Social Crime : अनूपसिंह अमीर आदमी था, शायद इसलिए उस ने ख्वाब भी अमीरी का देखा. लेकिन वह यह बात भूल गया कि स्वप्निल रश्मियां जिन अंधेरों में ख्वाब बुनती हैं उन का कोई अस्तित्व नहीं होता, क्योंकि उजाले से वह…

5 दिसंबर, 2019 की सुबह करीब 10 बजे की बात है. पंजाब के तरनतारन जिले के थाना हरिके के प्रभारी इंसपेक्टर जरनैल सिंह को फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति से सूचना मिली कि हरिके से पट्टी जाने वाली रोड के किनारे एक लाश पड़ी है, जिस का चेहरा जला हुआ है. लाश के पास कुछ डाक्युमेंट्स पड़े हैं और एक कार भी खड़ी है. यह खबर सुनते ही थानाप्रभारी उसी समय कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. इंसपेक्टर जरनैल सिंह पुलिस टीम के साथ आधे घंटे में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने जब मृतक की लाश का मुआयना किया तो वह इतनी ज्यादा जली हुई थी कि उसे पहचानना संभव नहीं था. मृतक का गला भी कटा हुआ था. पेट पर भी कई घाव थे.

लाश के पास ही एक आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड और फोटो पड़े थे. वहां पड़े डाक्युमेंट पर अनूप सिंह पुत्र तरलोक सिंह, निवासी वाहेगुरु सिटी, चभाल रोड, अमृतसर लिखा था. लाश के पास ही पीबी02सी एल9351 नंबर की शेवरले कार खड़ी थी. कार का ड्राइवर के साइड वाला दरवाजा खुला था. इस आधार पर इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने अनुमान लगाया कि कार शायद मृतक की होगी. या फिर हत्यारों ने इसी कार में हत्या कर के लाश यहां ला कर डाली होगी और उस की पहचान छिपाने के लिए चेहरा जला दिया होगा. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने इस घटना की सूचना एसएसपी धु्रव दहिया, एसपी जगजीत सिंह वालिया और डीएसपी कंवलजीत सिंह को भी दे दी. कुछ ही देर में वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया.

पुलिस अधिकारियों ने सड़क के किनारे खड़ी कार की जांच की. कार के भीतर से मिट्टी के तेल की एक खाली बोतल मिली. जांच के दौरान कार की पिछली सीट पर खून के सूखे धब्बे मिले. इस का मतलब हत्यारों ने इसी कार में पहले अनूप की गला रेत कर हत्या की और फिर पहचान छिपाने के लिए लाश पर मिट्टी का तेल छिड़क कर उसे आग के हवाले कर दिया. घटनास्थल से मिले तमाम दस्तावेजों में एक मोबाइल नंबर भी बरामद हुआ था. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने जब उस नंबर पर फोन किया तो किसी करनदीप सिंह ने काल रिसीव की. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने करनदीप सिंह से पूछा, ‘‘क्या आप वाहेगुरु सिटी के रहने वाले किसी अनूप सिंह को जानते हैं?’’

‘‘हां सर, जानता हूं,’’ करनदीप सिंह बोला, ‘‘वह मेरे बड़े भाई हैं. लेकिन बात क्या है सर, आप उन के बारे में क्यों पूछ रहे हैं?’’

‘‘दरअसल, तरनतारन जिले की हरिके पट्टी रोड पर एक जली हुई लाश मिली है. लाश के पास से तमाम दस्तावेज भी मिले हैं. उन्हीं दस्तावेजों में यह नंबर मिला है. आप यहां आ कर लाश देख लीजिए कि कहीं वह लाश अनूप की तो नहीं है.’’

‘‘ठीक है सर, मैं अभी पापा को ले कर वहां पहुंचता हूं.’’ कह कर करनदीप सिंह ने काल डिसकनेक्ट कर दी. करनदीप सिंह ने जब यह बात अपने परिवार में बताई तो घर में रोना शुरू हो गया. क्योंकि अनूप एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को कार ले कर घर से निकला था और अभी तक घर नहीं लौटा था. रोतेरोते घर वालों का बुरा हाल हो गया था, क्योंकि नए साल 2020 के फरवरी महीने में अनूप की शादी होनी थी. रहस्य की पर्त से हटी धुंध हरिके अमृतसर से करीब 80-90 किलोमीटर दूर है. इसलिए तरलोक सिंह छोटे बेटे करनदीप सिंह को साथ ले कर तरनतारन के लिए रवाना हो गए और डेढ़ घंटे में घटनास्थल पर जा पहुंचे. एसएसपी धु्रव दहिया को छोड़ कर सभी आला अफसर मौके पर मौजूद थे. करनदीप सिंह ने वहां पड़ी लाश बड़े गौर से देखी लेकिन वह उसे नहीं पहचान सका.

लाश के पास से जो दस्तावेज मिले थे, वे उन्होंने अपने भाई अनूप के बताए. वहां खड़ी शेवरले कार भी उस ने पहचान ली, कार उस के बड़े भाई अनूप की ही थी. कार और दस्तावेजों की पहचान के बाद पुलिस ने अनुमान लगाया कि लाश अनूप सिंह की ही होगी. करनदीप सिंह ने इन सबूतों के आधार पर लाश की पहचान अपने भाई अनूप सिंह के रूप में कर दी. पुलिस ने जब तरलोक सिंह से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि उन का 27 वर्षीय बेटा अनूप कल रात करीब साढ़े 11 बजे इसी कार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ था. उस ने कहा था कि वह किसी पार्टी से मिलने जा रहा है. उस के साथ नौकर काका उर्फ करन भी था. हम सब हैरान हैं कि उस की कार यहां कैसे पहुंच गई.

यह कह कर पितापुत्र दोनों रोने लगे. पुलिस ने किसी तरह दोनों को सांत्वना दे कर चुप कराया और कागजी काररवाई पूरी कर ली. काररवाई के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने तरलोक सिंह की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मामला दर्ज कर के जांच शुरू कर दी. अगले दिन यानी 6 दिसंबर को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट पढ़ कर इंसपेक्टर जरनैल सिंह हैरान रह गए. रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक का किसी तेजधार हथियार से गला रेता गया था, जिस से उस की मौत हुई. मृतक के पेट पर भी कई घाव मिले.

डाक्टरों ने मृतक की उम्र करीब 20 वर्ष बताई थी, जबकि उस के घर वालों ने अनूप की उम्र 25 साल बताई थी. इस बात से इंसपेक्टर सिंह हैरान थे. पोस्टमार्टम के बाद लाश पुलिस ने पिता तरलोक सिंह को सौंप दी. मृतक की आयु में अंतर और उस के घर वालों के हावभाव देख कर इंसपेक्टर जरनैल सिंह को थोड़ा अजीब लग रहा था. जिस घर में जवान बेटे की खौफनाक तरीके से मौत हुई हो, वह भी तब जब घर में उस की शादी की तैयारियां चल रही हों, तो उस परिवार पर वज्रपात जैसा माहौल होना चाहिए. लेकिन तरलोक सिंह के परिवार में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा था. खटकने वाली यह बात जरनैल सिंह ने एसएसपी धु्रव दहिया और एसपी जगजीत सिंह को बताई. इस पर वरिष्ठ अधिकारियों ने इंसपेक्टर जरनैल सिंह को कुछ दिशानिर्देश दिए. उन्हीं दिशानिर्देशों के आधार पर इंसपेक्टर सिंह ने जांच की दिशा बदल दी.

दरअसल, अनूप कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. वह अमृतसर का नामचीन कोल्डड्रिंक व्यवसायी था, करोड़ों के बिजनैस का मालिक. परेशान करने वाला बड़ा सवाल यह था कि कोई उस की हत्या क्यों करेगा?

हत्या से अथवा बाद में किसी बदमाश की ओर से फिरौती की डिमांड भी नहीं की गई थी, जिस से यह साबित होता कि बदमाशों ने फिरौती के लिए अनूप का अपहरण कर के हत्या कर दी होगी. इस से भी बड़ी बात यह थी कि अनूप के साथ उस का पुराना नौकर काका उर्फ करन भी गया था. उस का कहीं पता नहीं था. उस का मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था. इन तमाम सवालों को ले कर इंसपेक्टर सिंह परेशान थे और गुत्थियां सुलझाने में लगे थे. इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने अनूप के छोटे भाई करनदीप सिंह को टारगेट कर लिया. बातचीत के आधार पर उन्हें ऐसा लग रहा था कि अनूप की मौत के पीछे का राज करनदीप जानता है. उन्होंने करनदीप सिंह को थाने ला कर उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ शुरू की.

खुलने लगा रहस्य करनदीप उन के सवालों के आगे ज्यादा देर नहीं टिक सका. उस ने इंसपेक्टर सिंह के सामने घुटने टेक दिए और रोते हुए पांव पकड़ कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘मुझे माफ कर दो साहब, रब दी सौं, मैं और झूठ नहीं बोल सकता. जली हुई लाश मेरे भाई की नहीं बल्कि वह एक भिखारी की थी.’’

करनदीप के मुख से हैरान कर देने वाला सच सुन कर इंसपेक्टर सिंह अचंभित रह गए. उन्होंने चौंकने वाले अंदाज में करनदीप से सवाल किया, ‘‘लाश अनूप की नहीं, एक भिखारी की है, तो अनूप कहां है?’’

‘‘अनूप जिंदा है सर,’’ फिर उस ने पूरी घटना विस्तार से बता दी. अनूप के जिंदा होने की बात सुन कर इंसपेक्टर सिंह जल्द से जल्द उसे सब के सामने सहीसलामत पेश करने के लिए उतावले हो गए. क्योंकि पिछले 2 दिनों से मीडिया ने अखबारों में व्यापारी अनूप सिंह की हत्या की खबर छापछाप कर पुलिस की नाक में दम कर दिया था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर तरहतरह के सवाल उठा कर उन का काम करना तक दूभर कर रखा था. खैर, इंसपेक्टर जरनैल सिंह ने करनदीप सिंह को हिरासत में ले लिया. उन्होंने अनूप का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया. सर्विलांस के जरिए अनूप की लोकेशन टोहाना, जिला फतेहाबाद, हरियाणा में मिली. इंसपेक्टर सिंह पुलिस टीम और करनदीप को साथ ले कर फतेहाबाद पहुंच गए.

जरनैल सिंह ने अपनी सूझबूझ और दिनरात की मेहनत की बदौलत अनूप सिंह और उस के नौकर काका उर्फ करन को गिरफ्तार कर लिया. यह बात 6 दिसंबर, 2019 की रात की है. इंसपेक्टर जरनैल सिंह दोनों को गिरफ्तार कर के फतेहाबाद से तरनतारन ले आए. अनूप और नौकर काका को सहीसलामत गिरफ्तार करने की जानकारी उन्होंने एसएसपी धु्रव दहिया और एसपी जगजीत सिंह वालिया को दे दी. आरोपियों को गिरफ्तार किए जाने की जानकारी मिलते ही एसपी जगजीत सिंह वालिया हरिके थाना पहुंच गए. उन्होंने तीनों आरोपियों अनूप सिंह, करनदीप सिंह और काका उर्फ करन से अलगअलग पूछताछ की. पूछताछ में अनूप ने जो चौंकाने वाली जानकारी दी, उसे सुन कर एसपी वालिया भी हैरत में रह गए.

7 दिसंबर, 2019 को एसपी जगजीत सिंह वालिया ने थाना परिसर में पत्रकारवार्ता का आयोजन कर जब अनूप सिंह और उस के नौकर को पत्रकारों के सामने पेश किया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए. खुद की हत्या की साजिश रचने वाले व्यापारी अनूप से जब पत्रकारों ने झूठी कहानी रचने के बारे में पूछा तो उस ने चौंकाने वाला ऐसा सच बताया, जिसे सुन कर सभी का कलेजा दहल गया था. 27 वर्षीय अनूप सिंह अमृतसर के झब्बाल रोड पर स्थित वाहेगुरु सिटी कालोनी का मूल निवासी है. उस के पिता का नाम तरलोक सिंह है. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ा है. उस से छोटी बहन और एक भाई करनदीप सिंह है. तरलोक सिंह वाहेगुरु सिटी कालोनी के सब से अमीर व्यक्ति हैं. उन के बड़े बेटे अनूप सिंह की शहर के शक्तिनगर में कोल्डड्रिंक्स एजेंसी है, जिस का गोदाम अन्नगढ़ में है.

यह बिजनैस अनूप सिंह का है, जिसे पिता तरलोक सिंह और छोटा भाई करनदीप सिंह संभालते थे. सालों की कड़ी मेहनत और लगन के बाद कोल्डड्रिंक्स के बिजनैस से अनूप ने इतना कमा लिया था कि उस के पास जरूरत की सभी भौतिक वस्तुओं के साथसाथ आलीशान कोठी थी. वह शेवरले कार से चलता था. पापा और छोटे भाई के लिए उस ने दूसरी कारें दे रखी थीं. घर में कई नौकरचाकर थे. अनूप का रहनसहन किसी राजामहाराजा से कम नहीं था. अच्छे से अच्छा खाना, ब्रांडेड कपड़े पहनना, लग्जरी कार और स्पोर्ट्स बाइक चलाना उस के शगल थे. बिजनैस की आय से उस ने अपने लिए 6 करोड़ रुपए की जीवनबीमा पौलिसी ले रखी थी. इस के अलावा उस ने लगभग 75 लाख रुपए के कर्ज का भी बीमा कराया हुआ था. यह कर्ज उस की मौत के बाद ही माफ हो सकता था.

जितना बड़ा आदमी उतना ही मोटा लालच अनूप अपने व्यापारी दोस्तों से तकरीबन एक करोड़ रुपए का कर्ज ले चुका था. कर्ज की रकम लौटाने को ले कर वह काफी परेशान था. लेनदारों के तकाजे दिनबदिन बढ़ते जा रहे थे. इस से अनूप बुरी तरह परेशान था. भारीभरकम कर्ज से निजात पाने का उसे कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था. 19 जनवरी, 2020 को बहन की शादी और 14 फरवरी, 2020 को खुद अनूप की शादी की तारीखें निश्चित हो गई थीं. दोनों की शादियों में लाखों रुपए खर्च होने थे. रुपयों के इंतजाम को ले कर अनूप और उस के पिता तरलोक सिंह परेशान थे. अनूप दिनरात यही सोचता रहता था कि जल्द से जल्द कैसे इन कर्जों से मुक्ति पाए.

इन्हीं परेशानियों के चलते अनूप के दिमाग में एक खौफनाक विचार आया. यह खौफनाक विचार था खुद की फरजी मौत का नाटक करने का. यह विचार आते ही अनूप का चेहरा खिल उठा और वह खुद को तनावमुक्त महसूस करने लगा. अनूप ने जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपयों को ले कर योजना बनाई. वह जानता था कि उस के मरते ही लिया गया कर्ज पूरी तरह माफ हो सकता है और जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपए भी मिल सकते हैं. बीमे की उस बडी़ रकम से वह अपनी पहचान बदल कर कहीं और जा कर ठाठ से रह सकता था. अनूप ने इस खतरनाक योजना को अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी. वह जानता था कि यह काम उस के अकेले के वश का नहीं है, इसलिए उस ने इस योजना में अपने छोटे भाई करनदीप और सब से पुराने और वफादार नौकर काका उर्फ करन को शामिल कर लिया.

अनूप ने योजना इतनी फूलप्रूफ बनाई थी कि इस की भनक उस के मांबाप या दादी और बहन तक को नहीं लग पाई. यह दिसंबर 2019 के पहले सप्ताह की बात है. योजना के अनुसार, अनूप को अपनी कदकाठी से मेल खाते एक ऐसे इंसान की जरूरत थी जो अकेला हो, जिस की मौत के बाद आगेपीछे रोने वाला कोई न हो. उस ने किसी ऐसे व्यक्ति की जोरशोर से तलाश शुरू कर दी. आखिरकार उस की तलाश तरनतारन जिले में जा कर पूरी हुई. उस ने बलि का बकरा बनाने के लिए वहां के एक भिखारी को चुना, जो सड़कों पर भीख मांग कर अपना पेट भरता था. इत्तफाक से उस की कदकाठी और शरीर की लंबाई अनूप जैसी थी.

अनूप की खोज पूरी हो चुकी थी. वह योजना को जल्द से जल्द पूरी कर लेना चाहता था. 25 दिसंबर, 2019 की रात साढ़े 11 बजे अनूप अपनी शेवरले कार पीबी02सी एल9351 ले कर दिल्ली के लिए रवाना हुआ. उस ने मांबाप से झूठ बोलते हुए कहा कि वह एक पार्टी से मिलने दिल्ली जा रहा है. घर से निकलने से पहले अनूप ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, रस्सी, उस्तरा, दरांती, कुल्हाड़ी, अंगरेजी शराब की बोतल, प्लास्टिक के गिलास और एक लीटर वाली प्लास्टिक की बोतल में मिट्टी का तेल भर कर कार में पिछली सीट के नीचे छिपा दिया था. अनूप जब भी दिल्ली जाता था, अकेला ही जाता था. लेकिन इस बार उस ने नौकर करन को साथ ले लिया था. यह देख कर पिता तरलोक सिंह को कुछ अजीब लगा, लेकिन वह कुछ सोच कर चुप रह गए थे.

कार खुद अनूप चला रहा था. कार ले कर अनूप जब घर से निकला तो उस के पीछे करनदीप भी अपनी कार ले कर चल दिया. करनदीप ने पापा से कहा था कि भाई को कुछ दूर छोड़ कर लौट आऊंगा. बेटे की बात सुन कर तरलोक सिंह कुछ नहीं बोले और मुसकरा कर मुख्य गेट बंद कर के अंदर कमरे में आ गए थे. अनूप योजना के मुताबिक चल रहा था. वह दिल्ली जाने के बजाए तरनतारन की ओर निकला. रात करीब 12 बजे के आसपास वह तरनतारन के हरिके इलाके में पहुंचा तो ठंड से सिकुड़ा एक भिखारी सड़क के बाईं ओर बैठा मिल गया. यह वही भिखारी था जिसे अनूप ने कुछ दिनों पहले तलाश किया था.

उसे देखते ही अनूप ने कार रोक दी. करनदीप ने भी उसी के पीछे अपनी कार लगा दी और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया. और भाई के पास जा पहुंचा. भिखारी को अनूप ने भावनात्मक प्रलोभन दे कर अपनी कार में बैठा लिया. नौकर करन ने प्लास्टिक के 4 गिलासों में अंगरेजी शराब उड़ेल कर सभी को बांट दी. अंगरेजी शराब देख कर भिखारी के मुंह से लार टपकने लगी. उसे क्या पता था कि यही शराब उस की जिंदगी का आखिरी जाम साबित होगी. शराब पिलाने वाला कोई दानीदाता नहीं, बल्कि साक्षात यमराज है.

थोड़ी देर बाद जब भिखारी के सिर पर शराब का नशा सवार हुआ तो उस ने अपना रंग दिखाया. तभी अनूप ने सीट के नीचे से उस्तरा निकाल कर उस के गले पर चला दिया. उस समय करन और करनदीप सिंह भिखारी को हाथों से दबोचे हुए थे. अचानक हमले से भिखारी डर गया और उन की पकड़ से छूटने के लिए संघर्ष करने लगा. अनूप ने देखा कि मामला बिगड़ रहा है तो उस ने दरांती निकाली और उस के पेट में कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. तीनों ने उसे हिलाडुला कर देखा, वह मर चुका था. उस के बाद उन तीनों ने उसे कार से बाहर निकाला. अनूप के कहने पर नौकर करन ने मिट्टी का तेल उस के ऊपर उड़ेल दिया और आग लगा दी.

भिखारी की लाश को अनूप की लाश साबित करने के लिए कार के पास नीचे सड़क पर अनूप ने अपना आधार कार्ड, पैन कार्ड और एटीएम कार्ड डाल दिए ताकि आसानी से यह साबित हो सके कि मरने वाला अमृतसर का व्यापारी अनूप सिंह है. यह साबित होेते ही जीवन बीमा के 6 करोड़ रुपए उस के घर वालों को मिल जाते. अपनी शेवरले कार भी लाश के पास खड़ी कर के तीनों करनरदीप की कार से भाग निकले. खुद की फरजी मौत की मसालेदार कहानी गढ़ कर नौकर काका उर्फ करन को साथ ले कर अनूप हरियाणा के फतेहाबाद के टोहाना स्थित अपने एक दोस्त के घर पहुंच गया. उस ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था. साथ ही उस ने अपने बाल और दाढ़ी कटवा दी थी ताकि कोई उसे आसानी से न पहचान सके.

उधर करनदीप जब देर रात घर पहुंचा तो दरवाजा पिता तरलोक सिंह ने खोला. उस के चेहरे की रंगत उड़ी देख उन्होंने पूछा तो करनदीप बात टाल गया. तरलोक सिंह ने भी बेटे की बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. उन्हें क्या पता था कि 6 करोड़ रुपए के लालच में पड़ कर उन के बेटे किसी बड़ी साजिश को अं%E

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