Love Crime :  समाज या लोग भले ही कहते रहें कि औरत अब अबला नहीं है. लेकिन सच यह है कि महिलाएं कुछ मामलों में पुरुष की ओर ही देखती हैं. सुमिता और समरिता के साथ भी यही हुआ, जिस की वजह से विक्रांत नागर ने…  दिल्ली, दिल्ली क्राइम, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश क्राइम दिल्ली क्राइम

राजधानी दिल्ली की पूर्वी सीमा पर बसा वसुंधरा एनक्लेव ऐसा पौश इलाका है, जहां अधिकतर उच्चमध्यम वर्गीय नौकरीपेशा लोग रहते हैं. कभी गाजीपुर, कोंडली से सटा ये इलाका पिछले कुछ सालों में ऊंची अट्टालिकाओं और बहुमंजिले सोसाइटी अपार्टमेंट से पट गया है. इन्हीं आलीशान सोसाइटी अपार्टमेंट्स में से एक है मनसारा अपार्टमेंट. वसुंधरा एनक्लेव स्थित इसी मनसारा अपार्टमेंट के बी ब्लौक में तीसरी मंजिल के फ्लैट संख्या  303 में कुछ सालों से सुमिता मैसी (45) और उन की बेटी समरिता मैसी (25) रहती थीं. मूलरूप से केरल की रहने वाली सुमिता के पति की करीब 20 साल पहले मौत हो गई थी. उस वक्त समरिता महज 5 साल की थी.

सुमिता ने विकासपुरी में रहने वाले एक व्यक्ति से प्रेम विवाह किया था. 20 साल पहले पति की मौत के बाद भी सुमिता कई सालों तक विकासपुरी में रहती रही. कुछ सालों पहले सुमिता ने नोएडा में अपनी जौब की वजह से विकासपुरी का इलाका छोड़ दिया और वसुंधरा एनक्लेव में आ कर रहने लगी. सुमिता की बहन और भाई केरल में रहते थे. सुमिता खुद नोएडा के सेक्टर 142 के एक एनजीओ में ऊंचे पद पर थीं. जबकि उन की बेटी समरिता पढ़ाई के बाद पिछले 5 महीने से एक 5 स्टार होटल में हौस्पिटैलेटी की ट्रेनिंग ले रही थी.

सुमिता सिंगल मदर थी. जवान बेटी को पालने के लिए जिंदगी में कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है, सुमिता को अच्छी तरह पता था. मांबेटी के बीच चूंकि दोस्ताना रिश्ता था, इसलिए सुमिता को ज्यादा चिंता नहीं होती थी. 9 मार्च सोमवार को होली का त्यौहार था, जबकि रविवार को अवकाश था. इसीलिए सुमिता व समरिता दोनों की ही 2 दिन छुट्टी थी. मांबेटी ने रविवार को ही प्लान बना लिया था कि 10 मार्च को होली का रंग खेलने के बाद अपने कुछ दोस्तों के घर मिलने जाएंगी.  9 मार्च की सुबह करीब 8 बजे सुमिता के यहां काम करने वाली नौकरानी चंदा जब काम करने के लिए उन के घर पहुंची और कालबेल बजाई, तो अंदर से किसी ने दरवाजा नहीं खोला.

कुछ देर इंतजार के बाद चंदा ने दोबारा कालबेल बजाई. इस बार भी न कोई जवाब मिला, न ही दरवाजा खोला गया. चंदा ने सुमिता को आंटी…आंटी कह कर दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया. लेकिन यह क्या, दरवाजा पहले से ही खुला था. हाथ लगते ही दरवाजे का पट खुल गया. चंदा ‘आंटी..आंटी’ पुकारते हुए फ्लैट के अंदर आ गई. जैसे ही वह सुमिता के कमरे में पहुंची तो उस के हलक से चीख निकल गई. वहां का नजारा देख वह हैरान रह गई. कमरे में चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. खून के सैलाब में डूबा सुमिता का शव जमीन पर पड़ा था. चंदा न आई होती तो सुबह को पता नहीं चलता मां के साथ क्या हुआ, ये बताने के लिए चंदा तेजी से सुमिता की बेटी समरिता के कमरे में गई. लेकिन वहां का नजारा और भी दिल दहला देने वाला था.

मांबेटी के लहूलुहान शव देख कर कामवाली मेड चंदा थरथर कांपने लगी. अगले ही क्षण जब उस की तंद्रा लौटी तो वह शोर मचाते हुए फ्लैट से बाहर निकल आई और ‘खून…खून’ चिल्लाने लगी. शोर सुन कर आसपास के फ्लैटों में रहने वाले लोग घरों से बाहर निकल आए. चंदा ने हांफते रोते हुए एक ही सांस में सारी कहानी बता दी. उत्सुकतावश कुछ लोगों ने फ्लैट के भीतर जा कर देखा तो चंदा की बात सही निकली. जानकारी मिलने के बाद मनसारा अपार्टमेंट के सिक्युरिटी गार्ड और आरडब्लूए के पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए. एक सुरक्षित सोसाइटी में फ्लैट के भीतर रहने वाले 2 लोगों का कत्ल हो जाए तो सोसाइटी की सुरक्षा पर सवाल खडे़ होना लाजिमी है.

पासपड़ोस के लोग सुरक्षा में ढिलाई को ले कर खुसरफुसर करने लगे. लोगों की भारी भीड़ एकत्रित हो चुकी थी, इसलिए सोसाइटी के लोगों ने तुरंत पुलिस कंट्रोलरूम को सोसाइटी में हुए दोहरे हत्याकांड की सूचना दे दी. सुबह के वक्त इलाके में हत्या जैसी वारदात, वह भी दोहरे हत्याकांड की सूचना मिल जाए, तो किसी भी पुलिस अधिकारी के मुंह का स्वाद कसैला होना स्वाभाविक है. न्यू अशोक नगर थाने के एसएचओ तेजराम मीणा की नींद ड्यूटी अफसर द्वारा दी गई इसी मनहूस सूचना से खुली. स्वाभाविक है उन के मुंह का जायका भी बिगड़ा ही होगा. लेकिन एक पुलिस अधिकारी के लिए हर दिन ऐसी वारदातों की सूचनाएं मिलना कोई नई बात नहीं होती.

इंसपेक्टर तेजराम मीणा ने तत्काल बिस्तर छोड़ा और तैयार हो कर अपने सहायक एसएचओ विनोद कुमार, इंसपेक्टर इन्वेस्टीगेशन सरिता व अन्य स्टाफ के साथ मौकाएवारदात की तरफ रवाना हो गए. रास्ते से ही उन्होंने फोन कर के अपने सबडिवीजन कल्याणपुरी के एसीपी जितेंद्री पटेल, डीसीपी जसमीत सिंह, एडीशनल डीसीपी राकेश पावरिया को भी सूचना दे दी थी. कमोबेश सभी अधिकारी थोड़े से अंतराल के बाद घटनास्थल पर पहुंच गए. मौके पर क्राइम और एफएसएल की टीम को भी बुला लिया गया. फ्लैट के बाहर खड़ी भीड़ को हटाने के बाद एसएचओ मीणा ने जब घर में प्रवेश किया तो मांबेटी के शव देख कर उन की भी रूह कांप उठी.

सुमिता के शरीर पर चाकू जैसे धारदार हथियार से करीब आधा दर्जन से ज्यादा वार किए गए थे, जबकि अपने बैडरूम में फर्श पर पड़ी उन की बेटी समरिता के शरीर पर धारदार हथियार के अनगिनत वार किए गए थे. दोनों के ही कमरों का सामान चारों तरफ बिखरा पड़ा था. घटनास्थल को देख कर साफ लग रहा था कि किसी ने लूटपाट का विरोध करने पर  दोनों हत्याओं को अंजाम दिया है. लेकिन यह बताने वाला कोई नहीं था कि हत्यारे घर से कितनी नकदी, कीमती सामान अपने साथ ले गए हैं. लेकिन अगले ही पल पुलिस को लूटपाट की अपनी थ्योेरी बदलनी पड़ी क्योंकि घर में फ्रैंडली एंट्री हुई थी.

घर में जबरन प्रवेश करने के कोई लक्षण नहीं थे, न ही पुलिस को हत्या के समय मांबेटी के साथ गलत नीयत से जोरजबरदस्ती के कोई निशान मिले थे. हां, 2 बातों की शंका जरूर थी कि हत्या करने वाला या वाले मृतक परिवार के परिचित रहे हों. दूसरी संभावना यह थी कि दोनों हत्याएं सोते वक्त की गई थीं या फिर उन्हें मारने से पहले नशीला पदार्थ दिया गया था. क्राइम और एफएसएल की टीमों ने अपना काम पूरा कर लिया था. डीसीपी जसमीत सिंह की अगुवाई में एसएचओ तेजराम मीणा और उन की टीम ने जांचपड़ताल का सारा काम पूरा कर लिया था, जिस के बाद सुमिता व समरिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.

रहस्य थी मांबेटी की हत्या इस दौरान सोसाइटी में रहने वाले कुछ लोगों की मदद से पुलिस ने मृतक मांबेटी के कुछ स्थानीय परिचितों के नंबर हासिल कर के उन्हें इस वारदात की सूचना दी, तो एकएक कर के उन के ज्यादातर परिचितों को इस वारदात की खबर लग गई. पुलिस ने एकएक कर के उन सभी परिचितों से सवालजवाब और उन के बैकग्राउंड के बारे में जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी. मांबेटी की हत्या क्यों हुई, इस का तत्काल खुलासा तो नहीं हो सका लेकिन पुलिस ने पूछताछ के दौरान आपसी रंजिश, लूटपाट, प्रेम प्रसंग समेत तमाम दृष्टिकोणों से छानबीन कर के जानकारी एकत्र करनी शुरू कर दी.

इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि सोसाइटी चारों तरफ से कवर थी, ऊंची बाउंड्री थी. गेट पर बिना पहचान बताए और बिना फ्लैट ओनर की रजामंदी के किसी को भीतर नहीं आने दिया जाता था. फिर ऐसा कैसे संभव हुआ कि रात के वक्त एक ही घर के 2 लोगों की हत्याएं कर के हत्यारे आसानी से फरार हो गए. पुलिस ने पिछले 24 घंटों के दौरान सोसाइटी की सिक्युरिटी में तैनात सभी गार्ड्स को बुला कर उन से एकएक कर के पूछताछ शुरू कर दी. चूंकि मनसारा अपार्टमेंट सोसाइटी में मुख्यद्वार से ले कर हर ब्लौक हर फ्लोर पर सीसीटीवी कैमरों का ऐसा जाल बिछा हुआ था कि कोई भी शख्स  किसी भी घर में जाते वक्त इन कैमरों की कैद में आने से नहीं बच सकता था.

एसएचओ मीणा की टीम ने कंट्रोल रूम में जा कर सभी कैमरों की फुटेज देखने का काम शुरू कर दिया. पुलिस टीमों की तरफ से शाम 3 बजे तक की गई कोशिशों से कम से कम इस दोहरे हत्याकांड पर पड़ी धुंध काफी हद तक हट गई. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि शुक्रवार को सुमिता व समरिता आखिरी बार अपनेअपने दफ्तर गई थीं. पुलिस को शुरू से ही लग रहा था कि इस वारदात को किसी जानकार ने ही अंजाम दिया है. सीसीटीवी की जांच और लोगों से पूछताछ के बाद यह बात साफ भी हो गई.

दरअसल, मृतका सुमिता मैसी की बेटी समरिता की एक सहेली प्रेरणा से पुलिस को जानकारी मिली कि समरिता नोएडा में स्कूली पढ़ाई के दौरान से उस की दोस्त थी. समरिता अपनी जिंदगी के बारे में प्रेरणा को अच्छीबुरी हर बात बताया करती थी. प्रेरणा ने पुलिस को बताया कि वारदात से एक दिन पहले यानी रविवार की रात को समरिता कार से अकेली घर लौट रही थी. उस वक्त उस ने गाना गाते हुए वाट्सऐप पर अपना स्टेटस अपडेट किया था. स्टेटस में वह काफी खुश दिख रही थी. प्रेरणा ने बताया कि करीब 3 साल पहले एक पुराने फ्रैंड की मदद से समरिता की दोस्ती विक्रांत नागर से हुई थी, जिस के बाद दोनों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ और बाद में दोनों लिवइन में रहने लगे. लेकिन एक साल पहले दोनों के बीच अनबन हो गई थी, जिस की वजह से समरिता उस से छुटकारा पाना चाहती थी.

समरिता उस से दूरी बनाने लगी थी, क्योंकि 2-3 महीने पहले समरिता की दोस्ती उस के ही साथ हौस्पिटैलिटी में कैरियर बना रहे एक अन्य युवक से हो गई थी और समरिता ने उस के साथ पार्टियों में जाना शुरू कर दिया था. प्रेरणा ने बताया कि हो सकता है विक्रांत नागर इस से नाखुश हो. हालांकि प्रेरणा ने यह भी बताया कि विक्रांत के बुलावे पर समरिता उस के दोस्तों के बीच पार्टी के लिए अब भी जाती थी. लेकिन उस ने तय कर लिया था कि वह उस के साथ शादी नहीं करेगी. पुलिस द्वारा यह पूछे जाने पर कि विक्रांत नागर कहां रहता है, प्रेरणा ने बताया कि वह सिर्फ इतना ही जानती है कि विक्रांत ने समरिता व उस की मां को बता रखा था कि उस के मातापिता नहीं हैं. वह अपनी मौसी के साथ अमर कालोनी के गढ़ी इलाके में रहता है.

‘‘विक्रांत काम क्या करता है?’’ एसएचओ मीणा ने सवाल किया तो प्रेरणा ने जवाब दिया, ‘‘काम क्या करता है ये तो पता नहीं सर, लेकिन समरिता ने बताया था कि वह आर्टिस्ट है. उस ने 1-2 टीवी शोज में काम किया था. उसे बौडी बनाने का भी शौक था. लेकिन समरिता और उस की मां विक्रांत की आर्थिक मदद किया करती थीं. वह अक्सर उन के घर पर भी रुक जाया करता था.’’

बेटी का दोस्त संदेह के घेरे में दोनों मांबेटी घर में अकेली रहती थीं, इस लिए विक्रांत के रुकने से उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी. उस के होने से घर में एक मर्द के होने से उन्हें सुरक्षा का अहसास होता था. सुमिता और समरिता बाजार से सामान खरीद कर उसे दिया करती थीं. कई बार तो वह अपने घर के लिए घरेलू सामान भी उन्हीं से खरीदवा कर ले जाया करता था. चूंकि विक्रांत अक्सर घर आता था. इसलिए सोसायटी के गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी भी उसे परिवार का सदस्य मान कर नहीं रोकते थे. प्रेरणा से मिली जानकारी पुलिस के लिए काफी मददगार थी. वारदात की सूचना पा कर जितने भी परिचित वहां पहुंचे थे, उन में विक्रांत नहीं था. प्रेरणा ने पुलिस को विक्रांत नागर का मोबाइल नंबर दे दिया था. डीसीपी जसमीत सिंह के आदेश पर तत्काल उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स मंगवा ली गई और उस के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया गया.

इसी दौरान पुलिस टीम को मनसारा अपार्टमेंट की सिक्युरिटी में तैनात गार्ड्स और सीसीटीवी की फुटेज से भी बड़ा खुलासा हुआ, जिस से पता चला कि बीती रात विक्रांत नागर सुमिता के घर पर आया हुआ था. रात को करीब 2.51 बजे वह समरिता की कार ले कर सोसाइटी से निकला था. उस के साथ गाड़ी में एक और युवक बैठा था. सोसाइटी से जाते समय वह इतनी हड़बड़ी में था कि उस की कार सोसायटी के गेट से टकरा गई थी और गेट का कुछ हिस्सा टूट गया था. सिक्युरिटी गार्ड ने बैरीकेड लगा कर उस की गाड़ी रुकवा ली थी, लेकिन विक्रांत ने उन से माफी मांगते हुए कहा कि उस की गाड़ी के ब्रेक में अचानक कुछ दिक्कत आ गई है, इसलिए गलती से गाड़ी टकरा गई.

सीसीटीवी से यह भी साफ हो गया कि विक्रांत और उस का दोस्त रात करीब सवा 11 बजे पैदल ही सोसाइटी में आए थे. उस के बाद सुमिता के फ्लैट के बाहर लगे सीसीटीवी से पता चला कि विक्रांत कुछ दूरी पर छिपा था और समरिता करीब डेढ़ बजे अपने फ्लैट का दरवाजा खोल कर बाहर आई थी. वह काफी देर तक नीचे टहलती रही. उस के बाद वह ऊपर फ्लैट में चली गई. इन तमाम सीसीटीवी फुटेज से यह बात साफ हो गई कि इस हत्याकांड के पीछे विक्रांत नागर व उस के दोस्त का ही हाथ था. क्योंकि हत्याकांड के वक्त वही परिवार के पास था और उस के बाद से उस का कोई पता नहीं था.

इसी बीच उच्चाधिकारियों के आदेश पर एसएचओ तेजराम मीणा ने न्यू अशोक नगर थाने में भादंसं की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करवा दिया था. केस की जांच का जिम्मा उन्होंने खुद ही ले लिया था. समरिता के लिवइन पार्टनर के लापता होने और उस के बारे में अन्य जानकारी पुलिस के हाथ लग गई थी. जसमीत सिंह ने उस की गिरफ्तारी के लिए एसएचओ तेजराम मीणा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी, जिस में एएसआई किशनपाल सिंह, हेडकांसटेबल आदेश, कांसटेबल प्रवीण और नरेंद्र को शामिल किया गया. टीम का सुपरविजन करने की जिम्मेदारी एसीपी जितेंद्र पटेल को सौंपी गई. डीसीपी जसमीत सिंह ने न्यू अशोक नगर पुलिस की मदद के लिए जिले के स्पैशल स्टाफ व एटीएस की टीमों को भी जांच और गिरफ्तारी के काम में लगा दिया.

जांच अधिकारी मीणा ने साइबर सेल और सर्विलांस की मदद से पता लगवाया कि विक्रांत की लोकेशन कहां है. पता चला विक्रांत के मोबाइल की लोकेशन जयपुर में है. उसी शाम पुलिस की 2 टीमें जयपुर के लिए रवाना कर दी गईं. डीसीपी जसमीत सिंह ने जयपुर पुलिस से संपर्क साध कर उन्हें विक्रांत का मोबाइल नंबर और उस की लोकेशन से अवगत करा दिया. जयपुर पुलिस ने भी उस नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. विक्रांत था हत्यारा अगले तीन घंटों में पुलिस ने जयपुर में विक्रांत को उस होटल से दबोच लिया जहां वह ठहरा हुआ था. विक्रांत के पकड़े जाने की सूचना तत्काल दिल्ली पुलिस को दे दी गई.

दिल्ली पुलिस की 2 टीमें पहले ही जयपुर रवाना हो चुकी थीं. उन्होंने जयपुर पहुंचते ही विक्रांत को अपनी गिरफ्त में ले लिया. अगली दोपहर तक पुलिस की टीमें उसे दिल्ली  ले आईं. विक्रांत नागर ने न्यू अशोक नगर थाने आ कर पुलिस को बताया कि उस ने अपने दोस्त शैंकी शर्मा के साथ मिल कर अपनी प्रेमिका समरिता और उस की मां की हत्या की थी. वारदात को अंजाम देने के बाद विक्रांत नागर बस द्वारा दिल्ली से जयपुर चला गया था. उस ने बताया कि 2 साल तक लिवइन में रहने के बाद समरिता अक्सर उसे ताने देने लगी थी कि वह कुछ कमाताधमाता नहीं है और उन के टुकड़ों पर पलता है.

अगर दोनों की शादी हो गई तो वह उसे कमा कर कैसे खिलाएगा. शुरू में तो विक्रांत समरिता के तानों को हवा में उड़ा देता था, लेकिन बाद में यह बात जब ज्यादा बढ़ने लगी तो दोनों के बीच इस बात को ले कर अक्सर झगड़ा होने लगा. विक्रांत को 3 महीने पहले तब दिक्कत होने लगी, जब समरिता ने उस से साफ कह दिया कि वह उस के घर कम आयाजाया करे. साथ ही जब विक्रांत को यह खबर लगी कि आजकल समरिता अपने साथ होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले एक युवक के साथ इश्क कर बैठी है और दोनों एक साथ घूमतेफिरते भी हैं. यह जान कर विक्रांत का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया.

करीब 3 महीने पहले अपने प्रति समरिता के लगाव को परखने के लिए विक्रांत ने शादी का प्रपोजल दिया, जिसे समरिता ने ठुकरा दिया. इस के बाद साफ हो गया कि वह उस से किनारा कर रही है. विक्रांत ने अपने दोस्त शैंकी को एक दिन फोन कर के बताया कि अगर समरिता उस की ना हो सकी तो वह उसे किसी ओर की भी नहीं होने देगा. होली से 2 दिन पहले जब विक्रांत को पता चला कि होली से एक दिन पहले समरिता का नया प्रेमी होली की पार्टी दे रहा है और वह भी उस में जाने वाली है तो उस ने उसी दिन इरादा बना लिया कि वह समरिता को खत्म कर देगा. उस के दिमाग में एक खतरनाक प्लानिंग ने जन्म ले लिया.

इस से आहत हो कर उस ने अपने दोस्त शैंकी को उसी शाम मुंबई से दिल्ली पहुंचने के लिए कहा. शैंकी फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली आ गया. एयरपोर्ट से विक्रांत उसे साथ ले कर होली की रात को ही सीधे समरिता के घर पहुंच गया. होली की रात को दोनों समरिता के अपार्टमेंट में पहुंचे. घर के बाहर छिप कर उस ने समरिता को फोन किया और बातचीत के लिए नीचे बुलाया. जब समरिता नीचे आने लगी तो वे दोनों मौका पा कर घर में दाखिल हो गए. सुमिता अपने कमरे में लौटी सोने की तैयारी कर रही थी. विक्रांत और शैंकी ने रसोई से मीट काटने वाला चाकू ले कर सब से पहले बेरहमी से सुमिता पर 7-8 वार कर के उस की हत्या कर दी. इस के बाद दोनों समरिता का इंतजार करने लगे. जब समरिता घर में लौटी और कमरे में पहुंची तो दोनों ने उस के कमरे में ले जा कर उस की भी चाकू से गोद कर हत्या कर दी.

इस के बाद दोनों ने कीमती सामान की तलाश में कमरे की तलाशी ली. वहां से दोनों ने 43 हजार रुपए की नकदी और समरिता के डेबिट व क्रेडिट कार्ड अपने कब्जे में ले लिए. उस के बाद आधी रात को करीब 2:51 बजे दोनों पार्किंग में खड़ी समरिता की कार ले कर फरार हो गए. इसी हड़बड़ी में कार सोसाइटी के मेन गेट से टकरा गई थी. विक्रांत जयपुर में तो शैंकी मुंबई में मिला सोसाइटी से निकलने के बाद विक्रांत ने समरिता की कार को त्रिलोकपुरी इलाके में छोड़ दिया था. शैंकी वहां से आटो पकड़ कर ईस्ट औफ कैलाश स्थित एक होटल में चला गया. जबकि विक्रांत बस पकड़ कर जयपुर रवाना हो गया और वहां जा कर एक होटल में ठहर गया. जहां से उस के फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उसे दबोच लिया था.

विक्रांत से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी शाम को ईस्ट औफ कैलाश में उस होटल पर छापा मारा, जहां शैंकी ठहरा हुआ था. शैंकी को उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वह होटल का बिल चुका कर फरार होने की तैयारी में था. उसी शाम दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने त्रिलोकपुरी से समरिता की कार भी बरामद कर ली. साथ ही उन की निशानदेही पर वारदात में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया गया. यह चाकू समरिता के घर में ही छिपा कर रखा गया था.

जांच के बाद जांच अधिकारी तेजराम मीणा को यह भी पता चला कि विक्रांत को नशे की आदत थी. कुछ साल पहले इसी लत के कारण वह नशामुक्ति केंद्र में भी रह चुका था. उस ने इस वारदात को नशे में अंजाम दिया या नहीं, इस की जांच के लिए पुलिस ने उस के ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए भेजे हैं. जांच में पता चला कि शैंकी मुंबई में रह कर मौडलिंग में अवसर ढूंढ रहा था. उस ने कुछ टीवी शोज में भी काम किया था. वहीं विक्रांत भी एक शो में काम कर चुका था इसी कारण दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. पूछताछ में विक्रांत ने बताया कि वह और शैंकी हत्या करने के बाद घर में रखे 43 हजार रुपए अपने साथ ले कर निकले थे. इस रकम से दोनों ने नए मोबाइल ले लिए थे. समरिता के डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी वे अपने साथ ले गए थे.

विक्रांत ने कनौट प्लेस में एक एटीएम से पैसे निकालने की कोशिश भी की थी, लेकिन समरिता ने कुछ दिन पहले ही अपना पिन बदल दिया था, जिस की जानकारी विक्रांत को नहीं थी. इसलिए वह एटीएम से रकम नहीं निकाल सका. पुलिस ने उसी शाम को विक्रांत और शैंकी के खिलाफ दर्ज हत्या के मामले में लूट की धारा भी जोड़ दी और दोनों को कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. उसी शाम पुलिस को मिली पोस्टमार्टम से खुलासा हुआ कि समरिता मैसी के शरीर पर 30 से ज्यादा चाकू के वार किए गए थे, जबकि मां सुमिता मैसी के शरीर पर चाकू के 10 घाव मिले थे.

सुमिता और समरिता को इस बात का अहसास भी नहीं था कि जिस विक्रांत को उन्होंने अपना सहारा मान कर घर में पनाह दी थी, वही आस्तीन का सांप निकलेगा और उन की जिंदगी को डस लेगा.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों से हुई पूछताछ पर आधारित

 

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