हर मातापिता की इच्छा होती है कि उन के बच्चे पढ़ाईलिखाई कर के आगे बढ़ें, उन की शादियां हों और वे अपनी दुनिया में खुश रहें. अशोक कुमार की बेटी साक्षी इंडियन आर्मी में मिलिट्री नर्सिंग सर्विसेज में लेफ्टिनेंट थी. साल 2017 में उस का सेलेक्शन हुआ था.

दिल्ली के तिलकनगर इलाके के रहने वाले अशोक कुमार को बेटी के आर्मी में सेलेक्शन के वक्त बधाइयां देने वालों का तांता लग गया था. तब वह खुशी से फूले नहीं समाए. जाहिर है यह बड़े गर्व की बात थी.

साक्षी की शादी नवनीत शर्मा के साथ हुई थी. नवनीत वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर थे. दोनों ही हरियाणा की अंबाला छावनी में तैनात थे. उन का 2 साल का एक बेटा भी था.

लोग अशोक कुमार को खुशनसीब इंसान मानते थे. कामयाब बेटी के पिता होने के नाते लोगों का सोचना भी ठीक था, लेकिन किसी इंसान की असल जिंदगी में क्या कुछ चल रहा होता है, इस बात को कोई नहीं जान पाता.

अशोक कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही था. बेटी को ले कर वह परेशान रहते थे. इस की बड़ी वजह यह थी कि बेटी का वैवाहिक जीवन उम्मीदों के विपरीत था. 20 जून, 2021 की रात का वक्त था, जब अशोक कुमार के मोबाइल पर साक्षी का फोन आया. उन्होंने बेटी से बात शुरू की.

‘‘हैलो! साक्षी बेटा कैसी हो?’’

‘‘पापा, यहां कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा, मैं बहुत परेशान हो चुकी हूं.’’ साक्षी के लहजे में परेशानी छिपी हुई थी, जिसे अशोक कुमार ने भांप लिया था.

उन्होंने धड़कते दिल से पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा?’’

‘‘पापा, नवनीत मुझे लगातार परेशान करते हैं, हद इतनी हो गई है कि मेरे साथ मारपीट भी की जाती है. पता नहीं कब तक ऐसा चलेगा.’’ वह बोली.

‘‘सब्र कर बेटा. समय के साथ सब ठीक हो जाएगा. मैं समझाऊंगा उसे.’’ अशोक कुमार ने समझाया.

‘‘यह समझने वाले नहीं हैं. पता नहीं क्या होगा पापा. मैं बाद में बात करती हूं.’’ साक्षी ने सुबकते हुए फोन काट दिया.

बेटी की बातों से अशोक परेशान हो गए. उन्होंने अपने दामाद नवनीत का मोबाइल नंबर डायल किया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. उन्हें याद आया कि उन का नंबर दामाद ने ब्लौक किया हुआ था.

साक्षी भी यह बात अपने परिजनों को बता चुकी थी कि मायके वालों के नंबर ब्लौक लिस्ट में हैं.

इस के बाद उन्होंने साक्षी के ससुर चेतराम शर्मा को फोन किया, ‘‘भाईसाहब, आप ही बच्चों को समझाइए, काफी समय से यही सब चल रहा है. साक्षी का अभी फोन आया था और वह बता रही थी कि उस के साथ मारपीट भी की जा रही है.’’

‘‘देखिए भाईसाहब, यह उन का आपस का मामला है. नवनीत तो मेरी बात सुनता ही नहीं तो बताओ, मैं भी क्या कर सकता हूं.’’ चेतराम शर्मा बोले.

उन की बात सुन कर अशोक कुमार को बहुत निराशा हुई. इस से ज्यादा वह कर भी क्या कर सकते थे अलबत्ता वह चिंतित जरूर हो गए.

अशोक ने यह बात अपने बेटे सौरभ को बताई. उन का पूरा परिवार पूरी रात चैन की नींद नहीं सो सका. 21 जून की सुबह के करीब साढ़े 6 बजे नवनीत की मां लक्ष्मी का फोन आया और उन्होंने बताया कि साक्षी ने सुसाइड कर लिया है.

यह सुनते ही अशोक के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उन का फोन केवल सूचनात्मक था. इस से ज्यादा उन्होंने कोई बात नहीं की. बेटी की मौत की खबर से अशोक के परिवार में कोहराम मच गया. आननफानन में पितापुत्र दिल्ली से अंबाला के लिए रवाना हो गए.

नवनीत और साक्षी रेसकोर्स स्थित आवास नंबर 115/04 में रहते थे. अशोक और सौरभ से वहां कोई बात करने को भी तैयार नहीं था. वह सीधे रेजीमेंट बाजार पुलिस चौकी पहुंचे और नवनीत व उस के परिजनों के खिलाफ बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने की तहरीर दे दी. पुलिस पहले ही इस मामले की तहकीकात में जुटी हुई थी.

दरअसल, पुलिस कंट्रोल रूम को 21 जून की सुबह इस घटना की सूचना मिली थी. कंट्रोल रूम से यह सूचना थाने को फ्लैश की गई. मामला हाईप्रोफाइल था, लिहाजा एसएसपी हमीद अख्तर ने अधीनस्थों को इस मामले में तत्काल सक्रिय होने के निर्देश दे दिए थे.

डीएसपी रामकुमार, इंसपेक्टर विजय व चौकी इंचार्ज कुशलपाल ने जांचपड़ताल शुरू की. पुलिस ने साक्षी के परिजनों की तहरीर पर दहेज उत्पीड़न की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. साक्षी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. साथ ही उन के पति नवनीत को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

ओहदे थे ऊंचे पर जिंदगी थी नीरस

पुलिस की जांचपड़ताल और परिजनों से की गई पूछताछ में ऊंचे ओहदों के पीछे की ऐसी कहानी निकल कर सामने आई, जिस ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया. देश सेवा के लिए आर्मी जौइन करने वाली साक्षी की निजी जिंदगी में वास्तव में अंधेरा लिए हुए एक बड़ा तूफान चल रहा था.

साक्षी और नवनीत के बीच जानपहचान थी. पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर यह दोस्ती प्यार में बदल गई. नवनीत का परिवार हरियाणा के पंचकूला जिले के पिंजोर कस्बे का रहने वाला था. नवनीत स्क्वाड्रन लीडर थे और साक्षी लेफ्टिनेंट. दोनों ही ऊंचे पद पर थे.

12 दिसंबर, 2018 को दोनों विवाह बंधन में बंध गए. साक्षी के परिजनों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. फिर भी उन्होंने अपनी हैसियत के अनुसार शादी में खर्च किया. शादी के बाद कुछ महीनों तक तो सब ठीक चलता रहा.

साक्षी ने एक बेटे को भी जन्म दिया. दोनों अच्छे पद पर थे. परिवार की खुशियों में चारचांद लगाने के लिए बेटा भी हो चुका था, लेकिन जिंदगी में कई बार पद और सुखसुविधाओं से खुशियों के मायने नहीं होते.

साक्षी और नवनीत के बीच मनमुटाव रहने लगा था. साक्षी ने शुरू में तो अपने परिवार में कुछ नहीं बताया, परंतु जब बात हद से ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन उस ने अपने पिता को सारी बातें बताईं, ‘‘पापा, सोचा नहीं था कि ये लोग ऐसे होंगे.’’

बेटी की बात पर अशोक थोड़ा सकपका गए ‘‘मैं समझा नहीं बेटी?’’

‘‘पापा, ये लोग मुझे दहेज के लिए ताना मारते हैं. कभी कहते हैं कि गाड़ी नहीं दी, कभी कहते हैं कि रिश्तेदारों का मान नहीं रखा.’’ साक्षी ने बताया.

‘‘बेटी, इस से ज्यादा हम कर भी क्या सकते थे. तुम दोनों कमाते हो क्या किसी चीज की कोई कमी है. परिवार में यह सब बातें तो चलती रहती हैं. नवनीत को तुम समझाना.’’ अशोक ने कहा.

‘‘मैं ने बहुत समझाया है पापा, लाइफ को एडजस्ट तो बहुत कर रही हूं.’’ साक्षी बोली.

बेटी की बातें सुन कर अशोक कुमार को बहुत अफसोस हुआ. उन्होंने सोचा कि वक्त के साथ एक दिन सब ठीक हो जाएगा. यूं भी इंसान ऐसे मामलों में सकारात्मक ही सोचता है.

लालच ने घोली कड़वाहट

कहते हैं कि जब किसी परिवार में अनबन, शक और लालच जैसी चीजें घर कर जाएं, तो फिर कलह का वातावरण बन जाता है बिखराव बढ़ता चला जाता है.

साक्षी के परिवार में भी ऐसा ही हो रहा था. साक्षी के पिता और भाई ने भी नवनीत को समझाया, लेकिन उन्होंने उन्हें परिवार के मामले में दखल  न देने की नसीहत दे डाली.

साक्षी की जिंदगी में एक बार अनबन का सिलसिला शुरू हुआ, तो फिर उस ने रुकने का नाम नहीं लिया. बाद में हालात बिगड़ते देख अशोक खुद भी बेटी के घर गए और दोनों को समझा कर आए.

कुछ दिन तो सब ठीक रहा, बाद में स्थिति पहले जैसी ही हो गई. रिश्तों में दूरियां तब और भी बढ़ गईं जब नवनीत साक्षी पर शक करने लगे.

शक का दायरा इतना बढ़ गया कि नवनीत ने घर के बैडरूम तक में सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए. साक्षी के पिता और भाई फोन करते तो नवनीत झल्ला जाते. उन्होंने दोनों के नंबर तक ब्लौक कर दिए. साक्षी परिजनों को बताती थी कि उस के साथ मारपीट भी की जाने लगी है.

साक्षी के परिजनों को पूरी उम्मीद थी कि एक दिन सब ठीक जाएगा, लेकिन यह भी सच है कि इंसान सोचता कुछ है और हो कुछ और जाता है. परिवार के बिगड़े हालात के बीच आखिर साक्षी 20 जून, 2021 की रात जिंदगी की जंग हार गई.

पतिपत्नी के बीच अनबन में 20 जून को एक तूफान आया. दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट हुई. साक्षी ने यह बात अपने पिता को भी फोन पर बताई थी. नवनीत के अनुसार, उन्होंने साक्षी को देर रात कपड़े के सहारे पंखे से झूलते हुए पाया. इस के बाद उन्होंने उसे नीचे उतारा और मिलिट्री हौस्पिटल ले गए, जहां डाक्टरों ने साक्षी को मृत घोषित कर दिया.

इस के बाद हौस्पिटल से पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी गई. साक्षी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हैंगिग आया. नवनीत के घर पर लगे कैमरों की सीसीटीवी फुटेज डिलीट हो चुकी थी.

साक्षी के परिजनों का आरोप था कि सारी फुटेज को सच्चाई छिपाने के मकसद से डिलीट किया गया.

प्रताड़ना बनी मौत की वजह

साक्षी के परिजनों का साफ कहना था कि वह मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी. उन के दहेज के आरोपों में सच्चाई है तो सोचने वाली बात है कि बड़े पदों पर नौकरी करने वाले अच्छेखासे पढ़ेलिखे लोग भी दहेज के लालच में किस स्तर तक जा सकते हैं.

हालांकि दूसरी तरफ नवनीत शर्मा ने जेल जाने से पहले पुलिस कस्टडी में मीडिया के सामने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों से साफ इंकार कर दिया.

साक्षी ने वास्तव में आत्महत्या की या उस की हत्या की गई, पुलिस इस पहलू की भी बारीकी से जांच कर रही थी. प्रकरण की और भी सच्चाई तो पुलिस की पूर्ण जांच के बाद ही सामने आएगी.

अदालत इस मामले में सबूतों के आधार पर फैसला भी करेगी. लेकिन जब साक्षी नवनीत और उन के परिजनों की फितरत को समझ गई थी और जब उस का वहां तालमेल नहीं बैठ रहा था, तब वह वक्त रहते ऐसे रिश्ते से पीछा छुड़ा लेती तो शायद ऐसी नौबत कभी नहीं आती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...