Gujarat News : 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीजेड कंपनी में 11 हजार लोगों से 6 हजार करोड़ रुपए जमा कर के ठगी की. आखिर हजारों लोग किस तरह फंसते गए इस शातिर के जाल में? पढ़ें, कई हजार करोड़ के स्कैम की यह चौंकाने वाली कहानी…

नवंबर के दूसरे सप्ताह में गुजरात की सीआईडी पुलिस को जानकारी मिली कि हिम्मतनगर, अरवल्ली, मेहसाणा, गांधीनगर बड़ौदा आदि जिलों में बीजेड नाम की संस्था द्वारा पोंजी स्कीम चला कर लोगों को बेवकूफ बना कर उन से पैसा जमा कराया जा रहा है. इस के बाद सीआईडी के एडिशनल डीजीपी राजकुमार पांडियन के निर्देश पर सीआईडी टीम ने 26 नवंबर, 2024 को उक्त 5 जिलों में छापा मारा, जिस में बीजेड ग्रुप के औफिसों से पोंजी स्कीम के डाक्यूमेंट और वहां काम करने वाले कुछ लोग मिले. इसी के साथ रुपए जमा कराने वाला एक एजेंट आनंद दरजी भी मिला. छापे के दौरान टीम ने 16 लाख रुपए नकद, कंप्यूटर, फोन, डाक्यूमेंट आदि जब्त किए.

इन सभी लोगों से पूछताछ में पता चला कि यह पोंजी स्कीम साल 2020-21 से चलाई जा रही थी. इस का मुख्य सूत्रधार यानी कर्ताधर्ता भूपेंद्र सिंह झाला है, जिस का मेन औफिस गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील तालोद के रणासण में है. इस संस्था के औफिस हर जिले में हैं. यह भी पता चला कि इस के टारगेट अध्यापक और रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी रहते हैं.

 

ऐसे लोगों को मौखिक रूप से लालच दिया जाता था कि उन के यहां इनवेस्टमेंट करने पर उन्हें एक साल बाद 36 प्रतिशत रिटर्न दिया जाएगा. जबकि एग्रीमेंट में 7 प्रतिशत ही बताया जाता था. इस के अलावा इनवेस्ट करने वालों को गिफ्ट में मोबाइल फोन, टीवी आदि भी दिए जाते थे. साथ ही रुपए इनवेस्ट कराने वाले एजेंटों को भी अच्छा इंसेटिव 5 प्रतिशत से ले कर 25 प्रतिशत तक दिया जाता था.

बीजेड ग्रुप का सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला और बाकी के तमाम कर्मचारी फरार हो गए थे. सीआईडी ने बीजेड के औफिसों से जो डाक्यूमेंट जब्त किए थे, उन की जांच से महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला की इन स्कीमों में लोगों का थोड़ा पैसा नहीं लगा, बल्कि लगभग 6 हजार करोड़ रुपए लगे हैं यानी यह बहुत बड़ी ठगी थी. लोगों को उल्लू बना कर भूपेंद्र सिंह ने उन के 6 हजार करोड़ रुपयों की ऐसीतैसी कर दी थी. लोगों को लालच दे कर उन के जीवन भर की कमाई हड़प कर वह खुद मजे की जिंदगी जी रहा था.

ऐसे गिरफ्त में आया मास्टरमाइंड

तब सीआईडी की टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए छापे मारने लगी. लगभग डेढ़ महीने की दौड़भाग के बाद सीआईडी के डीसीपी चैतन्य मांडलिक की टीम भूपेंद्र सिंह के भाई रणजीत झाला का पीछा करते हुए हिम्मतनगर के ग्रोमोर गांव पहुंची. वहां जा कर पता चला कि भूपेंद्र सिंह झाला मेहसाणा भाग गया है. इस के बाद सीआईडी टीम को सूचना मिली कि भूपेंद्र सिंह मेहसाणा के दवाडा गांव में छिपा है. इस सूचना पर सीआईडी की टीम दवाडा गांव पहुंच गई, पर टीम को यह पता नहीं था कि भूपेंद्र सिंह किस के यहां छिपा है. तब कई टीमों ने सर्च औपरेशन शुरू किया. पर वह गांव में नहीं मिला.

पुलिस को पक्की खबर मिली थी कि भूपेंद्र सिंह दवाडा गांव में ही छिपा है, इसलिए पुलिस ने उसे खेतों में भी तलाशना शुरू किया. आखिर एक फार्महाउस में भूपेंद्र सिंह झाला मिल गया. सीआईडी की टीमों ने उसे घेर कर हिरासत में ले लिया.

राजनीति की डगर पर क्यों रखा कदम

भूपेंद्र सिंह झाला को हिरासत में लेने के बाद उसे स्पैशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 7 दिनों की रिमांड पर ले लिया. सरकारी वकील ने अदालत को बताया था कि बीजेड कंपनी की अलगअलग 18 शाखाओं में रुपए जमा कराए गए थे. उन रुपयों से कौनकौन सी संपत्ति किस के नाम खरीदी गई, इस की जांच करनी है. इस के अलावा भूपेंद्र सिंह ने जो 8 कंपनियां बनाई थीं, उन का हिसाब करना है. एक शाखा से 52 करोड़ रुपए का हिसाब मिला, वे रुपए रिकवर करने हैं.

भूपेंद्र सिंह झाला के पास 10 करोड़ रुपयों का कारों का काफिला है, इन कारों को खरीदने का पैसा कहां से आया, कारें किस के नाम से खरीदी गई हैं, इस की जांच करनी है. वकील ने यह भी बताया कि भूपेंद्र सिंह झाला एक महीने से फरार था, इस बीच वह कहांकहां रहा, उस की किसकिस ने मदद की, इस की भी जांच करनी है. भूपेंद्र सिंह ने एक साल में 17 संपत्तियां खरीदी हैं. इस के अलावा गुजरात के बाहर कितनी संपत्ति खरीदी गई है, यह भी पता करना है. सरकारी वकील की इन्हीं बातों को सुन कर कोर्ट ने उस की 7 दिनों की रिमांड मंजूर की थी.

भूपेंद्र सिंह झाला के खिलाफ सीआईडी ने जीपीआईडी (गुजरात प्रोटेक्शन इंटरेस्ट औफ डिपौजिटर्स) के अंतर्गत मामला दर्ज किया था. इस के अंतर्गत 5 साल तक की कैद और 10 लाख रुपए तक के जुरमाने का प्रावधान है. यहां सोचने वाली बात यह है कि लोगों का करोड़ों रुपए हजम कर जाने वाले को 5 साल ही जेल में रहना होगा. जिस ने लोगों के करोड़ों रुपए ले लिए हों, उस के लिए 10 लाख रुपए के जुरमाने की क्या अहमियत है.

गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम से करीब 6 हजार करोड़ रुपए की ठगी करने वाले मुख्य आरोपी भूपेंद्र सिंह झाला से पुलिस ने पूछताछ की तो जानकारी मिली कि भूपेंद्र सिंह झाला भाजपा से जुड़ा हुआ है. गुजरात और राजस्थान में पोंजी स्कीम चला कर हजारों करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा करने वाले भूपेंद्र सिंह ने जीरो से 6 हजार करोड़ का साम्राज्य आखिर कैसे स्थापित किया?

गुजरात के जिला साबरकांठा की तहसील हिम्मतनगर के रायगढ़, झालानगर का रहने वाले 30 वर्षीय भूपेंद्र सिंह झाला ने बीएससी, एमएड करने के बाद वकालत की पढ़ाई की और फिर वह फोरेक्स ट्रेडिंग की एक प्राइवेट कंपनी के औफिस में नौकरी करने लगा. तब वह अलगअलग लोगों से अलगअलग तरह से पैसे जमा कराता था. बाद में वह खुद भी अन्य लोगों से क्रिप्टो करेंसी में रुपए इनवैस्ट कराने लगा. उस ने अलगअलग लोगों से रुपए उधार ले कर करीब 9 करोड़ रुपए क्रिप्टो करेंसी में लगा दिए.

4 कंपनियां, 5 बैंक और 20 अकाउंट

भूपेंद्र सिंह झाला ने ये 9 करोड़ रुपए वाईएफआई कोइन में लगाए थे, जिस के प्रौफिट के रूप में उसे 9 करोड़ रुपए मिले थे. इस रकम से उस ने उधार लिए गए 9 करोड़ रुपए लौटा दिए. सभी के रुपए अदा करने के बाद उसे करीब करोड़ों रुपए का प्रौफिट हुआ था, इसलिए उसे यह धंधा फायदे का नजर आया.

इतना मोटा प्रौफिट होने के बाद भूपेंद्र सिंह ने नौकरी छोड़ दी और अपना अलग धंधा शुरू किया. अपना धंधा करने के लिए उस ने साल 2020 में 4 अलगअलग नामों से कंपनियां खोलीं. उन कंपनियों का नाम रखा बीजेड फाइनेंस, बीजेड प्रौफिट प्लस, बीजेड मल्टी ट्रेड ब्रोकिंग और बीजेड इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड. चारों कंपनियों में पहली 2 कंपनियों का मालिक वह खुद था, जबकि तीसरी और चौथी कंपनी के रजिस्ट्रैशन उस ने पार्टनरशिप में कराया था.

कंपनी शुरू होने बाद अब लोगों से रुपए जमा कराने थे. उस रुपए का ट्रांजेक्शन हो सके, इस के लिए उस ने एक बैंक में कंपनी के नाम से 4 अकाउंट खुलवाए. इतना ही नहीं, इसी तरह उस ने 5 प्राइवेट बैंकों में कुल 20 अकाउंट खुलवाए. इस तरह भूपेंद्र सिंह झाला ने एक तरह से चेन मार्केटिंग जैसी मोडस आपरेंडी अपनाई. भूपेंद्र सिंह झाला ने लोगों से पैसा वसूलने के लिए अलगअलग लेयर बना रखे थे. लेयर के अनुसार रुपए जमा कराने वालों को कमीशन दिया जाता था. 5 लेयर में रुपए जमा करने की पूरी चेन चलती थी. 5 लेयर पूरी होने के बाद सब से पहले रुपए जमा कराने वाले को मिलने वाला कमीशन बंद हो जाता था.

अगर पहली बार रुपए जमा कराने वाले को अपना कमीशन चालू रखना होता था तो उसे फिर से नए लोगों से रुपए जमा कराने होते. पांचवें व्यक्ति तक यह चेन चलती रहती थी. जमा कराया गया रुपया जब तक वापस नहीं हो जाता था, यानी जब तक उस का समय पूरा नहीं हो जाता था, तब तक कमीशन की रकम मिलती रहती थी. धंधे की शुरुआत करने से पहले ही भूपेंद्र सिंह झाला ने 5 प्राइवेट बैंकों में 20 अकाउंट खुलवा रखे थे. यह था उस का मनी सर्कुलेशन का फार्मूला. इसी फार्मूले के आधार पर वह रुपए जमा कराने वालों को मोटी रकम ब्याज से देता था. अनेक गिफ्ट भी देता था और खुद भी रईसों वाली जिंदगी जी रहा था.

भूपेंद्र सिंह झाला पहली बैंक के अकाउंट में एक करोड़ रुपए पूरे एक महीने के लिए जमा कराता था. उस खाते में एक महीने बाद जो ब्याज आता था, उसे निकाल कर एक करोड़ रुपए को उसी बैंक के दूसरे अकाउंट में जमा करा देता था. एक महीने बाद दूसरे अकाउंट में जमा कराई रकम का एक करोड़ का एक महीने का ब्याज वह निकाल कर उस एक करोड़ की रकम को तीसरे अकाउंट में जमा करा देता था. इस तरह 5 बैंकों के 20 अकाउंटों में हमेशा एक करोड़ की रकम घूमती रहती थी. इस पद्धति को मनी सर्कुलेशन भी कहा जाता है.

मनी सर्कुलेशन का खेल अच्छी तरह से जान लेने के बाद भूपेंद्र सिंह झाला अलगअलग 20 स्टेप में अलगअलग बैंकों में मनी सर्कुलेशन करता रहता. इस ट्रांजेक्शन से मिलने वाले ब्याज की रकम वह रुपया जमा कराने अपने इनवैस्टर्स को अच्छा ब्याज और महंगे गिफ्ट के रूप में देता था. जो लोग बड़ी रकम जमा कराते थे, उन्हें वह 3 प्रतिशत महीना

की दर से ब्याज देता था और छोटी रकम वालों को डेढ़ प्रतिशत महीना की दर से ब्याज देता था. भूपेंद्र सिंह झाला जिस तरह लोगों से कैश में रुपए लेता था, उसी तरह ब्याज भी कैश में देता था. इस कैश का किसी के पास कोई हिसाब न रहे अथवा किसी कानूनी काररवाई में न फंस जाए, इस के लिए वह जरूरत पडऩे पर अपने स्कूल के स्टाफ के अकाउंट में रुपए जमा कर के उन से कैश ले लेता था. स्टाफ के बैंक अकाउंट में जो रकम जमा कराता था, उस का टीडीएस झाला अदा कर देता था.

भूपेंद्र सिंह झाला की गिरफ्तारी होने के साथ ही सीआईडी के इकोनौमिक सेल में लोगों की चहलपहल बढ़ गई थी. औफिस में ज्यादातर भीड़ ऐसे लोगों की देखने को मिल रही थी, जो भूपेंद्र सिंह झाला की ठगी का शिकार हुए थे.

आम लोगों से ले कर खास तक ऐसे फंसे उस के जाल में

जांच में यह भी सामने आया है कि केवल आम लोग और टीचर ही इस घोटाले का शिकार नहीं हुए, बल्कि 3 क्रिकेटर भी भूपेंद्र सिंह झाला की इस ठगी का शिकार हुए 2 क्रिकेटरों ने क्रमश: 10 और 25 लाख रुपए भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में जमा कराए थे तो तीसरे क्रिकेटर शुभमन गिल ने एक करोड़ से अधिक की रकम जमा कराई थी. ये क्रिकेटर एजेंट द्वारा फंसाए गए थे. पुलिस उन एजेंटों की तलाश में जुट गई.

भूपेंद्र सिंह झाला ने अपनी कंपनी में इनवैस्ट करने के लिए साल 2020 में सब से पहले एक टीचर को अपने जाल में फंसाया था. मोडासा के एक स्कूल में नौकरी करने वाले उस टीचर को उस ने एक साल में पूरी होने वाली 10 लाख रुपए की एक स्कीम बताई. 10 लाख रुपए की उस स्कीम में हर महीने 3 प्रतिशत ब्याज देने की बात बताई. एक साल तक लगातार ब्याज देने के बाद भूपेंद्र सिंह ने उस अध्यापक के 10 लाख रुपए वापस कर दिए थे. इस के अलावा बढ़ा हुआ ब्याज भी दिया था.

इस तरह अध्यापक को अपनी मूल रकम के साथ ब्याज तथा एक साल बढ़ा हुआ ब्याज मिला तो उसे भूपेंद्र सिंह झाला पर विश्वास हो गया. तब उसने अन्य अध्यापकों को भी उस की स्कीम में रुपए जमा कराने की सलाह दी. इस तरह धीरेधीरे भूपेंद्र सिंह झाला का धंधा बढऩे लगा. पुलिस ने उस अध्यापक का भी बयान दर्ज किया है, जिस ने सब से पहले भूपेंद्र सिंह झाला की कंपनी में रुपए जमा कराए थे और अन्य अध्यापकों को रुपए जमा करने की सलाह दी थी. सीआईडी जब भूपेंद्र सिंह झाला के औफिस में जांच करने पहुंची थी, झाला ने उस के पहले ही अपनी वेबसाइट बंद करने के साथ सारा डाटा डिलीट कर दिया था. पुलिस अब उस डाटा को रिकवर करने का प्रोसेस कर रही है.

फिर भी जानकारी मिली है कि भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में सब से अधिक साल 2021 में 6.5 करोड़ रुपए जमा हुए थे. भूपेंद्र सिंह झाला की इस स्कीम में रुपए जमा करने वाले लगभग 11,200 लोग शामिल हो गए थे. मात्र 30 साल का अविवाहित भूपेंद्र सिंह झाला तब लोगों के बीच चर्चा में आया था, जब उस ने पिछले (2024) लोकसभा चुनाव में साबरकांठा से भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय पर्चा भर दिया था. लेकिन फिर अपना नौमिनेशन वापस ले लिया था. तब भाजपा के एक बड़े नेता ने मोडासा की एक सभा में कहा था कि भूपेंद्र सिंह झाला ने उन के कहने पर अपना नाम वापस लिया था.

भूपेंद्र सिंह झाला ने नौमिनेशन के समय जो एफिडेविट दिया था, उस के अनुसार परिवार में पिता परबत सिंह और मां मधुबेन हैं. घोटाले का खुलासा होने के बाद उस के फरार होने से रायगढ़ के झालानगर में स्थित उस की राजमहल जैसी कोठी सुनसान थी. कोठी के सामने लग्जरीयस कारें खड़ी थीं. शपथपत्र के अनुसार लोकसभा के चुनाव तक उस के खिलाफ किसी भी तरह का कोई मुकदमा दर्ज नहीं था.

भूपेंद्र दुबई में क्यों बनाना चाहता था ठगी का अड्डा

बीजेड समूह की ब्रांचों में पुलिस द्वारा छापा मारने से गुजरात के ऐसे राजनेताओं में खलबली फैल गई है, जिन का भूपेंद्र के बीजेड समूह से सीधा संबंध था. एक का डबल करने की बात कह कर अभी तक ठगी करने की बात सामने आती रही है, पर भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम में एक का 3 करने की बात कही जा रही थी. इस स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों और टीचर्स को लालच दे कर उन से रुपए जमा कराए जा रहे थे. पर यह आधा सच है. भूपेंद्र सिंह की स्कीम में तमाम नेता और पुलिस अफसर अपनी काली कमाई जमा करा रहे थे. सुनने में तो यह भी आया कि झाला की स्कीम में कुछ डाक्टरों ने भी रुपए इनवैस्ट कराए थे.

ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना था कि झाला को ब्याज से अधिक कमाई क्रिप्टो करेंसी से होती थी. उस का धंधा इतना अधिक फूलाफला था कि कुछ समय पहले आणंद में ब्राच खोलने के साथ ही वह दुबई में औफिस खोलने की सोच रहा था. भूपेंद्र के साथ उस के कुछ पार्टनर भी थे, जो जमा रकम को व्यवस्थित करते थे. जमा रकम क्रिप्टो करेंसी में ट्रांसफर होती थी. भूपेंद्र सिंह दुबई में इसलिए शिफ्ट होना चाहता था, क्योंकि दुबई में यह काम गैरकानूनी नहीं माना जाता.

बीजेड समूह के सीईओ भूपेंद्र सिंह झाला को मुंबई में आयोजित बीआईएए बौलीवुड कार्यक्रम में बौलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने अवार्ड दे कर सम्मानित भी किया था. जबकि भूपेंद्र सिंह झाला ने सोनू सूद को हाथ की बनी उन की तसवीर भेंट की थी. गुजरात में बायड के विधायक धवल सिंह का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिस में वह एक तरह से भूपेंद्र सिंह झाला की स्कीम का प्रचार करते हुए कह रहे हैं कि किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिसे रुपए डबल करना आता है, वह सब कुछ कर सकता है.

भूपेंद्र सिंह झाला के गिरफ्तार होने से पहले सीआईडी ने बीजेड पोंजी स्कीम में जिन 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, अहमदाबाद की ग्रामीण कोर्ट ने उन की जमानत की अरजी को कैंसिल करते हुए सभी को जेल भेज दिया था. सरकारी वकील ने उन की जमानत देने के खिलाफ दलील दी थी कि यह कुल 6 हजार करोड़ का स्कैम है, जिस में पता चला है कि शुरुआत में 1.09 करोड़ रुपए एजेंट मयूर दरजी ने वसूल किया है. वर्तमान जांच में 360 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है. हिम्मतनगर के औफिस की डायरी में 52 करोड़ रुपए के लेनदेन का पता चला है.

ठगी की रकम से खरीदी प्रौपर्टी

इस मामले में आरोपियों के वकील का कहना था कि आरोपी बीजेड कंपनी में काम करने वाले चपरासी या औफिस बौय हैं. उन का इस ठगी से कोई लेनादेना नहीं है. पुलिस मुख्य आरोपी को नहीं पकड़ सकी थी, इसलिए इन्हें पकड़ लिया था. जबकि सरकारी वकील का कहना था कि बीजेड कंपनी में आरोपी राहुल राठौर 10 हजार रुपए महीने के वेतन पर नौकरी करता था तो उस के बैंक खाते में 10,91,472 रुपए का बैलेंस और 17.40 लाख रुपए के लेनदेन की हिस्ट्री क्यों मिली है?

आरोपी विशाल झाला को 12,500 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन इस के अकाउंट में भी 19, 77,676 रुपए जमा मिले. 19 करोड़ से अधिक का लेनदेन हुआ था. साथ ही एक करोड़ 85 लाख ट्रांसफर भी हुए थे. आरोपी रणबीर चौहाण 12 हजार रुपए महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के खाते से 13,35,000 रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ था. आरोपी संजय परमार 7 हजार रुपए मासिक वेतन पर सफाई का काम करता था. उस के खाते में 4,54,000 रुपए जमा थे. इस के अलावा 1.56 करोड़ रुपए का लेनदेन तथा 60 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे.

आरोपी दिलीप सोलंकी 10 हजार महीने की सैलरी पर नौकरी करता था. उस के अकाउंट में 10,072 मिले और 1.20 करोड़ रुपए का लेनदेन मिला. आरोपी आशिक भरथरी 7 हजार रुपए पर सफाई का काम करता था. उस के अकाउंट में 8,400 रुपए मिले और 44.98 लाख का हेरफेर तथा 8,04,620 रुपए का ट्रांजैक्शन मिला. सरकारी वकील की इन्हीं दलीलों पर अदालत ने सभी आरोपियों को जमानत देने से मना कर दिया था.

बीजेड कंपनी की आमदनी से खरीदी गई संपत्ति में मोडासा में 10 बीघा जमीन, साकरिया गांव में 10 बीघा जमीन, लिंभोई गांव में 3 बीघा जमीन, हिम्मतनगर के रायगढ़ में 5 दुकानों का एक कौंप्लेक्स, हडियोल गांव में 10 दुकानें, ग्रोमोर कैंपस के पीछे 4 बीघा जमीन हिम्मतनगर के अडपोदरा गांव में 5 बीघा जमीन, तालोद के रणासण गांव में 4 दुकानें, मोडासा चौराहे पर एक दुकान, मालपुरा में एक दुकान की जानकारी मिली.

ठगी से जुटाई गई रकम वापस करने के लिए पुलिस ने तमाम संपत्ति जब्त करने की काररवाई शुरू कर दी है. यह काररवाई पूरी हो जाने के बाद सरकार के आदेश पर जब्त की गई संपत्ति नीलाम कर के लोगों का पैसा वापस किया जाएगा. सीआईडी कथा लिखने तक बीजेड के औफिसों से जब्त किए गए 250 करोड़ रुपए लोगों को दे चुकी थी. अभी 172 करोड़ रुपए और देने हैं, जो नीलामी की रकम से दिए जाएंगे.

 

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