Haryana News : मुनेश गोदारा ने मेहनत और काबिलियत से भारतीय जनता पार्टी में खास मुकाम हासिल कर लिया था. लेकिन उस के पति सुनील गोदारा को शक था कि उस की पत्नी के एक नेता से अवैध संबंध हैं, इसलिए वह पत्नी से राजनीति छोड़ने को कहता था. मुनेश राजनीति में एक शख्सियत बन चुकी थी, सो उस ने राजनीति छोड़ने से साफ मना कर दिया. फिर एक दिन सुनील जानबूझ कर ऐसा अपराध कर बैठा कि…
हरियाणा प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा की प्रदेश महामंत्री 35 वर्षीय मुनेश गोदारा उभरती हुई एक राजनेत्री थी. इतने बड़े पद पर रहते हुए भी वह अपना काम स्वयं करने में यकीन रखती थी. चाहे वह घरेलू काम हो अथवा रसोई के, जब तक वह खुद से नहीं करती थी उसे चैन नहीं आता और बच्चे भी अधीर रहते थे. गुरुग्राम (हरियाणा) के सेक्टर-10ए, स्पेस सोसाइटी के 8वीं मंजिल पर रहने वाली मुनेश गोदारा कुछ ही देर पहले बड़े भाई सुनील कुमार जाखड़ के घर से हो कर आई थी. दरअसल, छोटे भाई के बेटे की तबीयत खराब थी, उसे ही देखने मुनेश अकेली मायके आई थी. उस के मायके वाले सेक्टर-83 में रहते थे जो कि उस के फ्लैट से थोड़ी दूरी पर स्थित था.
उस समय रात के लगभग 8 बज रहे थे. रात गहराती चली गई तो बड़े भाई सुनील जाखड़ ने मुनेश से कहा भी था कि आज रात वह वहीं रुक जाए और सुबह होते ही वह उसे घर पहुंचा देंगे. लेकिन मुनेश वहां रुकने के लिए तैयार नहीं हुई थी. उस ने बड़े भाई से कहा, ‘‘भैया, भतीजे को देखने आई थी, सो देख लिया. तुम तो मेरी दोनों बेटियों की आदत को जानते ही हो, घर नहीं पहुंची तो दोनों सिर पर पहाड़ उठा कर तांडव करने लगेंगी और बगैर कुछ खाएपीए भूखे ही सो जाएंगी. इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा. फिर कल सुबह मोंटी के दाखिला के लिए आर्मी स्कूल जाना होगा. तुम तो जानते हो भैया, आर्मी स्कूल है, वहां का नियमकानून बहुत सख्त होता है. जरा सी लापरवाही हुई तो बेटी का दाखिला होने से रुक भी सकता है और फिर भैया, आप ही बताओ किस लड़की को अपना मायका प्यारा नहीं होता.
अपना मायका सभी लड़कियों को प्यारा होता है. उन का बस चले तो जीवन भर यहीं रुक जाएं. इसलिए आज मत रोको. लेकिन मैं जल्दी ही आऊंगी तुम से मिलने, समझे.’’
बहन की शरारत भरी बातों को सुन कर सुनील खिलखिला कर हंस पड़े तो मुनेश से भी अपनी हंसी नहीं रोकी जा सकी. वह भी ठहाका मार कर हंसने लगी. फिर वहां से उठी और निजी वाहन से सेक्टर-93 स्थित अपने घर लौट आई. मायके से घर पहुंचने में मुश्किल से 20 मिनट का समय लगा था. उस समय रात के 9 बज रहे थे. मुनेश की दोनों बेटियां अपने कमरे में बैठी पढ़ रही थीं. फटाफट कपड़े बदल कर मुनेश सीधे रसोई में जा पहुंची और खाना पकाने में जुट गई थी. वह जान रही थी कि बेटियों के पेट में चूहों ने अपना करतब दिखाना शुरू कर दिया होगा. जरा सी और देर हुई तो उन दोनों से भूख सहन नहीं होगी.
उस समय तक उस का पति सुनील गोदारा अपनी ड्यूटी से लौटा नहीं था. वह एक सुरक्षा एजेंसी में गार्ड की नौकरी करता था. यहां एक बात साफ कर देना चाहता हूं मुनेश के पति और उस के भाई दोनों का ही नाम सुनील था. फर्क सिर्फ इतना कि मुनेश के पति के नाम के आगे गोदारा लगा हुआ था जबकि भाई के नाम के आगे जाखड़ था. मुनेश ने रोटियां बना ली थीं. गैस के दूसरे चूल्हे पर कड़ाही चढ़ा सब्जी के लिए तड़का लगाने जा रही थी. तभी उस के फोन की घंटी बजी. मुनेश ने स्क्रीन पर नजर डाली तो वह वीडियो काल थी. उस की छोटी बहन मनीषा ने काल की थी. मुनेश गैस बंद कर बहन से बात करने में मशगूल हो गई थी. उसी समय पति सुनील गोदारा ड्यूटी से घर लौट आया.
करीब 16 साल सेना में नौकरी करने के बाद वह वहां से रिटायर हो गया था. रिटायर होने के बाद से वह सुरक्षा एजेंसी में गार्ड की नौकरी कर रहा था. खैर, कमरे में घुसते ही सुनील गोदारा ने बेटियों से उन की मां के बारे में पूछा तो बड़ी बेटी प्रीति ने बता दिया मां रसोई में है, खाना पका रही है. बेटी का जवाब सुन कर सुनील जिस हालत में था, उसी हालत में रसोई की ओर बढ़ गया. सुनील का मजबूत जिस्म हवा में लहरा रहा था. उस के पांव यहांवहां पड़ रहे थे. उस ने रोज की तरह उस दिन भी जम कर शराब पी रखी थी. किचन के दरवाजे के पास पहुंचा तो देखा कि पत्नी दरवाजे की ओर अपनी पीठ कर के फोन पर किसी से हंसहंस कर बातें करने में व्यस्त थी. उसे पति के आने का आभास भी नहीं हुआ. ये देख कर सुनील का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
सुनील ने बीवी को एक भद्दी सी गाली दी. गाली की आवाज कान के पर्दों से टकराते ही मुनेश बुरी तरह से चौंक गई. उस के हाथ से फोन गिरतेगिरते बचा. फिर उस ने पलट कर देखा सामने पति सुनील खड़ा था. उस ने रोजाना की तरह आज भी जम कर शराब पी रखी थी. उस के पैर डगमगा रहे थे. मुनेश कुछ कहती इस के पहले ही सुनील उस पर चीखा, ‘‘हरामजादी, कुतिया… हजार बार मैं ने तुझे मना किया था कि तू अपनी आदत सुधार ले. उस कमीने से अपने रिश्ते तोड़ ले और अपनी घरगृहस्थी और बच्चों को संभालने में लग, लेकिन तू है कि तेरी मोटी बुद्धि में मेरी कोई बात आसानी से घुसती ही नहीं. लाख समझाता हूं, तेरे भेजे में घुसता ही नहीं. तेरे कारण मैं ने जिंदगी नर्क बना ली है.
तुझ से मैं तंग आ चुका हूं. रोजरोज की किचकिच से आज मैं किस्सा ही मिटा देता हूं. कहते ही नशे में चूर सुनील गोदारा ने होलेस्टर से अपनी सर्विस रिवाल्वर निकाली और 2 गोलियां बीवी के पेट और सीने में दाग दीं. गोली लगते ही मुनेश हाथ में फोन लिए फर्श पर धड़ाम से गिर गई और उस के मुंह से आखिरी शब्द निकला, ‘‘बहन… तेरे जीजा सुनील ने गोली मार दी है.’’ इतना कहते ही मुनेश की सांसें थम गईं. गोली की आवाज सुनते ही प्रीति और मोंटी दौड़ीभागी रसोई में पहुंची तो देखा मां चित अवस्था में फर्श पर पड़ी अपने ही खून में सनी दम तोड़ चुकी हैं. उस के पापा सुनील गोदारा वहां नहीं थे. दोनों को समझते देर न लगी कि पापा ने मम्मी की गोली मार कर हत्या कर दी और फरार हो गए. प्रीति और मोंटी को कुछ सूझ नहीं रहा था कि ऐसे में वे क्या करें? मां की लाश के पास दोनों खड़ी जोरजोर से चीखचिल्ला रही थीं.
अचानक गोदारा के घर से रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी वहां जमा हो गए थे. हंसमुख मुनेश की हत्या की खबर सुन कर सभी हतप्रभ रह गए थे. इधर तब तक मनीषा ने बहन की हत्या की खबर बड़े भाई सुनील कुमार जाखड़ को दे दी थी. बहन की हत्या की खबर सुनते ही उन्हें जैसे काठ मार गया हो, ऐसे हो गए थे. सुनील आननफानन में अपने निजी वाहन से मुनेश के घर सेक्टर-93, स्पेस सोसाइटी पहुंच गए. इस बीच प्रीति अपने बाबा चंद्रभान गोदारा को मां की हत्या की खबर फोन से दे चुकी थी. वो चरखी दादरी में दादी के साथ रहते थे. बहू की हत्या की खबर सुनते ही पिता की बूढ़ी आंखे पथरा सी गईं. उन के पांव लड़खड़ा से गए और वो बिस्तर पर जा गिरे. उन्हें बेटे की घिनौनी करतूत पर घिन आ रही थी.
खैर, होनी को कौन टाल सकता है, जो होना है वो तो हो कर रहता है. बहू की हत्या की जानकारी होते ही ससुर चंद्रभान गोदारा आननफानन में सेक्टर-93 पहुंचे. अब तक यह खबर जंगल में आग की तरह समूचे गुरुग्राम में फैल चुकी थी. मुनेश कोई छोटीमोटी हस्ती नहीं थी. वह भाजपा किसान मोर्चा की प्रदेश महामंत्री थी. हरियाणा राज्य में तेजी से उभरती हुई राजनेत्री थी. राजनीति में उस ने अपना अच्छा मुकाम बना लिया था. बड़ेबड़े नेताओं से उस के अच्छे संबंध थे. इन्हीं के बल पर वह मजलूमों और गरीबों के हक की लड़ाई लड़ती थी. प्रदेश महामंत्री मुनेश गोदारा की हत्या की खबर मिलते ही सेक्टर-93 में धीरेधीरे भाजपा कार्यकर्ताओं और उस के शुभचिंतकों का जमावड़ा होने लगा था. ससुर चंद्रभान ने थाना सेक्टर-10 ए के थानेदार संजय कुमार को फोन कर के घटना की जानकारी दी.
घटना की सूचना मिलते ही थानेदार संजय कुमार आननफानन में फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय रात के 11 बज रहे थे. मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए थानेदार संजय ने घटना की सूचना कमिश्नर मोहम्मद आकिल, डीसीपी (ईस्ट) चंद्र मोहन, डीसीपी (वेस्ट) सुमेर सिंह और एसीपी (सिटी) राजिंदर सिंह को दे दी थी. इधर भाजपा कार्यकर्ता हत्यारे पति सुनील गोदारा को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. मौके पर नारेबाजी कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं को उन्होंने समझाबुझा कर शांत किया और उन्हें भरोसा दिया कि जल्द से जल्द हत्यारा पकड़ लिया जाएगा. कानून को अपना काम करने दें. पुलिस अधिकारियों के आश्वासन के बाद वे शांत हुए.
पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया. लाश चित अवस्था में थी. मृतका के हाथ में मोबाइल फोन था. पुलिस ने सब से पहले मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया. फिर किचन की तलाशी ली. तलाशी के दौरान मौके से कारतूस के 2 खोखे बरामद हुए. पुलिस ने मृतका मुनेश की दोनों बेटियों प्रीति और मोंटी से हत्या के बारे में पूछताछ की. दोनों ने पिता के ऊपर आरोप लगाते हुए मां को गोली मारने की बात कही थी. मतलब साफ था कि पति सुनील गोदारा ने ही मुनेश की गोली मार कर हत्या की थी. घटना को अंजाम देने के बाद वह मौके से अपनी एसेंट कार में बैठ कर फरार हुआ था.
पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दी. मृतका के ससुर चंद्रभान गोदारा ने बहू की हत्या के लिए अपने बेटे सुनील गोदारा और भाजपा नेता बंटी गुर्जर और उस की बीवी अनु गुर्जर के खिलाफ लिखित शिकायत थानेदार संजय कुमार को दी. उन की तहरीर पर पुलिस ने तीनों आरोपियों सुनील गोदारा, बंटी गुर्जर और अनु गुर्जर के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर के उन की तलाश शुरू कर दी. ये बात 8 फरवरी, 2020 की है. अगले दिन आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर दी थी. वह पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. मामला तूल पकड़ने लगा था. पुलिस बंटी गुर्जर और उस की बीवी अनु को गिरफ्तार करने उस के घर कादरपुर गई तो दोनों पतिपत्नी मौके से फरार थे. आरोपियों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी.
जांचपड़ताल में पुलिस को इतना पता चला था कि सुनील गोदारा और उस की बीवी मुनेश गोदारा के बीच रिश्ते काफी समय से खराब चल रहे थे. पत्नी मुनेश के भाजपा नेता बंटी गुर्जर से मधुर संबंध थे. यह बात बंटी गुर्जर की बीवी अनु को भी पता थी. लेकिन पति सुनील ये बात पसंद नहीं करता था. इसी बात को ले कर पतिपत्नी के बीच आए दिन विवाद होता रहता था. ये बात किसी से छिपी नहीं थी. पुलिस यह मान कर चल रही थी कि मुनेश की हत्या प्रेम संबंधों की वजह से हुई है. मुनेश की कालडिटेल्स में बंटी के साथ लंबीलंबी बातचीत करना पाया गया था. यही हत्या की मूल वजह मान कर पुलिस ने अपनी जांच की दिशा आगे बढ़ाई.
आरोपी सुनील गोदारा को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस उस के संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी लेकिन वह पुलिस की पकड़ से बहुत दूर था. ऐसा नहीं था कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई थी. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल भी बिछा रखा था. सुनील की खोजबीन में मुखबिर जुट गए थे. बात 15 फरवरी, 2020 की है. दोपहर का वक्त था. थानेदार संजय कुमार थाने में मौजूद थे. तभी एक चौंका देने वाली खबर उन के खास मुखबिर ने दी. उस ने बताया कि मुनेश का हत्यारा सुनील गोदारा हयातपुर चौक पर घूमता हुआ देखा गया है. जल्दी करें तो पकड़ा जा सकता है. फिर क्या था? संजय कुमार मुखबिर की सूचना पर उस के द्वारा बताई गई जगह पर आवश्यक पुलिस बल के साथ पहुंच गए.
उन्होंने चौक को चारों ओर से घेर लिया ताकि आरोपी मौके से भाग न सके. सभी पुलिस वाले सादा पोशाक में थे, ताकि आरोपी उन्हें आसानी से पहचान न सके और हुआ भी यही. सुनील गोदारा गिरफ्तार कर लिया गया. उसे पुलिस थाना सेक्टर-10 ए पूछताछ के लिए ले कर आई. हत्यारे पति सुनील गोदारा के गिरफ्तार होने की सूचना थानेदार संजय कुमार ने पुलिस अधिकारियों को दे दी. तब एसीपी (सिटी) राजिंदर सिंह सूचना पा कर थाना सेक्टर- 10ए पूछताछ के लिए पहुंच चुके थे. उन्होंने सुनील से पूछताछ करनी शुरू की तो उस ने बिना हीलाहवाली के अपना जुर्म कबूल कर किया कि उसी ने बीवी की हत्या की थी.
हत्या की वजह उस ने बीवी का नैतिक पतन बताई थी. उस ने उन्हें बताया कि उस के लाख मना करने के बाद भी वह अपने आशिक से नैनमटक्का करने से बाज नहीं आ रही थी. जिस के कारण परिवार टूट रहा था, इस के बाद उस ने घटना की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया. वहां से जेल भेज दिया गया. सुनील के अलावा दोनों आरोपी बंटी गुर्जर और उस की बीवी अनु अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर थे. मुनेश गोदारा हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—
35 वर्षीय मुनेश गोदारा मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली थी. उस के घर में मांबाप और 4 भाई बहनें थीं. सब से बड़ा भाई सुनील कुमार जाखड़, उस के बाद खुद मुनेश, उस से छोटा विमलेश और छोटी बहन मनीषा थी. बचपन से ही मुनेश कुशाग्र और प्रखर बुद्धि की थी. पढ़नेलिखने से ले कर बातचीत के कौशल तक सब कुछ अलग था. जिस काम को करने की एक बार वह ठान लेती थी अपनी हिम्मत और साहस के बदौलत उसे कर के ही दम लेती थी. समय के साथ जवान हुई मुनेश की शादी साल 2001 में चरखी दादरी (हरियाणा) के चंपापुरी में रहने वाले पूर्व फौजी चंद्रभान गोदारा के इकलौते बेटे सुनील गोदारा से हुई थी.
चंद्रभान की इलाके में बड़ी पहचान थी. नियम और उसूल के पक्के चंद्रभान ने सालों तक आर्मी में नौकरी करते हुए शराब को पीना तो दूर की बात, कभी हाथ तक नहीं लगाया था. न ही ऐसे लोगों को वह पसंद करते थे. वह इकलौते बेटे सुनील को भी अपनी तरह देखना चाहते थे. उन्होंने बेटे को अच्छी तालीम दिलाई और सीख भी दी कि जीवन में आगे बढ़ना है तो कभी शराब मत पीना. अपने को उस का गुलाम कभी मत बनने देना. यदि एक शराब ने अपना गुलाम बना लिया तो जीवन भर उस की गुलामी करते रहोगे. पिता की नसीहत को गांठ बांध कर सुनील ने अपने दिमाग में बैठा ली थी.
तब सुनील आर्मी में जाने की तैयारी कर रहा था. उसी दौरान बहू के रूप में मुनेश गोदारा परिवार में साक्षात लक्ष्मी बन कर आई थी. बीवी के आने के बाद सुनील के बंद भाग्य के दरवाजे खुल गए थे. उस की आर्मी की नौकरी पक्की हो गई थी. ससुर चंद्रभान बहू मुनेश को साक्षात लक्ष्मी मानते थे. उस के शुभ कदमों से घर में खुशियों ने अपने पांव पसार दिए थे. इसीलिए चंद्रभान उसे बहू कम बेटी ज्यादा मानते थे. रही बात सुनील की, तो वह परिवार से मिलने बीचबीच में घर आता रहता था. इस बीच मुनेश ने 2 बेटियों प्रीति और मोंटी को जन्म दिया. बाद के दिनों में चंद्रभान गोदारा रिटायर हो कर घर आ गए.
रिटायर आर्मी चंद्रभान गोदारा का घरसंसार बड़े हंसीखुशी से चल रहा था. पैसों की घर में कोई कमी नहीं थी. बेटा कमा रहा था, ससुर की अच्छीखासी पेंशन थी और क्या चाहिए था. प्रीति और मोंटी बड़ी हो रही थीं. बेटियां बड़ी और समझदार हुईं तो मुनेश गृहस्थ आश्रम से बाहर निकल कर समाज के लिए कुछ करने के लिए लालायित होने लगी थी. मुनेश की सहेली अनु गुर्जर भारतीय जनता पार्टी में काफी दिनों से जुड़ी हुई थी. उस के पति बंटी गुर्जर भाजपा के पुराने सिपाही थे. सहेली को देख कर ही मुनेश के मन में खयाल आया था कि वह भी राजनीति में कदम रखे और गरीब तथा बेसहारों के लिए एक मजबूत कदम बने. उन की बुलंद आवाज बने.
लेकिन यह मुनेश के लिए आसान नहीं था. वह यही सोच रही थी कि पता नहीं पति इस के लिए तैयार होंगे या नहीं. उन का साथ मिलेगा या नहीं. पति की मरजी के बिना राजनीति में कदम रखा तो घर में तूफान खड़ा हो सकता है. क्या करे? किस से सलाह मशविरा ले? उसी समय उस के मन में एक विचार कौंधा और उस की आंखों के सामने ससुर का चेहरा तैरने लगा. उसे विश्वास था कि ससुरजी उस की बातों को कभी नहीं टाल सकते. वह जरूर उस की भावनाओं को समझेंगे. एक दिन समय और अवसर देख कर मुनेश ने ससुरजी के सामने अपने मन के भाव प्रकट कर दिए. उस ने कहा कि उस की इच्छा है वह राजनीति में जाना चाहती है. इस के लिए आप की इजाजत और आशीर्वाद दोनों की जरूरत है. अगर आप इजाजत दें तो मैं अपने कदम आगे बढ़ाऊं.
ससुर चंद्रभान बहू की बात सुन कर असमंजस में पड़ गए. उन्होंने बहू की बातों पर विचार किया. काफी सोचने और समझने के बाद उन्होंने बहू को राजनीति में जाने की हरी झंडी दिखा दी. ससुर की ओर से मिली हरी झंडी से मुनेश के हौसले बुलंद हुए और उस ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. ये सब उस की सहेली अनु और उस के पति बंटी गुर्जर के द्वारा संभव हुआ था. इसलिए वह दोनों की अहसानमंद थी. ये बात साल 2013 की है. यहीं से मुनेश गोदारा के बुरे दिन शुरू हो गए. जिस के चलते उस के जीवन में उठापटक होने लगी. मुनेश ने कभी सोचा नहीं था कि जिस राजनीति की चकाचौंध में उस के पांव बढ़ते जा रहे हैं, इसी राजनीति के कारण एक दिन उस का हंसताखेलता घर तिनकातिनका बिखर जाएगा और उस की सांसों की डोर उस के जिस्म से जुदा हो जाएगी.
अपनी मेहनत और लगन की बदौलत मुनेश गोदारा ने कम समय में राजनीति के महारथियों के बीच अच्छीखासी जगह बना ली थी. जल्द ही उसे चरखी दादरी की जिलाध्यक्ष बना दिया गया. ये सब बंटी गुर्जर की मेहरबानियों की बदौलत संभव हुआ था. बंटी गुर्जर पार्टी का बड़ा नेता माना जाता था. पार्टी में उस की ऊंची पकड़ थी. बड़ेबड़े नेताओं से अच्छे संबंध थे. जिस दिन से बंटी गुर्जर ने मुनेश गोदारा को देखा था उसी दिन से उस की खूबसूरती पर मर मिटा था. बंटी गुर्जर के दिल में उस के लिए एक साफ्ट कार्नर बन गया था. जबकि इस के विपरीत मुनेश उस का दिल से सम्मान करती थी क्योंकि उसी की बदौलत उसे राजनीति में बड़ा कद और पद मिला था.
उस के इसी सम्मान को वह अपने लिए प्यार समझने की भूल कर बैठा था. बंटी को मुनेश से जब भी बात करने की तलब होती थी, वह कर लेता था. पार्टी में धीरेधीरे ये बात फैल गई थी कि नेताजी बंटी गुर्जर और जिलाध्यक्ष मुनेश गोदारा के बीच मोहब्बत की मीठी आंच पर प्यार की खिचड़ी पक रही है. उन के बीच में ईलूईलू चल रहा है. मुनेश अभी भी इस बात से अंजान थी कि नेताजी के मन में उसे ले कर क्या खिचड़ी पक रही है. फिजाओं में तैरती हुई मोहब्बत का यह पैगाम मुनेश के शौहर सुनील गोदारा तक जब पहुंचा तो वह आगबबूला हो गया था.
पहली बात तो यह थी कि उसे बीवी का राजनीति में जाना गवारा नहीं था. दूसरे जब उस ने सुना कि उस का अफेयर किसी नेता के साथ चल रहा है तो उस के तनबदन में आग लग गई. बीवी को उस ने समझाया था कि वह अपना ध्यान घरगृहस्थी और बच्चों के बीच में लगाए. ये राजनीति की दुनिया शरीफों के लिए नहीं है, उस का चक्कर छोड़ दे. राजनीति के जिस मुकाम तक मुनेश पहुंच चुकी थी वहां से वापस लौटना शायद उस के लिए उतना आसान नहीं था जितना आसान उस का पति समझता था. सालों का लंबा सफर तय कर के वह जिलाध्यक्ष से प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री बन चुकी थी. यही नहीं, वह एक स्टार प्रचारक के रूप में विख्यात हो चुकी थी. दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मुनेश ने कई प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया था. अपनी असीम महत्त्वाकांक्षा की वजह से ही वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के निकट तक पहुंच चुकी थी. इसी के बाद उसे भाजपा किसान मोर्चा का प्रदेश महामंत्री बना दिया गया था.
राजनीति की ऊंचाई पर पहुंची मुनेश ने पति से दो टूक कह दिया था कि राजनीति से वापस लौटना उस के लिए आसान नहीं होगा. वह सियासत में रह कर ही अपना घरसंसार और बच्चों की देखभाल अच्छी तरह से कर सकती है. लेकिन राजनीति से अलग होने के लिए उस पर दबाव न डाले. दोनों के बीच में यहीं से विवाद की नींव पड़ी थी. सुनील गोदारा एक सैनिक था. उस के रगों में भी एक आर्मी पिता का खून दौड़ रहा था. भला वो बीवी के इंकार को कैसे सहन कर सकता था. उस ने बीवी को समझाया कि अभी भी समय है, कुछ नहीं बिगड़ा है, वापस घर लौट आओ. सब कुछ ठीक हो जाएगा. मुनेश ने साफ मना कर दिया कि वह सियासत के बिना नहीं रह सकती.
इस दौरान मुनेश ने अपने नाम पर भिवानी के बाढड़ा इलाके में 2 फ्लैट खरीदे थे. पति को इस की जानकारी दे दी थी. पतिपत्नी के बीच बंटी गुर्जर के प्रेमसंबंधों को ले कर तूफान खड़ा हो चुका था. मुनेश ने पति को सफाई भी दी थी कि उन के बीच ऐसा कोई नाजायज रिश्ता नहीं है जिस से समाज में उन की हंसाई हो. उन के बीच के रिश्ते गंगा जल की तरह पवित्र हैं लेकिन सुनील इस बात को मानने के लिए कतई तैयार नहीं था कि बीवी जो कह रही है वो सच है. उस के मन में दोनों के बीच अनैतिक संबंधों को ले कर शक का बीज अंकुरित हो चुका था. मुनेश और सुनील के शांत और सुखद जीवन में बंटी को ले कर तूफान आ चुका था. बातबात पर पतिपत्नी दोनों के बीच तूतू, मैंमैं होती रहती थी. स्वर्ग जैसा घर नरक का अखाड़ा बन चुका था. इस बीच मुनेश ने समझदारी का परिचय दिया.
उस ने ससुर की सहमति पर चरखी दादरी वाला घर छोड़ दिया और परिवार सहित गुरुग्राम में स्पेस सोसाइटी के सैक्टर-93 में फ्लैट ले कर किराए पर रहने लगी. सासससुर चरखी दादरी में ही रहते थे. उन का जब बच्चों से मिलने का मन होता था, वे बच्चों के पास सेक्टर-93 आ जाते थे और उन से मिल कर वापस चरखी दादरी चले जाते थे. बात सन 2018 की है. सुनील गोदारा रिटायर हो कर घर आ गया था. रिटायर के बाद खाली बचे समय में उस ने एक सुरक्षा एजेंसी में गार्ड की नौकरी जौइन कर ली थी ताकि उस का समय अच्छे से बीते और 2 पैसों के लिए मोहताज न रहे. वैसे भी पतिपत्नी के बीच सालों से अनबन चलती चली आ रही थी.
उन के बीच मतभेद पराकाष्ठा पर थे. दोनों के प्यार के बीच नफरत ने जगह ले ली थी. ऐसे में उन के बीच एक और सर्पकाल कुंडली मार कर बैठ गया था जिस की आग में सुनील भड़क उठा था. दरअसल, मुनेश अपने नाम से भिवानी में लिए गए दोनों फ्लैट को बेच कर एक क्रेटा कार खरीदना चाहती थी, जिस से वह पार्टियों में शिरकत कर सके. हालांकि पति सुनील के पास उस की अपनी खुद की एसेंट कार थी लेकिन खराब रिश्तों के कारण मुनेश पति की कार में न तो बैठती थी और न ही उस कार को ले कर कहीं जाती थी.
भिवानी के बाढड़ा वाले फ्लैट बेचने को ले कर दोनों के बीच झगड़े होने लगे. पति सुनील कीमती फ्लैट बेचने को तैयार नहीं था जबकि मुनेश अपनी ही जिद पर अड़ी हुई थी कि वो फ्लैट बेच कर क्रेटा कार खरीदेगी तो खरीदेगी. उसे कार खरीदने से कोई नहीं रोक सकता. मुनेश की इस जिद ने सुनील के गुस्से को और भड़का दिया. उस ने भी बीवी से कह दिया कि देखता हूं तुम कैसे फ्लैट बेचती हो. इस बात को ले कर घर में पतिपत्नी के बीच महासंग्राम छिड़ गया था. सुनील की जिंदगी कड़वाहट से भर गई थी. एक तो बीवी के अफेयर को ले कर वह पहले से परेशान था. दूसरे करोड़ों रुपए के फ्लैट बीवी औनेपौने दामों में बेचने जा रही थी. बीवी की करतूतों से सुनील बुरी तरह से आजिज आ चुका था. जिंदगी को थोड़ा सूकून देने के लिए उस ने शराब को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था. वह शराब पीने लगा था.
इसी शराब के नशे में धुत हो कर 8 फरवरी, 2020 की रात 9 बजे के करीब सुनील घर लौटा तो कमरे में पत्नी को न पा कर उस ने दोनों बेटियों से उस के बारे में पूछा. बड़ी बेटी प्रीति ने पापा से कहा, ‘‘मां रसोई में खाना पका रही हैं.’’ बेटी का जवाब सुन कर सुनील लड़खड़ाता हुआ किचन की ओर हो लिया. उस समय मुनेश वीडियो कौल पर अपनी छोटी बहन मनीषा से हंसहंस कर बातें कर रही थी. सुनील समझा कि वह अपने प्रेमी बंटी गुर्जर से हंसहंस कर बातें कर रही है. फिर क्या था? सुनील शक की आग में धधक उठा. उस ने आपा खो दिया और ईर्ष्या की आग में जलते हुए अपनी सर्विस रिवाल्वर से 2 गोलियां मुनेश के पेट और सीने में दाग दीं.
गोली लगते ही मुनेश फोन को हाथ में पकड़े हुए फर्श पर जा गिरी और बहन से आखिरी बार कहा, ‘‘बहन…तेरे जीजा ने गोली मार दी है.’’ उस के बाद मुनेश का गरम जिस्म आहिस्ताआहिस्ता ठंडा पड़ने लगा. उस के प्राण पखेरू उड़ चुके थे. सुनील पुलिस से बचने के लिए अपनी एसेंट कार में सवार हो कर अपने एक दोस्त के घर जा कर छिप गया था. अगली सुबह 9 फरवरी को जब मुनेश गोदारा हत्याकांड ने तूल पकड़ा तो सुनील वहां से भी कार ले कर फरार हो गया था और कई दिनों तक यहांवहां छिपता रहा. आखिरकार 7 दिनों की लुकाछिपी के बाद यानी 15 फरवरी, 2020 को पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया.
बहरहाल, गिरफ्तारी के बाद सुनील गोदारा ने बीवी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. सुनील की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त रिवौल्वर भी बरामद कर लिया गया. बीवी की हत्या कर उस ने रिवौल्वर अपनी कार में छिपा कर रखी थी. उसे बीवी की हत्या का जरा भी अफसोस नहीं था. उस ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा था, ‘‘बीवी का अफेयर बंटी गुर्जर के साथ चल रहा था. मैं ने उसे समझाने की बारबार कोशिश भी की थी लेकिन वह नहीं मानी तो मजबूर हो कर मुझे यह कदम उठाना पड़ा. मुझे बीवी की हत्या का कोई अफसोस नहीं है.’’
कथा लिखे जाने तक पुलिस फरार चल रहे आरोपी बंटी गुर्जर और उस की बीवी अनु को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी. मृतका के ससुर चंद्रभान ने बंटी गुर्जर और उस की बीवी अनु के खिलाफ इस लिए मुकदमा दर्ज कराया था कि इन्हीं दोनों की वजह से उन की होनहार बहू असमय काल के गाल में जा समाई थी. तीनों आरोपी सुनील गोदारा, बंटी गुर्जर और अनु गुर्जर जेल की सलाखों के पीछे सजा काट रहे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधार