सिरिशा बांदला

वर्जिन गैलेक्टेटिक स्पेसशिप ने 11 जुलाई, रविवार की शाम अंतरिक्ष की दुनिया में कदम रख दिया. इसी के साथ वर्जिन गैलेक्टेटिक के मालिक निजी स्पेसशिप से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले उद्योगपति बन गए हैं.

इस स्पेसशिप में उन के साथ जाने वाले 5 लोगों में भारतीय मूल की सिरिशा बांदला भी थीं. सिरिशा ने अंतरिक्ष की यह यात्रा कर के अपने परिवार का ही नहीं, एक तरह से देश का भी नाम रोशन किया है.

एक कहावत है, ‘‘मेरे अंदर हौसला अभी जिंदा है, हम वो हैं जहां मुश्किलें भी शर्मिंदा हैं.’’ कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अब इस कहावत को चरितार्थ किया है सिरिशा बांदला ने. पूरी दुनिया में भारत का लोहा मनवाने वाली और एक नया इतिहास रचने वाली सिरिशा आंध्र प्रदेश के गुंटूर की रहने वाली हैं.

सिरिशा बांदला भारत की ओर से अंतरिक्ष में गई हैं. भारत की ओर से अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला के बाद वह दूसरी महिला हैं और भारतीय मूल की चौथी. इन से पहले राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं.

अंतरिक्ष में जाने वाली सिरिशा बांदला का जन्म 1987 में आंध्र प्रदेश के जिला गुंटूर शहर में डा. मुरलीधर बांदला और अनुराधा बांदला के घर हुआ था. उन का एक भाई भी है गणेश बांदला. फिलहाल उन का परिवार अमेरिका में ह्यूस्टन, टेक्सास में रहता है.

उन का पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई ह्यूस्टन टेक्सास में ही हुई थी. उन के पिता डा. मुरलीधर बांदला एक वैज्ञानिक हैं. वह अमेरिकी सरकार में सीनियर एग्जीक्यूटिव सर्विसेज के सदस्य भी हैं.

पिता अमेरिका में रहते थे, इसलिए सिरिशा का बचपन अमेरिका में ही बीता. वैज्ञानिक बाप की बेटी होने की वजह से उन्होंने राकेट और स्पेसक्राफ्ट बहुत नजदीक से देखे थे.

आसमान में राकेट को उड़ता देख कर उन के मन में स्पेस के बारे में जिज्ञासा होती थी. पर उस समय तो उन्हें यह सपना लगता था. उन्होंने तब नहीं सोचा था कि आगे चल कर उन का यह सपना पूरा भी होगा. सिरिशा ने पर्ड्यू यूनिवर्सिटी से एयरोनौटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और उस के बाद जार्जटाउन यूनिवर्सिटी से मास्टर औफ बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) किया.

पढ़ाई पूरी होने के बाद वह एयरफोर्स में भरती हो कर पायलट बनना चाहती थीं. लेकिन आंख में कोई समस्या होने की वजह से उन का यह सपना अधूरा ही रह गया.

तब किसी और की छोड़ो, उन्होंने भी नहीं सोचा था कि आगे चल कर वह मांबाप का ही नहीं, देश का भी नाम रोशन करेंगीं.

वह एयरफोर्स में नहीं जा सकीं तो 2015 में टेक्सास की एक एयरस्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टेटिक में इंजीनियर की नौकरी कर ली. उन्होंने कमर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन में काम किया.

बहुत ही कम समय में वह वर्जिन गैलेक्टेटिक कंपनी में सरकारी कामों की वाइस प्रेसिडेंट हो गईं. जल्दी ही उन्होंने 747 विमान का उपयोग कर के अंतरिक्ष में एक उपग्रह भी पहुंचाया.

अपनी प्रतिभा की ही बदौलत मात्र 6 साल की नौकरी में सीनियर पद हासिल कर आज उद्योगपति रिचर्ड ब्रैनसन की स्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टेटिक के अंतरिक्ष यान वर्जिन और्बिट से 11 जुलाई को वह अंतरिक्ष की यात्रा कर आईं.

रिचर्ड ब्रैनसन सहित 6 अंतरिक्ष यात्रियों में एक सिरिशा बांदला भी थीं. इस घोषणा के बाद सिरिशा बांदला ने ट्वीट किया था, ‘मुझे यूनिटी-22 क्रू और उस कंपनी का हिस्सा होने पर गर्व महसूस हो रहा है.’

फिलहाल वह वर्जिन और्बिट के वाशिंगटन औपरेशंस के पद को संभाल रही हैं. रिचर्ड ब्रैनसन ने पहली जुलाई को घोषणा की थी कि उन की अगली अंतरिक्ष यात्रा 11 जुलाई को होगी. तभी उन्होंने कहा था कि इस अंतरिक्ष यात्रा में उन्हें मिला कर कुल 6 लोग होंगे.

उन का कहना था कि अंतरिक्ष में किसी बाहरी को भेजने के बजाय पहले वह अपनी कंपनी के कर्मचारियों को मौका देंगे. इस से उन की कंपनी द्वारा तैयार किए गए अंतरिक्ष यान की अच्छी तरह जांचपरख हो जाएगी.

वर्जिन गैलेक्टेटिक कंपनी आम लोगों के लिए अंतरिक्ष यात्रा आसान बनाना चाहती है. वर्जिन और्बिट अंतरिक्ष यान को कैरियर प्लेन कास्मिक गर्ल द्वारा पृथ्वी से लगभग 35 हजार फुट की ऊंचाई पर ले जाया गया.

सिरिशा तेलुगू एसोसिएशन आफ नौर्थ अमेरिका (टीएएनए) की सदस्य भी हैं. यह उत्तरी अमेरिका का सब से बड़ा और पुराना इंडो अमेरिकन संगठन है. कुछ साल पहले ही इस संगठन ने सिरिशा को यूथ स्टार अवार्ड से नवाजा था.

इस के अलावा सिरिशा अमेरिका एस्ट्रोनौटिकल सोसायटी एंड फ्यूचर स्पेस लीडर्स फाउंडेशन के बोर्ड औफ डायरेक्टर्स में भी शामिल हैं. इस के अलावा वह पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के यंग प्रोफेशनल एडवाइजरी काउंसिल की भी सदस्य हैं.

सिरिशा बांदला मैक्सिको से विंग्ड राकेट शिप द्वारा अंतरिक्ष की यात्रा के लिए उड़ान भरेंगी. वह ह्यूमन टेंडेड रिसर्च एक्सपीरियंस की इंचार्ज भी थीं, जिस की वजह से उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एस्ट्रोनौट पर होने वाले असर का अध्ययन भी किया.

यह यात्रा पूरी करने के बाद सिरिशा बांदला की कंपनी के मालिक 71 साल के रिचर्ड ब्रैनसन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टेटिक की टीम की यह 17 साल की मेहनत का परिणाम है.

अंतरिक्ष में जाने वाले स्पेसशिप के उड़ान भरने से ले कर वापस आने में कुल एक घंटे का समय लगा. इस यात्रा पर जाने वाले सभी लोगों ने अंतरिक्ष में करीब 5 मिनट तक रुक कर भारहीनता का अनुभव किया.

अंतरिक्ष की यात्रा पर जाने वाला अंतरिक्ष यान साढ़े 8 मील यानी 13 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा कर मूल विमान से अलग हो गया और करीब 88 किलोमीटर की ऊंचाई पर जा कर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंच गया, जहां इस यात्रा पर सभी लोगों ने भारहीनता का अनुभव किया.

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