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रेखा ने वीरेंद्र को प्यार से समझाते हुए कहा था, ‘‘देखो वीरेंद्र, बात को समझने की कोशिश करो. जो तुम कह रहे हो वह संभव नहीं है. मेरा अपना एक घरसंसार है, पति है, 2 बच्चे हैं, अच्छीखासी गृहस्थी है हमारी. और तुम कहते हो मैं सब कुछ छोड़छाड़ कर तुम्हारे साथ भाग चलूं. नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. हम दोनों अच्छे दोस्त हैं और हमेशा दोस्त ही रहेंगे. हमारे बीच जो रिश्ता है, जो संबंध है, वह हमेशा बना रहेगा. हां, एक बात का मैं वादा करती हूं कि जो रिश्ता हम दोनों के बीच है, उसे तोड़ने में मैं पहल नहीं करूंगी.’’

‘‘तुम मेरी बात समझने की कोशिश नहीं कर रही हो.’’ वीरेंद्र हताश सा बोला.

‘‘मैं सब समझ रही हूं वीरेंद्र, मैं कोई दूधपीती बच्ची नहीं हूं. तुम चाहते हो मैं अपने पति को, अपने बच्चों को हमेशा के लिए छोड़ कर तुम्हारे साथ चली आऊं. यह मुझे मंजूर नहीं है.’’

‘‘तुम मेरी बात सुनोगी भी या नहीं. तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूं, तुम्हारे बिना एक पल रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता. इसीलिए कह रहा हूं कि पति और बच्चों का मोह त्याग कर मेरे साथ चली चलो, हम अपनी एक नई दुनिया बसाएंगे, जहां सिर्फ मैं रहूंगा और तुम होगी. रहा सवाल बच्चों का तो हम दोनों के और बच्चे पैदा हो जाएंगे. तुम नहीं जानती, तुम मेरी कल्पना हो, तुम्हें पाना ही मेरा एकमात्र सपना है.’’

‘‘वाह वीरेंद्र बाबू, वाह.’’ रेखा ने वीरेंद्र का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे सपने और कल्पनाओं को पूरा करने के लिए मैं अपने परिवार की बलि चढ़ा दूं? ऐसा हरगिज नहीं होगा.’’

‘‘अच्छी तरह सोच लो रेखा रानी. मैं तुम्हें बदनाम और बरबाद कर दूंगा.’’ अपनी बात मानते न देख वीरेंद्र ने रेखा को धमकी दी.

‘‘बदनाम करने की धमकी किसे दे रहे हो?’’ रेखा भी गुस्से में आ गई, ‘‘बरबाद तो मैं उसी दिन हो गई थी, जिस दिन मैं ने अपने सीधेसादे पति को धोखा दे कर तुम्हारे साथ संबंध बनाए थे. रहा बदनामी का सवाल तो तुम्हारे साथ संबंधों को ले कर पूरा मोहल्ला मुझ पर थूकता है, यहां तक कि मेरे पति को भी मेरे और तुम्हारे संबंधों के बारे में पता है.

‘‘उन की जगह कोई और होता तो मुझे अपने घर से कब का निकाल कर बाहर कर दिया होता. यह उन की शराफत है कि उन्होंने कभी मुझे तुम्हारे नाम का ताना दे कर जलील तक नहीं किया. अरे ऐसे पति के तो पैर धो कर पीने चाहिए और तुम कहते हो कि मैं पति को छोड़ कर तुम्हारे साथ भाग जाऊं.’’

‘‘वाह क्या कहने, नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली है. पतिव्रता और सती सावित्री होने का ढोंग कर के दिखा रही है मुझे. वह दिन भूल गई, जब अपने उसी पति की आंखों में धूल झोंक कर मुझ से मिलने आया करती थी.’’

‘‘अपनी जिंदगी की इस भयानक भूल को मैं कैसे भूल सकती हूं, जब तुम्हारे सपनों के झूठे मायाजाल में फंस कर मैं ने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया था. आज मैं अपनी उसी गलती की सजा भुगत रही हूं.’’ कहते हुए एकाएक रेखा क्रोध से भड़क उठी और उस ने गुस्से में वीरेंद्र से कहा, ‘‘जाओ, निकल जाओ मेरे घर से. अपनी मनहूस शक्ल दोबारा मत दिखाना. तुम्हें जो करना है कर लेना, अब दफा हो जाओ.’’

लोकेश की बैकग्राउंड

रेखा का पति लोकेश मूलत: जिला सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के गांव कंबोह माजरा का रहने वाला था. साल 2006 में उस की शादी देहरादून, उत्तराखंड के गांव दंदोली निवासी ठेपादास की मंझली बेटी रेखा के साथ हुई थी. लोकेश साधारण शक्लसूरत का सीधासादा युवक था, जबकि रेखा खूबसूरत थी.

रेखा जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर लोकेश अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझता था. वह रेखा से बहुत प्यार करता था और रेखा भी उसे प्यार करने लगी थी. कुल मिला कर पतिपत्नी दोनों एकदूसरे से संतुष्ट थे. वक्त के साथ लोकेश और रेखा अब तक 2 बच्चों 10 वर्षीय कार्तिक और 7 वर्षीय कृष के मातापिता बन गए थे.

लोकेश के मातापिता के पास थोड़ी सी खेती थी, जिस से घर खर्च भी बड़ी मुश्किल से चल पाता था, इसलिए 7 साल पहले लोकेश काम की तलाश में लुधियाना चला आया था. अपने पैर जमाने के लिए शुरू में वह छोटीमोटी नौकरियां करता रहा. साथ ही किसी अच्छे काम की तलाश में भी जुटा रहा. आखिर उसे सन 2014 में भारत की प्रसिद्ध साइकिल कंपनी हीरो में नौकरी मिल गई थी. वेतन भी अच्छा था और अन्य सुखसुविधाएं भी थीं.

हीरो साइकिल में नौकरी लगने के बाद लोकेश ने रहने के लिए सुरजीतनगर, 33 फुटा रोड, गली नंबर-1 ग्यासपुरा स्थित एक वेहड़े में किराए पर कमरा ले लिया और गांव से अपनी पत्नी रेखा और बच्चों को भी लुधियाना ले आया.

लुधियाना आने के बाद लोकेश ने अपने दोनों बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवा दिया था. पतिपत्नी दोनों मजे में रहने लगे थे कि अचानक एक दिन वीरेंद्र सिंह उर्फ चाचा की नजर रेखा पर पड़ी. वीरेंद्र भी उसी गली नंबर-1 में लोकेश के घर के सामने ही रहता था.

वीरेंद्र की कामयाब चाल

शातिर वीरेंद्र की नजर जब खूबसूरत रेखा पर पड़ी तो वह उसे पाने के लिए छटपटाने लगा. उस ने रेखा को भी देखा था और उस के पति लोकेश को भी. साधारण शक्लसूरत वाले लोकेश की इतनी खूबसूरत बीवी देख वीरेंद्र के कलेजे पर सांप लोटने लगा था. वह हर हाल में रेखा से संबंध बनाना चाहता था.

इस के लिए 2-4 बार उस ने रेखा को छेड़ने की कोशिश भी की थी, पर रेखा ने उसे घास नहीं डाली तो शातिर दिमाग वीरेंद्र ने रेखा के निकट आने का एक दूसरा रास्ता अपनाया. उस ने रेखा के पति लोकेश के साथ दोस्ती कर ली और दोस्ती की आड़ ले कर वह लोकेश के घर आनेजाने लगा.

जबकि दूसरी ओर वीरेंद्र के नापाक इरादों से अनजान भोलाभाला लोकेश उसे अपना हितैषी समझ रहा था. रेखा को अपने जाल में फंसाने के लिए उस ने लोकेश और उस के बीच ऐसी दरार पैदा की कि घर में अकसर झगड़ा रहने लगा.

लोकेश की अधिकांश नाइट ड्यूटी होती थी, जिस का वीरेंद्र ने जम कर फायदा उठाया. शातिर वीरेंद्र ने रेखा को अपने प्रेम जाल में फंसा कर उस के साथ अवैध संबंध बना लिए. दोनों के बीच बने अवैध संबंधों ने उस समय गंभीर मोड़ ले लिया, जब वीरेंद्र ने रेखा पर पति व बच्चों को छोड़ कर साथ भागने का दबाव बनाना शुरू किया.

उस की बात सुन कर रेखा को अपनी गलती का अहसास हुआ कि उस ने अपने पति और बच्चों को धोखा दे कर अच्छा नहीं किया. लेकिन अब क्या हो सकता था, अब तो वह शैतान के जाल में फंस चुकी थी.

पहले तो रेखा उसे टालती रही, परंतु जब वह उसे अधिक परेशान करने लगा तो रेखा ने पति व बच्चों को छोड़ कर उस के साथ भागने से साफ इनकार कर दिया था. रेखा के स्पष्ट इनकार करने से वीरेंद्र तड़प कर रह गया. हर तरह के हथकंडे अपनाने के बाद भी जब वह नाकाम रहा तो उस ने रेखा को सबक सिखाने की ठान ली.

रेखा द्वारा किए इनकार से गुस्साया वीरेंद्र 2 अप्रैल की सुबह मौका पा कर तब रेखा के घर पहुंचा, जब वह घर में अकेली थी. उस का पति लोकेश ड्यूटी पर व बच्चे स्कूल गए हुए थे. वीरेंद्र ने रेखा से साफ शब्दों में पूछा कि वह उस के साथ भागेगी या नहीं? रेखा के इनकार करने पर वीरेंद्र भाग कर रसोई से चाकू उठा लाया और रेखा के पेट में वार कर दिया.

वीरेंद्र ने खुद भी कोशिश की मरने की

अचानक हुए वार से रेखा घबरा गई. उसे वीरेंद्र से ऐसी उम्मीद नहीं थी. उस ने वीरेंद्र के वार से बचने की कोशिश की, लेकिन बचाव करते समय रेखा की एक अंगुली कट गई. इस के बाद वीरेंद्र ने उसे धक्का दे कर बैड पर गिरा दिया और उस के गले में चुनरी डाल गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद वह अपने घर चला गया. अपने घर पर रखी चूहे मारने की दवा निगल कर उस ने आत्महत्या करने की कोशिश की.

इसी दौरान संदेह होने पर मोहल्ले के लोगों ने तुरंत पुलिस को फोन किया. सूचना मिलते ही एसीपी अमन बराड़ व डाबा थाने के प्रभारी इंसपेक्टर गुरविंदर सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने वीरेंद्र को काबू कर के जब लोकेश के घर जा कर देखा तो बिस्तर पर रेखा का शव पड़ा हुआ था. पुलिस ने शव कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया.

लोकेश की तहरीर पर इंसपेक्टर गुरविंदर सिंह ने रेखा की हत्या के अपराध में वीरेंद्र के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे अदालत में पेश किया, जहां अदालत के आदेश पर उसे जिला जेल भेज दिया गया था.

रेखा ने जो किया, उस का नतीजा उसे भोगना पड़ा. अपने पति से बेवफाई की सजा रेखा को अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी, पर इस सारे प्रकरण में लोकेश और उस के बच्चों का क्या दोष था, जिस की सजा वे आजीवन भोगते रहेंगे.

यह सच है कि लोकेश के मुकाबले उस की पत्नी रेखा कहीं अधिक खूबसूरत थी. पतिपत्नी के मजबूत रिश्ते में दरार डालने के लिए शातिर वीरेंद्र ने इसी फर्क को मुख्य वजह बनाते हुए हंसतेखेलते परिवार में जहर घोल दिया.

पुलिस सूत्रों पर आधारित

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