Hyderabad Crime : बेटियां मांबाप का मानसम्मान होती हैं, लेकिन वही बेटियां अगर गलत राह पर उतर जाएं तो न केवल परिवार की इज्जत के लिए खतरा बन जाती हैं, बल्कि कई बार तो…

श्री निवास रेड्डी अपनी पत्नी और एकलौती बेटी कीर्ति रेड्डी के साथ हैदराबाद (Hyderabad Crime) के ब्लौक हयातनगर स्थित मुनागानुरु गांव में रहते थे. वह एक ट्रक चालक थे. एक बार जब वह अपना ट्रक ले कर कामधंधे के लिए बाहर निकलते थे, तो हफ्तों तक घर नहीं लौट पाते थे. उन की ख्वाहिश थी कि वह अपनी बेटी को उच्चशिक्षा दिलाएं ताकि पढ़लिख कर वह किसी अच्छी सरकारी नौकरी में चली जाए. इसलिए वह अपने काम पर ज्यादा ध्यान देते थे. बेटी कीर्ति रेड्डी से वह बेटे की तरह व्यवहार करते थे. उन्होंने बेटी को पूरी आजादी दे रखी थी. लेकिन उस की यही आजादी एक दिन उन के परिवार को बिखेर देगी, ऐसा उन्होंने कभी नहीं सोचा था.

19 अक्तूबर, 2019 की दोपहर के करीब 2 बजे कीर्ति रेड्डी अपने एक मित्र कोथा शशिकुमार के साथ थाना हयातनगर पहुंची. उस ने थाने में अपनी मां पल्लेरला रंजीता की गुमशुदगी दर्ज करवाई. शिकायत में कीर्ति रेड्डी ने अपनी मां की गुमशुदगी का जिम्मेदार अपने पिता श्रीनिवास रेड्डी को ठहराया. कीर्ति ने ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को बताया कि मां के प्रति उस के पिता का व्यवहार ठीक नहीं था. वह शराब पी कर जब घर लौटते थे तो मां के साथ लड़ाईझगड़ा और मारपीट करते थे. पिता के इसी व्यवहार से मां परेशान रहती थीं, जिस की वजह से 2 दिन पहले वह घर छोड़ कर चली गई. उस ने मां को काफी खोजा, लेकिन कहीं पता नहीं लग सका.

पुलिस ने कीर्ति की शिकायत पर गुमशुदगी दर्ज कर के काररवाई शुरू कर दी. इस घटना के 4-5 दिन बाद जब श्रीनिवास रेड्डी अपना ट्रक ले कर घर लौटे तो घर के दरवाजे पर ताला लटका मिला. ताला बंद देख वह समझ गए कि घर पर कोई नहीं है. पहले तो उन्होंने सोचा कि पत्नी और बेटी कहीं आसपास गई होंगी. वह वहीं पर उन के लौटने का इंतजार करने लगे. लेकिन जब वे काफी देर बाद भी नहीं लौटीं तो उन्हें चिंता हुई. उन्होंने आसपड़ोस के लोगों से अपने परिवार के बारे में पूछा तो पता चला कि उन के घर पर कई दिनों से ताला लटक रहा है. यह जान कर उन्हें झटका लगा. ऐसा कभी नहीं हुआ था कि उन की पत्नी और बेटी उन्हें बिना बताए कहीं गई हों. क्योंकि उन्हें यह बात अच्छी तरह मालूम थी कि वह कभी भी घर आ सकते थे. अगर वे कहीं जाती भी थीं तो उन्हें फोन कर जानकारी अवश्य देती थीं.

इस बीच उन की बेटी और पत्नी में से किसी का भी फोन उन के पास नहीं आया था. जब उन्होंने पत्नी का फोन मिलाया तो वह स्विच्ड औफ था. कई बार कोशिश करने के बाद जब बेटी कीर्ति रेड्डी से उन का संपर्क हुआ तो उस ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर उन के होश उड़ गए. कीर्ति ने बताया कि मां कई दिन पहले पता नहीं कहां चली गईं और वह कुछ काम से विशाखापट्टनम आई हुई है. 2 दिन बाद वह घर आएगी. कीर्ति ने यह भी बताया कि उस ने मां को तमाम संभावित जगहों पर तलाश किया, जब वह नहीं मिली तो थाने में गुमशुदगी दर्ज करा दी. बेटी की यह बात सुन कर श्रीनिवास रेड्डी के होश उड़ गए. वह समझ नहीं पा रहे थे कि पत्नी बिना बताए कहां और क्यों चली गई.

लिहाजा वह भी पत्नी को इधरउधर खोजने लगे. श्रीनिवास रेड्डी की समझ में यह भी नहीं आ रहा था कि जब मां लापता थी तो बेटी को उस की तलाश करनी चाहिए थी. आखिर ऐसा कौन सा जरूरी काम आ गया, जो वह विशाखापट्टनम चली गई. उस के विशाखापट्टनम जाने की बात उन के गले नहीं उतर रही थी. बहरहाल, 2 दिनों बाद कीर्ति रेड्डी जब घर वापस आई तो वह अपनी मां की गुमशुदगी को ले कर पिता से ही उलझ पड़ी. उस का कहना था कि उन के व्यवहार की वजह से मां घर छोड़ गई है. बेटी के इस आरोप से भी श्रीनिवास रेड्डी स्तब्ध रह गए. वह पत्नी की तलाश के लिए थाने के चक्कर लगाते रहे. पत्नी को गायब हुए 8 दिन बीत चुके थे, लेकिन उस का पता नहीं लग पा रहा था. इस से श्रीनिवास रेड्डी की चिंता बढ़ती जा रही थी. वह थाने के चक्कर लगालगा कर परेशान हो चुके थे. थाना पुलिस से आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल पा रहा था.

हार कर श्रीनिवास रेड्डी ने पुलिस कमिश्नर महेश भागवत से मुलाकात की. पुलिस कमिश्नर ने इस मामले को गंभीरता से लिया. उन के निर्देश पर एसीपी शंकर व हयाननगर क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सतीश इस केस की जांच में जुट गए.  इंसपेक्टर सतीश ने श्रीनिवास रेड्डी के पड़ोसियों और जानपहचान वालों से पूछताछ करते हुए जब उन के परिवार को खंगाला तो कीर्ति रेड्डी शक के दायरे में आ गई. वह बारबार अपने बयान बदल रही थी. इसी दौरान जांच में यह बात भी पता चली कि वह अपनी मां के गायब होने के बाद विशाखापट्टनम गई ही नहीं थी. वह अपने प्रेमी और मंगेतर चिमूला बाल रेड्डी के घर में थी. यह बात श्रीनिवास रेड्डी को तब पता चली, जब चिमूला बाल रेड्डी के पिता कृष्णा रेड्डी श्रीनिवास रेड्डी को सहानुभूति देने उन के पास आए.

रहीसही कमी पल्लेरला रंजीता के मोबाइल फोन की लोकेशन ने पूरी कर दी. 23 अक्तूबर, 2019 तक कीर्ति रेड्डी और उस की मां रंजीता रेड्डी के फोन नंबरों की काल डिटेल्स खंगाली गई तो 19 अक्तूबर को दोनों के फोन की लोकेशन साथसाथ पाई गई. फिर 4 दिन बाद मां पल्लेरला रंजीता का मोबाइल फोन बंद हो गया था. अब सवाल यह था कि रंजीता के गायब होने के 4 दिनों बाद उन का मोबाइल कैसे चालू हुआ और वह किस ने चालू किया. इस शक के आधार पर क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सतीश ने कीर्ति रेड्डी को पूछताछ के लिए अपने औफिस बुलाया. कीर्ति जब वहां पहुंची तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं. फिर भी वह पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करती रही. खुद को वह मां की गुमशुदगी से अनभिज्ञ और निर्दोष

बताती रही. लेकिन इंसपेक्टर सतीश ने जब उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की तो वह प्रश्नों के जाल में उलझ गई और उसे सच बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस ने अपनी मां की गुमशुदगी के ऊपर पड़ा रहस्यमयी परदा उठा दिया. कीर्ति रेड्डी के बयान और पुलिस जांच के अनुसार मल्लेरला रंजीता की गुमशुदगी की जो कहानी सामने आई, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार से थी. 19 वर्षीय कीर्ति शोख और चंचल स्वभाव की थी. वह आधुनिक विचारों वाली फैशनपरस्त युवती थी. वह माइक्रोबायलौजी से बीएससी कर रही थी. कालेज में पढ़ाई के दौरान कई लड़के उसे चाहते थे. लेकिन वह जिस की तरफ आकर्षित थी, वह था उस का बचपन का साथी चिमूला बाल रेड्डी.

बाल रेड्डी उसी इलाके का रहने वाला था, जहां कीर्ति रहती थी. बाल रेड्डी के पिता कृष्णा रेड्डी सरकारी नौकरी में थे. उन का भरापूरा परिवार था. बाल रेड्डी बी.टेक. कर चुका था. बाल रेड्डी के पिता कृष्णा और कीर्ति के पिता श्रीनिवास दोनों दूर के रिश्तेदार भी थे. एक ही इलाके में रहने के कारण एकदूसरे के घरों में अकसर आनाजाना होता रहता था. कीर्ति से सीनियर होने के कारण बाल रेड्डी कभीकभी कीर्ति की पढ़ाई में उस की मदद कर दिया करता था. यही कारण था कि जब भी वह कीर्ति के घर आता था, कीर्ति उस के साथ हिलमिल जाती थी. इसी में कब बचपना गया और जवानी ने अपना रंगरूप बदला, यह दोनों को मालूम नहीं पड़ा. उन का दोस्ती जैसा रिश्ता खत्म हो गया, उस की जगह प्यार ने ले ली.

बाल रेड्डी खातेपीते परिवार का लड़का था. उस के पास मोटरसाइकिल थी, जिस पर वह अकसर कीर्ति रेड्डी को कालेज छोड़ देता था. यही कारण था कि कीर्ति उस के प्यार में कुछ इस तरह डूब गई कि वह अपनी सीमा और मर्यादा को भी भूल गई. किशोरावस्था में ही वह गर्भवती हो गई थी. यह भूल दोनों ने एक शादी समारोह के दौरान की थी. वे अपने एक रिश्तेदार की शादी में गए थे. उन्होंने जब शादी के पंडाल में दूल्हादुलहन को देखा तो उन के मन में एक हूक सी उठी. वे भी अपने आप को दूल्हा और दुलहन समझने लगे और सुहागरात की कल्पना कर दोनों एकांत में चले गए. उस रात एक तरफ दूल्हादुलहन जहां शादी के फेरों की रस्में पूरी कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ कीर्ति और बाल रेड्डी एक अलग ही दुनिया में विचरण कर रहे थे. वे जिंदगी के खुमार और उन्माद में डूबे हुए थे.

इस उन्माद का नतीजा जब सामने आया तो उन के होश उड़ गए, जो उन के परिवार और समाज के लिए ठीक नहीं था. कीर्ति को गर्भ ठहर गया था. जब यह बात कीर्ति ने बाल रेड्डी को बताई तो वह भी घबराया. उन के सामने अब एक ही रास्ता था कि किसी भी तरह गर्भपात कराया जाए. बाल रेड्डी का एक दोस्त था काथा शशिकुमार. बाल रेड्डी ने कीर्ति का गर्भपात कराने के संबंध में उस से बात की. शशिकुमार ने अपनी पहचान वाले डाक्टर से कीर्ति का गर्भपात करा दिया. गर्भपात हो जाने के बाद कीर्ति रेड्डी ने अपनी इस मुसीबत से तो छुट्टी पा ली लेकिन अब वह एक दूसरी मुसीबत में फंस गई. काथा शशिकुमार उसी कालोनी में रहता था, जिस में कीर्ति रहती थी. कीर्ति के घर और शशिकुमार के घर के बीच की दूरी यही कोई 100 फुट थी. शशिकुमार एक खातेपीते परिवार का था. उस के पिता हैदराबाद के एक पौलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में नौकरी करते थे.

बाल रेड्डी और शशिकुमार दोनों बचपन के मित्र थे. दोनों ने एक ही कालेज से ग्रैजुएशन की थी. बाल रेड्डी ने बी.टेक तो शशिकुमार ने एमबीए किया था. अच्छे दोस्त होने के नाते बाल रेड्डी ने कीर्ति के मामले में शशिकुमार की मदद ली थी. पड़ोसी होने के कारण शशिकुमार भी उतना ही कीर्ति के परिवार के करीब था, जितना बाल रेड्डी था. उस के दिल के एक कोने में भी कीर्ति की तसवीर थी. वह भी कीर्ति के करीब आना चाहता था. लेकिन कीर्ति ने उसे अपने पास आने का मौका नहीं दिया था, जिस की कसक उस के दिल में बनी हुई थी. गर्भपात कराने के दौरान उसे कीर्ति के पास आने का मौका मिल गया था. कीर्ति भी उस के अहसानों के नीचे दब गई थी. शशिकुमार ने कीर्ति से कहा कि वह उस के लिए भी अपने दिल के दरवाजे खोल दे अन्यथा वह गर्भपात वाली बात जगजाहिर कर देगा.

कीर्ति ने बदनामी के डर से शशिकुमार को भी अपने दिल में जगह दे दी. अब वह शशिकुमार के साथ भी मौजमस्ती करने लगी. समय अपनी गति से चल रहा था. कीर्ति अब कई परवानों की शमां बन चुकी थी. इन के बीच 3 साल का समय कैसे निकल गया, उन्हें इस का पता ही नहीं चला. कीर्ति रेड्डी अब उन्नीसवां बसंत पार कर चुकी थी. कीर्ति को ले कर उस की मां पल्लेरला रंजीता और पिता श्रीनिवास रेड्डी को उस की शादी की चिंता थी, वे उस के लिए एक वर की तलाश में जुटे थे. इस से पहले कि उन्हें कोई वर मिलता, उन्हें चिमूला बाल रेड्डी और कीर्ति के प्यार की बात पता चल गई. तब कीर्ति रेड्डी के पिता श्रीनिवास ने बाल रेड्डी के घर वालों से मिल कर उन की शादी तय कर दी.

शादी तय होने के बाद जब कीर्ति की मां को यह बात मालूम पड़ी कि कीर्ति के नाजायज संबंध बाल रेड्डी के अलावा कालेज और इलाके के कई और युवकों से भी हैं तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. कीर्ति का सब से गहरा रिश्ता उन के पड़ोस में रहने वाले शशिकुमार से था. शशिकुमार अकसर उन के घर आताजाता था. वह घंटों कीर्ति के साथ रहता था. उसे महंगे गिफ्ट दिया करता था. यह जान कर कीर्ति की मां के पैरों तले से जमीन खिसक गई, उन्होंने इस के लिए कीर्ति को आड़े हाथों लिया और काफी खरीखोटी सुनाई. इतना ही नहीं, उन्होंने इस के लिए कीर्ति की पिटाई भी कर दी थी. यह बात कीर्ति और उस के प्रेमी शशिकुमार दोनों को चुभ गई. शशिकुमार की सहानुभूति पा कर कीर्ति ने अपनी आजादी और मां के बंधनों से मुक्त होने के लिए शशिकुमार के साथ मिल कर एक खतरनाक योजना बना ली.

इतना ही नहीं, पिता के बाहर जाने के बाद कीर्ति और शशिकुमार ने इस योजना को साकार भी कर दिया. घटना की रात जब शशिकुमार कीर्ति रेड्डी के घर आया तो उसे देख कीर्ति की मां पल्लेरला रंजीता ने काफी डांटाफटकारा और अपने घर से धक्का मार कर बाहर निकाल दिया. उन्होंने शशिकुमार को चेतावनी भी दी कि अगर उस ने उन के घर आने और कीर्ति से मिलने की कोशिश की तो उस से बुरा कोई नहीं होगा.  घर का माहौल गरम देख कर उस समय तो वह वहां से चला गया था, लेकिन जातेजाते शशिकुमार कीर्ति को इशारोंइशारों में समझा गया. आधी रात के बाद वह लौटा तो कीर्ति की मां पल्लेरला रंजीता अपने कमरे में जा कर सोने की कोशिश कर रही थी.

आहट सुन कर रंजीता ने करवट बदली तो शशिकुमार को देख चौंक गईं. इस के पहले कि वह अपने बिस्तर से उठ पातीं, उन की बेटी कीर्ति अपने हाथों में मिर्च का पाउडर ले आई और मां की आंखों में झोंक कर उन की छाती पर सवार हो गई. इस के बाद उस ने अपनी चुन्नी मां के गले में डाल दी. तभी शशिकुमार भी वहां आ गया. दोनों ने मिल कर उन का गला घोंट दिया. मां की हत्या करते समय कीर्ति मुसकराती रही. पल्लेरला रंजीता की हत्या के बाद दोनों ने चैन की सांस ली, क्योंकि अब उन्हें रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. उन्होंने लाश चादर में लपेट कर घर के एक कोने में छिपा दी. दोनों ने पहले जम कर तनमन की प्यास बुझाई और फिर पुलिस थाने में जा कर शिकायत दर्ज करवा दी.

3 दिनों तक लाश घर में ही रही. जब उस से सड़ने की गंध फैलने लगी, तब उन्हें शव को ठिकाने लगाने की चिंता सताने लगी. सब से पहले उन्होंने आत्महत्या का रूप देने के लिए लाश के गले में रस्सी बांध कर उसे पंखे से लटकाने की कोशिश की, लेकिन तब तक लाश काफी डैमेज हो चुकी थी. इसलिए वह ऐसा नहीं कर सके. इस के बाद उन्होंने उसे बाहर ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. 22 अक्तूबर, 2019 को शशिकुमार ने रात 12 बजे के करीब अपनी कार में पल्लेरला रंजीता की लाश रखी और कीर्ति के साथ उसे रमन्नापेट के नजदीक टुम्मालागूडेम के रेलवे ट्रैक पर ले गया. वहां दोनों ने कार से उतार कर लाश ट्रैक पर डाल दी ताकि ट्रेन हादसा लगे. जिस चादर में लाश लपेटी गई थी, वह चादर और रस्सी रास्ते में फेंक दी मां का मोबाइल फोन कीर्ति ने स्विच्ड औफ कर के अपने पास रख लिया था.

हत्या जैसे जघन्य अपराध के सारे सबूत मिटाने के बाद कीर्ति ने 23 अक्तूबर, 2019 को अपनी मां रंजीता रेड्डी के मोबाइल से अपनी होने वाली ससुराल में बाला के पिता कृष्णा से बात कर कहा, ‘‘समधीजी, मैं अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए नालकोंडा अस्पताल जा रही हूं, तब तक हमारी बेटी कीर्ति आप के यहां रहे तो आप को कोई परेशानी तो नहीं होगी.’’

कृष्णा रेड्डी ने समझा कि फोन नंबर उन की समधिन पल्लेरला रंजीता का है, इसलिए उन्होंने कह दिया कि बिटिया को आप बिना किसी चिंता के यहां भेज दो. इस के बाद 24-25 अक्तूबर को कीर्ति बाला रेड्डी के यहां रही. वहां जाने से पहले उस ने अपने पड़ोसियों व नातेरिश्तेदारों में यह अफवाह फैला दी थी कि उसे विशाखापट्टनम में कुछ काम के लिए जाना पड़ रहा है. कीर्ति और उस के दोस्त शशिकुमार ने पल्लेरला रंजीता की हत्या का जो फूलप्रूफ प्लान तैयार किया था, वह पुलिस जांचपड़ताल में खुल कर सामने आ गया. उधर रमन्नापेट रेलवे स्टेशन के नजदीक शशिकुमार ने पल्लेरला रंजीता की जो लाश फेंकी थी, वह जीआरपी ने बरामद की थी. लेकिन शिनाख्त न होने के कारण लाश का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया था.

कीर्ति रेड्डी से विस्तृत पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सतीश ने 28 अक्तूबर, 2019 की सुबह कोथा शशिकुमार को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने नाबालिग उम्र में कीर्ति को गर्भवती करने वाले चिमूला बाल रेड्डी को रेप करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. तीनों अभियुक्तों से पूछताछ के बाद उन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 376 (2), 312 और 383एन के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया गया था. साथ ही पोक्सो एक्ट के अंतर्गत भी मामला दर्ज किया गया. तीनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

 

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