Social Crime :  हाफिज मुबीन ने सट्टेबाजों में झूठमूठ का जो भ्रम फैलाया था कि वह सट्टे का सटीक नंबर बता सकता है, वह उस के भांजे जीशान को बहुत भारी पड़ा. वह तो जान से गया ही…

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद से 15 किलोमीटर दूर हाइवे से सटा एक गांव है चमरौआ. यह गांव थाना मूंडापांडे के अंतर्गत आता है. इसी गांव में हाफिज मुबीन का परिवार रहता था. हाफिज मुबीन गांव की दरगाह पर बैठते थे. दरगाह पर जायरीनों का आनाजाना लगा रहता था. लोग यहां मन्नतें मांगने आते थे. इस के अलावा हाफिज मुबीन गंडाताबीज से लोगों की समस्याएं भी सुलझाते थे, जिस के लिए लोगों का उन के पास आनाजाना लगा रहता था. हाफिज मुबीन का 12 साल का भांजा उन के पास रह कर पढ़ाई कर रहा था. वह मामा के घर पिछले 2 सालों से रह रहा था. वैसे जीशान मूलरूप से सहसपुर अलीनगर, अमरोहा का निवासी था. सहसपुर अलीनगर भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का गांव है.

16 अगस्त, 2018 को जीशान मामा के घर के पास खड़ा था, तभी एक युवक मोटरसाइकिल से वहां पहुंचा. उस ने जीशान से उस के मामा हाफिज मुबीन के बारे में पूछा. जीशान ने बताया कि वह दरगाह पर बैठे हैं. इस पर युवक बोला, ‘‘मैं ने दरगाह नहीं देखी, क्या तुम वहां तक मेरे साथ चल सकते हो. मैं तुम्हें वापस यहीं छोड़ दूंगा.’’

‘‘आप 2 मिनट रुकिए, मैं घर में बता कर आता हूं.’’ कह कर 12 साल का जीशान घर में चला गया. उस वक्त घर पर उस की मामी व अन्य महिलाएं थीं. जीशान ने उन से कहा, ‘‘कंजी आंखों वाला एक आदमी मुबीन मामा को पूछ रहा है. उस के पास मोटरसाइकिल है. मैं उसे दरगाह तक छोड़ कर आता हूं.’’

महिलाओं ने सोचा कि कोई जरूरतमंद होगा, इसलिए उन्होंने जीशान से कह दिया कि उसे छोड़ कर जल्द आ जाना.

‘‘ठीक है, अभी आता हूं.’’ कह कर जीशान मोटरसाइकिल वाले के पास आ गया. वह जीशान को बाइक पर बिठा कर वहां से चल दिया. कुछ दूर आगे जा कर जीशान ने दरगाह की ओर जाने वाली सड़क की तरफ इशारा कर के कहा, ‘‘इधर मोड़ लो.’’

लेकिन बाइक  वाले ने कहा कि मेरा एक साथी दलपतपुर पुलिस चौकी के पास इंतजार कर रहा है, उसे भी साथ ले लें. युवक बाइक को दलपतपुर की तरफ ले गया. दलपतपुर पुलिस चौकी से 500 मीटर आगे उस ने अपनी बाइक रोक दी. वहां एक युवक खड़ा मिला. बाइक चलाने वाले ने उस से कहा, ‘‘हाफिज मुबीन दरगाह पर नहीं हैं. वह मुरादाबाद गए हुए हैं.’’

उस का साथी भी उसी बाइक पर बैठ गया. जीशान बीच में बैठा था. वे दोनों जीशान को ले कर मुरादाबाद की तरफ चले गए. उस समय शाम के साढ़े 4 बज रहे थे. उधर जब जीशान रात 8 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो घर में सब उस की चिंता करने लगे. उन्होंने गांव का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन जीशान का कुछ पता नहीं चल पाया. घर वाले रात भर उस का इंतजार करते रहे लेकिन वह नहीं लौटा. सभी घर वालों की आंखों से नींद गायब थी. वे लोग बैठे हुए उसी के बारे में बात कर रहे थे, तभी मुबीन के मोबाइल पर एक काल आई. फोन करने वाले ने कहा, ‘‘जीशान हमारे कब्जे में है. अगर उसे जिंदा देखना चाहते हो तो तुम्हें सट्टे का सही नंबर बताना होगा. नंबर लगते ही हम जीशान को आजाद कर देंगे. और हां, अगर पुलिस को बताया तो बहुत बुरा अंजाम होगा.’’

जीशान मामा के घर ननिहाल में रह रहा था. उस के मांबाप सहसपुर अलीनगर में रहते थे. उस के पिता इश्तेखार अहमद को इस बात की जानकारी मिली तो वह चमरौआ पहुंच गए. मामला गंभीर था, इसलिए घर के सभी लोगों ने इस की सूचना पुलिस को देने का फैसला किया. हाफिज मुबीन इश्तेखार अहमद व गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर थाना मूंडापांडे पहुंच गए. उन्होंने एसओ अजय कुमार गौतम से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम के बारे में बता दिया. लेकिन एसओ ने इस शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया. इस की जगह पीडि़त पक्ष से कह दिया कि बच्चा है, कहीं चला गया होगा, उसे ढूंढ लें.

जीशान ने अपनी मामी से जाते समय कहा था कि कंजी आंखों वाला कोई आदमी मामा को पूछ रहा है. इस से मुबीन को शक हो गया कि उस के भांजे का अपहरण मुरादाबाद के चक्कर की मिलक में रहने वाले आमिर और मुर्सलीन ने किया होगा, क्योंकि ये दोनों उस के पास सट्टे का नंबर पूछने के लिए आते थे. इन में से एक की आंखें कंजी थीं. 2 दिन बाद 18 अगस्त, 2018 को हाफिज मुबीन और उस का भाई यामीन थाने जा पहुंचे गए. उन्होंने आमिर और मुर्सलीन के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी. मुबीन ने बताया कि सट्टे का नंबर पूछने को ले कर उन लोगों से उस का कई बार झगड़ा भी हो चुका था.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद जब मामला मीडिया में उछला तो पुलिस की नींद उड़ गई. उच्चाधिकारियों के आदेश पर थाना मूंडापांडे के एसओ ने नामजद आरोपियों के घर दबिश दे कर दोनों को पूछताछ के लिए उठा लिया. थाने ला कर जब उन से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों ने खुद को निर्दोष बताया. उन्होंने कहा कि घटना वाले दिन वे दोनों अपनेअपने घरों पर थे. दोनों ने इतना जरूर बताया कि वे अकसर हाफिज मुबीन से सट्टे का नंबर पूछने जाया करते थे. पुलिस ने उन के मोहल्ले के कुछ लोगों से पूछताछ की तो उन की बात की पुष्टि हो गई. इस से पुलिस को लगा कि ये निर्दोष हैं. अत: उन्हें इस हिदायत के साथ छोड़ दिया गया कि पुलिस को बिना बताए मुरादाबाद से बाहर न जाएं और पुलिस बुलाए, थाने आ जाएं.

अब पुलिस ने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस नंबर से हाफिज मुबीन के पास काल आई थी. उस डिटेल्स से पता चला कि वह नंबर मुरादाबाद के ही चक्कर की मिलक निवासी इरफान उर्फ राजू का था. इरफान को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. इरफान ने बताया कि 18 दिन पहले उस का मोबाइल गुम हो गया था, जिस की सूचना उस ने थाना सिविललाइंस को दे दी थी. उस ने सूचना की रिसीविंग कौपी भी दिखा दी. उस ने बताया कि वह गुम हुए मोबाइल को बंद करवाना भूल गया था. पुलिस जांच जहां से शुरू हुई थी, घूमफिर कर वहीं आ कर रुक गई. आखिर मुरादाबाद के एसएसपी जे. रविंद्र गौड़ ने जीशान अपहरण कांड को सौल्व करने के लिए 2 टीमों का गठन किया.

पहली टीम का नेतृत्व सीओ (हाइवे) राजेश कुमार कर रहे थे. उन के साथ थाना मूंडापांडे के एसओ अजय कुमार थे. जबकि दूसरी टीम में सर्विलांस सेल प्रभारी राजीव कुमार थे. इस टीम का नेतृत्व सीओ सुदेश कुमार गुप्ता को सौंपा गया था. 19 अगस्त, 2018 को रविवार था. उस दिन मुरादाबाद शहर के थाना मुगलपुरा क्षेत्र में आने वाली रामगंगा नदी के किनारे एक बच्चे की सिरकटी लाश मिली. मौके पर एसपी (सिटी) अंकित मित्तल भी आ गए थे. मृत बच्चा नीले रंग की लोअर व टीशर्ट पहने हुए था. पुलिस ने आसपास के लोगों को बुला कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका.

लाश की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि बच्चे की हत्या 2-3 दिन पहले की गई थी. 20 अगस्त, 2018 को अखबारों में जब एक बच्चे की सिर कटी लाश मिलने की खबर छपी तो जीशान के पिता इश्तेखार अहमद और मामा यामीन पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए. कपड़ों और कदकाठी के आधार पर उन्होंने लाश की पहचान जीशान के रूप में की. बकरा ईद से पहले जीशान की मौत की खबर से उस की ननिहाल और पैतृक गांव सहसपुर अलीनगर में मातम सा छा गया था. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. शिनाख्त हो जाने के बाद बच्चे का सिर ढूंढना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती थी. अब तक यह मामला आईजी विनोद कुमार और एडीजी प्रेम प्रकाश के संज्ञान में आ चुका था.

बकरा ईद का त्यौहार आने वाला था. मुरादाबाद जिला वैसे भी अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है. त्यौहार पर कोई बवाल न हो जाए, इसलिए एडीजी प्रेम प्रकाश ने मुरादाबाद के एसएसपी जे. रविंद्र गौड़ को निर्देश दिए थे कि जीशान के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए. जांच में पहले से जुटी दोनों टीमों ने जांच और तेज कर दी. अपहर्त्ताओं ने जिस फोन नंबर से हाफिज मुबीन को फोन किया था, वह स्विच्ड औफ आ रहा था और उस की अंतिम लोकेशन मुरादाबाद के रामगंगा पुल, जामा मसजिद के पास की आ रही थी. पुलिस ने इस नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि इस नंबर से और भी कई जगह काल की गई थीं.

इस फोन पर आई काल वाले नंबरों की जांच के बाद पुलिस ने मुरादाबाद के जामा मसजिद, चामुंडा वाली गली में दबिश दे कर रशीद और उस के बेटे सुहैल को गिरफ्तार कर लिया. पहले तो वे खुद को निर्दोष बताते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे वे टूट गए. उन से पूछताछ के बाद उन के 2 सहयोगियों फैजान निवासी मुगलों वाली मसजिद, मुरादाबाद, फराज खान निवासी वारसी नगर (हाथी वाला मंदिर) को भी गिरफ्तार कर लिया गया. चारों अभियुक्तों ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने ही जीशान का अपहरण कर के उस का गला रेता था. उन की निशानदेही पर पुलिस ने 24 अगस्त की रात को थाना गलशहीद के कब्रिस्तान से जीशान का सिर बरामद कर लिया.

पुलिस ने जीशान के सिर का पोस्टमार्टम करवा कर उसे उस के परिवार वालों के सुपुर्द कर दिया और चारों अभियुक्तों रशीद, सुहैल, फैजान और फराज खान से पूछताछ की तो जीशान की हत्या की कहानी कुछ इस तरह पता चली—

जिला मुरादाबाद के चमरौआ गांव निवासी हाफिज मुबीन गांव की एक दरगाह पर बैठते हैं. ये चारों आरोपी पिछले 3 सालों से उन के पास सट्टे का नंबर पूछने आते रहते थे. शुरूशुरू में हाफिज मुबीन ने उन्हें सट्टे के जो नंबर बताए, वे इत्तफाक से सही निकले, जिस से इन लोगों ने अच्छा पैसा कमाया. उन पैसों में से इन्होंने हाफिज मुबीन को भी अच्छी दक्षिणा दी. इस के बाद हाफिज मुबीन इस इलाके में मशहूर हो गए. लोग कहने लगे कि हाफिज मुबीन के बताए नंबर पर ही सट्टा खुलता है. इस से मुबीन के पास दूरदूर से सट्टेबाज आने लगे. मुबीन की भी अच्छी कमाई होने लगी. आरोपियों ने बताया कि कुछ दिन तक हाफिज मुबीन द्वारा बताए गए सट्टे के नंबर सही निकले, लेकिन उस के बाद हाफिज मुबीन ने जो नंबर दिए, उन पर सट्टा नहीं खुला.

उन्होंने सट्टे से जो कुछ कमाया, वह तो गंवा ही दिया साथ ही अपनी जमापूंजी भी गंवा दी. इस के अलावा उन्होंने अपना गंवाया हुआ पैसा पाने के चक्कर में लोगों से उधार लेले कर भी सट्टे में लगा दिया. यह बात उन्होंने हाफिज मुबीन से कही तो उस ने टका सा जवाब दे दिया कि अगर मेरे बताए नंबर से आप लोग संतुष्ट नहीं हैं तो किसी दूसरे तांत्रिक को ढूंढो. विश्वास नहीं है तो मेरे पास मत आना. इस के बाद हाफिज मुबीन ने इन चारों को भाव देना बंद कर दिया था. इस की एक वजह यह भी थी कि उन के पास सट्टे का नंबर जानने के लिए लोग लग्जरी गाडि़यों से आने लगे थे, जो मोटी रकम दे कर जाते थे.

हाफिज मुबीन ने इन चारों से बात करनी भी बंद कर दी थी. जब ये लोग ज्यादा जिद करने लगे तो वह फिर आने की बात कह कर टाल देते थे. बरबाद हो चुके ये चारों लोग बहुत परेशानी में थे. आखिर चारों ने मिल कर योजना बनाई कि क्यों न हाफिज मुबीन के भांजे जीशान का अपहरण कर लिया जाए. जीशान भी खाली समय में मामा के साथ दरगाह पर बैठता था. फिरौती के बदले उस से सट्टे का नंबर मालूम करेंगे. भांजे की वजह से हाफिज सट्टे का सही नंबर बता देगा. योजना के अनुसार, रशीद का बेटा मोहम्मद सुहैल, फराज के साथ 16 अगस्त, 2018 को अपनी बाइक से हाफिज मुबीन के गांव चमरौआ पहुंचा. योजना के अनुसार, फराज चमरौआ से पहले दलपतपुर पुलिस चौकी के पास बाइक से उतर गया था.

दिन के करीब सवा 4 बजे अभियुक्त सुहैल बाइक से चमरौआ गांव पहुंचा. उस समय हाफिज मुबीन दरगाह पर नहीं था. सुहैल ने हाफिज मुबीन के बारे में पता किया तो लोगों ने बताया कि वह किसी काम से मुरादाबाद गए हैं. उस के बाद सुहैल हाफिज मुबीन के घर पहुंचा. घर के बाहर जीशान मिला. सुहैल ने जीशान से पूछा कि हाफिज जी हैं तो जीशान ने बताया कि वह दरगाह पर गए हुए हैं. सुहैल ने जीशान से कहा कि मुझे दरगाह तक छोड़ दो, मैं ने दरगाह नहीं देखी. मैं फिर तुम्हें यहीं छोड़ जाऊंगा. जीशान घर पर मौजूद महिलाओं से पूछ कर उस की बाइक पर बैठ कर चला गया. सुहैल को दरगाह जाना ही नहीं था. उस ने अपने साथियों के साथ पहले से जो योजना बना रखी थी, उस योजना को अंजाम देना था, इसलिए दरगाह के बजाए सुहैल किसी बहाने से हाइवे की तरफ मुड़ कर दलपतपुर की तरफ ले गया. क्योंकि वहां पहले से ही उस का साथी फराज उस का इंतजार कर रहा था.

वह जीशान को फराज के पास ले गया. फराज ने जीशान से कहा कि हाफिज जी चंदर के ढाबे पर हैं, तो वहीं बुला रहे हैं. चंदर का ढाबा भी वहां से करीब एक किलोमीटर दूर था. इलाके में वह ढाबा मशहूर था, जीशान भी कई बार वहां जा चुका था. सुहैल बाइक चला रहा था. बीच में जीशान बैठा था, उस के पीछे फराज बैठा था. वे बाइक को मुरादाबाद की तरफ ले गए. जब चंदर का ढाबा निकला तो जीशान ने कहा कि ढाबा तो पीछे छूट गया. उसी समय फराज ने जानवर काटने वाली छुरी निकाल कर जीशान को दिखाते हुए कहा कि चुपचाप बैठा रह, नहीं तो एक ही बार में गरदन अलग हो जाएगी. तू हमारे साथ चल. हमें तेरे मामू से सट्टे का नंबर पूछना है. उस के बाद तुझे छोड़ देंगे.

सुहैल और फराज जीशान को रामपुर तिराहे से हो कर रामगंगा नदी पुल पार कर के जामा मसजिद के पास बरबलान चामुंडा वाली गली में ले गए. वहीं पर सुहैल का घर था. जीशान के हाथपैर बांध कर सुहैल के घर में डाल दिया गया. 16 अगस्त, 2018 की रात 9 बजे सुहैल के पिता रशीद ने हाफिज मुबीन को फोन कर के बताया कि तेरा भांजा जीशान हमारे पास है. तू पैसे वाले और लोगों को सट्टे का ठीक नंबर बताता है और हमें गलत नंबर बता कर तूने हमें बरबाद कर दिया है. अगर अपने भांजे को सहीसलामत देखना चाहता है, तो सट्टे का सटीक नंबर बता दे. हम इंतजार कर रहे हैं.

फोन आने के बाद हाफिज मुबीन व उन का परिवार सकते में आ गया. हाफिज मुबीन ने फोन करने वालों को समझाया कि अब मैं सट्टे का नंबर नहीं दे सकता क्योंकि मैं दरगाह से घर आ गया हूं. कल बता दूंगा. जीशान के अपहरण की बात सुन कर मुबीन के परिवार में रोनाधोना शुरू हो गया. पूरे गांव में जीशान के अपहरण की खबर फैल चुकी थी. उधर अपहर्त्ताओं के चंगुल में फंसे जीशान का बुरा हाल था. वह कह रहा था कि अगर आप ने मेरे मामा से सट्टे का नंबर पूछ लिया हो तो मुझे गांव छोड़ दो. अपहर्त्ताओं ने उसे बताया कि अभी तेरे मामा ने सट्टे का नंबर नहीं बताया है. जीशान का धैर्य जवाब दे रहा था. उस ने रशीद से कहा कि अंकल मैं आप को पहचानता हूं, आप कई बार दरगाह पर सट्टे का नंबर लेने आते रहे हैं. मैं ने आप का क्या बिगाड़ा है? मैं आप के बारे में हाफिज जी को बता दूंगा कि आप मुझे पकड़ कर ले यहां आए हैं.

इस के बाद उन चारों ने आपस में सलाह किया कि अगर जीशान ने मुंह खोल दिया तो सभी सलाखों के पीछे होंगे. उसी समय उन्होंने फैसला कर लिया कि इस का काम तमाम कर देना चाहिए. फिर 16 अगस्त की रात करीब 10 बजे रशीद घर में रखी मांस काटने वाली छुरी ले आया. उस के आते ही सुहैल, फराज और फैजान ने जीशान के हाथपैर, बाल पकड़े और रशीद ने छुरे से उस का गला रेत दिया. रशीद जीशान के गले पर तब तक छुरी चलाता रहा, जब तक सिर शरीर से अलग नहीं हो गया था. फिर चारों जीशान का धड़ बोरे में रख कर पास बह रही रामगंगा नदी के किनारे डाल आए. उस के बाद सुहैल ने हाफिज मुबीन को फिर फोन किया और सट्टे का सही नंबर मांगा.

19 अगस्त, 2018 को थाना मुगलपुरा की पुलिस ने रामगंगा नदी के किनारे एक बोरे में सिरकटी लाश बरामद की, जिस की उस दिन शिनाख्त नहीं हो सकी. पुलिस ने अभियुक्तों के पास से जीशान के जूते, घड़ी, वारदात में इस्तेमाल की गई छुरी और बाइक बरामद कर ली. चारों मुलजिमों को 26 अगस्त, 2018 को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

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