Ujjain Crime : नितेश और राजेश साथसाथ काम करते थे और अच्छे दोस्त थे. जब राजेश ने दोस्ती की आड़ में नितेश की रिश्ते की बहन से प्यार की पींगें बढ़ानी शुरू कर दीं तो नितेश विरोध पर उतर आया. इस का नतीजा यह निकला कि राजेश ने अपने दोस्त जगदीश के साथ मिल कर…

नितेश चौहान के घर वाले उज्जैन के नागदा सिटी थाने के चक्कर लगातेलगाते परेशान हो चुके थे. लेकिन पुलिस नितेश के हत्यारों का पता नहीं लगा पा रही थी. दरअसल, किसी ने नितेश (19 साल) की हत्या कर दी थी. 10 जून, 2018 को उस का शव नागदा-जावरा रोड पर स्थित पार्क में मिला था. तत्कालीन टीआई अजय वर्मा ने केस की जांच की. वह इस केस को नहीं खोल पाए तो उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जांच साइबर सेल को सौंप दी गई, लेकिन साइबर सेल भी हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी. कहने का तात्पर्य यह है कि हत्या के 16 महीने बाद भी पुलिस इस केस को खोलने में नाकाम रही. उधर बेटे के हत्यारों का पता न चलने पर नितेश के मातापिता परेशान थे. वे लोग थाने से ले कर एसपी औफिस तक चक्कर काटतेकाटते थकहार चुके थे.

टीआई अजय वर्मा के स्थानांतरण के बाद टीआई श्यामचंद्र शर्मा ने नागदा सिटी थाने का पदभार संभाला तो बेटे की मौत के गम में डूबे नितेश के पिता ने श्यामचंद्र शर्मा से मुलाकात कर अपना दुखड़ा रोया. टीआई ने नितेश हत्याकांड की फाइल निकलवा कर उस का अध्ययन किया. उन्होंने इस संबंध में सीएसपी मनोज रत्नाकर से दिशानिर्देश ले कर फिर से केस की जांच शुरू कर दी. इस जांच में टीआई श्यामचंद्र शर्मा के हाथ कुछ ऐसे क्लू लगे, जिन के आधार पर वह नितेश चौहान के हत्यारों का पता लगाने में सफल हो गए. इतना ही नहीं उन्होंने 5 अक्तूबर, 2019 को आरोपी जगदीश और राजेश को नागदा स्थित उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया.

दोनों आरोपियों से थाने में पूछताछ की गई तो 19 वर्षीय नितेश चौहान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

19 वर्षीय नितेश नागदा के ब्लौक 58 में रहने वाले गोविंद चौहान का बेटा था. गोविंद चौहान आटोरिक्शा चालक था. बड़े बेटे नितेश के अलावा गोविंद चौहान की 2 बेटियां थीं. बीकौम पास करने के बाद नितेश चंबल ब्रिज के पास स्थित सहारा अस्पताल में कंपाउंडर की नौकरी कर रहा था. इस पार्टटाइम नौकरी के अलावा वह उज्जैन के एक अस्पताल में नर्सिंग का कोर्स भी कर रहा था. 19 जून, 2018 को नितेश सहारा अस्पताल से घर जाने के लिए निकला. जब वह रास्ते में था, तभी उस की मां सुनीता ने उसे फोन कर के कहा कि वह घर आते समय दूध की एक थैली लेता आए. नितेश को नर्सिंग की ट्रेनिंग करते अभी 25 दिन ही हुए थे.

चूंकि वह नर्सिंग का काम जानता था, इसलिए वह वहां पूरी जिम्मेदारी से काम कर रहा था. अस्पताल में काम करने वाले सभी लोग उस से खुश थे. उस की योग्यता व लगन को देखते हुए अस्पताल के प्रबंधक ने उसे सम्मानित करने की घोषणा भी कर दी थी. नितेश ने अपनी मां से कहा कि वह कुछ ही देर में घर पहुंच जाएगा, लेकिन आधी रात से ज्यादा हो गई, वह घर नहीं आया. तब नितेश के पिता गोविंद चौहान ने बेटे के मोबाइल पर फोन किया. किसी ने फोन रिसीव तो किया लेकिन कोई बात नहीं हुई. फोन पर बाइक के चलने की आवाज आ रही थी. इस से उन्होंने अंदाजा लगाया कि शायद वह बाइक चला रहा होगा. कुछ देर में घर आ जाएगा.

लेकिन 2 घंटे बाद भी नितेश घर नहीं पहुंचा तो उन्होंने छत पर जा कर पड़ोस में रहने वाले नितेश के खास दोस्त ताहिर को आवाज लगाई. जवाब में ताहिर के घर से कोई आवाज नहीं आई तो वह घर में बैठ कर बेटे का इंतजार करते रहे. धीरेधीरे पूरी रात बीत गई लेकिन नितेश घर नहीं आया और न ही उस की कोई खबर आई. अब नितेश का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ हो गया था. दूसरे दिन सुबह लगभग साढ़े 6 बजे कुछ लोगों ने नागदा जावरा रोड पर स्थित अटल निसर्ग उद्यान में एक संदिग्ध बोरा पड़ा देखा. किसी ने यह सूचना नागदा सिटी थाने के तत्कालीन टीआई अजय वर्मा को दे दी. टीआई कुछ देर में अटल निसर्ग उद्यान पहुंच गए. पुलिस ने जब पार्क में पड़ा मिला वह बोरा खोल कर देखा तो उस में लगभग 19-20 साल के एक युवक की लाश मिली.

कुछ ही देर में पूरे नागदा में युवक की लाश मिलने की खबर फैल गई. चूंकि नितेश भी बीती रात से घर नहीं पहुंचा था, इसलिए गोविंद चौहान भी सूचना पा कर उस पार्क में पहुंच गए. लाश देखते ही गोविंद चौहान की चीख निकल गई, क्योंकि वह लाश उन के बेटे नितेश की ही थी. टीआई अजय वर्मा ने लाश मिलने की सूचना तत्कालीन एसपी (उज्जैन) सचिन अतुलकर को दे दी. खबर पा कर एसपी सचिन अतुलकर भी मौके पर पहुंच गए. एफएसएल अधिकारी डा. प्रीति गायकवाड़ ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर शव की जांच की. नितेश के शरीर पर चोटों के निशानों के अलावा गले पर भी निशान था, जिसे देख कर लग रहा था कि उस की हत्या किसी तार या पतली रस्सी से गला घोंट कर की गई है.

जांच के दौरान बोरे के ऊपर किसी महिला के सिर का बाल भी चिपका मिला. इस से पुलिस को औनर किलिंग की आशंका हुई. क्योंकि एक रोज पहले ही पास के गांव रूई में लगभग इसी उम्र की एक युवती का जला हुआ शव मिला था. इसलिए पुलिस नितेश की हत्या को उस युवती के शव के साथ जोड़ कर देख रही थी. पुलिस ने नितेश के दोस्तों से पूछताछ की, जिस में उस के एक खास दोस्त ने बताया कि नितेश का किल्लीपुरा की रहने वाली एक लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था. जिस के चलते करीब 3 साल पहले उस के साथ मारपीट भी की गई थी. कुछ रोज पहले उस लड़की को ले कर रितेश का विवाद हुआ था. इस से पुलिस को यकीन हो गया कि मामला औनर किलिंग का ही हो सकता है.

संभावना थी कि रूई गांव में मिला शव नितेश की प्रेमिका का रहा होगा, इसलिए पुलिस ने नितेश की प्रेमिका की खोज शुरू कर दी, लेकिन प्रेमिका अपने घर में सुरक्षित मिली. पुलिस ने उस के बयान दर्ज कर उस की अंगुलियों के निशान भी मिलान के लिए ले लिए. 3 दिन बीत जाने पर भी पुलिस के खाली हाथ देख लोगों में गुस्सा बढ़ने लगा, जिस से पुलिस पर काम का दबाव बढ़ गया. पुलिस ने नितेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकालने के अलावा सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी देखी. फुटेज में नितेश 3 दोस्तों के साथ सड़क पर मस्ती करते हुए दिखाई तो दिया लेकिन उन लड़कों का चेहरा साफ दिखाई नहीं दे रहा था.

नितेश जिस अस्पताल में पार्टटाइम काम करता था, वहां के लोगों को जब वह फुटेज दिखाई गई तो उन दोनों लड़कों की पहचान हो गई. वे दोनों उस के साथ अस्पताल में ही काम करने वाले राजेश गहलोत और जगदीश बैरागी थे. पुलिस ने राजेश गहलोत और जगदीश बैरागी से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि वे उस के साथ थे जरूर, लेकिन कुछ देर में वे आ गए थे. रात लगभग साढ़े 8 बजे नितेश घर जाने को बोल कर चला गया था. पुलिस को यह भी पता चला कि कुछ दिन पहले नितेश के साथ ट्रेनिंग ले रही एक युवती के कारण उज्जैन में भी उस का एक युवक से विवाद हुआ था. इसलिए पुलिस ने उज्जैन जा कर भी मामले को हल करने की कोशिश की, लेकिन उस के हाथ कुछ नहीं लगा. इस के बाद पुलिस ने नितेश की बहनों को केंद्र में रख कर जांच की, लेकिन इस दिशा में काम करने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहे.

जब थाना पुलिस इस केस को नहीं खोल सकी तो एसपी सचिन अतुलकर ने जांच थाना पुलिस से ले कर उज्जैन की साइबर सेल को सौंप दी. साइबर सेल की टीम ने शुरुआत से जांच की. टीम ने लगभग डेढ़ लाख फोन काल की जांच की. कई नंबरों को विशेष तौर पर जांच में लिया. इस जांच में नागदा के 3 युवक ताहिर, अशफाक और अजहर शक के दायरे में आए. पुलिस टीम ने उन से गहन पूछताछ की, लेकिन पुलिस को ऐसा कोई सिरा नहीं मिला, जिसे पकड़ कर वह नितेश के हत्यारों तक पहुंच पाती. कुल मिला कर साइबर सेल भी केस का खुलासा नहीं कर सकी तो समय के साथ मामला ठंडा पड़ता गया और धीरेधीरे लोग नितेश हत्याकांड को भूलने लगे. लेकिन पुलिस नहीं भूली थी, वह अपनी गति से मामले की जांच में जुटी थी.

इस केस में निर्णायक मोड़ नागदा सिटी थाने के नए टीआई श्यामचंद्र शर्मा के पदभार संभालने के बाद आया. उन्होंने इस हत्याकांड को एक चैलेंज के रूप में लिया. इस केस की फाइल का अध्ययन करने के दौरान जिन संदिग्ध लोगों के बयान पर उन्हें शक हुआ, उन्हें फिर से थाने बुला कर पूछताछ की गई. साथ ही नितेश के प्रेम प्रसंग को भी खंगाला गया. किल्लीपुरा में रहने वाली नितेश की प्रेमिका से भी कई बार फिर से पूछताछ की गई. इस के साथसाथ सीएसपी मनोज रत्नाकर के निर्देशन में टीआई श्यामचंद्र शर्मा ने एक बार फिर वे तमाम सीसीटीवी फुटेज खंगालने का काम शुरू कर दिया, जिन्हें पहले भी पुलिस कई बार खंगाल चुकी थी. विशेषकर सहारा  अस्पताल के फुटेज बारबार चैक किए गए क्योंकि नितेश वहां पार्टटाइम नौकरी करता था.

सहारा अस्पताल के फुटेज चैक करते हुए टीआई उस समय चौंके, जब उन्होंने देखा कि घटना वाली रात में 9 बज कर 34 मिनट के बाद एक मिनट कुछ सैकेंड की फुटेज गायब थी. जाहिर है या तो उस वक्त लाइट चली गई होगी या फिर कैमरा बंद किया गया होगा. नितेश भी लगभग इसी समय गायब हुआ था, इसलिए टीआई समझ गए कि नितेश हत्याकांड के तार कहीं और नहीं बल्कि उसी सहारा अस्पताल से जुड़े हैं, जहां वह नौकरी करता था. इस से टीआई शर्मा ने अस्पताल में नितेश के साथ काम करने वाले राजेश और जगदीश को बुला कर कई बार पूछताछ की, लेकिन उन के बयानों में ऐसा कुछ भी संदिग्ध नजर नहीं आया, जिस से उन दोनों को घेरा जा सके. इस के बावजूद टीआई शर्मा को पूरा भरोसा था कि नितेश हत्याकांड की पूरी कहानी अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे के मिसिंग फुटेज में ही छिपी है.

इसलिए सीएसपी मनोज रत्नाकर और टीआई शर्मा मिल कर अस्पताल की फुटेज की बारीकी से जांच करते रहे, जिस के चलते नितेश की हत्या के 16 महीने बाद एक ऐसा क्लू मिल गया जो उन्हें नितेश के हत्यारों तक ले गया. हुआ यह कि दोनों अधिकारी बारबार अस्पताल के कैमरे के उन फुटेज को देख रहे थे, जो रात में कैमरा बंद होने से पहले और बाद में रिकौर्ड हुए थे. इस दौरान अचानक उन की नजर अस्पताल की टेबल पर एक फाइल के ऊपर रखी दूध की थैली पर पड़ी. यह दूध की थैली उस वक्त फाइल पर नहीं थी, जब कैमरा बंद किया गया था. कैमरा वापस चालू होने पर थैली वहां रखी मिली.

घटना की रात नितेश भी दूध की थैली ले कर घर जाने वाला था. डेयरी वाले ने भी बताया कि उस रात नितेश ने उस से दूध की थैली खरीदी थी. मतलब साफ था कि अस्पताल से घर के लिए निकलने के बाद नितेश ने दूध की थैली खरीदी थी. इस के बाद वह दूध की थैली ले कर घर जाने से पहले एक बार फिर अस्पताल लौटा था, जिस के बाद अगले दिन उस की लाश ही मिली. टीआई ने अब अपना पूरा ध्यान सीसीटीवी कैमरे की फुटेज पर लगा दिया, जिस में उन्होंने पाया कि रात में कैमरे फिर से चालू होने के लगभग 20 मिनट बाद 9 बज कर 59 मिनट पर फिर बंद कर दिए गए थे. इस के बाद जब अगले दिन सुबह जगदीश और राजेश ने अस्पताल खोला तो कैमरे फिर चालू किए गए.

सुबह 7 बजे जब कैमरे चालू किए गए, उस वक्त भी दूध की थैली टेबल के ऊपर ही रखी थी, जो बाद में राजेश ने वहां से हटा दी थी. मतलब साफ था कि नितेश दूध ले कर अस्पताल गया था और उस के बाद वह वहां से निकला तो इस स्थिति में नहीं था कि अपने साथ दूध की थैली ले जा सके. यानी उस की हत्या अस्पताल के अंदर ही की गई थी. इस पूरे मामले पर सीएसपी मनोज रत्नाकर ने उज्जैन एसपी सचिन अतुलकर से लंबी चर्चा की. इस के बाद उन्होंने एक बार फिर राजेश गहलोत और जगदीश बैरागी को थाने बुला कर पूछताछ की. पूछताछ में दोनों अपने पुराने बयान ही दोहराते रहे.

जब टीआई ने देखा कि सीधी अंगुली से घी नहीं निकल सकता तो उन्होंने दोनों से सख्ती से पूछताछ की. जिस से कुछ ही देर में राजेश ने नितेश की हत्या की बात स्वीकार कर पूरी कहानी सुना दी, जो इस प्रकार है—

साथसाथ काम करते हुए नितेश और राजेश गहलोत के बीच अच्छीखासी दोस्ती हो गई थी. पास के एक शहर में नितेश के एक नजदीकी रिश्तेदार थे, जिन की बेटी नताशा थी. करीब 2 साल पहले नितेश काम के सिलसिले में नताशा के घर गया तो संयोग से राजेश भी उस के साथ था. वहां नितेश ने अपने रिश्ते की बहन नताशा से राजेश का परिचय करवाया था. उस रोज राजेश नितेश के साथ वापस नागदा तो आ गया, लेकिन अपना दिल नताशा के पास ही छोड़ आया था. उसे नताशा से प्यार हो गया था. नागदा आने के कुछ दिन बाद राजेश ने फेसबुक पर नताशा को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी, जो उस ने स्वीकार कर ली. इस के बाद फेसबुक के माध्यम से दोनों की दोस्ती बढ़ती गई. राजेश और नताशा में प्रेम संबंध बन गए. समय के साथ दोनों का प्रेम इतना आगे बढ़ गया कि राजेश नितेश से छिप कर नताशा से मिलने उस के शहर जाने लगा. इस दौरान राजेश नताशा को ले कर होटल में जाता था.

लेकिन कुछ दिनों बाद दोनों के प्रेम संबंधों की खबर उस के परिवार वालों को लग गई. उन्हें इस बात की जानकारी भी हो गई कि नताशा का प्रेमी युवक नितेश का दोस्त है और नितेश ने ही उस से नताशा को मिलवाया था. जबकि सच्चाई यह थी कि नितेश को नताशा और राजेश की प्रेम कहानी के बारे में कुछ पता नहीं था. घटना से कुछ रोज पहले राजेश अपनी प्रेमिका नताशा से एकांत में मिलने उस के शहर पहुंचा तो नताशा की बड़ी बहन को इस की जानकारी हो गई. बताते हैं कि बड़ी बहन ने नताशा को राजेश के साथ देख लिया तो उस ने वहीं खड़े हो कर नितेश को फोन कर दिया और उसे राजेश की हरकत के बारे में बताया.

इस पर नितेश ने राजेश को फोन कर तुरंत नागदा आने को कहा. नागदा पहुंच कर वह नितेश से मिला तो दोनों के बीच कुछ विवाद भी हुआ, लेकिन बाद में राजेश ने माफी मांगते हुए नताशा से न मिलने का वादा कर बात खत्म कर दी. राजेश और नताशा प्यार की डगर पर काफी आगे तक निकल चुके थे, लेकिन अब दोनों का मिलना मुश्किल हो गया था. दरअसल, राजेश कभी नागदा से बाहर जाता तो नितेश यह खबर नताशा की बड़ी बहन को कर देता था, जिस से वह नताशा पर नजर रखे. इस से धीरेधीरे राजेश और नताशा के मिलने पर पूरी तरह से रोक लग गई.

नितेश की जासूसी की बात राजेश को पता चली तो वह उस से रंजिश रखने लगा. साथ में काम करने वाले जगदीश को पहले से ही राजेश और नताशा की प्रेम कहानी की जानकारी थी. इसलिए जब राजेश नताशा से मिलने के लिए बेचैन रहने लगा तो दोनों ने मिल कर नितेश को ही ठिकाने लगाने की योजना बना ली. क्योंकि वही उन दोनों के रास्ते का कांटा था. 10 जून, 2018 को नितेश शाम को अस्पताल से घर के लिए निकला. तभी राजेश ने उसे फोन कर सिगरेट पीने के बहाने से वापस बुलाया. राजेश के बुलाने पर नितेश अस्पताल में आया, जहां राजेश और जगदीश ने मोबाइल चार्जर के वायर से गला घोंट कर उस की हत्या कर दी और उस का शव बोरे में भर कर जावरा रोड पर स्थित पार्क में फेंक दिया.

अगले दिन जब पार्क में शव मिलने पर लोग जमा हुए तो दोनों हत्यारोपी भी नितेश के घर जा कर शोक में शामिल भी हो गए. घटना के बाद लंबा समय लग जाने पर भी पुलिस दोनों आरोपियों तक नहीं पहुंच सकी, जिस से उन्हें भरोसा हो गया था कि अब पुलिस उन्हें कभी नहीं पकड़ पाएगी. लेकिन टेबल पर रखी दूध की थैली ने दोनों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में नताशा परिवर्तित नाम है.

 

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