Social Crime : अपराधी प्रवृत्ति का राहुल हत्या और बलात्कार के मामले में पकड़ा गया और उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन वह पैरोल पर आ कर भाग निकला. उस ने कई लड़कियों के साथ व्यभिचार किया और उन्हें मार डाला. ऐसे खतरनाक अपराधी…
झारखंड की राजधानी रांची स्थित सीबीआई कोर्ट के जज ए.के. मिश्र की अदालत में 22 दिसंबर, 2019 को कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. वकीलों के अलावा कुछ अन्य लोग भी अदालत की काररवाई शुरू होने से पहले कोर्टरूम में पहुंच चुके थे. अदालत परिसर में तमाम मीडियाकर्मी भी थे. दरअसल, उस दिन रांची के बहुचर्चित बीटेक की छात्रा माही हत्याकांड का फैसला सुनाया जाना था. करीब 3 साल पहले हुई हत्या की यह वारदात काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रही थी. जब थाना पुलिस इस केस को नहीं खोल सकी तो यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम की टीम ने लंबी जांच के बाद न सिर्फ इस केस का परदाफाश किया, बल्कि आरोपी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज उर्फ आर्यन उर्फ रौकी राज उर्फ अमित उर्फ अंकित को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.
पता चला कि रेप की वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो जाता था या नाम बदल कर कहीं दूसरी जगह रहने लगता था. इस तरह वह एकदो नहीं, बल्कि 10 लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था. एक तरह से वह साइको किलर बन चुका था. इस वहशी दरिंदे के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में केस चल रहा था. सीबीआई की ओर से इस मामले में 30 गवाह पेश किए गए थे. जज ए.के. मिश्र ने तमाम गवाह और सबूतों के आधार पर 30 अक्तूबर, 2019 को छात्रा माही हत्याकांड में आरोप तय करते हुए राहुल कुमार को दोषी ठहराया. उन्होंने सजा सुनाए जाने के लिए 22 दिसंबर, 2019 का दिन निश्चित किया.
सीबीआई की विशेष अदालत में 22 दिसंबर को जितने भी लोग बैठे थे, उन सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि जज साहब साइको किलर राहुल कुमार को क्या सजा सुनाएंगे. इस वहशी दरिंदे ने जिस तरह कई लड़कियों की जिंदगी तबाह की थी, उसे देखते हुए उन्हें उम्मीद थी कि उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए. राहुल कुमार कौन है और वह कामुक दरिंदा कैसे बना, यह जानने के लिए उस के अतीत को जानना होगा. 25 वर्षीय राहुल कुमार बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय थाना क्षेत्र के गांव धुर का रहने वाला था. उस के पिता उमेश प्रसाद पेशे से आटो चालक थे. 3 भाईबहनों में राहुल सब से बड़ा था.
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. ऐसा ही कुछ राहुल के साथ भी हुआ. बचपन से ही राहुल जिद्दी और झगड़ालू किस्म का था. वह एक बार जो करने की ठान लेता था, उसे पूरा कर के ही मानता था. इस दौरान वह किसी की भी नहीं सुनता था. मांबाप की डांटफटकार का भी उस पर कोई असर नहीं होता था. राहुल जैसेजैसे बड़ा होता गया, उस की संगत आवारा किस्म के लड़कों से होती गई. घर से उस का मतलब केवल 2 वक्त की रोटी से होता था. जब उस के पिता उमेश प्रसाद आटो ले कर शहर की ओर निकलते, वह भी घर से निकल जाता था. फिर दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था.
बचपन से ही जिद्दी आवारा था राहुल मटरगश्ती करने के लिए वह मां से जबरन पैसे लिया करता था. अगर मां उसे पैसे नहीं देती तो वह लड़झगड़ कर पैसे छीन लेता था. दिन भर दोस्तों के बीच घूमनेफिरने के बाद वह शाम ढलने पर घर लौटता था. घर का वह एक काम तक नहीं करता था, रात को जब आटो चला कर उमेश प्रसाद घर लौटता तो उस की पत्नी राहुल की दिन भर की शिकायतों की पोटली खोल कर बैठ जाती. उमेश राहुल को डांटता और समझाता, पर पिता की बातों को वह अनसुना कर देता. ऐसे में उमेश माथे पर हाथ रख कर चिंता में डूब जाता.
उमेश प्रसाद ने राहुल को समझाने और सही राह पर लाने के बहुत उपाय किए, लेकिन राहुल सुधरने के बजाए दिनबदिन जरायम की दलदल में उतारता गया. शुरुआत उस ने अपने घर के पैसे चुराने से की थी. इस के बाद उस ने औरों के घरों में भी चोरी करनी शुरू की. भेद न खुलने पर उस की हिम्मत बढ़ती गई. चोरी के साथसाथ राहुल लड़कियों को अपनी हवस का शिकार भी बनाने लगा. बात सन 2012 की है. राहुल ने पटना के जीरो रोड पर स्थित एक घर में चोरी की. इतना ही नहीं, उस ने वहां एक युवती को अपनी हवस का शिकार भी बनाया. युवती से दुष्कर्म के मामले में 29 जून, 2012 को उसे बेउर जेल भेजा गया. जब वह जेल में था, तभी उस के चाचा की मौत हो गई. श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए वह 4 सितंबर, 2016 को पैरोल पर अपने गांव गया, उस समय वह पुलिस की सुरक्षा में था.
श्राद्धकर्म के बाद शातिर राहुल ने सिपाहियों को शराब पिलाई और अनुष्ठान का बहाना बना कर फरार हो गया. इस के बाद पुलिस उसे छू तक नहीं सकी. पुलिस अभिरक्षा से फरार होने के बाद उस ने जो कांड किया, उस ने समूचे झारखंड को हिला कर रख दिया. राहुल नालंदा से भाग कर रांची आ गया था और वहां वह नाम बदल कर राज के नाम से रहने लगा. राहुल हर बार जुर्म करने के बाद अपना नाम बदल लेता था, ताकि पुलिस उस तक आसानी से न पहुंच सके. खैर, वह राहुल से राज बन कर रांची की बूटी बस्ती में पीतांबरा पैलेस के सामने वाली गली में स्थित दुर्गा मंदिर के कमरे में रहने लगा. यहां उस ने मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों से आग्रह किया था. कमेटी के बंटी नामक युवक ने उस पर तरस खा कर वहां रखवाया था.
यहां रह कर राहुल उर्फ राज कमरा खोजने लगा. कमरे की तलाश में वह बीटेक की छात्रा माही के घर पहुंच गया. लेकिन वहां कमरा किराए पर नहीं मिला. राहुल का मुख्य पेशा चोरी था. उसे घूमतेघूमते पता चल गया कि माही के घर में सिर्फ लड़कियां रहती हैं. उस दिन के बाद से वह आतेजाते माही का पीछा करने लगा. माही इतनी खूबसूरत थी कि एक ही नजर में उस पर मर मिटा था. 23 वर्षीया माही मूलरूप से झारखंड के बरकाकाना जिले के थाना सिल्ली क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के पिता संजीव कुमार बरकाकाना में सेंट्रल माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) में नौकरी करते थे.
संजीव कुमार की 2 बेटियां रवीना और माही थीं. दोनों पढ़ने में अव्वल थीं. इसीलिए पिता संजीव भी उन्हें उन के मनमुताबिक पढ़ाना चाहते थे. वह अपनी बेटियों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे थे. बच्चों के भविष्य के लिए संजीव कुमार ने सन 2005 में रांची की बूटी बस्ती में एक प्लौट खरीदा था. उस पर उन्होंने घर भी बनवा दिया था. घटना से करीब 2 साल पहले यानी 2017 में उन की दोनों बेटियां रवीना और माही वहीं रह कर पढ़ाई करती थीं. संजीव और परिवार के अन्य सदस्य बरकाकाना में रहते थे. बड़ी बेटी रवीना रांची शहर के एक प्रतिष्ठित कालेज से स्नातक कर रही थी, जबकि छोटी बेटी माही ओरमांझी के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक के चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा थी. माही का 15 दिसंबर, 2016 को रिजल्ट आने वाला था. उस के पिता रिजल्ट देखने बरकाकाना से रांची आए थे. रिजल्ट देखने के लिए वह माही के कालेज गए और वहीं से बरकाकाना वापस लौट गए.
दरिंदे ने भांप लिया था कि अकेली है माही बहरहाल, रिजल्ट देखने के बाद माही जब कालेज से बूटी बस्ती स्थित अपने आवास जाने लगी तो पहले से घात लगाए बैठा राज पीछेपीछे उस के घर तक पहुंच गया. माही घर में बैग रख कर वापस बाहर आई. उस ने अपने घर के पास एक दुकान से मैगी खरीदी और वापस चली गई. इस से राज आश्वस्त हो गया था कि घर में माही अकेली है. घर में अगर कोई और होता तो माही के बजाए वही सामान खरीदने आता. इत्तफाक की बात यह थी कि कुछ दिनों पहले बड़ी बहन रवीना किसी जरूरी काम से अपने गांव बरकाकाना चली गई थी. माही के घर पर अकेला होने की जानकारी शातिर राज को पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए वह निश्चिंत हो गया और उस ने फैसला कर लिया कि आज रात माही को अपनी हवस का शिकार बना कर रहेगा.
उसी रात करीब साढ़े 10 से 11 बजे के बीच राहुल कुमार उर्फ राज माही के घर पहुंचा. उस के मुख्य दरवाजे पर लोहे का मजबूत ग्रिल लगा था. ग्रिल पर भीतर की ओर से बड़ा ताला लगा था. उस के पास मास्टर चाबी रहती थी, जिस से वह कोई भी ताला आसानी से खोल सकता था. मास्टर चाबी से उस ने माही की ग्रिल का ताला खोल लिया. माही जिस कमरे में सो रही थी, उस में सिटकनी नहीं लगी थी. दबेपांव वह उस के कमरे में आसानी से पहुंच गया और गहरी नींद में सोई माही का गला दबाने लगा. तभी माही की आंखें खुल गईं. उसे देख कर वह डर गई.
इस से पहले कि वह शोर मचाती, राज ने उसे धमका दिया. डर की वजह से माही चुप हो गई. राहुल ने उस के साथ रेप किया. उस दौरान उस ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं. इस दरम्यान माही के नाजुक अंग से रक्तस्राव हुआ, जिस से वह बेहोश हो गई. उस के बाद दरिंदे राहुल उर्फ राज ने मोबाइल के चार्जर वाले तार से उस का गला घोंट दिया ताकि वह किसी को कुछ बता न सके. हैवानियत पर उतरे राज ने सबूत मिटाने के लिए माही को निर्वस्त्र कर दिया, फिर उस के कपड़ों को एक जगह रख कर उस पर मोबिल औयल डाल कर आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह वहां से फरार हो गया. दरअसल, साक्ष्य मिटाने का यह तरीका उस ने अपने ही एक जुर्म से सीखा था.
अपराध की दुनिया में कदम रखते समय राहुल पहली बार पटना में एक घर में चोरी करने की नीयत से घुसा था. यह भी इत्तफाक था कि घर के एक कमरे में 11 वर्षीय नेहा अकेली सो रही थी. बाकी के लोग दूसरे कमरे में सो रहे थे. उस समय रात के करीब 3 बज रहे थे. अकेली नेहा को देख कर उस के जिस्म में वासना की आग धधक उठी. हैवान राहुल जिस्म की आग ठंडी करने के लिए मासूम नेहा की जिंदगी तारतार कर के भाग गया. लेकिन कानून के लंबे हाथों से कुकर्मी राहुल ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. तब राहुल को पता चला कि नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन (वीर्य) मिला था, जिस से वह दोषी पाया गया था. इस घटना से ही सीख लेते हुए उस ने बीटेक की छात्रा माही से दुष्कर्म के बाद उस के अंडरगारमेंट के साथ अन्य कपड़े भी जला दिए थे ताकि वह पकड़ा न जा सके.
खैर, अगली सुबह यानी 16 दिसंबर, 2019 की सुबह रहस्यमय तरीके से जली हुई माही की लाश उस के कमरे में पाई गई थी. दरअसल, रात में उस के पिता संजीव कुमार फोन कर के उस का हालचाल लेना चाहते थे. चूंकि दिन में कालेज का रिजल्ट आ चुका था. वह कालेज तक उस के साथ गए भी थे, इसलिए वह फोन कर उसे घर आने के लिए कहना चाहते थे. लेकिन उस का फोन नहीं लग रहा था. फोन बारबार स्विच्ड औफ बता रहा था. बेटी का फोन स्विच्ड औफ होने से वह परेशान हो गए. रात भी काफी गहरा चुकी थी, इसलिए किसी और के पास फोन भी नहीं कर सके थे, जिस से माही का हालचाल मिल पाता. अगली सुबह जब सदर थाने के थानेदार बांकेलाल का फोन उन के पास पहुंचा तो बेटी की मौत की सूचना पा कर संजीव सकते में आ गए.
केस की जांच पर निगाह रखे था राहुल बेटी की मौत की सूचना मिलते ही घर में कोहराम मच गया था. परिवार के लोगों को साथ ले कर संजीव रांची पहुंचे. शराफत का चोला पहने दरिंदा राज भी अपने दोस्त बंटी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा था. वहां पहुंच कर वह यह जानना चाहता था कि पुलिस क्या काररवाई कर रही है. तब उस के दोस्त बंटी ने उस के सामने ही अज्ञात दरिंदे को भद्दीभद्दी गालियां देनी शुरू कर दीं तो राज ने बंटी को समझाया कि किसी को भी इस तरह गालियां देना ठीक नहीं है. उस दिन के बाद से वह बंटी से पुलिस की गतिविधि पूछता था कि माही के हत्यारों तक पुलिस पहुंची या नहीं. उस के केस में क्या हो रहा है. यह बात बंटी को बड़ी अटपटी लगती थी कि राहुल उर्फ राज माही के केस में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है.
बहरहाल, पुलिस ने अपनी काररवाई कर माही की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. रिपोर्ट पढ़ कर थानाप्रभारी बांकेलाल दंग रह गए. रिपोर्ट में बताया गया था कि पहले पीडि़ता के साथ बलात्कार किया गया था, फिर किसी पतले तार से गला कस कर उस की हत्या की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद पुलिस ने अज्ञात हत्यारे के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 376, 499, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी. घटना के करीब 6 महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस जहां की तहां खड़ी रही. न तो वह हत्या का कारण जान सकी और न ही हत्यारों का पता लगा पाई.
माही हत्याकांड को ले कर रांची समेत समूचे झारखंड में बवाल मचा हुआ था. पुलिस की कार्यप्रणाली पर लोग अंगुलियां उठा रहे थे. पीडि़ता के पिता संजीव ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. यह आवाज प्रदेश सरकार के कान तक पहुंची तो सरकार ने जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी. जब मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो सीबीआई के तेजतर्रार इंसपेक्टर परवेज आलम के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई गई. टीम में एसआई नीरज कुमार यादव, कांस्टेबल प्रभात कुमार, आरिफ हुसैन, नैमन टोप्पो, अशोक कुमार, रितेश पाठक, महिला सिपाही जूही खातून आदि को शामिल किया गया.
इंसपेक्टर परवेज आलम झारखंड पुलिस में सन 1994 में एसआई पद पर भरती हुए थे. वह ड्यूटी मीट के ओवरआल चैंपियन भी रह चुके थे. झारखंड पुलिस में उन का डीएसपी पद पर प्रमोशन हो चुका था. फिर भी सीबीआई में इंसपेक्टर थे. इंसपेक्टर परवेज आलम ने माही का केस लेने के बाद झारखंड पुलिस द्वारा दिए गए दस्तावेजों व साक्ष्यों का पूरा अध्ययन किया. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से पूरी रिपोर्ट पर चर्चा की. डाक्टरों ने सीबीआई को बताया कि मृतका के नाखूनों और वैजाइनल स्वैब राज्य विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं. इंसपेक्टर परवेज आलम ने एफएसएल की रिपोर्ट में पाया कि नाखून व वैजाइनल स्वैब में केवल एक ही पुरुष होने के सबूत मिले हैं.
इस से जांच टीम आश्वस्त हो गई थी कि केवल एक ही व्यक्ति ने इस घटना को अंजाम दिया है. घटना की तह तक जाने के लिए इंसपेक्टर परवेज आलम ने अपने अधिकारियों से बूटी बस्ती में रहने की इजाजत मांगी. सीबीआई मुख्यालय के आदेश पर परवेज आलम अपनी टीम के साथ बूटी बस्ती में किराए पर कमरा ले कर रहने लगे. वहीं रह कर वह गुप्त तरीके से हत्यारोपी के बारे में छानबीन करने में जुट गए. बूटी बस्ती की रहने वाली एक बूढ़ी महिला ने उन्हें बताया कि एक युवक यहां अकसर घूमता था, जो मंदिर परिसर के एक कमरे में रहता था. वह अब दिखाई नहीं दे रहा.
इंसपेक्टर आलम के लिए यह सुराग महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. इसी सुराग के आधार पर उन्होंने 300 से अधिक लोगों के काल डंप डाटा के आधार पर छानबीन की. जांच में पता चला कि उन में से करीब 150 फोन नंबर घटनास्थल के आसपास के हैं, उन में कुछ नंबर मृतका के संबंधियों और दोस्तों के भी थे. सीबीआई ने शक के आधार पर 150 संदिग्धों में से 11 लोगों के खून के नमूने ले कर जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली भेजे. इस बीच सीबीआई राहुल के दोस्त बंटी तक पहुंच गई. बंटी से उस संदिग्ध युवक यानी राज के बारे में पूछताछ की गई जो मंदिर के पास अकसर घूमता था.
बंटी ने बताया कि उस का नाम राहुल उर्फ राज है. वह बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय के गांव धुर का रहने वाला है. इंसपेक्टर परवेज आलम की मेहनत रंग लाई. उन्हें संदिग्ध युवक राहुल उर्फ राज का पता मिल चुका था. वह टीम के साथ नालंदा स्थित उस के घर जा पहुंचा. वहां से पता चला कि राहुल फरार है. परवेज आलम ने एकएक तथ्य जुटाया वहां उन्हें एक और चौंकाने वाली बात पता चली कि राहुल दुष्कर्म के आरोप में पटना की बेउर जेल में बंद था. चाचा की मौत पर वह जेल से पैरोल पर घर आया था और चकमा दे कर पुलिस हिरासत से भाग गया था. तब से वह फरार है. इस के बाद सीबीआई की टीम ने राहुल की मां निर्मला देवी व पिता उमेश प्रसाद को बुलाया.
संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की सच्चाई पता लगाने के लिए उन्होंने उस के मातापिता के खून के नमूने लिए और जांच के लिए केंद्रीय विधिविज्ञान प्रयोगशाला दिल्ली भेज दिए. वहां माही के नाखून व वैजाइनल स्वैब से मिले पुरुष के डीएनए से संदिग्ध आरोपी राहुल उर्फ राज की मां निर्मला देवी का डीएनए मैच कर गया. जबकि पिता उमेश प्रसाद का मैच नहीं किया. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर यह तय हो गया कि माही का कातिल राहुल उर्फ राज ही है. राहुल उर्फ राज की तलाश में सीबीआई ने कोलकाता, वाराणसी सहित कई जगहों पर छापेमारी की, लेकिन उस का कहीं कोई पता नहीं चला.
इसी बीच 15 जून, 2019 को राहुल उर्फ राज लखनऊ में मोबाइल चोरी के एक केस में पकड़ा गया. सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम राहुल के पीछे पड़े ही थे. उन्हें उस की गिरफ्तारी की सूचना मिली, तो वह लखनऊ पहुंच गए. वहां से राहुल उर्फ राज को ट्रांजिट रिमांड पर 22 जून, 2019 को रांची लाया गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने माही हत्याकांड की पूरी कहानी बयां कर दी. राहुल ने सीबीआई को बताया कि पटना में 11 साल की नेहा से दुष्कर्म करने के मामले में वह पकड़ा गया था. तभी उसे पता चला नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन मिला था, जिस से वह पकड़ा गया था. सीख लेते हुए उस ने माही से दुष्कर्म के बाद उस के कपड़े जला दिए थे.
यही नहीं, उस ने फरारी के दौरान इसी जिले की अगस्त 2018 की एक घटना का भी राजफाश किया. जिस घर में वह चोरी की नीयत से घुसा तो वहां 9 वर्षीय सोनी को अकेली सोता देख कर वह उस पर टूट पड़ा. बेटी की चीख सुन कर मां के बेटी के कमरे में आ जाने से सोनी की अस्मत लुटने से तो बच गई लेकिन उस दिन की घटना के बाद से वह आज तक सदमे से उबर नहीं पाई है. सीबीआई की पूछताछ में क्रूर दरिंदे राहुल उर्फ राज ने कबूल किया कि उस ने हर घटना में अपना नाम बदल कर अपराध किया था. अब तक उस ने 10 मासूमों की जिंदगी तबाह की थी, जिस में कई तो असमय काल का ग्रास बन गई थीं और कई विक्षिप्त अवस्था में पहुंच गई थीं.
बहन ने पहचाना दरिंदे को राहुल उर्फ राज की शिनाख्त माही की बड़ी बहन रवीना से कराई गई तो उस ने आरोपी राहुल उर्फ राज को देख कर शिनाख्त कर ली. रवीना से इस मामले में अदालत में गवाही दर्ज कराई. रवीना ने अदालत को बताया कि घटना के कुछ दिन पहले राहुल किराए का कमरा लेने के लिए उस के घर आया था. हम ने उसे कमरा देने से मना कर दिया था. उस दिन के बाद कई बार अहसास हुआ कि राहुल उस की बहन का पीछा करता है. घटना से पहले उसे घर के आसपास घूमते हुए भी देखा था. जबकि घटना के बाद से उसे कभी नहीं देखा गया. इस केस के जांच अधिकारी इंसपेक्टर परवेज आलम ने सूक्ष्मता से एकएक सबूत जुटाया. फिर विशेष अदालत में चार्जशीट पेश की. जज ए.के. मिश्र ने सजा सुनाए जाने से पहले केस की फाइल पर नजर डाली.
तभी शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि योर औनर, मुजरिम राहुल कुमार ने जो अपराध किया है, वह रेयरेस्ट औफ रेयर है. ऐसे व्यक्ति का समाज में रहना ठीक नहीं है. यह समाज के लिए जहर के समान है. ऐसे पेशेवर अपराधी को फांसी की सजा देनी चाहिए. तभी बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मुजरिम राहुल को अपने किए पर पछतावा है, इसलिए उसे सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने उसे कम से कम सजा सुनाए जाने की अपील की. दोनों वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जज ए.के. मिश्र ने कहा कि कटघरे में खड़ा यह अपराधी समाज के लिए एक कलंक है. इस ने योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया था. इस के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है. इस का अपराध रेयरेस्ट औफ रेयर है. इसलिए इसे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए.
फैसला सुनाने के बाद पुलिस ने मुजरिम राहुल कुमार को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया. वहीं फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद मृतका के पिता संजीव कुमार घटना को याद कर रोने लगे. उन्होंने कहा कि फांसी की सजा भी अपराधी के लिए कम ही है, परंतु संतोष है कि अदालत ने न्याय किया है. इस प्रकार के फैसले से समाज को शुभ संदेश जाएगा.
—कथा में माही, नेहा और सोनी परिवर्तित नाम हैं.