Family Crime : नाविया अपने शौहर जमील को बहुत प्यार करती थी. लेकिन जब 3 साल बाद उस की महबूबा समीरा दुबई से लौट आई तो उस का पुराना प्यार जाग उठा. समीरा को बीवी बनाने के लिए उस ने नाविया को रास्ते से हटाने का कुचक्र रचा, लेकिन नाविया नहले पर दहला साबित हुई. आइए, जानें कैसे…
शाम के 6 बज रहे थे. अक्तूबर का महीना था. नाविया ने अपना सूटकेस बंद करते हुए सोचा कि कहीं कोई जरूरी चीज छूट तो नहीं गई. अपने भाई की शादी में वह ट्रेन से मायके के लिए रवाना हो रही थी. उस के शौहर जमील ने उस का टिकट बुक करा दिया था. जमील और नाविया की शादी को एक साल हो गया था. अभी तक उन की कोई औलाद नहीं थी. नाविया जमील का बहुत खयाल रखती थी. इस से पहले जमील और समीरा 3 साल तक अच्छे दोस्त रहे थे. दोस्ती मोहब्बत में बदल गई. दोनों ने शादी का फैसला भी कर लिया था. तभी अचानक तीसरे साल समीरा अपने बाप के साथ दुबई चली गई. कुछ अरसे तक दोनों का ताल्लुक फोन के जरिए बहाल रहा, फिर उस के बाद यह सिलसिला भी खत्म हो गया.
इसी दौरान जमील के वालिदैन ने उस की शादी नाविया से तय कर दी. जमील कुछ नहीं बोल सका. फिर जमील को यह मालूम भी नहीं था कि समीरा दुबई से आएगी भी या नहीं. समीरा का भाई भी बहुत सख्त था. वह चाहता था कि समीरा की शादी उस के दोस्त के साथ हो जाए. उस ने समीरा पर कड़ा पहरा लगा दिया था. उस के बाद जमील की जिंदगी में नाविया आ गई. नाविया अमीर मांबाप की एकलौती बेटी थी. जमील के इनकार न करने की एक वजह यह भी थी कि नाविया के वालिद जमील को अपनी बेटी के लिए एक खूबसूरत बंगला दे रहे थे. जमील को सलामी में एक महंगी कार मिलने वाली थी. इसी लालच में जमील ने नाविया से शादी कर ली और उन का एक साल खुशीखुशी गुजर गया. तभी अचानक समीरा दुबई से वापस आ गई थी. आते ही वह सब से पहले जमील से मिली. जब उसे मालूम हुआ कि जमील ने शादी कर ली है तो वह फूटफूट कर रोई.
समीरा को देख कर जमील के दिल में भी पुरानी मोहब्बत जाग उठी, पर वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसी हालत में वह क्या करे. एक दिन जमील अपने औफिस में बैठा काम कर रहा था कि अचानक समीरा वहां आ गई. अचानक उसे आया देख जमील चौंका. बात करने के लिए वह उसे औफिस से बाहर ले आया. समीरा ने कहा, ‘‘जमील, मेरे भाई ने मुझ से मोबाइल छीन लिया था, इसलिए मैं तुम से ताल्लुक न रख सकी. खैर, जो भी हुआ भूल जाओ. अब मैं ने फैसला कर लिया है कि हम दोनों शादी करेंगे.’’
जमील समीरा को खोना नहीं चाहता था. पुरानी मोहब्बत जोर पकड़ रही थी. उस ने कहा, ‘‘मुझे मंजूर है. मैं भी अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करूंगा, यह मेरा वादा है.’’
‘‘हां, ठीक है. हम शादी को गुप्त रखेंगे. फिर बाद में तुम अपनी बीवी को बता देना. मैं भी अपने पैरेंट्स को बता दूंगी. मेरा भाई इस समय दुबई में ही है, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है.’’ समीरा बोली.
‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं. 17 तारीख को 7 बजे मेरी बीवी अपने भाई की शादी में मायके जा रही है. मेरा भी उस के साथ जाने का प्रोग्राम था. लेकिन कोई बहाना बना कर मैं उसे अकेले ही रवाना कर दूंगा. उसी दिन हम निकाह कर लेंगे.’’
‘‘जमील, तुम अपनी बात से मुकर तो नहीं जाओगे? 17 तारीख को निकाह पक्का है.’’ समीरा ने पूछा.
‘‘हां, उसी रात हम निकाह कर लेंगे.’’ जमील ने विश्वास दिलाया.
फिर दोनों ने बैठ कर 17 तारीख को निकाह का प्रोग्राम तय कर लिया. जमील ने पत्नी को ट्रेन का टिकट देते हुए बहाना बनाया, ‘‘नाविया, औफिस में जरूरी मीटिंग है. मैं कल तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगा. और अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ अभी चला चलता हूं. लेकिन इस से नुकसान बहुत हो जाएगा.’’
नाविया नहीं चाहती थी कि पति का कोई नुकसान हो, इसलिए वह बोली, ‘‘नहींनहीं, आप मीटिंग अटेंड कर के आइएगा. पर टाइम से आ जाना. मैं आप का इंतजार करूंगी.’’
इस के बाद दोनों घर से स्टेशन के लिए रवाना हो गए. जमील के दिल में लड्डू फूट रहे थे. स्टेशन पहुंच कर नाविया वहां खड़ी ट्रेन में अपनी सीट पर जा कर बैठ गई. ट्रेन चलने में 20 मिनट बाकी थे. जमील उस के सामने बैठा. प्यारमोहब्बत की बातें कर रहा था. अचानक उस के फोन की घंटी बजी. उस ने देखा, समीरा का फोन था. फोन को कान से लगा कर वह ट्रेन से उतर गया. डिब्बे से जरा हटा कर वह दूसरी तरफ मुंह कर के समीरा से बातें करने लगा.
‘‘तुम्हारी बीवी चली गई?’’ समीरा ने पूछा.
‘‘ट्रेन में बैठी है. अभी ट्रेन चलने में कुछ टाइम है.’’ जमील ने कहा.
‘‘मेरे भाई दुबई तो चले गए हैं लेकिन भाभी को मेरे पीछे लगा कर गए हैं. भाभी की निगाहें पूरे वक्त मुझ पर ही जमी रहती हैं. तुम बताओ, तुम्हारी बीवी को कोई शकवक तो नहीं हुआ?’’ समीरा ने पूछा.
‘‘नहीं, बेकार का वहम कर रही हो तुम. वह आराम से ट्रेन में बैठी है.’’
तभी अचानक ट्रेन ने सीटी बजाई. जमील ट्रेन की तरफ घूमा. लेकिन अपनी सीट पर नाविया मौजूद नहीं थी. जमील परेशान हो गया. उसी वक्त नाविया आ कर सीट पर बैठ गई. जमील डिब्बे में सवार हुआ और उस के पास जा कर पूछा, ‘‘तुम कहां चली गई थी?’’
‘‘मैं टायलेट तक गई थी.’’
ट्रेन ने दूसरी सीटी दी तो जमील ट्रेन से उतरते हुए बोला, ‘‘नाविया, अपना खयाल रखना और घर पहुंचते ही फोन कर देना.’’
ट्रेन ने रेंगना शुरू किया. जमील स्टेशन से बाहर की तरफ लपका. कार की ड्राइविंग सीट संभालते ही उस ने समीरा को फोन कर कहा, ‘‘वह चली गई है. अब मैं तुम्हारी तरफ आ रहा हूं.’’
‘‘हां, तुम आ जाओ. घर के पास वाले पार्क में मेरा इंतजार करना. भाभी की नजर बचा कर मैं भी जल्द पहुंच जाऊंगी.’’ समीरा ने कहा. जमील पार्क में पहुंच गया. वहीं से उस ने समीरा को खबर दे दी. इस पर समीरा बोली, ‘‘अभी भाभी मेरे पास ही बैठी हैं. मुझे आने में कुछ देर लगेगी. मैं तुम्हें फोन करने बालकनी में आई हूं. थोड़ा इंतजार करो.’’
10 मिनट बाद फिर समीरा का मैसेज आया, ‘‘भाभी अभी भी बैठी हैं. ऐसा करो, तुम गाड़ी में बैठो मैं भी निकलती हूं.’’
जमील मैसेज पढ़ रहा था तभी अचानक उस की पीठ पर किसी ने हाथ रखा. अंधेरे में जमील पहचान नहीं सका कि कौन है. वह घबरा गया. उस ने सोचा, शायद कोई लुटेरा है. इसलिए जमील ने जोर से एक हाथ उस पर जमा दिया, जिस से वह शख्स दीवार से टकरा कर झाडि़यों में गिर गया. जमील बिना पीछे मुड़े तेजी से भागा और कार अंधेरे से निकाल कर रोशनी में खड़ी कर दी. जमील के हाथ में कीमती मोबाइल फोन था. उस ने शुक्र अदा किया कि वह लुटने से बच गया. वह कार में बैठा था. दूसरी तरफ कोई नहीं आया, इस का मतलब था कि वह जो कोई भी था, उस जगह से उठ कर भाग खड़ा हुआ था. पर उस जगह खड़े रहना जमील की मजबूरी थी क्योंकि वह समीरा का इंतजार कर रहा था. उस की आंखें बेचैनी से चारों तरफ घूम रही थीं.
जमील को बैठेबैठे करीब एक घंटा गुजर गया. इस बीच समीरा के फोन आते रहे कि वह आ रही है. जमील की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. अचानक फोन बज उठा. नाविया के भाई जफर का फोन था. वह परेशानी में बोला, ‘‘जमील भाई, ट्रेन आ गई है लेकिन नाविया ट्रेन से नहीं उतरी. मैं ने पूरी ट्रेन छान मारी. अभी तक स्टेशन पर उसे ही तलाश रहा हूं.’’
‘‘मैं ने खुद उसे ट्रेन में चढ़ाया था. कहां चली गई? यह तो परेशानी की बात है.’’ जमील ने कहा.
‘‘पर नाविया तो यहां नहीं पहुंची. हम सब बहुत परेशान हैं.’’ वह बोला.
‘‘आप ने उसे फोन किया?’’ जमील ने पूछा.
‘‘हां, कई बार किया. उस का फोन बंद आ रहा है.’’
‘‘आप उसे देखें. मैं भी रेलवे स्टेशन जा रहा हूं.’’
जमील परेशान भी था और उसे गुस्सा भी आ रहा था कि निकाह लेट हो जाएगा. जमील अभी सोच ही रहा था कि अचानक उस की कार का दरवाजा खुला और समीरा उस के बराबर में बैठ गई. जमील ने उस की तरफ चौंक कर देखा तो वह बोली, ‘‘जल्दी निकलो जमील. बड़ी मुश्किल से भाभी से नजर बचा कर आई हूं.’’
‘‘यहां एक मसला हो गया है समीरा. नाविया अपने भाई के पास अभी तक नहीं पहुंची.’’ जमील ने कहा.
उस की बात सुन कर समीरा ने जमील की तरफ देखा और गुस्से से बोली, ‘‘वह कोई बच्ची नहीं है कि गुम जाएगी. जल्दी निकलो यहां से, मुझे घबराहट हो रही है.’’
‘‘इस परेशानी में यहां से निकल कर क्या करूंगा. उस का भाई रेलवे स्टेशन पर खड़ा बारबार मुझे फोन कर रहा है. मैं पहले स्टेशन जा कर उसे देखूंगा. हो सकता है कि किसी वजह से वह नीचे उतरी हो और ट्रेन चल पड़ी हो.’’
‘‘तुम रेलवे स्टेशन गए थे. उसे बैठा कर आए. ट्रेन चल भी पड़ी थी, फिर ऐसे कैसे हो सकता है.’’ समीरा ने कहा, ‘‘दोबारा फोन आए तो कह देना कि मैं उसे तलाश कर रहा हूं. इस दौरान हम निकाह कर लेंगे. बाद की बाद में देखी जाएगी. पहले यहां से फटाफट निकलो. मुझे इस बात का डर है कि मेरी भाभी न चली आए.’’
अभी वे लोग कुछ ही दूर गए थे कि नाविया के भाई का फोन आ गया. अबकी बार फोन पर नाविया का बाप था, ‘‘जमील बेटा, नाविया का कुछ पता चला क्या? हम सब बहुत परेशान हैं. आखिर वह कहां रह गई?’’
जमील जल्दी से बोला, ‘‘जी अब्बू, मैं स्टेशन पर उसे ही तलाश कर रहा हूं.’’
जमील ने समीरा से कहा, ‘‘इस परेशानी में मुझे कुछ नहीं सूझ रहा है.’’
एकाएक उस ने कार रोक दी. समीरा ने गुस्से से उसे देखा. जमील ने कहा, ‘‘तुम को मैं अभी अपने दोस्त के यहां छोड़ कर एक बार स्टेशन जा कर आता हूं.’’
‘‘ठीक है, जो तुम्हें करना है, करो पर जल्दी लौट आना. निकाह टाइम से होना चाहिए.’’ समीरा ने उकता कर कहा. जमील ने समीरा को अपने दोस्त के घर छोड़ा. वहीं उन का निकाह होना था. फिर वह रेलवे स्टेशन चला गया. उस वक्त वहां कोई ट्रेन नहीं थी. प्लेटफार्म खाली पड़ा था. उस ने दूरदूर तक देखा. नाविया कहीं नहीं दिखी. उसे निकाह की पड़ी थी, यहां मसला ही हल नहीं हो रहा था. वह दरवाजा खोल कर कार में बैठा था कि दूसरा दरवाजा खोल कर कोई उस के बगल में बैठ गया. जमील ने चौंक कर पूछा, ‘‘आप कौन हैं?’’
‘‘मैं कोई भी हूं, क्या तुम्हें तुम्हारी बीवी के बारे में कोई जानकारी चाहिए?’’ वह शख्स बोला.
‘‘हां, कहां है वह? जल्दी बताओ.’’
‘‘आराम से भाई, पहले एक कप चाय पिलाओ फिर बताता हूं. पुलिस को खबर करने की मत सोचना. मैं साफ मुकर जाऊंगा.’’ वह बोला.
‘‘तुम ने मेरी बीवी को किडनैप किया है?’’
‘‘नहीं, किडनैप नहीं किया है, बल्कि मैं ने तुम्हारी बीवी की मदद की है वरना आप ने तो उसे मार ही दिया था. मुझे चाय पी लेने दो फिर सब बताता हूं.’’
चाय पी कर वह बोला, ‘‘मेरा नाम शानी है. मेरी बात गौर से सुनो. जिस वक्त तुम अपनी महबूबा से पार्क में बातें कर रहे थे, किसी ने अचानक तुम्हारे कंधे पर जो हाथ रखा था, जानते हो वह कौन था?’’
जमील ने जल्दी से पूछा, ‘‘कौन था?’’
‘‘वह तुम्हारी बीवी नाविया थी.’’ वह आगे बोला, ‘‘जब तुम्हारी बीवी रेल के डिब्बे में बैठी थी और तुम दूसरी तरफ मुंह कर के अपनी महबूबा से निकाह का प्रोग्राम तय कर रहे थे, इसी दौरान नाविया किसी काम से तुम्हारे पास आई थी. उस ने तुम्हारे पीछे खडे़ हो कर तुम्हारी बातें सुन लीं.
‘‘जब तुम ने चेहरा घुमाया वह अपनी सीट पर आ कर बैठी. उस ने टौयलेट जाने का बहाना कर दिया था. जब ट्रेन चलने लगी, तुम बाहर निकले तभी वह भी रेंगती हुई ट्रेन से उतर गई थी और तुम्हारे पीछे चल दी. वह टैक्सी में बैठ कर तुम्हारा पीछा कर रही थी.
‘‘जब तुम पार्क में अपनी महबूबा से बातें कर रहे थे, उस ने ही तुम्हारे कंधे पर हाथ रखा. तुम ने उसे जोर से हाथ मारा और बाहर दौड़ पड़े. वह दीवार से टकरा कर जख्मी हो गई. मैं और मेरा दोस्त अंधेरे में किसी शिकार के लिए घात लगाए बैठे थे कि हमें नाविया मिल गई. मेरा दोस्त उसे उठा कर अस्पताल ले गया और मैं साए की तरह तुम्हारे पीछे लग गया.’’
जमील ने जल्दी से पूछा, ‘‘तो क्या नाविया तुम्हारे पास है?’’
‘‘हां, वह मेरे पास है. उसे होश आ गया है. उस ने सारी बातें बता दी हैं, जो मेरे दोस्त मोबाइल में रिकौर्ड कर लीं. तुम्हारी बीवी बहुत सीधी है. वह चाहती है कि तुम्हारी बेवफाई की बातें वह अपने घर वालों को बताए और तुम से छुटकारा पा ले. उस की एक ही रट है कि उसे घर पहुंचा दिया जाए. उस के सिर पर गहरी चोट लगी है. वह एक बार फिर बेहोश हो चुकी है.’’
सब कुछ सुन कर जमील के पसीने छूट गए. शानी ने जो भी बताया था वह सच था. क्योंकि सब ऐसे ही घटा था. अगर नाविया सब कुछ अपने घर वालों को बता देगी तो उस का सब कुछ छिन जाएगा. क्योंकि उस का घर, कारोबार और गाड़ी सब कुछ उस के ससुराल का दिया हुआ था. उसी वक्त फिर नाविया के भाई का फोन आ गया. वह बोला, ‘‘नाविया का कुछ पता चला भाई?’’
जमील ने घबरा कर कहा, ‘‘नहीं, अभी कुछ पता नहीं चला.’’
‘‘आप पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दें.’’ भाई ने कहा.
‘‘अभी मैं उसे तलाश रहा हूं. नहीं मिली तो थोड़ी देर में दर्ज करा दूंगा.’’ जमील से मारे घबराहट के कुछ नहीं बोला जा रहा था.
शानी ने कहा, ‘‘तुम्हारी बीवी का फोन मेरे पास है. आगे तुम्हें कोई बात करनी हो तो कर सकते हो.’’
जमील झल्ला कर बोला, ‘‘आखिर तुम चाहते क्या हो?’’
‘‘मैं सौदा करना चाहता हूं. तुम्हारी बीवी के इलाज पर जो खर्च हुआ, वह रकम और बाकी बाद में बताऊंगा.’’
जमील जल्दी से बोला, ‘‘कितना खर्च हुआ बताओ? मैं दे दूंगा. मेरी बीवी कहां है, यह बता दो.’’
‘‘मिस्टर जमील, सौदा मेरी शर्तों पर होगा. ऐसे कैसे बता दूं.’’ शानी ने कार का दरवाजा खोला और उतरते हुए बोला, ‘‘जरा सोच लो. बीवी अगर जिंदा मिली तो सब कुछ अपने घर वालों को बता देगी. फिर तो न तुम घर के रहोगे न घाट के. यह कारोबार, बंगला सब कुछ छिन जाएगा.
‘‘तुम अपनी महबूबा के साथ बैठ कर तबला बजाना. मैं तो यह कह रहा हूं कि अभी भी वक्त है, सोच लो कि तुम्हें क्या करना है. क्यों न हम यह सौदा करें कि तुम्हारी बीवी को खामोशी से निपटा दें तो सारा झंझट ही खत्म.’’
उसे सोचता हुआ छोड़ कर वह नीचे उतर गया. जमील ने सोचा कि कह तो वह ठीक रहा है. अगर उस की बीवी जिंदा रही तो सब कुछ घर पर बता देगी और वह ससुराल की दी हुई हर चीज से हाथ धो बैठेगा. अगर वह नाविया को मरवा दे तो इस का राज राज रहेगा और सब कुछ उस के पास रहेगा. फिर उस ने समीरा को फोन किया और सारी बात बता दी. समीरा ने उलझ कर कहा, ‘‘अब तुम क्या करना चाहते हो?’’
‘‘सोच रहा हूं कि इस राज को इसी जगह दबा दूं और नाविया की मौत का सौदा कर लूं.’’ जमील ने बेदर्दी से कहा. उस का फैसला सुन कर समीरा खुश हो कर बोली, ‘‘अगर फैसला कर ही लिया है तो फिर देर किस बात की है. फौरन इस का काम तमाम करवाओ.’’
‘‘इस काम के पैसे भी तो लेगा. न जाने कितनी रकम मांग ले.’’ जमील ने कहा.
‘‘जो भी मांगेगा, दे देंगे. वरना हम एक नहीं हो सकेंगे. कुछ भी करने के पहले यह तसल्ली कर लेना कि नाविया इसी के पास है. कहीं वह ड्रामा तो नहीं कर रहा है.’’ समीरा ने मशविरा दिया.
फिर जमील ने शानी को फोन किया. शानी ने छूटते ही पूछा, ‘‘क्या फैसला किया आप ने?’’
‘‘पहले मैं यह तसल्ली करना चाहता हूं कि नाविया तुम्हारे पास है भी या नहीं.’’ जमील बोला.
‘‘मैं ने जितनी बातें तुम्हें बताईं, सच हैं. मेरा यकीन करो नाविया मेरे पास ही है. तभी तो मैं यह सौदा कर रहा हूं.’’ शानी ने कहा.
जमील सोचते हुए बोला, ‘‘मैं तुम से मिलना चाहता हूं.’’
‘‘जिस जगह तुम्हारी कार खड़ी है, मैं उसी के पास हूं. अभी पहुंचता हूं.’’ शानी ने पहुंचते ही कहा, ‘‘बताओ, क्या चाहते हो?’’
‘‘मैं अपने राज को दफन करना चाहता हूं. कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहता.’’ जमील ने सोचते हुए कहा.
‘‘तुम्हारा राज तुम्हारी बीवी के साथ ही दफन हो जाएगा. इस की मौत को ऐसी शक्ल दूंगा कि हादसा लगे. उसे रेलवे लाइन पर डाल दूंगा, लगेगा जैसे ट्रेन से गिर कर मर गई हो.’’ शानी ने समझा कर कहा.
‘‘इस काम का क्या लोगे?’’ जमील ने पूछा.
‘‘यह मैं तुम्हें थोड़ी देर बात बताऊंगा.’’ शानी ने कहा.
‘‘पर याद रहे यह काम रात के रात ही हो जाना चाहिए.’’
‘‘यह काम रात को ही होगा. अभी बहुत रात पड़ी है. पैसों के बारे में मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा. अपना फोन खुला रखना.’’ कह कर वह नीचे उतर गया. जमील ने अपनी बीवी को खत्म करने को कह तो दिया पर वह बुरी तरह से कांप रहा था. इस के साथ ही वह समीरा को भी नहीं छोड़ना चाहता था. जमील ने कांपते हाथों से गाड़ी आगे बढ़ाई. एक बार फिर जफर की काल आ गई. वह बेहद परेशान था. जमील ने उसे बताया कि वह नाविया की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने जा रहा है. वैसे उस का इरादा नहीं था, फिर उस ने सोचा कि रिपोर्ट दर्ज कराने से कोई उस पर शक नहीं करेगा.
जमील पुलिस स्टेशन पहुंच गया. वहां उस ने ट्रेन का वाकया बताते हुए पत्नी की गुमशुदगी दर्ज करा दी. वह थाने से बाहर निकला तो शानी का फोन आ गया, ‘‘तुम्हारा काम हो जाएगा. एक घंटे के बाद मेरी बताई हुई जगह पर अपनी बीवी की लाश तलाश कर लेना.’’
‘‘काम ठीक से हो जाएगा न. मैं किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता. तुम ने अपने पैसे नहीं बताए.’’
‘‘इस के बदले में तुम्हें यह गाड़ी मुझे देनी होगी, जिस में तुम बैठे हो.’’
‘‘तुम इस गाड़ी के बजाए कैश पेमेंट ले लो.’’
‘‘कैश तुम्हारे एकाउंट में नहीं होता, सब नाविया के एकाउंट में है. इसलिए तुम से वही चीज मांगी, जो तुम्हारे पास है. यह बात तुम्हारी बीवी ने बताई थी कि कारोबार और पैसे उस के खाते में रहते हैं. तुम्हारे नाम पर बस यही कार है. वही मैं तुम से मांग रहा हूं.’’
‘‘ठीक है, कार और उस के कागजात मैं तुम्हें दे दूंगा.’’ जमील ने कहा.
‘‘वैसे एक बात पूछूं, सारा कैश तो तुम्हारी बीवी के नाम है, उस के मरने के बाद तुम क्या करोगे?’’
‘‘मैं उस के एकाउंट से पैसे निकलवा लूंगा. कई तरीके हैं. तुम फिक्र न करो. बस तुम अपना काम पक्का करो.’’
‘‘तुम मुझे गाड़ी के कागजात दो और एक घंटे के बाद उस की लाश ले लो.’’ शानी ने कहा.
‘‘एक घंटे के बाद कहां मिलोगे?’’
‘‘तुम मुझे गाड़ी के कागजात आधे घंटे में दोगे. आधे घंटे के बाद मैं खुद तुम्हें फोन करूंगा.’’ यह कह कर उस ने फोन बंद कर दिया.
फौरन ही जमील ने डैशबोर्ड खोल कर कार के कागजात निकाले, अच्छे से चैक कर के दोबारा वहीं रख दिए. उस ने सोचा गाड़ी के कागजात देने के बाद बीवी दूसरी दुनिया में पहुंच जाएगी. किस्सा खत्म. जमील जालिम और खुदगर्ज हो गया था. वह नई शादी के बारे में सोच कर खुश था. जमील ने गाड़ी घर की तरफ मोड़ी. बैडरूम की अलमारी खोल कर नाविया की चैकबुक तलाशने लगा. उसे एक भी चैकबुक नहीं मिली. उस ने सारे दराज खंगाल डाले, कहीं कुछ नहीं था. पता नहीं कहां रखी थीं. उसी वक्त शानी का फोन आ गया. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारा काम करने के लिए मैं तुम्हारी बीवी को ले कर जा रहा हूं. तुम ऐसा करो कि डाकखाने के गेट के पास गाड़ी खड़ी कर के बाहर के बौक्स में कागज डाल दो. मैं निकाल लूंगा. फिर तुम उस जगह पहुंच जाना, जहां तुम्हारी बीवी की लाश पड़ी होगी.’’
‘‘ओके.’’
जमील ने कांपती आवाज में कहा और डाकखाने रवाना हो गया. वहां पहुंच कर कार खड़ी की और सोचा जो कुछ वह कर रहा है, वह ठीक है. उस ने खुद को तसल्ली दी. इस के अलावा कोई रास्ता नहीं था. जमील कार से बाहर निकला. काम कर के वह उस दोस्त के घर चला गया, जहां उस ने समीरा को छोड़ा था. वह कुछ दूर ही गया था कि उसे कार स्टार्ट होने की आवाज आई. उस ने देखा कोई उस की कार स्टार्ट कर के ले जा रहा था. जमील चल पड़ा. उस के दोस्त के घर समीरा मौजूद थी. वह उस के सामने बैठ गया, जैसे बहुत बड़ा जुआ खेल कर आया हो.
‘‘क्या हुआ?’’ समीरा ने बेचैनी से पूछा.
‘‘कार के बदले मैं अपनी बीवी का सौदा कर आया. कुछ देर में वो उस का काम तमाम कर देंगे और मुझे फोन पर खबर मिल जाएगी कि रेल की पटरी पर उस की लाश पड़ी है. लाश देख कर आने के बाद हम निकाह कर लेंगे ताकि तुम्हारे भाईभाभी की बोलती बंद हो जाए.’’ जमील ने बताया.
‘‘फिर उस के बाद क्या होगा?’’ समीरा ने पूछा.
‘‘तुम अभी तो अपने घर चली जाना. मैं किसी और नाम से पुलिस को लाश की खबर दे दूंगा. मैं ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाते वक्त उस की फोटो भी वहां दे दी थी. पुलिस मुझे बुला कर पूछताछ करेगी. मैं अपनी कहानी पर डटा रहूंगा. कुछ दिनों में मामला ठीक हो जाएगा, फिर हम एक साथ रहना शुरू कर देंगे.’’ जमील ने बताया. समीरा गहरी सोच में डूब गई. वह अपनी जगह से उठी, पर्स उठाया और सख्ती से बोली, ‘‘मैं जा रही हूं.’’
जमील हैरान हुआ, ‘‘तुम कहां जा रही हो?’’
‘‘मैं तुम से निकाह नहीं करूंगी, चाहे कुछ हो जाए.’’ समीरा ने दो टूक कहा. जमील भौचक्का रह गया, ‘‘तुम यह क्या कह रही हो. तुम मुझ से निकाह क्यों नहीं करोगी? तुम्हें एकाएक क्या हो गया?’’
समीरा उस की तरफ देखते हुए बोली, ‘‘तुम जालिम इंसान हो. कल को क्या पता, तुम मेरा भी ऐसा ही सौदा कर दो.’’ कहती हुई समीरा तेजी से बाहर निकल गई.
जमील घबरा कर उस के पीछे भागा, ‘‘मेरी बात तो सुनो समीरा.’’
‘‘मैं कोई बात नहीं सुनना चाहती. मैं तुम से मोहब्बत करती हूं, यह सच है. पर अब मुझे तुम से डर लग रहा है.’’ समीरा तेजी से बाहर निकल गई. बिना पीछे देखे आगे बढ़ गई. जमील ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि समीरा उसे इस तरह छोड़ कर चली जाएगी. फिर अचानक जमील को खयाल आया कि वह कम से कम अपनी पत्नी नाविया की जान बचा ले. ताकि उस से माफी मांग कर सब कुछ पहले जैसा कर ले, जिस के लिए उस ने नाविया की जान की भी परवाह नहीं की. उसे अहसास हुआ कि उसे पत्नी को जान से मरवाने वाली बात समीरा को नहीं बतानी चाहिए थी. यदि वह ऐसा करता तो शायद समीरा उसे छोड़ कर नहीं जाती.
खैर, अब तीर कमान से निकल चुका था. उस की समझ में बेहतर हल यही आ रहा था कि नाविया की जान बचा कर उस से माफी मांग ली जाए. वह बहुत सीधी है, जरूर माफ कर देगी. उस ने जेब से मोबाइल निकाला और शानी को फोन लगाने लगा. लेकिन इस से पहले ही शानी का फोन आ गया.
‘‘मैं ने आप का काम कर दिया है. रेलवे प्लेटफार्म से कुछ ही आगे पटरी पर आप की बीवी की लाश पड़ी मिल जाएगी. देख लीजिए, मुझे अब काल मत करना. मैं यह फोन बंद कर के इसे फेंकने जा रहा हूं.’’ कह कर शानी ने फोन बंद कर दिया. जमील को जैसे बड़ा झटका लगा. फिर जब उसे जरा होश आया तो वह टैक्सी कर के सीधे रेलवे स्टेशन पहुंच गया. वह एक तरफ चला, प्लेटफार्म पर 2-4 पैसेंजर ही थे. वह पटरी देखते हुए आगे बढ़ने लगा. पटरी पर कुछ भी दिखाई नहीं दिया. वह एक तरफ खड़ा हो कर दूर तक देखने लगा. अचानक उस के पीछे आहट हुई और साथ ही नाविया की आवाज उस के कानों से टकराई.
‘‘जमील, तुम मेरी लाश ढूंढ रहे हो?’’
जमील ने चौंक कर उस की तरफ देखा. वह नाविया ही थी. जमील की आंखों में देख रही थी. उस के माथे पर चोट का निशान था.
‘‘तुम जिंदा हो?’’ जमील के मुंह से निकला.
‘‘मुझे जिंदा देख कर तुम्हें हैरत और परेशानी हो रही है. तुम ने मुझे जान से मार देने का सौदा किया था. यह भी नहीं सोचा कि अपनी उस बीवी को जान से मरवाना चाहते हो जो तुम्हें बेहद प्यार करती है. शानी भाई ने जो कुछ तुम्हें बताया, वह बिलकुल सच था.
‘‘मैं ने तुम्हारी बातें सुन ली थीं. तुम्हारे पलटते ही मैं ट्रेन से उतर गई थी. मैं ने फौरन भाई को फोन किया और उन्होंने इस जगह फोन कर के अपने दोस्त शानी को भिजवा दिया, जहां तुम अपनी महबूबा के इंतजार में खड़े थे और उस से बातें कर रहे थे.
‘‘तुम ने चोरउचक्का समझ कर मेरे मुंह पर जोर का घूंसा मारा, जिस से दीवार से टकरा कर मुझे यह चोट लग गई. इस के बाद शानी भाई ने खुद ही सारा मामला अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने फैसला कर लिया था कि मैं एक जालिम बेवफा आदमी के साथ किसी कीमत पर जिंदगी नहीं गुजार सकती.’’ नाविया ने कहा.
‘‘मैं मानता हूं, मुझ से बड़ी गलती हुई. मैं तुम से माफी मांगता हूं.’’ जमील ने गिड़गिड़ा कर कहा.
‘‘जब महबूबा चली गई तो तुम्हें माफी मांगने का खयाल आया. वरना तुम तो मेरी लाश चाहते थे. अपने जिस दोस्त के घर तुम अपनी महबूबा को छोड़ आए थे, उसी ने मुझे फोन कर के बताया कि तुम निकाह कर रहे हो. यह अलग बात है कि उस का जमीर जरा देर से जागा.’’ नाविया बोली.
‘‘प्लीज, मुझे माफ कर दो. अब ऐसा नहीं होगा.’’ वह बेबसी से बोला.
‘‘अब भरोसा टूट गया है. अब कोई माफी नहीं. घर और कारोबार सब मेरा था. शानी भाई ने इस जगह अपने आदमी बैठा दिए हैं. बस एक गाड़ी तुम्हारे नाम थी, वह भी मैं ने तुम से अपनी मौत का सौदा कर के वापस ले ली. तुम्हें तलाक के लिए जल्दी ही अदालत से नोटिस मिल जाएगा.’’ नाविया ने बेदर्दी से कहा और जमील को शौक्ड छोड़ कर आगे बढ़ गई.