छत्तीसगढ़ का शहर बिलासपुर हाईकोर्ट होने की वजह से न्यायधानी के नाम से जाना जाता है. दिनेश अपने परिवार के साथ बिलासपुर के जरहाभाटा के मंझवापारा में रहता था. वह अपने ही मोहल्ले की किशोरी वीना कौशिक को भगा ले गया था. यह भी कह सकते हैं कि वीना दिनेश के साथ जीनेमरने की कसम खा कर अपने घर की देहरी लांघ आई थी और उस के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी थी.
वीना के पिता जवाहर कौशिक अपनी पत्नी चमेली और बेटी वीना से अलग दूसरे मोहल्ले में रहते थे. सिर्फ मां चमेली ही वीना की एकमात्र गार्जियन थी. वीना अभी 18 वर्ष की हुई थी कि उसे दिनेश से प्रेम हो गया. फिर एक दिन वह घर से बिना बताए गायब हो गई.
दिनेश के पिता रविशंकर श्रीवास की हेयर कटिंग सैलून थी जिस से वे परिवार का भरण पोषण करते थे. दिनेश भी पिता की दुकान पर काम करता था. वह अल्पायु में ही पढ़ाई छोड़ चुका था. फिलहाल वह 21 वर्ष का था. दिनेश और वीना एकदूसरे का हाथ थाम कर घर से निकले तो कुछ दिन रायपुर में बिताने के बाद बिलासपुर आ गए. इस शहर में वह तिफरा में किराए का मकान ले कर रहने लगे.
दिनेश एक सैलून में नौकरी करने लगा, ताकि वीना की और अपनी जिंदगी को हसीन बना सके. लेकिन यह संभव न हो सका. दिनेश के पिता रविशंकर और मां नूतन को यह पता चला कि बेटा वीना के साथ सुखपूर्वक रह रहा है तो वे मौन रह गए. लेकिन वीना की मां चमेली मौन नहीं रह सकी.
एक दिन जब दिनेश काम पर गया हुआ था, तो वीना की मां आ धमकी. वीना ने मां को बैठाया, चायपानी को पूछा. दोनों की बातचीत हुई तो चमेली आंसू बहाते हुए कहने लगी, ‘‘बेटी, तुम ने यह क्या कर दिया, हमारी तो सारी इज्जत ही मिट्टी में मिल गई.’’
वीना मां की बातें सुनती रही. बातोंबातों में चमेली ने पूछा, ‘‘बेटा, तुम ने दिनेश से ब्याह कहां किया? गवाह कौनकौन थे?’’इस पर वीना का सिर झुक गया, वह बोली, ‘‘मां, हम ने अभी तक विवाह नहीं किया है.’’
इस पर चमेली स्तब्ध रह गई. बोली, ‘‘तुम बिना विवाह के दिनेश के साथ कैसे रह सकती हो? यह तो पाप है बेटी.’’
वीना चुपचाप मां की बातें सुनती रही. चमेली ने आगे कहा, ‘‘तुम खुश तो हो न? मैं तुम्हारी शादी दिनेश से ही करा दूंगी. ऊंचनीच तुम क्या जानो, औरत के लिए मंगलसूत्र और सिंदूर का बड़ा महत्त्व होता है. समाज में रह कर उसी के हिसाब से जीना पड़ता है और उस के नियमकायदे मानने होते हैं. तुम अगर मेरी बात नहीं मानोगी तो पछताओगी.’’
वीना कुछ दिन दिनेश के साथ रह कर समझ गई थी कि प्यार के शुरुआती आकर्षण वाले मीठे सपने जब हकीकत के कठोर धरातल पर टकराते हैं, तब टूट कर किरचाकिरचा बिखर जाते हैं. उसे मां का सहारा मिला तो वह फट पड़ी और आंखों में आंसू लिए मां की गोद में सिर रख कर रोने लगी.
मां ने उसे ढांढस बंधाया, फिर बोली, ‘‘बेटा, तुम ने गलती तो बहुत बड़ी की है. लेकिन मैं मां हूं. मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगी तो कौन करेगा.’’
वीना मां की ओर आशा भरी निगाहों से देखने लगी. चमेली ने कहा, ‘‘अच्छा, अब तू दिनेश के साथ खुश है या नहीं, साफसाफ बता.’’
वीना ने बहुत सोचा, फिर कहा, ‘‘मां, मुझे लगता है कि मैं ने भूल की है. मुझे दिनेश के लिए घर नहीं छोड़ना चाहिए था. बताओ, अब मैं क्या करूं?’’
चमेली ने कहा, ‘‘अच्छा, अभी तुम मेरे साथ चलो, बाद में देखेंगे कि क्या करना है.’’ वीना तैयार हो गई. घर में ताला लगा कर उस ने चाबी पड़ोस की एक महिला को दे दी. इस के बाद वह मां चमेली के साथ घर मन्नाडोला चली गई.
रात में जब दिनेश काम से घर लौटा तो वहां ताला लगा था. पड़ोस से पता चला कि वीना की मां आई थी, वह उसे अपने साथ ले गई है. उस ने घर का ताला खोला और चुपचाप लेट गया. उस की आंखों के आगे अंधेरा फैला हुआ था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. उस ने दरवाजा खोला तो 2 पुलिस वाले खड़े थे. उन्हें देख दिनेश डर गया. पुलिस वाले उसे थाना सिविल लाइंस ले गए.
एक पुलिस वाले ने उसे बताया कि उस पर वीना नाम की लड़की को बहलाफुसला कर भगा ले जाने का आरोप है. केस दर्ज हो चुका है. यह सुन कर दिनेश घबरा गया. उस ने पुलिस को बताया कि वह और वीना अपनी मरजी से घर छोड़ कर नई जिंदगी बसर करने के लिए निकले थे और तिफरा में किराए का मकान ले कर खुशीखुशी रह रहे थे. आज उस की मां चमेली यहां आई और बिना बताए उसे अपने साथ ले गई.
लेकिन पुलिस ने दिनेश की एक नहीं सुनी. उस के खिलाफ थाने में भादंवि की धारा 363 के अंतर्गत वीना को बहलाफुसला कर भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. दिनेश गम का घूंट पी कर रह गया.
वह यह भी साबित नहीं कर सका कि उस ने वीना के साथ विवाह किया था. वैसे भी वीना से अपने पक्ष की कोई उम्मीद रखना बेवकूफी थी, क्योंकि अब वह अपनी मां चमेली के प्रभाव में थी. वह वही कहती जो उस की मां चाहती.
दिनेश के जेल जाने की खबर जब उस के घर वालों को मिली तो उन्होंने एक वकील से इस मामले की पैरवी कराई. फलस्वरूव वह 2 महीने में जेल से बाहर आ गया. जो होना था, वह हो चुका था. दिनेश अब वीना को भुलाने की कोशिश करते हुए अपने परिवार के साथ रहने लगा. इसी बीच एक दिन गोल बाजार में उसे वीना मिल गई.
दिनेश उस से जानना चाहता था कि उस ने उसे किस बात की सजा दिलाई, इसलिए वह उसे एक कौफी हाउस में ले गया. बातचीत हुई तो दोनों के गिलेशिकवे शुरू हो गए. दिनेश ने वीना का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘वीना, जो भी हुआ, मैं उसे भूलने को तैयार हूं.’’
वीना ने आंखें नीची कर के कहा, ‘‘तुम ने मेरे साथ बहुत गलत किया है.’’
दिनेश ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘क्या गलत किया मैं ने?’’
‘‘तुम ने मुझ से शादी नहीं की, मुझे प्यार के बहकावे में रख कर मेरा शोषण करते रहे. क्या यह तुम्हारा फर्ज नहीं था कि मुझ से विवाह कर के अपने घर ले जाते?’’
‘‘देखो वीना, मैं ने जो भी किया, तुम्हारी मरजी से किया. मैं ने कभी जबरदस्ती नहीं की, फिर भी तुम ने मेरे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा कर मुझे जेल भिजवा दिया, क्या यह सही था?’’
‘‘तुम्हारी नीयत मुझे ठीक नहीं लगी, मां ने मुझे बताया कि शादी के बाद लड़की को सुरक्षा मिलनी चाहिए. तुम तो मुझे मंगलसूत्र और सिंदूर तक नहीं दे सके. अगर तुम मुझे छोड़ कर भाग जाते तो मैं तो बरबाद हो जाती. न इधर की रह जाती, न उधर की. तुम मुझ से प्यार करते थे तो शादी क्यों नहीं की?’’
दिनेश निरुत्तर रह गया. उसे अपनी भूल का अहसास हो रहा था. उसे वीना से ब्याह कर लेना चाहिए था. वह संभल गया, ‘‘अच्छा, मुझ से गलती हो गई. मैं अब तुम से शादी करूंगा, ठीक है.’’
वीना मौन बैठी थी. दिनेश ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘तुम मुझ पर अविश्वास कैसे कर सकती हो. क्या मैं बेवफा हूं? मैं तुम्हारे साथ सारी जिंदगी हंसीखुशी गुजारने को तैयार हूं.’’
इस पर वीना ने धीमे स्वर में कहा, ‘‘मैं सोच कर बताऊंगी. एक बार गलती कर चुकी हूं. इसलिए अब मैं दोबारा कोई गलती करना नहीं चाहती.’’
बहरहाल दिनेश और वीना में सहमति बनी कि दोनों एक बार फिर से एकदूसरे को समझेंगे, जानेंगे, तब कोई कदम उठाएंगे ताकि पहले की तरह कोई भूल न हो. अब जो भी कदम उठाएंगे, सोचसमझ कर उठाएंगे.
दोनों एक बार फिर घरपरिवार के बंधनों को भूल कर मिलने लगे, भविष्य के सपने बुनने लगे. वीना दिनेश के प्रभाव में आ गई थी. वह जब चाहता, उसे एकांत में ले जा कर संबंध बना लेता और फिर उसे उस के घर छोड़ जाता. लेकिन इस बार भी चमेली दिनेश और वीना के बीच आ कर खड़ी हो गई. इस बार कुछ ऐसा भयावह हो गया, जिस की कल्पना किसी ने नहीं की होगी.
19 जून, 2019 की सुबह दिनेश के मोबाइल की घंटी बजी. देखा वीना की काल थी. उस ने काल रिसीव की. उधर से वीना चहकी, ‘‘आज कोर्ट में तुम्हारी पेशी है न? मैं कोर्ट आऊंगी और मजिस्ट्रैट के सामने तुम्हारे ही पक्ष में बयान दे दूंगी.’’
वीना की बात सुन कर दिनेश श्रीवास खुश हो कर बोला, ‘‘मैं तुम से कब से बोल रहा था कि आ कर मजिस्ट्रैट के सामने बयान दे दो, लेकिन तुम टालती जा रही थी.’’
‘‘मैं मां के कितने प्रेशर में हूं, तुम नहीं जानते. मां ने मेरा जीना हराम कर रखा है. एक तरह से मैं घर में कैद सी हो गई हूं. मां मेरी हर गतिविधि पर निगाह रखती हैं. मैं ने बड़ी मुश्किल से काल की है और आऊंगी भी. मां आज बाहर जाने वाली हैं न…’’ वीना ने ऐसे कहा जैसे उत्साह से भरी हो.
‘‘चलो, कम से कम तुम को सद्बुद्धि तो आई.’’ दिनेश ने हंसते हुए कहा.
19 जून, 2019 को पूर्वाह्न लगभग 11 बजे दिनेश श्रीवास न्यायालय परिसर में पहुंच गया. अब उसे अपने वकील और वीना के आने का इंतजार था. लेकिन पता चला कि उस का वकील नहीं आएगा. पेशी की तारीख आगामी किसी दिन की ली जाएगी. इस से उसे बेचैनी होने लगी. थोड़ी देर में उसे वीना आती दिखाई दी, लेकिन वह अकेली नहीं थी. उस के साथ उस की मां चमेली भी थी.
दिनेश श्रीवास ने वीना को अगली पेशी की तारीख बता कर कहा, ‘‘हमारे वकील साहब बीमार हैं, इसलिए नहीं आए. तुम्हें अगली बार आना होगा, तभी बयान हो पाएगा.’’
वीना कुछ कहती, इस से पहले ही चमेली ने बातों का सिरा अपने हाथों में ले लिया. वह बोली, ‘‘दिनेश, बयान तो हो जाएगा. लेकिन तुम्हें क्या लगता है, वीना का जीवन बरबाद कर के तुम खुश रह पाओगे. मैं ने सुना है तुम कहीं और ब्याह करने की सोच रहे हो?’’
‘‘नहींनहीं, मैं नहीं मेरे पिताजी बात चला रहे हैं.’’ दिनेश ने बात घुमानी चाही.
‘‘और तुम..? तुम क्या करोगे?’’ चमेली ने दिनेश से पूछा.
‘‘मैं क्या करूंगा, मुझे भी नहीं मालूम. मैं पिताजी को नाराज नहीं कर पाऊंगा. उन्होंने मुझे जेल से निकलवाया, मुझे माफ किया. मुझे लगता है आप ने ठीक ही किया, जो वीना को उस दिन घर से ले आईं. बिना ब्याह हम लोगों का एक साथ रहना हमारे और हमारे परिवारों के लिए कलंक बन जाता.’’ दिनेश ने नजरें झुका कर कहा.
‘‘मगर बेटा,’’ चमेली ने प्यार से कहा, ‘‘फिर तो वीना का भविष्य बरबाद हो गया मानूं. अब उस के साथ कौन शादी करेगा?’’
यह सुन कर दिनेश कनखियों से वीना की ओर देखने लगा. बोला कुछ नहीं. चमेली बोली, ‘‘मैं और मेरी बेटी दोनों कोर्ट में तुम्हारे हक में बयान दे देंगे, मगर तुम्हें वीना को सम्मान के साथ ब्याह कर उसे स्वीकार करना होगा.’’
दिनेश चमेली की बात सुन अनसुनी कर के दूसरी तरफ देखने लगा. चमेली को उस का यह व्यवहार बुरा लगा. उस ने पुचकारते हुए कहा, ‘‘दिनेश, आज क्यों न हम पिकनिक पर चलें. एकदूसरे से बातें भी हो पाएंगी और समझनेसमझाने का मौका भी मिल जाएगा. नहीं तो हमारे रास्ते अलगअलग तो हैं ही.’’
चमेली की बात सुन दिनेश ने हामी भर दी. कोर्ट परिसर में से एक आटो ले कर तीनों पिकनिक मनाने और एकदूसरे को समझने के लिए चमेली के बताए उसलापुर सकरी की ओर निकल गए.
5 जुलाई, 2019 को बिलासपुर सिटी के थाना सिविल लाइंस के दरजनों बार चक्कर लगाने के बाद दिनेश श्रीवास के पिता रविशंकर व मां नूतन अंतत: आईजी कार्यालय में अपना प्रार्थना पत्र ले कर पहुंचे. प्रार्थना पत्र में उन्होंने लिखा था—
हमारा बेटा दिनेश श्रीवास विगत 19 जून, 2019 से लापता है. हमें शक है कि उस के साथ कुछ अनिष्ट हो गया है. हमें यह भी अंदेशा है कि उसे गायब करने में हमारी पड़ोसी वीना और चमेली का हाथ है. हम दरजनों बार सिविल लाइंस थानाप्रभारी से मिले और गुजारिश की कि हमारे बच्चे को ढूंढें, लेकिन वह हमें टाल कर घर भेज देते हैं.
आईजी प्रदीप गुप्ता अपने औफिस में बैठे थे. अर्दली ने अंदर जा कर रविशंकर और नूतन के नाम का पेपर दे दिया. उन्होंने दोनों को तत्काल बुलाया और सामने बैठा कर पूछा, ‘‘बताइए, क्या बात है?’’
इस पर दिनेश की मां ने लिखा हुआ प्रार्थना पत्र उन्हें दे कर निवेदन करते हुए कहा, ‘‘साहब, हमें न्याय दिलाएं, हमारा बेटा गायब है.’’
नूतन ने आंसू बहाते हुए जब आईजी से थाने आनेजाने की आपबीती बताई तो आईजी साहब नाराज हो गए. उन्होंने तत्काल थानाप्रभारी सिविललाइंस से फोन पर बात की. उन्होंने थानाप्रभारी कलीम खान को डांटते हुए कहा, ‘‘इस संवेदनशील मामले में 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज कर रिपोर्ट मेरे सामने पेश करें.’’
आईजी प्रदीप गुप्ता के आदेश पर थाना सिविल लाइंस में हड़कंप मच गया. थानाप्रभारी कलीम खान ने तत्काल 2 सिपाही भेज कर वीना और उस की मां को थाने बुला लिया. दोनों थाने आईं तो पुलिस ने सख्ती से पूछताछ करनी शुरू कर दी, लेकिन वीना ने स्पष्ट इनकार करते हुए कहा कि वह दिनेश श्रीवास से बहुत दिनों से नहीं मिली है.
मोबाइल फोन की काल डिटेल्स खंगालने पर इस बात का खुलासा हो गया कि 19 जून तक दिनेश और वीना के बीच मोबाइल पर बातें हो रही थीं. एक सूत्र ने पुलिस को बताया कि 19 तारीख को तीनों कोर्ट में एक साथ दिखाई दिए थे. इसी सूत्र के आधार पर कलीम खान ने कोर्ट में लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी. एक फुटेज में तीनों को आटो में बैठ कर जाते देखा गया.
पुलिस को बहुत बड़ा सूत्र मिल गया था. इस पर जांच आगे बढ़ाई गई तो वीना की मां चमेली ने 19 जून, 2019 को तीनों के पिकनिक जाने की बात स्वीकार करते हुए उस की हत्या की बात स्वीकार कर ली.
चमेली ने अपने बयान में बताया कि बेटी की जिंदगी बरबाद होते देख वह परेशान रहने लगी थी. उसलापुर सकरी में पिकनिक के दौरान दिनेश श्रीवास ने जब स्पष्ट रूप से हाथ खड़े कर लिए कि अब वह वीना का साथ नहीं निभा सकेगा, तब उस ने और वीना ने मिल कर उस की हत्या कर दी.
दिनेश जब दोपहर को आंखें बंद कर के लेटा था तो उन दोनों ने उस के सिर पर पत्थर दे मारा, जिस से वह बुरी तरह घायल हो गया. बाद में उन्होंने धारदार हंसिया से दिनेश का गला रेत दिया. साथ ही एक पत्थर मार कर उस का चेहरा विकृत कर दिया और उसे वहीं फेंक कर वापस आ गईं.
दिनेश को कोई पहचान न सके, इसलिए उस का मोबाइल वीना ने अपने पास रख लिया. पुलिस ने चमेली और वीना के बयान के आधार पर दिनेश की खोजबीन की तो उन्हें उसलापुर के कोकने नाला में दिनेश का क्षतविक्षत शव मिल गया.
पुलिस ने वीना और चमेली को गिरफ्तार कर लिया. उन के खिलाफ भादंवि की धाराओं 302, 120बी के तहत केस दर्ज किया गया. पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें सेंट्रल जेल बिलासपुर भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. वीना परिवर्तित नाम है.