Madhya Pradesh Crime : अमितेश गर्लफ्रैंड के लिए अपने 2 बच्चों की मां और पत्नी को मारना चाहता था. इस के लिए उस ने काफी जतन से शिवानी की हत्या कर भी दी, लेकिन हत्या के लिए कोबरा इस्तेमाल करना उसे भारी पड़ गया. जब उस की हकीकत…
1 दिसंबर, 2019 की शाम की बात है. इंदौर के मोहल्ला संचार नगर एक्सटेंशन का रहने वाला अमितेश एकदम से चिल्लाया, ‘‘निखिल, ओ निखिल, शिवानी को सांप ने काट लिया है. जल्दी आओ, वह बेहोश हो गई है. मेरी मदद करो, इसे अस्पताल ले जाना है.’’
शिवानी अमितेश की पत्नी थी. निखिल कुमार खत्री उस का किराए था. जिस समय अमितेश ने उसे आवाज लगाई, वह रात का खाना बना रहा था. उस ने झट से गैस बंद की और सब कुछ जस का तस छोड़ कर अमितेश के बैडरूम में जा पहुंचा. क्योंकि शिवानी उस समय बैडरूम में ही थी. उस ने देखा शिवानी बैड पर पड़ी थी. उसी के पास बैड पर एक काला कोबरा सांप मरा पड़ा था. अमितेश काफी घबराया हुआ था. शिवानी के पास पड़े सांप को देख कर निखिल को समझते देर नहीं लगी कि इसी सांप ने शिवानी को काटा है. उस के आते ही अमितेश ने कहा, ‘‘निखिल, जल्दी करो, इसे अस्पताल ले चलते हैं. जल्दी इलाज मिलने से शायद बच जाए. देर होने पर सांप का जहर पूरे शरीर में फैल सकता है.’’
दोनों शिवानी को उठा कर बाहर ले आए. बाहर अमितेश की कार खड़ी थी. उसे कार में लिटा कर अमितेश अंदर जाने लगा तो निखिल ने सोचा, चाबी लेने जा रहा होगा. पर जब वह लौटा तो उस के हाथ में एक बरनी थी, जिस में वही मरा हुआ सांप था, जिस ने शिवानी को काटा था. उसे देख कर निखिल ने पूछा, ‘‘इसे कहां ले जा रहे हो?’’
‘‘डाक्टर को दिखा कर बताएंगे कि इसी सांप ने काटा है.’’ अमितेश ने कहा और बरनी को पीछे की सीट पर शिवानी के पास रख कर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. बगल वाली सीट पर निखिल के बैठते ही कार आगे बढ़ गई. शिवानी को वह इंदौर के जानेमाने अस्पताल एमवाईएच अस्पताल ले गया. अमितेश ने डाक्टरों को बताया कि इसे सांप ने काटा है. शिवानी को देखते ही डाक्टर समझ गए कि उस की मौत हो चुकी है. अमितेश के अनुसार शिवानी की मौत सांप के काटने से हुई थी. लेकिन जब डाक्टरों ने शिवानी को ध्यान से देखा तो उन्हें मामला गड़बड़ लगा. शिवानी के हाथ पर 3 काले गहरे नीले निशान थे, जो सांप के काटने के हो सकते थे, पर साथ ही उस के शरीर पर चोट के भी निशान थे.
अमितेश कह रहा था कि शिवानी की मौत सांप के काटने से हुई है. सांप के काटने के निशान भी उस के बाएं हाथ पर थे. यही नहीं, उस ने डाक्टरों को वह सांप भी दिखाया, जिस ने शिवानी को काटा था. डाक्टरों ने देखा कि जहां सांप ने काटा था, वहां तो नीले निशान थे, पर बाकी शरीर सफेद पड़ गया था, जबकि सांप के काटने से मरने वाले का शरीर नीला पड़ जाता है. किसी को विश्वास नहीं हुआ अमितेश की बात पर डाक्टरों का संदेह जब विश्वास में बदल गया कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है तो उन्होंने हत्या का शक होने की सूचना अस्पताल प्रशासन को दे दी. अमितेश थाना कनाडिया क्षेत्र में रहता था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने इस की जानकारी थाना कनाडिया पुलिस को दे दी.
सूचना मिलते ही थाना कनाडिया के थानाप्रभारी अनिल सिंह, एसआई अविनाश नागर, 2 सिपाही महेश और मीना सुरवीर को साथ ले कर एमवाईएच अस्पताल पहुंच गए. पुलिस को देख कर अमितेश घबराया जरूर, पर वह अपनी बात पर अड़ा रहा कि शिवानी की मौत सांप के काटने से ही हुई है. अमितेश भले ही अपनी बात पर अड़ा था, पर पुलिस ने शिवानी के शव का निरीक्षण किया तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि अमितेश झूठ बोल रहा है. इस की वजहें भी थीं. सांप के काटने से मरने वाले का शरीर नीला पड़ जाता है, जबकि शिवानी का शरीर सफेद था. इस के अलावा उस की बाईं आंख के नीचे चोट का निशान भी था. दोनों पैरों के पंजे नीचे की ओर खिंचे हुए थे. हाथों की मुट्ठियां बंद थीं और नाक के बाहरी किनारों की चमड़ी छिली थी, जैसे किसी चीज से रगड़ी गई हो.
अमितेश जिस डेजर्ट कोबरा सांप को बरनी में भर कर लाया था, वह कोबरा मध्य प्रदेश में नहीं पाया जाता था. इस के अलावा जिस तरह सांप का सिर कुचला हुआ था, उस तरह सांप का सिर कुचलना आसान नहीं है. क्योंकि कोबरा बहुत फुर्तीला होता है. पुलिस को लग रहा था कि सांप को पकड़ कर मारा गया है. इस सब के अलावा अहम बात यह भी थी कि घटना बरसात के मौसम की होती तो एक बार मान भी लिया जाता कि सांप कहीं से आ गया होगा. पर ठंड के मौसम में शहर के बीचोबीच इस तरह बैडरूम में जा कर सांप के काटने की बात किसी के गले नहीं उतर रही थी.
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर अनिल सिंह ने शिवानी की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस के बाद घटनास्थल के निरीक्षण के लिए अमितेश और निखिल को साथ ले कर संचार नगर एक्सटेंशन स्थित अमितेश के घर आ गए. पुलिस ने बैडरूम का निरीक्षण किया. बैड पर बिछी चादर इस तरह अस्तव्यस्त थी, जैसे उस पर लेटने वाला खूब छटपटाया हो. बैड पर 2 तकिए थे. उन में से एक तकिए के कवर पर लार का निशान था. पुलिस ने तकियों के कवर और बैडशीट को फोरैंसिक जांच के लिए भिजवा दिया. अनिल सिंह ने अब तक की जांच में जो पाया था और जो काररवाई की थी, उसे अपने अधिकारियों को बता दिया. निखिल और अमितेश से पूछताछ शुरू करने से पहले उन्होंने शिवानी की मौत की सूचना उस के मायके वालों को देना जरूरी समझा.
अमितेश से फोन नंबर ले कर उन्होंने शिवानी की मौत की बात उस के पिता को बताई, तो उन्होंने सीधा आरोप लगाया, ‘शिवानी की मौत सांप के काटने से नहीं हुई, उस की हत्या की गई है.’ अनिल सिंह ने उन से इंदौर आने को कहा और निखिल कुमार खत्री से पूछताछ शुरू की. पूछताछ में निखिल ने जो देखा था, सचसच बता दिया. अमितेश से घर वालों के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि उस के पिता ओमप्रकाश पटेरिया, दोनों बच्चों बेटी वैदिका और बेटे वैदिक को ले कर राऊ में रहने वाली उस की बहन रिचा चतुर्वेदी के यहां गए हैं. पुलिस ने फोन कर के उन्हें भी शिवानी की मौत की सूचना दे कर इंदौर आने को कहा.
अगले दिन सब लोग इंदौर आ गए. ललितपुर से शिवानी के पिता और भाई भी आ गए थे. पुलिस ने एक बार फिर अमितेश कुमार पटेरिया, पिता ओमप्रकाश पटेरिया, बहन रिचा चतुर्वेदी, किराएदार निखिल कुमार खत्री से विस्तारपूर्वक पूछताछ की. इस पूछताछ में सभी के बयान अलगअलग पाए गए. इस से पुलिस का शक विश्वास में बदल गया, लेकिन पुलिस को सबूत चाहिए था. दूसरी ओर शिवानी के पिता और भाई का कहना था कि अमितेश का नोएडा में रहने वाली किसी युवती से प्रेमसंबंध है. वह युवती नोएडा में उस के साथ लिवइन में रहती थी, इसीलिए वह शिवानी को साथ नहीं रखता था. उस ने शिवानी से तलाक के लिए मुकदमा भी दायर किया था, लेकिन बाद में खुद ही मुकदमा वापस ले लिया था. उस युवती को ले कर शिवानी और अमितेश में अकसर लड़ाई झगड़ा होता था.
पतिपत्नी के बीच विवाद की बात अमितेश और उस के घर वालों ने भी स्वीकार की. पुलिस चाहती तो अमितेश को गिरफ्तार कर सकती थी, लेकिन वह किसी साधारण परिवार से नहीं था इसलिए पुलिस को अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फोरैंसिक रिपोर्ट का इंतजार था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोली पोल तीसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो सारा मामला साफ हो गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, शिवानी की मौत अस्पताल लाने से 8 घंटे पहले सांप के काटने से नहीं बल्कि दम घुटने से हुई थी. फोरैंसिक रिपोर्ट से भी साबित हो गया था कि शिवानी की हत्या की गई थी. पुलिस ने अमितेश के बैडरूम से जो तकिए के कवर जब्त किए गए थे, उन में से एक तकिए के कवर पर शिवानी की लार के धब्बे पाए गए थे.
शक विश्वास में बदल गया था, पुलिस ने अमितेश को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उस ने शिवानी की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने पुलिस को बताया कि उसी ने पिता ओमप्रकाश एवं बहन रिचा की मदद से शिवानी की हत्या सोते समय मुंह पर तकिया रख कर की थी. अमितेश से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के पिता ओमप्रकाश पटेरिया और बहन रिचा चतुर्वेदी को भी गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उन दोनों ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस पूरी पूछताछ में शिवानी की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
जल संसाधन विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पद से रिटायर 73 वर्षीय ओमप्रकाश पटेरिया परिवार के साथ मध्य प्रदेश, इंदौर के थाना कनाडिया क्षेत्र में पड़ने वाले संचार नगर एक्सटेंशन में रहते थे. उन के परिवार में बेटा अमितेश कुमार और बेटी रिचा पटेरिया थी. पत्नी की मौत हो गई थी. बेटी बड़ी थी और बेटा छोटा. बेटी की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने उस की शादी कर दी थी.
बेटा अमितेश कुमार पटेरिया पढ़लिख कर एक्सिस बैंक में मैनेजर के पद पर तैनात हो गया था. करीब 13 साल पहले ओमप्रकाश ने उस की शादी ललितपुर की शिवानी के साथ कर दी थी. अमितेश बैंक में अधिकारी था. पिता भी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर था, घर में किसी चीज की कमी नहीं थी, इसलिए जिंदगी आराम से कट रही थी.
समय के साथ अमितेश एक बेटी और एक बेटे का पिता बना. बेटी वैदिका इस समय 8 साल की है तो बेटा वैदिक 4 साल का. सब मिलजुल कर रह रहे थे, इसलिए घर में खुशी ही खुशी थी. घर में परेशानी तब शुरू हुई, जब करीब 5 साल पहले अमितेश का तबादला इंदौर से नोएडा हो गया.
पिता सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए वह घर पर ही रहते थे. पत्नी और बच्चों को पिता के भरोसे इंदौर में छोड़ कर अमितेश नोएडा आ गया था. उस ने पत्नी से वादा किया था कि बच्चों की परीक्षा हो जाने के बाद वह उन्हें साथ ले जाएगा. लेकिन अमितेश अपने इस वादे पर कायम नहीं रहा.
बच्चों की परीक्षा खत्म हो गई तो शिवानी ने पति के साथ चलने की जिद की. तब उस ने पिता के अकेले होने की बात कह कर उसे इंदौर में ही रहने को कहा. उस का कहना था कि उस के नोएडा जाने पर पिता परेशान तो होंगे ही, उन की देखभाल भी नहीं हो पाएगी.
शिवानी जबरदस्ती नहीं कर सकती थी, क्योंकि अमितेश ने बहाना ही ऐसा बनाया था. मजबूर हो कर शिवानी को ससुर के पास इंदौर में ही रुकना पड़ा. जबकि सही बात यह थी कि अमितेश ने पिता की देखभाल का सिर्फ बहाना बनाया था. क्योंकि उस का नोएडा की एक युवती मोना सिंह से प्रेम संबंध बन गया था. इसी वजह से वह शिवानी को नोएडा नहीं लाना चाहता था.
मोना से उस की मुलाकात बैंक में ही हुई थी. वह किसी काम से बैंक आई थी. उस का वह काम बिना मैनेजर के नहीं हो सकता था. मोना अमितेश से मिली तो उस ने उस की जिस तरह मदद की, उस से वह काफी प्रभावित हुई. फिर तो वह जब भी बैंक आती, अमितेश से जरूर मिलती. धीरेधीरे ये मुलाकातें दोस्ती में बदल गईं तो दोनों ने एकदूसरे के फोन नंबर ले लिए.
मोना आधुनिक विचारों वाली स्वच्छंद युवती थी. किसी भी मर्द से बातें करने में उसे जरा भी परहेज नहीं था. यही वजह थी कि वह अमितेश से फोन पर बातें करने लगी. धीरेधीरे बातों का यह सिलसिला बढ़ता गया और समय भी. इसी के साथ बातें करने का विषय भी बदलता गया. दुनियादारी की बातों के साथ प्रेम की बातें भी होने लगीं.
गर्लफ्रैंड लगी पत्नी से प्यारी अमितेश शादीशुदा था. साथ ही 2 बच्चों का बाप भी. उस की उम्र बताती थी कि वह शादीशुदा होगा, मोना को यह बात पता भी थी. फिर भी अमितेश से दोस्ती और प्यार में उसे कोई आपत्ति नहीं थी. शायद वह मौके का फायदा उठाने वाली युवती थी. अमितेश घर और पत्नी से दूर नोएडा में अकेला रह रहा था. उसे प्यार और पत्नी के साथ की जरूरत भी महसूस होती थी. पर पत्नी बच्चों की परीक्षा की वजह से साथ नहीं आ पाई थी. इसी का फायदा मोना सिंह ने उठाया. पत्नी साथ होती तो शायद अमितेश का झुकाव मोना सिंह की ओर नहीं होता. पत्नी के प्यार को तरस रहे अमितेश ने अपनी यह जरूरत मोना सिंह से पूरी करने की कोशिश की. वह बैंक के बाहर भी उस से मिलने लगा.
मोना मर्दों की कमजोरी का फायदा उठाने वाली युवती थी. तभी तो उस ने अमितेश जैसे कमाऊ आदमी को अपने प्रेमजाल में फांसा था. मोना अमितेश को अकसर अट्टा बाजार में मिलने के लिए बुलाती. नोएडा में अट्टा बाजार ही एक ऐसी जगह है, जहां आदमी की हर जरूरत का सामान मिल जाता है. प्रेमियों के मिलने का उचित स्थान भी वही है. क्योंकि वहां इतनी भीड़ होती है कि कोई एकदूसरे को नहीं देखता. बैठने की जगहें भी हैं तो घूमने और खरीदारी के लिए दुकानें और मौल भी हैं. आधुनिक फैशन की हर चीज वहां मिलती है तो खाने के अच्छे रेस्टोरेंट भी हैं. अब तक मोना और अमितेश की बातें ही नहीं मुलाकातें भी लंबी हो गई थीं. दोनों लगभग रोज ही अट्टा बाजार में मिलने लगे थे. इस से मन नहीं भरता तो छुट्टी के दिन भी पूरा पूरा दिन साथ बिताते.
एक कहावत है, आदमी को अगर बैठने की जगह मिल जाए तो वह लेटने की सोचने लगता है. ऐसा ही कुछ अमितेश के साथ भी हुआ. मोना से दोस्ती के बाद प्यार हुआ, फिर दोनों साथसाथ घूमने लगे. शादीशुदा अमितेश का मन मोना से एकांत में मिलने का होने लगा. वह उस पर पैसे भी जम कर खर्च कर रहा था. ऐसे में भला फायदा क्यों न उठाता. लेकिन इस के लिए मोना को अपने फ्लैट पर लाना जरूरी था, क्योंकि उस से बढि़या एकांत जगह कहां हो सकती थी. मोना भी बेवकूफ नहीं थी. वह अच्छी तरह जानती थी कि अमितेश उस पर पैसा क्यों लुटा रहा है. वह तो उस की हर इच्छा पूरी कर उसे पूरी तरह अपना बनाना चाहती थी, क्योंकि अब तक उसे अमितेश के बारे में सब कुछ पता चल चुका था. उस की हैसियत का भी उसे पता था. वह बैंक में मैनेजर था, अगर ऐसा आदमी इस तरह मिल जाए तो भला कौन नहीं पाना चाहेगा. मोना उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी.
वैसा ही हाल अमितेश का भी था. वह भी मोना को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. क्योंकि उस के आगे अब पत्नी बेकार लगने लगी थी. वैसे भी उसे पत्नी से एकांत में मिलने वाला प्यार नहीं मिल रहा था. उस के लिए वह तड़प रहा था. इंदौर इतना नजदीक भी नहीं था कि उस का जब मन होता, पत्नी से मिलने चला जाता. इसलिए मोना से नजदीकी बनने के बाद वह उस से उस प्यार की अपेक्षा करने लगा, क्योंकि वह प्यार उस की जरूरत भी बन चुका था.
मोना का हाथ हाथ में ले कर अमितेश घूमता ही था. ऐसे में ही एक दिन उस ने कहा, ‘‘मोना, तुम मेरे फ्लैट पर मिलने क्यों नहीं आती?’’
‘‘मैं तो तैयार हूं, तुम्हीं नहीं बुलाते.’’ मोना ने कहा.
‘‘मेरे कमरे पर आने की तुम्हारी हिम्मत है?’’ अमितेश ने पूछा.
‘‘मेरी तो आने की हिम्मत है, तुम अपनी हिम्मत की बात करो.’’
‘‘मैं तो तुम्हारे बारे में सोच रहा था कि कहीं तुम मना न कर दो.’’ अमितेश ने कहा.
‘‘मैं जब तुम्हारे साथ घूम सकती हूं, तुम जहां बुलाते हो, वहां आ सकती हूं तो भला मैं तुम्हारे फ्लैट पर क्यों नहीं आ सकती. तुम बुलाने की हिम्मत तो करो.’’ मोना ने अमितेश की आंखों में आंखें डाल कर कहा.
‘‘फ्लैट पर आने का मतलब समझती हो?’’ अमितेश ने कहा.
‘‘खूब अच्छी तरह समझती हूं, इसीलिए तो हिम्मत की बात कही है. कमरे पर आने का मतलब है, तुम्हारी इच्छा पूरी करना. मैं उस के लिए भी तैयार हूं. अब तुम सोचो कि तुम उस के लिए तैयार हो कि नहीं?’’
‘‘मैं तैयार हूं, तभी तो तुम से फ्लैट पर चलने को कह रहा हूं.’’
‘‘तैयार तो मैं भी हूं पर अगर तुम पत्नी वाला प्यार चाहते हो तो मुझे तुम्हें पत्नी का दर्जा भी देना होगा.’’ मोना ने मन की बात स्पष्ट बता दी.
पत्नी की जगह लेने को तैयार हुई गर्लफ्रैंड मोना की इस बात पर अमितेश सोच में पड़ गया. उसे सोच में डूबा देख कर मोना ने कहा, ‘‘किस सोच में डूब गए. पत्नी वाला प्यार चाहिए तो दर्जा तो पत्नी वाला ही देना होगा. जिम्मेदारियां तो उठानी ही पड़ेंगी न?’’
अमितेश को मोना बहुत अच्छी लगती थी. उस ने पत्नी और मोना में जोड़ लगाना शुरू किया. उस की पत्नी शिवानी घरेलू, पुराने विचारों वाली, घरपरिवार में ही सुख तलाशने वाली महिला थी. उस ने ससुराल में साड़ी के अलावा कभी कुछ नहीं पहना था. उस की शक्लसूरत भी साधारण थी. उस में नाजनखरे नहीं थे, अपने बच्चों में ही उलझी रहती थी. उस के लिए बच्चे पहले थे, पति बाद में. अमितेश को इस सब की आदत भी पड़ चुकी थी, लेकिन मोना से मिलने के बाद शिवानी उसे बेकार लगने लगी थी. उसे अब मोना ही मोना दिखाई देती थी. मोना जींसटौप तो पहनती ही थी, अमितेश उसे जो भी कपड़े खरीद कर देता, वह उन सभी को पहनती थी. बाजार में खुलेआम उस का हाथ पकड़ कर चलती थी. नाजनखरे करने भी खूब आते थे. भला इस उम्र में इस तरह की प्रेम करने वाली मिले तो कौन नहीं, उस की हर शर्त मान लेगा.
अमितेश ने भी मोना की हर शर्त मान ली. फिर तो मोना अमितेश के फ्लैट पर आने की कौन कहे, अपना सामान ले कर हमेशाहमेशा के लिए आ गई. वह बिना शादी के ही अमितेश के साथ रहने लगी. इस तरह किसी मर्द के साथ रहने को आजकल लिवइन कहा जाता है. महानगरों में इस तरह रहना नई पीढ़ी के लिए एक तरह का फैशन बन गया है. अमितेश मोना के प्रेमजाल में पूरी तरह फंस चुका था, उस के आगे शिवानी बेकार लगने लगी थी. उस की हर जरूरत मोना से पूरी होने लगी तो वह शिवानी को भूलने लगा. उस की उपेक्षा करने लगा. शुरूशुरू में घरपरिवार में व्यस्त रहने वाली शिवानी ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया, पर बात जब कुछ ज्यादा ही बढ़ गई तो उस ने अमितेश को उलाहना देना शुरू किया. ऐसे में अमितेश काम का बहाना बना कर खुद को बचाने की कोशिश करता.
लेकिन कोई भी गलत काम कितने दिन छिपा रह सकता है. उस ने शिवानी को बच्चों की परीक्षा के बाद नोएडा लाने को कहा था. बच्चों की परीक्षा हो गई तो शिवानी बच्चों को ले कर नोएडा आने की तैयारी करने लगी. क्योंकि नोएडा में बच्चों के दाखिले भी कराने थे. लेकिन उन्हें नोएडा लाने के बजाय अमितेश बहाने बनाने लगा. क्योंकि अब तक वह पूरी तरह मोना का हो चुका था. जैसेजैसे दिन बीत रहे थे, वह मोना के नजदीक आता जा रहा था और शिवानी से दूर होता जा रहा था.
अभी तक अमितेश पूरी तरह मोना का नहीं हुआ था. वह भले ही उस के साथ लिवइन में रहती थी, लेकिन उस पर पूरा हक शादी के बाद ही हो सकता था. क्योंकि कुछ भी हो, कोई कितना भी प्यार करता हो, पहला और ज्यादा हक तो उस की ब्याहता पत्नी का ही बनता है. लिवइन में रहने वाली महिला पत्नी के सामने रखैल से ज्यादा कुछ नहीं होती. अमितेश की एक शादी हो चुकी थी. उस पत्नी से उसे 2 बच्चे भी थे, इसलिए दूसरी शादी के लिए उसे पहली पत्नी से तलाक लेना जरूरी था. मोना के लिए वह शिवानी से तलाक लेने को भी तैयार था, पर उसे तलाक की कोई वजह नजर नहीं आ रही थी. क्योंकि शिवानी सीधीसादी गृहस्थ महिला थी. अभी ससुराल वाले भी उसी के पक्ष में थे. इस के लिए अमितेश को पिता और बहन को भी अपने पक्ष में करना था.
घर वाले उस के पक्ष में तभी आते, जब शिवानी से उन्हें परेशानी होती. इस के लिए उस ने चाल चलनी शुरू कर दी. वह जम कर शिवानी की उपेक्षा करने लगा, जिस से शिवानी तिलमिला उठी और यह सोचने पर मजबूर हो गई कि अमितेश उस के साथ ऐसा क्यों कर रहा है. जल्दी ही उसे अपनी उपेक्षा की वजह पता चल गई. पता चला कि उस के पति को बीवी जैसा सुख देने वाली कोई और मिल गई है, इसीलिए वह उस की उपेक्षा कर रहा है. विवाद बढ़ा तो पिता और बहन ने अमितेश का ही लिया पक्ष मोना से अमितेश के संबंध होने की बात पता चलते ही पतिपत्नी में विवाद होने लगा. विवाद बढ़ा तो इस का असर घरपरिवार पर भी पड़ने लगा, जिस से घर में परेशानी होने लगी. पिता और बहन को जितना लगाव अमितेश से था, उतना शिवानी से नहीं था. होता भी कहां से अमितेश उन का अपना खून था, शिवानी गैर घर से आई थी.
घर वालों को शिवानी का अमितेश से लड़ना अच्छा नहीं लगता था. उन्हें लगता था कि शिवानी उसे परेशान करती है इसलिए वे शिवानी का पक्ष लेने के बजाए अमितेश का ही पक्ष लेते थे. इस से शिवानी घर में अकेली पड़ गई. उस के ससुर और ननद दोष उसे ही देते थे. उन का कहना था कि उसी की वजह से अमितेश ने इंदौर आना छोड़ दिया. वह अपनी बात कहती तो उसकी बात पर कोई विश्वास नहीं करता था. पिता और बहन अमितेश के पक्ष में आ गए तो उस ने शिवानी को तलाक देने की तैयारी कर ली. क्योंकि मोना तलाक के लिए उस पर लगातार दबाव डाल रही थी. शिवानी अमितेश से लड़ाईझगड़ा करती थी, उस ने इसे ही आधार बना कर तलाक की अर्जी तो लगा दी पर बाद में उसे लगा पतिपत्नी में लड़ाईझगड़े का आधार तलाक के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए उस ने तलाक की अर्जी वापस ले कर शिवानी से समझौता कर लिया.
उस ने तलाक की अर्जी भले ही वापस ले ली थी, पर वह शिवानी से किसी भी तरह छुटकारा पाना चाहता था. क्योंकि अब वह मोना के बगैर नहीं रह सकता था. जब उस ने विचार करना शुरू किया कि किस तरह शिवानी से पूरी तरह मुक्ति मिल सकती है तो उस के दिमाग में एक ही बात आई, उस की हत्या. लेकिन यह काम आसान नहीं था. अगर वह हत्या के आरोप में पकड़ा जाता तो पूरी जिंदगी जेल में बीतती, मोना भी उसे नहीं मिल पाती. लेकिन हत्या के अलावा अमितेश को दूसरा कोई उपाय नजर नहीं आ रहा था. वह इस बात पर विचार करने लगा कि शिवानी की हत्या किस तरह करे कि वह मर जाए और उस पर शक न जाए. काफी सोचविचार के बाद भी जब उस की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने टीवी पर आने वाले अपराध आधारित शो देखने शुरू किए. इन्हीं में से किसी धारावाहिक के एपिसोड में उस ने देखा कि एक आदमी ने जहरीले सांप से कटवा कर पत्नी की हत्या कर दी.
अमितेश को यह उपाय अच्छा लगा. उस ने इसी तरह की योजना बनानी शुरू कर दी. वह पता लगाने लगा कि भारत में सब से जहरीला सांप कौन सा होता है. उसे पता चला कि भारत में सब से अधिक जहरीला सांप डेजर्ट कोबरा है. पर वह मध्य प्रदेश में नहीं पाया जाता. आजकल गूगल पर किसी भी बात के बारे में जाना जा सकता है. उस ने गूगल पर सर्च किया तो पता चला यह सांप राजस्थान में पाया जाता है. सारी जानकारी जुटा कर अमितेश नवंबर 2019 में नौकरी से इस्तीफा दे कर इंदौर स्थित अपने घर आ गया. घर आ कर उस ने शिवानी से कहा, ‘‘लो अब मैं हमेशाहमेशा के लिए तुम्हारे पास आ गया. अब तो तुम्हें विश्वास हो जाना चाहिए कि मैं केवल तुम्हारा हूं.’’
‘‘कहीं इस में भी तुम्हारी कोई चाल न हो?’’ शिवानी ने कहा.
‘‘तुम्हें तो अब मेरी हर बात में चाल ही नजर आती है. अरे मैं तुम्हारे पास रह कर कौन सी चाल चलूंगा.’’ शिवानी को विश्वास दिलाने की गरज से अमितेश ने कहा, ‘‘तुम मेरी पत्नी ही नहीं, मेरे बच्चों की मां भी हो. मैं तुम्हें छोड़ कर भला कहां जा सकता हूं.’’
शिवानी को पति की बातों पर विश्वास करना ही पड़ा. उस के पास इस के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं था क्योंकि उसे रहना तो वहीं था. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि हमारे यहां यह मान लिया जाता है कि शादी के बाद बेटी का घर ससुराल ही होता है. भले ही ससुराल में उसे कितनी भी तकलीफ झेलनी पड़े, शादी के बाद बेटी मांबाप के लिए बोझ बन जाती है. ऐसा ही शिवानी के साथ भी था. फिर अब वह अकेली भी नहीं थी. उस के 2 बच्चे भी थे. उन्हें साथ ले कर वह मायके नहीं जा सकती थी.
योजना पर अमल के लिए इंदौर पहुंच कर अमितेश ने शिवानी से छुटकारा पाने वाली बात पिता ओमप्रकाश पटेरिया को बता कर उन से मदद मांगी. अमितेश उन का एकलौता बेटा था, बुढ़ापे की लाठी. वह भला उस का साथ क्यों न देते. क्योंकि उस ने उन से साफ कह दिया था कि मोना के बगैर वह नहीं रह सकता. अगर वह उस का साथ नहीं देते तो वह या तो हमेशाहमेशा के लिए घर छोड़ देता या मौत को गले लगा लेता. ऐसा ही कुछ कह कर उस ने बहन को भी शिवानी की हत्या में साथ देने के लिए राजी कर लिया. जब पिता और बहन राजी हो गए तो अमितेश 19 नवंबर को राजस्थान के जिला अलवर गया और वहां रहने वाले किसी संपेरे से 5 हजार रुपए में डेजर्ट कोबरा खरीद लाया. सांप को उस ने एक बरनी में बंद कर के अलमारी में छिपा दिया और मौके का इंतजार करने लगा.
वह हर रात शिवानी के सो जाने पर उसे जहरीले सांप से कटवाने की कोशिश करता पर सांप को हाथ से पकड़ कर शिवानी को कटवाने की वह हिम्मत नहीं कर पाता. इस तरह एकएक कर के 11 रातें गुजर गईं. सांप से कटवाने में उसे एक बात का डर और सता रहा था कि कहीं शिवानी जाग गई और उस के हाथ में सांप देख लिया तो शोर मचा देगी. उस के बाद वह पकड़ा जाएगा और हत्या की कोशिश में उसे सजा हो जाएगी. जब अमितेश ने देखा कि वह जीते जी शिवानी को सांप से नहीं कटवा पा रहा है तो उस ने पिता और बहन की मदद ली. जब वे दोनों मदद के लिए राजी हो गए तो पहली दिसंबर की सुबह पिता और बहन की मदद से अमितेश ने सो रही शिवानी के मुंह को तकिए से दबा कर मार डाला.
शिवानी की हत्या के बाद उस के पिता और बहन बच्चों को ले कर साऊ चले गए तो अमितेश अपनी अगली योजना पर काम करने लगा. अब वह मृत शिवानी को सांप से कटवाना चाहता था. इस कोशिश में उसे काफी समय लग गया, क्योंकि वह खुद भी डर रहा था कि कहीं सांप उसे ही न काट ले. आखिरकार दोपहर बाद वह चिमटे से सांप को पकड़ कर शिवानी को कटवाने में सफल हो गया. शिवानी तो पहले ही मर चुकी थी लेकिन अमितेश को तो यह दिखाना था कि शिवानी सांप के काटने से मरी है, इसलिए उस ने क्रिकेट खेलने वाले बैट से सांप को मार कर शिवानी के पास बैड पर रख दिया. इस के बाद सारी तैयारी कर के उस ने किराएदार निखिल को आवाज लगाई कि शिवानी को सांप ने काट लिया है. वह निखिल को गवाह बनाना चाहता था कि उस ने शिवानी के पास उस सांप को देखा है, जिस के काटने से उस की मौत हुई है.
निखिल गवाह तो बना पर अमितेश को बचाने का नहीं बल्कि फंसाने का. उसी ने पुलिस को बताया था कि पतिपत्नी में नहीं पटती थी. उस की इस बात से अमितेश शक के घेरे में आ गया था. सभी से विस्तारपूर्वक की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने अमितेश, उस के पिता ओमप्रकाश पटेरिया, बहन रिचा चतुर्वेदी के खिलाफ शिवानी की हत्या का मुकदमा दर्ज कर के उन्हें बाकायदा गिरफ्तार कर लिया. इस के अलावा अमितेश ने यह भी स्वीकार किया कि उस ने डेजर्ट कोबरा की हत्या क्रिकेट बैट से की थी, इसलिए पुलिस ने उस के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 51 के तहत भी केस दर्ज किया.
इस धारा में कम से कम 3 साल और ज्यादा से ज्यादा 7 साल की सजा का प्रावधान है. इस के अलावा 10 हजार रुपए का जुरमाना भी देना होता है. सारी काररवाई पूरी कर पुलिस ने तीनों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. जिस मोना के लिए आज अमितेश जेल में है, क्या वह उस का इंतजार करेगी? कतई नहीं, मोना अपनी जवानी उस के इंतजार में क्यों गंवाएगी. अब वह अमितेश जैसा ही कोई और ढूंढ लेगी.