Andhra Pradesh Crime : कंबोडिया से लौटने के बाद 32 वर्षीय मडियाला वेंकटेश्वरी ने ऐसी महिलाओं का गैंग बना लिया, जो उस के साथ क्राइम कर सकें. इस के बाद यह गैंग सायनाइड से एक के बाद एक हत्याएं करता गया. हत्याओं के पीछे गैंग का क्या मकसद था? पढ़ें, सायनाइड सीरियल किलर गैंग की दिल दहला देने वाली कहानी.
आंध्र प्रदेश के जिला गुंटूर के गांव तेनाली की रहने वाली मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी की फेमिली में 3 बहनें और 2 भाई थे. उन के पास थोड़ी सी खेती थी, उसी में परिवार का गुजारा होता था. गांव के सरकारी स्कूल से वेंकटेश्वरी ने 12वीं की परीक्षा अच्छे अकों में पास कर ली थी. वेंकटेश्वरी बचपन से ही बहुत महत्त्वाकांक्षी थी, वह थोड़े ही समय में काफी सारे पैसे कमा लेना चाहती थी. उसे ऐश करने और नएनए कपड़े पहनने का बहुत शौक था. उस की आदतें और व्यवहार परिवार के अन्य सदस्यों से काफी उलटा था.
वह स्वार्थी और रूखे स्वभाव की थी, इसलिए घर के सभी सदस्यों को उस की आदतें पसंद नहीं थीं. वेंकटेश्वरी को घर, पढ़ाई करने के साथसाथ खेती का काम भी करना पड़ता था. इस बीच वेंकटेश्वरी कंप्यूटर का कोर्स भी करने लगी थी. वेंकटेश्वरी घर और खेतीबाड़ी का काम करती तो थी, लेकिन बुझे मन से. उस का इन सब कामों में मन नहीं लगता था. इसलिए जैसे ही उस का कंप्यूटर का कोर्स पूरा हो गया, उसे एक एनजीओ में नौकरी मिल गई. वहां पर उस ने 4 साल तक काम किया.
वेंकटेश्वरी की कई सहेलियां अपनी बहनों के साथ कंबोडिया में जा कर पैसा कमा रही थीं. वह उन सभी के संपर्क में रहती थी. वह उन को बराबर फोन करती रहती थी. 4 साल पहले अप्रैल, 2018 में वेंकटेश्वरी ने अपना पासपोर्ट और वीजा कंबोडिया जाने के लिए एक एजेंट के माध्यम से बनवा लिया और फिर एजेंट ने उसे कंबोडिया भेज दिया. वेंकटेश्वरी के फेमिली वाले नहीं चाहते थे कि वह कंबोडिया जाए, मगर उस ने किसी की भी नहीं सुनी और उस ने अब तक इतने पैसे तो जमा कर ही लिए थे, इसलिए उसे अपने फेमिली वालों से भी पैसे लेने की जरूरत नहीं हुई.
कंबोडिया जाने के बाद तो जैसे वेंकटेश्वरी ने अपने फेमिली वालों को भुला ही दिया था. फेमिली वाले भी उस के व्यवहार और आदतों से काफी दुखी रहते थे, इसलिए उन्होंने भी वेंकटेश्वरी से कोई संपर्क करने की जरूरत नहीं समझी. 2 साल तक तो वेंकटेश्वरी अपने जानपहचान वाली युवतियों के संपर्क में व उन के साथसाथ ही रहती थी. धीरेधीरे उस का संपर्क कंबोडिया की ऐसी युवतियों के साथ भी होने लगा, जो काफी शानोशौकत के साथ रहा करती थीं.
वेंकटेश्वरी ने उन से धीरेधीरे जानपहचान बढ़ाने के साथसाथ उन से नजदीकियां बढ़ानी भी शुरू कर दी थी. उन कंबोडियन युवतियों को जब वेंकटेश्वरी काम की लगी तो उन्होंने उसे अपने पास रहने के लिए बुलवा लिया. फिर धीरेधीरे वेंकटेश्वरी को पता चलने लगा था कि इन कंबोडियन युवतियों का काम क्या था. इतने सारे पैसे कमा कर वह कैसे ऐश से रहा करती थीं. दरअसल, वे कंबोडियन युवतियां लोगों को बहलाफुसला कर कहीं एकांत में ले जाया करती थीं और उस के बाद उन को सायनाइड मिला ड्रिंक मिला कर पिला देती थीं, जिस से कुछ समय बाद उस की मौत हो जाती थी और वे युवतियां उस युवक या युवती से सारा माल लूट लिया करती थीं.
वेंकटेश्वरी भी अब उन के ग्रुप में शामिल हो कर लोगों से लूट करने लगी थी. कंबोडियन युवतियों के गिरोह में कुल 8 सदस्य थे. लूट का पैसा आपस में बंट जाता था. 2 साल तक वेंकटेश्वरी उन के ग्रुप में काम करती रही. फिर उस ने सोचा कि यदि वह ऐसा काम अपने देश में जा कर करेगी तो उसे इस से ज्यादा फायदा मिल सकेगा. अपना सारा सामान बेच कर वेंकटेश्वरी 10 जनवरी, 2022 को भारत लौट आई. उसे अपने फेमिली वालों से न तो लगाव था और न ही उस के फेमिली वाले उस से मिलने के इच्छुक थे, इसलिए वेंकटेश्वरी अपने घर नहीं गई और उस ने एक कस्बे में किराए के 2 कमरे ले लिए और उस के पास अब तक कई लाख रुपए भी इकट्ठा हो चुके थे.
वह अपने इन लाखों रुपयों को करोड़ों में तब्दील करना चाहती थी. अब वेंकटेश्वरी अपने ग्रुप के लिए ऐसी महिलाओं की तलाश करने में जुट गई, जिन पर विश्वास किया जा सके. इस के अलावा वह निर्दयी प्रवृत्ति की हों और जल्द से जल्द ढेर सारा पैसा कमाना चाहती हों. वेंकटेश्वरी की तलाश मुनगप्पा रजनी और गुलरा रामनम्मा पर जा कर खत्म हो गई. मुनगप्पा रजनी की उम्र 40 वर्ष की थी और वह विधवा थी, जबकि गुलरा रामनम्मा की उम्र 60 वर्ष थी, जो मुनगप्पा रजनी की मम्मी थी. अपने पति की मृत्यु के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी मम्मी गुलरा रामनम्मा के साथ अपने मायके में रहने लगी थी.
दोनों मांबेटी को अच्छे से शीशे में उतारने के बाद वेंकटेश्वरी ने उन दोनों मांबेटी को ऐसे लोगों की तलाश करने में लगा दिया, जिन के पास काफी मात्रा में ज्वेलरी व नकदी रहती हो. उस के बाद वेंकटेश्वरी ने उन को प्लान बताया कि ऐसे लोगो को चिह्निïत करने के बाद उन लोगों से दोस्ती कैसे बढ़ानी है और फिर उन्हें अकेले बुला कर उन को सायनाइड मिला कोल्डड्रिंक पिला दिया जाएगा, जिस से उन की मौत हो जाएगी और हम आसानी से ज्वैलरी और नकदी लूट सकेंगे.
मुनगप्पा रजनी अपनी ससुराल भी कभीकभी इसलिए जाया करती थी कि उस की शादी के समय जो गहने उसे दिए गए थे, उन गहनों को उस की सास सुब्बालक्ष्मी उसे वापस नहीं दे रही थी. उस ने यह बात जब वेंकटेश्वरी यानी कि अपनी गैंग लीडर को बताई तो वेंकटेश्वरी ने उस से कहा कि अब वह बराबर अपनी सास से मिलने अपनी ससुराल जाया करे और हर बार कुछ न कुछ उपहार अपनी सास को देती रहे और उस से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करे.
अब रजनी ने धीरेधीरे अपनी सास सुब्बालक्ष्मी का दिल जीतना शुरू कर दिया था, जिस से वह अकसर रात को भी उस के घर ही रुकने लगी थी. एक रात जब घर वाले किसी फंक्शन में गए थे तो वह रात को चुपचाप अपनी सास के घर गई. घर पर उस समय कोई नहीं था और उस ने दूध में सायनाइड मिला कर अपनी सास को पिला दिया, जिस के कारण उस की तत्काल मृत्यु हो गई. उस के बाद मुनगप्पा रजनी अपनी सास के सारे गहने ले कर चुपचाप अपने घर पर आ गई. सुबह जब लोगों ने सुब्बालक्ष्मी को घर पर मृत पड़े देखा तो इसे स्वाभाविक मौत समझ कर दाह संस्कार कर दिया.
नवंबर 2022 में नगमा नाम की एक महिला, जोकि मुनगप्पा रजनी की पड़ोसी थी, उस ने रजनी को काफी समय पहले 20 हजार रुपए उधार दे रखे थे और नगमा बारबार रुपयों का तकादा कर रही थी. कई बार तो वह लोगों के सामने भी रजनी की बेइज्जती कर देती थी. रजनी ने उस के साथ भी दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. एक शाम रजनी ने उसे पास के शहर में सिनेमा देखने को राजी किया. वहीं रास्ते में रजनी की मां गुलरा रामनम्मा और वेंकटेश्वरी भी मिल गए. वे तीनों नगमा को एक सुनसान जगह पर ले गए और फिर उसे कोल्डड्रिंक में सायनाइड मिला कर पिला दिया, जिस के कारण उस की मृत्यु हो गई.
उस के बाद तीनों ने उस के सारे गहने निकाल लिए और उस की लाश को झाडिय़ों में फेंक दिया. तेनाली निवासियों ने इस मौत को भी स्वाभाविक समझा और नगमा का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अगस्त 2023 में तेनाली निवासी 60 वर्षीय नागप्पा से इस गैंग ने दोस्ती बढ़ानी शुरू कर दी. रजनी ने नागप्पा का परिचय वेंकटेश्वरी से कराया और बताया कि वह कई साल कंबोडिया में भी रह चुकी है. रजनी ने नागप्पा को यह भी बताया कि वेंकटेश्वरी का कारोबार अभी भी कंबोडिया और भारत के बड़ेबड़े शहरों में फैला हुआ है. यदि उसे रकम या गहने दिए जाएं तो व डेढ़ साल के बाद दोगुना कर लौटा देती है.
नागप्पा फिर वेंकटेश्वरी से अकसर मिलने लगा. वेंकटेश्वरी ने उसे समझाया कि आप रजनी की जानपहचान वाले हो, इसलिए वह उन का काम कर देगी, परंतु उसे यह बात घर पर किसी को भी नहीं बतानी होगी. क्योंकि इस से सभी मोहल्ले वाले और अन्य लोग भी उस के पीछे पड़ जाएंगे. वह किसीकिसी का ही काम करती है. नागप्पा उस के बहकावे में आ गया. उस के पास गहने व पैसे ले कर वेंकटेश्वरी ने उसे एक सुनसान इलाके में बुलवाया और फिर कोल्डड्रिंक्स में सायनाइड मिला कर उस की हत्या कर दी और उस के सारे गहने और पैसे लूट लिए. उस के बाद तीनों ने उसे सुनसान सड़क के किनारे डाल दिया. यहां पर भी नागप्पा की मृत्यु को स्वाभाविक मृत्यु मान कर उस का दाह संस्कार कर दिया गया.
आसामी के अनुसार लेती थी सुपारी
अप्रैल 2024 में तेनाली निवासी पीसू उर्फ मोशे जोकि एक सरकारी नौकरी से रिटायर हो कर पेंशन ले रहा था, उस की पत्नी का नाम भूदेवी था. पीसू उर्फ मोशे लगभग हर दिन रात को शराब पी कर अपनी पत्नी से जम कर मारपीट करता था और दिन भर उस के साथ गालीगलौज करता रहता था. भूदेवी का एक ही बेटा था, जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कुवैत में ही परमानेंट रूप से रहने लगा था. भूदेवी की अपनी भी कुछ ख्वाहिशें थीं कि वह अच्छेअच्छे कपड़े पहने, अपने लिए खूब सारे गहने बनवाए और अच्छा खानापीना करे, परंतु उस का पति अपने दोस्तों के साथ शराब की पार्टियां करता रहता था और अपने आप में ही मस्त रहने वाला इंसान था. वह औरत को बस अपने पांव की जूती से अधिक नहीं समझता था और तरहतरह से भूदेवी को प्रताडि़त करता रहता था.
मुनगप्पा रजनी भूदेवी की इस स्थिति को काफी अच्छी तरह से जान चुकी थी, इसलिए उस ने धीरेधीरे भूदेवी से बातचीत कर उस से घर की बातें उगलवानी शुरू कर दीं. रोतेरोते भूदेवी रोज अपने ऊपर हुए जुल्मों की दास्तान अब रजनी को बताने लगी थी. एक दिन रजनी ने भूदेवी को समझाया कि यदि हम मिल कर तुम्हारे पति को ही तुम्हारे रास्ते से हटा देंगे तो हमें क्या मिलेगा. इस पर भूदेवी ने रजनी से पूछा, ”रजनी, वैसे तो मैं यही चाहती हूं कि मेरा पति मोशे मर जाए. पर इस से मेरा क्या फायदा होगा. यदि मुझे कुछ फायदा होगा, तभी न मैं बता पाऊंगा कि मैं तुम्हें क्या दे सकती हूं. इस समय तो मेरे हाथ में फूटी कौड़ी तक नहीं है.’’
”अच्छा अम्मा, ये बताओ कि तुम्हारे पति ने कितने रुपए का बीमा करा रखा है?’’ रजनी ने पूछा.
”उस के 2 बीमे हैं. एक 25 लाख का और दूसरा 30 लाख का है,’’ भूदेवी ने कहा.
”आप के पति ने कितने रुपए की एफडी करा रखी है?’’ रजनी ने पूछा.
”एफडी भी 3 हैं. एक 10 लाख की, दूसरी 25 लाख की और एक तीसरी एफडी भी है जो 15 लाख की है.’’ भूदेवी ने सोचते हुए बताया.
”अरे अम्मा, फिर तो अंकल के मरते ही आप करोड़पति हो जाएंगी. एक करोड़ 5 लाख रुपए मिलेंगे तुम्हें और पेंशन भी तुम्हारे नाम पर हो जाएगी. तब ऐश से रहना. न तुम्हें गालियों की चिंता रहेगी और न ही मारपीट का का डर रहेगा. देखो, हम इतनी साफसफाई से मर्डर का प्लान करेंगे कि किसी को कभी भी हम पर शक तक नहीं हो पाएगा.’’ रजनी ने कहा.
उस के बाद रजनी ने 20 लाख रुपए में सौदा कर लिया और उस ने भूदेवी को उस शराब में सायनाइड मिलाने को दे दिया और आगे का सारा प्लान समझा दिया. भूदेवी यह सब अकेले करने में डर रही थी, इसलिए शाम को जब मोशे बाजार से शराब लाने गया था तो मुनगप्पा रजनी अंधेरे में चुपचाप सब की नजर बचा कर भूदेवी के कमरे में छिप गई. फिर रजनी ने भूदेवी को खुद शराब का गिलास ले कर उस के पति पीसू उर्फ मोशे के पास जाने को कहा. उस दिन पीसू उर्फ मोशे भी अपनी पत्नी की दयालुता और सेवाभाव का कायल हो गया था. उस ने यह कहा भी था, ”अरे भूदेवी, आज सूरज क्या पश्चिम से निकला है, जो तुम आज मेरे ऊपर इतनी मेहरबान हो गई हो.’’
”देखिए जी, मैं आप को हर रोज कुछ न कुछ कह कर आप का पूरा दिन खराब कर दिया करती थी. आज आप के दोस्त भी नहीं आए हैं, इसलिए मैं ने सोचा कि क्यों न अपने हाथों से आप को शराब का जाम दे दूं. आज मैं ने आप के लिए मछली के पकौड़े भी तले हैं.’’ भूदेवी ने मछली के पकौड़ों की ट्रे उस के सामने रखते हुए कहा. अपनी पत्नी भूदेवी के इस कायाकल्प से तो मोशे आज बहुत ही अधिक खुश हो गया था. वह सोचने लगा था कि उस की पत्नी भूदेवी उस का कितना खयाल रखती है, उस से कितना प्यार करती है. वह सचमुच कितना बेवकूफ था, जो अपनी पत्नी को रोजरोज प्रताडि़त करता रहता था.
उस के बाद अगला जाम जो भूदेवी अपने पति के लिए ले कर जा रही थी, उस में रजनी ने सायनाइड मिला दिया और जब वह गिलास भूदेवी ने मोशे को दिया तो अगले चंद सेकेंडों के बाद ही अपनी कुरसी से नीचे गिर गया. रजनी समझ चुकी थी कि मोशे अब मर चुका है, इसलिए उस ने भूदेवी के साथ मिल कर मोशे के मृत शरीर को उस की चारपाई पर डाल दिया और ऊपर से चादर ओढ़ा दी. उस के बाद रजनी ने भूदेवी के कान में समझाते हुए कुछ कहा और वह चुपचाप लोगों की नजर से बचती हुई अकेली के घर से निकल गई.
सुबहसुबह 5 बजे भूदेवी के विलाप से पूरी तेनाली कालोनी के लोग चौंक गए. कुछ ही देर के बाद भूदेवी के घर पर आसपड़ोस के बहुत से लोग आ गए थे. भूदेवी ने लोगों को बताया कि सुबह जब मैं अपने पति को बैड टी देने के लिए कमरे में गई तो उन्होंने कोई हरकत ही नहीं की. लोगों ने जब वहां पर देखा तो शराब के गिलास और खाली बोतलें पड़ी हुई थीं. सब ने यही अनुमान लगाया कि रात को मोशे ने रोज की तरह ही ज्यादा शराब पी ली होगी और फिर सोते हुए उसे साइलेंट अटैक आया होगा, जिस के कारण उस की मौत हो गई होगी. पड़ोसियों ने इसे भी स्वाभाविक मौत समझा और उस के बाद गांव वालों ने मिल कर पीसू उर्फ मोशे का अंतिम संस्कार कर दिया.
28 जून, 2024 को चेब्रोल पुलिस को जानकारी मिली कि वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक महिला का क्षतविक्षत अवस्था में शव पड़ा हुआ है. पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची तो पुलिस को वडलामुडी गांव के बाहरी इलाके में एक 35 से 40 साल की उम्र की एक महिला का शव सड़ीगली अवस्था में मिला. पुलिस ने आसपास शव की शिनाख्त करने की कोशिश की, परंतु गांव के आसपास के लोग शव की शिनाख्त नहीं कर सके. वडलामुडी गांव के राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर चेब्रोल थाने के एसआई पी. महेश ने अज्ञात मौत और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और अज्ञात महिला की डैडबौडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
इस ब्लाइंड मर्डर केस की जांच के लिए गुंटूर रेंज आईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने गुंटूर जिला एसपी सतीश कुमार के निर्देशन में 2 टीमें गठित की गईं. टीम में तेनाली डीएसपी बी. जनार्दन राव, पोन्नुरु ग्रामीण सीआई वाई. कोटेश्वर राव और चेब्रोल एसआई डी. वेंकट कृष्णा को शामिल किया गया.
आटो ड्राइवर के एक क्लू से खुला केस
आंध्र प्रदेश की 2 विशेष पुलिस टीमें अब इस ब्लाइंड मर्डर की तह तक जाने की कोशिशों में जुट गई थीं. जांच के दौरान पुलिस ने मृतका की पहचान गुंटूर जिले के तेनाली के यहला लिंगैया कालोनी निवासी शेख नागूर बी (48 वर्ष) के रूप में की. मृतका शेख नागूर बी के बेटे शेख तमीज ने अपनी मम्मी की मौत पर संदेह जताया. शेख तमीज ने पुलिस को बताया कि घर से निकलने से पहले उस की मम्मी शेख नागूर बी ने मुनगप्पा रजनी और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी से काफी लंबी बातचीत की थी.
तकनीकी सर्विलांस का उपयोग करते हुए पुलिस ने आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज का गहनता से अध्ययन किया तो उस में एक आटो सामने आया, जिस के ड्राइवर का नाम महेश था. पुलिस द्वारा आटो चालक महेश को थाने बुला कर सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की गई. आटो ड्राइवर ने खुलासा किया कि 5 जून, 2024 को एक महिला ने तेनाली शहर के सोमसुंदरपालम स्थान में एक पुल पर उस का आटो किराए पर लिया था.
कुछ ही देर के बाद 2 अन्य महिलाएं भी उस के साथ आ गईं और तीनों महिलाएं आटो पर सवार हो गईं, जबकि एक अन्य महिला स्कूटी पर सवार हो कर उस के आटो के पीछेपीछे चलने लगी. आटो में सवार एक महिला ने उसे वडलामुडी जंक्शन तक ले जाने को कहा और उसे किराए के लिए 500 रुपए देने का वादा किया. रास्ते में एक जगह पर एक महिला ने आटो रुकवाया और सामने शराब की दुकान से एक बोतल शराब लाने को कहा. शराब की बोतल की कीमत 500 रुपए थी, जो महेश ने ला कर उन्हें दे दी थी.
आटो चालक महेश ने आगे बताया कि उस ने 3 महिलाओं को अपने आटो से वडलामुडी के बाहरी इलाके में खदानों के पास छोड़ा था, जिन में से एक महिला जिस ने मेरा आटो बुक किया था, उस ने फोनपे के जरिए उस का 500 रुपए का किराया चुकाया. काल रिकौर्ड और डंप डाटा से पुलिस को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि आटो चालक महेश, मृतका शेख नागूर बी और 3 संदिग्ध लोगों की 5 जून, 2024 की लोकेशन अपराध स्थल की ही थी. जब उन तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकाली गई तो वे तीनों फोन नंबर मुनगप्पा रजनी (40 वर्ष), गुलरा रामनम्मा (60 वर्ष) और मडियाला वेंकटेश्वरी उर्फ बुज्जी (32 वर्ष) के थे.
पुलिस ने जब तीनों महिलाओं से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू की तो तीनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी थी, जिस में मौत का कारण शराब में सायनाइड मिलना बताया गया था. पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने कुबूल किया कि पैसे दुगना करने का लालच दे कर उन्होंने पैसे और सोना चुराने के इरादे से शेख नागूर बी को बहलाफुसला कर सुनसान इलाके में बुलाया और फिर उसे सायनाइड मिली शराब पिला कर मार डाला. उस की मौत के बाद उन्होंने उस की ज्वेलरी और नकदी लूट ली और उस के शव को झाडिय़ों में फेंक दिया था.
तीनों आरोपियों ने इस हत्या से पहले और अन्य 4 हत्याओं की बात भी कुबूल कर ली. आगे की पूछताछ में तीनों आरोपियों ने यह भी कुबूल किया कि उन्होंने 3 अन्य महिलाओं अन्नपूर्णा, वरलक्ष्मी और मीराबी को भी मारने का प्रयास किया था, लेकिन ऐन वक्त पर जब हम उन्हें सायनाइड युक्त शराब और कोल्ड ड्रिंक पिलाने ही वाले थे कि तभी उन तीनों के परिचितों, रिश्तेदारों के फोन उसी समय उन के मोबाइल पर आ गए थे, जिस में उन्होंने हमारे साथ पार्टी करने की बात कही तो राज खुलने के डर से हम ने उस समय उन की हत्या नहीं की.
पुलिस पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने सायनाइड कृष्णा नाम के एक शख्स से 4 हजार रुपए में 2 बार खरीदा था. कृष्णा तेनाली गांव में ही एक ज्वेलरी शाप में काम करता था. कहानी लिखे जाने तक पुलिस तीनों आरोपियों को जेल भेज चुकी थी, जबकि कृष्णा और भूदेवी फरार थीं, जिन की पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही थी.