Murder Story : सतपाल ने अपने लंगोटिया यार को खत्म करने का ऐसा खौफनाक प्लान बनाया कि रुह तक कांप जाए. उस ने नरेंद्र को जम कर शराब पिलाने के बाद उसी की कार में डाल कर जिंदा जला दिया. आखिर एक दोस्त क्यों बना गद्दार? पढ़ें, यह दिलचस्प कहानी.
एक दिन जब नरेंद्र टैक्सी ले कर चला गया और तीनों बच्चे स्कूल चले गए तो रीना ने अपने प्रेमी सतपाल को फोन कर दिया, ”हैलो सतपाल, कैसे हो?’’ रीना ने पूछा.
”ये मत पूछो मुझे कि मैं कैसा हूं रीना. तुम्हारी याद से तो मेरा एकएक पल गुजारना मुश्किल हो रहा है.’’ सतपाल ने कहा.
”सतपाल, आज तुम से मिल कर कुछ जरूरी बात करनी है. तुम गोहाना चौराहे पर आ जाना. मैं घर का सामान खरीदने का बहाना बना कर वहां पर आ जाऊंगी. बहुत जरूरी काम है, अच्छा फोन रखती हूं.’’ कहते हुए रीना ने फोन काट दिया. सतपाल अपनी बाइक से जैसे ही गोहाना के चौराहे पर पहुंचा तो उस ने रीना को फोन कर दिया. रीना के बच्चे उस समय स्कूल गए हुए थे. वह तुरंत चौराहे पर पहुंची तो सतपाल उसे अपनी बाइक पर बिठा कर एक रेस्टोरेंट में ले गया, जहां पर दोनों एक केबिन में बैठ गए. सतपाल ने चाय पकौड़ी का आर्डर दे दिया.
”हां रीना, बताओ, क्या विशेष काम है? क्या बात करना चाहती हो मुझ से?’’ सतपाल ने पूछा.
”ये देखो, आजकल नरेंद्र मेरी किसी तरह से रोजरोज जानवरों की तरह कुटाई कर रहा है.’’ कहते हुए रीना ने अपनी पीठ दिखाई.
सतपाल ने देखा कि उस की पीठ पर डंडे के नीले निशान बने हुए थे. उस के चेहरे और होंठों पर भी पिटाई के निशान साफसाफ दिखाई दे रहे थे.
”रीना, अब तो पानी सिर से ऊपर जा रहा है. बोलो, मैं क्या मदद कर सकता हूं.’’ सतपाल ने रीना के हाथों को सहलाते हुए कहा.
”देखो सतपाल, अब मैं नरेंद्र के साथ एक पल भी रहना नहीं चाहती हूं. तुम अपनाओगे मुझे?’’ रीना ने उस की आंखों में देखते हुए कहा.
”रीना, मैं तुम्हारे लिए सब कुछ कर सकता हूं. तुम्हारे लिए तो मैं अपनी बीवी को भी छोड़ सकता हूं.’’ सतपाल ने रीना की आंखों में देखते हुए कहा.
”तो फिर ठीक है, अब तुम्हें नरेंद्र नामक कांटे को हमारी जिंदगी से दूर करना होगा. बोलो, क्या तुम तैयार हो? या फिर ऐसे ही आशिकी का दम भर रहे हो?’’ रीना ने साफसाफ कह डाला.
”इस में यदि हम फंस गए तो फिर हम दोनों ही जेल चले जाएंगे.’’ सतपाल ने आशंकित होते हुए कहा.
”मुझे पता था कि तुम केवल नाम के ही शेर हो. अरे मेरे पास ऐसा प्लान है कि हमारे ऊपर कोई रत्ती भर का शक भी नहीं कर सकेगा. फिर हम दोनों आराम से साथ रह सकेंगे.’’ यह कहते हुए रीना ने सतपाल के कान में अपना गोपनीय प्लान बता दिया.
”रीना यार, वाकई में तुम्हारा प्लान तो बड़ा सटीक है. ऐसे में हम दोनों के ऊपर कभी आंच तक नहीं आ पाएगी.’’ सतपाल ने खुशी के मारे रीना के दोनों हाथ पकड़ लिए.
”अच्छा, अब काफी देर हो चुकी है, आजकल नरेंद्र कभी भी घर पर आ धमकता है. बस तुम अब उस से दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दो.’’ यह कहते हुए रीना वहां से चली गई.
साजिश के तहत एक दिन सतपाल नरेंद्र से जा कर मिला और उस के पैरों पर गिर कर माफी मांगते हुए बोला, ”नरेंद्र भाई, मैं अपनी भूल स्वीकार करता हूं, तुम मेरे बचपन के दोस्त हो, तुम्हारे बगैर मुझे एक पल काटना भी दूभर हो गया है. मुझ पर विश्वास रखो, मैं अब दोबारा रीना भाभी से कभी कोई ऐसी बात नहीं करूंगा.’’ यह कह कर माफी मांगते हुए सतपाल नाटकीय ढंग से नरेंद्र के सीने से लग कर फूटफूट कर रोने लगा था.
नरेंद्र ने भी अब सतपाल पर विश्वास करते हुए उसे अपने दिल से माफ कर दिया था. उस के बाद वे दोनों फिर अकसर बैठ कर शराब पीने लगे थे.
…और लंगोटिया यार को जला दिया जिंदा
29 सितंबर, 2024 को रीना ने सतपाल के साथ मिल कर प्लान बनाया. प्लान के मुताबिक सतपाल ने नरेंद्र को शाम के समय एक जगह शराब पार्टी के बहाने बुला लिया. उस ने जानबूझ कर नरेंद्र को खूब शराब पिला दी और उस की शराब में नींद की गोलियां भी मिला दीं. शराब पी कर जब नरेंद्र बेहोश हो गया तो सतपाल ने नरेंद्र की स्विफ्ट डिजायर कार में ही नरेंद्र को डाल दिया और कार को गोहाना के बुटाना माइनर की पटरी पर ग्रीनफील्ड हाइवे के पास एक सुनसान जगह पर ले गया. वहां उस ने पेट्रोल डाल कर नरेंद्र को टैक्सी में ही जला दिया और फिर पैदल ही चल कर अपने घर आ गया. इस वारदात की खबर उस ने रीना को भी दे दी कि काम हो गया है.
30 सितंबर को लोगों ने गोहाना में सड़क किनारे वह जली हुई कार देखी, जिस में एक व्यक्ति की डैडबौडी भी थी. फिर यह बात आसपास के गांवों में फैली तो उसे देखने के लिए लोगों का हुजूम जुट गया. कार की नंबर प्लेट के आधार पर पता चला कि वह कार गोहाना सोनीपत के बिचपड़ी गांव के नरेंद्र सिंह की है. वहां मौजूद अनिरुद्ध सिंह ने उस डैडबौडी की शिनाख्त अपने चचेरे भाई 38 वर्षीय नरेंद्र के रूप में की. सूचना पा कर गोहाना (सदर) थाने के एसएचओ महीपाल सिंह भी वहां पहुंच गए. उन्होंने मौकामुआयना कर फोरैंसिक टीम को बुला लिया.
मौके की जांचपड़ताल करने के बाद एसएचओ ने अनिरुद्ध से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का चचेरा भाई नरेंद्र उम्र 38 वर्ष करीब एक साल से कंवल किशोर के पास ड्राइवर का काम कर रहा था. वह 29 सितंबर, 2024 की रात घर पर नहीं लौटा. हम ने उस के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, मगर उस का फोन नंबर भी बंद आ रहा था. बाद में उसे किसी के द्वारा इस जली हुई कार के बारे में सूचना मिली तो वह अपने फेमिली वालों के साथ यहां पहुंचा तो कार पूरी तरह से जल चुकी थी और कार के अंदर पिछली सीट पर नरेंद्र का शव अधजली हालत में पड़ा था.
उस ने आगे बताया कि उस के भाई नरेंद्र की किसी ने हत्या कर शव को उसी की स्विफ्ट डिजायर कार में डाल कर उस की सुनियोजित ढंग से हत्या कर दी, लिहाजा आरोपियों के खिलाफ तुरंत काररवाई की जानी चाहिए और मेरे भाई के हत्यारों को सजा दी जानी चाहिए. पुलिस ने मौके की जांच करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश ठिकाने लगाने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. गोहाना (सदर) थाने में केस दर्ज होते ही एसीपी (गोहाना) के सुपरविजन में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिस में एसएचओ थाना गोहाना (सदर) महीपाल सिंह और एएसआई जगदीश व अन्य को शामिल किया गया. पुलिस गहनता से इस केस की छानबीन में जुट गई थी.
पुलिस टीम ने डैडबौडी का पोस्टमार्टम कराने के बाद वह उस के फेमिली वालों को सौंप दी. इस घटना के सबूत जुटाते हुए पुलिस ने जब जांच की तो पुलिस को मृतक की पत्नी रीना और नरेंद्र के दोस्त सतपाल के बीच अवैध संबंधों के बारे में जानकारी मिली. उस के बाद जब पुलिस ने रीना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस पर शक और भी पक्का हो गया. पता चला कि रीना और उस के प्रेमी सतपाल के बीच रोज लंबीलंबी बातचीत होती थी. वाट्सऐप पर भी दोनों की काफी अश्लील चैटिंग होती थी. घटना की रात 29 सितंबर, 2024 को भी बातचीत और मैसेज किए जाने का पता चला. उस के बाद पुलिस ने रीना और सतपाल को हिरासत में ले कर जब उन दोनों से अलगअलग कड़ाई से पूछताछ की तो उन्होंने नरेंद्र के मर्डर का खुलासा कर दिया.
रीना और उस के प्रेमी सतपाल ने बताया कि उन्होंने बड़े ही सुनियोजित तरीके से नरेंद्र की हत्या की थी. पुलिस पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद नरेंद्र की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
नरेंद्र हरियाणा के सोनीपत जिले की गोहाना तहसील के गांव बिचपड़ी का रहने वाला था. इस गांव को फै्रक्चर के उपचार के लिए भी जाना जाता है. यहां अनेक लोग हड्डी फ्रैक्चर का घरेलू इलाज करते हैं. नरेंद्र अपने घर पर सब से बड़ा था. उस की 2 शादीशुदा बहनें हैं. नरेंद्र का विवाह भी हो चुका था. नरेंद्र का विवाह 9 साल पहले रीना से हुआ था. वह पहले अपने घर पर ही खेती का काम देखा करता था. धीरेधीरे उस का परिवार बढ़ा और उस का एक बेटा व 3 बेटियां भी हो गए. समय गुजरने के साथसाथ नरेंद्र के मम्मीपापा भी काफी बुजुर्ग हो चुके थे. घर का खर्च बढऩे पर नरेंद्र की पत्नी बारबार उसे गांव से कहीं बाहर जा कर नौकरी करने का उलाहना देती रहती थी, लेकिन नरेंद्र बारबार अपने मम्मीपापा की सेवा की बात कह कर रीना को समझा लिया करता था.
लेकिन कुछ समय बाद एकाएक नरेंद्र के पापा की तबीयत खराब हो गई और हार्ट अटैक के कारण उन की मृत्यु हो गई. उस के 2 महीने बाद ही उस की मम्मी की भी मृत्यु हो गई. इस के बाद रीना नरेंद्र को बारबार बाहर नौकरी करने के लिए कहने लगी. नरेंद्र को कार और ट्रक चलाना आता था. उस के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी था, इसलिए वह अपने परिचितों और दोस्तों से नौकरी की बात करने लगा था. तभी एक दिन अपने एक दोस्त से नरेंद्र को गोहाना के एक व्यवसायी कंवल किशोर के बारे में पता चला, जिन्हें एक अच्छे चालचलन वाले ड्राइवर की जरूरत थी. नरेंद्र गोहाना जा कर कवल किशोर से मिला और उन्होंने नरेंद्र के ड्राइविंग लाइसेंस और उस के अच्छे व्यवहार को देखा तो उन्होंने उसे ड्राइवर की नौकरी पर रख लिया.
कंवल किशोर की अपनी कुछ टैक्सियां किराए पर भी चलती थीं. जब कहीं बुकिंग से लौटते समय कोई सवारी मिल जाती तो नरेंद्र की भी कुछ एक्स्ट्रा इनकम हो जाया करती थी. जब अच्छे पैसे हाथ में आने लगे तो नरेंद्र ने गोहाना के विष्णु नगर में किराए पर 2 कमरे ले लिए और अपनी पत्नी रीना और तीनों बच्चों को ले कर आ गया. उस ने एक स्कूल में बच्चों का दाखिला भी करा दिया. एक दिन बुकिंग के बाद सवारी को छोड़ कर नरेंद्र सोनीपत के रेलवे स्टेशन पर जा कर चाय पीने लगा. उसे लगा कि यदि कोई गोहाना या आसपास की सवारी होगी तो वह सवारी को बैठा लेगा.
चाय पी कर नरेंद्र अपनी ड्राइविंग सीट पर बैठा ही था कि तभी एक युवक लगभग भागते हुए अपने हाथों में 2 बैग उठाए उस के पास आया. वह उस से बोला, ”भाई साहब, मुझे गोहाना से आगे एक गांव में जाना है, ले चलोगे?’’
”ठीक है, बैठो.’’ नरेंद्र ने कहा
”भाई साहब, मेरे पीछेपीछे एक कुली मेरा सामान ले कर आ रहा है. थोड़ी देर रुक जाइए,’’ युवक ने कहा.
नरेंद्र को जल्दी थी, इसलिए युवक की ओर अधिक ध्यान न देते हुए उस का सारा सामान कार की डिक्की और छत पर रखवा दिया. युवक तसल्ली से पीछे की सीट पर बैठ गया. नरेंद्र ने गाड़ी स्टार्ट की और चल पड़ा.
जब भीड़भाड़ समाप्त हुई और टैक्सी सुनसान रास्ते पर चलने लगी तो नरेंद्र ने युवक से पूछा, ”भाई साहब, आप को किस गांव में जाना है.’’
”मुझे गोहाना तहसील के गांव बिचपड़ी जाना है.’’ युवक ने कहा.
नरेंद्र के कानों में जब अपने गांव का नाम सुनाई दिया तो उस ने टैक्सी की स्पीड कम करते हुए पूछा, ”भाई साहब, बिचपड़ी गांव में आप को किस के घर जाना है?’’
”किस के घर पर जाने का मैं मतलब समझा नहीं भाई. किस के घर का क्या मतलब? जब मैं उसी गांव में रहता हूं तो अपने ही घर जाऊंगा. वैसे ड्राइवर साहब, आप ने बिचपड़ी गांव का नाम सुना है? क्या आप वहां पहले कभी गए हैं?’’ युवक ने पूछा.
”अरे भाई साहब, सही बात तो यह है कि मैं खुद बिचपड़ी का रहने वाला हूं. अब आप मुझे अपना परिचय तो दीजिए.’’ नरेंद्र ने सामने के मिरर से पीछे देखते हुए कहा.
”मेरा नाम सतपाल है और आप का?’’ युवक ने अपना परिचय देते हुए कहा.
जैसे ही नरेंद्र के कानों में सतपाल का नाम सुनाई दिया, उस ने झटके से कार के ब्रेक लगा दिए और गाड़ी से उतर कर पीछे का गेट खोल दिया और फिर चिल्ला कर बोला, ”अरे सतपाल, आज पूरे 8 साल के बाद तुझे देख रहा हूं. अरे भाई, मैं नरेंद्र हूं तेरे बचपन का दोस्त!’’ यह कहते हुए उस ने अपनी दोनों बाहें फैला दीं. उधर जब सतपाल को नरेंद्र के बारे में पता चला तो वह तुरंत कार से बाहर निकल कर नरेंद्र की छाती से चिपट गया. दोनों में काफी देर तक बचपन की बातें होती रहीं, ”देख सतपाल, इतने सालों के बाद आज मिला है तू मुझे, इसलिए आज तुझे मेरे घर पर रुकना होगा. कल में तुझे गांव छोड़ क र आ जाऊंगा. तेरी पत्नी और बच्चे कहां हैं?’’ नरेंद्र ने पूछा.
”नरेंद्र भाई, मैं तो परसों दिल्ली पहुंच गया था, वहां से अपनी पत्नी के मायके में रहा. वह 2-4 दिन वहीं रहेगी, फिर उस का भाई उसे और बच्चों को गांव ले कर आ जाएगा. यार, तेरी शादी में मैं आ नहीं पाया था, इसलिए आज तुम्हारे घर पर ही रुक जाऊंगा. इसी बहाने भाभीजी से मुलाकात हो जाएगी.’’ सतपाल ने कहा.
दोस्त को घर ले जाना नरेंद्र की हुई सब से बड़ी भूल असल में सतपाल और नरेंद्र ने ड्राइविंग भी साथसाथ सोनीपत में सीखी थी. सतपाल को विदेश जाना था, इसलिए वह बड़ी गाडिय़ों को चलाने का लाइसेंस लेने और सीखने दिल्ली चला गया था. उस के बाद सतपाल दुबई चला गया और फिर बीच में वह एकाएक छुट्टी पर आया और शादी कर के अपनी पत्नी को भी दुबई ले कर चला गया था. इसलिए न तो सतपाल और न ही नरेंद्र एकदूसरे की शादी में शामिल हो पाए थे.
नरेंद्र सतपाल को अपने कमरे पर ले गया. सतपाल का सारा सामान एक कमरे में रखने के बाद नरेंद्र सतपाल को ले कर अपने कमरे में चला गया. कमरे में सतपाल को कुरसी पर बिठाने के बाद नरेंद्र ने अपनी पत्नी रीना को आवाज दी, ”रीना, जरा यहां तो आओ, तुम से मिलने को आज मैं किसे ले कर आया हूं.’’
अगले ही पल रीना एक लंबा सा घूंघट काढ़े, सकुचातेशरमाते हुए कमरे में आ कर एक ओर खड़ी हो गई.
”रीना, देखो तो सही, यह मेरे बचपन का दोस्त सतपाल है. हम साथसाथ पढ़े, साथसाथ खेलकूदे और आज पूरे 8 साल बाद इस से मुलाकात हुई तो मैं इसे रेलवे स्टेशन से सीधे घर ले आया. हमारी शादी में भी ये शामिल नहीं हो पाया था, इसलिए आज तुम से मिलने आ गया.’’ नरेंद्र ने रीना से उस का परिचय कराते हुए कहा.
”देख भाई नरेंद्र, तुम ने मेरा पूरा परिचय भाभीजी से तो करा दिया, पर मेरी भाभीजी तो इतना लंबा सा घूंघट काढ़े मेरे सामने खड़ी है. ऐसे में भला परिचय कैसे हो सकता है? घूंघट के भीतर से इन्होंने मेरी शक्ल तो देख ली, लेकिन मुझे भाभी का दीदार नहीं हो पाया. अब तुम्हीं बताओ कि यदि भविष्य में कभी हमारा मिलना होगा तो हम दोनों एकदूसरे को कैसे पहचान पाएंगे.’’ सतपाल ने मुसकराते हुए कहा.
इस बात पर नरेंद्र भी सहमत था. उस ने तुरंत पत्नी से कहा, ”रीना, देखो यह मेरा बचपन का जिगरी दोस्त सतपाल है, रिश्ते में यह तो तुम्हारा देवर ही है न. इसलिए देवर के सामने तुम घूंघट हटा कर अपना चेहरा दिखा दोगी तो कोई हर्ज भी नहीं होगा. देखो रीना, देवर को तो अपनी भाभी को देखने का अधिकार भी होता है न.’’ नरेंद्र ने रीना से मनुहार करते हुए कहा. अब जब पति का आदेश हो तो पत्नी उस के आदेश की अवहेलना भला कैसे कर सकती है. रीना ने जैसे ही घूंघट हटाया तो सतपाल की आंखें फटी सी रह गई थीं. उसे सचमुच अपने दोस्त नरेंद्र की किस्मत पर जलन सी होने लगी थी.
रीना सचमुच में ही सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी. रीना के माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, गालों पर गुलाब सी सुर्खी, कलाइयों में हरीहरी चूडिय़ां, बालों में महकती सी सुगंध, पैरों में महावर, यह सब देख कर एकबारगी सतपाल तो ठगा सा रह गया. इस स्थिति में न चाहते हुए भी उस के मुंह से एकाएक निकल पड़ा, ”नरेंद्र भाई, बहुत ही खुशकिस्मत हो तुम कि तुम्हें इतनी सुंदर पत्नी मिली है. यार, मेरी भाभीजी तो इतनी खूबसूरत हैं कि उन्हें मेरी नजर ही न लग जाए. देख भाई नरेंद्र, तू तो मेरा जिगरी यार रहा है, भाभीजी से कह न कि अपना घूंघट एक बार फिर से डाल लें, कहीं मेरी नीयत ही न डोल जाए,’’ कह कर सतपाल जोरों से हंस पड़ा था.
रीना और सतपाल आए एकदूसरे के करीब अब सतपाल नरेंद्र का बचपन का दोस्त था तो उसे अपने दोस्त की इस बात का तनिक भी बुरा नहीं लगा. वह भी मजाकमजाक में बोल पड़ा, ”यार सतपाल, तू तो मेरा बचपन का लंगोटिया यार ठहरा, याद तेरी नीयत खराब भी हो गई तो मुझे तो कोई आपत्ति नहीं. क्योंकि जैसे मैं हूं, वैसे ही तू भी तो है. अब तू अपनी भाभीजी से पूछ ले कि उसे कोई ऐतराज तो नहीं है न?’’
अपने पति के मुंह से खुल्लमखुल्ला ऐसी बात सुन कर तो रीना पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया था. वह शरम से लाल हो गई. शरम के मारे उस ने वहां पर रहना अब उचित भी नहीं समझा और वह दोनों के लिए चाय बनाने का बहाना करते हुए अपना मुंह छिपाते हुए रसोई का ओर बढ़ गई थी. सतपाल ने जब से रीना को देखा था, तब से वह उस के दिलोदिमाग में इस तरह से छा गई थी कि वह अब दिनरात उसी के सपने देखने लगा था. उधर दूसरी तरफ रीना भी सतपाल से काफी प्रभावित थी. भले ही वह 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की उम्र, मन सतपाल की नजरों से बंध सा गया था. सतपाल की आकर्षक पर्सनैलिटी, उस की अमीरी और उस का बात करने का अंदाज यह सब कुछ रीना को रिझाने लगा था.
अब कभी भी सतपाल जब सामान आदि खरीदने गोहाना आता था तो रीना के पास जरूर जाता था. रीना भी उसे खास तरजीह देती थी. दोनों में अब हंसीमजाक और छेडख़ानी भी होने लगी थी. एकदूसरे का मामूली सा स्पर्श भी उन्हें रोमांच की गहरी अनुभूति से भर देता था. प्यार की यह चिंगारी दोनों के दिलों में दबी रही. वक्त आगे गुजरता रहा, लेकिन यह चिंगारी धीरेधीरे सुलगती रही. अब तो सतपाल खासकर उस समय रीना से मिलने आता था, जब नरेंद्र घर पर नहीं रहता था. सतपाल ने अपने गांव मैं एक जनरल स्टोर खोल लिया था, जिस के लिए सामान लेने वह अकसर गोहाना आनेजाने लगा था.
एक दिन सतपाल अपनी बाइक से रीना के घर पहुंच गया, उसे पता था कि आज सुबह नरेंद्र बुकिंग पर दिल्ली गया हुआ है. उस दिन रीना के बच्चे स्कूल जा चुके थे और वह सजसंवर कर जरूरी खरीदारी करने बाजार जाने की तैयारी करने लगी, तभी वहां पर सतपाल आ गया. बाइक खड़ी कर के जैसे ही वह घर के भीतर गया तो वह रीना का खिला हुआ रूप देख कर ठगा सा खड़ा रह गया था. उस के मुंह से एकाएक निकल पड़ा, ”भाभीजी, आज आप को देख कर दिल खुश हो गया. आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हैं. आज मुझे सचमुच उस दिन की याद आ गई, जिस दिन मैं ने इसी घर पर आप के चांद से चेहरे का दीदार किया था.’’
अपनी तारीफ हर औरत को अच्छी लगती है, वह भी उलाहना देते हुए बोल पड़ी, ”देवरजी, उस दिन आज की तरह तुम आंखें फाडफ़ाड़ कर बस मुझे ही देखे जा रहे थे. बड़े बेशरम हो तुम देवरजी!’’ कहते हुए रीना मुसकरा पड़ी थी.
”आप एकदम सही कह रही हैं भाभीजी, मैं ने जब पहली बार आप को देखा था तो मुझे नरेंद्र के भाग्य से जलन भी होने लगी थी. उस समय मैं सोच रहा था कि काश! अगर आप मुझे पहले मिल जातीं तो मैं आप को अपनी पत्नी जरूर बना लेता.’’ सतपाल ने रीना की आंखों में आंखे डालते हुए कहा.
”देखो देवरजी, आप कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो. ये बात ठीक नहीं है, आप की शिकायत करनी पड़ेगी.’’ रीना ने कहा.
”हां भाभी, मैं तो आप के रूपसौंदर्य का पुजारी हो गया हूं. दिनरात सपने में बस मुझे केवल आप ही दिखाई देती हैं. वैसे एक बात कहूं…’’ सतपाल ने उस के नजदीक आते हुए कहा.
”हां बोलो देवरजी, अब आप से क्या परदा? आप खुल कर अपने दिल की बात अब कह ही डालो.’’ रीना ने अपना बायां होंठ दबाते हुए कहा.
”आप मुझ में अभी भी काफी फर्क महसूस करती हैं. आप ने तो अब तक मुझे समझा ही नहीं है और न ही कभी मुझे समझने की कोशिश भी की है.’’ सतपाल ने कहा.
”ऐसी बात बिलकुल भी नहीं है देवरजी. मैं ने उन में और आप में कभी कोई फर्क न तो समझा है और न ही किया.’’ रीना ने कहा.
”भाभीजी, उस दिन नरेंद्र ने कहा था कि मुझ में और उस में कुछ भी फर्क नहीं है, बस अगर तुम्हारी भाभी मान जाए तो…’’ कहते हुए सतपाल ने रीना की आंखों में झांका तो वह भीतर तक सिहर उठी थी. वह बस चुपचाप ही रही.
एकाएक सतपाल की हिम्मत कुछ बढ़ी और वह रीना के एकदम पास चला गया और उस के गालों पर अपनी हथेलियां रखते हुए बोला, ”भाभीजी, सच बात तो यह है कि आप मुझे अपना मानती ही कब हैं, तभी तो मुझे अब तक आप ने अपने से इतना दूर रखा है.’’
रीना ने जब सतपाल की आंखों में झांका तो सतपाल की आंखों में प्यार का समंदर हिलोरें ले रहा था. वह भी प्यार से सतपाल की नशीली आंखों को देखती रही.
”भाभीजी, बस एक बार आप को पाना चाहता हूं. देखो न, उस दिन भी तो आप ने मेरे लिए अपना घूंघट उठाया था, याद होगा न आप को या बिलकुल ही भूल गई हो!’’ सतपाल ने रीना के गालों को चूमते हुए कहा.
सतपाल की इस हरकत से रीना किसी नईनवेली दुलहन की तरह शरमान लगी. उस की आंखें शरम से नीचे झुकने लगीं तो सतपाल ने उस के कान में धीरे से कह दिया, ”भाभीजी, उस दिन तो आप ने मेरे कहने पर अपना घूंघट हटा दिया था, आज मैं जो कुछ भी हटाना चाहूं तो हट सकता है क्या?’’ कहते हुए उस ने रीना के सीने से दुपट्टा खींच लिया और अब उस की दोनों हथेलियां रीना के सीने को स्पर्श करने लगी थीं. सतपाल के इस मादक स्पर्श ने रीना के दिल में दबी हुई चिंगारी को हवा दे डाली थी, इसलिए रीना के मुंह से न तो ‘हां’ निकला और न ही ‘न’ निकला. उस ने तो बस चुपचाप अपना दुपट्टा सतपाल के हाथ से सरक जाने दिया और अब वह सतपाल की हर हरकत का मजा भी लेने लगी थी.
उधर दूसरी तरह सतपाल पूरे 4 महीने से उस मादक रूप को अपनी बांहों में झूलते देख रहा था, जिस को पाने की वह पुरजोर कोशिशों में लगा हुआ था. उस दिन तो रीना की प्यासी देह भी सतपाल से पनाह चाह रही थी, रीना तो बस एक कठपुतली की तरह सतपाल के हाथों और उस के मादक स्पर्श का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. इसी बेचैनी में रीना ने अब सतपाल को कस कर पकड़ लिया और अपने बैडरूम में ले कर आ गई और उस के बाद दोनों एकदूसरे के जिस्म में खोते चले गए.
रीना और सतपाल का रिश्ता एक बार अमर्यादित हुआ तो फिर यह लव अफेयर पूरे डेढ़ साल तक बिना किसी रोकटोक से चलता रहा. एक दिन जब नरेंद्र अपनी बुकिंग पर टैक्सी ले कर चला गया तो रीना ने सतपाल को फोन कर के अपने घर पर बुला लिया और दोनों बैडरूम में चले गए. इधर दूसरी तरफ, जब नरेंद्र बुकिंग पर पहुंचा तो पता चला कि उस घर में अचानक किसी की डैथ हो गई थी, इसलिए बुकिंग करने वालों ने उस दिन की बुकिंग ही कैंसिल कर दी थी.
ऐसे अचानक खुली पोल
उस दिन नरेंद्र ने सुबहसुबह जल्दी में जाने के कारण नाश्ता भी नहीं किया था. इसलिए उस ने सोचा कि पहले घर जा कर नाश्ता कर के फिर अपने मालिक के घर पर चला जाएगा. नरेंद्र जब घर पर पहुंचा तो उसे अपने घर के सामने सतपाल की बाइक खड़ी दिखाई दी. नरेंद्र ने सोचा कि सतपाल कुछ सामान लेने गोहाना आया होगा, साथ में अपनी पत्नी को अपनी भाभी से मिलाने घर आ गया होगा. इसलिए नरेंद्र ने टैक्सी खड़ी की और घर के अंदर आ गया. घर खुला हुआ था, मगर वहां पर कोई नहीं था. नरेंद्र ने देखा कि बैडरूम का दरवाजा बंद था, मगर उस में अंदर से चिटकनी नहीं लगाई हुई थी.
नरेंद्र ने किवाड़ों को धकेला और जब उस की नजर अपने बैडरूम पर पड़ी तो उस ने देखा कि उस की पत्नी रीना और उस के बचपन का दोस्त सतपाल आपत्तिजनक अवस्था में एकदूसरे से गुंथे हुए वासना के समंदर में गोते लगा है. उस की आंखें ये सब देख कर खुली की खुली रह गईं. उसे अपनी पत्नी और अपने बचपन के दोस्त सतपाल की इस शर्मनाक हरकत पर बहुत गुस्सा आया. सतपाल ने जब नरेंद्र को देखा तो वह फटाफट अपने कपड़े उलटेपुलटे पहन कर अपनी बाइक ले कर वहां से निकल भागा. अब नरेंद्र के हाथ में रीना आई तो उस ने रीना की लातघूसों से जम कर पिटाई की. इस के साथ ही उस ने रीना के बाहर जाने और सतपाल से घर पर या बाहर मिलने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी.
इस प्रतिबंध का किसी तरह एक महीना गुजर गया था. दरअसल, रीना और सतपाल तो एकदूसरे के दीवाने हो चुके थे. अब न तो सतपाल को अपनी पत्नी की फिक्र थी और न ही रीना को अपने पति नरेंद्र की. नरेंद्र को ठिकाने लगाने के बाद सतपाल बेफिक्र हो गया था कि हत्या में अब उस का नाम नहीं आ पाएगा, लेकिन कानून के लंबे हाथ उस की गरदन तक पहुंच ही गए.
सतपाल और उस की प्रेमिका रीना से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.