Madhya Pradesh Crime : मुकेश लोधी ने अपनी 2 प्रेमिकाओं के साथ मिल कर पदम सिंह के इकलौते बेटे अभिषेक लोधी को प्यार के जाल में फांस कर बंधक बना लिया था. बेटे को रिहा करने के एवज में उस ने पदम सिंह से 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी. मुकेश को यह रकम मिली या कुछ और? पढि़ए, यह दिलचस्प कहानी.
13 दिसंबर, 2024 को सुबह के यही कोई 6 बजे का समय रहा होगा. तभी मुरैना (मध्य प्रदेश) के कस्बा पोरसा के गांव परदूपुरा निवासी वीरपाल के मोबाइल की घंटी बज उठी. सिरहाने रखा मोबाइल फोन उठा डिसप्ले पर आए नंबर को ध्यान से देखा. वह नंबर पोरसा के परदूपुरा में रहने वाले रिश्तेदार पदम सिंह लोधी का था. फौरन वह काल रिसीव करते हुए बोला, ”हैलो पदम सिंहजी, इतनी सुबहसुबह कैसे याद किया?’’
”अरे, कुछ जरूरी बात करनी थी आप से.’’
”बताओ, क्या बात करनी है? आप की आवाज कुछ भर्राई हुई क्यों है?’’
”अरे वीरपालजी, बड़ी परेशानी में हूं बेटे को ले कर. अभिषेक कहीं तुम्हारे घर तो नहीं आया?’’
”वह अभी तक तो मेरे यहां पर नहीं आया.’’ वीरपाल ने बताया.
”दरअसल, वह 11 दिसंबर की सुबह ग्वालियर से जरूरी काम से मुरैना जाने की बात कह कर निकला था. उस ने जाते समय अपने साथ रहने वाले रूममेट को बताया था कि वह शाम तक हर हाल में वापस आ जाएगा, लेकिन उसे गए 3 दिन बीत गए…’’ पदम सिंह ने बताया. पदम सिंह ने आगे कहा, ”वह कमरे पर वापस लौट कर नहीं आया और न ही उस से फोन पर संपर्क हो पाया तो उस के रूममेट ने इस की जानकारी मुझे दी. तभी से घर के सभी लोग दरवाजे की तरफ टकटकी लगा कर उस के लौट कर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. इस वजह से मन में तरहतरह के खयाल आ रहे हैं.’’
वीरपाल ने अपने रिश्तेदार को तसल्ली देते हुए कहा, ”आप चिंता मत करो. अभिषेक जल्द ही घर लौट आएगा, वह कोई छोटा बच्चा नहीं है. फिर भी मैं अपने स्तर पर जानकारी जुटाता हूं.’’
इस के बावजूद अभिषेक के फेमिली वालों को चैन कहां था. वो अभिषेक को सगेसंबंधियों से ले कर रिश्तेदारियों और परिचितों में खोजते रहे. अभिषेक के दोस्तों से भी पदम सिंह ने पूछताछ कर ली थी. दोस्तों ने एक ही उत्तर दिया कि 11 दिसंबर के बाद से उन की अभिषेक से कोई बात नहीं हुई. 3 दिन तक अभिषेक के पेरेंट्स ने अपने स्तर से उस का पता लगाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उन के बारे में जब कुछ भी पता नहीं चला तो वह 14 दिसंबर को दोपहर के डेढ़ बजे के करीब मुरैना के गोला का मंदिर थाने पहुंच गए.
पदम सिंह ने एसएचओ हरेंद्र शर्मा से मिल कर उन्हें अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक के गायब होने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अभिषेक ग्वालियर की रणधीर कालोनी में किराए का कमरा लेकर पीजीडीसीए की पढ़ाई कर रहा था. एसएचओ हरेंद्र शर्मा ने पदम सिंह की बात गौर से सुनी. अभिषेक लोधी की गुमशुदगी दर्ज कर ली. अभिषेक का फोटो, मोबाइल नंबर और उस के हुलिए से संबंधित जानकारी लेने के बाद एसएचओ ने उन से कहा, ”यदि किसी प्रकार का धमकी भरा फोन आप के पास आए तो बिना घबराए इस की सूचना तुरंत थाने में देना.’’
एसएचओ से मिले आश्वासन के बाद पदम सिंह अपने घर तो लौट आए थे, लेकिन उन के मन में बेटे को ले कर एक भय बना हुआ था.
उधर गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस ने उस का पता लगाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. इस की अहम वजह यह थी कि अभिषेक कोई मासूम बच्चा तो था नहीं, जो उस के किडनैप की आशंका होती. एसएचओ ने सोचा कि वह अपनी किसी सहपाठी के साथ कहीं प्रेम प्रसंग में डूबा होगा या फिर किसी के साथ बैठ कर अपनी पढ़ाई से संबंधित नोट्स आदि बना रहा होगा. वह अपने आप ही घर पर लौट आएगा.
किस की थी नहर में मिली लाश
इसी बीच 14 दिसंबर, 2024 की सुबह 10 बजे के करीब मुरैना जिले के दिमनी थाना क्षेत्र में आने वाले बड़ागांव व महादेव पुरा के बीच बहने वाली नहर के किनारे बनी सड़क से हो कर गुजर रहे ग्रामीणों को बीच नहर में एक युवक की लाश तैरती हुई दिखाई दी, जिस के पैर और आंखें लाल रंग के स्टोल से बंधी हुई थीं. नहर में लाश पड़ी होने की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. लाश को करीब से देखने के लिए वहां पर लोगों का जमघट लगने लगा. इसी बीच किसी ने इस की सूचना दिमनी थाने को दे दी. कुछ ही देर में एसएचओ शशिकुमार कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.
पुलिस के पहुंचने तक घटनास्थल पर अच्छाखासा जमावड़ा लग चुका था. मृतक को ले कर लोग तरहतरह की चर्चा कर रहे थे. मौके पर मौजूद लोगों में यह जानने की बेहद लालसा थी कि आखिरकार मृतक युवक कौन है?
एसएचओ शशिकुमार भीड़ को हटवा कर नहर के पास पहुंचे तो पता चला कि लाश किसी नवयुवक की है. शशिकुमार ग्रामीणों की मदद से युवक की डैडबौडी नहर से निकलवा कर उस का निरीक्षण कर ही रहे थे कि उन्हीं की सूचना पर एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़, एसडीपीओ विजय सिंह भदौरिया भी घटनास्थल पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने भी बारीकी से लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 24-25 साल रही होगी. वह काले रंग की जैकेट और नीले रंग की जींस पहने हुए था. डैडबौडी देख कर ही लग रहा था कि यह हत्या का मामला है. क्योंकि उस के पैरों और आंखों पर लाल रंग का स्टोल बंधा था.
एसएचओ शशि कुमार ने वहां मौजूद भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी डैडबौडी की शिनाख्त नहीं कर सका. मृतक के पास से कोई पहचान पत्र, पर्स या और कोई ऐसी चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त करने में मदद मिलती. मौके की काररवाई निपटा कर एसएचओ ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. थाने लौट कर उन्होंने अज्ञात के खिलाफ धारा 103(1) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज करा कर मामले की जांच शुरू कर दी.
हत्या के इस मामले की जांच के लिए लाश की शिनाख्त जरूरी थी, इसलिए जांच टीम ने मृतक की लाश के फोटो और उस का हुलिया ग्वालियर, चंबल संभाग के सभी पुलिस थानों में ईमेल और वायरलेस द्वारा भेज दिया और उन से पूछा कि इस तरह के हुलिया के किसी नवयुवक की गुमशुदगी किसी थाने में दर्ज तो नहीं है. यह सूचना जैसे ही गोला का मंदिर थाने के एसएचओ ने वायरलेस पर सुनी, उन्होंने टेबल की दराज में संभाल कर रखे गुमशुदा युवक के फोटो को निकाल कर देखा. वह फोटो पदम सिंह ने अपने 25 वर्षीय बेटे अभिषेक की गुमशुदगी की सूचना लिखवाते वक्त उन्हें दिया था. उस से उस की कदकाठी मेल खा रही थी.
उन्होंने तुरंत दिमनी थाने के एसएचओ को फोन कर बताया कि 14 दिसंबर, 2024 की दोपहर इस हुलिए के एक युवक, जिस का नाम अभिषेक लोधी है, की गुमशुदगी की सूचना मुरैना जिले के ही थाना गोला का मंदिर के गांव परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी ने कराई थी. इस जानकारी के मिलते ही दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार ने पोरसा के परदूपुरा निवासी पदम सिंह लोधी से उन के मोबाइल पर संपर्क कर एक युवक की लाश बरामद होने की सूचना देते हुए उन्हें थाने बुलाया. पदम सिंह अपने एक करीबी रिश्तेदार को ले कर दिमनी थाने पहुंच गए. एसएचओ शशिकुमार ने उन्हें नहर से बरामद लाश के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही वह फफक कर रोने लगे.
कौन निकला अभिषेक का हत्यारा
शशिकुमार ने किसी तरह उन्हें दिलासा दे कर शांत कराया. तब पदम सिंह लोधी ने एसएचओ को बताया कि जब मेरे बेटे की हत्या हो चुकी है तो फिर उस के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर 20 लाख रुपए की फिरौती मांगने के मैसेज कौन भेज रहा है?
शशिकुमार ने इस बात का जल्द पता लगाने का आश्वासन देते हुए एसआई और कांस्टेबल के साथ पदम सिंह को मुरैना के जिला चिकित्सालय की मोर्चरी भेज दिया. वहां डीप फ्रीजर में रखी डैडबौडी पदम सिंह को दिखाई तो उन्होंने उसे देखते ही कहा, ”हां, यह लाश मेरे बेटे अभिषेक की ही है.’’
लाश की शिनाख्त हो गई तो पुलिस को यह पता लगाना था कि हत्या किस ने और क्यों की? तथा मृतक के मोबाइल से उस के पापा को वाट्सऐप मैसेज कौन भेज रहा है?
उधर इस सनसनीखेज हत्या की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुरैना के एसपी समीर सौरभ द्वारा कत्ल की घटना का शीघ्र खुलासा करने के लिए 2 पुलिस टीमें गठित कर दीं. अभिषेक हत्याकांड का परदाफाश करने वाली टीम में एसएचओ शशिकुमार के साथ एसआई अभिषेक जादौन, सौरभ पुरी, प्रताप सिंह, हैडकांस्टेबल रघुनंदन, सुदेश, मंगल सिंह, योगेंद्र, रामकिशन, दुष्यंत, गिरजेश आदि को शामिल किया गया. दोनों टीमें एडिशनल एसपी गोपाल सिंह धाकड़ एवं एसडीपीओ (हैडक्वार्टर) विजय सिंह भदौरिया व दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार के निर्देशन में इस मामले की तह में जा कर हत्यारे को खोजने में जुट गई.
शशिकुमार मुखबिरों से पलपल की खबर ले रहे थे. इस काम में उन्हें एक सप्ताह का समय तो लगा, लेकिन उन्होंने इस ब्लाइंड मर्डर को हल करने के लिए जरूरी सबूत जुटा लिए. पुलिस ने अभिषेक लोधी का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. इसी के साथ उन्होंने उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतिम बार उस की किस से बात हुई थी और उस की आखिरी लोकेशन कहां की थी. पुलिस ने काल डिटेल्स और इंस्टाग्राम अकाउंट को खंगाला तो पायल राजपूत नाम की किसी युवती से वक्तबेवक्त बात करने की जानकारी मिली. अभिषेक के लापता होने वाले दिन भी पायल राजपूत ने अभिषेक को इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अपने पास मुरैना बुलाया था, जिस पर वह राजी हो गया.
पुलिस टीम ने जांच का सिलसिला घटनास्थल से शुरू करते हुए मृतक के फेमिली वालों से पूछताछ करने के बाद हत्यारे तक पहुंचने के लिए तमाम तकनीकों का इस्तेमाल किया. इस से पुलिस टीम को जल्द ही सफलता मिल गई. मर्डर के इस मामले में 3 लोगों के नाम सामने आए, जिन में एक युवक मुकेश लोधी का भी नाम था. मुकेश का नाम ही नहीं आया, बल्कि पुलिस ने उसे ही अभिषेक हत्याकांड का मास्टरमाइंड बताया. लोगों को हैरानी तब हुई, जब पुलिस को मालूम हुआ कि इस वारदात को अंजाम देने में मुकेश की प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल भी शामिल रहीं.
एसएचओ शशि कुमार अवंतीबाई कालोनी, रामनगर में इसी केस के सिलसिले में लोगों से पूछताछ कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें एक व्यक्ति अपने गले में लाल रंग का स्टोल बांधे हुए दिखाई दिया. उक्त स्टोल देखने में मृतक के पैर और आंखों से बंधे स्टोल से मेल खा रहा था. इस के अलावा उस शख्स की गतिविधियां भी संदिग्ध लग रही थीं. क्योंकि वह लगातार पुलिस टीम की गतिविधियों पर चौकस निगाहें रखे हुए था. उक्त शख्स के बारे में मुखबिर से जानकारी लेने पर पता चला कि उस का नाम मुकेश लोधी है. वह अवंतीबाई कालोनी में शशि लोधी नाम की शादीशुदा युवती के साथ लिवइन रिलेशन में रह रहा है. क्योंकि शशि ने अपने पति को छोड़ रखा है.
मुकेश कुछ साल पहले तक दिल्ली में रह कर ओला की टैक्सी चलाता था. दिल्ली से आने के बाद वह ग्वालियर के गोले का मंदिर इलाके में कियोस्क सेंटर चलाने लगा था. इसी दौरान उसे औनलाइन सट्टा खेलने का चस्का लग गया, जिस के चलते वह मोटी रकम सट्टे में हार गया तो उस ने कियोस्क सेंटर को बंद कर दिया और मुरैना में किराए पर कमरा ले कर प्रेमिका शशि के साथ रहने लगा. उस ने परिस्थितियों से निकलने का कतई प्रयास नहीं किया, बल्कि अपनी प्रेमिका शशि और पायल उर्फ काजल के साथ शानोशौकत से रहने के लिए ब्याज पर परिचितों से काफी पैसा ले लिया, जिस से वह कर्जदार हो गया था. इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही उस ने शशि और पायल के साथ मिल कर एक गंभीर अपराध को अंजाम दिया.
मर्डर के बाद क्यों मांगी जा रही थी फिरौती
14 दिसंबर, 2024 का दिन था. पदम सिंह लोधी अपने बेटे अभिषेक की तलाश में जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि अचानक उन के मोबाइल फोन की घंटी बजने लगी. जब तक वह काल रिसीव करते, घंटी बंद हो गई थी. मोबाइल फोन की स्क्रीन पर उन्होंने नजर डाली तो पता चला कि काल बेटे के मोबाइल नंबर से आई थी. उन्होंने बेटे के नंबर पर कालबैक कर बात करना उचित समझा. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव की, दूसरी तरफ से आवाज आई, ”हैलो, पदम सिंह लोधी बोल रहे हैं?’’
”जी बोल रहा हूं. आप कौन?’’ पदम सिंह ने कहा.
काल करने वाले की बात उन्हें थोड़ी अटपटी लगी, फिर भी उन्होंने सोचा कि अभिषेक का कोई दोस्त होगा. इस से ज्यादा कुछ और पूछ पाते कि दूसरी तरफ से फोन करने वाले ने तपाक से अपनी बात कह डाली, ”सुनो, मैं कौन बोल रहा हूं, कहां से बोल रहा हूं, यह सब पता चल जाएगा. पहले जो मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनो. तुम्हारा बेटा अभिषेक हमारे कब्जे में है, यदि उस को सहीसलामत हमारी गिरफ्त से आजाद कराना चाहते हो तो 20 लाख रुपए का इंतजाम कर लो, वरना अंजाम बहुत बुरा होगा. हां, एक बात और याद रखना, ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत करना और पुलिस को भूल कर भी मत बताना अन्यथा अंजाम इतना बुरा होगा, जिस की कल्पना भी तुम नहीं कर सकते…’’
इतना सुनते ही सर्द मौसम के बावजूद पदम सिंह को पसीना आ गया. वह अपनी जेब से रूमाल निकाल कर पसीना पोंछ भी नहीं पाए थे कि बेटे के मोबाइल फोन से वाट्सऐप कालिंग करने वाले ने फिर धमकी देते हुए कहा, ”सुनो, फिरौती की रकम कब, कहां और कैसे देनी है, मैं तुम्हें बाद में वाट्सऐप काल कर के बताऊंगा. लेकिन एक बात ध्यान देना कि मैं ने जो भी कहा है, उसे हलके में मत लेना, वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
अपने बेटे को बंधक बनाने और उस की सकुशल वापसी के एवज में 20 लाख रुपए की फिरौती मांगी जाने से पदम सिंह के होश उड़ गए. वह अपना माथा पकड़ कर बैठ गए. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उन के साथ यह हो क्या रहा है. उन्होंने और उन के बेटे अभिषेक ने तो किसी का कुछ बिगाड़ा नहीं था और न ही उन का और बेटे का किसी से कोई झगड़ा हुआ था. फिर बेटे को बंधक बना कर क्यों रखा है.
सिर पकड़ कर वह इसी सोच में उलझे हुए थे कि तभी अचानक घर के भीतर से उन की पत्नी ने आवाज लगाई, ”अरे, आप अभी तक यहीं बैठे हुए हैं. आप तो बेटे को ढूंढने जा रहे थे फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सिर पकड़ कर बैठ गए. कोई बात है क्या?’’ पत्नी का इतना कहना था कि पदम सिंह फफक पड़े और पूरी आपबीती सुना दी. पति के मुंह से बेटे के किडनैप की बात सुन कर पत्नी के भी होश उड़ गए. वह भी सिर पकड़ कर बैठ गई थी.
पतिपत्नी को अब कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करें? काफी देर तक दोनों मौन रह कर एक ही कमरे में बैठे रहे. वे इसी सोच में उलझे हुए थे कि बेटे को बंधक बना कर रखने की हरकत किस ने की है?
यही सब सोच कर जहां उन का भीतर से तनमन कांपे जा रहा था, वहीं वे दोनों शंकाओंआशंकाओं से उलझे हुए थे. कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें. फिरौती की मांग करने वाले ने कहा था कि पुलिस को इस बारे में कुछ बताया तो अपने इकलौते बेटे को हमेशा के लिए खो बैठोगे. इसलिए पदम सिंह ने बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराते वक्त वाट्सऐप पर हुई बातचीत का कतई जिक्र नहीं किया था.
उधर शातिरदिमाग मुकेश लोधी ने अभिषेक की हत्या के बाद उस का मोबाइल अपने पास रख लिया था. लेकिन जैसे ही अभिषेक की लाश नहर से बरामद हुई और पुलिस ने उसके हत्यारे की तलाश तेज की तो मुकेश लोधी ने मृतक के मोबाइल से पदम सिंह को वाट्सऐप मैसेज भेज कर बता दिया कि अभिषेक की हत्या हो चुकी है. यदि अब यह जानना चाहते हो कि उस की हत्या किस ने की और किस के कहने पर की है तो तुरंत 5 लाख रुपए अपने बेटे के मोबाइल पर फोनपे के माध्यम से भेज दो. ध्यान रहे, पुलिस हमारे बारे में कुछ भी पता नहीं कर सकती, क्योंकि हम सैकड़ों किलोमीटर दूर निकल चुके हैं. इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली थी.
प्रेमिका को योजना में क्यों किया शामिल
20 दिसंबर को मध्य प्रदेश के शहर मुरैना के एसपी समीर सौरभ और दिमनी के एसएचओ शशिकुमार ने पत्रकार वार्ता में घटना में शामिल तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए बताया कि अभिषेक लोधी की हत्या भिंड के रावतपुरा निवासी मुकेश लोधी (23 वर्ष) ने अपनी 2 प्रेमिकाओं शशि लोधी (21 वर्ष) निवासी परदूपुरा और पायल उर्फ काजल लोधी (23 वर्ष) निवासी सिरमिती हाल निवासी बड़ोखर के साथ मिल कर की थी.
पायल लोधी ग्वालियर में अपने मामा के घर पर रह कर पीएससी की तैयारी कर रही थी. इसी दौरान मुकेश लोधी ने प्रेमिका पायल लोधी के माध्यम से पैसे वाले किसी युवक को प्रेम जाल में फंसा कर पैसा कमाने की योजना बनाई, क्योंकि उस पर 5 लाख रुपए का कर्ज हो गया था. अत: उस ने प्रेमिका काजल लोधी की पायल राजपूत के नाम से फरजी ईमेल आईडी बना कर इंस्टाग्राम के माध्यम से अभिषेक लोधी से जानपहचान की. फिर 8 दिसंबर, 2024 को काजल ने इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को मुलाकात के लिए मुरैना बुलाया. लेकिन उस दिन अभिषेक अपने एक फ्रेंड को साथ ले कर उस की कार से मुरैना पहुंचा तो पायल (काजल) ने उस फ्रेंड की मौजूदगी में अभिषेक से मुलाकात करने में असमर्थता जताई. तब अभिषेक उस से बिना मिले ही वापस लौट गया.
11 दिसंबर को पायल (काजल) ने फिर इंस्टाग्राम पर मैसेज भेज कर अभिषेक को अकेले में मिलने के बहाने मुरैना बुलाया. काजल ने अपने मैसेज में यह भी लिखा कि इस बार ग्वालियर से बस में बैठ कर मुरैना आना, मैं बसस्टैंड पर खड़ी मिल जाऊंगी. बसस्टैंड से मैं सीधे तुम्हें अपनी सहेली शशि के वडोखर स्थित कमरे पर ले चलूंगी. शशि इन दिनों अपने प्रेमी मुकेश के साथ मौजमस्ती करने मुरैना से बाहर गई हुई है, इसलिए उस के कमरे में एकांत में बैठ कर आराम से बिना किसी हिचकिचाहट के प्रेमालाप करेंगे.
प्लान के अनुसार, शशि के कमरे में छिप कर पहले से ही शशि और उस का प्रेमी मुकेश रसोई घर में बैठ गए थे. अपनी प्रेमिका पायल का इंस्टाग्राम पर मैसेज देख कर अभिषेक बस में बैठ कर मुरैना पहुंच गया. बस से उतर कर जैसे ही अभिषेक ने अपनी नजर घुमाई, पायल उर्फ काजल इंतजार में खड़ी दिखाई दे दी. वह अभिषेक को अपनी स्कूटी पर बैठा कर सीधे शशि के कमरे पर ले गई और कमरे का ताला खोल कर अभिषेक से कहा कि तुम तसल्ली के साथ पलंग पर बैठो, मैं तुम्हारे और अपने लिए गरमागरम चाय और नाश्ता ले कर आती हूं. फिर चाय की चुस्की के साथ नाश्ते का लुत्फ उठाते हुए जम कर मौजमस्ती करेंगे.
पायल ने योजना को अंजाम देने के लिए मुकेश के कहने पर अभिषेक की चाय में नशीला पाउडर मिला दिया. चाय पीतेपीते कुछ देर तक तो अभिषेक पायल (काजल) से बातचीत करता रहा, लेकिन चाय खत्म होने से पहले ही उसे अपना सिर चकराता हुआ महसूस हुआ. उस के होश कब गुम हो गए, उसे पता ही नहीं चला. उस के बेहोशी की हालत में पहुंचते ही मुकेश और शशि ने अभिषेक के हाथपैर और आंखें काजल के स्टोल से बांध दीं. तकरीबन 3 घंटे बाद जैसे ही नशा कम हुआ, उस ने काजल से पूछा, ”क्या यही सब हरकतें करने के लिए तुम ने मुझे ग्वालियर से बुलाया था?’’
इसी बीच शशि का प्रेमी मुकेश कमरे में आ धमका. वह बोला, ”चल, तेरे हाथ खोले देता हूं. अपने बाप को फोन लगा कर बोल कि मुझे कुछ लोगों ने बंधक बना लिया है. आप मेरी जिंदगी बचाना चाहते हो तो मेरे फोनपे के माध्यम से फिरौती कि रकम 20 लाख रुपए भेज दो.’’
इतना सुनते ही अभिषेक ने शोर मचाना शुरू कर दिया. उस के ऐसा करने से घबरा कर शशि रसोई से बेलन उठा लाई और अभिषेक के सिर पर उस से ताबड़तोड़ वार कर दिए. तब अभिषेक अपनी जान बचाने के लिए जोरजोर से ‘बचाओ…बचाओ’ चिल्लाने लगा. मुकेश और काजल को लगा कि यदि कमरे से बाहर किसी ने अभिषेक की आवाज सुन ली तो उन की सारी योजना पर तो पानी फिर ही जाएगा, साथ ही उन सभी को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी. अत: मुकेश और काजल ने ताकिए से अभिषेक का मुंह दवा दिया, जिस से उस की दम घुटने से उस की मौत हो गई.
उस की मौत के बाद तीनों के हाथपांव फूल गए. डर के मारे मुकेश, शशि और काजल 12 नवंबर की रात तक अभिषेक की लाश के साथ कमरे में ही रहे. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए ग्वालियर से सेल्फ ड्राइविंग पर 24 घंटे के लिए कार भाड़े पर ला कर 13 दिसंबर की रात को अभिषेक की लाश को इसी कार में रख कर बड़ागांव और महादेवपुरा के बीच बहने वाली नहर में फेंक दी. लाश ठिकाने लगाने के बाद मुकेश, शशि और काजल उसी कार से दिल्ली चले गए. फिर 14 दिसंबर की सुबह यह पता करने के लिए मुरैना वापस लौट आए कि इस मामले में पुलिस क्या कर रही है. दिल्ली से लौट कर मुकेश लोधी और उस के साथ लिवइन में रहने वाली शशि ने वह कमरा खाली कर के दूसरी जगह कमरा ले लिया था.
वैसे मुकेश, शशि और पायल उर्फ काजल का जुर्म की दुनिया से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन तीनों ने पेशेवर हत्यारों को भी मात दे दी थी. तीनों ने फुलप्रूफ मर्डर की प्लानिंग बड़ी होशियारी से की थी. लेकिन उन की सारी चालाकी धरी की धरी रह गई. पुलिस ने 21 दिसंबर, 2024 को इस हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता मुकेश लोधी सहित इस अपराध में शामिल उस की प्रेमिका शशि लोधी और अभिषेक की इंस्टाग्राम प्रेमिका पायल उर्फ काजल लोधी को न्यायालय में पेश कर 3 दिनों के रिमांड पर लिया.
रिमांड अवधि में मुकेश के पास से अभिषेक का मोबाइल फोन सहित अन्य सबूत हासिल किए. फिर तीनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.
डेटिंग ऐप का शौक पड़ा भारी
अभिषेक के रूम पार्टनर ने पुलिस को बताया कि अभिषेक अपने अकेलेपन और पढ़ाई के उबाऊ बोझ को कम करने के लिए डेटिंग ऐप का सहारा लिया करता था. कुछ वक्त के लिए औनलाइन डेटिंग की दुनिया में तफरीह कर वह अपने आप को तरोताजा महसूस करता था. दरअसल, उसे एक गर्लफ्रेंड की तलाश थी क्योंकि अभी तक उस की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी. इस के चलते उस ने तमाम सारे डेटिंग ऐप पर अपने अकाउंट खोल रखे थे. उन पर उस की प्रोफाइल के मुताबिक किसी वैसी लड़की से दोस्ती नहीं हो पाई थी, जिस की उस ने कल्पना कर रखी थी.
एक दिन उस की नजर इंस्टाग्राम पर पायल राजपूत नाम से रजिस्टर्ड आईडी पर पड़ी. उस ने फटाफट पायल को अपने अकाउंट से जोडऩे के लिए रिक्वेस्ट भेज दी. कुछ ही सेकेंड में पायल ने उसे एक्सेप्ट भी कर लिया. अभिषेक ने उसे ओके कर दिया, फिर उस से उस की चैटिंग के साथ डेटिंग शुरू हो गई. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे, अत: उन के डेटिंग मैसेज बौक्स में गुडमौर्निंग और गुडनाइट से होती थी. पायल और अभिषेक इंस्टाग्राम के माध्यम से अपने दिल की भावनाएं एकदूसरे से जाहिर करते रहते थे. दोनों में देर रात तक चैटिंग होती रहती थी. 2-3 दिनों की लुभावनी और मजेदार चैटिंग के बाद पायल ने अभिषेक को फंसाने के लिए एक साथ अपने तमाम सारे सैक्सी फोटो भी भेज दिए थे.
पायल के जाल में अभिषेक के फंसते ही पायल बहुत खुश हुई. फिर पायल ने अपने प्रेमी मुकेश के कहने पर 11 दिसंबर की सुबह इंस्टाग्राम पर अभिषेक को मैसेज भेज कर कहा कि यदि मुझ से रूबरू मुलाकात करना चाहते हो तो बस में बैठ कर मुरैना आ जाओ. इस मैसेज को पढ़ कर अभिषेक पायल से मुलाकात के लिए मुरैना चला गया. मुरैना पहुंचने के बाद उस के संग जो कुछ घटा, उस का जिक्र कथा में किया जा चुका है.
कथा लिखे जाने तक मुकेश लोधी, शशि लोधी और पायल उर्फ काजल लोधी जेल की सलाखों के पीछे थे. उन्हें अभिषेक की हत्या का जरा भी मलाल नहीं था. दिमनी थाने के एसएचओ शशिकुमार द्वारा अभिषेक हत्याकांड की विवेचना की जा रही थी. वह जांच पूरी कर शीघ्र ही अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.
–पुलिस सूत्रों पर आधारित