Love Crime : ससुरालियों से खटपट हो जाने के बाद आराधना अपने दोनों बच्चों को ले कर मायके आ गई. फिर एकाउंटेंट की नौकरी करने के दौरान उसे प्रवीण कुमार से प्यार हो गया. इस से पहले कि प्रवीण उस से शादी कर पाता, आराधना का झुकाव शोएब की तरफ हो गया. आराधना की यह गुस्ताखी प्रवीण को इतनी नागवार लगी कि…
उस दिन दिसंबर 2019 की 16 तारीख थी, रात के 9 बज रहे थे. रामप्रकाश गौतम बेहद परेशान थे. वह घर के अंदर चहलकदमी कर रहे थे. कभी उन की निगाह कमरे की दीवार घड़ी पर टिक जाती तो कभी दरवाजे की ओर. दरअसल वह अपनी बेटी के लिए परेशान हो रहे थे. उन की 35 वर्षीय बेटी आराधना गौतम किदवई नगर स्थित जैन ट्रेडिंग कंपनी में एकाउंटेंट थी. वह हर हाल में 8 बजे तक घर आ जाती थी, किंतु उस दिन तो रात के 9 बज गए, उस का कुछ अतापता नहीं था. वह उस के मोबाइल फोन पर कई बार काल कर चुके थे. उस के फोन की घंटी तो बज रही थी, लेकिन वह रिसीव नहीं कर रही थी.
ज्योंज्यों समय बीतता जा रहा था, त्योंत्यों रामप्रकाश गौतम की चिंता बढ़ती जा रही थी. आखिर जब उन के सब्र का बांध टूट गया तो रात 10 बजे उन्होंने अपने साले रामकुमार तथा भाई रमन गौतम को घर बुला लिया. उन्होंने उन्हें आराधना के घर वापस न आने के बारे में बताया तो वह भी चिंतित हो उठे. आपस में विचारविमर्श कर के रामप्रकाश ने पुलिस कंट्रोलरूम को सूचना दी. सूचना मिलने के कुछ देर बाद पुलिस तातियागंज, कानपुर स्थित उन के घर पहुंच गई. रामप्रकाश ने पुलिस को बेटी के संबंध में जानकारी दी तो पुलिसकर्मियों ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि मामला किदवई नगर थाना क्षेत्र का है. अत: किदवई नगर थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराएं.
इस पर रात 11 बजे रामप्रकाश गौतम अपने भाई रमन तथा साले रामकुमार के साथ थाना किदवईनगर पहुंचे. थानाप्रभारी राजेश पाठक उस समय थाने पर ही मौजूद थे. उन्होंने थानाप्रभारी को अपनी बेटी के अभी तक घर न लौटने की जानकारी दी. चूंकि मामला एक महिला एकाउंटेंट के लापता होने का था, अत: थानाप्रभारी राजेश पाठक ने आराधना गौतम की गुमशुदगी दर्ज कर ली और उस की खोज में जुट गए. उन्होंने रामप्रकाश से आराधना का फोन नंबर लिया फिर उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. डिटेल्स में उस के फोन की अंतिम लोकेशन कल्याणपुर थाना क्षेत्र के शताब्दी नगर की मिली. राजेश पाठक आराधना के घर वालों के साथ रात में ही कल्याणपुर पहुंचे और आराधना के संबंध में वहां के थानाप्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय को जानकारी दी.
मामला गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी राजेश पाठक तथा थानाप्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय फोर्स के साथ शताब्दी नगर पहुंचे और उन्होंने वहां स्थित मोबाइल टावर के 500 मीटर की परिधि में आराधना की खोजबीन शुरू की. लेकिन उस का पता नहीं चला. दरअसल, उस समय आराधना के मोबाइल फोन का इंटरनेट बंद था, जिस से पुलिस को उस के फोन की वास्तविक लोकेशन नहीं मिल पा रही थी. इंसपेक्टर राजेश पाठक ने कई बार आराधना का नंबर अपने मोबाइल फोन से मिलाया तो उस के फोन की घंटी तो बज रही थी, लेकिन रिसीव नहीं हो रहा था. पुलिस ने उस के परिजनों के संग सुबह 4 बजे तक आराधना की तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली. तब पुलिस लौट गई.
सुबह 5 बजे रामप्रकाश गौतम भाई रमन के साथ घर पहुंचे तो उन की पत्नी रमा गौतम परिवार की अन्य महिलाओं के साथ दरवाजे पर ही बैठी थीं. उन्होंने पूरी रात आराधना के इंतजार में ही गुजार दी थी. रामप्रकाश को देखते ही रमा गौतम ने पूछा, ‘‘मेरी बेटी का कुछ पता चला?’’
जवाब में नहीं सुनते ही वह फफक पड़ीं. रामप्रकाश ने उन्हें धैर्य बंधाया कि बेटी का पता जल्द ही लग जाएगा. इधर सुबह 10 बजे के लगभग कुछ लोग शताब्दी नगर स्थित जवाहरपुरम पार्क पहुंचे तो उन्होंने पार्क के अंदर झाडि़यों के बीच एक महिला का शव पड़ा देखा. उन्हीं लोगों में से किसी ने इस की सूचना उसी समय थाना कल्याणपुर को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी अश्विनी कुमार पांडेय जवाहरपुरम पार्क पहुंच गए. उन्होंने एक महिला का शव पाए जाने की खबर पहले अधिकारियों को दी फिर थाना किदवई नगर पुलिस को भी सूचित कर दिया. क्योंकि उन के थाना क्षेत्र से आराधना गौतम नाम की युवती भी लापता थी.
सूचना पाते ही एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता, सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार तथा किदवई नगर थानाप्रभारी राजेश पाठक आराधना के पिता रामप्रकाश गौतम को साथ ले कर घटनास्थल पर आ गए. रामप्रकाश गौतम ने झाडि़यों में पड़े शव को देखा तो वह शव देखते ही फफक पडे़ और बोले, ‘‘सर, यह शव हमारी बेटी आराधना का है. पता नहीं इसे किस ने बेरहमी से मार डाला.’’ इस के बाद तो रामप्रकाश के घर में कोहराम मच गया. पुलिस अधिकारियों ने रामप्रकाश गौतम को धैर्य बंधाया फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका के गले पर खरोंच का निशान था, जिस से स्पष्ट था कि उस की हत्या रस्सी या तार से गला कस कर की गई थी.
शव से कुछ दूरी पर मृतका के कान की एक बाली पड़ी थी तथा दूसरी उस के कान में ही थी. कुछ चूडि़यां भी टूटी हुई थीं तथा उस का पर्स भी पार्क में पड़ा था. निरीक्षण में पार्क की घास से साफ दिखाई दे रहा था कि शव घसीट कर झाडि़यों तक ले जाया गया है. मौकामुआयना करने से यही लग रहा था कि आराधना ने मृत्यु से पहले हत्यारे से संघर्ष किया होगा. पुलिस अधिकारियों ने यह भी अनुमान लगाया कि हत्यारा मृतका का अति करीबी रहा होगा, जिस के साथ वह यहां तक आई. उस करीबी का इरादा सिर्फ आराधना की हत्या का ही रहा. क्योंकि उस ने उस के आभूषणों पर हाथ नहीं लगाया था. पुलिस ने मौके से सबूत अपने कब्जे में ले लिए. इस के बाद जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दिया.
एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने महिला एकाउंटेंट आराधना गौतम की हत्या के मामले को बेहद गंभीरता से लिया और खुलासे की जिम्मेदारी किदवई नगर थानाप्रभारी राजेश पाठक को सौंपी. उन्होंने स्वयं भी किदवई नगर थाने में डेरा डाल दिया. श्री पाठक ने आराधना की गुमशुदगी भादंवि की धारा 302 में तरमीम कर दी. फिर वह जांच में जुट गए. उन्होंने सब से पहले जैन ट्रेडर्स के कर्मचारियों को जांच के दायरे में लिया, जहां आराधना गौतम काम करती थी. श्री पाठक ने मालिक से ले कर कर्मचारियों तक से पूछताछ की, जिस से पता चला कि आराधना गौतम पिछले 3 साल से यहां काम कर रही थी. वह समय से काम पर आती थी और समय से घर जाती थी. कंपनी के किसी कर्मचारी से उस की कहासुनी तक नहीं हुई थी.
जैन टे्रडर्स के यहां जांचपड़ताल के दौरान 2 बातें चौंकाने वाली सामने आईं. एक तो यह कि 16 दिसंबर को आराधना गौतम किसी का फोन आने के बाद शाम सवा 6 बजे औफिस से निकली थी. दूसरा यह कि पिछले कुछ दिनों से आराधना का झुकाव फर्म के कर्मचारी शोएब की ओर बढ़ गया था. इस बाबत थानाप्रभारी ने शोएब से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार किया कि दोनों के बीच दोस्ती तो थी, लेकिन हत्या से उस का कोई वास्ता नहीं है. फर्म में पूछताछ के बाद थानाप्रभारी राजेश पाठक ने मृतका के पिता रामप्रकाश गौतम को थाना किदवई नगर बुलाया और उन का बयान दर्ज किया. रामप्रकाश ने बताया कि उन्होंने आराधना का विवाह दौलतपुर (कानपुर देहात) गांव निवासी धर्मेंद्र गौतम के साथ किया था.
धर्मेंद्र केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का जवान था. वह आराधना को दहेज के लिए मारतापीटता था, जिस से आराधना अपने 2 बच्चों के साथ मायके में आ कर रहने लगी थी. उस ने पति पर दहेज उत्पीड़न तथा भरणपोषण का मामला दर्ज करवाया था. धर्मेंद्र गौतम इस समय छत्तीसगढ़ में तैनात है. उस ने पत्नी के रहते दूसरी शादी भी रचा ली. आराधना उस के वैवाहिक जीवन में बाधा न बने तथा मुकदमे से छुटकारा मिल जाए, इसलिए धर्मेंद्र ने ही अपने मामा प्रकाश व जयशंकर के साथ मिल कर आराधना की हत्या की है. रामप्रकाश के बयान के आधार पर थानाप्रभारी राजेश पाठक ने जांच आगे बढ़ाई और आराधना के पति धर्मेंद्र गौतम से संपर्क साधने का प्रयास किया लेकिन न तो धर्मेंद्र से संपर्क हो सका और न उस के मामा प्रकाश व जयशंकर से, क्योंकि दोनों फरार थे.
एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने मृतका के पर्स की जामातलाशी कराई. उस के पर्स में 2 मोबाइल फोन, कुछ नकदी, चाबी तथा साजशृंगार का सामान मिला. उन में से एक मोबाइल चालू हालत में था. पुलिस ने उस की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स में एक संदिग्ध नंबर मिला. उस नंबर की जांच की गई तो पता चला कि वह नंबर राजेंद्र का है. थानाप्रभारी राजेश पाठक ने राजेंद्र को उस के घर से दबोचा और उसे पूछताछ के लिए थाना किदवई नगर ले आए. थाने आतेआते राजेंद्र कांपने लगा था. उस ने सहज ही बता दिया कि उस के मोबाइल फोन से उस के दोस्त प्रवीण ने किसी महिला को फोन किया था. प्रवीण तातियागंज (चौबेपुर) थाना क्षेत्र के मालौगांव में रहता है और बस ड्राइवर है. वह उस के बारे में और कुछ ज्यादा नहीं जानता.
थानाप्रभारी राजेश पाठक ने प्रवीण को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर मालौगांव छापा मारा, लेकिन वह घर से फरार था. पुलिस ने तब उस के कई खास रिश्तेदारों के घर दबिश दी, पर प्रवीण हाथ नहीं आया. तब पुलिस ने उस की टोह में एक खास मुखबिर लगा दिया. 18 दिसंबर, 2019 को इस खास मुखबिर ने थानाप्रभारी राजेश पाठक को जानकारी दी कि प्रवीण कुमार इस समय गौशाला (जुही) टैंपों स्टैंड पर मौजूद है. चूंकि मुखबिर की सूचना अतिमहत्त्वपूर्ण थी, इसलिए थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ गौशाला टैंपो स्टैंड पहुंच गए. पुलिस जीप रुकते ही वहां खड़ा एक युवक मोटरसाइकिल स्टार्ट कर भागने लगा. तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया. उस ने अपना नाम प्रवीण कुमार बताया. पुलिस उसे थाने ले आई.
पुलिस ने जब प्रवीण से आराधना गौतम की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गया और हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने मोटरसाइकिल के बैग से वह रस्सी भी बरामद करा दी, जिस से उस ने आराधना का गला घोंटा था. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिल तथा रस्सी अपने कब्जे में ले ली. पुलिस पूछताछ में प्रवीण ने बताया कि वह आराधना से प्रेम करता था और उस से शादी करना चाहता था. आराधना भी राजी हो गई थी, लेकिन जब उस का एक्सीडेंट हो गया तो वह उस से कतराने लगी. इतना ही नहीं, उस ने फोन पर बात करनी भी बंद कर दी, तब उसे आराधना पर शक हुआ. उस ने गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह किसी और से प्यार करने लगी है. यही बात उसे चुभ गई.
इस के बाद उस ने निश्चय कर लिया कि यदि आराधना उस की नहीं होगी तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. फाइनल बात करने को उस ने घटना वाली शाम दोस्त राजेंद्र के फोन से बात कर आराधना को बुलाया. फिर मोटरसाइकिल पर बिठा कर उसे जवाहरपुरम पार्क ले गया. वहां शादी को ले कर दोनों के बीच झगड़ा हुआ. वह शादी को राजी नहीं हुई तो उस ने गला घोंट कर आराधना को मार दिया. एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने भी प्रवीण कुमार से पूछताछ की, फिर आननफानन में थाना किदवई नगर में ही प्रैसवार्ता आयोजित कर प्रवीण को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा किया.
चूंकि प्रवीण कुमार ने आराधना गौतम की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और हत्या में प्रयुक्त रस्सी भी बरामद करा दी थी, अत: थानाप्रभारी राजेश पाठक ने प्रवीण कुमार को आराधना की हत्या के जुर्म में भादंवि की धारा 302 के तहत विधिसम्मत बंदी बना लिया. प्रवीण के बयानों के आधार पर प्रेमिका की बेवफाई की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर जीटी रोड पर एक कस्बा मंधना पड़ता है. इसी से सटा हुआ तातियागंज है. तातियागंज पहले गांव था, लेकिन जैसेजैसे मंधना का विकास होता गया, यह गांव कस्बा के समीप आता गया. इस तातियागंज में लिपस्टिक तथा अन्य सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कई फैक्ट्रियां हैं, जहां ज्यादातर महिलाएं काम करती हैं.
तातियागंज में ही रामप्रकाश गौतम अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रमा गौतम के अलावा 3 बच्चे थे, जिस में बेटी आराधना सब से छोटी थी. रामप्रकाश गौतम ट्रांसपोर्टर हैं. उन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत है. रामप्रकाश गौतम की बेटी आराधना बीकौम करने के बाद नौकरी के लिए प्रयासरत थी. वहीं उस के पिता रामप्रकाश गौतम उस के योग्य वर खोज रहे थे. रामप्रकाश की तमन्ना थी कि वह अपनी लाडली तथा खूबसूरत बेटी की शादी किसी संपन्न परिवार में ही करेंगे, ताकि उसे किसी प्रकार की कमी महसूस न हो. ऐसा संपन्न घरवर खोजने में रामप्रकाश को 3 साल लग गए. तब कहीं जा कर वह बेटी के योग्य लड़के की खोज कर पाए. लड़के का नाम था धर्मेंद्र गौतम उर्फ लालजी.
धर्मेंद्र के पिता दयाराम गौतम कानपुर देहात जिले के मैथा ब्लौक के गांव दौलतपुर के रहने वाले थे. उन के 4 बच्चों में धर्मेंद्र सब से छोटा था. धर्मेंद्र उर्फ लालजी पढ़ालिखा युवक था. वह सीआरपीएफ का जवान था. दयाराम गौतम के पास 10 बीघा खेती की जमीन थी, जिस में अच्छी उपज होती थी. कुल मिला कर उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. रामप्रकाश गौतम को घरवर पसंद आया तो वह आराधना की शादी धर्मेंद्र से करने को राजी हो गए. इस के बाद 6 अप्रैल, 2003 को आराधना की शादी धर्मेंद्र गौतम उर्फ लालजी के साथ धूमधाम से कर दी.
आराधना के मुकाबले धर्मेंद्र उम्र में बड़ा था. ऊपर से वह सांवला भी था. धर्मेंद्र ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इतनी सुंदर बीवी मिलेगी. उस से शादी कर के वह बहुत खुश था. आराधना ने अपनी समझदारी और काम से पति ही नहीं बल्कि सासससुर का मन भी जीत लिया था. हंसीखुशी से उस की गृहस्थी को 7 साल बीत गए. इन 7 सालों में आराधना एक बेटा अभय तथा एक बेटी सुप्रिया की मां बन चुकी थी. बच्चों के जन्म से परिवार की खुशियां दूनी हो गई थीं. धर्मेंद्र गौतम की ड्यूटी एक राज्य से दूसरे राज्य में लगती रहती थी. उसे जब छुट्टी मिलती थी, तभी घर आ पाता था. लेकिन छुट्टियां खत्म होने के बाद जब वह अपनी ड्यूटी पर चला जाता तो आराधना को अपनी जिंदगी नीरस लगने लगती थी. उस का दिन तो बच्चों के कोलाहल में कट जाता था लेकिन रात बैरन बन जाती थी.
इन्हीं दिनों पति, सास व ससुर का व्यवहार भी आराधना के प्रति बदल गया, जिस से वह और भी परेशान रहने लगी. सासससुर उसे बातबेबात प्रताडि़त करते थे. मकान के निर्माण हेतु उस पर मायके से पैसा लाने का दबाव बनाते. उसे दहेज कम लाने के ताने भी दिए जाने लगे. मायके से रुपए न लाने पर आराधना को प्रताडि़त किया जाने लगा. आखिर जब आराधना आजिज आ गई तो उस ने पति का घर त्याग दिया और अपने दोनों बच्चों को साथ ले कर पिता के घर रहने लगी. आराधना को विश्वास था कि पति धर्मेंद्र बच्चों की खातिर उसे मनाने आएगा और अपने साथ ले जाएगा. लेकिन धर्मेंद्र ने ऐसा नहीं किया. वह आराधना को मनाने नहीं आया.
पति के इस रूखे व्यवहार से आराधना को गहरी ठेस पहुंची. उस ने पति व सासससुर को सबक सिखाने के लिए उन के खिलाफ कानपुर कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत दहेज उत्पीडन तथा भरणपोषण का मुकदमा कायम करा दिया. मुकदमा दर्ज कराने की जानकारी धर्मेंद्र को हुई तो आराधना के प्रति उस की नफरत और बढ़ गई. उस ने आराधना से समझौता करने के बजाए मुकदमा लड़ने का निश्चय किया. आराधना ने 3 साल तक इंतजार किया कि शायद धर्मेंद्र समझौते का प्रस्ताव लाएगा और उसे तथा बच्चों को साथ ले जाएगा. लेकिन धर्मेंद्र नहीं आया. तब आराधना ने बच्चों को पढ़ाने तथा उन के भविष्य को बनाने के लिए नौकरी करने का निश्चय किया. हालांकि आराधना तथा उस के बच्चों को पिता रामप्रकाश के घर पर हर प्रकार की सुविधा थी, फिर भी वह पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी. वह कोई नौकरी करना चाहती थी.
आराधना पढ़ीलिखी युवती थी. उस ने बीकौम कर रखी थी. एकाउंट की ट्रेनिंग भी उस ने की थी, अत: उसे नौकरी हासिल करने में ज्यादा समय नहीं गंवाना पड़ा. सन 2016 में उसे किदवई नगर स्थित जैन ट्रेडिंग नामक फर्म में एकाउंटेंट की नौकरी मिल गई. आराधना ने अपने कुशल व्यवहार व अच्छे काम से कुछ महीने में ही मालिक व कर्मचारियों का दिल जीत लिया और सब की चहेती बन गई. आराधना के हाथ पर सैलरी का पैसा आने लगा तो वह अपनी तथा बच्चों की जरूरतें उचित तरीके से पूरी करने लगी. अब उसे पिता का मुंह नहीं ताकना पड़ता था. आराधना पहले दिन भर घर में बैठे बोर हुआ करती थी, लेकिन नौकरी लग जाने के बाद उस के दिन हंसीखुशी से बीतने लगे थे. रामप्रकाश को भी सकून मिला था कि आराधना अब खुश रहने लगी है.
आराधना तातियागंज से औफिस बस व टैंपो से आतीजाती थी. वह मंधना से झकरकटी बस द्वारा फिर झकरकटी से किदवईनगर औफिस टैंपो द्वारा पहुंचती थी. वह सुबह 10 बजे औफिस पहुंचती थी और शाम सवा 6 बजे औफिस छोड़ देती थी. वह हर हाल में रात 8 बजे तक अपने घर पहुंच जाती थी. हां, यह बात दीगर थी कि जब औफिस में किसी दिन काम ज्यादा होता तो उसे घर पहुंचने में देर हो जाती थी. ऐसी हालत में वह फोन द्वारा पिता को बता देती थी. आराधना जिस बस से औफिस आतीजाती थी, उस बस का ड्राइवर प्रवीण कुमार था. वह चौबेपुर थाने के मालौगांव का रहने वाला था. प्रवीण एक ट्रैवल कंपनी की बस चलाता था. उस का रूट मंधना से जाजमऊ तक था. प्रवीण की बस से आतेजाते आराधना और प्रवीण में दोस्ती हो गई. धीरेधीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई.
रविवार को आराधना की छुट्टी रहती थी. प्रवीण भी रविवार को छुट्टी करता था, अत: उस दिन दोनों कभी मोतीझील तो कभी साईंमंदिर में मिलते थे. यहां दोनों घंटों बतियाते थे और खूब हंसीठिठोली करते थे. आराधना अपने दोनों बच्चों को भी साथ लाती थी. प्रवीण उन्हें खूब खिलातापिलाता था. दोनों बच्चे प्रवीण से खूब घुलमिल गए थे. आराधना के प्यार में आकंठ डूबा प्रवीण सारी कमाई आराधना व उस के बच्चों पर खर्च करने लगा था. आराधना भले ही 2 बच्चों की मां थी, लेकिन उस के सौंदर्य और जिस्मानी कसाव में जरा भी कमी नहीं आई थी. स्वभाव से आराधना मजाकिया तथा खुले विचारों की थी. प्रवीण से हंसीमजाक तथा नयनों के तीर भी चला देती थी. इस से प्रवीण उसे पाने के सपने देखने लगा था. प्रवीण आराधना से 8-10 साल छोटा था.
एक दिन प्रवीण ने प्यार का इजहार कर दिया, ‘‘आराधना, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम्हारा साथ जीवन भर चाहता हूं. बोलो, मेरा साथ दोगी?’’
आराधना प्रवीण की बात सुन कर गहरी सोच में पड़ गई. फिर कुछ देर बाद बोली, ‘‘प्रवीण, मैं शादीशुदा और 2 बच्चों की मां हूं. पति से मेरा तलाक भी नहीं हुआ है. ऐसी हालत में मैं तुम से कैसे शादी कर सकती हूं. रही बात प्यारमोहब्बत की तो वह मैं तुम से करती हूं और करती रहूंगी.’’
आराधना के जवाब से प्रवीण कुछ मायूस जरूर हुआ, लेकिन उसे लगा कि जब आराधना उस से प्यार करती है तो आज नहीं तो कल शादी भी उसी से करेगी. इसलिए वह उस का दीवाना बना रहा. उस ने अपनी और आराधना की मोहब्बत की जानकारी अपने परिवार वालों को भी दे दी. इस पर उस के मातापिता ने उसे समझाया और एक शादीशुदा महिला से रिश्ता तोड़ने को कहा. लेकिन प्रवीण ने घर वालों की बात नहीं मानी. आराधना और प्रवीण रिश्ते में बंध पाते, उस से पहले ही प्रवीण का एक्सीडेंट हो गया. उस की नौकरी छूट गई और उस की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई. प्रवीण को यकीन था कि आराधना एक्सीडेंट की जानकारी पा कर उस से मिलने आएगी और उस की हरसंभव मदद करेगी.
लेकिन महीनों बीत गए, आराधना न तो उस से मिलने आई और न ही उस की कोई आर्थिक मदद की. और तो और उस ने मोबाइल पर प्रवीण से बतियाना भी बंद कर दिया. आराधना में आए इस अकस्मात बदलाव से प्रवीण बेचैन हो उठा. उस ने गुप्तरूप से आराधना के संबंध में जानकारी जुटाई तो उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उसे पता चला कि आराधना औफिस के ही एक कर्मचारी शोएब की मोहब्बत में बंधी है. वह उस के साथ ही सैरसपाटा करती है. उस ने इस का विरोध आराधना से किया तो उस ने दोटूक जवाब दे दिया कि वह उस की जिंदगी में दखल देने वाला होता कौन है. वह कुछ बन कर दिखाए, तब उस से बात करे.
आराधना के जवाब से प्रवीण का दिल घायल हो गया. आराधना के प्रति वह नफरत से भर उठा. फिर भी वह आराधना को दिल से निकाल नहीं सका. आराधना ने अब उस से फोन पर बात करनी भी बंद कर दी थी. वह काल पर काल करता, तब कहीं जा कर उस की काल रिसीव करती और जवाब दे कर अपना फोन बंद कर लेती. प्रवीण तब खिसिया कर रह जाता था. 10 दिसंबर, 2019 को प्रवीण आराधना के औफिस के पास पहुंचा. कुछ देर बाद आराधना औफिस से बाहर निकली और सहकर्मी शोएब की मोटरसाइकिल पर बैठ गई. प्रवीण ने उस का पीछा किया. वह उस के साथ घंटाघर गई. शौपिंग की, फिर उसी के साथ घर गई. इस बीच प्रवीण ने आराधना को फोन कर पूछा कि वह कहां है तो उस ने कहा कि वह अपने एक रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने आई है.
उस के इस झूठ से प्रवीण बौखला गया. उस ने आराधना की हत्या का फैसला कर लिया. 16 दिसंबर, 2019 की शाम 6 बजे प्रवीण ने अपने दोस्त राजेंद्र के मोबाइल से आराधना से बात की और मिलने का अनुरोध किया. आराधना ने पहले तो साफ मना कर दिया लेकिन प्रवीण के विशेष अनुरोध पर वह मान गई. इस के बाद प्रवीण मोटरसाइकिल से आराधना के औफिस पहुंच गया. शाम सवा 6 बजे आराधना औफिस से बाहर निकली. प्रवीण ने उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा लिया. रास्ते में शोएब को ले कर दोनों के बीच झगड़ा हुआ.
लड़तेझगड़ते प्रवीण आराधना को शताब्दी नगर स्थित जवाहरपुरम पार्क ले आया. अब तक रात के 8 बज चुके थे. भीषण सर्दी पड़ने के कारण पार्क में सन्नाटा था. पार्क में प्रवीण ने उस से सीधे पूछा, ‘‘आराधना, तुम मुझ से शादी करोगी या नहीं?’’
‘‘नहीं, कभी नहीं.’’
इतना सुनते ही प्रवीण भड़क उठा.
दोनों में झगड़ा शुरू हो गया. इसी झगड़े में आराधना की चूडि़यां टूट गईं और कान की एक बाली पार्क में गिर गया. झगड़े के दौरान ही प्रवीण ने आराधना का पर्स पार्क में फेंक दिया और उसे दबोच लिया. फिर उस के गले में रस्सी का फंदा कसते हुए बोला, ‘‘आराधना, तू मेरी नहीं हुई तो मैं किसी और की भी नहीं होने दूंगा.’’
उस के बाद उस ने फंदा तभी गले से निकाला, जब उस के प्राणपखेरू उड़ गए. हत्या करने के बाद प्रवीण ने आराधना के शव को घसीट कर झाडि़यों में छिपाया और फिर मोटरसाइकिल से फरार हो गया. हत्यारोपी प्रवीण कुमार से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे 19 दिसंबर, 2019 को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट महेंद्र कुमार गर्ग की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. आराधना के दोनों बच्चे नाना रामप्रकाश गौतम के संरक्षण में पल रहे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित