Pakistan story in Hindi : पाकिस्तान की जेलों में ऐसे तमाम भारतीय कैद हैं, जो मामूली सी गलती पर सालों से सजा भुगत रहे हैं. विदेश मंत्रालय को जयपुर के गजानंद की तरह अन्य भारतीयों की रिहाई की पहल भी करनी चाहिए. लंबे इंतजार के बाद आखिर वह समय आ ही गया, जब वक्त की सुइयां घूम कर 36 साल पहले के कैलेंडर पर लौट आईं. वह भी ऐसा ही सामान्य दिन था, जब गजानंद शर्मा पाकिस्तान की सीमा पार कर गए थे. 36 सालों तक पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में रहने के बाद उन्हें अब रिहाई मिली थी. 14 अगस्त, 2018 को गजानंद शर्मा की वतन वापसी हुई. जब वह जयपुर पहुंचे तो उन की पत्नी मखनी देवी, दोनों बेटे मुकेश और राकेश, उन की पत्नियां और बच्चे उन के स्वागत के लिए जयपुर पहुंच गए थे.
मखनी देवी ने इतनी लंबी अवधि के बाद पति को देखा तो उन की आंखें बरस पड़ीं. गजानंद भी अपनी आंखों के आंसुओं को रोक नहीं पाए. मखनी देवी ने आगे बढ़ कर पति के पांव छू लिए. फिर दोनों ने एकदूसरे के गले में फूलमालाएं डालीं. बेटे, बहुओं और बच्चों ने भी गजानंद शर्मा के पैर छुए. सभी खुश थे, बहुत खुश. अपने परिवार से मिलने के बाद गजानंद सब के साथ नाहरगढ़ इलाके की माउंट रोड पर स्थित फतेहराम का टीबा पहुंचे. यहीं पर उन का घर था. घर में अच्छीखासी भीड़ थी, गजानंद शर्मा असहज महसूस कर रहे थे. उन के लिए सभी अनजान थे. पति की मन:स्थिति को समझ कर उन का परिचय बेटों, बहुओं और बच्चों से कराया. जब वह गए थे, तब उन के बेटे बहुत छोटेछोटे थे. ऐसी स्थिति में बापबेटों के बीच एक अचिन्ही सी दीवार होने वाली बात स्वाभाविक ही थी.
दरअसल, पाकिस्तान ने इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस से 2 दिन पहले 13 अगस्त को गजानंद शर्मा सहित 29 भारतीय कैदियों को रिहा किया था. बदले में भारत ने भी पाकिस्तान के 7 कैदी को रिहा किए थे. दोनों देशों के कैदियों को वाघा अटारी बौर्डर पर पाक रेंजर्स और बीएसएफ के जवानों ने एकदूसरे के हवाले किया. आश्चर्य की बात यह कि गजानंद शर्मा को खुद पता नहीं है कि वह पाकिस्तान कैसे पहुंच गए. हां, इतना जरूर याद है कि 1982 में जब वह 33 साल के थे, तब अचानक गायब हो गए थे. वे भले ही 36 साल पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में रहे, लेकिन उन्हें उन का अपराध नहीं बताया गया. केवल इतनी बात जरूर पता चली कि बौर्डर पार कर लेने की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इस जुर्म में उन्हें 2 महीने की सजा सुनाई गई थी. लेकिन 2 महीने की सजा इतनी लंबी निकली कि उन्हें 36 साल कैदी बन कर पाकिस्तान में रहना पड़ा.
जयपुर निवासी गजानंद का मामला संवेदनशील था, इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया. लेकिन सुरक्षा कारणों से उन के घर वालों को वाघा बौर्डर पर आने से मना कर दिया था, इसीलिए गजानंद के बेटे और घर वाले उन्हें अटारी-वाघा बौर्डर पर रिसीव करने नहीं जा सके थे. जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा के कहने पर विप्र फाउंडेशन पंजाब के अध्यक्ष सहदेव शर्मा और उन के सहयोगियों ने गजानंद शर्मा को वाघा बौर्डर से रिसीव किया. वे उन्हें अपने साथ अमृतसर ले गए. वहां पर उन का मैडिकल चैकअप कराया गया. रात को वह अमृतसर में ही रुके. अगले दिन 14 अगस्त की सुबह सहदेव शर्मा और उन के सहयोगी गजानंद को ले कर पंजाब से रवाना हुए और शाम को जयपुर पहुंच गए. उन के जयपुर पहुंचने पर सांसद रामचरण बोहरा, विधायक सुरेंद्र पारीक और अन्य लोगों ने गजानंद शर्मा और पंजाब से उन्हें ले कर आए दल का स्वागत किया.
सन 1982 में लापता हुए गजानंद को परिवार ने उन के जीवित होने की सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं. जब गजानंद लापता हुए थे, तब उन का परिवार जयपुर जिले के सामोद थाना क्षेत्र के महार कलां गांव में रहता था. बाद में वह परिवार सहित जयपुर आ कर नाहरगढ़ इलाके के माउंट रोड पर फतेहराम का टीबा में रहने लगा था. गजानंद जब गायब हुए, तब वे मजदूरी करते थे. इसलिए वह अकसर घर से बाहर ही रहते थे. एक दिन वह घर से गए तो वापस नहीं लौटे. उस वक्त उन के 2 बेटे थे. बड़े बेटे की उम्र 15 साल थी और छोटे की 12 साल. दोनों नासमझ थे. मखनी देवी काफी दिनों तक पति को तलाश करती रहीं, लेकिन उन का कुछ पता नहीं चला. वह पुलिस के पास भी गईं लेकिन पुलिस भी गजानंद के बारे में पता नहीं लगा सकी.
समय बीतता गया. मखनी देवी ने परिवार को पालने के लिए तमाम परेशानियां उठाईं. अस्पताल में नौकरी की. घरों में बरतन मांजे, झाड़ूपोंछा किया. शादीब्याह के कार्यक्रमों में पूडि़यां बेलीं. कई बार उन्हें भूखे पेट भी रहना पड़ता था. फिर भी उन्होंने बच्चों को पढ़ायालिखाया. वक्त के झंझावातों से निकल कर दोनों बेटे जवान हो गए और उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियां संभाल लीं. गजानंद की कोई सूचना न मिलने से सभी यह मान बैठे थे कि वह शायद ही जीवित हों. इसी साल मई में केंद्रीय गृह मंत्रालय को Pakistan story in Hindi पाकिस्तान से कुछ दस्तावेज मिले थे. इन में जयपुर के गजानंद शर्मा के कागजात भी थे. भारतीय राष्ट्रीयता के सत्यापन के लिए आए दस्तावेज केंद्रीय गृह मंत्रालय से राजस्थान सरकार को भेजे. इन दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ कि 36 साल पहले लापता हुए जयपुर के गजानंद शर्मा पाकिस्तान की जेल में बंद हैं.
ये दस्तावेज मखनी देवी और उन के परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थे. उन्हें पहली बार सामोद थाना पुलिस के जरिए पता चला कि गजानंद पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. लेकिन वे लोग यह नहीं समझ पा रहे थे कि गजानंद पाकिस्तान कैसे पहुंचे और वहां की जेल में किस अपराध में जेल में बंद हैं. पाकिस्तान से केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए राजस्थान पुलिस के पास आए दस्तावेजों में भी इस बात का कोई जिक्र नहीं था. केवल इतना पता चला कि गजानंद पर फारेनर्स एक्ट की धारा 13 और 14 में केस दर्ज था. राजस्थान पुलिस की इंटेलीजेंस शाखा ने आवश्यक जांचपड़तल के बाद राजस्थान के गृह विभाग को गजानंद के जयपुर निवासी होने की रिपोर्ट सौंप दी. जयपुर से यह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी गई.
गजानंद के जीवित होने की सूचना मिलने से उन के परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन उन्हें यह नहीं समझ आ रहा था कि वह अब वापस कैसे आएंगे. लोगों के कहने पर गजानंद के परिजनों ने केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर के इस मामले में मदद करने की अपील की. इसी के साथ गजानंद की रिहाई की मांग को ले कर जयपुर में 31 मई को धरोहर बचाओ समिति के नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक संगठनों और प्रबुद्ध लोगों ने कैंडल मार्च निकाला. कैंडल मार्च में मखनी देवी ने भी पति की जल्द रिहाई की मांग करते हुए जोशखरोश से हिस्सा लिया. उन के बेटे और घर वाले भी कैंडल मार्च में शामिल हुए. चौड़ा रास्ता से छोटी चौपड़ तक निकाले गए इस कैंडल मार्च में लोग गजानंद की रिहाई और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे.
इस के बाद जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह को पत्र लिख कर पाकिस्तान की जेल में बंद गजानंद शर्मा की जल्द रिहाई की मांग की. उन्होंने पत्र में लिखा कि गजानंद पिछले 36 सालों से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद हैं. उन्हें सिर्फ 2 महीने की सजा हुई थी, लेकिन काउंसलर एक्सेस न होने के कारण वह इतने सालों से वहां बेवजह बंद हैं. इस के अलावा भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश खन्ना ने भी विदेश मंत्री को पत्र लिख कर आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया.
2 जून को भाजपा के प्रदेश प्रभारी खन्ना, सांसद बोहरा व विधायक सुरेंद्र पारीक ने गजानंद के घर पहुंच कर उन के घर वालों से मुलाकात कर के हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया. गजानंद की वापसी के लिए 5 जून को जयपुर में प्रार्थना के साथ सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में 1100 दीपों से महाआरती की गई. इस मौके पर ‘गजानंद बचाओ-पाकिस्तान से जयपुर लाओ’ के नारे भी लगाए गए. सांसद बोहरा ने 8 जून को दिल्ली में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री से मुलाकात कर गजानंद की शीघ्र रिहाई की मांग करते हुए विदेश मंत्रालय के दखल का आग्रह किया. इस के अलावा मखनी देवी ने भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई.
गजानंद की रिहाई के लिए उन का परिवार 21 जून को राजभवन पहुंचा और राज्यपाल कल्याण सिंह को आपबीती सुनाई. राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे विदेश मंत्री को पत्र लिख कर प्रयास करेंगे कि गजानंद को न्याय मिले और जेल से जल्द रिहा हो कर वह स्वदेश लौट आएं. सरकार के स्तर पर किए गए प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने आया. केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह से मिलने सांसद बोहरा के साथ दिल्ली पहुंची गजानंद की पत्नी मखनी देवी और बेटे मुकेश शर्मा को बताया कि स्वतंत्रता दिवस से 2 दिन पहले 13 अगस्त को गजानंद को Pakistan story in Hindi पाकिस्तान की जेल से आजादी मिल जाएगी. इस बारे में पाकिस्तान के अधिकारियों से बात हो गई है.
विदेश राज्यमंत्री ने सांसद बोहरा को यह भी बताया कि पाकिस्तान की जेल में बंद राजस्थान के बूंदी के रहने वाले जुगराज की भी जल्द रिहाई के प्रयास किए जा रहे हैं. गजानंद के साथ पाक जेल में बंद बूंदी के जुगराज और अजमेर के जय सिंह के दस्तावेज भी तसदीक के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से राजस्थान सरकार को भेजे गए थे. इन में गजानंद और जुगराज के घर वालों की तसदीक हो गई थी, लेकिन जय सिंह के घर वाले नहीं मिलने पर फाइल वापस भेज दी गई थी. केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री से पति गजानंद के 13 अगस्त को पाकिस्तान की जेल से रिहा होने की सूचना मिलने के बाद मखनी देवी की आंखों में चमक आ गई.
13 अगस्त को सावन की हरियाली तीज थी. राजस्थान में तीज के पर्व का अलग ही महत्त्व है. गजानंद के परिवार में तीज की अनूठी खुशियां मनीं. मखनी देवी ने 36 साल बाद मनोयोग से सुहागिन का शृंगार किया. घेवर मिठाई खाई और सब को खिलाई. टीवी पर चल रही पति की खबरें देख और सुन कर वह बोली, ‘‘अब मैं सुहागन की तरह जी सकूंगी.’’