Love Story : फैमिली वालों ने हिना पर जितनी बंदिशें लगाईं, उतना ही उस का प्यार गहरा होता गया. वह कई बार अपने प्रेमी हितेश के साथ घर से भाग भी गई. इस के बाद उस के फैमिली वालों ने क्या किया? क्या हिना को उस का प्यार मिल सका? पढ़ें, फैमिली क्राइम की यह खास कहानी.

हिना को न जाने कितनी बार समझाया गया, पर वह अपनी जिद पर अड़ी रही. बेटी की इस जिद से फैमिली के सभी मेंबर परेशान थे. पिता अरविंद सिंह को लगने लगा था कि अगर बेटी हिना ने भाग कर हितेश के साथ मैरिज कर ली तो उन की समाज के सामने इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. इसलिए उसे अब खत्म करना ही बेहतर होगा. मन में यह विचार आने के बाद अरविंद सिंह ने अगस्त के अंतिम सप्ताह में अपने भतीजे गजेंद्र सिंह को अहमदाबाद के नरोड़ा स्थित अपने घर बुलाया. गजेंद्र सिंह अहमदाबाद के बाकरोल गांव का उपसरपंच था.

अरविंद सिंह ने भतीजे से कहा, ”गजेंद्र, मैं ने हिना को बहुत समझाया, पर वह मान नहीं रही है. वह अपनी बात पर अड़ी है कि विवाह करेगी तो हितेश से ही करेगी. 3 बार उस के साथ भाग भी चुकी है. अब अगर वह फिर से उस के साथ भागती है तो गांव और समाज में हमारी क्या इज्जत रह जाएगी. हम गांव में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. इसलिए उस का कुछ करना होगा.’’

अरविंद सिंह की बात सुन कर गजेंद्र ने कहा, ”चाचा, मैं हर तरह से आप के साथ हूं.’’

इस तरह गजेंद्र भी अरविंद सिंह का साथ देने को तैयार हो गया था. इस की वजह यह थी कि उपसरपंच होने की वजह से उसे लगता था कि वह समाज का नेता है. इसलिए हिना की वजह से उस की अधिक बदनामी नहीं होनी चाहिए. इस के बाद चाचा भतीजे ने हिना की हत्या का प्लान बना डाला. दोनों ने तय किया कि वे हिना को बड़ौदा के नजदीक स्थित अनगढ़ गांव मेलडी माता का दर्शन कराने के बहाने वहां ले जाएगे और वहीं उस का मर्डर कर देंगे.

यह प्लान बनाने के बाद गजेंद्र सिंह ने गांव के ही भरत चुनारा से बात की और उस से एक आदमी को और तैयार करने को कहा. इस के कुछ दिनों बाद एक दिन अचानक अरविंद सिंह ने बेटी हिना से कहा, ”बड़ौदा के पास अनगढ़ गांव में मेलडी माता का मंदिर है. मैं ने तुम्हारे वापस आने की मनौती मांगी थी. अब तुम वापस आ गई हो तो चलो तुम्हें दर्शन करा लाते हैं.’’

हिना को क्या पता था कि पापा ने उस की हत्या का प्लान बना रखा है. इस बात से अंजान हिना ने पापा के साथ अनगढ़ जाने के लिए हामी भर दी. दूसरी ओर अरविंद सिंह उस के मर्डर करने की तैयारी में लगा था. 5 सितंबर, 2024 की सुबह अरविंद सिंह ने अपने दामाद (हिना से बड़ी बेटी काजल के पति) को फोन कर के कहा, ”हिना की मान्यता पूरी करने के बाद हमें अनगढ़ जाना है. इसलिए तुम काजल को हमारे साथ भेज दो.’’

इस के बाद उसी दिन 11 बजे काजल नरोड़ा स्थित अपने मायके आ गई. काजल के नरोड़ा आने के आधे घंटे बाद यानी साढ़े 11 बजे के आसपास अरविंद सिंह, काजल, उस का 3 साल का बेटा और हिना गजेंद्र सिंह की कार से अनगढ़ के लिए निकल पड़े. यह कार गजेंद्र सिंह की ही थी.

मंदिर के बहाने क्यों दी मौत

रास्ते से फोन कर के गजेंद्र सिंह ने भरत चुनारा और उस के साथी नरेश को रामोल में मिलने के लिए कहा. रामोल पहुंच कर गजेंद्र सिंह ने भरत को 2 हजार रुपए औनलाइन भेज कर अनगढ़ पहुंचने के लिए कहा. इस के बाद अरविंद सिंह और कार में सवार बाकी लोग अहमदाबाद-बड़ौदा हाइवे से अनगढ़ गांव पहुंच गए. इस बीच गजेंद्र सिंह और भरत चुनारा लगातार संपर्क में बने रहे. गजेंद्र सिंह ने एक बार और भरत को 2 हजार रुपए ट्रांसफर किए. अनगढ़ पहुंचने के बाद 3 बजे के आसपास सभी ने मेलडी माता के मंदिर में दर्शन किए. दर्शन करने के बाद सभी अहमदाबाद स्थित नरोड़ा के लिए चल पड़े. लौटते समय गजेंद्र सिंह ने भरत चुनारा को अपनी कार के पीछे आने के लिए कहा. अब केवल कार ही आगे नहीं बढ़ रही थी, बल्कि अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह भी अपने प्लान के अनुसार आगे बढ़ रहे थे.

वापस लौटते समय ये लोग नदेसर से बड़ौदा बाईपास होते हुए हलोल हाइवे पर आ गए थे, जहां एक होटल पर रुक कर चायनाश्ता करते हुए अंधेरा होने का इंतजार करने लगे. क्योंकि अंधेरा होने पर वे आसानी से हिना का मर्डर कर सकते थे. इस के लिए वे नहर के आसपास अंदर के रास्ते पर कार घुमाने लगे. अब तक रात के 8 बज चुके थे और अंधेरा भी हो चुका था. तब अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह को लगा कि अब हिना का मर्डर करने में कोई परेशानी नहीं होगी. मौका देख कर गजेंद्र सिंह ने बड़ी नर्मदा नहर की ओर कार मोड़ दी. भरत और नरेश भी उन के पीछेपीछे चल रहे थे.

नहर के किनारे चलते हुए उन की कार 3 पुल पार कर चुकी थी. चौथा पुल आते ही गजेंद्र सिंह ने यूटर्न ले कर कार रोक दी. संयोग से उस समय पानी बरस रहा था. पीछे आ रहे भरत और नरेश की कार मिट्टी में फंस गई तो उन्होंने अपनी कार वहीं छोड़ दी. दूसरी ओर अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह कार से उतरे और पीछे का दरवाजा खोल कर हिना का हाथ पकड़ कर बाहर खींच लिया. कार में बैठी हिना की बहन Love Story काजल बाहर न आ सके, इस के लिए उन्होंने दरवाजा बंद कर के कार को लौक कर दिया. अब तक भरत और नरेश भी गजेंद्र की कार के पास आ गए थे.

अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह हिना को खींच कर नहर के पास ले गए और धक्का मार कर नहर में धकेल दिया. कार के पास खड़े भरत और नरेश यह सब देख रहे थे. हिना के नहर में गिरते ही नरेश दौड़ कर नहर में कूद गया और हिना का हाथ पकड़ कर बाहर निकाल लाया. इस तरह उस ने हिना को बचा लिया. यह देख कर गजेंद्र सिंह नरेश पर बहुत गुस्सा हुआ. उस ने नरेश को गालियां देते हुए वहां से हट जाने को कहा. तब नरेश और भरत गजेंद्र सिंह की कार के पास आ कर खड़े हो गए. अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह किसी भी हालत में हिना को मौत के घाट उतारना चाहते थे. क्योंकि उन्हें हिना को उसी वक्त मारना ही मारना था. इसलिए गजेंद्र सिंह ने हिना को पीछे से पकड़ लिया तो अरविंद सिंह ने हिना के ही दुपट्टे से उस का गला कस कर उस की हत्या कर दी.

फैमिली ने रात में ही क्यों जलाई चिता

हिना ने अपनी जान बचाने की काफी कोशिश की थी, काफी विरोध किया था, परंतु गजेंद्र सिंह ने उसे पूरी ताकत से पकड़ रखा था, इसलिए लाख कोशिश कर के भी वह खुद को बचा नहीं सकी. थोड़ी ही देर में उस की मौत हो गई. जब अरविंद सिंह और गजेंद्र सिंह को विश्वास हो गया कि हिना मर चुकी है तो उन्होंने भरत और नरेश को पीछे की सीट पर बैठने को कहा. इस के बाद हिना की लाश को उठा कर पीछे की सीट पर रख दिया. बाद में जब अरविंद सिंह भी सीट पर बैठा तो हिना की लाश को उठा कर सभी ने गोद में रख लिया. उस समय काजल आगे की सीट पर बैठी थी.

हिना की लाश कार में रख कर सभी लोग चल पड़े. रास्ते से ही गजेंद्र सिंह ने अपने साले उपेंद्र सिंह को फोन कर के भरत की फंसी हुई कार के बारे में बता कर चाबी ले जाने के लिए कहा. बीच रास्ते में पांच देवड़ा के पास बस स्टैंड पर गजेंद्र सिंह ने भरत की कार की चाबी उपेंद्र सिंह के दोस्त को दे दी थी. दूसरी ओर अरविंद सिंह ने अपने भाइयों पोपट सिंह (गजेंद्र सिंह के पिता) और नटवर सिंह को फोन कर के बता दिया था कि उन्होंने हिना का मर्डर कर दिया है और उस की डैडबौडी ले कर सीधे श्मशान पहुंच रहे हैं. वे लोग उस के अंतिम संस्कार यानी जलाने की पूरी तैयारी कर के रखें.

अरविंद सिंह ने काजल को रास्ते में गगाड़ गांव के पास उतार दिया था. काजल को उतारने के बाद अरविंद सिंह और अन्य लोग हिना की डैडबौडी को ले कर बाकरोल गांव के श्मशान की ओर चल पड़े. गजेंद्र सिंह कार धीरेधीरे चला रहा था. 6 सितंबर की रात लगभग साढ़े 12 बजे ये सभी श्मशान के नजदीक पहुंचे. संयोग से श्मशान जाने वाले रास्ते में पानी भरा था. इसलिए वहां जाने के बजाय सभी हिना की लाश ले कर गजेंद्र सिंह के एस्टेट में आ गए. यहां गजेंद्र सिंह के पिता पोपट सिंह, नटवर सिंह और छोटा भाई राजदीप सिंह सारी तैयारी किए सफेद कार के साथ पहले से ही खड़े थे. हिना की बौडी जल्दी जल जाए, इस के लिए वे लकड़ी के साथ 20 लीटर डीजल भी साथ ले कर आए थे.

यहां पिकअप वैन में लकडिय़ां, डीजल और लाश रख कर सभी उसी में बैठ गए और देर रात को सभी हिना की लाश ले कर बाकरोल गांव के श्मशान पहुंचे. लेकिन भरत और नरेश एस्टेट में ही रुक गए थे. श्मशान पहुंच कर अरविंद सिंह ने भाइयों और भतीजे की मदद से हिना की चिता में आग लगा दी. इस तरह रात 3 बजे तक उन्होंने हिना की डैडबौडी को जला दिया. बौडी जल्दी जल जाए, इस के लिए ये लोग थोड़ीथोड़ी देर में साथ लाया डीजल लाश पर थोड़ाथोड़ा डालते रहे. रात 3 बजे तक डैडबौडी जला कर सभी अपनेअपने घर चले गए.

हिना ने क्यों नहीं मानी फैमिली वालों की बात

6 सितंबर, 2024 की सुबह यही कोई 4 बजे गुजरात के अहमदाबाद के थाना कणभा के अंतर्गत आने वाले बाकरोल गांव के रंजीतभाई चौधरी खेत की ओर जा रहे थे, तभी उन की नजर रास्ते के बगल स्थित गांव के श्मशान पर पड़ी. उन्होंने देखा कि उतनी रात को श्मशान में चिता सुलग रही है. चिता को सुलगते देख उन्हें हैरानी हुई कि इतनी रात को किस का अंतिम संस्कार किया गया है? जबकि आज तो गांव में किसी की भी मौत भी नहीं हुई है, तब श्मशान में यह किस की लाश जलाई गई है? खेत से लौट कर उन्होंने इस बात की चर्चा अन्य लोगों से की तो सभी को आश्चर्य हुआ, क्योंकि गांव में सचमुच किसी की मौत नहीं हुई थी. यह बात जब रंजीत ने गांव के सरपंच रणछोड़ भाई को बताई तो उन्हें इस मामले में कुछ गड़बड़ी दिखाई दी.

एक बार उन्होंने भी अपने हिसाब से पता लगवाया कि गांव में कोई मरा तो नहीं है. जब उन्हें इस बारे में कोई सही जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को इस बात की सूचना दे दी. पुलिस कंट्रोल रूम ने यह सूचना थाना कणभा पुलिस और एलसीबी (लोकल क्राइम ब्रांच) को दी तो थोड़ी ही देर में थाना कणभा के एसएचओ आर.एन. करमटिया और एलसीबी की टीम गांव बाकरोल के श्मशान में पहुंच गई. पुलिस के पहुंचने तक वहां सब जल चुका था. केवल राख और कुछ हड्डियां वहीं पड़ी थीं.

पुलिस ने एफएसएल की टीम और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रैट को सूचना दे कर श्मशान में बुलवा लिया. उन की मौजूदगी में पुलिस ने चिता पर जल चुकी लाश की हड्डियों के अवशेषों के 3 अलगअलग नमूनों को फोरैंसिक पोस्टमार्टम कराने के लिए एफएसएल लैब में भिजवा दिया. इस के बाद पुलिस ने 11 सितंबर, 2024 को इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू की. पुलिस के सामने पहला सवाल यह था कि श्मशान में किस ने किस का अंतिम संस्कार किया था? इस सवाल का जवाब पाने के लिए एसएचओ आर.एन. मरकटिया ने सहयोगियों के साथ गांव बाकरोल जा कर पूछताछ शुरू की.

इस पूछताछ में उन्हें पता चला कि गांव के ही रहने वाले अरविंद सिंह सोलंकी की बेटी हिना का गांव के ही हितेश सोलंकी से लव अफेयर Love Story चल रहा था. जिस की वजह से 13 अगस्त, 2024 को हिना हितेश के साथ भाग गई थी. अरविंद सिंह सोलंकी ने थाना कणभा में हितेश के खिलाफ बेटी हिना को भगा ले जाने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. तब पुलिस ने हिना और हितेश को खोज कर 19 अगस्त, 2024 को हिना को उस के पिता अरविंद सिंह के हवाले कर दिया था. इस बात से अरविंद सिंह काफी गुस्से में था. क्योंकि बेटी के भाग जाने से समाज में उस के परिवार की काफी बदनामी हुई थी.

पुलिस ने जब हितेश के घर पता किया तो वह अपने घर पर ही था. इस के बाद पुलिस ने हिना के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि इस के पहले भी हिना और हितेश 2 बार भाग चुके थे. हिना हितेश से मिल न सके और उस से उस का प्रेम संबंध न रहे, इस के लिए उस का परिवार नरोड़ा रहने चला गया था.

मनगढंत कहानी की ऐसे निकली हवा

इस के बाद एसएचओ अपनी टीम के साथ नरोड़ा स्थित अरविंद सिंह सोलंकी के घर पहुंचे. पूछताछ में पता चला वहां हिना नहीं है. पुलिस ने जब अरविंद सिंह से हिना के बारे में पूछा तो पहले उस ने गोलमोल जवाब दिए. लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो उन्होंने कहा, ”उस की डेथ हो गई थी. फिर हम ने उस का गांव के श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया था.’’

”उस की मौत कैसे हुई थी?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

”साहब, उस की तबीयत खराब थी. उसे बुखार था, जिस की वजह से सिर में दर्द था और उल्टियां हो रही थीं. इस के लिए उसे दवा दी गई थी. दवा खा कर वह सो गई. सोते में ही उस की मौत हो गई थी. उस के बाद बाकरोल के श्मशान में उस का अंतिम संस्कार कर दिया.’’ अरविंद सिंह ने बताया.

”हिना को बुखार था तो क्या उसे किसी डाक्टर को दिखाया था?’’ आर.एन. मरकटिया ने सवाल किया.

”इस की जरूरत ही महसूस नहीं हुई साहब. क्योंकि हिना की सांस नहीं चल रही थी.’’ अरविंद सिंह ने कहा.

अरविंद सिंह के इस जवाब से एसएचओ को लगा कि यह कुछ छिपा रहा है. फिर भी उन्होंने उस से कुछ नहीं कहा. वह अपनी टीम के साथ थाने वापस आ गए थे. इस के बाद उन्होंने अपने मुखबिरों को अरविंद सिंह और उस के घर वालों के बारे में पता करने के लिए लगा दिया. मुखबिर ने उन्हें बताया कि हिना का हितेश के साथ भागना उस के फैमिली को अच्छा नहीं लगा था. सभी ने इसे इज्जत का सवाल बना लिया था. यह सूचना मिलने के बाद पुलिस ने सच्चाई का पता करने के लिए तकनीक का सहारा लिया. जिस दिन घटना घटी थी यानी 5 सितंबर की रात हिना का परिवार कहां था?

पुलिस ने जब यह पता किया तो अरविंद सिंह की जो ट्रैवलिंग हिस्ट्री मिली, उस के अनुसार उस दिन हिना का परिवार बड़ौदा और हलोल की ओर था. यही नहीं, पुलिस को अरविंद सिंह की लोकेशन के साथ कुछ अन्य फोन नंबर भी मिले थे. इस से पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि जिस दिन यह कांड हुआ, अरविंद सिंह के साथ और भी कई लोग थे. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस को जो शक था, वह और मजबूत हुआ. एसएचओ आर.एन. मरकटिया ने अरविंद सिंह को थाने बुला कर उस से पूछा, ”तुम तो कह रहे थे कि 5 सितंबर की रात तुम घर पर थे. जबकि हमारे पास सबूत हैं कि उस रात तुम बड़ौदा की तरफ थे.’’

अब अरविंद सिंह क्या जवाब देता, इसलिए उस ने स्वीकार कर लिया कि उस की बेटी हिना की मौत तबीयत खराब होने से नहीं हुई थी, बल्कि उन्होंने ही अपने फैमिली वालों की मदद से उस की हत्या की थी. इस के बाद एसपी ओमप्रकाश जाट की मौजूदगी में अरविंद सिंह ने हिना की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस प्रकार थी. अरविंद सिंह सोलंकी मूलरूप से अहमदाबाद के बाकरोल गांव का रहने वाला दबंग व्यक्ति था. वह गांव का उपसरपंच भी रह चुका था. उस के परिवार में पत्नी, 2 बेटियां काजल, हिना और एक बेटा था. वह गांव में ही रह कर खेती करता था. चूंकि Love Story उस का गांव शहर से जुड़ा हुआ था, इसलिए खेती से वह अच्छी कमाई कर रहा था.

अरविंद सिंह की बेटी हिना का एक साल से गांव के ही रहने वाले हितेश नाम के युवक से अफेयर चल रहा था. चूंकि दोनों एक ही कास्ट के थे, इसलिए उन का विवाह होना संभव नहीं था. जब फैमिली को हिना के अफेयर का पता चला तो उन्होंने उसे समझाया कि यह मैरिज संभव नहीं है, क्योंकि लड़का उन्हीं की कास्ट का है. फैमिली के समझाने का हिना पर कोई असर नहीं हुआ. तब अरविंद सिंह अपनी फैमिली को ले कर अहमदाबाद के नरोड़ा रहने चला गया था. नरोड़ा आ कर भी फैमिली वाले हिना को हितेश से दूर रहने के लिए समझाते रहे, लेकिन हिना हमेशा यही कहती रही कि वह शादी करेगी तो हितेश से ही करेगी. इस के लिए वह कुछ भी कर सकती है. वह हितेश के अलावा किसी दूसरे से कभी शादी नहीं करेगी.

हिना की इस जिद पर फैमिली वालों को लगा कि इस की जिद की वजह से वह कहीं मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे, इसलिए अरविंद सिंह ने अन्य रिश्तेदारों के साथ एक प्लान बना कर हिना का मर्डर कर उस की डैडबौडी चोरीछिपे श्मशान में जला दी. लेकिन अंधेरे में किए गए इस अपराध का भांडा फूट ही गया. इस के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ हिना की हत्या का मुकदमा दर्ज कर औनर किलिंग के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक सारे आरोपी जेल में थे.

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