्रम में साइबर फ्रौड को ले कर कही गई बातें देश के प्राइम मिनिस्टर की लाचारी को दर्शाती हैं. देश के मध्यमवर्गीय परिवारों के बैंक अकाउंट की निगरानी के लिए आधार और पैन नंबर की लिंकिंग साइबर ठगों को मालामाल कर रही है.

फोन पर किसी से भी बैंक डिटेल्स साझा न करें, किसी के भी डराने पर घबराएं नहीं बल्कि पुलिस को सूचना दें. अपने परिचितों की आवाज में पैसे ट्रांसफर करने वालों से सावधान रहें, अन्य नंबरों से इस की जांच करें. वाट्सऐप के नए अनजान ग्रुपों में यदि कोई शामिल करता है तो उसे तुरंत ब्लौक कर दें. यदि फोन पर कोई खुद को बैंककर्मी, पुलिसकर्मी या फिर कोई और सरकारी कर्मी बता कर निजी जानकारी मांगे तो हरगिज न दें. फोन पर आने वाले स्पैम मेल, मैसेज आदि पर क्लिक न करें बल्कि इन्हें तुरंत डिलीट कर दें. लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि कभी भी पुलिस, सीबीआई, ईडी, आरबीआई या कस्टम अधिकारी वीडियो काल के जरिए आप से पूछताछ या बयान दर्ज करने की काररवाई नहीं करते.

इसलिए जब भी इस तरह कोई वीडियो काल करे और आप को धमकाने या डराने की कोशिश करे तो सब से पहले तो ऐसी काल को तुरंत डिसकनेक्ट कर दें. कोई भी अनजान व्यक्ति आप के बैंक अकाउंट की डिटेल के लिए फोन, एसएमएस या ईमेल करे तो इसे इग्नोर कर दें. इस के बावजूद भी यदि कोई साइबर फ्रौड का शिकार हो जाए तो सब से पहले बैंक को सूचना दे कर नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराएं. साइबर फ्रौड के शिकार होने या ऐसे फ्रौड काल आने पर व्यक्ति को तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर घटना की सूचना देनी चाहिए और अपने नजदीकी थाने में संपर्क करना चाहिए.

साइबर क्राइम और पीछा करने से ले कर आर्थिक क्राइम तक, कोई भी साइबर क्राइम के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर रिपोर्ट की जा सकती है.

—कथा मीडिया रिपोट्र्स पर आधारित

 

 

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