UP Crime : अगर किसी युवक या युवती का प्रेम मिलन हुआ हो, लेकिन बाद में राहें अलगअलग हो गई हों तो कभी आमनेसामने पड़ने पर उन की मोहब्बत के मुरझाए फूल फिर से मुसकराने लगते हैं. लेकिन शादीशुदा होने की स्थिति में यह घातक होता है. सोना और आशीष को भी पहली मोहब्बत का…
उस दिन मार्च, 2020 की 17 तारीख थी. शाम के 4 बजे थे. मकान मालकिन पुष्पा किचन में चाय बनाने जा रही थी. तभी किसी ने डोरबैल बजाई. पुष्पा ने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर 2 महिलाएं खड़ी थीं. उन में एक जवान थी, जबकि दूसरी अधेड़ उम्र की थी. पुष्पा ने अजनबी महिलाओं को देख कर परिचय पूछा तो उन्होंने कोई जवाब न दे कर पर्स से एक फोटो निकाली और पुष्पा को दिखाते हुए पूछा, ‘‘क्या यह आप के मकान में रहता है?’’
पुष्पा ने फोटो गौर से देखी फिर बोली, ‘‘हां, यह तो आशीष है. अपनी पत्नी सोना के साथ पिछले 6 महीने से हमारे मकान में रह रहा है. उस की पत्नी सोना कहीं बाहर काम करती है. इसलिए सप्ताह में 2-3 दिन ही आ पाती है. आज वह 12 बजे घर आई थी. आशीष भी घर पर था, लेकिन आधा घंटा पहले कहीं चला गया है.’’
मकान मालकिन पुष्पा से पूछताछ करने के बाद दोनों महिलाएं वापस चली गईं. दरअसल, ये महिलाएं गीता और उन की बहू ज्योति थीं, जो सरायमीता पनकी, कानपुर की रहने वाली थीं. सोना गीता की बेटी थी और आशीष सोना का प्रेमी था. आशीष ने कुछ देर पहले ज्योति के मोबाइल पर काल कर के जानकारी दी थी कि उस ने उस की ननद सोना को मार डाला है और उस की लाश दबौली निवासी पुष्पा के मकान में किराए वाले कमरे में पड़ी है, आ कर लाश ले जाओ. ज्योति ने यह बात अपनी सास गीता को बताई. फिर सासबहू जानकारी लेने के लिए पुष्पा के मकान पर पहुंची, लेकिन वहां हत्या जैसी कोई हलचल न होने से दोनों वापस लौट आई थीं.
चाय पीतेपीते पुष्पा के मन में आशीष को ले कर कुछ शंका हुई तो वह पहली मंजिल स्थित उस के कमरे पर पहुंची. कमरे के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी और अंदर से खून बह कर बाहर की ओर आ रहा था. खून देख कर पुष्पा चीख पड़ी. मालकिन की चीख सुन कर अन्य किराएदार कमल, सुनील, टिंकू तथा शिवानंद आ गए. इस के बाद पुष्पा ने कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर झांका तो उन की आंखें फटी रह गईं. कमरे में फर्श पर खून से लथपथ सोना की लाश पड़ी थी. लाश से खून रिस कर कमरे के बाहर तक आ गया था. सोना की लाश देख कर किराएदार भी भयभीत हो उठे. इस के बाद तो हत्या की खबर थोड़ी देर में पूरे दबौली (उत्तर) में फैल गई. लोग पुष्पा के मकान के बाहर जुटने लगे.
शाम लगभग 5 बजे पुष्पा ने थाना गोविंद नगर फोन कर के किराएदार आशीष की पत्नी सोना की हत्या की जानकारी दे दी. हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने इस घटना से अधिकारियों को अवगत कराया और पुलिस टीम के साथ दबौली (उत्तर) स्थित पुष्पा के मकान पर जा पहुंचे. मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. लोग तरहतरह की बातें कर रहे थे. भीड़ को पीछे हटा कर थानाप्रभारी अनुराग सिंह पुलिस टीम के साथ मकान की पहली मंजिल स्थित उस कमरे में पहुंचे जहां लाश पड़ी थी. सोना की हत्या बड़ी निर्दयता से की गई थी. लाश के पास ही खून से सनी कैंची तथा मोबाइल पड़ा था. देखने से लग रहा था कि हत्या के पहले मृतका से जोरजबरदस्ती की गई थी. विरोध करने पर उस के पति आशीष ने कैंची से वार कर उस की हत्या कर दी थी. न केवल सोना के पेट में कैंची घोंपी गई थी, बल्कि उस के गले को भी कैंची से छेदा गया था.
थानाप्रभारी अनुराग सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसएसपी अनंत देव, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता और सीओ (गोविंद नगर) मनोज कुमार गुप्ता भी वहां आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और इंसपेक्टर अनुराग सिंह से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की. फोरैंसिक टीम ने निरीक्षण कर घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए. कैंची, दरवाजा और मेज पर रखे गिलास से फिंगरप्रिंट उठाए. जमीन पर फैले खून का नमूना भी जांच हेतु लिया गया.
निरीक्षण के दौरान सीओ मनोज कुमार गुप्ता की नजर मेज पर रखे लेडीज पर्स पर पड़ी. उन्होंने पर्स की तलाशी ली तो उस में साजशृंगार का सामान, कुछ रुपए तथा एक आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड में युवती का नाम सोना सोनकर, पिता का नाम मुन्ना लाल सोनकर, निवासी सराय मीता, पनकी कानपुर दर्ज था. गुप्ताजी ने 2 सिपाहियों को आधार कार्ड में दर्ज पते पर सूचना देने के लिए भेज दिया. एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने मकान मालकिन पुष्पा देवी से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस के पति देवकीनंदन की मृत्यु हो चुकी है. 2 बेटे हैं, अजय व राकेश, जो बाहर नौकरी करते हैं. मकान के भूतल पर वह स्वयं रहती है, जबकि पहली मंजिल पर बने कमरों को किराए पर उठा रखा है.
मकान में 4 किराएदार शिवानंद, कमल, सुनील व टिंकू पहले से रह रहे थे. 6 महीना पहले आशीष नाम का युवक एक युवती के साथ किराए पर कमरा लेने आया था. उस ने उस युवती को अपनी पत्नी बताया, साथ ही यह भी बताया कि उस की पत्नी सोना दूरदराज नौकरी करती है. वह सप्ताह में 2 या 3 दिन ही आया करेगी. मैं ने उसे रूम का किराया 1600 रुपए बताया तो वह राजी हो गया और किराएदार के रूप में रहने लगा. उस की पत्नी सोना सप्ताह में 2 या 3 दिन आती थी. पुष्पा ने बताया कि आज 12 बजे सोना आशीष से मिलने आई थी. उस के बाद कमरे में क्या हुआ, उसे मालूम नहीं. आशीष 3 बजे चला गया था. उस के जाने के बाद 2 महिलाएं उस के बारे में पूछताछ करने आईं.
लेकिन आशीष रूम में नहीं था, यह जान कर वे दोनों चली गईं. महिलाओं की बातों से मुझे कुछ शक हुआ, तो मैं आशीष के रूम पर गई. वहां कमरे के बाहर खून देख कर मैं चीखी तो बाकी किराएदार आ गए. उस के बाद मैं ने यह सूचना पुलिस को दे दी. घटनास्थल पर अन्य किराएदार कमल, सुनील, टिंकू व शिवानंद भी मौजूद थे. सीओ मनोज कुमार गुप्ता ने उन से पूछताछ की तो उन सब ने बताया कि आशीष ने उन से सोना को अपनी पत्नी बताया था. वह हफ्ते में 2-3 बार आती थी. कमरा बंद कर दोनों खूब हंसतेबतियाते थे, कभीकभी उन दोनों में तूतूमैंमैं भी हो जाती थी. आज सोना 12 बजे आई थी. बंद कमरे में दोनों का झगड़ा हो रहा था. तेज आवाजें आ रही थीं. लेकिन हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया. घटना की जानकारी तब हुई, जब मकान मालकिन चीखी.
किराएदारों से पूछताछ में एक किराएदार कमल ने बताया कि आशीष ने एक बार बताया था कि वह कानपुर के गजनेर का रहने वाला है. सीओ मनोज कुमार गुप्ता अभी किराएदारों से पूछताछ कर ही रहे थे कि मृतका सोना की मां गीता, बहन बरखा, निशू, भाभी ज्योति तथा भाई विक्की, सूरज, सनी और पीयूष आ गए. सोना का शव देख सभी दहाड़ मार कर रोने लगे. किसी तरह पुलिस अधिकारियों ने उन्हें शव से अलग किया और फिर पूछताछ की. एसपी अपर्णा गुप्ता को मृतका की मां गीता ने बताया कि 3 साल पहले उन की बेटी सोना की आशीष से दोस्ती हो गई थी. दोनों एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. जब उसे दोनों की दोस्ती की बात पता चली तो उस ने सोना का विवाह कर दिया.
लेकिन सोना की अपने पति व ससुरालियों से नहीं पटी, वह मायके आ कर रहने लगी. अपने खर्चे के लिए उस ने गोविंद नगर स्थित एक स्कूल में नौकरी कर ली. इस बीच आशीष ने सोना को फिर अपने प्रेम जाल में फंसा लिया और वह उसे अपने कमरे पर बुलाने लगा. कभीकभी वह घर भी आ जाता था. हम सब उसे अच्छी तरह जानते थे. पिछले कुछ दिनों से वह सोना पर शादी करने का दबाव डाल रहा था, लेकिन सोना शादी को राजी नहीं थी. आज भी आशीष ने सोना को अपने रूम में बुलाया और शादी का दबाव डाला. उस के न मानने पर आशीष ने जोरजबरदस्ती की और बेटी को मार डाला. सोना को मौत की नींद सुलाने के बाद आशीष ने मेरी बहू ज्योति के मोबाइल पर हत्या की सूचना दी कि आ कर लाश ले जाओ. तब उस के सभी बेटे काम पर गए थे.
वह बहू ज्योति को साथ ले कर दबौली आई और मकान मालकिन पुष्पा से मिली. लेकिन पुष्पा ने यह कह कर लौटा दिया कि आशीष अभी घर पर नहीं है. पुष्पा अगर हमें आशीष के कमरे तक जाने देती तो शायद उस की बेटी की जान बच जाती. पूछताछ के बाद एसपी अपर्णा गुप्ता ने थानाप्रभारी अनुराग सिंह को आदेश दिया कि वह मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे और रिपोर्ट दर्ज कर के कातिल आशीष को गिरफ्तार करें. उस की गिरफ्तारी के लिए उन्होंने सीओ मनोज कुमार गुप्ता के निर्देशन में एक पुलिस टीम भी गठित कर दी. पुलिस अधिकारियों के आदेश पर थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने घटनास्थल से बरामद खून सनी कैंची, सोना का मोबाइल फोन और पर्स आदि चीजें जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लीं.
इस के बाद मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भेज दिया गया. थाने लौट कर अनुराग सिंह ने मृतका के भाई सूरज की तहरीर पर धारा 302 आईपीसी के तहत आशीष के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस टीम आशीष की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गई. पुलिस टीम ने मृतका सोना का मोबाइल फोन खंगाला तो आशीष का नंबर मिल गया, जिसे सर्विलांस पर लगा दिया गया. सर्विलांस से उस की लोकेशन गीतानगर मिली. पुलिस टीम रात 2 बजे गीतानगर पहुंची, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही आशीष का फोन स्विच्ड औफ हो गया, जिस से उस की लोकेशन मिलनी बंद हो गई. निराश हो कर पुलिस टीम वापस लौट आई.
निरीक्षण के दौरान एक किराएदार ने सीओ मनोज कुमार गुप्ता को बताया था कि आशीष कानपुर देहात के गजनेर कस्बे का रहने वाला है. इस पर उन्होंने एक पुलिस टीम को गजनेर भेज दिया, जहां आशीष की तलाश की गई. सादे कपड़ों में गई पुलिस टीम ने दुकानदारों व अन्य लोगों को आशीष की फोटो दिखा कर पूछताछ की. लेकिन फोटो में आशीष चश्मा लगाए हुए था, जिस की वजह से लोग उसे पहचान नहीं पा रहे थे. पुलिस टीम पूछताछ करते हुए जब मुख्य रोड पर आई तो एक पान विक्रेता ने फोटो पहचान ली. उस ने बताया कि वह अजय ठाकुर है जो कस्बे के लाल सिंह का छोटा बेटा है. आशीष के पहचाने जाने से पुलिस को अपनी मेहनत रंग लाती दिखी. पुलिस टीम लाल सिंह के घर पहुंची. पुलिस ने लाल सिंह को फोटो दिखाई तो वह बोला, ‘‘यह फोटो मेरे बेटे आशीष सिंह की है.
घर के लोग उसे अजय ठाकुर के नाम से बुलाते हैं. आशीष कानपुर में नौकरी करता है. मेरा बड़ा बेटा मनीष सिंह भी गीतानगर, कानपुर में रहता है. पर आप लोग हैं कौन और आशीष की फोटो क्यों दिखा रहे हैं. उस ने कोई ऐसावैसा काम तो नहीं कर दिया?’’
पुलिस टीम ने अपना परिचय दे कर बता दिया कि उन का बेटा सोना नाम की एक युवती की हत्या कर के फरार हो गया है. पुलिस उसी की तलाश में आई है. अगर वह घर में छिपा हो तो उसे पुलिस के हवाले कर दो, वरना खुद भी मुसीबत में फंस जाओगे. पुलिस की बात सुन कर लाल सिंह घबरा कर बोला, ‘‘हुजूर, आशीष घर पर नहीं आया है. न ही उस ने मुझे कोई जानकारी दी है.’’
यह सुन कर पुलिस ने लाल सिंह को हिरासत में ले लिया. चूंकि लाल सिंह का बड़ा बेटा गीतानगर में रहता था और आशीष के मोबाइल फोन की लोकेशन भी गीता नगर की ही मिली थी. पुलिस को शक हुआ कि अजय ठाकुर उर्फ आशीष सिंह अपने बड़े भाई के घर में छिपा हो सकता है. पुलिस टीम लाल सिंह को साथ ले कर वापस कानपुर आ गई और उस के बताने पर गीता नगर स्थित बड़े बेटे मनीष के घर छापा मारा. छापा पड़ने पर घर में हड़कंप मच गया. पिता के साथ पुलिस देख कर आशीष ने भागने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया और थाना गोविंद नगर ले आई. थाना गोविंद नगर में जब आशीष सिंह से सोना की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. आशीष ने बताया कि शादी के पहले से दोनों के बीच प्रेम संबंध थे. सोना के घर वालों को पता चला तो उन्होंने उस की शादी कर दी, लेकिन सोना की पति से पटरी नहीं बैठी.
वह ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. उस के बाद दोनों के बीच फिर से अवैध संबंध बन गए. सोना के कहने पर ही उस ने किराए का कमरा लिया था, जहां दोनों का शारीरिक मिलन होता था. आशीष ने बताया कि घटना वाले दिन सोना 12 बजे आई थी. आशीष ने उस से कहा कि वह पति को तलाक दे कर उस से शादी कर ले. लेकिन वह नहीं मानी. इसी बात को ले कर दोनों में झगड़ा हुआ. झगड़े के बीच आशीष ने यह सोच कर प्रणय निवेदन किया कि यौन प्रक्रिया में गुस्सा शांत हो जाता है, लेकिन सोना ने उसे दुत्कार दिया. शादी की बात न मानने और प्रणय निवेदन ठुकराने की वजह से आशीष को गुस्सा आ गया और उस ने पास रखी कैंची उठा कर सोना के पेट में घोंप दी. फिर उसी कैंची से उस का गला भी छेद डाला. हत्या करने के बाद वह फरार हो गया था.
चूंकि आशीष सिंह ने सोना की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था और पुलिस आला ए कत्ल भी बरामद कर चुकी थी, इसलिए थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने अजय ठाकुर उर्फ आशीष सिंह को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह इस तरह थी—
कानपुर महानगर के पनकी थाना क्षेत्र में एक मोहल्ला है सराय मीता. मुन्नालाल सोनकर अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहता था. मुन्नालाल सोनकर नगर निगम में सफाई कर्मचारी था. उसे जो वेतन मिलता था, उसी से परिवार का भरणपोषण होता था. मुन्नालाल अपनी बड़ी बेटी बरखा की शादी कर चुका था. बरखा से छोटी सोना 18 साल की हो गई थी. वह चंचल स्वभाव की थी. पढ़ाईलिखाई में मन लगाने के बजाए वह सजनेसंवरने पर ज्यादा ध्यान देती थी. नईनई फिल्में देखना, सैरसपाटा करना और आधुनिक फैशन के कपड़े खरीदना उस का शौक था. मुन्नालाल सीधासादा आदमी था. रहनसहन भी साधारण था. वह बेटी की फैशनपरस्ती से परेशान था.
सोना अपनी मां गीता के साथ दादानगर स्थित एक लोहा फैक्ट्री में काम करती थी. वहां से उसे जो वेतन मिलता था, उसे वह अपने फैशन पर खर्च करती थी. जिद्दी स्वभाव की सोना को बाजार में जो कपड़ा या अन्य सामान पसंद आ जाता, वह उसे खरीद कर ले आती. मातापिता रोकतेटोकते तो वह टका सा जवाब दे देती, ‘‘मैं ने सामान अपने पैसे से खरीदा है. फिर ऐतराज क्यों?’’
उस के इस जवाब से सब चुप हो जाते थे. सोना की अपनी भाभी ज्योति से खूब पटरी बैठती थी. सोना दादानगर स्थित जिस लोहा फैक्ट्री में काम करती थी, आशीष सिंह उसी में सुपरवाइजर था. वह मूलरूप से जिला कानपुर के देहात क्षेत्र के कस्बा गजनेर का रहने वाला था. उस का घरेलू नाम अजय था. लोग उसे अजय ठाकुर कहते थे. उस के पिता गांव में किसानी करते थे. सोना लोहा फैक्ट्री में पैकिंग का काम करती थी. निरीक्षण के दौरान एक रोज आशीष सिंह की निगाह खूबसूरत सोना पर पड़ी. दोनों की नजरें मिलीं तो दोनों कुछ देर तक आकर्षण में खोए रहे. जब आकर्षण टूटा तो सोना मुसकरा दी और नजरें झुका कर पैकिंग में जुट गई. नजरें मिलने का सुखद अहसास दोनों को हुआ.
अगले दिन सोना कुछ ज्यादा ही बनसंवर कर आई. आशीष उस के पास पहुंचा और इशारे से उसे अपने औफिस के कमरे में आने को कहा. वह उस के औफिस में आई तो आशीष ने उस से कुछ कहा, जिसे सुन कर सोना सकपका गई. वह यह कह कर वहां से चली गई कि कोई देख लेगा. सोना की ओर से हरी झंडी मिली तो आशीष बहुत खुश हुआ. आशीष सिंह पढ़ालिखा हृष्टपुष्ट युवक था. वह अच्छाखासा कमा भी रहा था. लेकिन वह शादीशुदा और एक बच्चे का बाप था. उस की पत्नी से नहीं बनी तो वह घाटमपुर स्थित अपने मायके में रहने लगी थी. आशीष सिंह ने सोना से यह बात छिपा ली थी. उस ने उसे खुद को कुंवारा बताया था.
सोना सजीले युवक आशीष से मन ही मन प्यार करने लगी और मां से नजरें बचा कर आशीष से फैक्ट्री के बाहर एकांत में मिलने लगी. दोनों के बीच प्यार भरी बातें होने लगीं. धीरेधीरे आशीष सोना का दीवाना हो गया. सोना भी उसे बेपनाह मोहब्बत करने लगी. प्यार परवान चढ़ा तो देह की प्यास जाग उठी. एक रोज आशीष सोना को अपने दादानगर वाले कमरे पर ले गया, जहां वह किराए पर रहता था. सोना जैसे ही कमरे में पहुंची, आशीष ने उसे अपनी बांहों में भर लिया. आशीष के स्पर्श से सोना को बहकते देर नहीं लगी. आशीष जो कर रहा था, सोना को उस की अरसे से तमन्ना थी. इसलिए वह भी आशीष का सहयोग करने लगी. कुछ देर बाद आशीष और सोना अलग हुए तो बहुत खुश थे. इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. जब भी मन होता, शारीरिक संबंध बना लेते.
आशीष कमरे में अकेला रहता था, जिस से दोनों आसानी से मिल लेते थे. लेकिन कहते हैं कि प्यार चाहे जितना चोरीछिपे किया जाए, एक न एक दिन उस का भेद खुल ही जाता है. एक शाम सोना और गीता एक साथ फैक्ट्री से निकली तो कुछ दूर चल कर सोना बोली, ‘‘मां, मुझे गोविंद नगर बाजार से कुछ सामान लेना है. तुम घर चलो, मैं आ जाऊंगी.’’
गीता ने कुछ नहीं कहा. लेकिन उसे सोना पर संदेह हुआ. इसलिए उस ने सोना का गुप्तरूप से पीछा किया और उसे आशीष के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. गीता ने सोना को फटकारा और भलाबुरा कहा. साथ ही प्रेम से सिर पर हाथ रख कर समझाया भी, ‘‘बेटी, आशीष ठाकुर जाति का है और तुम दलित की बेटी हो. आशीष के घर वाले दलित की बेटी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. इसलिए मेरी बात मानो और आशीष का साथ छोड़ दो, इसी में हम सब की भलाई है.’’
गीता का पति मुन्नालाल सफाईकर्मी था और शराब पीने का आदी. स्वभाव से वह गुस्सैल था. इसलिए गीता ने सोना की असलियत उसे नहीं बताई. इस के बजाए उस ने पति पर सोना का विवाह जल्द से जल्द करने का दबाव बनाया. इसी के साथ गीता ने सोना का फैक्ट्री जाना भी बंद करा दिया और उस पर कड़ी नजर रखने लगी. उस ने अपनी बहू ज्योति तथा बेटों को भी सतर्क कर दिया था कि वह जहां भी जाए, उस के साथ कोई न कोई रहे. मांभाइयों के कड़े प्रतिबंध के कारण सोना का आशीष से मिलन बंद हो गया. इस से सोना और आशीष परेशान हो उठे. दोनों मिलन के लिए बेचैन रहने लगे.
सोना को इस बात की भनक लग चुकी थी कि उस के घर वाले उस की शादी के लिए लड़का देख रहे हैं. जबकि सोना के सिर पर अब भी आशीष के प्यार का भूत सवार था. इधर मुन्नालाल की खोज भीमसागर पर समाप्त हुई. भीमसागर का पिता रामसागर दादानगर फैक्ट्री एरिया के मिश्रीलाल चौराहे के निकट रहता था. नहर की पटरी के किनारे उस का मकान था. रामसागर लकड़ी बेचने का काम करता था. उस का बेटा भीमसागर भी उस के काम में मदद करता था. मुन्नालाल ने भीमसागर को देखा तो उसे सोना के लिए पसंद कर लिया. हालांकि सोना ने शादी से इनकार किया, लेकिन मुन्नालाल ने उस की एक नहीं सुनी. अंतत: सन 2017 के जनवरी महीने की 10 तारीख को सोना का विवाह भीमसागर के साथ कर दिया गया.
भीमसागर की दुलहन बन कर सोना ससुराल पहुंची तो सभी ने उसे हाथोंहाथ लिया. सुंदर पत्नी पा कर भीमसागर भी खुश था, वहीं उस के मातापिता भी बहू की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. सब खुश थे, लेकिन सोना खुश नहीं नहीं थी. सुहागरात को भी वह बेमन से पति को समर्पित हुई. भीमसागर तो तृप्त हो कर सो गया, पर सोना गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही. न तो उस के जिस्म की प्यास बुझी थी, न रूह की. उस रात के बाद हर रात मिलन की रस्म निभाई जाने लगी. चूंकि सोना इनकार नहीं कर सकती थी, सो अरुचि से पति की इच्छा पूरी करती रही.
घर वालों की जबरदस्ती के चलते सोना ने विवाह जरूर कर लिया था, पर वह मन से भीमसागर को पति नहीं मान सकी थी. अंतरंग क्षणों में वह केवल तन से पति के साथ होती थी, उस का प्यासा मन प्रेमी में भटक रहा होता था. 3-4 महीने तक सोना ने जैसेतैसे पति से निभाया, उस के बाद दोनों के बीच कलह होने लगी. कलह का पहला कारण सोना का एकांत में मोबाइल फोन पर बातें करना था. भीमसागर को शक हुआ कि सोना का शादी से पहले कोई यार था, जिस से वह चोरीछिपे एकांत में बातें करती है. दूसरा कारण उस की फैशनपरस्ती तथा घर से बाहर जाना था. भीमसागर के मातापिता चाहते थे कि बहू मर्यादा में रहे और घर के बाहर कदम न रखे.
लेकिन सोना को घर की चारदीवारी में रहना पसंद नहीं था. वह स्वच्छंद हो कर घूमती थी. इन्हीं 2 बातों को ले कर सोना का भीमसागर और ससुराल के लोगों से झगड़ा होने लगा. आजिज आ कर साल बीततेबीतते सोना ससुराल छोड़ कर मायके आ कर रहने लगी. गीता ने सोना को बहुत समझाया और ससुराल भेजने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानी. 6 महीने तक सोना घर में रही, उस के बाद उस ने गोविंद नगर स्थित एक स्कूल में आया की नौकरी कर ली. वह सुबह 8 बजे घर से निकलती, फिर शाम 5 बजे तक वापस आती. इस तरह वह मांबाप पर बोझ न बन कर खुद अपना भार उठाने लगी.
एक शाम सोना स्कूल से लौट रही थी कि दादानगर चौराहे पर उस की मुलाकात आशीष से हो गई. बिछड़े प्रेमी मिले तो दोनों खुश हुए. आशीष उसे नजदीक के एक रेस्तरां में ले गया, जहां दोनों ने एकदूसरे को अपनी व्यथाकथा सुनाई. बातोंबातों में आशीष उदास हो कर बोला, ‘‘अरमान मैं ने सजाए और तुम ने घर किसी और का बसा दिया.’’
सोना के मुंह से आह सी निकली, ‘‘हालात की मजबूरी इसी को कहते हैं. घर वालों ने मेरी मरजी के बिना शादी कर दी. मैं ने मन से उसे कभी पति नहीं माना. साल बीतते उस से मेरा मनमुटाव हो गया और मैं उसे छोड़ कर मायके आ गई.’’ आशीष मन ही मन खुश हुआ. फिर बोला, ‘‘क्या अब भी तुम मुझे पहले जैसा प्यार करती हो?’’
‘‘यह भी कोई पूछने की बात है. सच तो यह है कि मैं तुम्हें कभी भुला ही नहीं पाई. सुहागरात को भी तुम्हारी ही याद आती रही.’’ इस के बाद सोना और आशीष का फिर मिलन होने लगा. दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी बन गया. आशीष कभीकभी सोना के घर भी जाने लगा. गीता को आशीष का घर आना अच्छा तो नहीं लगता था, पर उसे मना भी नहीं कर पाती थी. हालांकि गीता निश्चिंत थी कि सोना की शादी हो गई है. अब आशीष जूठे बरतन में मुंह नहीं मारेगा. पर यह उस की भूल थी. सोना के कहने पर आशीष ने अगस्त, 2019 में दबौली (उत्तरी) में किराए पर एक कमरा ले लिया. कमरा पसंद करने सोना भी आशीष के साथ गई थी. उस ने मकान मालकिन को बताया कि सोना उस की पत्नी है. मकान में अन्य किराएदार थे, उन को भी आशीष ने सोना को अपनी पत्नी बताया था.
सोना अब इस कमरे पर आशीष से मिलने आने लगी. सोना के आते ही रूम का दरवाजा बंद हो जाता और शारीरिक मिलन के बाद ही खुलता. किसी को ऐतराज इसलिए नहीं होता था, क्योंकि उन की नजर में सोना उस की पत्नी थी. आशीष के रूम में आतेजाते सोना को एक रोज एक फोटो हाथ लग गई, जिस में वह एक युवती और एक मासूम बच्चे के साथ था. इस युवती और बच्चे के संबंध में सोना ने आशीष से पूछा तो वह बगलें झांकने लगा. अंतत: उसे बताना ही पड़ा कि वह शादीशुदा है और तसवीर में उस की पत्नी व बच्चा है.
लेकिन मनमुटाव के चलते पत्नी घाटमपुर स्थित अपने मायके में रह रही है. यह पता चलने के बाद सोना का आशीष से झगड़ा हुआ. लेकिन आशीष ने किसी तरह सोना को मना लिया. आशीष को लगा कि सच्चाई जानने के बाद सोना कहीं उस का साथ न छोड़ दे. इसलिए वह उस पर दबाव डालने लगा कि वह अपने पति को तलाक दे कर उस से शादी कर ले. लेकिन सोना ने यह कह कर मना कर दिया कि पहले तुम अपनी पत्नी को तलाक दो. तभी मैं अपने पति से तलाक लूंगी. इस के बाद तलाक को ले कर दोनों में अकसर झगड़ा होने लगा.
17 मार्च की दोपहर 12 बजे सोना दबौली स्थित आशीष के रूम पर पहुंची. आशीष ने उसे फोन कर के बुलाया था. सोना के आते ही आशीष ने रूम बंद कर लिया फिर दोनों में बातचीत होने लगी. बातचीत के दौरान आशीष ने सोना से कहा कि वह अपने पति से तलाक ले कर उस से शादी कर ले, पर सोना इस के लिए राजी नहीं हुई. उलटे पलटवार करते हुए वह बोली, ‘‘पहले तुम अपनी पत्नी से तलाक क्यों नहीं लेते, एक म्यान में 2 तलवारें कैसे रहेंगी?’’
तलाक को ले कर दोनों में गरमागरम बहस होने लगी. बहस के बीच आशीष ने प्रणय निवेदन किया, जिसे सोना ने ठुकरा दिया. इस पर आशीष जबरदस्ती पर उतर आया और सोना के कपड़े खींच कर उसे अर्धनग्न कर दिया. सोना भी बचाव में भिड़ गई. तलाक लेने से इनकार करने और शारीरिक संबंध न बन पाने से आशीष का गुस्सा आसमान पर जा पहुंचा. उस ने दीवार में बनी अलमारी में रखी कैंची उठाई और सोना के पेट में घोंप दी. सोना पेट पकड़ कर फर्श पर तड़पने लगी. उसी समय आशिष ने सोना के गले को कैंची से छेद डाला. सोना पेट पकड़ कर तड़पने लगी. उसी समय उस ने सोना के गले को कैंची से छेद डाला. कुछ देर बाद सोना ने दम तोड़ दिया.
सोना की हत्या करने के बाद आशीष ने कमरे के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद की और मकान के बाहर आ गया. बाहर आ कर उस ने सोना की भाभी ज्योति को सोना की हत्या की जानकारी दी, फिर फरार हो गया. इस घटना का भेद तब खुला, जब मकान मालकिन पुष्पा पहली मंजिल पर स्थित आशीष के कमरे पर पहुंची. पुष्पा ने इस घटना की सूचना थाना गोविंद नगर को दे दी. जांच में अवैध रिश्तों में हुई हत्या की बात सामने आई. 20 मार्च, 2020 को थाना गोविंद नगर पुलिस ने अभियुक्त आशीष सिंह को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट ए.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित