Web series : ‘हरिकथा’ वेब सीरीज में उच्च जाति के कुछ लोग निम्न जाति के दास नाम के बालक की मां को पीटपीट कर मार देते हैं तो दास भगवान विष्णु के अवतार का भेष धारण कर मां के हत्यारों और दुराचारियों की एकएक कर हत्या करता है. लगातार हो रही हत्याओं को सुलझाने में पुलिस औफीसर तक की जान चली जाती है.
निर्माता: विश्वप्रसाद टीजी, विवेक कुचिबोटला और कृति प्रसाद, निर्देशक: रमेश मूर्ति और मैगी, लेखक: सुरेश जय, ओटीटी: डिज्नीप्लस हौटस्टार
कलाकार: राजेंद्र प्रसाद, श्रीकांत, मौनिका रेड्डी, दिवि वधाता, पुजिता पोन्नदा, श्रेया कोट्टम, अर्जुन अंबाती, रुचिरा सादिनेनी, विक्रम सत्यसाची, सुमन झा और ऊषाश्री.
वेब सीरीज (Web series) ‘हरिकथा’ (HARIKATHA) दिनांक 15 दिसंबर, 2024 को रिलीज हो चुकी है. यह हिंदी के साथसाथ साउथ भाषाओं और मराठी व बंगाली में भी मौजूद है. इस की कहानी एक ऐसे गांव में सेट की गई है, जहां के लोगों का मानना है कि भगवान खुद हत्या कर के उन्हें सजा देने के लिए उतर रहे हैं. यह सब घटनाएं देख कर गांव वाले काफी डर और घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि ये मौतें ईश्वरीय दंड का हिस्सा हैं. एक पुलिस अधिकारी उस गांव में आता है और इस विश्वास को चुनौती देता है कि हत्याओं के पीछे ईश्वर का हाथ तो नहीं है. जब वह इन अनसुलझे रहस्यों की जांच करता है तो इस प्रक्रिया में वह अपने परिवार को ही खो बैठता है.
इस वेब सीरीज की कहानी दर्शकों को यह सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि इन हत्याओं के पीछे वास्तव में कौन हो सकता है? क्या वास्तव में भगवान ही इन लोगों को सजा दे रहे हैं या कुछ और हो रहा है? क्या पुलिस अधिकारी इन रहस्यों को सुलझा कर इन हत्याओं को रोक सकता है? इस वेब सीरीज का ट्रेलर एक चौंकाने वाले पल से समाप्त होता है.
इस वेब सीरीज (Web series) में पुलिस अधिकारी विराट की भूमिका श्रीकांत ने निभाई है, जबकि राजेंद्र प्रसाद (रंगाचारी), श्रेया कोट्टम (वैदेही), पुजिता पोन्नदा (लिसा), अर्जुन अंबाती (भरत), दिवि वधाता (चमंथी), रुचिरा सादिनेनी (स्वाति), विक्रम सव्यसाची (मार्थांडा), मौनिका रेड्डी (अंजलि), सुमन झा (हरि) और उषाश्री (ईरम्मा) की भूमिकाओं में हैं.
एपिसोड नंबर 1
पहले एपिसोड की शुरुआत गीता के श्लोक से होती है और फिर 1982 के एक कोर्ट के दृश्य को दिखाया जाता है, जिस में हथौड़े से लोगों का मर्डर करने के जुर्म में दास नामक युवक को 18 साल की सजा सुनाई जाती है. दास माइनर था, इस वजह से उसे जुबिनायल ले जाने लगते हैं. पुलिस वैन में एक कांस्टेबल दास को जातिगत टिप्पणी कर देता है, जिस से गुस्सा हो कर द्वास पुलिस कांस्टेबल अपर्णा के हथियार से ही उस का खून कर देता है. अगला दृश्य 1990 का दिखाया जाता है, जहां विशाखापट्टनम में पुलिस अधिकारी विराट (श्रीकांत) ने एक बड़े शातिर क्रिमिनल को पकड़ कर लौकअप रूप में बंद कर रखा है.
उस अपराधी को पकडऩे पुलिस फोर्स आ रही होती है, ताकि उसे जेल भेजा जा सके, तभी वहां पर विराट (श्रीकांत) की पत्नी अंजलि (मौनिका रेड्डी) पुलिस स्टेशन आ जाती है, जिस का उस दिन जन्मदिन भी होता है. विराट के क्रिमिनल के साथ बिजी होने के कारण अंजलि अपना जन्मदिन पुलिस वालों के साथ मनाती है. वहां पर उस क्रिमिनल को छुड़ाने के लिए थाने में कई आतंकी आ जाते हैं. एक आतंकी उस क्रिमिनल को कैद से छुड़ाने अपनी राइफल ले कर आगे बढ़ता है तो वहां मौजूद विराट का दोस्त भरत उस से भिड़ जाता है. उसी दौरान आतंकी की गोली अंजलि के सीने पर लग जाती है और एक गोली विराट को लग जाती है, जिस से विराट घायल हो कर गिर जाता है, जबकि अंजलि की मृत्यु हो जाती है.
इस के बाद कुछ साल पहले का दृश्य सामने आता है, जहां अराकू वैली में 2 व्यक्तियों की नृशंस हत्या हुई थी. तभी वहां पर लिसा (पुजितो पोन्नदा), जोकि एक टीवी रिपोर्टर है, आ कर वीडियो रिकौर्डिंग करने लगती है तो पुलिस औफिसर भरत (अर्जुन अंबाती) उसे रिकौर्डिंग करने से रोक देता है. अब वहां पर गांव का प्रतिभाशाली आदमी और वहां का बौस केशव आ जाता है. जिन 4 लोगों की हत्या हुई थी, वे दोनों केशव के ही आदमी थे. भरत केशव से पूछता है कि इन दोनों को किस ने मारा होगा.
पुलिस को घटनास्थल से कुछ दूरी पर वह हथियार भी मिल जाता है, जिस से हत्या की गई थी. अगले दृश्य में सभी गांव वाले अपने सरपंच से कहते हैं कि हम सभी को अपनी देवी देवरम्मा के पास जाना चाहिए, क्योंकि जिस हथियार से इन दोनों की हत्या की गई है, वह हथियार परशुराम के फरसे की तरह था. अब सभी गांव वाले सरपंच के साथ देवरम्मा के दर्शन के लिए जाते हैं. वहां पर देवी देवरम्मा को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि चढ़ाई जाती है और सभी देवरम्मा की पूजा करते हैं. उस के बाद देवरम्मा बलि के खून को छू कर कहती है, देवता सभी पर रुष्ट हैं. वे सभी को मार डालेंगे. साथ ही यहां पर लिसा (पुजिता पोन्नदा) भी होती है, जो सभी दृश्यों को कैमरे में रिकौर्ड करती दिखाई दे रही है.
अगले दृश्य में हम एक वुमनाइजर को देखते हैं, जो अय्याश है. वह अपने साथी से कहता है कि आज रात मंदाकिनी को बुला लो, मेरा उस के साथ प्यार करने का मन है. तब उस का साथी काशी कहता है कि मंदाकिनी आज गांव में नहीं है. तभी लाउडस्पीकर पर घोषणा हो रही होती है कि आज रात को गांव में नाटक मंडली द्वारा हिरण्यकश्यप वध का मंचन किया जा रहा है. वुमनाइजर अपने साथी काशी से कहता है कि आज रात तो नाटक देखना पड़ेगा, क्योंकि आज मंदाकिनी तो गांव में है ही नहीं.
अगले दृश्य में सभी गांव वाले नाटक देखने लगते हैं, तभी वहां पर चमंथी (दिवि वधाता) आती है, जो एक वैध भी है. उस की सहेली चमंथी से देर में आने का कारण पूछती है तो वह बताती है कि मंदाकिनी गांव में लौट आई है. उस से मैं ने बाजार से कुछ दवाइयां मंगाई थीं, इसलिए मैं उस के पास चली गई थी. यह बात वुमनाइजर सुन लेता है. वह अब मंदाकिनी से मिलने अपनी बाइक पर चल पड़ता है, लेकिन तभी उस की बाइक खराब हो जाती है तो वह पैदल ही निकल पड़ता है.
जैसे ही वह जंगल के पास पहुंचता है तो तेज हवाएं शुरू हो जाती हैं. इस पर वह एक पेड़ से टकरा जाता है, तभी उस पेड़ पर अचानक भगवान नृसिंग प्रकट हो जाते हैं और वह उस वुमनाइजर को अपनी जांघ पर रख कर उसे बीच से फाड़ देते हैं. तभी इस घटना को गांव का एक व्यक्ति वीरू देख लेता है, जो यह देख कर वहां से भाग जाता है. अगले दृश्य में वीरू अपने घर पर चारपाई पर लेटा हुआ है और वह सारी रात की बातें गांव वालों को बताता है. उसे चमंथी दवाई देती है, लेकिन वह दवाई नहीं पीता. वह सभी गांव वालों को जंगल में उस जगह पर ले जाता है, जहां पर वुमनाइजर का मर्डर हुआ था. वहां पर लिसा रिकौर्डिंग करती है तो पुलिस औफीसर भरत उसे रिकौर्डिंग करने से मना कर देता है. सभी गांव वालों को भी अब यह लगने लगता है कि स्वयं भगवान आ कर दुष्टों का नरसंहार कर रहे हैं.
अगले सीन में लिसा नाटक मंडली के अभिनेता रंगाचारी (राजेंद्र प्रसाद) से उन का इंटरव्यू लेती है. उधर विराट अपनी बेटी स्वीटी को घुमाने जंगल ले जाता है. विराट के दिमाग का साउंड रिसीविंग सिस्टम ब्लौक होने के कारण उसे सुनने में काफी दिक्कत होती है. स्वीटी जंगल में खेलने लगती है, तभी वहां पर कुछ कुत्ते विराट पर हमला कर देते हैं. उस की आवाज सुन कर चमंथी वहां पर आ जाती है. दोनों में परिचय होता है.
अगले सीन में सभी लोग गांव में नाटक देख रहे होते हैं, तभी वहां पर एक आदमी आ कर भरत के कान में कुछ कहता है, जिसे सुन कर भरत वहां पर किसी व्यक्ति की स्कूटी ले कर जंगल की ओर निकल जाता है. उसे जंगल में जाते देख कर लिसा अपना कैमरा ले कर उस का पीछा करने लगती है. भरत जब जंगल के बीच में पहुंचता है तो वहां पर उसे बहुत सारे जंगली सूअर उसे घेर लेते हैं और उन से बचने के लिए वह कांटों से भरे गहरे गड्ढे में गिर जाता है. फिर जंगल में बहुत तेज आंधीतूफान आ जाता है, जिस से लिसा जमीन पर गिर जाती है और उस का सिर एक पत्थर से टकराने के कारण वह बेहोश हो जाती है. उस के बाद गड्ढे में गिरे भरत को एक सांप डस लेता है जिस से भरत की मृत्यु हो जाती है. इसी के साथ पहला एपिसोड भी समाप्त हो जाता है
यदि पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में देवरम्मा चरित्र को दिखाया गया है, जिसे लोग भगवान मानते हैं और उसे बलि भी देते हैं. आज के आधुनिक युग में ऐसा अंधविश्वास दिखाना गले से नहीं उतर पाता. दूसरा जब पूरे देश में बलि प्रथा लगभग समाप्त हो चुकी हो तो उसे दिखाना उचित नहीं लगता. यहां पर लेखक व निर्देशक ने ऐसे दृश्यों को दिखा कर ठीक नहीं किया. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 2
दूसरे एपिसोड की शुरुआत में मुजरिम दास की 18 वर्ष की आयु होने पर उसे पुलिसकर्मी एक जीप से जेल ले जाते हैं. रास्ते में जंगल में पुलिसकर्मियों को लघुशंका होने के कारण दोनों पुलिस वाले लघुशंका के लिए उतर जाते हैं. तभी टायलेट करते समय एक पुलिस वाले के जूते के ऊपर पेशाब की बूंदें गिर जाती हैं तो वह पुलिस वाला दास से अपने जूते साफ करने को कहता है, जिस से गुस्सा हो कर दास उस पुलिस वाले की कुल्हाड़ी से हत्या कर देता है. दूसरा पुलिसकर्मी जब दास पर इस बात के लिए गुस्सा करता है तो दास उस की भी हत्या कर डालता है और वहां से भाग कर अपने घर में चला जाता है.
अगले दृश्य में विराट भरत का दाह संस्कार करता है. भरत के मरने से विराट की बेटी स्वीटी और विराट को बहुत दुख होता है. विराट जब भरत की अस्थियां नदी में प्रवाहित करता है, तभी भरत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ जाती है. पुलिस कांस्टेबल वामन राव विराट को बताता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मर्डर का एंगल नजर नहीं आ रहा है. घर पर स्वीटी अपने पापा विराट से कहती है कि मेरे ही कारण भरत अंकल की मौत हुई, क्योंकि उस दिन यदि मैं उन्हें अपने साथ नाटक ले जाने की जिद न करती तो वे जिंदा होते.
स्वाति जब पानी भर कर ला रही होती है तो गांव की औरतें उसे सुनाते हुए कहती हैं कि यह स्वाति कितनी बदनसीब है, जिस की शादी होने से पहले ही उस का पति मर गया. रात के समय विराट को भरत की मौत का सपना आता है तो वह घबरा कर उठ जाता है और वह देखता है कि उस की बेटी स्वीटी नींद में भी भरत की मौत का जिम्मेदार खुद को मान रही थी. यह देख कर विराट उदास हो जाता है. अगले दिन विराट पुलिस स्टेशन जा कर कांस्टेबल वामन राव से पूछता है कि उस रात क्या हुआ था. विराट को अब पुलिस विभाग की ओर से भरत व अन्य लोगों की मौत की जांच के लिए भेजा गया है.
तब कांस्टेबल वामन राव कहता है कि उस रात भरत सर के कान में कुछ कह कर एक आदमी आया था. उस के बाद भरत सर वहां से मेरी स्कूटी ले कर सीधे जंगल की ओर चले गए थे. विराट उस से कहता है कि यह केस हमें सौल्व करना होगा, क्योंकि मैं अपनी बेटी स्वीटी के दिल से उस के अंकल भरत की मौत का गिल्ट निकालना चाहता हूं और फिर इस से यह भी पता चल जाएगा कि इस के पीछे भगवान ही है या कोई और ही कातिल है. अगले सीन में चमंथी नहाने के लिए झरने के पास जा रही होती है, तभी वहां पर विराट आ जाता है और चमंथी से कहता है कि आप को अकेले इस तरह जंगल में नहीं जाना चाहिए. यहां काफी खतरा है. फिर विराट नदी के किनारे जा कर खड़ा हो जाता है, तभी वहां पर स्वाति आ जाती है. विराट स्वाति से पूछता है कि भरत कभी किसी बड़े केस में इन्वौल्व तो नहीं था.
इस पर स्वाति कहती है कि भरत ने तो कभी भी किसी बड़े केस को हाथ तक नहीं लगाया था. उस के बाद विराट गांव वालों से पूछताछ करता है तो सभी कहते हैं कि भरत एक सीधासादा इंसान था. तभी ढोलनगाड़ों की आवाज सुनाई देती है. सभी गांव वाले वहां पर इकट्ठे हो जाते हैं तो वहां पर गांव के सरपंच ने ही सब को बुलाया हुआ था. सरपंच गांव वालों से कहता है कि भगवान हम सब से नाराज हैं, इसलिए जब तक भगवान का गुस्सा शांत नहीं हो जाता, तब तक कोई भी गांव का आदमी जंगल में नहीं जाएगा.
रात के वक्त सभी गांव वाले आपस में बात करते हैं कि हम सभी को (HARIKATHA) जंगल से ही रोजीरोटी मिलती है, अब हम जंगल में ही नहीं जा पाएंगे तो हमारा गुजारा कैसे हो पाएगा. अगले दृश्य में गांव का एक आदमी साइकिल से जा रहा होता है तो वह एक दृश्य देख कर वापस गांव आ कर सभी को उस स्थान पर ले कर आता है, जहां पर आने से पता चलता है कि किसी ने गांव के सरपंच की हत्या कर उस के शव को एक पेड़ से लटका दिया था. तभी वहां पर पुलिस औफीसर विराट आता है और गांव वालों से करता है कि यह मर्डर भगवान ने नहीं, बल्कि इसी गांव के किसी आदमी ने किया है. इस पर गांव वाले विराट को काफी बुराभला कहने लगते हैं.
अब विराट पुलिस स्टेशन आ कर अब तक मरे सभी लोगों की केस फाइल मंगवाता है. वामन राव सारी फाइलें ले कर आता है. तब विराट उस से पूछता कि इन सभी मौतों में कौमन क्या है? वामन राव बताता है कि ये सभी मरने वाले लोग इसी गांव के निवासी थे. तब विराट कहता है कि इस के अलावा कुछ और अलग बात जरूर है, जिसे तुम समझ नहीं पाए हो. तभी पुलिस स्टेशन में एक महिला अपने मृत पति की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगने आती है क्योंकि बैंक के लोग उसे बिना पोस्टमार्टम रिपोर्ट के पैसे देने में आनाकानी कर रहे थे.
तब पुलिस औफीसर विराट को पता चलता है कि उस महिला का पति भी रात को नाटक देखने गया थे, जिस के बाद उस की मौत हो गई थी. यह सुन कर विराट उस केस की विस्तृत छानबीन करता है, तब उसे यह पता चलता है कि अब तक मरे हुए सभी लोग रात को नाटक देखने गए थे.उस के बाद विराट सीधा नाटक कंपनी के संचालक व अभिनेता रंगाचारी के घर जा कर उस का गला पकड़ कर कहता है कि अब तुम मुझे सब कुछ सचसच बता दो, तुम ने सारे लोगों को क्यों मारा है?
इस पर रंगाचारी कहता है कि मुझे तो रात में शो के दौरान ठीक से दिखाई भी नहीं देता, क्योंकि मेरी आंखें कमजोर हैं तो फिर मैं भला उन लोगों का खून कैसे कर सकता हूं. तभी वहां पर स्पीकर से जोरजोर से शोर होने लगता है, जिस के कारण विराट के कानों में काफी परेशानी होने लगती है. तब यह देख कर एक आदमी आ कर लाउडस्पीकर को बंद कर देता है. उस के बाद रंगाचारी विराट से कहता है कि आज रात आप खुद नाटक देखने आ जाना, जिस से आप को यह पता चल जाएगा कि वास्तव में ये सब मर्डर कौन कर रहा है और इसी के साथ एपिसोड समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में जो (HARIKATHA) अपराधी दास है, जब सभी पुलिस वालों को और अन्य लोगों को यह बात पता है कि यह ऊंचनीच या अछूत की बातें सुन कर तैश में आ जाता है तो वे बारबार उसे क्यों इस तरह प्रताडि़त कर रहे हैं. इस के बाद उस के पास पुलिस वालों को मारने के लिए आखिर एकाएक हथियार कैसे मिल गया? यदि वह सजायाफ्ता है तो उस के हाथों में हथकड़ी क्यों नहीं थी? ये सब देख कर यह सीन काल्पनिक सा लगता है.
दूसरी बात यह है कि दास के रूप में जिस कलाकार को दिखाया गया है, वह अभिनय करने की दृष्टि से कहीं से कहीं तक कलाकार नहीं लगता, बस एक नौसिखिया सा नजर आता है. अभिनय की दृष्टि से भी इस एपिसोड में कलाकारों का अभिनय केवल औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 3
इस एपिसोड की शुरुआत में हम फिर उसी बाल अपराधी दास को देखते हैं, जो कुछ लोगों को मार रहा है. अगले दृश्य में गांव का गुंडा केशव गांव वालों से कहता है कि एक न एक दिन तो सभी को मरना है, पर आज डोरा की बारी है. चमंथी विराट से कहती है कि मुझे पूरा विश्वास था कि आज तुम नाटक देखने जरूर आओगे. उस के बाद विराट कांस्टेबल वामन राव से पूछता है कि आज यहां पर जितने भी लोग नाटक देख रहे हैं, उन का करेक्टर अब तक मरे हुए लोगों से कहीं मिलता तो नहीं है? यानी कि जिन्होंने कभी नीच हरकत की हो.
तब वामन राव बताता है यहां पर 3 आदमी हैं, जिन में पहला प्रभाकर, दूसरा केशव और तीसरा डोरा है. प्रभाकर और केशव के बीच में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है और जो यह तीसरा डोरा बैठा है, वह क्रिमिनल्स की लिस्ट में पहले नंबर पर है. चौथे नंबर पर विराज है, जो एक नंबर का लड़कीबाज है. विराट वामन राव से कहता है कि अपने आदमियों से कहो कि इन सभी पर अपनी नजर रखें. तब कांस्टेबल वामन राव अपने आदमियों को काम पर लगा देता है. फिर विराट भी उन को देखता रहता है. वे सभी चारों लोग अपनेअपने घर जाने लगते हैं.
तभी वामन राव का विराट को फोन आता है वह बताता है कि डोरा जंगल की ओर गया है. तब विराट जंगल में डोरा का पीछा करने लगता है, वह देखता है कि डोरा वहां पर किसी से अपनी गलतियों की माफी मांग रहा है और जिस से माफी मांग रहा है, वह कोई और नहीं बल्कि विष्णु भगवान के वामन अवतार हैं. उस के बाद भगवान वामन देव डोरा को 3 कदम आगे आने का आदेश देते हैं, फिर जैसे ही डोरा आगे की ओर बढ़ता है वैसे ही एक विशालकाय पेड़ डोरा के ऊपर गिर जाता है, जिस से डोरा की मौत हो जाती है.
फिर वहां पर भगवान वामन देव कांस्टेबल वामन राव को आशीर्वाद दे कर वहां से चले जाते हैं. तभी विराट को जंगल में लिसा का कैमरा मिलता है और उसी समय विराट के पीछे से कोई अचानक भाग कर गायब हो जाता है. अगले दिन कांस्टेबल वामन राव गांव वालों को बताता है कि कल रात खुद भगवान वामन देव ने उसे आ कर आशीर्वाद दिया था. यह सब सुन कर गांव भर में सभी लोग अब जगहजगह कांस्टेबल वामन राव की बातें करते दिखाई देते हैं.
उस के बाद थाने में विराट किसी केस को सौल्व करने के लिए केस की कड़ी से कड़ी मिला रहा होता है, तभी वहां पर कांस्टेबल वामन राव आ जाता है और मेज पर कैमरा देख कर वह विराट से कहता है कि यह कैमरा तो लिसा का है. विराट उस से लिसा के बारे में पूछता है तो वामन राव उसे बताता है कि लिसा न्यूज चैनल वीएनसी की तरफ से यहां की मौतों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही थी.
विराट नाटक मंडली के लोगों को थाने बुला कर उन से सख्ती से सत्य उगलवाने की कोशिश करता है, तभी वहां पर एक नया सबइंसपेक्टर आ जाता है और वह विराट को थाने से बाहर निकाल देता है. अगले दृश्य में लिसा को अब होश आ चुका था. फिर अब हम विराट को देखते हैं वह उस जगह पर बैठा शराब पी रहा होता है, जहां पर उस के दोस्त भरत की मृत्यु हुई थी. विराट नशे में कहता है कि मैं अपने दोस्त के हत्यारे को एक दिन जरूर पकड़ लूंगा.
उसी समय वहां पर लिसा आ जाती है और अपने कैमरे की कैसेट ले कर वहां से चली जाती है, जो उस दिन जंगल में गिर गई थी, जब भरत का मर्डर हुआ था और लिसा पत्थर लगने से बेहोश हो गई थी. उस की यह कैसेट उस दिन यहीं पर गिर गई थी. अगले दृश्य में रंगाचारी अपने घर पर आता है तो वहां पर विराट उस का इंतजार कर रहा होता है. विराट रंगाचारी से कहता है कि जिसे मैं ने उस दिन देखा था, उस की हाइट 5 फीट की थी और उस के बाल सफेद थे. मुझे पूरा विश्वास है कि वह आदमी तुम्हारी नाटक मंडली में से ही एक है, मगर वह अभी यहां पर नहीं है. यह बात तुम सब अच्छी तरह से जान लो कि लोगों को अब मुझ से भगवान भी नहीं बचा सकता, क्योंकि मुझे अब कातिल का पता चल गया है और फिर यहीं पर तीसरा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में भी लेखक और निर्देशक कहानी को दिखाने में भटकाव की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. विराट को किस ने सभी केसों को सौल्व करने का आदेश दिया और फिर एक एसआई आ कर विराट को थाने से बाहर कर देता है. कहानी में ऐसा लग रहा है कि मानो लेखक कहानी लिखतेलिखते न जाने कहां भटक गया है. अभिनय की दृष्टि से भी यह एपिसोड औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 4
इस एपिसोड की शुरुआत में एसआई अजय को एसपी का फोन आता है कि तुम इन मर्डर केस को जल्द सौल्व करो, जिस से जल्दी ही तुम्हारा प्रमोशन भी हो जाएगा. अब कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर रंगाचारी की बेटी और दामाद की मौत हो जाती है और केवल उन दोनों की बेटी वैदेही (श्रेया कोट्टम) ही जीवित रहती है. रंगाचारी अपनी नातिन से बेहद प्यार करता है और उसे पढऩे बाहर भेज देता है, जहां से वह डाक्टर बन कर आती है. जब वैदेही घर पहुंचती है तो काफी लोग आ जाते हैं. तब लोग कहते हैं कि यहां गांव में चमंथी तो है, फिर वैदेही की क्या जरूरत है.
इस पर चमंथी कहती है कि मैं तो किसी भी बीमारी को कुछ समय के लिए ही रोक सकती हूं, लेकिन वैदेही तो एक डाक्टर है, जो बीमारी को जड़ से ही खत्म कर देगी. अब वैदेही गांव वालों की मदद करती है तो सभी उस से बहुत खुश रहते हैं. एक दिन केशव की मां की तबीयत खराब हो जाती है तो वैदेही उस का इलाज करने उस के घर जाती है तो वैदेही को देख कर केशव की नीयत खराब हो जाती है और वह उसे पाने के लिए सोचने लगता है. दूसरी सुबह रंगाचारी और वैदेही अपने घर जा रहे होते हैं, तभी तेज आंधीतूफान आ जाता है.
तभी वहां पर केशव अपनी जीप ले कर आ जाता है और वह रंगाचारी को धक्का दे कर सड़क पर गिरा देता है और वैदेही को अपनी जीप पर बैठा कर अपने घर ले आता है. वैदेही उस से छूटने के लिए बहुत कोशिश करती है किंतु वह कामयाब नहीं हो पाती और केशव वैदेही से रेप कर देता है. रंगाचारी सरपंच के घर पर जा कर उसे सारी बातें बता कर उस से मदद मांगता है. सरपंच रंगाचारी को ले कर केशव के घर पर जाता है और फिर वह रंगाचारी को केशव के घर के बाहर खड़ा रहने को कह कर खुद केशव के कमरे मे जाता है तो वहां वैदेही के सौंदर्य को देख कर वह अपने आप पर संयम नहीं कर पाता और वह भी वैदही का रेप कर देता है.
जब काफी देर तक न तो वैदेही का पता चलता है और न ही सरपंच घर से बाहर आता है तो रंगाचारी खुद घर के अंदर वैदेही को ढूंढने लगता है लेकिन उसे वहां पर न तो वैदेही मिलती है और और न ही सरपंच कहीं पर दिखाई देता है. अगले सीन में केशव वैदेही को अपने अन्य दोस्तों के पास ले जाता है, जहां पर उस के सभी दोस्त वैदेही के साथ रेप करते हैं. उस के बाद गुंडे केशव के आदमी वैदेही को मरणासन्न अवस्था में सड़क में फेंक कर वहां से चले जाते हैं. रंगाचारी इधरउधर पागलों की तरह वैदही को ढूंढ रहा होता है तो उसे वैदेही सड़क पर मरणासन्न अवस्था में मिल जाती है.
वह रंगाचारी को अपनी सारी आपबीती बता कर उस से यह वायदा लेती है कि वह यह बात किसी को भी नहीं बताएंगे, क्योंकि इस के कारण केवल रंगाचारी को बदनामी ही मिल सकेगी और फिर वैदेही की मौत हो जाती है. वैदेही की लाश के सामने रंगाचारी और उस का परिवार शपथ लेता है कि जिसजिस ने भी वैदेही के साथ कुकर्म किया है, वे उन में से किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. अब रात के समय नाटक के समय केशव पुलिस औफीसर अजय और विराट नाटक देख रहे होते हैं और नाटक खत्म होने के बाद अजय और विराट सभी नाटक करने वालों को एक स्थान पर इकट्ठा कर उन्हें वहीं रोक लेते हैं.
अगली सुबह केशव रंगाचारी से कहता है कि अब अगला नाटक कब होगा, मुझे तुम जरूर बताना, में देखने अवश्य ही आऊंगा. तभी वहां पर केशव के गैंग का एक आदमी आ कर केशव को बताता है कि बौस हमारे साथी विराट भार्गव का भी मर्डर हो गया है यह सुन कर केशव के होश उड़ जाते हैं. तब रंगाचारी केशव से कहता है अरे भई नाटक तो अब पूरा हुआ है, अभी कुछ नाटक करने तो और भी बाकी हैं. अब पुलिस औफीसर विराट भार्गव की लाश की विस्तृत जांच कर के सीधा जंगल की ओर चला जाता है. वहां पर उसे कपड़े का एक टुकड़ा मिलता है. तभी इसे कुछ आवाज सुनाई पड़ती है तो वह अपने कान से रुई निकाल लेता है और कुछ आवाजें सुनता है.
आवाज का पीछा करते हुए विराट काफी दूर निकल जाता है, जहां पर जंगल के एक कोने में उसे एक घर दिखाई देता है. विराट घर के अंदर जाता है तो वह वहां पर भगवान विष्णु के सभी अवतारों के कपड़े देखता है. उसे बड़ा आश्चर्य होता है, तभी घर में एक आदमी घुसता है. उसे देख कर विराट उस से पूछता है कि तुम कौन हो? इस पर वह आदमी जोरजोर से थाल बजाने लगता है, जिस के शोर से विराट को बहुत तकलीफ होने लगती है. शोर से सिर घूमने लगता है और विराट को जोर का चक्कर सा आ जाता है और उस का सिर वहां पर रखी मेज के नुकीले कोने से टकरा जाता है. मेज उस के पैरों पर गिर जाती है और वह बुरी तरह घायल हो कर जमीन पर गिर जाता है.
विराट को जमीन पर गिरा देख वह व्यक्ति अब थाल बजाना बंद कर देता है. जमीन पर गिरा हुआ विराट उस व्यक्ति से एक बार फिर पूछता है कि तुम कौन हो तब वह आदमी बताता है कि मैं भगवान हूं और इसी के साथ चौथा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. इस चौथे एपिसोड में वास्तविकता कम और नाटकीयता कुछ अधिक नजर आ रही है. जब रंगाचारी सरपंच को ले कर केशव के घर पर जाता है तो सरपंच रंगाचारी को घर के बाहर खड़े होने को कह कर खुद अंदर चला जाता है और फिर वैदेही से रेप भी कर डालता है. उस के बाद वे सभी वैदेही सहित घर के अंदर से भी गायब हो जाते हैं.
एक व्यक्ति जिस की नातिन का अपहरण किया गया हो, वह भला घर के बाहर कैसे और क्यों रुक कर इतनी देर इंतजार कर सकता है. यह दृश्य केवल लेखक और निर्देशक के दिमाग की एक उपज ही हो सकती है. क्योंकि वास्तविक रूप से यह कभी भी संभव नहीं हो सकता. इस को किसी और तरीके से दिखाया जा सकता था. अभिनय की दृष्टि से भी कोई भी कलाकार प्रभावित नहीं कर पाया है.
एपिसोड नंबर 5
एपिसोड की शुरुआत में हम देखते हैं कि जो आदमी पिछले एपिसोड की समाप्ति पर विराट से अपने आप को भगवान कह रहा था, वह तो भगवान नहीं बल्कि बाल अपराधी दास था. इस के बाद दास विराट को बताता है कि जब एक बार वह अपनी मां के साथ मंदिर में गया था तो उस ने वहां पर एक आदमी से पूछा भी था कि भगवान ने हमें नीची जाति में पैदा क्यों किया, जो सभी उच्च जाति के लोग हम से इतनी नफरत करते हैं. फिर वह आदमी दास से कहता है कि यह तो बस भगवान की लीला है.
इस के बाद फिर रात को नींद में दास भगवान का नाम ले कर उन से कहता है कि हे भगवान आप ने हमें ऐसा जन्म क्यों दिया है, जो सब लोग हम से दूरदूर रहते हैं और हम से बात करना तक पसंद नहीं करते. यह सब देख कर उस की मां दूसरे दिन दास को मंदिर में ले कर जाती है तो वह जब मंदिर में जा कर भगवान की मूर्ति से यह प्रश्न करता है तो उसे तब वहीं पर साक्षात भगवान के दर्शन हो जाते हैं, जिन्हें देख कर दास बेहोश हो कर जमीन पर गिर जाता है. उस के बाद उस की मां उसे ले कर अपने घर चली जाती है.
अगले दिन स्कूल में टीचर सभी बच्चों से सवाल पूछते हैं, जिस के प्रत्युत्तर में दास अपना हाथ उस प्रश्न के उत्तर को देने के लिए उठा देता है. लेकिन वह टीचर उस पर बिलकुल ध्यान ही नहीं देता और देख कर भी उसे अनदेखा कर देता है, क्योंकि दास एक निम्न जाति का था. इस के साथ ही दास को अन्य बच्चों से अलग दूर बिठाया जाता था. दास जब अपने घर पर स्कूल की छुट्टी के बाद आता है तो कुछ लोग उस की मां को बुरी तरह से पीट रहे थे. उन लोगों का यह कहना था कि दास की मां ने चोरी की है. यह सब देख कर दास अपनी मां से लिपट जाता है.
इस के बाद वे लोग दास की भी बुरी तरह से पिटाई कर देते हैं. इसी मारपीट के दौरान दास की मां का सिर एक पत्थर से टकरा जाता है, जिस के कारण उस की वहीं पर मौत हो जाती है. लेकिन उस की मां की मृत्यु हो जाने पर भी एक आदमी जब दास की मां की मृत देह पर लात मारने लगता है तो दास बरदाश्त नहीं कर पाता और वह वहीं पर उस आदमी की हत्या कर देता है. उस के बाद दास को जेल हो जाती है.
अब दृश्य फिर से वर्तमान में आ जाता है, जहां पर दास विराट को आगे बताता है कि जेल से निकलने के बाद मैं ने उन सभी आदमियों को मार डाला, जिन के कारण मेरी मां की जान गई थी. दास आगे बताता है कि उस के बाद मेरा बदला बस भगवान से था, जिन के कारण मेरी मां और मेरा ये हाल हुआ था, इसलिए मैं उस दिन नाटक में भगवान को मारने गया था, मगर वहां पर कृष्ण भगवान की छवि को देखते ही मैं बेहोश हो गया था. फिर अगले दिन रंगाचरी दास का इलाज करवा कर उसे होश में लाता है. दास तब रंगाचारी से कहता है कि रंगाचारीजी, बस आप मुझे एक बार भगवान बना दीजिए. फिर रंगाचारी वहां पर उपस्थित लोगों से कहता है कि इसे खाना खिला कर यहां से भेज दो, यह तो न जाने क्या अनापशनाप बक रहा है.
सभी वहां से चले जाते हैं तब वहां पर दास को वैदेही मिलती है, जो उसे अपनी नाटक मंडली में शामिल कर लेती है. इस दौरान दास को वैदेही का नेचर अच्छा लगने लगता है, क्योंकि वैदेही ऊंचीनीची जाति को बिलकुल मानती ही नहीं थी. एक दिन दास नाटक मंडली से छुट्टी ले कर अपने गांव अपनी मां का वार्षिक श्राद्ध करने के लिए चला जाता है और अपने गांव से वापस लौटते समय वह एक सुंदर सी साड़ी वैदेही के लिए खरीद कर ले कर ले आता है. लेकिन वहां पहुंचने पर उसे पता चलता है कि वैदेही की तो निर्मम हत्या कर दी गई है. यह सुन कर वह बुरी तरह से टूट जाता है.
इस के अगले दिन जब लोकलाज के भय से रंगाचारी आत्महत्या करने के इरादे से नदी में कूदने जा रहा होता है तो दास दौड़ कर रंगाचारी को पकड़ कर रोक लेता है. दास फिर रंगाचारी से कहता है कि आप मुझे भगवान बना दीजिए, मैं फिर किसी को भी छोड़ूंगा नहीं और आप को न्याय दिला कर रहूंगा. जिस पर रंगाचारी और उस के परिवार और नाटक मंडली के लोग दास की बात मान लेते हैं.
फिर रंगाचारी कहता है कि इसे भगवान बना दो. रंगाचारी दास का रुद्राभिषेक करता है और कहता है कि अब होगी हरिकथा, जिस में सब राक्षस मारे जाएंगे. अब सीन वर्तमान में आ जाता है, जहां विराट जमीन पर घायल अवस्था में गिरा हुआ है. विराट दास से कहता है कि फिर तुम ने भरत का मर्डर क्यों किया? तब दास जोरजोर से डमरू बजाने लगता है और यह शोर सहन न कर पाने के कारण विराट बेहोश हो जाता है. अब अगले दिन चमंथी जड़ीबूटी व दवाइयों का मदद से विराट को होश में लाती है और विराट वहां से चला जाता है.
विराट अब एसआई अजय के पास आ कर कहता है कि इन सभी मर्डर के पीछे रंगाचारी का हाथ है. अगले दृश्य में रंगाचारी अपनी नाटक मंडली से कहता है कि अब यह हमारा आखिरी नाटक होगा और उस के अवतार के रूप में कल्कि अवतार होगा और इसी के साथ पांचवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. पांचवें एपिसोड का विश्लेषण करें तो यहां पर लेखक ने दास के चरित्र का भगवान की मूर्ति के दर्शन करने पर बेहोश होता दिखाया है तथा यह भी चित्रित करने का प्रयास किया है कि दास को साक्षात भगवान के दर्शन होते हैं. यह सब मात्र लेखक के दिमाग की उपज हो सकती है.
एपिसोड नंबर 6
एपिसोड की शुरुआत में हम लिसा को देखते हैं, जो गांव वालों की साइकिल पर बैठ कर अपनी नाटक मंडली की ओर जा रही है. अगले दृश्य में विराट रंगाचारी के पास आ कर कहता है कि तुम अब यह सब मर्डर करना रोक दो, पुलिस को अपना काम कर लेने दो. तुम्हें हत्यारा बनने की जरूरत नहीं है. तब रंगाचारी विराट से कहता है कि तुम्हारी पुलिस के बस का कुछ भी नहीं है. यह सब हम नहीं बल्कि भगवान कर रहे हैं. अगले दृश्य में एसआई अजय केशव को चेतावनी देता है कि तुम अब बच कर रहना, क्योंकि अब मरने का नंबर तुम्हारा ही है. लेकिन केशव उस की बात को हंसी में उड़ा देता है.
उस के बाद अजय और केशव नाटक देखने लगते हैं, तभी वहां पर कल्कि अवतार में दास आ जाता है और वह केशव को मारने वाला ही होता है कि तभी वहां पर अजय आ कर उसे बचा लेता है. फिर वहां से दास भाग जाता है और अजय उस का पीछा करने लगता है. विराट भी वहां आ कर अब अजय और दास के पीछे भागने लगता है. तभी अजय दास को गोली मार देता है. विराट उसे रोकने की कोशिश करता है कि वह दास को न मारे. दास घायल हो कर जमीन पर गिर जाता है. अब अजय दास पर दूसरी गोली चलाने लगता है तभी चमंथी आ कर अजय पर डंडे से वार कर देती है.
चमंथी अजय की जान लेने की कोशिश करती है तो विराट आ कर चमंथी को रोक लेता है. इसी हाथापाई के दौरान घायल दास आ कर अजय को जान से मार देता है और खुद भी जमीन पर गिर कर तड़पने लगता है. विराट दास के पास जाता है तो दास उस से कहता कि वैदेही के साथ जिसजिस ने भी बुरा कृत्य किया था, सब के सब मारे गए हैं. बस अब केवल केशव ही बाकी रह गया है. उसे तुम जरूर देख लेना, क्योंकि मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा विश्वास है. इस के बाद दास का मृत्यु हो जाती है.
अगले दिन रंगाचारी अपने गांव से सदासदा के लिए जाने लगता है. वह जाते समय काफी दुखी लग रहा था, क्योंकि गांव से उस की बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थीं. अगले दृश्य में केशव कहीं जा रहा होता है, तभी वहां पर एक आदमी नकाब ओढ़ कर घोड़े पर बैठ कर आता है और फिर एक ही झटके में केशव की गरदन काट देता है. तब हमें पता चलता कि वह नकाब पहने हुए आदमी और कोई नहीं बल्कि विराट होता है. तब हमें यह पता चलता है कि विराट ने दास और रंगाचारी से वायदा किया था कि वह उन लोगों को जरूर न्याय दिलवाएगा, साथ ही हमें यह पता भी चलता कि विराट ने अपनी बेटी स्वीटी भी रंगाचारी को सौंप दी थी और रंगाचारी से कहा था कि तुम इसे अब अपनी नातिन वैदेही के रूप में समझना क्योंकि मैं तो अब मरने वाला ही हूं. विराट की इस भेंट को रंगाचारी ने दिल से स्वीकार भी कर लिया था.
अगले दृश्य में चमंथी विराट से कहती है कि सब कुछ तो अब ठीकठाक हो ही गया है, परंतु मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम अभी भी कुछ ढूंढ रहे हो. अब हमें यह पता चलता है कि दास ने मरते समय विराट से कहा था कि मैं भरत को मारने गया तो अवश्य था, लेकिन वहां पर भरत की हत्या किसी ने पहले ही कर दी थी, इसलिए विराट को भरत के खूनी की तलाश अभी भी थी. वह भरत के कातिल को किसी भी तरह ढूंढना चाहता था. तभी वहां लिसा विराट के सामने रिकौर्डर ले कर आ जाती है. फिर जब वे सभी उस वीडियो को देखते हैं तो उन्हें पता चलता है कि भरत की हत्या भगवान ने स्वयं आ कर की थी.
यह सब देख कर वहां पर सभी हैरान हो जाते हैं. फिर विराट उन्हें बताता है कि भरत ने केशव से डर कर रंगाचारी की बिलकुल भी मदद नहीं की थी, जबकि रंगाचारी कई बार वैदेही पर हुए जुल्म की सजा दिलाने के लिए भरत के पास आया था. शायद इसीलिए भगवान ने खुद आ कर भरत को मार डाला था और फिर यहीं पर वेब सीरीज हरिकथा संभवामि युगे युगे समाप्त हो जाती है. इस आखिरी एपिसोड में तो लेखक और निर्देशक ने पूरी कहानी को ही भटकाने का पूरा प्रयास कर डाला है, जिस पर किसी को भी यकीन नहीं हो सकता. अभिनय की दृष्टि से भी इस एपिसोड में सभी कलाकारों का प्रदर्शन फीका रहा है.
यदि हम पूरी वेब सीरीज का विश्लेषण करें तो ‘हरिकथा: संभवामि युगे युगे’ में न तो थ्रिलर है और न ही ड्रामा और न ही इस के रोमांच में कोई ताकत है. वेब सीरीज (Web series) में स्पष्ट रूप से बताने और हत्यारे की कार्यप्रणाली को चित्रित करने में बहुत समय लगता है. कहानी को कहने का तरीका मौत के मुंह में जाने वाले कथानकों से भरा हुआ है. आज लेखकों और निर्देशकों के लिए अपराधियों की कहानियों को सहानुभूति तरीके से चित्रित करना और व्यवस्था तथा भेदभावपूर्ण समाज को असली खलनायक के रूप में चित्रित प्रदर्शित करना बेहद फैशनेबल हो गया है. ‘हरिकथा संभवामि युगे युगे’ कम से कम तब बेहतर होती, अगर इस में प्रतिशोध का महिमामंडन किए बिना सही और गलत के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाता. कुल मिला कर यह वेब सीरीज देखने लायक नहीं है.
श्रीकांत अभिनेता श्रीकांत का जन्म 23 मार्च, 1968 को गंगावती, कर्नाटक में हुआ था. श्रीकांत ने कर्नाटक विश्वविद्यालय से वाणिज्य स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिल्मों में अपना करिअर बनाने के लिए चेन्नै चला गया. श्रीकांत मुख्यरूप से तेलुगु सिनेमा में अपने काम के लिए जाना जाता है. उस ने अब तक 120 से अधिक फिल्मों में काम किया है. श्रीकांत ने ‘स्वराभिषेकम’ जैसी फिल्म में अभिनय किया है, जिस ने वर्ष 2004 में तेलुगु में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था. श्रीकांत को एक राज्य नंदी पुरस्कार और एक फिल्मफेयर पुरस्कार दक्षिण मिला है.
श्रीकांत की एक और फिल्म ‘विरोधी’ का प्रीमियर भारतीय पैनोरमा खंड में 2011 में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ था. श्रीकांत कन्नड, मलयालम और तमिल फिल्मों सहित कुछ अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी नजर आया था. श्रीकांत ने 20 जनवरी, 1997 को अहा के साथ विवाह किया और उन के 2 बेटे रोशन, रोहन और एक बेटी मेघा है.
पुजिता पोन्नदा
तेलुगु अभिनेत्री पुजिता पोन्नदा का जन्म 5 अक्तूबर, 1989 को विशाखापत्तनम में हुआ था. पुजिता ने एसआरएम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक किया है. पुजिता पोन्नदा एक तेलुगु परिवार से है और चेन्नै में पलीबढ़ी है. बचपन से ही पुजिता को अभिनय का बड़ा शौक था और वह हमेशा से फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाने का सपना देखती थी. पुजिता ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में सौफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद लघु फिल्मों से अपने अभिनय करिअर की शुरुआत की.
उसे तेलुगु फिल्म उद्योग में पहला ब्रेक 2018 में फिल्म ‘रंगस्थलम’ से मिला. सुकुमार द्वारा निर्देशित इस फिल्म में प्रसिद्ध कलाकार सामेया आनी और रामचरण मुख्य भूमिकाओं में थे. इस के अलावा 2019 में पुजिता ने ‘कल्कि’ फिल्म में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में पुजिता एक पत्रकार थी, जिस के लिए उसे अलग तरह के कौशल और बारीकियों को भी प्रदर्शित करना पड़ा था.
पुजिता पोन्नदा अपने अभिनय पेशे के अतिरिक्त सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती है और अपने सभी प्रशंसकों को अपने निजी और पेशेवर जीवन की झलकियां दिखा कर प्रोत्साहित करती रहती है. पुजिता ने अभी तक विवाह नहीं किया है.