Husband Murder : अनिल जब जेल गया तो अपने गलत धंधे के सहयोगी गोविंद को अपने बिजनैस और परिवार की जिम्मेदारी सौंप गया. उस ने पलभर को भी नहीं सोचा कि गलत काम करने वाला उस का साथी सही कैसे हो सकता है. नतीजा यह निकला कि गोविंद ने उस की पत्नी के साथ मिल कर एक खतरनाक साजिश…
17 सितंबर, 2018 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे सिपाही सुजान सिंह अपनी पिकेट ड्यूटी पूरी करने के बाद अपने कमरे पर जा रहे थे. रास्ते में उन्होंने बहोरिकपुर गांव के पास काली नदी के किनारे सड़क पर एक सैंट्रो कार खड़ी देखी. वह लावारिस कार के नजदीक पहुंचे तो चौंक गए, क्योंकि कार के आगेपीछे लाशें पड़ी हुई थीं. दोनों लाशें पुरुषों की थीं. मामला गंभीर था. सुजान सिंह ने घर न जा कर इस की सूचना तुरंत थाना जहानगंज को दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी संजीव सिंह राठौर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. काली नदी के किनारे सड़क पर खड़ी सैंट्रो कार के आगेपीछे पड़ी दोनों लाशें कुचली हुई थीं.
कार का एक पहिया खुला हुआ था. जो पहिया खुला था, उसी तरफ जैक लगा हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे कार का पहिया बदलते वक्त कोई दूसरा वाहन उन दोनों को रौंदता हुआ निकल गया था. इसी बीच एसपी संतोष कुमार मिश्रा, एएसपी त्रिभुवन सिंह फील्ड यूनिट और डौग स्क्वायड ले कर वहां पहुंच गए. लाशों का बारीकी से निरीक्षण किया गया तो दोनों मृतकों के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान मिले. उन के हाथों पर बांधे जाने और किसी चीज से गला कसने के निशान भी मिले. कार की पिछली सीट खुली हुई थी. उस खाली जगह पर खून से सना करीब 3 मीटर काला कपड़ा पड़ा मिला, इस से जाहिर था दोनों की हत्या करने के बाद उन्हें वहां ला कर डाला गया था और इसे रोड ऐक्सीडेंट का रूप देने की कोशिश की गई.
लाशों की हुई शिनाख्त मृतकों की तलाशी ली तो उन की जेब से 2 मोबाइल फोन बरामद हुए. उन में मिले नंबरों पर बात कर के थानाप्रभारी को उन के घर वालों के फोन नंबर मिल गए तो उन्होंने मृतकों के घर वालों को घटना की सूचना दे दी. थोड़ी देर में दोनों के परिजन रोतेबिलखते वहां पहुंच गए. उन्होंने मृतकों को पहचान लिया. जिस की लाश कार के अगले दाहिने पहिए के पास पड़ी थी, उस का नाम अनिल सिंह (36) था और दूसरी लाश सुरजीत सिंह उर्फ गोधन (20) की थी. दोनों पड़ोसी जिले कन्नौज के सौरिख थानाक्षेत्र के गांव टड़ारायपुर के रहने वाले थे. गोधन अनिल का सगा भतीजा था.
दोनों के परिवार वालों से पूछताछ की गई. अनिल की पत्नी आरती ने बताया कि अनिल 16 सितंबर की शाम को घर से निकले थे, कहां जा रहे थे, इस बाबत उन्होंने कुछ नहीं बताया था. पूछताछ के बाद दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. मृतक गोधन के मामा चंद्रपाल सिंह ने थानाप्रभारी संजीव राठौर को बताया कि उन का भांजा गोधन और गोधन के चाचा अनिल कन्नौज के गांव टिउला निवासी गोविंद के साथ मिल कर अवैध शराब का धंधा करते थे.
घटना से 10-12 दिन पहले पैसों को ले कर दोनों का गोविंद से झगड़ा हो गया था. गोविंद ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी, आज दोनों की लाशें मिल गईं. चंद्रपाल की तहरीर पर पुलिस ने गोविंद व अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. केस की जांच के लिए एसपी संतोष मिश्रा द्वारा स्वाट टीम प्रभारी कुलदीप दीक्षित को संजीव राठौर की मदद के लिए लगा दिया. मृतक अनिल के मोबाइल पर आनेजाने वाले मोबाइल नंबरों को चैक किया गया. उन में एक नंबर ठाकुर के नाम से सेव था. उस नंबर की 2 मिस्ड काल आई हुई थीं. थानाप्रभारी ने वह नंबर मिलाया तो रिंग जाने पर भी दूसरी ओर से फोन नहीं उठाया गया.
पत्नी पर हुआ संदेह पुलिस ने पूछताछ के लिए अनिल की पत्नी आरती को थाने बुला लिया. आरती से अलगअलग बिंदुओं पर पूछताछ की गई. पुलिस को उस पर शक हुआ तो उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई गई. उस से पता चला कि घटना वाले दिन की शाम को आरती ने एक मोबाइल नंबर पर काल की थी. फिर देर रात उसी नंबर से आरती को काल आई थी. शक बढ़ने पर थानाप्रभारी संजीव राठौर ने महिला आरक्षी की उपस्थिति में उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने घटना में शामिल सभी लोगों के नाम बता दिए. इस के बाद पुलिस ने ढाबा संचालक नीरज राजपूत को 21 सितंबर को दोपहर के समय उस के छाचा भोगांव स्थित ढाबे से गिरफ्तार कर लिया. आरती और नीरज ने पूछताछ में पूरी कहानी बयां कर दी.
उत्तर प्रदेश के जिला कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र के गांव टड़ारायपुर में जाहर सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शकुंतला देवी के अलावा 2 बेटे थे—सुनील उर्फ गंगू और अनिल. सुनील मानसिक विक्षिप्त था. जबकि अनिल गलत संगत में पड़ कर आपराधिक प्रवृत्ति का बन गया था. मेहनत करने के बजाय उसे गैरकानूनी कामों में पैसा ज्यादा नजर आता था. वह ज्यादा पैसे कमाने लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था. इसी सोच के चलते उस की दोस्ती ज्यादातर गैरकानूनी काम करने वालों से थी. उस के दोस्त अवैध शराब के धंधे में लिप्त थे. अनिल भी इस धंधे में घुसता चला गया. इस काम से उस के पास खूब पैसा आने लगा.
इसी बीच 10 साल पहले उस का विवाह आरती से हो गया. आरती काफी खूबसूरत थी, वह भी उस के साथ खुश था. कालांतर में आरती 2 बेटों की मां बन गई. 2 नंबर की कमाई से बना अमीर अनिल ने शराब के धंधे में काफी पैसा कमाया. उस पैसे को दूसरे कामों में लगा कर उस ने और भी ज्यादा कमाई करनी शुरू कर दी. उस ने एक ढाबा भी खोल लिया, जोकि काफी अच्छा चल रहा था. इसी की आड़ में उस का अवैध शराब का धंधा बेरोकटोक चलता रहा. कई बार वह पुलिस के हत्थे भी चढ़ा. उस के खिलाफ कन्नौज के सौरिख और छिबरामऊ थाने में लूट, वाहन चोरी और शराब के धंधे के 13 मुकदमे दर्ज थे.
अनिल के साथ कन्नौज के इंदरगढ़ थाने के टिउला गांव का रहने वाला गोविंद उर्फ सुमित भी काम करता था. 25 वर्षीय गोविंद अविवाहित था. 4 बहनों में वह इकलौता भाई था और दूसरे नंबर का था. गोविंद को शराब का धंधा सिखाने वाला अनिल ही था, इसलिए गोविंद अनिल को अपना गुरु मानता था. धीरेधीरे गोविंद शराब के धंधे में इतना माहिर हो गया कि उस ने कन्नौज के तिर्वा कस्बे में अपनी खुद की अवैध शराब की फैक्ट्री लगा ली, जिसे वह अपने पिता कुंवर सिंह और दोस्त रमन यादव निवासी गांव कुंडेपुरवा की मदद से चला रहा था. वह अनिल के शराब के धंधे को खूब बढ़ा रहा था.
2 साल पहले अनिल को नकली शराब बेचने के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जेल जाने से पहले अनिल गोविंद को अपने परिवार, होटल और शराब के धंधे को संभालने की जिम्मेदारी सौंप गया था. अनिल की गैरमौजूदगी में गोविंद ने उस के होटल को तो संभाल ही लिया, साथ ही वह उस के परिवार की भी देखभाल कर रहा था. घर आनेजाने के दौरान अविवाहित Husband Murder गोविंद का आरती पर मन डोल गया. वह अपने मन की बात नजरों से ही आरती पर जाहिर कर चुका था. आरती भी उस से नजरें मिलने पर मुसकरा देती थी. गोविंद ने आरती की आंखों में प्यास देख ली थी. उधर आरती ने भी गोविंद की आंखों में कामना देख ली थी.
गोविंद ने भाभी पर डाले डोरे गोविंद आरती को भाभी कहता था. आरती उस से महज एक साल बड़ी थी, जबकि अनिल आरती से 10 साल बड़ा था. उम्र के इस बड़े फासले ने आरती को गोविंद की तरफ बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया. एक दिन जब गोविंद उस के घर पहुंचा तो आरती को देख कर उस से रहा नहीं गया. मौका देखते ही वह आरती से बोला, ‘‘एक बात कहूं भाभी?’’
‘‘कहो,’’ आरती ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘आप हो बहुत अच्छी. जब से आप को देखा है, आप को बारबार देखने को मन मचलता है.’’
‘‘यह सब कहने की बातें हैं. पहले अनिल भी यही कहते थे. सब मर्द एक जैसे होते हैं. बाहर से कुछ, अंदर से कुछ.’’ आरती ने ताना मारा.
‘‘अनिल भाई तो तुम्हारी कद्र करना ही नहीं जानते,’’ गोविंद को जैसे मौका मिल गया, ‘‘उन को आप के सुख की परवाह है कहां?’’
‘‘तुम को कैसे पता?’’ आरती ने भौंहें सिकोड़ीं.
‘‘भाभी, इंसान की आंखें भी तो दिल का हाल बयां कर देती हैं. मैं ने तुम्हारी आंखों में तुम्हारे दिल का दर्द देखा है.’’
गोविंद की बातों में आरती को भी मजा आ रहा था. यही वजह थी कि वह चाय तक बनाना भूल गई. अचानक खयाल आया तो वह बोली, ‘‘मैं तो चाय बनाना ही भूल गई.’’
‘‘रहने दो भाभी, बस आप को देख लिया तो मन भर गया. अब मैं चलता हूं.’’ यह कह कर गोविंद चला तो गया लेकिन आरती की हसरतों को हवा दे गया. कामनाओं के ठौर की तलाश में आरती गोविंद पर आ कर ठहर गई. अनिल से कभीकभार मिलने वाला सुख वह गोविंद की बांहों में पाने को आतुर हो गई. अब दोनों के बीच होने वाला हंसीमजाक छेड़छाड़ तक पहुंच गया था. गोविंद जब भी घर आता तो बच्चों के लिए खानेपीने की चीजें ले आता था. एक दिन आरती ने उसे दबे स्वर में टोका, ‘‘तुम्हें बच्चों की खुशी का तो बहुत खयाल रहता है, लेकिन भाभी की खुशी का कोई खयाल नहीं.’’ कह कर वह मुसकराई.
गोविंद फौरन उस का इशारा समझ गया. बात यहां तक पहुंच गई कि गोविंद उचित मौके की तलाश में रहने लगा. एक दिन वह आरती के पास उस समय पहुंचा जब बच्चे स्कूल गए हुए थे. उस के अंदर आते ही आरती बोली, ‘‘मुझे मालूम है, तुम क्यों आए हो?’’
‘‘तुम ने ही तो बुलाया था.’’ गोविंद हंसा.
‘‘अरे मैं ने कब बुलाया तुम्हें?’’
गोविंद एक कदम आगे बढ़ा, ‘‘अच्छा भाभी सच बताना, जब भी मैं तुम से बात करता हूं, क्या तुम्हारी आंखों की चाहत मुझे नहीं बुलातीं?’’ कह कर उस ने आरती का हाथ पकड़ लिया, ‘‘उन्हीं के बुलाने पर आया हूं मैं.’’
‘‘बात कहने का अंदाज अच्छा है. हाथ छोड़ो तो चाय बना कर लाऊं.’’
‘‘इस तनहाई में मैं चाय पीने नहीं, आप की आंखों के जाम पीने आया हूं.’’ गोविंद आरती के नजदीक खिसक आया, ‘‘बोलो पिलाओगी?’’
‘‘मैं ने कब मना किया है,’’ आरती का भी धैर्य जवाब दे गया था. वह गोविंद के सीने से लगते हुए बोली, ‘‘पर पहले ये जो दरवाजा खुला हुआ है, इसे तो बंद कर लो.’’
आरती का खुला आमंत्रण पा कर गोविंद की बांछें खिल गईं. वह फटाफट दरवाजा बंद कर आया. उस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. फिर तो दोनों एकदूसरे के ऐसे दीवाने हुए कि हर रोज ही उन के बीच यह खेल खेला जाने लगा. गोविंद अब अनिल के होटल में रहने के बजाय उस के घर में रहने लगा. वह भी आरती के पति की तरह से. अनिल एक बात भूल गया था कि गलत काम में साथ देने वाले से वफादारी की उम्मीद करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होता है. जिस इंसान को उस ने धंधा सिखाया, गुरु बन कर उसे धंधे के गुर सिखाए, वही आस्तीन का सांप बन कर उस की बसीबसाई गृहस्थी को निगल रहा था.
जमानत पर आने के बाद अनिल को पता चली हकीकत मार्च, 2018 में अनिल जमानत पर जेल से छूट कर आया तो उसे अपनी पत्नी और गोविंद के रिश्ते के बारे में पता चल गया. इस के बाद उस ने आरती को खूब पीटा और गोविंद को अपने धंधे से निकाल कर उस से दूरी बना ली. इस के कुछ समय बाद ही गोविंद की तिर्वा स्थित अवैध शराब फैक्ट्री पुलिस ने पकड़ ली, जिस में गोविंद के पिता Husband Murder कुंवर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. जबकि गोविंद और रमन मुकदमे में वांछित थे. गोविंद को शक था कि उस की फैक्ट्री अनिल ने पकड़वाई है. वह अनिल को इस का सबक सिखाना चाहता था. साथ ही वह इस साजिश में उस की पत्नी आरती को भी शामिल करना चाहता था.
गोविंद मानता था कि अनिल की वजह से उस का बहुत नुकसान हुआ है. इसलिए वह उस से बदला लेना चाहता था. इस के अलावा उस की नजर अनिल की करोड़ों की संपत्ति और उस की बीवी पर भी थी. इस बारे में उस ने आरती से बात की तो वह भी तैयार हो गई. सोचविचार कर गोविंद और आरती ने अनिल को मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया.
‘‘कैसे मारोगे? पकड़े नहीं जाओगे?’’ आरती ने उस से पूछा.
‘‘हम होशियारी से ऐसी चाल चलेंगे कि हमें कोई नहीं पकड़ पाएगा.’’ गोविंद बोला.
‘‘ऐसी क्या योजना है जरा हम भी तो जानें?’’ आरती ने उत्सुकता दिखाई.
‘‘यह काम मेरे दोस्त नीरज राजपूत, रमन और मेरा ममेरा भाई सोनू कर देंगे. लेकिन इन सब के लिए पैसे देने पड़ेंगे.’’
‘‘कितने?’’
‘‘यही कोई ढाई लाख रुपए.’’
‘‘ठीक है, मेरे एकाउंट में 5 लाख रुपए पड़े हैं. उन में से दे दूंगी.’’ आरती बोली.
आरती के तैयार होने के बाद गोविंद ने अनिल की हत्या की सुपारी एक लाख रुपए में अपने दोस्त नीरज राजपूत को दे दी. नीरज एटा के नयागांव थाना क्षेत्र के गुनामई गांव में रहता था. छाचा भोगांव में उस का एक होटल चल रहा था. शराब कंपनियों द्वारा शराब में प्रयोग होने वाला कैमिकल टैंकरों में भर कर सप्लाई होता है. टैंकरों के ड्राइवरों से सांठगांठ कर के नीरज उन से कम पैसों में कैमिकल की 4-5 कैन भरवा लेता था. फिर वह कैमिकल शराब माफियाओं को सप्लाई करता था. शराब के धंधे से जुड़ा हर माफिया उसे जानता था और कैमिकल के लिए उस के पास जाता था. अनिल और गोविंद भी उस के पास जाते थे.
गोविंद ने नीरज राजपूत से बातचीत कर के अनिल की हत्या की योजना बना ली और उसे एडवांस में 30 हजार रुपए भी दे दिए. इस के अलावा उस ने रमन और ममेरे भाई अवनीश उर्फ सोनू को भी इस साजिश में शामिल कर लिया. रमन तो उस के धंधे का साथी था. अवनीश कानपुर देहात के गमीरापुर गांव में रहता था. लेकिन इस समय कन्नौज के कस्बा थाना तिर्वा के कालका नगर में गोविंद के साथ रह रहा था. अवनीश को अपने काम से घाटा हो गया था, जिस से वह कर्ज में डूब गया था. उसे तुरंत एक लाख रुपए की जरूरत थी. उस ने गोविंद से पैसे मांगे तो उस ने पैसे देने के बदले अनिल की हत्या में साथ देने को कहा. इस के लिए अवनीश तैयार हो गया. इस के बाद सभी ने मिल कर हत्या की योजना बनाई.
नीरज ने 15 सितंबर, 2018 को फोन कर के अनिल को कैमिकल ले जाने के लिए अपने होटल पर बुलाया, क्योंकि अनिल नकली शराब बनाने में कैमिकल प्रयोग करता था. गोविंद, रमन और सोनू पूरी रात नीरज के होटल पर रुके, लेकिन अनिल वहां नहीं आया तो 16 सितंबर की सुबह तीनों लौट गए. 16 सितंबर की शाम को अनिल ने नीरज को फोन किया और बताया कि वह किसी वजह से कल नहीं आ सका था. अभी कुछ देर में होटल पहुंच जाएगा. इस के बाद आरती ने भी गोविंद को अनिल के घर से निकलने की बात बता दी. अनिल अपनी सैंट्रो कार से अपने भतीजे सुरजीत उर्फ गोधन को ले कर नीरज के होटल के लिए निकला. उन के पीछेपीछे गोविंद भी रमन और सोनू के साथ अपनी कार से चल दिया. होटल से कुछ पहले ही गोविंद ने अपनी कार रोक दी. फिर तीनों होटल में पीछे के गेट से दाखिल हो गए और ऊपरी मंजिल पर बने कमरे में पहुंच गए.
उन्होंने नीरज से कहा कि वह अनिल को ऊपर के कमरे में ही ले कर आ जाए. नीरज अनिल को ले कर जैसे ही ऊपर के कमरे में पहुंचा, गोविंद और सोनू ने अनिल के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार किए, जिस से अनिल गिर पड़ा. गोविंद ने दोनों साथियों की मदद से अनिल के गले में अंगौछा डाल कर कस दिया, जिस से उस की मृत्यु हो गई. इस के बाद नीरज ने अनिल की जेब में रखे एक लाख रुपए निकाल लिए. इसी बीच नीरज के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया तो वह वहां से चला गया. बिना वजह मारा गया सुरजीत इस के बाद गोधन को ऊपर दूसरे कमरे में बुलाया गया. गोधन ऊपर आया तो उन लोगों को सामने देख कर चिल्लाने लगा. गोविंद ने उस का मुंह दबा कर कमरे के अंदर कर लिया. सोनू ने उस के पैर पकड़े और रमन ने हाथ. इस के बाद गोविंद ने उस के गले में अंगौछा डाल कर कस दिया, जिस से दम घुटने से उस की भी मृत्यु हो गई.
दोनों की हत्या करने के बाद सभी लोग पूरी रात होटल में ही रहे. सुबह 4 बजे के करीब एक लाश को अनिल की कार में दूसरी लाश को गोविंद की कार में रख कर ये लोग छिबरामऊ फतेहगढ़ मार्ग पर काली नदी के कनारे ले गए. फिर सड़क किनारे अनिल की कार खड़ी कर के उस की लाश को कार के आगे और गोधन की लाश कार के पीछे डाल दी. कार के पिछले पहिए को सूजा Husband Murder मार कर पंक्चर कर दिया. इस के बाद गोविंद ने अपनी कार से जैक निकाल कर अनिल की कार में लगाया और एक पहिया खोल दिया. फिर अपनी कार दोनों की लाशों पर 2 बार चढ़ाई ताकि मामला एक्सीडेंट का लगे. तब तक लोगों का आनाजाना शुरू हो गया था.
दोनों लाशों को ऐसे ही छोड़ कर ये लोग होटल गए. कार को और कमरे को अच्छी तरह साफ कर के सब अपनेअपने घर को लौट गए. गोविंद ने आरती को फोन कर के कह दिया, ‘‘भाईसाहब को जहां पहुंचना था, पहुंच गए.’’
लेकिन उन की होशियारी उन के काम नहीं आई और पकडे़ गए. 24 सितंबर, 2018 को ये लोग थानाप्रभारी संजीव राठौर और स्वाट प्रभारी कुलदीप दीक्षित के हत्थे चढ़ गए. दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल लोहे की 2 रौड, एक अंगौछा और हत्या की सुपारी की रकम में से बचे 15 हजार रुपए भी बरामद कर लिए. इस से पहले गिरफ्तार नीरज की निशानदेही पर अनिल की जेब से निकाले गए एक लाख रुपए, एक सूजा और 4 मोबाइल फोन पुलिस ने बरामद कर लिए थे. हत्याभियुक्त रमन एक दूसरे मुकदमे में कोर्ट में हाजिर हो कर जेल चला गया था.
कानूनी लिखापढ़ी के बाद सभी अभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर के न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित