Atul Subhash Suicide Case : 34 वर्षीय अतुल सुभाष मोदी बेंगलुरु की एक कंपनी में एआई इंजीनियर था. पत्नी निकिता सिंघानिया भी एक इंजीनियर थी. शादी के 5 साल बाद ही दोनों के बीच ऐसे हालात बन गए कि अतुल को सुसाइड करने पर मजबूर होना पड़ा. उस के 24 पन्नों के सुसाइड नोट में लिखी बातों ने समाज और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए. अतुल की आत्महत्या देश में चर्चा का विषय क्यों बन गई?
एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी की हिम्मत टूट चुकी थी. अब वह सुसाइड कर जीवन से मुक्त हो जाना चाहता था. इस के लिए उस ने कई महीने पहले ही प्लान बना लिया था. लेकिन उसे यह कदम उठाने में कुछ महीने की देर हो गई थी. सुसाइड करने से पहले उस ने 2 दिन में अपने सारे कार्यों को सिस्टेमेटिक तरीके से कंप्लीट किया. कहीं कोई काम रह न जाए, इसलिए किए जाने वाले कामों की सूची भी बनाई.
कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित एक बड़ी कंपनी में एआई इंजीनियर 34 वर्षीय अतुल सुभाष मोदी शीर्ष पद पर काम करता था. वह फ्लैट में अकेला रहता था. पत्नी निकिता सिंघानिया दिल्ली की एक आईटी कंपनी में जौब करती थी. अतुल का साढ़े 4 साल का एक बेटा भी था, जो मम्मी के पास रहता था. अतुल सुभाष ने सुसाइड करने से पहले अपने सारे कामों को निपटाने के साथ ही अपने औफिस के काम को भी पूरा किया. उस ने अपने कुक व मेड को भी सैलरी दी. इस के साथ ही बैंक के व अन्य जरूरी कामों को भी निपटाया.
कोई जरूरी काम रह न जाए, इसलिए अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखने के साथ ही एक घंटा 21 मिनट 46 सेकेंड का एक वीडियो भी इंटरनेट पर जारी किया, ताकि सुसाइड करने के बाद उस के पीछे किसी को परेशानी न उठानी पड़े. 9 दिसंबर, 2024 को बेंगलुरु पुलिस को एक एनजीओ से जैसे ही खबर मिली तो पुलिस आननफानन में मेंजूनाथ लेआउट स्थित अतुल सुभाष के फ्लैट पर पहुंच गई. फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद था. पुलिस ने किसी तरह दरवाजा खोल कर जैसे ही फ्लैट में पहुंची, अतुल का शव पंखे से लटका हुआ मिला.
कमरे की दीवार पर गोंद से चिपके पन्ने पर अंगरेजी में लिखा था- ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय अभी बाकी है). पुलिस को वहीं टेबल से 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला, जिस के 4 पन्ने हाथ से लिखे थे और 20 पन्ने कंप्यूटर से प्रिंट किए गए थे. अतुल ने इन 24 पन्नों में अपने भावनात्मक संकट, पत्नी की प्रताडऩा और न्यायपालिका से मिली निराशा बयां की थी. इस सुसाइड नोट में अतुल ने अपने दिल का दर्द पूरी तरह उड़ेल दिया था. यानी शादी के बाद अपनी जिंदगी में मची उथलपुथल की पूरी कहानी लिखी थी. इंजीनियर अतुल सुभाष के 24 पन्नों में बयां की गई आपबीती और वीडियो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई थी. देखते ही देखते प्रिंट और इलैक्ट्रोनिक मीडिया में यह घटना पूरी तरह छा गई.
इस सुसाइड नोट में अपनी शादीशुदा जिंदगी के सामाजिक तानेबाने की कमियां, पत्नी निकिता व उस के परिवार के लालच और षडयंत्र की दास्तां और कानूनी महकमे में भ्रष्टाचार को उजागर किया गया था. अतुल ने अपने पीछे छूटे अपने बुजुर्ग मम्मीपापा, बेटे और भाई की सलामती की दुआ भी की. सुसाइड से पहले लिखा गया यह नोट व वीडियो उस ने कुछ मित्रों के साथ वैवाहिक मामलों में पुरुषों की मदद करने वाली एक एनजीओ को भेज दिए थे. जैसे ही एनजीओ को यह नोट मिला तो उस ने पुलिस को अतुल के सुसाइड करने की जानकारी दी थी. इस के साथ ही कमरे में एक स्लिप और चिपकी थी, जिस में आत्महत्या करने से पहले जिनजिन शेष कामों को पूरा करना था, उन का जिक्र किया गया था.
सुसाइड से पहले अतुल ने क्यों निपटाए काम
सुसाइड करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी के भाई विकास मोदी ने बेंगलुरु के मराठाहल्ली थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग उर्फ पीयूष सिंघानिया व चाचा सशुील सिंघानिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब 2 या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) का केस दर्ज किया है.
8 और 9 दिसंबर, 2024 इन 2 दिनों में अतुल सुभाष मोदी ने सुसाइड करने से पहले 32 जरूरी काम निपटाए. उस के दिमाग में क्या चल रहा था? वह बंद कमरे में अकेला था. मौत से पहले वहां क्या कुछ हो रहा है? वह क्या करने जा रहा है? ऐसा वह क्यों करने जा रहा था? इन प्रश्नों का जवाब आगे मिल जाएगा.
आइए, जानें सुसाइड करने से पहले अतुल सुभाष ने क्याक्या किया? दीवार पर चिपकाए पेपर पर लिखा था— ‘फाइनल टास्क बिफोर मुक्ति’. यानी दुनिया छोडऩे से पहले उस ने किए जाने वाले 32 कामों को 3 हिस्सों में बांटा था. बिफोर लास्ट डे यानी 8 दिसंबर को करने वाले काम, दूसरा लास्ट डे व तीसरा एग्जीक्यूट लास्ट मोमेंट. 8 दिसंबर को जोजो काम होते जा रहे थे, अतुल सुभाष सूची में उन पर टिक लगाता जा रहा था या डन लिखता जा रहा था.
उस ने जरूरी डाक्यूमेंट्स को पैक किया. इन में बैंक की एफडी आदि थी. कानूनी व मुकदमों से संबंधित पेपर एक जगह रखे, औफिस के सारे काम को पूरा किया, पैसे सुरक्षित रखे ताकि उस के बाद सही हाथों में पहुंचे. अपने बनाए वीडियो का बैकअप लिया, औफिस, कार, बाइक की चाबियों को फ्रिज के ऊपर रखा. अब 9 दिसंबर जिंदगी के आखिरी दिन के कामों को 2 हिस्सों में बांटा. पहले हिस्से में 10 काम करने थे. इन में कुक, मेड के पैसे चुकाने थे, डाक्यूमेंट्स को स्कैन कर अपलोड किए, सारे डाक्यूमेंट्स अपने मेल के साथ अटैच किए. लैपटाप, चार्जर, आईडी कार्ड, गेट की आईडी औफिस में जमा कराना आदि. अतुल ने बता दिया था कि कहांकहां जमा करना है.
इतना ही नहीं, उस ने अपने मोबाइल फोन से फिंगरप्रिंट को हटाया व फेस रिकग्निशन को हटा दिया.उसे मालूम था कि पुलिस सब से पहले उस के मोबाइल को खोल कर देखेगी, इसीलिए उसे अनलौक कर दिया. 9 दिसंबर, 2024 को आत्महत्या करने से कुछ समय पहले उस ने 108 बार शिव के नाम का जाप किया, कमरे की सारी खिड़कियां खोल दीं. फ्लैट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. टास्क में यह भी लिखा कि अब वह बाथरूम जा कर नहाया. नहा कर वह मुक्ति यात्रा पर जाने के लिए कदम बढ़ाता हुुआ पंंखे पर बनाए फंदे तक पहुंचा और अपनी जान दे दी.
अतुल ने 33वें टास्क का जिक्र सुसाइड नोट में नहीं किया था, क्योंकि फंदे पर लटकने के बाद वह 33वें टास्क पर डन या टिक नहीं लगा सकता था.
अतुल की कहानी उसी की जुबानी
अतुुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखने के साथ ही एक घंटा 21 मिनट 46 सेकेंड का वीडियो भी बनाया और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जिस में उस ने अपने दिल का दर्द बयां किया था. अपनी आत्महत्या की जो कहानी बताई, उसे सुन कर सभी सकते में आ गए. अतुल ससुरालीजनों द्वारा सुसाइड के लिए उकसाने, 2 साल से लगातार आर्थिक व मानसिक शोषण करने व न्यायालय से इंसाफ न मिलने पर वह अंदर तक आहत हो गया था. तब वह सुसाइड जैसा आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो गया.
अतुल सुभाष के पिता पवन मोदी छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले थे. बिहार आ कर उन्होंने व्यवसाय किया और बिहार के जिला समस्तीपुर के पूसा प्रखंड के वैनी पूसा रोड बाजार में रहने लगे. अतुल ने शुरुआती शिक्षा पूसा में लेने के बाद दिल्ली आ कर सौफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. 26 जून, 2019 को अतुल सुभाष की शादी उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी निकिता सिंहानिया के साथ एक मैट्रीमोनियल पोर्टल के माध्यम से तय हुई थी. उस के बाद दोनों फैमिली वालों की रजामंदी से वाराणसी के हिंदुस्तान इंटरनैशनल होटल में धूमधाम से शादी हुई. शादी के बाद निकिता Atul Subhash Suicide Case ससुराल समस्तीपुर पहुंची. वहां 2 दिन रहने के बाद पति अतुल सुभाष के साथ बेंगलुरु चली गई. बेंगलुरु में 20 फरवरी, 2020 को उसे बेटा हुआ.
अतुल के पिता पवन मोदी ने बताया कि पोते के जन्म के बाद देखभाल के लिए अतुल की मम्मी बेंगलुरु गईं. लेकिन डायबिटीज व अन्य बीमारियों के चलते उन्हें वापस आना पड़ा. फिर 2021 में अतुल की सास निशा सिंहानिया भी बेंगलुरु पहुंच गईं. उन्हें वहां बुलाना सब से बड़ी भूल साबित हुई. यहीं से हालत खराब हो गए.’’
सास पर क्यों लगाया घर तोडने का आरोप
सुसाइड के पीछे एकएक कर के कई राज अब सामने आ रहे हैं. अतुल सुभाष ने अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा है कि वह कई साल से ससुरालीजनों से प्रताडि़त हो रहा था. पत्नी निकिता सिंघानिया की मां निशा सिंघानिया की उस के वैवाहिक जीवन में दखलंदाजी से उस की बसीबसाई खुशहाल जिंदगी बिखरने लगी. अतुल के अनुसार, बेटे के जन्म के बाद सास निशा जब भी बेंगलुरु आती, निकिता को भड़काती थी. इस के चलते निकिता घर में मनमानी करने लगी और पतिपत्नी के रिश्ते में खटास आनी शुरू हो गई.
इस के बाद सास अपनी बेटी निकिता और और उस के 2 महीने के बच्चे को ले कर जौनपुर चली गई. पत्नी निकिता व ससुरालीजनों द्वारा रुपयों की मांग अतुल से की जाने लगी. अतुल ने लाखों रुपए ससुरालीजनों को दिए. लेकिन मांग फिर 50 लाख की होने लगी. तब अतुल ने असमर्थता व्यक्त करते हुए अपने दिए रुपए वापस मांगे.
अतुल पर हुए 9 मुकदमे दर्ज
अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उस की पत्नी निकिता साल 2021 में बेटे को ले कर मायके जौनपुर चली गई. इस के 8 महीने बाद साल 2022 में उस ने उस के फैमिली वालों पर दहेज उत्पीडऩ, हत्या की कोशिश, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने सहित 9 अलगअलग मामले दर्ज करा दिए. इतना ही नहीं, निकिता ने अपने पिता की मौत का जिम्मेदार भी अतुल व उस के परिवार वालों पर मढ़ दिया. उस ने रिपोर्ट में लिखाया कि दहेज में 10 लाख रुपए मांगने पर पिता सदमे में आ गए और उन्हें हार्ट अटैक आ गया, जिस से उन की 17 अगस्त, 2019 को मौत हो गई.
साल 2022 में निकिता ने प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, जौनपुर पीठासीन रीता कौशिक के न्यायालय में अपने व बेटे के मेंटीनेंस का वाद दाखिल किया. न्यायालय ने निकिता के नौकरी करने के बावजूद केवल बेटे के लिए 40 हजार रुपए प्रतिमाह गुजाराभत्ता देने के आदेश अतुल सुभाष को दिए. अतुल कोर्ट के आदेशानुसार 40 हजार रुपए प्रतिमाह भेजता था. अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि उस के खिलाफ 9 मामलों में 6 मुकदमे ट्रायल कोर्ट और 3 हाईकोर्ट में थे. 2 साल में कोर्ट में 120 तारीखें लगीं, जिस से वह पूरी तरह टूट गया. उसे साल में केवल 23 छुट्टियां मिलती थीं, बेंगलुरु से जौनपुर आनेजाने में ही समय निकल जाता.
वह तारीख से लौट कर आता, तब तक दूसरी तारीख का सम्मन आ जाता. उस का आरोप था कि जौनपुर अदालत की जज और उस के पेशकार ने मामला निपटाने के लिए उस से 5 लाख रुपए की रिश्वत भी मांगी. अतुल ने लिखा कि इस सिस्टम ने मुझे न्याय नहीं दिया, मेरा फैसला बाकी है. जौनपुर की परिवार अदालत में मुकदमे की सुनवाई का जिक्र करते हुए अपने सुसाइड नोट में अतुल ने लिखा है कि उस ने जज के सामने जब बताया कि उस की पत्नी ने झूठे मामले दर्ज कराए हैं. इस पर जज ने कहा, ”तो क्या हुआ? वह आप की पत्नी है और यह आम बात है.’’
अतुल ने कहा, ”झूठे मामलों के कारण कई लोग मर जाते हैं.’’
तो पत्नी निकिता ने कहा, ”आप भी ऐसा क्यों नहीं करते?’’
इस पर जज जोर से हंसी. अतुल ने लिखा, पत्नी ने ही मुझे सही रास्ता दिखाया. मर जाना ही इन सब का अंत है. अतुल ने बताया कि उस की पत्नी ने कंप्रोमाइज के लिए शुरू में एक करोड़ रुपए की मांग की, बाद में मांग बढ़ा कर 3 करोड़ कर दी.
मेहनत के पैसे से दुश्मन हो रहा बलवान
अतुल ने लिखा कि मेरी मेहनत का पैसा मेरे दुश्मनों को बलवान बना रहा है. बेहतर है कि मैं ही न रहंू. मेरी पत्नी और उस के फैमिली वाले मुझे मेरे बेटे से मिलने नहीं देते, वे लोग सिर्फ मुझ से पैसे मांग रहे हैं. अब तक लाखों रुपए दे चुका हंू. मैं जितना अधिक मेहनत करूंगा और अपने काम में बेहतर होता जाऊंगा, उतना ही मुझे और मेरे परिवार को परेशान किया जाएगा. जबरन वसूली की जाएगी और पूरी कानून व्यवस्था मुझे परेशान करने वालों के साथ है. मेरे पैसे से मेरे दुश्मन मजबूत हो रहे हैं.
उस ने लिखा कि जो पैसा मैं बेटे की परवरिश के लिए पत्नी को दे रहा हूं उसी पैसे का इस्तेमाल मेरे खिलाफ किया जा रहा है. मैं अपने वेतन पर जो टैक्स देता हंू, उस से पुलिस, कानूनी व्यवस्था मुझे और मेरे परिवार को परेशान करने में मदद कर रही है. अब मेरे जाने के बाद, कोई पैसा नहीं होगा और मेरे बूढ़े मम्मीपापा और मेरे भाई को परेशान करने का कोई कारण नहीं होगा. मैं ने भले ही अपने शरीर को नष्ट कर दिया हो, लेकिन मैं ने वह सब कुछ बचा लिया है, जिस पर मैं विश्वास करता हंू.
इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर अपने आखिरी वीडियो का लिंंक पोस्ट करते हुए एलन मस्क और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैग किया. अतुल ने लैटर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी एक लैटर लिखा है. इस में उस ने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंंड के बारे में बताया. जज की शिकायत सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से करने की बात भी कही.
बेटे को अतुल ने क्या दिया गिफ्ट
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में अपने साढ़े 4 साल के बेटे के गिफ्ट का जिक्र किया है. अतुल के मुताबिक, उस का एक साढ़े 4 साल का बेटा है, जिस से उसे मिलने तक नहीं दिया जाता था. हालांकि अपनी मौत से पहले अपने बेटे के लिए एक गिफ्ट की बात करते हुए उस ने कहा कि वह उस के लिए एक गिफ्ट छोड़ कर जा रहा है, जिसे वह चाहता है कि वर्ष 2038 में बेटे के 18 साल का होने पर खोला जाए. लेकिन अभी तक कोई ये समझ नहीं पाया है कि आखिर अतुल सुभाष ऐसा कौन सा गिफ्ट छोड़ कर गया, जिसे उस ने सालों बाद खोलने की बात कही है.
अतुल ने अपनी अस्थियां गटर में बहाने को क्यों कहा
अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में अपनी अंतिम 12 इच्छाओं में कहा है कि पत्नी मेरा शव न छू सके. इस के साथ ही उस से संबंधित जो भी 9 केस पेंडिंग हैं, उन की सुनवाई लोगों के सामने हो, ताकि लोग सच्चाई जान सकें. प्रताडि़त करने वालों को जब तक सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न की जाएं. अगर उन्हें प्रताडि़त करने वाले बरी हो जाएंं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं.
उस के 24 पन्नों के सुसाइड नोट व वीडियो को कोर्ट सबूत माने. जौनपुर की अदालत में जो केस चल रहे हैं, उन्हें ट्रांसफर कर बेंगलुरु में सुनवाई हो. बेटे की परवरिश निकिता अच्छी तरह नहीं कर सकती, उसे मेरे मम्मीपापा के सुपुर्द किया जाए. मेरे गुनहगारों को अधिकतम सजा दी जाए, लेकिन लीगल सिस्टम पर यकीन नहीं है. मेरे जाने के बाद गुनहगारों से कोई समझौता न किया जाए. मेरे मम्मीपापा व भाई को न सताया जाए. अतुल द्वारा सुसाइड की घटना मीडिया में हाईलाइट हो जाने के बाद जौनपुर में अपने घर से 12 दिसंबर की रात निकिता की मां निशा व भाई अनुराग रात सवा 11 बजे फरार हो गए. इस दौरान मीडिया वालोंं ने उन का वीडियो बनाते हुए पूछा, ”कहां जा रहे हैं?’’ तो जबाव में अनुराग ने कहा, ”मां की तबियत खराब है, उन्हें डाक्टर को दिखाने जा रहे हैं.’’
मां, बेटे मकान के पीछे वाले रास्ते से निकल कर किले के पास पहुंचे, जहां पहले से ही 2 बाइकें खड़ी थीं. उन पर बैठ कर वे निकल गए. वहां से वे जौनपुर के एक होटल पहुंचे, जहां कुछ देर रुकने के बाद वे कहीं निकल गए. इस से पहले दिन में जब मीडिया वाले निशा सिंघानिया के घर पहुंचे तो निशा व बेटे अनुराग ने उन्हें हड़काने का प्रयास किया. उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार करते हुए कहा, ”कोर्ट जाइए, हमारे एडवोकेट आप को पूरी बात बताएंगे.’’
डीसीपी शिवकुमार के आदेश पर 13 दिसंबर को बेंगलुरु से पुलिस की एक टीम जौनपुर निकिता के घर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था. इस पर पुलिस ने घर पर एक नोटिस चस्पा किया, जिस में 3 दिनों में थाने में उपस्थित हो कर अपने बयान दर्ज कराने की बात कही गई थी. एसीजेएम (प्रथम) काव्या सिंह की अदालत में चल रहे दहेज उत्पीडऩ के मामले में 12 दिसंबर को अतुल सुभाष पर आरोप तय होने थे, लेकिन 9 दिसंबर को ही अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी. इस पर अतुल सुभाष के एडवोकेट ने अतुल की डैथ रिपोर्ट मंगाने का प्रार्थनापत्र अदालत में दिया. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए 12 जनवरी, 2025 की तिथि नियत कर दी थी.
अतुल ने सुसाइड को उकसाने में लिए 5 नाम
अतुल सुभाष ने 5 लोगों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया. उकसाने वालों में महिला जज रीता कौशिक, पत्नी निकिता, सास निशा, साला अनुराग, चचिया ससुर सुशील के साथ ही पेशकार माधव के नाम शामिल थे. पुलिस ने 4 लोगों पत्नी निकिता, सास निशा, साले अनुराग व चचिया ससुर सुशील के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. चारों आरोपी फरार हो गए थे. जब ये चारों आरोपी बयान दर्ज कराने नहीं आए तो पुलिस ने इन्हें अरेस्ट करने की काररवाई तेज कर दी. एक सुराग मिलने के बाद बेंगलुरु पुलिस ने निकिता, निशा सिंघानिया व अनुराग उर्फ पीयूष को 14 दिसंबर को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया.
रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से निकिता लगातार अपना ठिकाना बदल रही थी. पुलिस ट्रैक न कर पाए, इसलिए निकिता वाट्सऐप काल करती थी. निकिता ने गुरुग्राम से एक फोन काल किया था, जिस की वजह से बेंगलुरु पुलिस ने उसे ट्रैक कर के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया. 15 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने के बाद सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. इस मामले में पत्नी निकिता के चाचा सुशील सिंघानिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई थी. हाईकोर्ट के जज आशुतोष श्रीवास्तव ने 16 दिसंबर को सुनवाई करते हुए सुशील सिंघानिया को अग्रिम जमानत दे दी. कोर्ट ने उन से पासपोर्ट पुलिस स्टेशन में जमा करने का निर्देश दिया.
निकिता ने अतुल पर लगाए कौन से आरोप
अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया ने अतुल व उस के फैमिली वालों के खिलाफ जो मामले दर्ज कराए थे, उन में आरोप लगाया गया था कि 26 जून, 2019 को उस की शादी अतुल के साथ हुई थी. शादी के बाद अतुल, उस के पापा पवन, मम्मी अंजू देवी, भाई विकास दहेज से संतुष्ट नहीं थे और दहेज में 10 लाख रुपए की मांग को ले कर प्रताडि़त करते थे. जबकि उस के पिता ने शादी में लगभग 35 लाख रुपए खर्च किए थे. इन में नकदी के साथ जेवर, बरतन व अन्य सामान भी दिया था.
अतुल शराब पी कर मारपीट व हैवानियत करता था. अतुल ने 16 अगस्त, 2019 को मायके पहुंच कर 10 लाख रुपए मांगे थे. इस सदमे में अगले दिन 17 अगस्त को उस के पापा मनोज की मौत हो गई. मम्मी, भाई व अन्य सगेसंबंधियों के समझाने पर अतुल उसे विदा करा कर बेंगलुरु ले गया. फिर 17 मई, 2021 को अतुल ने मारपीट कर उसे घर से निकाल दिया था. तब से वह अपने मायके में रह रही है.
पतिपत्नी की लव स्टोरी में कौन था तीसरा शख्स
निकिता का पति अतुल पर आरोप था कि उस का एक लड़की से नाजायज संबंध था. औफिस की 1-2 लड़कियों से अफेयर था. इन बातों की जानकारी निकिता को बेंगलुरु जा कर पता चली. निकिता का आरोप था कि इस संबंध में जब उस ने अपनी मम्मी के सामने अतुल से पूछा तो अतुल ने मां के सामने ही मुझे लातघूेसों से पीटा. ये आरोप निकिता ने कोर्ट में अतुल पर लगाए थे. जबकि कोर्ट में ही अतुल सुभाष ने पत्नी निकिता पर आरोप लगाया था कि निकिता का संबंध किसी युवक अशोक (परिवर्तित नाम) से था. उस की हरकतों से ऐसा लगता है. इस बात को ले कर मेरे और निकिता के बीच विवाद हुआ था.
अतुल और उस की पत्नी इंजीनियर निकिता सिंघानिया के बीच सिर्फ दहेज उत्पीडऩ जैसे ही विवाद नहीं थे. दोनों में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को ले कर भी विवाद था. दोनों को एकदूसरे पर शक था. अतुल के पापा पवन, मम्मी अंजू देवी व भाई विकास घटना के बाद बेंगलुरु गए, जहां पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद अतुल की डैडबौडी फैमिली वालों को सौंप दी. डैडबौडी को ले कर फैमिली वाले हवाई मार्ग से पटना पहुंचे, जहां से डैडबौडी को समस्तीपुर घर पर लाया गया. वहां अंतिम संस्कार करने के बाद अतुल की अस्थियां कलश में बंद कर दी गईं.
पापा पवन मोदी ने बताया कि शादी के बाद कब, कैसे और किन कारणों से दोनों के बीच रिश्ते बिगड़े, यह पता नहीं. लेकिन मेरा बेटा बहुत मानसिक पीड़ा से गुजर रहा था. एक आदमी जिस ने शादी की या बरबादी, वो खुद भी नहीं जानता था. शादी के बाद दोनों हनीमून के लिए मारीशस गए थे. इस के बाद वह पत्नी के दबाव में रहा. उस की हर बात मानी. अतुल 17 किलोमीटर दूर रोज उसे उस के औफिस छोडऩे जाता, फिर 17 किलोमीटर लेने जाता. इस के अलावा वह खुद अपने औफिस भी जाता था. उस का आधा दिन तो ट्रैवलिंग में ही गुजर जाता था. हमारी वृद्धावस्था का लिहाज करते हुए बेटे अतुल ने हमें कभी नहीं बताया कि उस की पत्नी उसे कितना टार्चर कर रही है. वह सब कुछ सहता रहा. मेरे बेटे पर नशे का आरोप लगाया, जबकि वह कभी शराब नहीं पीता था. उस ने पत्नी Atul Subhash Suicide Case की डिलीवरी के दौरान लाखों रुपए खर्च किए.
उस से केस सेटलमेंट के लिए कोर्ट में 5 लाख रुपए मांगे गए. तब अतुल ने कहा कि मैं पढ़ालिखा आदमी हंू. मैं अगर रिश्वत दूंगा तो इस से क्या संदेश जाएगा, इसलिए मैं रिश्वत नहीं दूंगा. वह बेंगलुरु से जौनपुर तारीख करने जाता, पता चलता कि उस दिन जज साहिबा नहीं आई हैं. पेशी के लिए चाहे कितनी दूर से आदमी आए, पेशकार उसे अगली तारीख दे देता है. पवन मोदी ने बताया कि पहले दोनों के संबंध मधुर थे. जब कोराना काल शुरू हुआ तो बेंगलुरु में सब से ज्यादा खराब हालात थे. बहू निकिता को कोराना हुआ तो अपनी मम्मी की जगह अतुल ने सास निशा को बुला लिया. बस, यही गलती उसे भारी पड़ गई.
सास ने अतुल से पैसे मांगने शुरू कर दिए. अतुल पहले ही काफी रुपए दे चुका था, उस ने और रुपए देने से मना कर दिया. इस के चलते संबंधों में दरार आ गई.
धारा 498ए के मिसयूज पर अंकुश जरूरी
वकीलों ने अतुल सुभाष मोदी के मामले में एक बार फिर धारा 498ए के मिसयूज पर सवाल उठाते हुए इस मामले को गंभीरता से लेने की मांग की है. एडवोकेट विकास पाहवा ने कहा, ‘यह बहुत गंभीर मामला है. पिछले 3 दशकों की वकालत में मैं ने देखा है कि कैसे 498ए का दुरुपयोग हमारे अपने लोगों, कानूनी बिरादरी, पुलिस तंत्र और असंतुष्ट महिलाओं की ओर से किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस घटना ने विवाद को नया जन्म दिया है और इस मुद्ïदे को देश के लोगों के सामने लाया है. इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. धारा 498ए के मिसयूज पर अंकुश लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे समाज के सामाजिक तानेबाने को प्रभावित करता है.’
सुसाइड जैसा कदम उठाने से न्याय व्यवस्था को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. सुसाइड जैसा फैसला लेना गलत है. जान देना समस्या का कोई हल नहीं है. अनसुलझे वैवाहिक मुद्ïदों, वाइफ व उस की फैमिली के टार्चर और अदालत से न्याय नहीं मिलने के फेर में 34 वर्षीय एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी ने मौत को चुना. सुसाइड को अंतिम विकल्प मानते हुए अतुल सुभाष चला तो गया लेकिन अपने पीछे तमाम प्रश्न छोड़ गया, जिन का उत्तर तलाशना अभी शेष है.
दूर के रिश्तेदारों को न फंसाया जाए-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक मतभेदों से पैदा हुए घरेलू विवादों में पति और उस के फैमिली वालों को घरेलू प्रताडऩा के झूठे मामले में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 10 दिसंबर, 2024 को ऐसा ही एक मामला खारिज करते हुए कहा कि धारा 498ए (घरेलू प्रताडऩा) पत्नी और उस के परिजनों के लिए हिसाब बराबर करने का हथियार बन गई है.
शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी तेलंगाना से जुड़े एक मामले में की. दरअसल, एक पति ने पत्नी से तलाक मांगा था. इस के खिलाफ पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू क्रूरता का केस दर्ज करा दिया. पति इस के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट गया, लेकिन कोर्ट ने उस के खिलाफ दर्ज केस रद्ïद करने से इनकार कर दिया. इस के बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. शीर्ष कोर्ट ने इसे हाईकोर्ट की गंभीर गलती मानते हुए केस रद्द कर दिया. पिछले महीने भी शीर्ष कोर्ट ने सभी अदालतों को चेतावनी दी थी कि वे यह सुनिश्चित करें कि डोमेस्टिक वायलेंस के मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों को अनावश्यक रूप से न फंसाया जाए.
पत्नी के टार्चर पर एक और आत्महत्या
बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी के सुसाइड पर हंगामा अभी थमा भी नहीं है कि शहर में एक और सुसाइड का ऐसा ही मामला सामने आ गया. हुलीमावु पुलिस स्टेशन के 33 वर्षीय पुलिस हैडकांस्टेबल टिपन्ना अलुगुर ने 13 दिसंबर, 2024 की देर रात बायप्पनहल्ली में ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली.
कन्नड़ भाषा में लिखे अपने सुसाइड नोट में उस ने अपनी पत्नी पार्वती और ससुर यमुनाप्पा पर टार्चर और हैरेसमेंट के आरोप लगाते हुए आत्महत्या करने के लिए जिम्मेदार ठहराया. टिपन्ना उत्तर कर्नाटक के विजयपुरा जिले के सिंधगी शहर के पास हंडिगानुरू गांव का निवासी था. बायप्पनहल्ली रेलवे पुलिस मामले की जांच कर रही है.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित