Superstition : हर जगह तमाम ऐसे लोग हैं, जो तंत्रमंत्र के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना कर अपना उल्लू सीधा करते हैं. इतना ही नहीं, ये लोग महिलाओं से दुष्कर्म भी करते हैं. हरिराम भी ऐसा ही तांत्रिक था, जो…
आ ज के युग को भले ही वैज्ञानिक युग कहा जाता है, लेकिन समाज में आज भी ऐसे
लोगों की कमी नहीं है, जो अंधविश्वास के चक्कर में अपनी सुखी जिंदगी को और खुशहाल बनाने के लिए तथाकथित चमत्कारी ढोंगी तांत्रिकों, पाखंडी बाबाओं की शरण में जाते हैं और अपनी जिंदगी को नरक बना लेते हैं. पैसा खर्च होता है अलग से. अंधविश्वासी लोगों के सहारे ही तांत्रिकों और पाखंडी बाबाओं की दुकानें चलती हैं.
जिस तांत्रिक की बात हम कर रहे हैं, वह भी ऐसा ही था. गांव शरीफ नगर, जिला मुरादाबाद निवासी राजेंद्र सिंह का बेटा बाबू काफी समय से बीमार चल रहा था. दिनबदिन राजेंद्र की माली हालत खराब होती जा रही थी. बाबू की बिगड़ती हालत को देखते हुए गांव के एक व्यक्ति ने राजेंद्र को सलाह दी कि वह उसे राजपुर गांव के तांत्रिक हरिराम के पास ले जाए. उसी व्यक्ति ने बताया कि तांत्रिक हरिराम के पास ऐसी सिद्धि है कि वह बाबू को कुछ ही दिन में ठीक कर देगा. अपने बेटे की हालत देख कर राजेंद्र ने यह बात अपनी बीवी आरती को बताई. अगले ही दिन यानी 17 जुलाई, 2018 को राजेंद्र अपनी पत्नी आरती और बेटे बाबू को साथ ले कर गांव राजपुर के तांत्रिक हरिराम के पास जा पहुंचा.
हरिराम घर पर ही मिल गया. घर आए ग्राहकों को देख वह खुश हुआ. आगंतुकों को जलपान कराने के बाद हरिराम ने राजेंद्र से आने का कारण पूछा. वैसे हरिराम बाबू का चेहरा देखते ही समझ गया था कि उन के बेटे को कोई परेशानी है. राजेंद्र कुछ बताता, इस से पहले ही आरती ने बोलना शुरू कर दिया, ‘‘बाबा, हमारा बेटा बाबू काफी दिनों से परेशान है. इस के चक्कर में हम भी परेशान रहते हैं. ये न तो ठीक से कुछ खातापीता है और न ही रात में ठीक से सो पाता है. ये अजीबअजीब सी हरकतें करता है. आप देख कर बताओ, इसे क्या परेशानी है.’’
आरती की बात खत्म होते ही हरिराम ने बाबू को अपने सामने बिठा कर उस का हाथ अपने हाथों में थाम लिया और उस के हाथ की नब्ज टटोलने लगा. इस दौरान उस की आंखें बाबू के चेहरे पर गड़ी रहीं. कुछ देर देखने के बाद वह अपने निर्णय पर पहुंच गया. हरिराम ने परेशानी भरी आवाज में कहा, ‘‘इस में तुम्हारे बच्चे का कोई दोष नहीं है. दोष उस का है जो इस के शरीर में समाया हुआ है. साफ कहूं तो तुम्हारे बेटे पर बहुत खतरनाक प्रेतात्मा का साया है. जिसे भगाने के लिए तंत्र विद्या का सहारा लेना होगा. अगर ऐसा न किया गया तो यह साया बच्चे को जीने नहीं देगा. ढील देने से लड़के की जान भी जा सकती है.’’
तांत्रिक हरिराम की बात सुन कर आरती का चेहरा उतर गया. ऐसे मामलों में महिलाएं कुछ ज्यादा ही भावुक हो जाती हैं. अपने बेटे के बारे में सुन कर आरती हरिराम की सारी बातें मानने को तैयार हो गई.
आरती देखनेभालने में ठीकठाक थी. हरिराम ने उस के मन की सारी कमजोरी पढ़ ली थी. वह समझ गया था कि उसे शीशे में उतारना मुश्किल नहीं है. भले ही उसे बाबू का इलाज करना था, लेकिन आरती को देख कर वह खुद दिल का मरीज बन गया था.
हरिराम काफी दिनों से तंत्रमंत्र की दुकान चला रहा था. उसे इस सब का इतना तजुर्बा था कि वह रोगी को देख कर षडयंत्र रच डालता था. आरती को देखतेदेखते ही वह उस के बेटे की परेशानी भूल गया और मां के साथ भोगविलास की योजना बना डाली. हरिराम ज्यादातर अपने घर पर ही छोटीमोटी झाड़फूंक किया करता था. लेकिन जब किसी औरत को देख कर उस का मन मैला हो जाता था तो वह दूसरा रास्ता खोजता था. ऐसे मामले वह सब कुछ मरीज के घर पर ही करना ठीक समझता था. वह समझता था कि मरीज का घर ज्यादा सुरक्षित जगह है.
आरती को देखने के बाद उस ने उस के बेटे का इलाज उसी के घर पर करने की बात कही. हरिराम ने आरती को समझाते हुए कहा कि बाबू के ऊपर खतरनाक भूत का साया है जो तुम्हारे घर में ही मौजूद है. उसे भगाने के लिए मुझे तुम्हारे घर आ कर तंत्र विद्या करनी होगी. आरती और राजेंद्र को यह सुविधाजनक लगा, इसलिए उन्होंने हां कर दी. विचारविमर्श के बाद अनुष्ठान करने के लिए 23 जुलाई सोमवार का दिन तय किया गया. हरिराम ने उन्हें यह भी बता दिया कि इस अनुष्ठान के लिए उन्हें 5 हजार रुपए देने होंगे. साथ ही यह भी कि तंत्रमंत्र का अनुष्ठान देर रात में होगा.
अनुष्ठान के लिए जिसजिस सामान की जरूरत थी, हरिराम ने उस की एक लिस्ट बना कर दे दी. घर लौट कर राजेंद्र और आरती ने हरिराम द्वारा दी गई लिस्ट के हिसाब से सामान खरीद कर रख दिया.
23 जुलाई, 2018 को पूर्व योजनानुसार हरिराम तांत्रिक देर रात आरती के घर पहुंच गया. वहां पहुंच कर हरिराम ने घर वालों को एक साथ बिठा कर समझा दिया, जिस से अनुष्ठान में किसी तरह का विघ्न न आए. हरिराम ने उन लोगों को बताया कि तंत्रमंत्र का कार्यक्रम देर रात तक चलेगा. इस दौरान किसी भी बाहरी व्यक्ति का घर के आसपास या पूजास्थल पर आना वर्जित रहेगा. अगर किसी ने भी उस की बात नहीं मानी तो परिणाम उलटे भी हो सकते हैं.
घर के सदस्यों को जरूरी बातें बता कर हरिराम ने अनुष्ठान में काम आने वाला सामान जिस में कुछ हड्डियां, लोबान, धूप, गरुड़ का पंजा, नींबू, चाकू और हवन सामग्री वगैरह निकाल कर फर्श पर रख दिया. पूरी तैयारी कर के हरिराम ने लोहे के एक तसले को हवन कुंड बना कर मंत्रोच्चार शुरू कर दिया. उस ने आरती और उस के पति राजेंद्र व उन के बेटे बाबू को अपने पास बैठा लिया.
अनुष्ठान में हरिराम तांत्रिक ने मिट्टी की हांडी रखते हुए उस की पूजा की, फिर हांडी बापबेटे को थमाते हुए कहा, ‘‘आप दोनों इस हांडी को ले कर श्मशान जाओ और वहां से इस में किसी ठंडी पड़ी चिता की राख भर कर ले आओ. लेकिन ध्यान रखना कि वापसी में इस बरतन को कोई व्यक्ति देखने न पाए. एक बात ध्यान रखना कि मुझे अनुष्ठान करने में डेढ़-2 घंटे लग सकते हैं. अनुष्ठान खत्म होने से पहले हांडी को ले कर घर में मत घुसना. ऐसा किया तो मेरा अनुष्ठान तो व्यर्थ जाएगा ही, प्रेतात्मा तुम्हारे घर का अनिष्ट भी कर सकती है.’’
तांत्रिक की बात सुन कर डर के मारे राजेंद्र के पैर कांपने लगे. पहले तो उसे लगा कि वह इस काम को नहीं कर पाएगा लेकिन सवाल बेटे की जिंदगी का था. राजेंद्र ने हांडी को एक थैले में छिपाया और अपने बेटे को साथ ले कर सब की नजरों से बचतेबचाते श्मशान की ओर बढ़ गया. श्मशान में पहुंच कर डरतेडरते राजेंद्र ने जैसेतैसे श्मशान में ठंडी पड़ी एक चिता की राख हांडी में भर ली और बिना देर लगाए श्मशान की हद से बाहर निकल आया. बाहर आ कर उस ने हांडी को पूरी तरह से पैक कर के थैले में रख लिया फिर मोबाइल निकाल कर टाइम देखा.
पता चला कि अभी उसे घर से निकले मात्र पौना घंटा हुआ था. जबकि तांत्रिक ने उसे 2 घंटे बाद आने को कहा था. वक्त के हिसाब से अभी उन्हें करीब सवा घंटा घर से बाहर रहना था. राजेंद्र ने जैसेतैसे मुश्किल से आधा घंटा बाहर गुजारा और फिर आरती के मोबाइल पर फोन मिला दिया. लेकिन कई बार घंटी जाने के बाद भी मोबाइल नहीं उठाया गया तो राजेंद्र परेशान हो उठा. उस ने फिर से आरती का नंबर मिलाया तो बारबार काल आने से हरिराम समझ गया कि काल राजेंद्र की ही होगी. उस ने काल रिसीव कर के फोन कान से लगाया. राजेंद्र समझ गया कि लाइन पर हरिराम है. उस ने हरिराम से पूछा, ‘‘बाबा, आप की पूजा में कितना वक्त लगेगा?’’
हरिराम ने बताया कि सब कुछ ठीकठाक निपट गया. एक पूजा पूरी हो चुकी है, अभी एक और बाकी है. मैं उसी की तैयारी में लगा हूं. तुम अभी आधे घंटे बाद आना. राजेंद्र को फोन लगाए मुश्किल से 20 मिनट ही गुजरे थे कि हरिराम का फोन आ गया. राजेंद्र ने फुरती से काल रिसीव कर के पूछा, ‘‘हां बाबाजी, हम आ जाएं क्या?’’
जवाब में हरिराम ने कहा, ‘‘जल्दी आओ, मैं ने तुम्हारे घर की प्रेतात्मा अपने कब्जे में कर ली है. तुम्हारे आते ही प्रेतात्मा तुम्हारे घर से हमेशाहमेशा के लिए चली जाएगी.’’
हरिराम की बात सुन कर राजेंद्र हांडी को छिपाते हुए बेटे के साथ घर पहुंच गया. घर पहुंच कर राजेंद्र ने पूजास्थल पर नजर दौड़ाई तो उस के होश उड़ गए. अनुष्ठान की जगह के पास उस की बीवी आरती और उस के भाई की बीवी बेहोशी की हालत में पड़ी थीं. उन दोनों को जमीन पर पड़े देख राजेंद्र घबरा गया.
उस ने इस बारे में हरिराम से पूछा तो वह बोला, ‘‘तुम्हें जरा भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारे बेटे की बीमारी पूरी तरह खत्म हो गई. इस पर जो प्रेतात्मा सवार थी, बहुत ही खतरनाक थी. जातेजाते भी तुम्हारी बीवी और संगीता को जबरदस्त झटका दे गई, जिस की वजह से दोनों मूर्छित हो गईं. लेकिन तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. दोनों जल्दी ही होशोहवास में आ जाएंगी.’’
इस के बाद हरिराम ने उसे और उस के बेटे को अनुष्ठान की जगह बैठने के लिए इशारा किया. दोनों बैठ गए तो हरिराम ने उन के माथे पर रोली और चावल का तिलक लगाया. साथ ही उस ने दोनों से हवनकुंड की ओर झुकने का इशारा किया. हरिराम ने सामने रखी हांडी की ओर इशारा कर के बताया कि तुम्हारे घर की बुरी आत्मा अब मेरे कब्जे में है, उसे मैं ने इस हांडी में कैद कर लिया है. छोटी सी वह हांडी मिट्टी के ढक्कन से ढकी हुई थी. हरिराम ने हांडी को लाल कपड़े से टाइट कर के बांधा हुआ था. उस ने बताया कि प्रेतात्मा को मुझे इसी वक्त श्मशान में ले जा कर गाड़ना होगा. यह काम मेरा है. तुम किसी भी तरह परेशान मत होना. तुम्हारी बीवी और तुम्हारे भाई की पत्नी कुछ समय बाद होश में आ जाएंगी.
राजेंद्र को समझाने के बाद हरिराम ने अपना सारा सामान झोले में डाला और रात में ही अपने घर चला गया. आरती और उस की देवरानी संगीता बाकी रात बेहोशी की हालत में पड़ी रहीं. अगली सुबह करीब 5 बजे दोनों को होश आया. उन के होश में आते ही राजेंद्र ने उन से बेहोशी का कारण पूछा तो आरती ने बताया कि अनुष्ठान के दौरान बाबा ने उसे खाने के लिए प्रसाद और जल दिया था, जिसे खाते ही उसे चक्कर आने लगा था. फिर वह बेहोश हो गई. उस के बाद उस के साथ क्या हुआ, उसे नहीं मालूम.
उसी समय संगीता की भी बेहोशी टूटी. जब दोनों सामान्य स्थिति में आईं तो घर वालों ने उन से विस्तार से पूरी बात बताने को कहा.
इस पर संगीता ने बताया कि जिस वक्त वह तंत्रमंत्र क्रिया देखने उस कमरे में गई तो आरती बेहोश पड़ी हुई थी. उस के सारे कपड़े भी अस्तव्यस्त थे. उस की हालत देखते ही उस ने आरती के कपड़े ठीक किए और बाबा से उस के बेहोश होने के बारे में पूछा. बाबा ने बताया कि अनुष्ठान के दौरान मैं ने आरती से प्रसाद लेने को कहा तो उस ने आनाकानी की, जिस की वजह से उस की यह हालत हुई. अगर वह मेरी बात मान कर प्रसाद ले लेती तो उस की यह हालत नहीं होती. यह प्रेतात्माओं का प्रसाद है, अगर कोई इस प्रसाद को खाने में आनाकानी करेगा तो उस का यही हश्र होगा.
संगीता हिम्मत कर के अनुष्ठान स्थल पर चली तो आई थी लेकिन बाबा की बात सुन कर और आरती की हालत देख कर बुरी तरह घबरा गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहां से चली जाए या वहीं रुके. सोचविचार कर उस ने वहां से चुपचाप खिसकने की सोची और पीछे मुड़ने लगी. उसे पीछे मुड़ते देख तांत्रिक हरिराम जोर से चीखा, ‘‘तुम भी वही गलती दोहराने जा रही हो, आगे कदम मत बढ़ाना वरना तुम्हारा भी वही हश्र होगा जो तुम्हारी जेठानी का हुआ है.’’
तांत्रिक की बात सुन कर उस के आगे बढ़े कदम ठिठक गए. संगीता फुरती से पीछे मुड़ी और हवनकुंड के सामने जा कर बैठ गई. हरिराम समझ गया कि उस की युक्ति कामयाब रही. संगीता के बैठते ही हरिराम ने उसे भी वही प्रसाद खाने के लिए दिया जो उस ने आरती को खिलाया था. प्रसाद ग्रहण करते ही संगीता की आंखें भी नींद से भारी होने लगीं. प्रसाद खाने के कुछ पल बाद वह भी वहीं लुढ़क गई. उस के बाद उस के साथ क्या हुआ, उसे कुछ पता नहीं था.
पूरी तरह होश में आने के बाद दोनों ने अपने अंगवस्त्र देखे तो उन्हें पता चल गया कि तंत्रमंत्र के नाम पर तांत्रिक हरिराम ने उन के साथ कुकर्म किया था. हकीकत का अहसास होते ही आरती और संगीता खुद को ठगा सा महसूस करने लगीं. जब उन्हें पूरा विश्वास हो गया कि तांत्रिक ने उन की इज्जत लूट ली है, तो उन्हें बहुत गुस्सा आया.
आरती ने अपने पति राजेंद्र को हकीकत बता कर हरिराम को सबक सिखाने को कहा. सोचविचार कर इस बात को पूरी तरह गुप्त रखने का निर्णय लिया गया. आरती और उस के घर वाले जान चुके थे कि तांत्रिक हरिराम को पैसे और भोग के लिए कभी भी बुलाया जा सकता है. आरती, उस की देवरानी संगीता और राजेंद्र ने तांत्रिक को अपने जाल में फंसाने का फैसला ले लिया. तय हुआ कि तांत्रिक हरिराम के सामने इस बात का जिक्र नहीं आना चाहिए.
योजना के तहत 2 दिन बाद यह दिखाने के लिए कि दोनों महिलाओं को अपने साथ हुए दुराचार का पता नहीं लगा, आरती ने तांत्रिक के मोबाइल पर फोन कर के उस की खैरखबर पूछी. आरती ने हरिराम को खुश करने के लिए उसे बताया कि उस का तंत्रमंत्र अनुष्ठान काम कर गया है. बाबू की हालत पहले से बहुत अच्छी है. आरती की बात सुन कर तांत्रिक हरिराम फूला नहीं समाया. उस के दिल में बैठा डर पूरी तरह खत्म हो गया. दरअसल, उस रात के अपनेकुकर्म को ले कर वह काफी परेशान था. उसे डर था कि दोनों महिलाओं ने उस के कुकर्म की कहानी अगर अपने घर वालों को बता दी तो उस की शामत आ जाएगी. लेकिन आरती की बातों से उस के मन का डर पूरी तरह खत्म हो गया.
आरती की बात सुन कर हरिराम ने कहा कि तुम लोग परेशान न हो. तुम्हारे घर पर जो प्रेतात्मा थी, उसे मैं ने श्मशान में दफना दिया है. तुम्हारे घर पर इस तरह की कोई भी परेशानी नहीं आएगी. हरिराम की बात सुन आरती ने कहा कि बाबा हम चाहते हैं कि लगे हाथों तंत्रमंत्र अनुष्ठान एक बार फिर से करा लें, जिस से भविष्य में हमारे बेटे या परिवार के किसी भी सदस्य पर प्रेतात्मा का साया न पड़े. आरती की बात सुन कर हरिराम खुश हो गया. उस ने कहा कि अनुष्ठान का दिन बता दें, मैं आ जाऊंगा.
उसी दिन शाम को आरती ने हरिराम के मोबाइल पर काल कर के उसे जानकारी दी कि हम इसी 26 तारीख को पहले की तरह अनुष्ठान कराना चाहते हैं. आरती ने यह भी कहा कि वह आ कर अनुष्ठान के सामान के लिए पैसे ले जाए. बाकी सामान हम बाजार से खरीद लेंगे. आरती से हुई बात के अनुसार हरिराम 26 जुलाई को दिन में ही रुपए लेने पहुंच गया. तांत्रिक के घर आने तक घर में किसी को भी इस बात की भनक नहीं लगने दी गई. जब तांत्रिक को विश्वास हो गया कि सब कुछ ठीकठाक है, तो उस ने बाबू को अपने पास बुला कर उस के हाथ की नब्ज टटोली.
तभी योजनानुसार उस के घर वालों ने तांत्रिक को पकड़ लिया. पासपड़ोस वाले भी एकत्र हो गए थे. आरती ने उन्हें बताया कि यह ढोंगी तांत्रिक है और इस ने हमारी इज्जत से खेलने की कोशिश की थी.
यह सुनते ही आरती के घर पर लोगों का मजमा लग गया. आरती ने सब के सामने हरिराम तांत्रिक की करतूत रखते हुए अपनी इज्जत लूटने वाली बात बताई तो लोगों के माथे पर बल पड़ गए.
इस के बावजूद हरिराम अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था. हरिराम ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि राजेंद्र के परिवार पर बहुत खतरनाक प्रेतात्मा थी, जिसे उस ने तंत्रमंत्र से भगाया. आप लोग मुझे ठीक से नहीं जानते. मैं ने कई महीने तक तंत्रमंत्र से भूत भगाने की साधना की है. अगर आप लोग मुझ से भिड़े तो अपनी तंत्र विद्या से सब का अहित कर दूंगा. हरिराम की बातें सुन कर वहां मौजूद लोगों ने हरिराम की पिटाई करनी शुरू कर दी. जब हरिराम को लगने लगा कि अब उस की खैर नहीं तो वह लाइन पर आ गया. उस ने अपनी गलती के लिए सब के सामने हाथ जोड़ कर माफी मांगी.
जब पिटतेपिटते उस की हालत खस्ता हो गई तो गांव के बुजुर्गों ने जैसेतैसे गांव वालों को समझाया. लोगों ने उस की पिटाई बंद कर दी. इसी दौरान किसी ने पुलिस को सूचना दे दी थी. लेकिन पुलिस वहां पर पहुंच पाती, इस से पहले ही गांव वालों ने उसे कोतवाली ठाकुरद्वारा की पुलिस के हवाले कर दिया. कोतवाली प्रभारी रवींद्र प्रताप ने हरिराम को हिरासत में ले कर उस से कड़ी पूछताछ की. लेकिन हरिराम ने अपना मुंह बंद ही रखा. जब उसे लगा कि मुंह खोलना ही पड़ेगा तो वह टूट गया. पुलिस पूछताछ में उस ने जो बताया, वह हैरतअंगेज था.
पता चला कि हरिराम तंत्रमंत्र विद्या की एबीसीडी तक नहीं जानता था. फिर भी उस की तंत्रमंत्र की दुकान काफी समय से चल रही थी. वह न तो कोई खास पढ़ालिखा था और न ही उस ने तंत्रमंत्र की कोई शिक्षा ली थी. जिला ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड के थाना जसपुर से पश्चिम की ओर एक गांव है महुआडाबरा. इस के पास ही गांव है राजपुर नादेही. यही हरिराम का पुश्तैनी गांव है. हरिराम अपने 3 भाइयों में तीसरे नंबर का था. हरिराम के बड़े भाई रूपचंद ने 2 शादियां की थीं. उस की दोनों पत्नियों में से एक ही मां बन पाई, वह भी लड़की की.
रूपचंद की माली हालत को देख उस की एक बीवी उसे छोड़ कर चली गई थी. पहली बीवी के चले जाने के बाद किसी ने रूपचंद की हत्या कर दी. तब तक हरिराम शादी लायक हो चुका था. रूपचंद की बीवी जवानी में ही विधवा हो गई थी, उस के घर वालों ने हरिराम को समझाबुझा कर रूपचंद की बीवी को उस के गले बांध दिया. भाभी से शादी के बाद हरिराम की जिम्मेदारी बढ़ गई. बड़े भाई की बेटी भी अब उसे ही पालनी थी.
हरिराम शुरू से ही निकम्मा था. लेकिन जब वह गृहस्थी से बंध गया तो कामकाज देखना उस की मजबूरी बन गई. उस ने रोजीरोटी चलाने के लिए साइकिल से गांवगांव जा कर छोले बेचने का काम शुरू कर दिया. भागदौड़ कर के हरिराम इतना कमाने लगा था कि उस के छोटे से परिवार की गुजरबसर हो सके. छोले बेचने की वजह से क्षेत्र में उस की अच्छी जानपहचान बन गई थी. उसी दौरान हरिराम एक दिन एक मजार के सामने से गुजर रहा था. मजार पर काफी भीड़ थी. वहां बैठा एक मौलवी बारीबारी से लोगों को अपने पास बुलाता और उन की परेशानी सुन कर हल बताता. हर व्यक्ति को वह राख की पुडि़या थमा देता था. किसी को भूतप्रेत का साया बता कर वह ताबीज भी बना कर देता था.
हरिराम ने देखा कि थोड़ी ही देर में मौलवी के सामने रुपयों का ढेर लग गया. हरिराम ने सोचा कि वह सारे दिन भागदौड़ कर के भी रोजीरोटी लायक ही कमा पाता है और यह मौलवी मजार के नाम पर बैठेबिठाए हजारों रुपए कमा रहा है. मौलवी की कमाई देख उस का मन बदलने लगा. उस ने सोचा कि जब मौलवी बैठेबिठाए इतने रुपए कमा सकता है तो वह क्यों नहीं कमा सकता. इस के पहले हरिराम भी अपनी परेशानी ले कर कई बाबाओं से मिल चुका था. लेकिन अपनी समस्या के हल की जगह उसे पैसा ही गंवाना पड़ा था. उसी दिन हरिराम ने ठान लिया कि वह भी यही काम करेगा. फिर एक दिन हरिराम बिना कुछ बताए घर और गांव
से गायब हो गया. घर वालों ने उसे ढूंढने की काफी कोशिश की लेकिन उस का कहीं पता नहीं चल सका. उधर हरिराम घर से निकल कर हरिद्वार पहुंच गया था. वहां वह किसी ऐसे बाबा की खोज में लग गया, जिस की दुकानदारी ठीक से चलती हो. साथ ही वह तंत्रमंत्र भी जानता हो. इसी खोज में उस की मुलाकात एक बाबा से हुई. उस बाबा के पास काफी लोगों का आनाजाना था. हरिराम ने बाबा को अपनी परेशानी बता कर उस की सेवा करनी शुरू कर दी. महीनों बाद जब वह अपने घर लौटा तो उस के चेहरे पर लंबी दाढ़ी थी और वेशभूषा भी तांत्रिकों जैसी थी. उस के घर वालों और गांव के लोगों ने उस के गायब होने की बात जाननी चाही तो उस ने बताया कि वह हरिद्वार में एक पहुंचे हुए तांत्रिक की शागिर्दी कर रहा था. वहीं रह कर उस ने तंत्रमंत्र साधना और तंत्र विद्या सीखी.
उस वक्त हरिराम ने गांव में प्रचारित किया कि वह अपनी सिद्धि से किसी की भी बड़ी से बड़ी समस्या को पलभर में हल कर सकता है. धीरेधीरे यह बात गांव से निकल कर क्षेत्र में फैल गई. परिणामस्वरूप आसपास के गांवों के भोलेभाले, अनपढ़, अंधविश्वासी लोग अपनी समस्याएं ले कर हरिराम के पास आने लगे. उन की समस्या के समाधान के लिए हरिराम गंडे ताबीज, टोनेटोटके के नाम पर अच्छे पैसे वसूलने लगा था.
घर पर ही तंत्रमंत्र की दुकान चलते देख हरिराम ने अपने घर के सामने लिखवा दिया, ‘यहां हर तरह की परेशानी, बंधन से मुक्ति, फोटो से वशीकरण, सम्मोहन, प्रेमीप्रेमिका की शादी रोकने तोड़ने का उपाय, अपने दुश्मन को सबक सिखाने, अपने खोए हुए प्यार को पाने जैसी हर परेशानी का इलाज किया जाता है.’
अंधविश्वासी लोगों के सहारे उस की दुकानदारी चल निकली. धीरेधीरे कई औरतें भी उस के पास अपने पतियों की समस्याओं को ले कर आने लगी थीं, जिन की बातें सुन कर वह समझ जाता था कि उन के मर्द उन की तन की पीड़ा समझने में असमर्थ हैं. वह ऐसी महिलाओं के पतियों का इलाज करने के बहाने उन के घर पहुंच जाता था. उन के घर पर तंत्रमंत्र का ढोंग कर के वह ऐसी महिलाओं के साथ कामपिपासा शांत करने के बाद वहां से निकल लेता था. उन महिलाओं में अधिकांश ऐसी होती थीं जो मानमर्यादा की वजह से उन के साथ क्या हुआ, को भूल कर अपना मुंह बंद रखने में ही भलाई समझती थीं.
हरिराम का काम अच्छे से चल निकला. पैसे कमाने के साथसाथ वह मौजमस्ती भी करने लगा था. हरिराम ने पुलिस पूछताछ में कबूला कि उस ने इस से पहले अलगअलग गांवों में 18 महिलाओं के साथ कुकर्म किया था. लेकिन लोकलाज की वजह से किसी भी महिला ने उस के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोला था. हालांकि हरिराम इस वक्त लगभग 45-50 की उम्र से गुजर रहा था, फिर भी वह इतना भोगविलासी था कि जो महिला उस की नजरों में चढ़ जाती थी, वह उस के साथ अपनी कामवासना शांत कर के ही दम लेता था.
उम्र के इस पड़ाव तक आतेआते हर इंसान की कामवासना शांत हो जाती है. हरिराम ने जो धंधा कर रखा था, उसे वह किसी भी सूरत में छोड़ना नहीं चाहता था. उम्र के हिसाब से उसे सैक्स की कुछ कमजोरी महसूस हुई तो उस ने मैडिकल स्टोर पर जा कर उस का हल भी निकाल लिया. इस के बाद हरिराम मैडिकल स्टोर से गोलियां ले कर अपना काम चलाने लगा. हरिराम को जब किसी के यहां तंत्र साधना करनी होती थी तो वह अनुष्ठान का ढोंग करने से पहले ही एक गोली खा लेता और मौका पाते ही घर में मौजूद औरतों को प्रसाद के रूप में नशे की गोलियां दे देता था. उस के बाद बेहोश होते ही उन की इज्जत लूट लेता था.
तांत्रिक हरिराम के गिरफ्तार होने की सूचना पर उस के घर वाले ठाकुरद्वारा कोतवाली जा पहुंचे. वे लोग हरिराम को निर्दोष बता कर उसे रिहा करने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे. उन का कहना था कि हरिराम के जेल चले जाने से उस का परिवार सड़क पर आ जाएगा.
हकीकत पता लगने के बाद ठाकुरद्वारा पुलिस ने हरिराम के खिलाफ नशीला पदार्थ खिला कर महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में भादंवि की धारा 328, 376 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के साथ ही आरोपी को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया.
—कथा में आरोपी तांत्रिक हरिराम को छोड़ कर सभी पात्रों के नाम काल्पनिक हैं.