Family Dispute : कभीकभी औरत अपने व परिवार के विनाश की खुद ही रचयिता बन जाती है. बेबीरानी का पति रेलवे में नौकरी करता था, उस के 2 बेटे भी थे. घर में सब कुछ होते हुए भी बेबी ने रेलवे के गार्ड गजेंद्र से नाजायज संबंध बना लिए. यही संबंध उस के परिवार के लिए इतने घातक साबित हुए कि…

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना टूंडला क्षेत्र के मोहल्ला इंदिरा कालोनी में 19 सितंबर, 2018 को दोपहर 2 बजे गोली चलने की आवाज से सनसनी फैल गई. गोली चलने की आवाज रिटायर्ड दरोगा रमेशचंद्र के मकान की ओर से आई थी. इस मकान में ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर किराएदार रहते थे. चूंकि गोली की आवाज फर्स्ट फ्लोर से आई थी, इसलिए नीचे रहने वाले किराएदार तुरंत ऊपर पहुंचे तो वहां किराए पर रहने वाली महिला बेबीरानी खून में लथपथ किचन में पड़ी थी. उसे इस हालत में देखते ही उन्होंने शोर मचाया. इस के बाद तो मोहल्ले के कई लोग वहां पहुंच गए.

महिला के सिर से खून बह रहा था. उस के शरीर में कोई हरकत न होने से लोग समझ गए कि उस की मौत हो चुकी है. घटना के समय मृतका का 4 साल का बच्चा आदित्य घर में ही मौजूद था. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. कुछ ही देर में थानाप्रभारी बी.डी. पांडेय पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. पता चला कि हत्या के समय महिला रसोई में खाना बना रही थी. खाना बनाते समय कोई उस के सिर में गोली मार कर चला गया. पुलिस को पूछताछ के दौरान पता चला कि 35 साल की बेबीरानी अपने 4 साल के बेटे आदित्य के साथ इस मकान में रहती थी. यह मकान रिटायर्ड दरोगा रमेशचंद्र का है.

इस बीच मकान मालिक रमेशचंद्र भी वहां पहुंच गए. उन्होंने बताया कि डेढ़ महीने पहले ही बेबी ने उन का मकान किराए पर लिया था. इस से पहले यह इसी क्षेत्र में अमित जाट के मकान में किराए पर रहती थी. थानाप्रभारी ने महिला की हत्या की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. इस पर एसएसपी सचिंद्र पटेल, एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह, सीओ संजय वर्मा फोरैंसिक टीम के साथ वहां पहुंच गए. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस के साथ ही पुलिस ने काररवाई शुरू कर दी.

फोरैंसिक टीम द्वारा कई स्थानों से फिंगरप्रिंट उठाए गए. घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे एसएसपी सचिंद्र पटेल के निर्देश पर थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. अधिकारियों ने 4 साल के मासूम आदित्य से पूछा कि घर में कौन आया था? मम्मी को गोली किस ने मारी? आदित्य ने बताया, ‘‘भैया आए थे. उन्होंने ठांय किया और मर गई मेरी मम्मी.’’

उस बच्चे ने भैया का नाम लिया तो पुलिस पता करने में जुट गई कि यह भैया कौन है. पुलिस ने छानबीन की तो जानकारी मिली कि मृतका बेबीरानी के पहले पति रामवीर के बड़े बेटे गुलशन को आदित्य भैया कहता था. बेबी के पहले पति रामवीर की हत्या 9 साल पहले हो चुकी है. पहले पति की हत्या के बाद बेबी ने अपने प्रेमी विजेंद्र सिंह उर्फ गुड्डू से दूसरी शादी कर ली. दूसरे पति से 4 साल का बेटा आदित्य है. दूसरे पति से भी नहीं बनी बेबी की पुलिस को पूछताछ में पता चला कि शादी के कुछ समय बाद बेबी की दूसरे पति से नहीं पटी और वह उस से अलग हो गया. वर्तमान में वह आगरा में रह रहा है. बेबी पहले पति रामवीर की पेंशन से गुजारा करते हुए बेटे आदित्य के साथ किराए के मकान में रहती थी.

बेबी के पास उस के पहले पति का बेटा गुलशन अकसर आयाजाया करता था. पड़ोसियों ने भी गुलशन के वहां आते रहने की बात कही. बेबी के पहले पति रामवीर से 2 बेटे हैं गुलशन और हिमांशु. पिता की हत्या के बाद बच्चों के दादादादी दोनों को अपने साथ शिकोहाबाद के गांव कटौरा बुजुर्ग ले गए थे. वहीं रह कर दोनों बच्चे बड़े हुए. मृतका के 4 वर्षीय बेटे के बयान के आधार पर पुलिस को यह शक हो गया कि बेबी की हत्या (Family Dispute) में उस के बेटे गुलशन का हाथ हो सकता है. जांच के दौरान यह भी पता चला कि दूसरा पति विजेंद्र सिंह पिछले ढाई साल से अपने बेटे आदित्य को देखने तक नहीं आया. चूंकि पुलिस का शक 20 वर्षीय गुलशन की तरफ था, इसलिए पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुट गई.

थानाप्रभारी बी.डी. पांडेय दूसरे दिन पुलिस की एक टीम के साथ गांव कटौरा बुजुर्ग पहुंचे. घर पर उस का बीमार भाई हिमांशु मिला. उस ने बताया कि उसे मां की हत्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उस ने बताया कि गुलशन घर पर नहीं है. वह दिल्ली में रह कर काम करता है. लिहाजा पुलिस टीम वहां से बैरंग लौट आई. 29 सितंबर को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर आरोपी गुलशन को ऐत्मादपुर तिराहे से बाइक सहित गिरफ्तार कर लिया. गुलशन बाइक से कहीं जा रहा था. गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी बी.डी. पांडेय, एसआई मुकेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, इब्राहीम खां, धर्मेंद्र सिंह शामिल थे. गुलशन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त तमंचा पुलिस ने बरामद कर लिया. आरोपी गुलशन ने थाने में मौजूद एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह द्वारा की गई पूछताछ में जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

बेबीरानी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के थाना भौगांव अंतर्गत गांव मोटा की रहने वाली थी. उस की शादी थाना शिकोहाबाद के गांव कटौरा बुजुर्ग निवासी 30 साल के रामवीर सिंह से हुई थी, जो रेलवे में खलासी पद पर नौकरी करता था. उस की पोस्टिंग टूंडला में हुई थी तो वह वहीं आ कर बस गया. वह रेलवे कालोनी के क्वार्टर में पत्नी बेबीरानी व दोनों बच्चों गुलशन व हिमांशु के साथ रहने लगा. तीखे नैननक्श, सुंदर और शोख अदाओं वाली बेबी के प्रेम संबंध हाथरस के सादाबाद के रहने वाले गजेंद्र उर्फ गुड्डू से हो गए थे, जोकि रेलवे में गार्ड था तथा टूंडला के रैस्टकैंप में ही रहता था. रामवीर के ड्यूटी पर जाने के बाद गुड्डू बेबी से मिलने उस के क्वार्टर पर पहुंच जाता था.

इस की भनक जब रामवीर को लगी तो उस ने बेबी पर निगाह रखनी शुरू कर दी. वह पत्नी पर सख्ती करने लगा, जिस की वजह से बेबी अपने पति से नाखुश रहने लगी. गहरी साजिश रची थी हत्या की  3-4 अक्तूबर, 2009 की आधी रात को जब पूरा परिवार घर में सोया हुआ था, तभी रात लगभग 2 बजे 2 व्यक्ति उस के क्वार्टर पर आए तथा दरवाजा खटखटाया. जैसे ही बेबी ने दरवाजा खोला, उन्होंने सोते हुए रामवीर को दबोच लिया तथा चाकू से उस का गला रेत कर उस की हत्या कर दी. उस समय घर पर उस का बेटा गुलशन 11 साल का था.

बेबी अपने प्रेमी गुड्डू के प्रेमपाश में पूरी तरह बंध चुकी थी. उस से अवैध संबंध थे. अवैध संबंधों में बाधक बनने पर रामवीर भेंट चढ़ गया. इस मामले में तत्कालीन एसएसपी रघुवीर लाल को बेबीरानी ने बताया कि जगदीश नामक व्यक्ति ने दरवाजा खुलवाया था. उस के साथ एक व्यक्ति कोई और था. उन के द्वारा पति को चाकू मारने पर वह चीखीचिल्लाई, लेकिन कोई सहायता के लिए नहीं आया. घटना के बाद पड़ोसी वहां पहुंचे, लेकिन तब तक बदमाश भाग गए. पुलिस जांचपड़ताल कर ही रही थी, तभी पुलिस को मृतक के 11 वर्षीय बेटे गुलशन ने ऐसी जानकारी दी कि उस से न सिर्फ हत्यारे के बारे में जानकारी मिली बल्कि हत्या की वजह भी सामने आ गई.

एसपी रघुवीर लाल के निर्देश पर मृतक के चश्मदीद बेटे गुलशन व दूसरे बेटे हिमांशु को भी पूरी पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के साथ उन बच्चों की मां बेबीरानी को हिरासत में ले लिया गया था. घटना की रिपोर्ट मृतक के भाई श्यामवीर सिंह ने अपनी भाभी बेबीरानी और उस के प्रेमी गजेंद्र उर्फ गुड्डू व शाहिद के विरुद्ध दर्ज कराई थी. ‘मेरे पिता को हत्यारों ने जिस तरह से मारा है, उन्हें उन की सजा मैं ही दूंगा कोई और नहीं.’ यह बात गुलशन ने तत्कालीन एसपी से कही तो वह भी सन्न रह गए. उन्होंने जब उस से उस के पिता की हत्या के बारे में पूछा तो उस की आंखों में खून उतर आया था.

घटना के चश्मदीद गुलशन ने तब पूरी घटना को बताते हुए कहा था कि बस उसे अपनी रिवौल्वर दे दो, वह अपनी मां को अभी मार देगा. उस ने सिर्फ हत्यारों की पहचान ही नहीं कराई बल्कि अपनी मां की पोल भी खोल दी थी. उस ने बताया, ‘‘बदमाशों ने उस के पिता को पलंग से खींच कर जमीन पर गिराया तभी वह जाग गया था. इस दौरान उस की मां उसे खींच कर दूसरे कमरे में ले जाने लगी थी. पिता की चीख पर जब उस ने पलट कर देखा तो उस ने पिता के गले में चाकू घुसा पाया.’’ इस दौरान उस ने मां के रोने की बात को नाटक बताया था.

गुलशन के सामने हुई थी पिता की हत्या इस छोटी सी उम्र में अपनी आंखों के सामने हुई पिता की हत्या से उस समय मासूम गुलशन के चेहरे पर बदले की भावना के तीखे तेवर स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. पुलिस कस्टडी में बैठी बेबीरानी को तब उस के प्रेम संबंधों के चलते न ही प्रेमी मिल पाया था और न ही पति रहा और बच्चे भी उस से दूर चले गए थे. पिता की हत्या के बाद बिखरे रिश्ते अंत तक नहीं जुड़ पाए. गुलशन पिता की हत्या का चश्मदीद गवाह था. बेबी जेल से जल्दी छूट आई थी. वह पति की पेंशन से अपना खर्च चला रही थी. गुलशन ने रिश्तों की बर्फ पिघलाने की हरसंभव कोशिश की. उस ने मां को दादादादी के गांव चल कर रहने की बात कही, लेकिन उस ने साफ इनकार कर दिया.

बेबी व गुड्डू के कोर्ट से बरी होने के बाद दोनों ने शादी कर ली थी. शादी के बाद बेबी के गुड्डू से एक बेटा आदित्य हुआ जो इस समय 4 साल का है. शादी के बाद बेबी की अपने दूसरे पति गजेंद्र से भी नहीं पटी. वक्त गुजरने के साथसाथ बेबी और गजेंद्र अलग हो गए. गुलशन ने बताया कि वह कई दिन से मां के पास लगातार जा रहा था. छोटा भाई बीमार था, उस का इलाज कराने की बात पर मां ने कहा कि मेरे पास आ कर रहो. गुलशन ने मना कर दिया. उस का कहना था कि जो मेरे बाप को मरवा सकती है, वह मुझे भी मरवा सकती थी. गुलशन को पिता की जगह आश्रित कोटे से रेलवे में नौकरी मिलने का मामला भी तय हुआ था.

मां उस से इस कदर नफरत करने लगी थी कि जब उस की नौकरी लगने का मौका आया तो उस ने सहमतिपत्र पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया. वह उस से बेगाने जैसा (Family Dispute) व्यवहार कर रही थी. मां के सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर जरूरी थे. भाई का इलाज व नौकरी को मना करने पर गुलशन का खून खौल उठा. गुलशन बना मां का हत्यारा 19 सितंबर को दोपहर 2 बजे वह मां के पास पहुंचा. उस समय वह रसोई में रोटी बना रही थी. आटे की लोई बेल रही थी. गुलशन ने तमंचे से उस के सिर के पीछे गोली मार दी. गोली लगते ही बेबी कटे पेड़ की तरह रसोई में ही गिर गई. उस के हाथ से आटे की लोई छूट कर पास ही गिर गई. घटना को अंजाम दे कर गुलशन तेजी से घर से भाग गया. भागते समय उस के 4 वर्षीय सौतेले भाई आदित्य ने उसे देख लिया था.

मृतका बेबी का 4 साल का बेटा आदित्य अनाथ हो गया. मां की हत्या के बाद अब उसे कहां भेजा जाएगा, कोई नहीं बता रहा है. क्योंकि पिछले ढाई साल से उस का पिता गजेंद्र उर्फ गुड्डू एक बार भी उसे देखने नहीं आया. फिलहाल पुलिस ने उसे पड़ोस में रहने वाली एक महिला को सौंप दिया है. यह अजीब संयोग था कि मां का कातिल बना बेटा गुलशन अपने पिता की हत्या में मां के खिलाफ गवाह था. वहीं अब दूसरा बेटा आदित्य मां की हत्या के मामले में अपने बड़े भाई के खिलाफ गवाह है. अपने प्रेमी की मोहब्बत पाने के लिए उस ने अपनी ही मांग का सिंदूर उजाड़ डाला. जेल से छूटने के बाद प्रेमी के साथ घर बसाया, मगर सब कुछ उजड़ गया.

पहले पति के बेटे की गोली का शिकार बनी मृतका बेबी का शव पोस्टमार्टम कक्ष में रखा रहा. टूंडला में ही मृतका की बहन रेनू रहती है, लेकिन मायका व ससुराल पक्ष से, यहां तक कि बेबीरानी से शादी रचाने वाला गजेंद्र सिंह उर्फ गुड्डू भी सामने नहीं आया. बेबी को अपने किए की सजा उसे मौत के रूप में मिली. अपनों के होते हुए भी पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ही लावारिस लाशों की तरह उस का अंतिम संस्कार किया.

पुलिस ने हत्यारोपी गुलशन को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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