Love Stories : सुखविंदर कौर कुलदीप को जी जान से चाहती थी, लेकिन राजस्थान में नौकरी पर चले जाने के बाद वह सुखविंदर को भूल सा गया. इसी दौरान सुखविंदर के अली हुसैन उर्फ आलिया से संबंध बन गए. जब कुलदीप ने उन के प्यार में रोड़ा बनने की कोशिश की तो…

29 जून, 2020 की रात कुलदीप सिंह खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकला ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. कुलदीप फोन पर बात करतेकरते सड़क पर आगे बढ़ गया. लेकिन जब वह काफी देर तक घर वापस नहीं लौटा तो उस के परिवार वाले परेशान हो गए. उन की चिंता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उस का मोबाइल भी बंद था. जब उस के घर वाले बारबार फोन लगाने लगे तो रात के कोई 10 बजे उस का फोन 2 बार कनेक्ट हुआ, लेकिन उस के बाद तुरंत कट गया.

उन्होंने तीसरी बार कोशिश की तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस से उस के घर वाले बुरी तरह घबरा गए. कुलदीप जिस गांव में रहता था, वह ज्यादा बड़ा नहीं था. उस के परिवार वालों ने उस के बारे में गांव के सभी लोगों से पूछताछ की, गांव की गलीगली छान मारी लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं चल सका. किसी अनहोनी की आशंका के चलते कुलदीप के चाचा बूटा सिंह आईटीआई थाने पहुंचे. लेकिन वहां पर पूरा थाना क्वारंटीन होने के कारण उन्हें पैगा चौकी भेज दिया गया.

अगले दिन सुबह ही पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल ने कुलदीप के गांव जा कर उस के घर वालों से उस के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस अभी कुलदीप को इधरउधर तलाश कर रही थी कि उसी दौरान 2 जुलाई को गांव के कुछ युवकों ने गांव के बारात घर से 200 मीटर की दूरी पर खेतों के किनारे स्थित नाले में एक शव पड़ा देखा. उन्होंने यह जानकारी ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह को दी. ग्राम प्रधान ने कुछ गांव वालों को साथ ले जा कर शव को देखा तो उस की शिनाख्त लापता  कुलदीप सिंह के रूप में हो गई. नाले में पड़े गलेसड़े शव की सूचना पाते ही एएसपी राजेश भट्ट, सीओ मनोज ठाकुर, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, पैगा पुलिस चौकी इंचार्ज अशोक फर्त्याल मौके पर पहुंच गए.

पुलिस ने कुलदीप सिंह के शव को बाहर निकलवा कर उस की जांचपड़ताल कराई तो उस के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. शव का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पैनल में डा. शांतनु सारस्वत, और डा. के.पी. सिंह शामिल थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कुलदीप सिंह की मौत गला दबाने से हुई थी. जहर की पुष्टि हेतु जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मृतक कुलदीप के परिवार वालों से जानकारी जुटाई तो पता चला कुलदीप का गांव की ही एक युवती के साथ चक्कर चल रहा था.

सुखविंदर कौर नाम की युवती कुलदीप के मोबाइल पर घंटों बात करती थी. इस जानकारी के बाद पुलिस ने सुखविंदर कौर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस पूछताछ के दौरान पहले तो सुखविंदर ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने की कोशिश की. लेकिन बाद में उस ने स्वीकार किया कि उस रात कुलदीप उस से मिला जरूर था, लेकिन उस के बाद वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. वह कहां गया उसे कुछ नहीं मालूम. पुलिस ने सुखविंदर को घर भेज दिया. सुखविंदर से बात करने के दौरान पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि दोनों के बीच गहरे संबध थे. उन्हीं संबंधों के चक्कर में कुलदीप को जान से हाथ धोना पड़ा होगा.

पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए तो पता चल गया कि घटना वाली रात कुलदीप सुखविंदर कौर के संपर्क में आया था. पुलिस ने सुखविंदर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि वह कुलदीप के साथसाथ गांव के ही शाकिर के बेटे अली हुसैन उर्फ आलिया के संपर्क में भी थी. उस रात सुखविंदर ने कुलदीप के मोबाइल पर कई बार काल की थी. लेकिन उस ने उस का मोबाइल रिसीव नहीं किया था. शाम को फोन मिला तो सुखविंदर ने कुलदीप से काफी देर बात की थी. यह भी पता चला कि उस रात सुखविंदर ने आलिया के मोबाइल पर भी कई बार बात की थी.

इस से यह बात तो साफ हो गई कि कुलदीप की हत्या का कारण आलिया और सुखविंदर दोनों ही थे. यह बात सामने आते ही पुलिस ने फिर से सुखविंदर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने स्वीकार कर लिया कि पिछले 2 साल से उस के कुलदीप से प्रेम संबंध थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उस की अपने ही पड़ोस में रहने वाले युवक आलिया से नजदीकियां बढ़ गई थीं. लेकिन कुलदीप उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था. उस की इसी बात से तंग आ कर उस ने आलिया को अपने प्रेम संबंधों का वास्ता दे कर कुलदीप की हत्या करा दी. कुलदीप की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने सुखविंदर के दूसरे प्रेमी आलिया को भी तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. उस ने बताया कि उस ने सुखविंदर के कहने पर ही कुलदीप की हत्या करने में उस का सहयोग किया था.

पुलिस ने आलिया और सुखविंदर कौर की निशानदेही पर बलजीत के खेत से कुलदीप के मोबाइल के अलावा एक खाली गिलास, पीले रंग का गमछा और जहर की एक खाली शीशी भी बरामद की. पुलिस पूछताछ में पता चला कि सुखविंदर एक साथ 2 नावों में यात्रा कर रही थी, जो कुलदीप को बिलकुल पसंद नहीं था. उसी से चिढ़ कर उस ने अपने दूसरे प्रेमी आलिया के साथ मिल कर उस की हत्या करा दी. इस प्रेम त्रिकोण का अंत कुलदीप की हत्या से ही क्यों हुआ, इस के पीछे एक विचित्र सी कहानी सामने आई. काशीपुर (उत्तराखंड) कोतवाली के अंतर्गत थाना आईटीआई के नजदीक एक गांव है बरखेड़ी.

यह सिख बाहुल्य आबादी वाला छोटा सा गांव है. इस गांव में कई साल पहले सरदार हरभजन सिंह आ कर बसे थे. वह पेशे से डाक्टर थे. उस समय आसपास के क्षेत्र में उन के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं था. इसी वजह से यहां आते ही उन का काम बहुत अच्छा चल निकला था. समय के साथ उन की बीवी प्रकाश कौर 3 बेटियों की मां बनीं. सुखविंदर कौर उन में सब से छोटी थी. हरभजन सिंह ने डाक्टरी करते हुए इतना पैसा कमाया कि अपना मकान भी बना लिया और 2 बेटियों की शादी भी कर दी. उस समय सुखविंदर काफी छोटी थी. डाक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण हरभजन सिंह ने इस इलाके में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी.

अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व किसी लाइलाज बीमारी के चलते हरभजन की मौत हो गई. उन के निधन के बाद उन की बीवी प्रकाश कौर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. प्रकाश कौर के पास न तो कोई बैंक बैलेंस था और न कोई आमदनी का जरिया. हालांकि हरभजन सिंह अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे, लेकिन उन्हें छोटी बेटी की शादी की चिंता थी. प्रकाश कौर के सामने अजीब सी मजबूरी आ खड़ी हुई. जब प्रकाश कौर के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई तो उन्हें हालात से समझौता करना पड़ा. उन्हें गांव में मेहनतमजदूरी करने पर विवश होना पड़ा.

उन्होंने जैसेतैसे मेहनतमजदूरी कर बेटी सुखविंदर कौर को पढ़ाया लिखाया. उस ने हाई  स्कूल कर लिया. सिर पर बाप का साया न होने की वजह से सुखविंदर कौर के कदम डगमगाने लगे थे. मां प्रकाश कौर रोजी रोटी कमाने के लिए घर से निकल जाती तो सुखविंदर कौर घर पर अकेली रह जाती थी. उसी दौरान उस की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप गांव का ही रहने वाला था. उस के पिता गुरमीत सिंह की गांव में अच्छी खेतीबाड़ी थी. गुरमीत सिंह का परिवार भी काफी बड़ा था. हर तरह से साधनसंपन्न इस परिवार में 7 लोग थे. भाईबहनों में हरजीत सब से बड़ा, उस के बाद कुलदीप, निशान सिंह और उन से छोटी 2 बेटियां थीं. हरजीत सिंह की शादी हो चुकी थी. उस के बाद कुलदीप सिंह का नंबर था.

कुलदीप सिंह होनहार था. सुखविंदर कौर उस समय हाईस्कूल में पढ़ रही थी. उसी उम्र में वह कुलदीप सिंह को दिल दे बैठी. सुखविंदर कौर स्कूल जाती तो कुलदीप सिंह से भी मिल लेती थी. वह उस के परिवार की हैसियत जानती थी. जिस तरफ सुखविंदर का घर था, वह रास्ता कुलदीप के खेतों पर जाता था. खेतों पर आतेजाते कुलदीप की सुखविंदर से जानपहचान हुई. जब दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए तो उन के बीच प्रेम का बीज अंकुरित हो गया. मां के काम पर निकल जाने के बाद सुखविंदर घर पर अकेली होती थी. उसी का लाभ उठा कर वह उस रास्ते से निकल रहे कुलदीप को अपने घर में बुला लेती.

फिर दोनों मौके का लाभ उठा कर प्यार भरी बातों में खो जाते थे. कुलदीप उसे जी जान से प्यार करता था. प्यार की राह पर चलतेचलते दोनों ने जिंदगी भर एक दूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाईं. कुलदीप उस के प्यार में इस कदर गाफिल था. उस ने बीकौम करने के बाद आईटीआई का कोर्स कर लिया था, जिस के बाद उसे रुद्रपुर की एक फैक्ट्री में अस्थाई नौकरी मिल गई थी. रुद्रपुर में नौकरी मिलते ही कुलदीप वहीं पर कमरा ले कर रहने लगा. उस के रुद्रपुर चले जाने पर सुखविंदर परेशान हो गई. जब उसे उस की याद सताती तो वह मोबाइल पर बात कर लेती थी. लेकिन मोबाइल पर बात करने से उस के दिल को सुकून नहीं मिलता था.

उसी दौरान उस ने कई बार कुलदीप पर शादी करने का दबाव बनाया. लेकिन कुलदीप कहता कि जब उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी, वह उस से शादी कर लेगा. जबकि सुखविंदर उस की सरकारी नौकरी लगने तक रुकने को तैयार नहीं थी. एक साल रुद्रपुर में नौकरी करने के बाद उस की जौब राजस्थान की एक बाइक कंपनी में लग गई. कुलदीप को राजस्थान जाना पड़ा. कुलदीप के राजस्थान चले जाने के बाद तो सुखविंदर की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. जब कभी वह मोबाइल पर कुलदीप से बात करती तो उस का मन बहुत दुखी होता था. कुलदीप ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार नहीं थी.

घटना से लगभग 6 महीने पहले सुखविंदर की नजर अपने पड़ोसी अली हुसैन उर्फ आलिया पर पड़ी. गांव में शाकिर हुसैन का अकेला मुसलिम परिवार रहता था. यह परिवार पिछले 40 वर्षों से इस गांव में रह रहा था. 8 महीने पहले ही ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने इस परिवार को ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध कराई थी, जिस पर शाकिर ने मकान बनवा लिया था. शाकिर हुसैन का एक भाई कलुआ बहुत पहले बरखेड़ी छोड़ कर दूसरे गांव बरखेड़ा पांडे में जा बसा था. वहां पर उस का आनाजाना बहुत कम होता था. शाकिर हुसैन के पास खेतीबाड़ी की जमीन नहीं थी. वह शुरू से ही गांव वालों के खेतों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करता आ रहा था.

उस के 3 बेटों मोहम्मद , रशीद और रफीक में अली हुसैन उर्फ आलिया सब से छोटा था. वह हर वक्त बनठन कर रहता था. वह गांव के लोगों के खेतों में काम करना अपनी तौहीन समझता था. लेकिन न तो उस के खर्चों में कमी थी और न ही उस की शानशौकत में. उस के रहनसहन को देख गांव वाले हैरत में थे कि उस के पास खर्च के लिए पैसा कहां से आता है. गांव में छोटीमोटी चोरी होती रहती थी, लेकिन कभी भी कोई चोर किसी की पकड़ में नहीं आया था. गांव के अधिकांश लोग उसी पर शक करते थे. लेकिन बिना किसी सबूत के कोई उस पर इल्जाम नहीं लगाना चाहता. जब एक चोरी में उस का नाम सामने आया तो उस की हकीकत सामने आ गई. उस के बाद गांव वाले उस से सावधान रहने लगे.

आलिया गांव के हर शख्स पर निगाह रखता था. इस सब के चलते आलिया को पता चला कि कुलदीप के सुखविंदर कौर के साथ अनैतिक संबंध हैं. उस ने कुलदीप को कई बार उस के घर से निकलते देखा था. उसी का लाभ उठा कर उस ने मौका देख सुखविंदर से उस के और कुलदीप के प्रेम संबंधों को ले कर बात की. शुरू में सुखविंदर ने इस बारे में उस से कोई बात नहीं की. लेकिन वह कुलदीप को ले कर परेशान जरूर थी. उस के साथ बिताए दिन उस के दिल में कांटा बन कर चुभने लगे थे. सुखविंदर खुद भी कुलदीप के पीछे पड़तेपड़ते तंग आ चुकी थी. उस की की तरफ से उम्मीद कमजोर पड़ी तो उस ने आलिया से नजदीकियां बढ़ा लीं. वह कुलदीप की प्रेम राह को त्याग कर आलिया के प्रेम जाल में जा फंसी. फिर आलिया उस के दिल पर राज करने लगा. आलिया के संपर्क में आया तो वह कुलदीप को भुला बैठी.

कई बार कुलदीप राजस्थान से उस के मोबाइल पर काल मिलाता तो वह रिसीव ही नहीं करती थी. कुलदीप उस के बदले व्यवहार को देख कर परेशान रहने लगा था. उस दौरान वह कई बार काशीपुर अपने गांव आया. उस ने सुखविंदर से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन सुखविंदर ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई. तभी उसे गांव के एक दोस्त से उस की हकीकत पता की, तो उसे पता चला कि सुखविंदर कौर का आलिया से चक्कर चल रहा है. यह सुनते ही कुलदीप को जोरों का धक्का लगा. उसे सुखविंदर कौर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. वह जैसेतैसे सुखविंदर कौर से मिला और उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन सुखविंदर ने उस की एक बात नहीं मानी.

कुलदीप निराश हो कर राजस्थान चला गया. लेकिन वहां जाने के बाद भी वह सुखविंदर कौर की बेवफाई से परेशान था. वह चाह कर भी उसे अपने दिल से नहीं निकाल पा रहा था. सुखविंदर कौर की बेवफाई का सिला मिलने के बाद उस का नौकरी से मन उचट गया था. तभी देश में कोरोना बीमारी के चलते लौकडाउन लग गया. लौकडाउन से उस की फैक्ट्री बंद हुई तो उसे अपने घर काशीपुर लौटना पड़ा. तब तक देश भर में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए थे. लोग अपनेअपने घरों में कैद हो कर रह गए थे. काशीपुर आने के कुछ समय बाद उसे मुरादाबाद रोड स्थित किसी फैक्ट्री में काम मिल गया. कुलदीप ने मौका देख कर कई बार सुखविंदर से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उस ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई.

कुलदीप ने घर पर रहते कई बार उस के मोबाइल पर फोन मिलाया तो अधिकांशत: व्यस्त ही मिला. फिर एक अन्य युवक से यह जानकारी मिली कि सुखविंदर आलिया से ज्यादा घुलमिल गई है. बात कुलदीप को बरदाश्त नहीं था. कुलदीप कई बार आलिया से भी मिला और उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन आलिया ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर वह और सुखविंदर प्यार करते हैं तो उसे समझाए, वह सुखविंदर के पीछे नहीं बल्कि सुखविंदर ही उस के पीछे पड़ी है. कुलदीप किसी भी कीमत पर सुखविंदर कौर को छोड़ने को तैयार नहीं था. जब सुखविंदर कौर और आलिया कुलदीप की हरकतों से परेशान हो उठे तो दोनों ने कुछ ऐसा करने की सोची, जिस से कुलदीप से पीछा छूट जाए.

सुखविंदर यह जानती थी कि कुलदीप अभी भी उस का दीवाना है. वह उस की एक काल पर ही कहीं भी आ सकता है. इसी का लाभ उठा कर उस ने कुलदीप को रास्ते से हटाने के लिए आलिया को पूरा षडयंत्रकारी नक्शा तैयार कर के दे दिया. पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत 29 जून को सुखविंदर कौर ने दिन में कई बार कुलदीप के मोबाइल पर काल की. लेकिन कुलदीप सिंह अपनी ड्यूटी पर था, उस ने सुखविंदर की काल रिसीव नहीं की. शाम को दोबारा कुलदीप के मोबाइल पर उस की काल आई तो सुखविंदर ने उसे शाम को गांव के पास स्थित बलजीत सिंह के बाग में मिलने की बात पक्की कर ली.

कुलदीप सिंह उस की हरकतों से पहले ही दुखी था, लेकिन प्रेमिका होने के नाते वह उस की पिछली हरकतों को भूल कर मिलने के लिए तैयार हो गया. उसे विश्वास था कि जरूर कोई खास बात होगी, इसीलिए सुखविंदर उसे बारबार फोन कर रही है. यही सोच कर कुलदीप सिंह खुश था. शाम को उस ने जल्दी खाना खाया और वादे के मुताबिक बाहर घूमने के बहाने घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने सुखविंदर को फोन कर उस की लोकेशन पता की. उस के बाद वह बताई गई जगह पर पहुंच गया. गांव के बाहर मिलते ही सुखविंदर ने कुलदीप को अपने आगोश में समेट लिया. कुलदीप को लगा कि सुखविंदर आज भी उसे पहले की तरह प्यार करती है.

इसीलिए वह उस से इतनी गर्मजोशी से मिल रही है. कुलदीप उस की असल मंशा को समझ नहीं पाया. सुखविंदर कौर पूर्व प्रेमी कुलदीप का हाथ हाथों में थामे बाग की ओर बढ़ गई. बाग में एक जगह बैठते हुए उस ने पुराने सभी गिलेशिकवे भूल जाने को कहा. सुखविंदर ने कुलदीप से कहा कि आज वह काफी दिनों बाद मिल रही है. इसी खुशी में वह उस के लिए स्पैशल दूध बना कर लाई है. कुलदीप इतना नादान था कि उस के प्यार में पागल हो कर उस की चाल को समझ नहीं पाया. उस ने थैली से दूध निकाल कर गिलास में डाला और कुलदीप को पीने को दे दिया.

सुखविंदर ने थैली में थोड़ा दूध यह कह कर बचा लिया था कि इसे बाद में वह पी लेगी. दूध पीने के बाद कुलदीप को कुछ अजीब सा जरूर लगा लेकिन सुखविंदर को बुरा न लगे, इसलिए कुछ नहीं बोला. दूध पीते ही कुलदीप का सिर घूमने लगा. जब सुखविंदर को लगा कि जहर कुलदीप पर असर दिखाने लगा है तो उस ने पास ही छिपे अली हुसैन उर्फ आलिया को इशारा कर बुला लिया. आलिया ने मौके का लाभ उठा कर गमछे से गला घोंट कर कुलदीप की हत्या कर दी. बेहोश होने के कारण कुलदीप विरोध भी नहीं कर पाया. सांस रुकने से कुलदीप मौत की नींद सो गया. कुलदीप को मौत की नींद सुला कर आलिया और सुखविंदर ने उस के शव को खींच कर पास के नाले में फेंक दिया, ताकि उस की लाश जल्दी से न मिल सके. फिर दोनों अपनेअपने घर चले आए.

सुखविंदर कौर और आलिया को पूरा विश्वास था कि उस की हत्या का राज राज ही बन कर रह जाएगा. फिर दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन आलिया और सुखविंदर की चालाकी धरी की धरी रह गई. इस केस के खुलते ही पुलिस ने कुलदीप हत्याकांड की आरोपी सुखविंदर कौर उस के प्रेमी अली हुसैन उर्फ आलिया को भादंवि की धारा 302/201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. आलिया को पुलिस हिरासत में लेते ही उस का पिता अपने घर का खासखास सामान समेट कर अपने भाई कलुआ के घर बरखेड़ा पांडे चला गया. गांव वाले कुलदीप की हत्या से आहत थे, इसलिए उन्होंने गांव से नामोनिशान मिटाने के लिए उस के घर में आग लगा दी.

इतना ही नहीं आक्रोशित गांव वालों ने रात में जेसीबी से उस का घर तोड़फोड़ दिया. इस घटना से पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल था. इस घटना की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी. सूचना मिलते ही सीओ मनोज कुमार ठाकुर, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल समेत बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची. जिस के बाद भीड़ तितरबितर हो गई. पुलिस पूछताछ के दौरान ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी फिर से गांव में आ कर न रहने लगे, यह सोच कर गांव वालों ने उस के घर को क्षति पहुंचाने की कोशिश की थी.

इस मामले में भी पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए कुलदीप के ताऊ बूटा सहित 30-35 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147,427,436,के तहत केस दर्ज किया.

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