UP Crime : 17 वर्षीय सपना ने अपनी मम्मी अलका के प्रेमी सुभाष के जाल में फंसने के बाद अपने दोनों प्रेमियों अखिलेश और अनिकेत से किनारा कर लिया था. फिर एक दिन ऐसा क्या हुआ कि माइनर सपना ने मम्मी के प्रेमी सुभाष से ही उस की हत्या करा दी? आखिर सपना क्यों बनी मम्मी की दुश्मन?

अलका को जब पता चला कि उस की बेटी सपना ने अपनी ननिहाल में भी अपने प्रेमी से बात करनी बंद नहीं की है तो वह 26 सितंबर, 2024 को अपने मायके से बेटी को घर ले आई. दूसरे रोज अलका ने सुभाष से फोन पर बात की और घर बुला लिया. उस के बाद अलका ने सुभाष से एकांत में बात की और कहा, ”सुभाष, मैं सपना से बहुत परेशान हूं. वह हम दोनों के रिश्तों का राज भी जान गई है. इसलिए तुम मेरी बदचलन बेटी सपना को खत्म कर दो. इस काम के लिए मैं तुम्हें 50 हजार रुपए दूंगी.’’

सुभाष राजी हो गया तो अलका ने कहा कल बेटी के केस की तारीख है. मैं सपना को ले कर एटा कोर्ट जाऊंगी. वहीं मैं तुम्हें सपना को सौंप दूंगी. फिर तुम उस को मार देना और उस की लाश को भी ठिकाने लगा देना. किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा. योजना के तहत अलका 28 सितंबर, 2024 को बेटी सपना को साथ ले कर एटा कोर्ट पहुंची. वहीं उसे सुभाष मिल गया. अलका ने बेटी से कहा कि वह सुभाष मामा के साथ घर चली जाए. वह कुछ और काम निपटा कर घर पहुंचेगी.

अभी तक सपना मम्मी के खतरनाक इरादों से वाकिफ नहीं थी. रास्ते में सुभाष ने कहा, ”सपना, तुम्हारी मम्मी ने मुझे 50 हजार रुपयों की सुपारी दी है. तुम सुनोगी तो तुम्हारे होश उड़ जाएंगे. हो सकता है कि तुम्हें मेरी बात पर यकीन ही न हो.’’

सपना ने पूछा, ”मामा, सच बताओ कि मां ने तुम्हें 50 हजार रुपए देने को क्यों कहा?’’

”तुम्हारी मम्मी तुम्हारी हत्या करवाना चाहती है. इसलिए रुपए देने को कहा है.’’

मम्मी के खतरनाक इरादों की जानकारी पा कर सपना की आंखों से आंसू बहने लगे. वह सुभाष के गले लग गई और बोली, ”मामा, मेरी जान बख्श दो. आप जो कहोगे, वह करूंगी. आप की हर बात मानूंगी.’’

सपना कुछ देर मौन रही फिर आंसू पोंछते हुए बोली, ”मामा, जो मंसूबे मम्मी के थे, वही अब मेरे हैं. तुम मम्मी को मार डालो. उस के बाद मैं तुम से शादी कर लूंगी. तुम्हारे साथ ही जीवन बिताऊंगी. मैं अखिलेश व अनिकेत को भी भुला दूंगी, जिन से मैं प्यार करती हूं. यह मेरा वादा रहा.’’

सपना की बात सुन कर सुभाष ने उस की हत्या का इरादा त्याग दिया. इस के बाद वह सपना को एक खेत में ले गया. वहां उस ने सपना की मोबाइल पर ऐसी फोटो क्लिक की, जैसे उसे मार डाला गया हो. यह फोटो सुभाष ने अलका के मोबाइल पर भेज दी और कहा कि फोटो देख लो. मैं ने तुम्हारी बेटी को मार डाला है. इस के बाद सुभाष सपना को ले कर आगरा चला गया. आगरा (UP Crime) की मधु विहार कालोनी में सुभाष का एक परिचित रहता था. वह उसी के घर में रुका. रात में सपना व सुभाष एक ही कमरे में सोए और उन के बीच संबंध बने. सपना ने किसी तरह का विरोध नहीं किया.

2 अक्तूबर, 2024 को सुभाष अलका के घर अल्हापुर पहुंचा. उस ने फिर से अलका को फोटो दिखाई कि तुम्हारी बेटी को मार डाला है. अब पैसे दे दो. इस पर उस ने कहा 2-3 दिन रुको. मैं पैसे दे दूंगी. इस के बाद सुभाष वापस आगरा आ गया. एक दिन बाद उस ने फिर अलका को फोन किया और पैसे मांगे. लेकिन वह टाल गई. सुभाष समझ गया कि अलका की नीयत पैसे देने की नहीं है. अगले दिन सुभाष ने फिर अलका को फोन किया और कहा कि मुझे पता था कि तुम रुपया नहीं दे पाओगी. इसलिए मैं ने सपना को नहीं मारा. वह मेरे साथ आगरा में है. तुम आ कर उसे ले जाओ.

5 अक्तूबर, 2024 को अलका 12 बजे आगरा पहुंच गई. दोनों फोन से जुड़े थे और उन के बीच बात हो रही थी. आगरा बस स्टाप पर अलका को सुभाष मिला. उस के साथ सपना भी थी. वहां से तीनों पिकअप गाड़ी पर बैठ कर एटा आ गए. यहां रामलीला ग्राउंड में दशहरा मेला लगा था. तीनों ने मेला घूमा. इस के बाद पिपरन चौराहा आए. फिर पैदल ही जसरथपुर थाने के नगला चंदन पुरंजला गांव के पास पहुंचे.

अब तक रात के लगभग साढ़े 10 बज चुके थे. अलका ने एक बार फिर सुुभाष के कान में फुसफुसा कर कहा कि सपना को मार डालो. पैसे मिल जाएंगे. लेकिन सपना ने तो शादी की बात कह कर बाजी पलट दी थी. चारों ओर घुप अंधेरा छाया था. सुभाष सपना को ले कर बाजरे के खेत में पहुंचा. अलका खेत से कुछ दूर मेढ़ पर बैठी थी. सुभाष ने सपना से कहा, ”तुम अपना वादा पूरा करने का वचन दो तो मैं अभी तुम्हारी मां को मार डालूं.’’

सपना सुभाष का हाथ अपने हाथ में लेकर बोली, ”मैं तुम्हें वचन देती हूं कि तुम से शादी रचा कर मैं अपना वादा पूरा करूंगी. तुम मेरी मां को मार डालो.’’

इस के बाद सुभाष ने अलका को आवाज दी तो वह भी बाजरे के खेत में पहुंच गई. उस के पहुंचते ही सुभाष और सपना ने उस को दबोच लिया और उसे पीटने लगे. फिर उसी की साड़ी के पल्लू को गरदन में लपेट कर गला कस कर मार डाला. शव को बाजरे के खेत में छोड़ कर दोनों फरार हो गए. 6 अक्तूबर, 2024 की सुबह नगला चंदन पुरंजला गांव के कुछ लोगों ने गांव के बाहर बाजरे के खेत में एक महिला की लाश देखी तो सूचना थाना जसरथपुर पुलिस को दी. सूचना पाते ही एसएचओ ओमप्रकाश सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो एसपी श्याम नारायन सिंह, एएसपी राजकुमार सिंह तथा डीएसपी सुधांशु शेखर भी आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की. मृतका की उम्र 33 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या गला कस कर की गई थी. शरीर पर चोटों के भी निशान थे. वह गुलाबी साड़ी व उसी के मैचिंग का ब्लाउज पहने थी. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. अभी तक सैकड़ों लोग शव को देख चुके थे, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं पाया था. महिला की शिनाख्त नहीं हो पाई तो उस का फोटो खींच कर शव को पोस्टमार्टम हाउस एटा भेज दिया गया. पुलिस अधिकारियों के आदेश पर एसएचओ ओमप्रकाश सिंह ने डैडबौडी का फोटो आसपास के थानों तथा सोशल मीडिया पर भेज दिया. साथ ही अखबारों में भी छपने को भेजा गया ताकि उस की जल्दी शिनाख्त हो सके.

7 अक्तूबर को हुलिया सहित अज्ञात लाश का फोटो अखबारों में छपा तो उसे देख कर अल्हापुर के रमाकांत का माथा ठनका. क्योंकि उस की पत्नी अलका 2 दिन से लापता थी. वह तुरंत थाना जसरथपुर पहुंचा और एसएचओ ओमप्रकाश सिंह को सारी बात बताई. रमाकांत को पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया. वहां उस ने जैसे ही लाश को देखा, वह फफक पड़ा और बताया कि लाश उस की पत्नी अलका की है. एएसपी राजकुमार सिंह ने अलका मर्डर केस की तह तक पहुंचने के लिए डीएसपी सुधांशु शेखर की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन किया. साथ ही मृतका की ससुराल व मायके में खबरियों को लगा दिया.

टीम ने सब से पहले मृतका के पति रमाकांत से पूछताछ की. उस ने बताया कि गांव के 2 युवक अखिलेश व अनिकेत उस की बेटी को बहलाफुसला कर भगा ले गए थे. अखिलेश जेल भी गया था. इन्हीं दोनों ने रंजिशन उस की पत्नी की हत्या की है. रमाकांत के पास पत्नी का मोबाइल फोन नंबर था. उस ने वह नंबर पुलिस को दे दिया. इस के बाद पुलिस टीम ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के अनुसार अलका की हत्या गला कस कर की गई थी. चोटों के निशान भी शरीर पर थे. लेकिन उस के साथ बलात्कार नहीं हुआ था. रमाकांत के बयान के आधार पर पुलिस ने गांव के 2 युवकों अखिलेश व अनिकेत को हिरासत में लिया और उन से सख्ती से पूछताछ की, लेकिन वे निर्दोष साबित हुए. अत: उन्हें घर जाने दिया गया.

मृतका अलका का मोबाइल फोन नंबर पुलिस के पास था. पुलिस ने उस के नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि वह एक नंबर पर सब से ज्यादा बात करती थी. यह नंबर सुभाष का था जो फर्रुखाबाद के गांव अकराबाद सिकंदरपुर खास का रहने वाला था. पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो यह भी पता चला कि सुभाष का अलका के घर आनाजाना था. दोनों के बीच नाजायज रिश्ता था. मृतका की बेटी सपना तथा सुभाष घर से फरार थे. सुभाष और सपना पर शक गहराया तो पुलिस उन की तलाश में जुट गई. खबरियों को भी उन की टोह में लगा दिया गया. टीम ने अनेक संभावित स्थानों पर छापेमारी की लेकिन उन का पता नहीं चला.

9 अक्तूबर, 2024 की रात 12 बजे पुलिस टीम को खबरियों के जरिए पता चला कि सुभाष और सपना कल्लू इलाके में देखे गए हैं. पुलिस टीम तब वहां पहुंच गई और उन्हें अलीगंज-कुरावली मार्ग के पास से गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ करने पर सुभाष ने पहले तो अनजान बनने की कोशिश की, लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया. उस के बाद सुभाष और सपना ने अलका की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश (UP Crime) के जिला एटा के थाना नयागांव का एक गांव है- अल्हापुर. रमाकांत इसी गांव का रहने वाला था. उस के परिवार में पत्नी अलका के अलावा 2 बेटियां थीं. वह किसानी से अपने परिवार का पालनपोषण करता था. वह सीधासादा इंसान था. रमाकांत की बड़ी बेटी सपना खूबसूरत थी. उस ने 16 बरस की उमर पार की तो उस की सुंदरता में गजब का निखार आ गया. वह स्कूल जाती तो गांव के लड़के उसे अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करते. सपना पढ़ाई में तेज थी. उस ने नयागांव स्थित महिला इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही थी.

सपना के चाहने वालों में वैसे तो गांव के कई लड़के थे, लेकिन उस के घर से कुछ दूरी पर रहने वाला अखिलेश उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था. उस के पापा राजेश सिंह दबंग व्यक्ति थे. उन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी. अखिलेश उन का बिगड़ैल बेटा था. वह बनठन कर घूमता रहता था. अखिलेश व सपना एक ही गली में खेलकूद कर बड़े हुए थे. वह उसे बहुत अच्छी लगती थी. सपना स्कूल जाती तो वह उसे देखने के लिए गली के मोड़ पर खड़ा हो जाता था. दोनो की नजरें मिलतीं तो चंचल स्वभाव की सपना खिलखिला कर हंस पड़ती. फिर इतरातीइठलाती स्कूल का रास्ता पकड़ लेती.

उस की यह हंसी अखिलेश के दिल में उतरती चली गई. एक रोज उस ने सपना का रास्ता रोक लिया, फिर उस ने उसे गौर से देखते हुए कहा, ”सपना, तुम सचमुच बहुुत अच्छी हो. तुम्हारी हंसी से मेरे दिल को सुकून मिलता है.’’

अखिलेश की बात सुन कर सपना मुसकराई, फिर लजाते हुए चली गई. उस ने जिस अंदाज में उस से बातें की थीं, उस से सपना भी उस का मतलब समझ गई थी. लेकिन यह बात उस ने अखिलेश को महसूस नहीं होने दी. जबकि सपना के दिल में अखिलेश की तसवीर उतर गई थी. उस का भावुक मन अखिलेश की ओर खिंचता चला जा रहा था. अखिलेश ने जो कहा था, वे बातें उस के दिमाग में घूम रही थीं.

अखिलेश की बेचैनी अब बढऩे लगी थी. रातदिन वह उसी के बारे में सोचता रहता था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने दिल की बात उस से कैसे कहे. उस के मन में इस बात का भी डर था कि कहीं वह बुरा न मान जाए. आखिर जब उस से नहीं रहा गया तो हिम्मत कर अखिलेश छुट्टी के समय सपना के कालेज के सामने जा कर खड़ा हो गया. सपना सहेलियों के साथ कालेज से निकली तो अखिलेश को देख कर उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. अखिलेश ने उसे एक तरफ आने का इशारा किया तो वह उस का इशारा समझ गई.

सपना सहेलियों से अलग हो कर अखिलेश के पास आ गई. जैसे ही वह उस के पास आई, अखिलेश ने उसे बाइक पर बैठने का इशारा किया. सपना बैठ गई तो वह तेजी से चल पड़ा. सपना ने कहा, ”कहां जा रहे हो, मुझे घर जाना है?’’

”चली जाना, आज मुझे तुम से कुछ कहना है.’’ अखिलेश ने कहा.

तभी सपना ने हंसते हुए अदा से कहा, ”यही न कि तुम मुझ से प्यार करते हो.’’

अखिलेश ने बिना किसी संकोच के कहा, ”सपना, सचमुच मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

सपना मुसकरा कर बोली, ”मैं भी तो तुम से प्यार करती हूं. लेकिन झिझक की वजह से इजहार नहीं कर पाई.’’

अखिलेश ने उसे हैरानी से देखा तो सपना ने नजरें झुका लीं. यह थी अखिलेश और सपना के प्यार की शुरुआत. अकसर प्रेम करने वालों की शुरुआत ऐसे ही होती है. लेकिन कभीकभी यही प्यार जीवन के लिए एक अभिशाप भी बन जाता है. अखिलेश और सपना का प्यार परवान चढ़ा तो उन के बीच की दूरियां भी मिट गईं. उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा. इश्क की आंधी में दोनों इस तरह उडऩे लगे कि उन्होंने घरसमाज की चिंता ही नहीं की. उन्हें जब भी मौका मिलता, एकदूसरे में समा जाते.

वह इस खेल में बेहद सावधानी बरतते थे. लेकिन प्यार ऐसी चीज है, जिसे जितना भी छिपा कर रखा जाए, वह कभी न कभी घरसमाज की नजरों में आ ही जाता है. सपना और अखिलेश के साथ भी यही हुआ. एक रोज देर शाम सपना की मम्मी अलका ने उसे फोन पर हंसहंस कर बातें करते देखा तो उसे शक ही नहीं हुआ, बल्कि उसे विश्वास हो गया कि उस की नाबालिग बेटी इश्क की राह पर चल पड़ी है. अलका परेशान हो उठी. उस ने पूछा तो सपना ने झूठ बोल दिया.

कुछ दिनों बाद अलका को पता चला कि सपना स्कूल न जा कर पड़ोस में रहने वाले राजेश सिंह के आवारा बेटे अखिलेश के साथ प्यार की पींगें बढ़ा रही है. वह समझ गई कि सपना चोरीछिपे अखिलेश से ही मोबाइल पर बात करती है. पूरी बात समझ में आई तो इस बार उस ने बेटी से सख्ती से पूछा तो उस ने बिना झिझक के कहा, ”मम्मी, मैं अखिलेश से प्यार करती हूं और वह भी मुझे बहुत चाहता है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं.’’

”शादीप्यार यह सब क्या कह रही है तू? तेरी अभी उम्र ही क्या है? फिर वह हमारी जाति का भी तो नहीं है. अखिलेश अमीर बाप का बिगड़ैल बेटा है. वह तुम्हारे जीवन को बरबाद कर देगा. इसलिए यह बात तू मन से निकाल दे और उसे भुला दे. तेरी शादी उस से किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती.’’

”क्यों नहीं हो सकती मम्मी? अब जमाना बदल गया है. दूसरी जाति में शादी करना अब आम बात हो गई है. फिर अखिलेश बहुत अच्छा लड़का है. आज नहीं तो कल तुम्हें भी पसंद आ जाएगा.’’ मम्मी को समझाते हुए सपना बोली.

अपनी कच्ची उम्र की बेटी के मुंह से ऐसी बातें सुन कर अलका हैरान रह गई. उस ने गुस्से से कहा, ”सपना, अब बहुत हो चुका. कल से तुम मेरी निगरानी में घर में ही रहोगी. तुम्हारा अब कालेज जाना बंद.’’

”क्यों मम्मी?’’ सपना ने हैरानी से पूछा.

”कह दिया न, नहीं जाना है तो नहीं जाना.’’ कह कर अलका अपने काम में लग गई और सपना कमरे में जा कर आंसू बहाने लगी. शाम को रमाकांत खेत से लौटा तो अलका ने पति को बेटी की प्रेम कहानी बयां की.

पत्नी की बात सुन कर रमाकांत को अपने पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. उस ने सोचा कि उस की नादान बेटी यदि उस के सीने में इज्जत का छुरा घोंप कर घर से भाग गई तो वह जीते जी मर जाएगा. उस की इज्जत नीलाम हो जाएगी. वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा. इसलिए रमाकांत ने पहले सपना को डांटाफटकारा, फिर सिर पर हाथ रख कर उसे प्यार से समझाया भी.

प्यार पर पहरा लगा तो सपना और अखिलेश का मिलनाजुलना बंद हो गया. अब दोनों मिलन के लिए तड़पने लगे. अलका ने सपना का मोबाइल फोन भी छीन लिया था और उसे तोड़ कर फेंक दिया था. इसलिए वह मोबाइल फोन से भी अखिलेश से बात नहीं कर पाती थी. जैसेजैसे दिन बीतते जा रहे थे, वैसेवैसे दोनों की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. अखिलेश का एक दोस्त अनिकेत था. वह भी सपना का दीवाना हो गया था, लेकिन सपना ने उस के चक्कर में प्रेमी अखिलेश का विश्वास तोड़ दिया था. अनिकेत उन दोनों के बीच दरार पैदा नहीं करना चाहता था, इसलिए उस ने सपना से दूरियां बना ली थीं.

अखिलेश का सपना से मिलनाजुलना बंद हुआ तो उस ने अनिकेत की मदद ली. अनिकेत की मार्फत उस ने एक लैटर सपना के पास भिजवाया. इस लैटर में उस ने लिखा कि घरवाले उस के प्यार के दुश्मन बन गए हैं. इसलिए वह उस के साथ भाग चले. क्योंकि वह उस के बिना जी नहीं पाएगा. अब अनिकेत उन दोनों के बीच की धुरी बन गया था. इस लैटर का सपना पर असर हुआ. अनिकेत के मार्फत ही उस ने भी एक भावुक लैटर अखिलेश को भिजवाया. इस पत्र में सपना ने लिखा कि वह रातदिन उसी के प्यार में खोई रहती है. वह भी उस के बिना अधूरी है. उस का कमरे में दम घुटता है. मां के ताने उसे सूई की तरह चुभते हैं. वह जल्दी आजाद होना चाहती है. वह उस के साथ कहीं भी जाने को राजी है.

फरवरी 2024 के पहले सप्ताह में एक रात सपना प्रेमी अखिलेश के साथ अपने घर से फुर्र हो गई. सुबह अलका कमरे में चाय ले कर गई तो चारपाई पर बेटी नहीं थी. उस ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली. अलका समझ गई कि सपना अखिलेश के साथ भाग गई है. उस ने यह बात पति को बताई तो रमाकांत ने भी माथा पीट लिया. वह सोचने लगा कि जिस का उसे डर था, वही हो गया. बुरी बातें छिपती कहां हैं? जल्दी ही यह खबर पूरे गांव में फैल गई कि रमाकांत की बड़ी बेटी सपना गांव के राजेश सिंह के बेटे अखिलेश के साथ भाग गई है. इस के बाद तो महिलाएं कुछ ज्यादा ही चटखारे ले कर बातेंकरने लगीं. वे अलका की परवरिश पर अंगुली उठा रही थीं. कुछ तो कहतीं कि जैसी मां, वैसी बेटी.

रमाकांत व अलका ने 2 दिन तक गुपचुप तरीके से बेटी की खोज की, लेकिन जब उस का कुछ भी पता नहीं चला तो रमाकांत रिपोर्ट दर्ज कराने थाना नयागांव जा पहुंचा. उस ने इंसपेक्टर आर.बी. सिंह को बेटी के गायब होने की बात बता दी. इंसपेक्टर आर.बी. सिंह ने रमाकांत की तहरीर पर अखिलेश के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस सपना की बरामदगी में जुट गई.

चूंकि नाबालिग लड़की का मामला था, इसलिए पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया. जांचपड़ताल से पुलिस को पता चला कि सपना को भगाने में अखिलेश के दोस्त अनिकेत ने अहम भूमिका निभाई थी. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ की. उस का मोबाइल फोन भी ले लिया. पुलिस ने अखिलेश के पापा राजेश सिंह पर भी दबाव बनाया. इस के अलावा मुखबिरों का भी सहारा लिया.

इस का परिणाम यह निकला कि पुलिस ने 28 फरवरी, 2024 को नाटकीय ढंग से एटा से सपना को बरामद कर लिया और अखिलेश को भी हिरासत में ले लिया. पुलिस पूछताछ में सपना ने बताया कि अखिलेश उसे भगा कर नहीं ले गया था, बल्कि वह खुद उस के साथ घूमनेफिरने गई थी. अखिलेश उस का बौयफ्रेंड है. पुलिस ने सपना का डाक्टरी परीक्षण कराया और कोर्ट में बयान दर्ज करा कर उसे उस के पेरेंट्स को सौंप दिया तथा अखिलेश को जेल भेज दिया.

सपना वापस तो आ गई, लेकिन उस की गांव भर में थूथू होने लगी. उस की सहेलियां भी उस से कतराने लगीं. सपना के भागने से रमाकांत व अलका का भी जीना दूभर हो गया था. गांव में वे सिर झुका कर घर से निकलते थे. महिलाएं जहां अलका को ताने मारती थीं तो वहीं रमाकांत को पड़ोसी इज्जत की नजरों से नहीं देखते. इन्हीं दिनों अलका के घर सुभाष सिंह का आनाजाना शुरू हुआ. सुभाष फर्रुखाबाद जिले के कायमगंज थाने के गांव अकराबाद सिकंदरपुर खास का रहने वाला था. अलका का इसी गांव में मायका था. सुभाष उस के मायके वाले घर से कुछ दूरी पर रहता था. वह कारपेंटर था. उस की अच्छी कमाई थी. सुभाष अलका के मायके का यार था.

अलका ने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा था, तभी उस का नाजायज रिश्ता सुभाष से जुड़ गया था. सुभाष अलका का दीवाना था, सो उस पर खूब खर्च करता था. कुछ समय बाद अलका का विवाह रमाकांत से हो गया तो वह अपनी ससुराल अल्हापुर आ गई. सुभाष अल्हापुर भी आने लगा. अलका की शादी के बाद भी उस ने रिश्ता खत्म नहीं किया.

अलका ने पति को बताया कि सुभाष मायके के रिश्ते से उस का भाई लगता है. इसलिए जब तब मिलने आ जाता है. सीधेसादे रमाकांत ने सहज ही पत्नी की बातों पर भरोसा कर लिया था. रमाकांत की बेटी सपना उन दिनों 6 साल की थी. सुभाष को वह मामा कहती थी. सुभाष उस से खूब बतियाता था और उसे खूब प्यार करता था. सुभाष अय्याश किस्म का था. औरत उस की कमजोरी थी. अलका जब ससुराल में रहने लगी तो वह गांव की एक अन्य महिला पर डोरे डालने लगा था. लेकिन वह महिला उस के झांसे में नहीं आई.

सुभाष ने तब उस से जोरजबरदस्ती की और एक दिन अकेला पा कर महिला को अपनी हवस का शिकार बना डाला. महिला के घरवालों ने तब कायमगंज थाने में सुभाष के खिलाफ भादंवि की धारा 323/504/506/376 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने मारपीट, धमकी व बलात्कार के मामले में सुभाष को जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया. कोर्ट में मुकदमा चला और अदालत ने उसे 10 साल की सजा सुनाई. सजा भुगतने के लिए उसे फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया. जेल जाने के बाद सुभाष का अलका से मिलनाजुलना बंद हो गया.

फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में सजा काटने के बाद वर्ष 2024 के जनवरी माह में उस की रिहाई हुई. उस के बाद वह गांव आ कर रहने लगा. उस ने बढ़ई का काम फिर शुरू कर दिया. लेकिन उस के काम ने रफ्तार नहीं पकड़ी, क्योंकि गांव के लोग सजायाफ्ता सुभाष से कटने लगे थे. इसलिए उस की आर्थिक स्थिति डावांडोल थी. एक रोज सुभाष को पता चला कि अलका की बेटी सपना गांव के किसी युवक के साथ भाग गई थी. पुलिस ने उसे बरामद कर लिया है तो वह अलका से मिलने अल्हापुर पहुंच गया. सुभाष को देख कर अलका चौंक पड़ी, ”अरे, तुम जेल से कब आए? क्या तुम्हारी सजा पूरी हो गई?’’

”4 हफ्ते पहले ही जेल से आया हूं. मेरी सजा पूरी हो गई है. मैं ने 10 साल जेल में कैसे गुजारे, यह मैं ही जानता हूं. खैर, मेरी छोड़ो अपनी बताओ, तुम कैसी हो. मेरी भांजी सपना कैसी है. वह तो अब जवान हो गई होगी. जब मैं जेल गया था, तब शायद 6-7 साल के आसपास थी.’’ सुभाष ने अलका को जानबूझ कर कुरेदते हुए पूछा. अलका तब गुस्से से बोली, ”उस कमीनी का नाम मत लो. उस की वजह से पूरे गांव में हमारी बदनामी हुई है. अगर मैं जानती कि जवानी में वह ऐसा गुल खिलाएगी तो पैदा होते ही उस का गला घोंट देती. मुझे उस से नफरत हो गई है. वह मुझे फूटी आंख भी नहीं सुहाती है.’’

सुभाष और अलका अभी बात कर ही रहे थे कि कमरे से निकल कर सपना आ गई. सपना के आते ही अलका रसोई में चली गई. सुभाष ने सपना को देखा तो देखता ही रह गया. वह बोला, ”सपना, तुम तो अपनी मां से भी ज्यादा खूबसूरत हो. जेल में रहते मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी.’’

इस के बाद सपना और सुभाष के बीच देर तक बातें होती रहीं. उस ने सपना से कहा कि तुुम ने जवानी में जो भूल की है, उस से पूरे परिवार की बदनामी हुई है. तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. सुभाष का अलका के घर आनाजाना शुरू हुआ तो दोनों के बीच फिर नाजायज रिश्ता कायम हो गया. वह जब भी घर आता, बात करने के बहाने अलका के साथ कमरे में बंद हो जाता. सपना ने पहले तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन फिर उसे मां और मामा पर शक होने लगा. एक रोज उस ने खिड़की से झांक कर देखा तो उस का शक यकीन में बदल गया. वह जान गई कि मां और सुभाष मामा के बीच नाजायज रिश्ता है. दोनों पापा की आंखों में धूल झोंक कर घर में रंगरलियां मनाते हैं.

सपना अखिलेश से अब भी प्यार करती थी, लेकिन उस के जेल जाने के बाद सपना उस के दोस्त अनिकेत से प्यार करने लगी. दोनो चोरीछिपे मिलने भी लगे. वह सैक्स सुख का आनंद ले चुकी थी, इसलिए उस का मिलन अनिकेत से होने लगा. उन्हें खेत, बागबगीचा, जहां भी मौका मिलता, मिलन कर लेते. किसी को कानोंकान इस की खबर न लगती. लेकिन अलका को एक रोज पता चल ही गया कि सपना अब अनिकेत के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी है. उस ने तब सपना को खूब फटकार लगाई और उस के गाल पर 2 थप्पड़ भी जड़ दिए.

गाल पर थप्पड़ पड़ते ही सपना का गुस्सा भी फट पड़ा, ”मां, मैं तो जवान हूं. मेरी तो उम्र बहकने की है, लेकिन तुम तो अधेड़ उम्र की हो. तुम पर तो अब भी जवानी सवार है. तुम सुभाष मामा के साथ बंद कमरे में जो गुल खिलाती हो, उस की मुझे पूरी जानकारी है. मैं ने तुम्हें सुभाष मामा के साथ बिस्तर पर अपनी आंखों से देखा है.’’

सपना की बात सुन कर अलका सन्न रह गई. मन ही मन डर भी गई कि अगर सपना ने अपने पापा को सब कुछ बता दिया तो घर में कलह मच जाएगी. इस समस्या से निपटने के लिए अलका ने फोन कर अपने आशिक सुभाष को घर बुला लिया. उस ने सुभाष को बताया कि सपना को हम दोनों के नाजायज रिश्तों के बारे में पता चल गया है. डर है कि वह सब कुछ पति रमाकांत को न बता दे.

सुभाष ने अलका को समझाया कि वह सब कुछ संभाल लेगा और इस बाबत सपना से बात करेगा. सपना उस समय कमरे में सो रही थी. कुछ देर बाद जागी तो सुभाष उस के कमरे में पहुंच गया. फिर बोला, ”अलका ने मुझे बताया कि तुम्हें मेरे और अलका के अफेयर के बारे में पता चल गया है. कोई बात नहीं. लेकिन इस बारे में अपने पापा को मत बताना. उस के एवज में तुम जो मांगोगी, मैं तुम्हें दूंगा.’’

सपना मुसकराते हुए बोली, ”ठीक है मामा, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी. आप मुझे एक नया मोबाइल फोन खरीद कर दे दीजिए.’’

सुभाष ने सपना की बात मान ली और उसे एक मोबाइल खरीद कर दे दिया. मोबाइल फोन हाथ में आया तो वह अनिकेत से फोन पर खूब बतियाने लगी. उस को अब मां का डर भी नहीं सताता था. जब कभी अलका उसे टोकती तो वह उसे ऐसा करारा जवाब देती कि वह तिलमिला उठती. सपना अब एक तरह से उस की दुश्मन बन गई थी. सुभाष अय्याश किस्म का था. उस का अलका से तो नाजायज रिश्ता था ही, अब उस की बुरी नजर सपना पर भी पडऩे लगी थी. वह जब भी अल्हड़ जवान सपना को देखता तो उसे भोगने की ललक जाग उठती थी. लेकिन उम्र का फासला दूने से भी अधिक था. इसलिए सपना उसे भाव नहीं देती थी.

लगभग 2 महीने बाद सपना के प्रेमी अखिलेश को जमानत मिल गई और वह जेल से छूट कर घर आ गया. अखिलेश आया तो अलका की चिंता बढ़ गई. उसे लगा कि अखिलेश कहीं फिर उस की बेटी को भगा न ले जाए. इसलिए उस ने इस बारे में पति रमाकांत से बात की फिर अलका ने सपना को अपने मायके भेज दिया. सपना अपनी ननिहाल अकराबाद सिकंदरपुर खास आई तो वह स्वच्छंद हो कर रहने लगी. उसे अब कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. उस के हाथ में मोबाइल रहता ही था, सो अपने प्रेमी अनिकेत व अखिलेश से खूब बात करती. हालांकि मोबाइल फोन पर ज्यादा बातचीत करना उस के मामामामी को पसंद न था.

सुभाष भी इसी गांव का रहने वाला था. उस का घर सपना के ननिहाल से कुछ ही दूरी पर था. उसे जब पता चला कि सपना ननिहाल आई है तो वह बेहद खुश हुआ. उस ने सपना से मेलजोल व उसे रिझाना शुरू कर दिया. सपना व सुभाष की फोन पर भी बातचीत होने लगी थी. सपना सुभाष के घर भी जाने लगी थी. सुभाष सपना का मोबाइल फोन रिचार्ज कराता तथा उसे खर्च के लिए पैसे भी देता था. इस से सपना का झुकाव सुभाष की तरफ होने लगा. सपना जब भी उस के सामने होती, वह उसे ललचाई नजरों से देखता और उस के शरीर से छेड़छाड़ करता. सुभाष की छेड़छाड़ से सपना रोमांचित हो उठती. आखिर एक रोज एकांत पा कर सुभाष ने सपना को बांहों में भरा और उस के नाजुक अंगों से छेड़छाड़ की तो सपना पिघल गई और दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया.

इस के बाद तो सुभाष मांबेटी दोनों से मौजमस्ती करने लगा. अलका को सुभाष के साथ बेटी के अवैध रिश्तों की बात पता नहीं चली. ननिहाल में रहते हुए सपना को 5 महीने बीत गए थे. एक रात वह अपने प्रेमी अखिलेश व अनिकेत से हंसहंस कर मोबाइल पर अश्लील बातें कर रही थी, तभी उस की बातें उस के सगे मामा देवीदीन ने सुन लीं. उन का माथा ठनका. उन्होंने तब अपनी बहन अलका से फोन पर बात की और अपनी बिगड़ैल बेटी को तुरंत वहां से लिवा ले जाने को कहा. उन्होंने अलका को खूब खरीखोटी भी सुनाई.  देवीदीन ने यह जानकारी अपनी बहन अलका को देने के बाद उसे घर बुला लिया. फिर अलका बेटी सपना को अपने मायके से घर ले गई.

पुलिस टीम ने हत्या का खुलासा करने और आरोपियों को पकडऩे की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एएसपी राजकुमार सिंह ने पुलिस सभागार में प्रेसवार्ता कर मीडिया के सामने हत्या का खुलासा किया. चूंकि सुभाष और सपना ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: एसएचओ ओमप्रकाश सिंह ने मृतका के पति रमाकांत की तहरीर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 के तहत सुभाष और सपना के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

11 अक्तूबर, 2024 को पुलिस ने हत्यारोपी सुभाष और सपना को एटा की कोर्ट में पेश किया, जहां से सुभाष को जिला जेल भेज दिया गया तथा सपना को बालिका सुधार गृह भेजा गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सपना नाम परिवर्तित है.

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