Uttar Pradesh Crime : 19 वर्षीय अजय निषाद और शिवानी एकदूसरे को जीजान से प्यार करते थे. फिर इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि अजय महिलाओं से ही नफरत करने लगा. एक के बाद एक जानलेवा वारदातों को अंजाम दे कर उस ने लोगों के मन में साइको किलर का ऐसा डर भर दिया कि…

13 नंवबर, 2024 की उस रात गोरखपुर के झंगहा थानाक्षेत्र के रसूलपुर गांव के टोला कटहरिया की रहने वाली 24 वर्षीय कविता गहरी नींद में सो रही थी. घर के अन्य सदस्य अपनेअपने कमरों में सो रहे थे. रात गहरी थी और चारों ओर घनघोर अंधेरा था. कुत्तों के भौंकने की आवाज अंधेरे के सीने को चीर रही थी. उसी समय अचानक कविता के कमरे से उस के जोर से चीखने की आवाज उस के पापा छोटेलाल भारती के कानों से टकराई. 

गहरी नींद में सोए होने के बावजूद छोटेलाल भारती झट से उठ बैठे और कविता के कमरे की ओर दौड़े. पति को अचानक बेटी के कमरे की ओर जाते देख पत्नी सुमन भी उन के पीछे हो ली. वह समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्या हुआ, जो इतनी तेजी से बेटी के कमरे की ओर जा रहे हैं. पलभर में वह कविता के कमरे में पहुंचे और बिजली का स्विच औन किया तो कविता बिस्तर पर पड़ी दर्द से छटपटा रही थी. उस के सिर से खून बह रहा था. 

छोटेलाल ने बेटी से इस हालात के बारे में पूछा तो उस ने कराहते हुए बताया कि काली शर्ट में एक नकाबपोश ने किसी भारी चीज से सिर पर जोरदार वार किया और सामने के दरवाजे से तेजी से भाग गया. छोटेलाल को समझते देर न लगी कि यह नकाबपोश वही रहस्यमयी व्यक्ति है, जो पिछले 6 महीने से रहस्य बना हुआ है और चुनचुन कर औरतों को अपना शिकार बना रहा है. छोटेलाल दौड़ते हुए उस ओर गया, जिस ओर भागने की बात कविता ने उसे बताई थी. 

घर से कुछ दूर आगे तक छोटेलाल गया, मगर उसे दूरदूर तक कोई नजर नहीं आया, सिवाय चारों ओर फैले सन्नाटे के. लौट कर वह घर पहुंचा. उस ने मोबाइल फोन पर टाइम देखा तो उस समय रात के साढ़े 3 बज रहे थे.  दर्द से बिलबिला रही कविता की आवाज सुन कर फेमिली वाले परेशान थे. छोटेलाल ने उसी समय शोर मचा कर पड़ोसियों को जगाया और नकाबपोश के गांव में होने और बेटी पर हमला करने की बात बता कर उसे पकडऩे में मदद की गुहार लगाई. इस नकाबपोश के आतंक से सिर्फ उस गांव वाले ही नहीं, पासपड़ोस के कई गांव वाले दहशत में जी रहे थे. 

आलम यह हो चला था कि शाम होते ही महिलाएं अपने घरों में दुबक जाती थीं. नकाबपोश की दहशत से कोई भी औरत अकेली रात में कहीं भी नहीं जाती थी. गांव वाले भी चाहते थे कि नकाबपोश जल्द से जल्द पकड़ा जाए. पुलिस भी उसे पकडऩे में लगी हुई थी, लेकिन अभी तक वह भी खाली हाथ थी. इसलिए लोगों ने उसे आज पकडऩे की ठान ली. खैर, गांव वालों ने एकजुट हो कर लाठी और डंडे लिए गांव को चारों ओर से घेर लिया, ताकि जो भी हो वह यहां से बच कर जाने न पाए. दहशत के मारे 6 महीने से गांव वालों की आंखों से नींद गायब हो गई थी. गांव वालों ने गांव का चप्पाचप्पा छान मारा, एकएक गली छान ली, लेकिन उस रहस्यमयी व्यक्ति का कहीं पता नहीं चला. शायद अंधेरे का लाभ उठा कर वह कहीं गुम हो गया था.

बहरहाल, पौ फटते ही छोटेलाल भारती गांव वालों के साथ घायल बेटी को ले कर झंगहा थाने पहुंचे. सुबहसुबह दीवान दयाराम थाने में भारी संख्या में गांव वालों को देख कर चौंक गया. औफिस से निकल कर वह बाहर आया और इतनी सुबह आने का कारण पूछा तो छोटेलाल ने नकाबपोश के द्वारा बीती रात बेटी पर जानलेवा हमला करने की जानकारी दे कर आवश्यक काररवाई करने की गुहार लगाई. थानाक्षेत्र की यह पांचवीं घटना थी और उस हमलावर को पकड़े जाने की बात तो दूर, पुलिस उस की परछाई तक छू नहीं सकी थी. हैडकांस्टेबल दयाराम ने छोटेलाल और उस के साथ आए गांव वालों को भरोसा दिलाया कि बड़े साहब के आते ही उस के खिलाफ जरूरी काररवाई जरूर की जाएगी. पहले अस्पताल जा कर बेटी का इलाज कराएं.

दयाराम ने जो बात कही थी, सच ही कही थी. दर्द से कराह रही कविता को इस समय इलाज की बहुत जरूरत थी.  दीवान की बात मान कर छोटेलाल बेटी को ले कर नजदीक के अस्पताल पहुंचे. चूंकि चोट काफी गहरी थी और हालत गंभीर बनी हुई थी, इसलिए डाक्टर ने उसे भरती कर इलाज करना शुरू किया. 

लगातार घटनाओं से पुलिस भी हुई परेशान

इधर दीवानजी के जरिए तत्कालीन इंसपेक्टर सूरज सिंह को घटना की सूचना मिल चुकी थी. वह तुरंत अस्पताल पहुंचे और घायल कविता के बयान दर्ज कर थाने लौट आए. फिर छोटेलाल की तहरीर पर अज्ञात हमलावर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. इंसपेक्टर सूरज सिंह ने घटना की सूचना सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह, एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव और एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर को दे दी. मामला गंभीर हो चला था. नकाबपोश की इस पांचवीं घटना ने पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया था. 

अफसोस की बात तो यह थी कि अभी तक पुलिस यह तक पता लगाने में असफल थी कि आखिर वो है कौन? क्यों वह औरतों को ही अपना निशाना बना रहा है? जानलेवा हमला कर के वह आखिर अंधेरे में गुम कहां हो जाता है? इन तमाम सवालों के जबाव उस नकाबपोश के पकड़े जाने पर ही मिल सकते थे.  14 नंवबर, 2024 की दोपहर में एसएसपी गौरव ने अपने औफिस में इसी घटना को ले कर जरूरी मीटिंग बुलाई थी. उस मीटिंग में एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र कुमार, सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह, एसएचओ (झंगहा) और एसओजी प्रभारी शामिल थे. पहली घटना से ले कर पांचवीं घटना की चर्चा उस मीटिंग में की गई. 

चर्चा के दौरान एक बात कौमन निकल कर बाहर आई, वह यह थी कि सभी घटनाओं में औरतों पर हमला एक जैसे ही किया गया था, जिस में हमलावर ने किसी वजनी चीज से सिर पर ही वार कर के उन्हें मारना चाहा था.  इस घटना में 11 अगस्त, 2024 को हमलावर का दूसरा शिकार बनी थी ममता देवी (32 साल). 15 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती हुई वह जिंदगी से हार गई थी. हमलावर की शिकार बनी औरतों के लिए गए बयान में यह सामने आया था कि देखने में हमलावर दुबलापतला दिखता है, काली शर्ट पहने होता है, चेहरा किसी कपड़े से ढका रखता है और नंगेपांव रहता है.

एसएसपी गौरव ने एक टीम गठित की, जिस की जिम्मेदारी एसपी (ग्रामीण) जितेंद्र को सौंपी. उन्होंने अपने नेतृत्व में पुलिस की कई टीमें गठित कीं. उन टीमों का नेतृत्व उन्होंने सीओ (चौरीचौरा) अनुराग सिंह को सौंपा. एसएसपी के दिशानिर्देशन में अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए सीओ अनुराग सिंह रहस्यमयी हमलावर की खोज में जुट गए. 30 जुलाई, 2024 से 13 नवंबर, 2024 के बीच हुई घटनाओं की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने 20 गांव खंगाले. 150 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने के साथ ही करीब डेढ़ लाख मोबाइल फोन का डेटा खंगाला. इस के बावजूद उस का कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

सफलता नहीं मिलने पर ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू हुई, जो महिला अपराध के मामले में जेल गया हो और घटनास्थल के आसपास उस की लोकेशन रही हो. मगर पुलिस यहां भी खाली हाथ रही. पुलिस टीम ने गांवगांव जा कर लोगों से संदिग्ध लोगों के बारे में जानकारी लेने के बाद उन का थाने का रिकौर्ड चैक किया. संदेह के आधार पर कई लोगों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी की गई. काफी मशक्कत के बाद पुलिस के हाथों आखिरकार रहस्यमयी हमलावर की पहचान हो ही गई. दरअसल, 4 घटनास्थलों से जुटाए गए फुटेज में एक ऐसा व्यक्ति देखा गया, जो घटना के बाद तेजी से भागता नजर आ रहा था. 

फुटेज को गहराई से देखा गया तो इकहरे बदन वाला वह व्यक्ति काली शर्ट पहने था और नंगे पांव था. उस का हुलिया ठीक वैसा ही मेल खा रहा था, जैसा पीडि़त महिलाओं ने बताया था. उस रहस्यमयी व्यक्ति की पहचान अजय कुमार निषाद पुत्र स्वामीनाथ निषाद निवासी मंगलपुर गांव के रूप में की गई थी. 

पुलिस क्यों रख रही थी फूंकफूंक कर कदम

पहचान पुख्ता होते ही सीओ अनुराग सिंह की टीम चौकन्नी हो गई थी. वह टीम के साथ इतने सतर्क थे कि किसी भी कीमत पर उस रहस्यमयी हमलावर तक उस की पहचान हो जाने की खबर तक न लगने पाए. वरना वह मौके से फरार हो सकता था और कई दिनों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर सकता था. इसलिए वे बहुत फूंकफूंक कर कदम उठा रहे थे. आननफानन में उन्होंने एक योजना बनाई. उस योजना के अनुसार, उसी रात यानी 17 नवंबर की रात में सादे वेश में पुलिस टीम के साथ रात करीब साढ़े 12 बजे मंगलपुर गांव को चारों ओर से घेर लिया. यही नहीं ऐहतियात के तौर पर एसओजी टीम को मौके पर बुला लिया गया था. दोनों टीमें इस औपरेशन को मिल कर अंजाम दे रही थीं, ताकि हमलावर गांव से भाग न सके.

पुलिस मुखबिर के जरिए पहले ही उस की शिनाख्त कर चुकी थी. पुलिस हमलावर अजय के घर की ओर बढ़ रही थी. पुलिस की टीम ने अजय के घर को चारों ओर से घेर लिया था. झंगहा थाने के एसएचओ सूरज सिंह ने दरवाजा थपथपाया. थाप की आवाज सुन कर अधेड़ उम्र के एक शख्स ने दरवाजा खोला. सामने कई लोगों को एक साथ देख कर उस की नींद गायब हो गई. अभी वह कुछ समझ पाता, तभी इंसपेक्टर सूरज सिंह ने अपना परिचय देते हुए कहा, ”मैं झंगहा थाने का इंसपेक्टर सूरज सिंह हूं. तुम्हारे दरवाजे पर पुलिस फोर्स खड़ी है. जो पूछूंगा, उस का सहीसही जवाब देना. क्या अजय यहीं रहता है?’’

हां साहब, अजय यहीं रहता है, लेकिन बात क्या है, सर?’’ अचकचा कर शख्स ने सवाल किया, ”मैं अजय का पिता स्वामीनाथ हूं. इतनी रात गए आप सब यहां. सब ठीक तो है न. मेरे बेटे ने क्या किया है?’’

हां, सब ठीक है. एक नारमल पूछताछ के लिए उसे थाने ले जाना है.’’ इंसपेक्टर सूरज सिंह ने बड़े साधारण तरीके से अपनी बात को आगे रखा, ”पूछताछ के बाद उसे घर तक छोड़ दिया जाएगा.’’

लेकिन बात क्या है साहब?’’

कहा न, एक नारमल पूछताछ है. पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया जाएगा.’’ 

बाहर बातचीत की आवाज सुन कर स्वामीनाथ की पत्नी भी उठ कर पति के पास जा पहुंची थी. दरवाजे पर कई लोगों को देख कर उन की भी आंखें फटी रह गई थीं. पति और सामने खड़े इंसपेक्टर के बीच तीखी बहस हो रही थी. 

देखो, मैं जो पूछ रहा हूं, सीधी तरह से बता दो कि अजय कहां है, वरना मुझे दूसरे तरीके भी आते हैं.’’ इंसपेक्टर सूरज सिंह ने कड़क स्वर में कहा, ”तुम सीधे तरीके से बताते हो या फिर मैं पुलिसिया…’’ 

बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि स्वामीनाथ गिड़गिड़ाया, ”साहब, मेरे बेटे के साथ कुछ मत कीजिएगा. मैं उसे ले कर आता हूं. वो घर में सो रहा है.’’

ठीक है, उसे ले कर आओ, पूछताछ के बाद छोड़ दिया जाएगा.’’ इंसपेक्टर सिंह ने उसे भरोसा दिलाया, तब कहीं जा कर वह अजय को बुलाने कमरे की ओर बढ़ा. इधर सामने खड़ी अजय की मां समझ नहीं पा रही थी कि पुलिस वाले बेटे को क्यों लेने आए हैं?

कुछ देर के बाद स्वामीनाथ अजय को साथ ले कर बाहर आया और उसे पुलिस को सौंप दिया. यह देख कर उस की मां ने हंगामा किया तो पुलिस के कड़े तेवर देख कर वह चुप हो गई. इंसपेक्टर सूरज सिंह अजय को सीधे थाने ले गए. थोड़ी में सीओ अनुराग सिंह और एसओजी टीम भी थाने पहुंच गई थी. पुलिस के तमाम सवालों का अजय ने एक ही जवाब दिया कि उसे इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उस ने ऐसा कोई काम किया है.

रात भर पुलिस परेशान रही. अगली सुबह उन चारों महिलाओं को थाने बुलाया गया और उन्हें छिपा कर अजय की शिनाख्त कराई तो चारों पीडि़ताओं ने उसे पहचान लिया. उसी ने उन पर हमला किया था. फिर क्या था, पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि वह औरतों से सख्त नफरत करता है. उन का चीखना, तड़पना और उन के जिस्म से बहता खून देख कर उसे बहुत सुकून मिलता था. 

यह सुन कर पुलिस वाले आश्चर्यचकित हो गए कि यह तो किसी मनोरोगी से कम नहीं है. क्योंकि दूसरों को दर्द दे कर, उस की तकलीफ देख कर उसे खुशी मिलती थी. सीओ सिंह ने जब इस का कारण पूछा तो उस का जवाब सुन कर वह भी हैरान रह गए थे. फिर उस ने आगे जो बयान दिया, वह किसी सस्पेंस वाली फिल्मी कहानी से कम नहीं निकला. घटना का खुलासा होने के बाद उसी दिन शाम साढ़े 3 बजे एसएसपी गौरव ग्रोवर ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता बुला कर करीब 6 महीने से सिरदर्द बनी सीरियल किलर की कहानी का खुलासा किया. 

पत्रकारों ने उक्त घटना के बारे में आरोपी से पूछताछ की तो अजय के चेहरे पर पछतावे का कोई निशान नहीं था. खैर, पुलिस ने अजय कुमार निषाद को नामजद करते हुए बीएनएस की अलगअलग धाराओं में मुकदमा दर्ज कर के अदालत के सामने पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों के रिमांड पर जेल भेज दिया गया. अदालती आदेश के बाद अजय को कड़ी सुरक्षा में बिछिया स्थित गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया गया.  बहरहाल, पुलिस द्वारा अजय से की गई पूछताछ के बाद हैरान कर देने वाली जो कहानी सामने आई है, वो इस तरह है

अजय को शिवानी से हुआ प्यार

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के दक्षिण में झंगहा थाना के अंतर्गत राजधानी गांव में मंगलपुर नाम का एक टोला पड़ता है. निषाद बाहुल्य गांव में किसान स्वामीनाथ निषाद अपनी पत्नी और 6 बेटे, 4 बेटियों के साथ रहता था. 10 बच्चों में अजय सब से छोटा था. चारों बेटियों और 3 बेटों की शादी वह कर चुका था. अजय भाईबहनों में सब से शातिर और बेहद चालाक किस्म का था. घर की माली हालत से वह अच्छी तरह वाकिफ था. मेहनत कर के कैसे इतने बड़ा परिवार उस के पिता चलाते थे, इस का दर्द सालों से उसे सालता था. 

वह सोचता था कि काश! कहीं से काफी सारा पैसा मिल जाए तो परिवार की माली हालत दुरुस्त कर देता और मजे की जिंदगी जीता. उसे पता था कि सोशल मीडिया पर ऐसी तमाम जानकारियां मिल जाती हैं, जिस के जरिए लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं. इसी सोच के चलते बेहद कम उम्र में ही उस ने सोशल मीडिया को खंगालना शुरू किया. अजय स्कूल से छुट्टी के बाद मोबाइल फोन में जमा रहता था. घर वाले उसे समझाते कि पढ़लिख कर कुछ काबिल बन जा, मोबाइल तो जीवन भर चलाना है. जब समय हाथ से निकल जाएगा तो पछताने से कोई फायदा नहीं होगा. पेरेंट्स के समझाने का उस पर कोई असर नहीं होता था, वह अपनी ही धुन में रमा रहता था.

रमेश निषाद अजय के पड़ोसी थे. उन की सब से छोटी बेटी थी शिवानी, जो 15 साल की थी. शिवानी खूबसूरत थी. वह 8वीं कक्षा में पढ़ती थी. लेकिन इसी उम्र में वह पूरी तरह सयानी हो चुकी थी. उस का अंगअंग विकसित हो चुका था. अजय था तो साधारण शक्लसूरत और इकहरे बदन का. उस में कोई खास आकर्षण नहीं था, लेकिन गोरी और सुंदर शिवानी पर उस की जिस दिन से नजर पड़ी थी, वह उस का दीवाना हो चुका था. पड़ोसी होने के नाते अजय और उस के घरपरिवार की रमेश के घर के अंदर तक आनाजाना था. रमेश के फेमिली वाले भी स्वामीनाथ के घर आतेजाते थे. 

खैर, शिवानी आंखों के रास्ते अजय के दिल में उतर आई थी. जिस दिन से उस के दिल में उतरी थी, उस दिन से उस पर शिवानी के प्यार का ऐसा नशा छाया कि दिनरात, सोतेजागते, उठतेबैठते शिवानी ही शिवानी नजर आती थी. शिवानी जान चुकी थी कि अजय उसे चाहता है, उस से प्यार करता है. धीरेधीरे वह भी अजय के प्यार में गिरफ्तार हो गई. लेकिन दोनों ही कच्ची उम्र के प्रेमी थे. अकसर देखा गया है कि इस उम्र के प्यार में प्यार कम और शारीरिक भूख मिटाने की ललक ज्यादा होती है. यहां भी कुछ ऐसा ही आलम था. अजय शिवानी की गदराए देह को पाने के लिए लालायित था. लेकिन उसे ऐसा मौका मिल नहीं पा रहा था, जहां जिस्मानी संबंध बना सके.

वह जिस मौके की तलाश में था, एक दिन वह मौका आखिरकार उसे मिल ही गया. एक दिन की बात है शिवानी के फेमिली वाले किसी जरूरी काम से घर से बाहर गए थे. घर पर शिवानी ही अकेली थी, अजय को यह बात पता थी. दोपहर के समय अजय प्रेमिका के घर पहुंचा. कमरे में शिवानी अकेली थी. और घर के कामों व्यस्त थी. अचानक से सामने अजय को देख कर वह सकपका गई.

तुम यहां..?’’ चौंक कर शिवानी ने पूछा.

हां, मैं.’’ अजय ने जवाब दिया, ”मुझे देख कर तुम्हें खुशी नहीं हुई?’’

खुशी तो हुई पर…’’ बाहर मेनगेट की ओर झांकते हुई शिवानी बोली, ”ऐसे घर में घुसते तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं?’’

अगर कोई देख भी लेता तो क्या होता. हम सच्चे प्रेमी हैं. किसी के सामने झुकने वाले नहीं. हम मर मिटने वालों में से हैं.’’

देखो, डायलौगबाजी छोड़ो, यह बताओ किसलिए यहां आए हो. मम्मीपापा कभी भी आ सकते हैं. जल्दी बताओ.’’

शिवानी, तुम तो ऐसे घबरा रही हो जैसे मुझे जानती नहीं हो, किसी अजनबी से मिल रही हो. तुम से प्यार करने के लिए आया हूं.’’ कहते हुए अजय शिवानी के करीब जा पहुंचा. 

प्रेमिका ने क्यों नहीं किया तन समर्पित

अजय को अपने बेहद करीब देख कर शिवानी के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. सांसें तेजतेज चलने लगी थीं. प्यार का तपन महसूस कर शिवानी का बदन भी गरम होने लगा था. यह देख अजय खुद को रोक नहीं सका और शिवानी को खींच कर अपनी बाहों में भर लिया. पहली बार किसी पुरुष ने शिवानी को स्पर्श किया था. उसे बहुत अच्छा लग रहा था. उस ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया. दोनों की सांसें और तेज हो गई थीं और बदन जलने लगा था, ”हमें डूब जाने दो शिवानी. 2 जिस्म एक जान हो जाने दो.’’अजय बोला.

मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं, मैं भी तुम्हारे प्यार के समंदर में डूब जाना चाहती हूं. लेकिन अभी नहीं.’’ शिवानी खुद पर काबू करते हुए बोली, ”यही तो वो दौलत है, जो पत्नी अपने पति को बचा कर उसे सौंपती हैं. हमें अभी सामाजिक मर्यादा नहीं लांघनी है. तुम्हें अभी और इंतजार करना होगा.’’

इंतजार ही तो नहीं हो पा रहा है मुझ से. खो जाने दो मुझे तुम में.’’

नहीं…नहीं…अभी नहीं…’’ कहती हुई शिवानी अजय को धक्का देते हुए उस से दूर हो गई. अजय गिरतेगिरते बचा. 

शिवानी के अचानक बदले मिजाज से वह हैरान रह गया. वह समझ नहीं पाया कि अचानक उस ने उसे धक्का दे कर खुद से दूर क्यों किया.

क्या हुआ शिवानी?’’ आश्चर्य से अजय ने सवाल किया, ”तुम ने मुझे धक्का क्यों दिया?’’

मैं कहती हूं कि तुम यहां से अभी चले जाओ.’’ शिवानी तल्खी से बोली, ”इस से पहले कि कोई हमें इस बंद कमरे में एक साथ देख ले, तुम अभी यहां से चले जाओ.’’ शिवानी दोनों हाथ जोड़ कर उस के सामने गिड़गिड़ाने लगी थी. 

गुस्से में पैर पटकता हुआ अजय तेज कदमों से वहां से चला गया. जिस चाहत को ले कर वह शिवानी से मिलने उस के घर आया था, उस की मंशा पूरी नहीं हो पाई थी. शिवानी ने जोश में भी होश से काम लिया था. इस के बाद भी अजय ने शिवानी से जिस्मानी संबंध बनाने के लिए कई बार रिक्वेस्ट की. लेकिन हर बार उस ने उस की रिक्वेस्ट यह कह कर ठुकरा दी कि जो भी करना होगा, शादी के बाद. शिवानी के बारबार प्रणय निवेदन को ठुकराने से अजय नाराज हो गया और उस के दिमाग में उसे बदनाम करने की खतरनाक साजिश ने जन्म ले लिया. 

उस ने सोचा कि जब हम उस पर दबाव बनाएंगे तो अपनी इज्जत बचाने के लिए वह खुद ही मेरी बाहों में गिर जाएगी. अजय के मोबाइल फोन में शिवानी की कई तसवीरें थीं. गुस्से में उस ने उस के कुछ फोटो को एडिट कर के फेसबुक पर डाल दिया. शिवानी को इस का पता चल गया. उस ने फेसबुक पर अपनी अश्लील फोटो देखी तो आगबबूला हो गई. यह बात शिवानी ने अपने फेमिली वालों को बता दिया. शिवानी के बताने पर घर वालों ने भी फोटो को देखा तो शरम के मारे जमीन में गड़ गए. अजय ने शिवानी को बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी. 

शिवानी के फेमिली वालों ने झंगहा थाने में उस के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने पोक्सो ऐक्ट में मुकदमा दर्ज कर के अजय को गिरफ्तार कर के बाल कारागार भेज दिया. तब अजय 17 साल का था और यह बात साल 2022 की थी. इस घटना ने अजय को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था. वह इस बात से काफी परेशान था कि जो गुनाह उस ने किया ही नहीं, नाहक उस झूठे गुनाह में फंसा कर उसे सजा दिलाई गई है.

अजय ऐसे बना महिलाओं का दुश्मन

6 महीने बाद अजय जमानत पर जेल से छूट कर घर आया. जेल से बाहर आने के बाद अजय के तेवर पूरी तरह बदले हुए थे. औरतों को देखते ही नफरत से दूसरी ओर मुंह फेर लेता था. औरतों से उसे अब घृणा हो गई थी. घर आने के बाद वह शिवानी के घर वालों को झूठा मुकदमा वापस लेने के लिए धमकाने लगा था. उस ने धमकी दी कि ऐसा नहीं किया तो सभी को जान से मार दूंगा. अजय की रोजरोज की धमकियों से शिवानी और उस के घर वाले बुरी तरह परेशान हो गए थे. वे नहीं चाहते थे कि उस का जीवन खराब हो. इसलिए इस बारे में शिवानी के पेरेंट्स ने स्वामीनाथ से शिकायत भी की कि अपने बेटे को संभाल लें, उसे ओछी हरकतें करने से रोक लें वरना उस का जीवन बरबाद हो जाएगा. फिर उन्हें दोषी मत ठहराना. लेकिन उस के फेमिली वालों ने इसे अनसुना कर दिया था. इधर अजय बुरी तरह बागी बन गया था और उसे किसी की भावनाओं से कोई लेनादेना नहीं था.

बुरी तरह परेशान रमेश ने एक बार फिर अजय कश्यप के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस उसे फिर से गिरफ्तार कर के ले गई और इस बार उसे 6 महीने जेल में रहना पड़ा. फिर उस के फेमिली वालों ने जमानत करा कर उसे जेल से बाहर निकाला. बाल कारागार से बाहर आने के बाद उस के फेमिली वालों ने उसे सूरत भेज दिया. एक साल तक अजय सूरत में रह कर पेंट, पालिश का काम करता रहा. लेकिन उस के दिल से सजा काटने वाली बात नहीं निकली थी. रहरह कर उसे टीस मारती थी. जब उसे बीती बातें याद आतीं तो एक साइको की तरह हरकतें करने लगता था. 

डेढ़ साल बाद जब अजय सूरत से घर लौटा तो एकदम से शांत रहने लगा था. पड़ोसियों से कम बातचीत करता था. ऐसा करना उस की योजना की एक चालाकी भरी कड़ी थी. जो सिर्फ उस के अलावा किसी को पता नहीं था. अजय अपने जीवन में थोड़ा बदलाव ले आया. वह शनिदेव का भक्त बन गया. शनिवार के दिन वह काले कपड़े पहनता और विधिपूर्वक शनिदेव का पूजन करता था. उस दिन नंगे पांव रहता था. वह शिवानी को भूल नहीं पाया था. इतना सब होने के बावजूद भी उसे टूट कर प्यार करता था. उसे जब देखता था तो न जाने उसे क्या हो जाता था. उस दिन पूरा दिन वह बेचैन और परेशान रहता था. 

इस के बाद उस ने तय किया कि शिवानी को जिंदा रख कर उसे ऐसी सजा देना है, जिस का दर्द जीवन भर उसे सालता रहे. योजना के अनुसार, उस ने उन महिलाओं को अपना टारगेट बनाने का फैसला किया, जिन का इस घटना से दूरदूर तक कोई लेनादेना नहीं था. अपनी खतरनाक योजना को पहली बार 29 जुलाई, 2024 को उस ने अंजाम दिया. झंगहा थानाक्षेत्र के सिंहपुर के सहरसा की 50 वर्षीया माया देवी को उस ने अपना टारगेट बनाया था. माया का घर गांव के आखिर में बना था. गरमी के दिन थे. माया का पति बमनलाल कमरे में सो रहा था. उस की पत्नी बरामदे में गहरी नींद में सोई थी. रात के करीब 2 बजे का समय था. अजय काली शर्ट पहने, काले कपड़े से मुंह ढके और नंगे पांव घर में घुस गया. 

माया को देखते ही उस ने हाथ में ली हुई लोहे की रौड से उस के सिर पर जोरदार प्रहार किया. जोरदार वार से गहरी नींद में सोई माया दर्द से तड़पने लगी. उस के सिर से बहता खून और उसे तड़पता देख कर अजय के दिल को ठंडक पहुंची. फिर घटना को चोरी का रूप देने के लिए घर से लोहे का संदूक ले कर भागा और उसे गांव के बाहर छोड़ दिया. ताकि लोग यही समझें कि चोरी के विरोध में चोर ने घटना को अंजाम दिया था. 

महिलाओं की तड़प और खून देख कर होता था खुश

ठीक अजय की सोच के हिसाब से बमनलाल भी सोचने लगा था कि शायद चोर आया होगा. दोनों के बीच हाथापाई हुई होगी. उसी हाथापाई में चोर ने पत्नी पर हमला कर उसे घायल कर दिया होगा. अगली सुबह बमनलाल ने अज्ञात चोर के खिलाफ चोरी का मुकदमा झंगहा थाने में दर्ज करा दिया. शातिर अजय घटना को अंजाम दे क र शांत बैठ गया. किसी को उस पर तनिक भी शक नहीं हुआ था. इस के ठीक 12वें दिन यानी 11 अगस्त, 2024 को अजय ने इसी तर्ज पर उपधवलिया की रहने वाली 32 वर्षीया ममता देवी पर रात के 3 बजे कातिलाना हमला किया और सामान उठा कर भाग गया. फिर अंधेरे में कहीं गायब हो गया. 

ममता पर हमला इतना जोरदार किया था कि वह कई दिनों तक अस्पताल में भरती रही और अंत में इलाज के दौरान उस ने दम तोड़ दिया. बेटी की मौत का सदमा सेवा प्रसाद बरदाश्त नहीं कर पाया और हमेशा के लिए परिवार सहित घर छोड़ कर अपनी नौकरी पर लौट गया और वहीं रहने लग. इस घटना को अंजाम देने के बाद अजय सूरत भाग गया. 14 दिनों बाद सूरत से घर लौटा और फिर तीसरी घटना 25 अगस्त को इसी तर्ज पर इसी थानाक्षेत्र के हाथावाल की रहने वाली 55 वर्षीया रंभा देवी के साथ किया और रात के अंधेरे में गुम हो गया.

इन तीनों घटनाओं के बाद झंगहा क्षेत्र में दहशत फैल गई थी, क्योंकि इन घटनाओं में काफी समानता दिख रही थी. वह थी रात के समय हमले का होना. इस के बाद घर के लोग सतर्क रहने लगे और शाम के बाद महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी. यह देख कर अजय को खूब मजा आता था और अकेले में ठहाका मार कर हंसता था. इन घटनाओं के बाद पुलिस हरकत में आई और यह पता लगाने में जुट गई कि आखिर वह कौन है, जो इस तरह रात के अंधेरे में महिलाओं को अपना शिकार बना कर और उसी अंधेरे में गुम हो जाता है.

3 महीने शांत रहने के बाद अजय ने चौथी घटना 9 नवंबर, 2024 को मंगलपुर की रहने वाली 32 वर्षीया शांति सिंह पत्नी सोनू सिंह के साथ की. उसे भी रात के समय डंडे से हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया और रात के अंधेरे में कहीं गुम हो गया. इस घटना ने पुलिस की आंखों से नींद छीन ली थी. एसएसपी गौरव ग्रोवर भी यह सोचने पर मजबूर हो गए कि घटना चोरी के लिए नहीं, बल्कि जानबूझ कर की जा रही है. 

एक ही तरीके से घटना को अंजाम देने से एक बात पक्की हो गई थी कि रहस्यमय हमलावर जो भी होगा, उस के दिल में महिलाओं के प्रति नफरत भरी होगी. पुलिस अभी इसी सोचविचार में उलझी हुई थी कि पांचवीं घटना 4 दिनों बाद यानी 13 नवंबर, 2024 को इसी थानाक्षेत्र के जंगल रसूलपुर के टोला कटहरिया की रहने वाली 24 वर्षीया कविता पुत्री छोटेलाल भारती के साथ घटी. इस घटना के बाद पुलिस रहस्यमयी हमलावर के पीछे पड़ गई और 5 दिनों की अथक कोशिशों के बाद वैज्ञानिक विधि और मुखबिरों के सहयोग से अजय निषाद को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई. 

खैर, जो भी हो अजय के गिरफ्तार होने से क्षेत्र में डर तो कम हुआ, लेकिन रहस्यमयी हमलावर का दहशत अभी भी बरकरार है. जिनजिन महिलाओं पर उस ने कातिलाना हमला किया है वो महिलाए अभी भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुई हैं. आरोपी 19 वर्षीय अजय निषाद से विस्तार से पूछताछ कर उस की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त डंडा, लोहे की रौड आदि बरामद करने के बाद उसे बिछिया स्थित गोरखपुर मंडलीय कारागार भेज दिया.

कथा लिखे जाने तक अजय निषाद सलाखों के पीछे था. घर वाले उस की जमानत की कोशिश में जुटे थे, लेकिन उस की जमानत हो नहीं पाई थी.

कथा में शिवानी परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

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