Crime Stories : राहुल प्रीति को प्यार करता था, प्रीति भी प्यार के बंधन में बंधी थी. लेकिन प्रीति के घरवाले इस प्रेम के दुश्मन बन गए. उन्होंने प्रीति की हत्या कर उस की लाश न केवल जला दी, बल्कि उस से जुड़े सारे सबूत भी नदी में बहा दिए. राहुल इस से पूरी तरह अनभिज्ञ था. प्रीति की हत्या का राज 7 महीने बाद तब खुला जब…
राहुल सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गया. उसे सुबहसुबह बनसंवर कर जाते देख मां ऊषा देवी ने टोकते हुए कहा,‘‘राहुल, इतना बनसंवर कर कहां चल दिया?’’
‘‘मां, कितनी बार कहा है कि जाते समय पीछे से न टोका करो. मैं एक बहुत जरूरी काम से जा रहा हूं.’’
‘‘लेकिन बेटा, तू तो आज मेरे साथ बाजार जाने वाला था.’’
‘‘मां, बाजार शाम को चलेंगे. मैं लौट कर नहीं आऊंगा क्या, जाता हूं मुझे देर हो रही है.’’ इतना कह कर राहुल घर से निकल गया. थोड़ी देर में वह पूर्व निश्चित जगह पर पहुंच गया और इंतजार करने लगा. लगभग 20 मिनट बाद उस की नजर अपनी तरफ आती एक खूबसूरत युवती पर पड़ी तो उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. उस के पास आते ही राहुल बोला,‘‘इतनी देर क्यों लगा दी प्रीति, मैं कब से यहां बाजार में खड़ा तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’
‘‘जब प्यार किया है तो इंतजार तो करना ही पड़ेगा. वैसे अब तक तुम्हें इस की आदत पड़ जानी चाहिए थी.’’ प्रीति ने तिरछी नजरों से उसे देखते हुए शरारती लहजे में कहा.
‘‘क्या करूं प्रीति, यह कमबख्त दिल नहीं मानता. जब तक तुम्हारा दीदार नहीं हो जाता, मुझे चैन नहीं आता. मैं अपने दिल के हाथों मजबूर हूं.’’
राहुल का प्यार देख प्रीति भावविभोर हो कर बोली,‘‘मुझे मालूम है राहुल, तुम्हारे दिल में मेरे लिए कितना प्यार है. तुम्हारे इस प्यार के लिए तो मैं किसी से भी लड़ जाऊंगी. मेरी इन आंखों को भी तुम्हारा दीदार करने के बाद ही सुकून मिलता है.’’
‘‘प्रीति, आज कालेज की छुट्टी करो. खूब घूमेंगे, खाएंगे पीएंगे. आज मौसम भी काफी रोमांटिक है, खासतौर पर हम जैसे प्यार करने वालों के लिए.’’
प्रीति तैयार हो गई तो ही राहुल उसे बाजार घुमाने लगा. राहुल ने उस की पसंद की चीजें भी दिलाईं. फिर कुल्फी खरीदी और कुल्फी खातेखाते वह दूर एक सुनसान जगह पर पहुंच गए. वहां दोनों एक एकांत जगह देख बैठ गए. दोनों ही बहुत खुश थे. जिस दिन एक साथ घूमने का मौका मिल जाता था, दोनों दीनदुनिया से बेखबर हो कर एकदूसरे में डूब जाते थे. उन की शरारतें भी एकाएक बढ़ जाती थीं. प्रीति को तल्लीनता से कुल्फी खाते देख राहुल को शरारत सूझी. उस ने अचानक प्रीति का हाथ अपनी तरफ खींच कर उस की थोड़ी कुल्फी खा ली और आंख बंद कर के उस के स्वाद का आनंद लेते हुए बोला, ‘‘वाह प्रीति, तुम्हारी कुल्फी का तो जबाब नहीं. तुम्हारी कुल्फी मेरी कुल्फी से ज्यादा मीठी है.’’
‘‘राहुल, हम दोनों की कुल्फी एक जैसी है. फिर केवल मेरी कुल्फी कैसे ज्यादा मीठी हो सकती है.’’ प्रीति ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘कुल्फी तुम्हारे गुलाबी होंठों से लग कर मीठी हुई है.’’ राहुल ने प्रीति के गुलाबी होंठों को अंगुली से छूते हुए कहा. इस पर प्रीति प्यार से राहुल के गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोली, ‘‘बहुत शरारती होते जा रहे हो. एक बार शादी हो जाने दो, फिर तुम्हारी सारी शरारतें छुड़वा दूंगी.’’
‘‘अभी शादी हुई नहीं और ये तेवर. अब तो मैं तुम से शादी ही नहीं करूंगा.’’
‘‘बच्चू, मुझ से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं है, शादी तो मैं तुम से ही करूंगी.’’ प्रीति ने इस अंदाज में कहा कि राहुल हंस पड़ा. उसे हंसते देख कर प्रीति भी हंस पड़ी. दोनों में काफी देर तक प्रेमिल नोंकझोंक होती रही. जब काफी समय हो गया तो दोनों एकदूसरे से विदा ले कर अपनेअपने घर चले गए. प्रीति जनपद प्रतापगढ़ के अंतू थाना क्षेत्र के गांव नंदलाल का पुरवा की रहने वाली थी, उस के दादा रामप्यारे वर्मा थे, जो खेतीकिसानी करते थे. परिवार में पत्नी के अलावा 4 बेटे थे राजू, राजेश, जमुना प्रसाद और ब्रजेश. वे सभी भाई शादीशुदा थे. सभी बेटों के पास अपनेअपने हिस्से की जमीन थी. रामप्यारे के सभी बच्चे अपने परिवारों के साथ सुखी थे.
रामप्यारे का सब से बड़ा बेटा था राजू. वह सूरत में रह कर प्राइवेट नौकरी कर रहा था. उस के परिवार में पत्नी रमा के अलावा 2 बेटियां प्रीति और पूजा थीं. प्रीति निहायत खूबसरत थी. उस पर उस की कातिल मुसकान उस के चेहरे को और भी खूबसूरत बना देती थी. वह बीए तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी. राहुल प्रतापगढ़ के सांगीपुर थानाक्षेत्र के गांव सिंघनी निवासी नन्हे वर्मा का बेटा था. नन्हे खेतीबाड़ी करते थे. नन्हे और ऊषा के 3 बेटों में राहुल बड़ा था. वह बीए तक पढ़ा था. राहुल काफी स्मार्ट था. राहुल के मामा फूलचंद्र वर्मा नंदलाल का पुरवा गांव के रहने वाले थे. फूलचंद्र राजू वर्मा का पड़ोसी था.
राहुल बाइक से अकसर अपने मामा के यहां जाता रहता था. इस आनेजाने में उस की नजर प्रीति पर पड़ी तो उस के दिल की घंटी बजने लगी. अब जब भी उस का मन होता माया के गांव जा कर प्रीति को देख ले. जब कभी प्रीति बाजार या सहेलियों के यहां जाती तो राहुल उस के पीछे लग जाता. प्रीति से उस की गतिविधियां छिपी नहीं थीं. उसे भी राहुल अन्य युवकों की अपेछा कुछ अलग सा लगा था. प्रीति रोज कालेज जाती थी. एक दिन रास्ते में खड़ा हो कर वह प्रीति का इंतजार करने लगा. थोड़ी देर में प्रीति आती दिखाई दी. उसे देखते ही राहुल के चेहरे पर मुसकराहट दौड़ गई. जैसे ही उस की नजरें प्रीति से टकराईं, उस का दिल तेजी से धड़कने लगा. प्रीति ने उसे देख लिया था. वह राहुल के पास आ कर धीरे से मुसकराई और सामने से गुजर गई.
राहुल ने भी प्रीति के पीछे अपने कदम बढ़ा दिए. उस ने आसपास देखा और फि़र आहिस्ता से उसे आवाज दी, ‘‘प्रीतिजी!’’
प्रीति को भी आभास था कि राहुल उस के पीछे आ रहा है. लिहाजा चौंकने के बजाय उस पर नजर पड़ते ही प्रीति बोली, ‘‘त…तुम, मेरा मतलब आप..?’’
‘‘पहला संबोधन ही रहने दो, मुझे वही अच्छा लगता है.’’ राहुल ने उस के बराबर में आते हुए कहा.
‘‘सम्मान में बोलना चाहिए,’’ प्रीति बोली.
‘‘खैर छोडि़ए इन बातों को.’’ राहुल ने बातों का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा,‘‘आज इतनी देर कैसे हो गई आप को?’’
‘‘रात देर तक जागती रही, इसलिए सुबह देर से आंख खुली.’’ प्रीति ने शोखी से जवाब दिया.
‘‘मैं तो पूरी रात नहीं सो सका, सुबह के वक्त नींद आई.’’
‘‘क्या रात भर पढ़ते रहे?’’
‘‘हां, रात भर मैं तुम्हारे चेहरे की हसीन किताब अपनी आंखों के सामने रख कर पन्ने पलटता रहा.’’ राहुल ने कहा तो प्रीति ने शरमा कर अपना चेहरा झुका लिया. फिर आहिस्ता से बोली, ‘‘इस तरह की बात न करो.’’
‘‘क्यों, क्या मेरी बात अच्छी नहीं लगी?’’
‘‘ऐसी बात नहीं है. आप की बातें रात को मुझे परेशान करेंगी. अब आप जाओ, कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.’’
‘‘लेकिन तुम्हें एक वादा करना होगा.’’
प्रीति चौंकी,‘‘कैसा वादा?’’
‘‘यही कि कल फिर मिलोगी.’’
‘‘देखूंगी.’’ कह कर प्रीति आगे बढ़ गई. राहुल उसे तब तक देखता रहा, जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई.
उस दिन राहुल का किसी काम में मन नहीं लगा. रात भी जैसेतैसे गुजरी. अगले दिन वह फिर उसी निर्धारित जगह जा पहुंचा. थोड़ी ही देर में प्रीति वहां आई तो वह भी उस के साथ हो लिया.
‘‘एक बात कहूं प्रीति?’’
‘‘कहो.’’
‘‘किसी से मिलने की चाहत हो या उस की एक झलक पाने की तड़प, बहुत अजीब सा लगता है न?’’ राहुल ने गंभीरता ने कहा तो प्रीति बोली, ‘‘पहेलियां क्यों बुझाते हो? जो कहना है, साफसाफ कहो.’’
‘‘सच कह दूं.’’
‘‘बिलकुल.’’
‘‘मुझे तुम से प्यार हो गया है और…’’ राहुल कुछ और भी कहना चाहता था, लेकिन प्रीति ने अपनी तर्जनी उस के होंठों पर रख कर चुप रहने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘सड़क पर सब को सुनाओगे क्या?’’ इसी के साथ उस के गालों पर सुर्खी दौड़ गई.
राहुल की खुशी का पारावार न रहा. वह प्रीति से बोला, ‘‘मेरी बात का जवाब नहीं दोगी?’’
‘‘क्या जवाब दूं?’’ प्रीति ने उल्टा प्रश्न किया.
‘‘जो तुम्हें अच्छा लगे.’’ राहुल बोला.
‘‘मुझे तो सभी कुछ अच्छा लगता है.’’
‘‘फिर भी.’’
‘‘इतने नासमझ तो नहीं हो, जो आंखों की भाषा भी न पढ़ सको. जरूरी नहीं कि जुबां से प्यार का इजहार किया जाए.’’
प्रीति की बात सुनते ही राहुल खुशी से झूम उठा. उस ने आसपास देखा, फिर प्रीति की कलाई पकड़ कर उस ने धीरे से दबा दी. राहुल के ऐसा करने से प्रीति के शरीर में सिहरन दौड़ गई. उस ने जल्दी से अपनी कलाई छुड़ा ली.
‘‘तुम बहुत अच्छी हो, प्रीति.’’
‘‘देखने वाले की नजर अच्छी हो तो सभी अच्छे लगते हैं.’’
इस के बाद दोनों ने एकदूसरे को हसरत भरी नजरों से देखा और अलगअलग रास्तों पर चले गए. फिर दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. हालांकि दोनों अपने प्रेमसंबंधों को ले कर काफी सावधानी बरतते थे. मगर गांव में उन्हें ले कर कानाफूसी होने लगी थी. दूसरी तरफ प्रीति ने हिम्मत कर के अपनी मां रमा से राहुल से शादी करने की बात बताई तो वह चीखती हुई बोली, ‘‘करमजली, इसी दिन के लिए तुझे पालपोस कर बड़ा किया था कि तू सरेराह नाक कटवाती घूमे. फिर जिस रिश्ते की कोई मंजिल नहीं, उस के बारे में बात करना ही बेकार है.’’
रमा उसे समझाते हुए बोली, ‘‘बेटी, देख हम तेरे दुश्मन नहीं हैं, इसलिए तुझे अच्छी शिक्षा ही देंगे. मेरी बात मान कर उसे भूल जा. वैसे भी रिश्ते में तू उस की मौसी लगती है, इसलिए तेरा विवाह उस से नहीं हो सकता. अपनी बिरादरी में कोई अच्छा लड़का देख कर तेरी शादी धामधाम से करेंगे.’’
‘‘तो एक बात मेरी भी कान खोल कर सुन लो. अगर हमारे दरवाजे पर राहुल के अलावा कोई और बारात ले कर आया तो इस घर से मेरी अर्थी ही उठेगी.’’ कह कर प्रीति पैर पटकते हुए घर से बाहर निकल गई. उस के बाद वह हिचकियां लेकर रो पड़ी. इन सब अड़चनों के बीच प्रीति और राहुल काफी चिंताग्रस्त रहने लगे. इन्हीं परेशानियों से घिर कर राहुल ने प्रीति के पिता राजू से जब विवाह की बाबत बात की तो वह एकाएक भड़क उठे, ‘‘अभी तक लोगों से तुम्हारी आवारगी के बारे में ही सुन रखा था, तुम तो चरित्र के भी गिरे निकले. तुम दोनों के बीच ऐसा रिश्ता है कि शादी तो संभव ही नहीं है. कान खोल कर सुन लो, आज के बाद तुम मेरी बेटी से नहीं मिलोगे.’’
राजू जानता था कि लाख चेतावनी के बाद भी दोनों मानेंगे नहीं, मिलेंगे जरूर. इसलिए वह प्रीति को अपने साथ सूरत ले गया. वहां एक निजी स्कूल में उस की अध्यापिका के पद पर नौकरी लगवा दी. राहुल भी दिल्ली चला गया और वहां प्राइवेट नौकरी करने लगा. राहुल और प्रीति मिल तो नहीं पाते थे लेकिन मोबाइल पर बातें कर लेते थे. इस बातचीत के दौरान ही दोनों ने परिजनों से बिना बताए विवाह करने का फैसला कर लिया. राहुल दिल्ली से सूरत गया. वहां दोनों ने एक मंदिर में विवाह कर लिया. राहुल की उम्र 21 वर्ष से कम थी, इसलिए कोर्ट मैरिज नहीं हो सकती थी. इस की भनक राजू को लग गई. वह प्रीति को ले कर अपने गांव वापस आ गया. आननफानन में प्रीति का विवाह प्रतापगढ़ के सांगीपुर थाना क्षेत्र के पूरे बक्शी गांव में तय कर दिया.
प्रीति बेचैन हो उठी. उस ने राहुल से बात की तो राहुल ने उसे घर वालों से विवाह का विरोध करने से मना कर दिया. उस ने कहा कि वह विवाह से पहले की रस्में कर ले और विवाह को कुछ समय तक टालने की कोशिश करे. जब तक विवाह का समय आएगा, तब तक उस की उम्र 21 वर्ष हो जाएगी. फिर दोनों किसी तरह से कोर्ट में जा कर विवाह कर लेंगे. प्रीति इस के लिए तैयार हो गई. 15 मई, 2019 को प्रीति के लापता होने पर उस के चाचा राजेश वर्मा ने अंतू थाने में प्रीति के गुम होने की तहरीर दी. थानाप्रभारी संजय यादव ने प्रीति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. लेकिन प्रीति का कोई पता नहीं चला.
समय बीतता चला गया. 11 नवंबर, 2019 को थाना अंतू के गांव पूरब निवासी काबीना मंत्री के रिश्तेदार सर्वेश उर्फ विक्की सिंह पर उस के पोल्ट्री फार्म के पास जानलेवा हमला हमला हुआ, जिस पर उसी दिन अंतू थाने में 307 आईपीसी में मुकदमा दर्ज हो गया. जांच के दौरान हमले में चिह्नित हुए अजय पासी निवासी टेकनिया, थाना सांगीपुर व पवन सरोज निवासी नेवादा, थाना सांगीपुर. दोनों हमलावरों पर पुलिस द्वारा 25-25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया. इस केस पर एसटीएफ को भी लगाया गया. 11 फरवरी, 2020 को एसटीएफ के इंसपेक्टर हेमंत भूषण और उन की टीम ने अंतू थाना इंसपेक्टर मनोज तिवारी की मदद से दोनों ईनामी बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया.
थाने ला कर जब उन से पूछताछ की गई तो पता चला कि अजय पासी गांव नंदलाल का पुरवा की प्रीति से एकतरफा प्यार करता था. लेकिन प्रीति काफी दिन से लापता है. प्रीति के चाचा राजेश वर्मा के साथ विक्की भी प्रीति की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने गया था. अजय ने समझा कि विक्की सिंह ने ही प्रीति को गायब कराया है. उस के बाद पवन ने सरोज व एक अन्य साथी बाबू के साथ कई दिन तक विक्की सिंह की रेकी की फिर 11 नंवबर को उस ने विक्की सिंह पर कई राउंड गोलियां बरसाई. विक्की को मरा समझ कर दोनों फरार हो गए. विक्की इस हमले से बुरी तरह घायल हुआ था.
इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने गहराई से जांच की तो पता चला कि लापता प्रीति वर्मा का प्रेम प्रसंग राहुल वर्मा से था. इस के बाद उन्होंने राहुल को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो राहुल ने जो कुछ बताया, उसे जान कर मनोज तिवारी को प्रीति के लापता होने का पूरा मामला समझ आ गया. राहुल से पूछताछ के बाद 12 फरवरी को इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने प्रीति के पिता राजू वर्मा, चाचा राजेश वर्मा और जमुना प्रसाद वर्मा को हिरासत में ले कर पूछताछ की. उन्होंने प्रीति की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया और हत्या के पीछे की वजह भी बयान कर दी.
प्रीति का विवाह तय होने के बाद 13 मई, 2019 को उस की सगाई की तारीख निश्चित हुई. 13 मई को वर पक्ष के लोगों के आने के बाद प्रीति की सगाई की रस्म अदा की गई. वर पक्ष के लोगों के जाने के बाद प्रीति ने राहुल को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया. रात 8 बजे प्रीति घर से कुछ दूर जा कर राहुल से मिली. घर पर प्रीति को एकाएक न पा कर प्रीति के पिता राजू और तीनों चाचा राजेश, जमुना प्रसाद और ब्रजेश उसे खोजने निकले. कुछ दूरी पर प्रीति राहुल से बात करते दिखाई दी. राहुल ने उन को अपनी तरफ आते देख लिया. इस पर वह अपनी बाइक छोड़ कर वहां से भाग निकला.
प्रीति के पिता और चाचा उस के पीछे नहीं भागे, बल्कि प्रीति को मारतेपीटते हुए घर ले जाने लगे. राहुल काफी दूर जा कर बेबस खड़ा यह सब देखता रहा. जब वह लोग वहां से चले गए तो राहुल भी वहां से चला गया. दूसरी ओर पिता और उस के तीनों चाचाओं ने घर ले जा कर प्रीति को लाठीडंडों से पीटपीट कर मार डाला. घर की महिलाएं बेबस खड़ी देखती रहीं. अगले दिन 14 मई की रात प्रीति के पिता और उस के तीनों चाचा उस की लाश को पूरब गांव ले गए. वहां नदी किनारे सिंघनी घाट पर प्रीति की लाश को जला दिया और साथ में उस के मोबाइल को भी आग के हवाले कर दिया. प्रीति की लाश को जलाने के बाद उस की राख नदी में बहा दी गई.
अगले दिन राजेश वर्मा ने विक्की सिंह के साथ अंतू थाने जा कर प्रीति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. काफी समय बीत जाने पर भी पुलिस ने कुछ नहीं किया तो वे निश्चिंत हो गए कि प्रीति की हत्या रहस्य बन कर रह जाएगी, लेकिन गुनाह किसी न किसी तरह से सामने से आ ही जाता है. प्रीति के पिता राजू वर्मा और चाचा राजेश, जमुना प्रसाद और ब्रजेश का भी गुनाह सामने आ गया. इंसपेक्टर मनोज तिवारी ने सभी के विरुद्ध भांदंवि की धारा 193/302/201/34/204 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर तीनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. कथा लिखे तक ब्रजेश फरार था, पुलिस उस की तलाश कर रही थी. पुलिस ने प्रीति के प्रेमी को मुकदमे में गवाह बना लिया था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित