Delhi Crime : पैसा कमाने के लिए खूनपसीना बहाना पड़ता है. विकास उर्फ नीटू गांव से खाली हाथ दिल्ली आ कर अमीर बना था, लेकिन उस की अय्याशी ने उसे उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां से आगे खून बहता है. खास बात यह कि उस की 4 पत्नियों में से… दिल्ली से सटे बागपत जिले में एक गांव है शाहपुर बडौली. विकास तोमर उर्फ नीटू (32) यहीं का रहने वाला था. उस के पिता किसान थे. 5 भाइयों में नीटू चौथे नंबर का था. 3 भाई उस से बड़े थे. जबकि एक छोटा था. नीटू ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली चला आया था. करीब 12 साल पहले वह जब दिल्ली आया था तो उस के पास 2 जोड़ी कपड़े और पांव में एक जोड़ी जूते थे. नीटू ने एक प्लेसमेंट एजेंसी की मदद से एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. लेकिन जब उसे पहले महीने की सैलरी मिली तो वह आधी थी. पता चला आधी सैलरी कमीशन के रूप में प्लेसमेंट एजेंसी ने अपने पास रख ली.

नीटू ने उस फैक्ट्री में 5 महीने तक नौकरी की. लेकिन हर महीने सैलरी में से एक फिक्स रकम प्लेसमेंट एजेंसी कमीशन के रूप में काट लेती थी. अगर नीटू विरोध करता तो प्लेसमेंट एजेंसी उसे नौकरी से निकालने की धमकी देती. नीटू को लगा कि नौकरी से तो अच्छा है कि प्लेसमेंट एजेंसी खोल लो और दूसरों की कमाई पर खुद ऐश करो. लेकिन प्लेसमेंट एजेंसी यानी कि लोगों को नौकरी दिलाने का कारोबार चलता कैसे है. इस सवाल का जवाब पाने के लिए नीटू ने नांगलोई की एक प्लेसमेंट एजेंसी में करीब 6 महीने तक पहले औफिस बौय फिर सुपरवाइजर की नौकरी की.

नौकरी करना तो एक बहाना था ताकि गुजरबसर और खानेखर्चे का इंतजाम होता रहे. असल बात तो यह थी कि नीटू प्लेसमेंट एजेंसी के धंधे के गुर सीखना चाहता था. आखिरकार 7-8 महीने की नौकरी के दौरान नीटू ने प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के गुर सीख लिए. इस के बाद उस ने अपने परिवार से आर्थिक मदद ली और नांगलोई के निहाल विहार में ही एक दुकान ले कर प्लेसमेंट एजेंसी का दफ्तर खोल लिया. पास के ही एक मकान में उस ने रहने के लिए कमरा भी ले लिया. प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के लिए जरूरी लाइसैंस तथा कानूनी औपचारिकता भी उस ने पूरी कर लीं. संयोग से उस का धंधा चल निकला. देखतेदेखते नीटू लाखों में खेलने लगा. लेकिन दिक्कत यह थी कि वह अकेला पड़ जाता था. उस के पास कोई भरोसे का आदमी नहीं था.

लेकिन जल्द ही उस की ये परेशानी भी दूर हो गई. उसी के गांव में रहने वाला सुधीर जिसे गांव में सब प्यार से लीलू कहते थे, उस के साथ काम करने के लिए तैयार हो गया. नीटू ने लीलू को अपने साथ रख लिया और तय किया कि वह उसे सैलरी नहीं देगा बल्कि जो भी कमाई होगी, उस में से एक चौथाई का हिस्सा उसे मिलेगा. इस के बाद तो कुदरत ने नीटू का ऐसा हाथ पकड़ा कि देखते ही देखते उस का धंधा तेजी से चल निकला और उस के ऊपर पैसे की बारिश होने लगी.

अचानक हुई हत्या नीटू के एक बड़े भाई की पिछले साल एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. 22 जून, 2020 को उस की बरसी थी. भाई की बरसी पर घर में होने वाले हवनपूजा और दूसरे रीतिरिवाजों को पूरा करने के लिए नीटू गांव में अपने परिवार के पास आया हुआ था. वैसे भी कोरोना वायरस की वजह से लगे लौकडाउन के बाद कामधंधे ठप पड़े थे. इसलिए नीटू ने सोचा कि जब पूजापाठ के लिए गांव आया हूं तो क्यों न घर में छोटेमोटे बिगड़े पड़े कामों को सुधार लिया जाए.

घर से थोड़ी दूरी पर बने घेर (पशुओं का बाड़ा और बैठक) में 19 जून को नीटू ने बोरिंग कराने का काम शुरू कराया था. सुबह से शाम हो गई थी. काम अभी भी बाकी था. रात के करीब साढ़े 8 बज चुके थे. नीटू का छोटा भाई बबलू और बड़ा भाई अजीत घेर में उस के पास बैठे गपशप कर रहे थे. तभी अचानक एक पल्सर बाइक तेजी से घेर के बाहर आकर रुकी. बाइक पर 3 लोग सवार थे, जिन में से 2 गाड़ी से उतरे और घेर के अंदर आ गए. तीनों भाई दरवाजे से 8-10 कदम की दूरी पर पड़ी अलगअलग चारपाइयों पर बैठे थे. उन्होंने सोचा बाइक से उतरे लड़के शायद कुछ पूछना चाहते होंगे.

दोनों लड़कों ने कुर्ता और जींस पहन रखी थी. मुंह पर मास्क की तरह गमछे बांधे हुए थे. क्षण भर में दोनों लड़के नीटू की चारपाई के पास पहुंचे. इस से पहले कि नीटू या उस के भाई कुछ पूछते अचानक दोनों युवकों ने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर तमंचे निकाले और एक के बाद एक 2 गोलियां चलाईं, जिस में से एक गोली नीटू की छाती में लगी दूसरी उस की कनपटी पर. गोली चलते ही दोनों भाइयों के पांव तले की जमीन खिसक गई. जान बचाने के लिए वे चीखते हुए घेर के भीतर की तरफ भागे. मुश्किल से 3 या 4 मिनट लगे होंगे. जब हमलावरों को इत्मीनान हो गया कि नीटू की मौत हो चुकी है तो वे जिस बाइक से आए थे, दौड़ते हुए उसी पर जा बैठे और आखों से ओझल हो गए.

गोली चलने और चीखपुकार सुन कर गांव के लोग एकत्र हो गए. सारा माजरा पता चला तो नीटू के परिवार के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए. देखते देखते पूरा गांव नीटू के घेर के अहाते के बाहर एकत्र हो गया. गांव के लोग इस बात पर हैरान थे कि हमलावरों ने 3 भाइयों में से केवल नीटू को ही गोलियों का निशाना क्यों बनाया. नीटू तो वैसे भी गांव में नहीं रहता था फिर उस की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उस की हत्या कर दी गई. इस दौरान गांव के प्रधान ने इस वारदात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी थी. वहां से यह सूचना बड़ौत थाने की पुलिस को दी गई.

लौकडाउन का दौर चल रहा था. लिहाजा पुलिस भी लौकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर ही थी. बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा को जैसे ही शाहपुर बडौली में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या करने की सूचना मिली तो वह एसएसआई धीरेंद्र सिंह तथा अपनी पुलिस टीम के साथ बडौली गांव में पहुंच गए. सूचना मिलने के करीब एक घंटे के भीतर बड़ौत इलाके के सीओ आलोक सिंह, एडीशनल एसपी अनित कुमार तथा एसपी अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. चश्मदीद के तौर पर 2 ही लोग थे नीटू के भाई अजीत व बबलू. दोनों न अक्षरश: पुलिस के सामने वह घटनाक्रम बयान कर दिया जो हुआ था.

लेकिन वारदात को किस ने अंजाम दिया, नीटू की हत्या क्यों हुई, क्या उस की किसी से दुश्मनी थी. कातिल कौन हो सकता है, जैसे पुलिस के सवालों के जवाब परिवार का कोई भी शख्स नहीं दे पाया. वजह यह कि नीटू की हत्या खुद उन के लिए भी एक पहेली की तरह ही थी. हत्या का कारण पता नहीं चला बहरहाल पुलिस को तत्काल नीटू की हत्या के मामले में कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी. इसलिए रात में ही शव को पोस्टमार्टम के लिए बागपत के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया. नीटू की हत्या का मामला बड़ौत कोतवाली में भादंसं की धारा 302, 452, 506 और दफा 34 के तहत दर्ज कर लिया गया.

एसपी अजय कुमार ने एएसपी अनित कुमार सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित करने का आदेश दिया. सीओ आलोक सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा के अलावा एसएसआई धीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल विशाल कुमार, हरीश, देवेश कसाना, रोहित भाटी, अजीत के अलावा महिला उपनिरीक्षक साक्षी सिंह तथा महिला कांस्टेबल तनु को भी शामिल किया गया. पुलिस ने गांव में कुछ मुखबिर भी तैनात कर दिए ताकि लोगों के बीच चल रही चर्चाओं की जानकारी मिल सके.

शुरुआती जांच के बाद यह बात सामने आई कि संभव है इस वारदात को नीटू की पहली पत्नी रजनी ने अंजाम दिया हो. पता चला नीटू ने अपनी पत्नी को कई सालों से छोड़ रखा था. वह दिल्ली में अपने मायके में रहती थी, लेकिन उसके दोनों बच्चे गांव में नीटू के घरवालों के पास रहते थे. साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या हुई उसी रात सूचना मिलने के बाद नीटू की पहली पत्नी रजनी रात को करीब 1 बजे गांव पहुंच गई थी. रजनी के पास अपने पति की हत्या कराने का आधार तो था, लेकिन बिना सबूत के उस पर हाथ डालना उचित नहीं था. इसलिए पुलिस ने रजनी का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की डिटेल्स निकलवा ली. पुलिस टीम ने जांच को आगे बढाया तो एक और आशंका हुई कि हो ना हो गांव के ही किसी शख्स ने हत्यारों को नीटू के गांव में होने की सूचना दी हो.

क्योंकि आमतौर पर नीटू गांव में कम ही आता था और अगर आता भी था तो केवल एक रात के लिए. एक आंशका ये भी थी कि संभवत: नीटू की हत्या के तार दिल्ली से जुड़े हों. दिल्ली में या तो उस की किसी से कोई दुश्मनी रही होगी या लेनदेन का विवाद. इसलिए पुलिस की एक टीम ने परिवार वालों से जानकारी ले कर दिल्ली स्थित नीटू के 2 मकानों पर दबिश दी तो पता चला विकास उर्फ नीटू ने एक नहीं बल्कि 4 शादियां की थीं. दिल्ली में नीटू के घर में रहने वाले किराएदारों और उस की प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारियों से पता चला कि नीटू रंगीनमिजाज इंसान था और अपनी अय्याशियों के कारण महिलाओं से एक के बाद एक शादी करता रहा था.

लेकिन पुलिस को किसी से भी नीटू की अन्य पत्नियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी. इसी बीच अचानक मामले में एक नया मोड़ आया. 22 मई को 2 महिलाएं बड़ौत थाने पहुंच कर जांच अधिकारी अजय शर्मा से मिलीं. पता चला कि उन में से एक महिला विकास की दूसरे नंबर की पत्नी शिखा थी और दूसरी कविता जो उस की वर्तमान व चौथे नंबर की पत्नी थी.  उन दोनों ने बताया कि नीटू की पहली पत्नी रजनी ने 2018 में भी एक बार नीटू को मरवाने की साजिश रची थी. ये बात खुद नीटू ने उन से कही थी. शिखा और कविता से जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने रजनी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या की गई उसी रात रजनी के मोबाइल पर 9 बजे से 10 बजे के बीच एक ही नंबर से 2 काल आई थीं. जब इन काल्स के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि जिस नंबर से काल आईं वह शाहपुर बडौली में रहने वाले नीटू के दोस्त और पुराने पार्टनर सुधीर उर्फ लीलू का था. आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि इतनी रात में लीलू ने नीटू की पत्नी को 2 बार फोन किए. कहीं ऐसा तो नहीं कि लीलू ही वो शख्स हो, जिस ने कातिलों को नीटू के उस रात गांव में होने की जानकारी दी हो.

संदेह के घेरे में रजनी और लीलू पुलिस को जैसे ही लीलू पर शक हुआ उस के मोबाइल की कुंडली खंगाली गई. पता चला उस रात कत्ल से पहले लीलू की 2 अंजान नंबरों पर भी बात हुई थी. वे दोनों नंबर गांव के किसी व्यक्ति के नहीं थे, लेकिन दोनों नंबरों की लोकेशन गांव में ही थी. गुत्थियां काफी उलझी हुई थीं, जिन्हें सुलझाने के लिए पुलिस ने सुधीर व नीटू की पहली पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने जब उन के सामने मोबाइल फोन की डिटेल्स सामने रख कर पूछताछ शुरू की तो बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. नीटू हत्याकांड की गुत्थी खुद ब खुद सुलझती चली गई.

जिस के बाद पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा कर 25 जून को बावली गांव की पट्टी देशू निवासी रोहित उर्फ पुष्पेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. पता चला उसी ने बावली गांव के रहने वाले अपने 2 साथियों सचिन और रवि उर्फ दीवाना के साथ मिल कर नीटू की गोली मार कर हत्या की थी. पुलिस ने जब रजनी, सुधीर उर्फ लीलू तथा रोहित से पूछताछ की तो नीटू की हत्या के पीछे उस के रिश्तों की उलझन की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. विकास ने जिन दिनों दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी खोली थी, वह उन दिनों दिल्ली के निहाल विहार में रजनी के घर में किराए का कमरा ले कर रहता था. 2009 में दोनों की यहीं पर जानपहचान हुई थी.

नीटू अय्याश रंगीनमिजाज जवान था, वह अकेला रहता था और उसे एक औरत के जिस्म की जरूरत थी. धीरेधीरे उस ने रजनी से दोस्ती कर ली. रजनी को भी नीटू अच्छा लगा. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों के बीच रिश्ते भी बन गए. लेकिन कुछ समय बाद जब रजनी के परिवार वालों को दोनों के रिश्तों की भनक लगी तो उन्होंने रजनी से शादी करने का दबाव डाला. फलस्वरूप नीटू को रजनी से शादी करनी पड़ी. इस के बाद नीटू ने रजनी के परिवार वाला मकान छोड़ दिया. चूंकि इस दौरान उस का कामधंधा काफी जम गया था और कमाई अच्छी हो रही थी, इसलिए उस ने नांगलोई में एक प्लौट ले कर उस पर मकान बनवा लिया था. रजनी को ले कर नीटू उसी मकान में रहने लगा.

दोनों की जिंदगी ठीक गुजर रही थी. रजनी और नीटू के 2 बेटे हुए . लेकिन रजनी नीटू की एक बुरी आदत से अंजान थी. प्लेसमेंट के धंधे से होने वाली अच्छीखासी कमाई थी. जब पैसा आया तो अय्याशी का शौक लग गया. इसी के चलते प्लेसमेंट औफिस में धंधा करने वाली लड़कियों को बुला कर अय्याशी करने लगा. जब इंसान के पास इफरात में दौलत आती है तो कई को शराब की लत लग जाती है. औफिस में पीना पिलाना नीटू की रोजमर्रा की आदत बन गई. रजनी को नीटू की अय्याशियों का पता तब चला, जब नीटू के गांव का ही रहने वाला सुधीर उर्फ लीलू नीटू के साथ धंधे में उस का पार्टनर बना.

रजनी बच्चों के साथ अक्सर नीटू के गांव भी जाती थी. गांव के दोस्त रजनी को नीटू की पत्नी होने के कारण भाभी कह कर बुलाते थे. नीटू ने लीलू को अपने ही घर में रहने के लिए एक कमरा दे दिया था. इसीलिए घर में रहतेरहते लीलू को रजनी से काफी लगाव हो गया था. उसे यह देखकर बुरा लगता कि 2 बच्चों का पिता बन जाने और घर में अच्छीखासी पत्नी होने के बावजूद नीटू अपनी कमाई बाजारू औरतों पर लुटाता है. रजनी से हमदर्दी के कारण एक दिन लीलू ने रजनी को नीटू की अय्याशियों के बारे में बता दिया. नीटू की बेवफाई और अय्याशियों के बारे में पता चलने के बाद रजनी ने उस पर निगाह रखनी शुरू कर दी और एकदो बार उसे औफिस में अय्याशी करते पकड़ भी लिया. इस के बाद रजनी व नीटू में अक्सर झगड़ा होने लगा.

नीटू की अय्याशी अब घर में कलह का कारण बन गई. इस दौरान नीटू ने इफरात में होने वाली आमदनी से निहाल विहार में ही एक और प्लौट खरीद कर उस पर भी एक मकान बना लिया था. उस ने उसी मकान को अपनी अय्याशी का नया अड्डा बना लिया. 2 बच्चों को जन्म देने के बाद रजनी का शरीर ढलने लगा था. उस में नीटू को अब वो आकर्षण नहीं दिखता था जो उसे रजनी की तरफ खींचता था. बात बढ़ती गई नीटू की अय्याशी की लत के कारण रजनी से उस की खटपट व झगड़े इस कदर बढ़ गए कि एक दिन रजनी दोनों बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली गई. दरअसल उन के बीच हुए इस अलगाव की वजह थी शिखा नाम की नीटू की प्रेमिका जिस के बारे में उसे पता चला था कि नीटू उस से शादी करने वाला है.

जब रजनी उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई तो नीटू का रास्ता साफ हो गया, लिहाजा उस ने शिखा से शादी कर ली. शिखा के परिवार वालों ने नीटू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही उन्होंने अपनी तहरीर में आरोप लगाया कि उन की बेटी नाबालिग है. लेकिन शिखा ने अदालत में इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह बालिग है. इस पर अदालत ने उसे बालिग मान कर न सिर्फ नीटू के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया बल्कि उस की शादी को भी वैध करार दिया. इस दौरान नीटू के दोनों बच्चे गांव में उस के मातापिता के पास रहने लगे थे. तब तक नीटू ने परिवार के अलावा गांव वालों को इस बात की भनक नहीं लगने दी थी कि उस ने रजनी को छोड़ कर दूसरी लड़की से शादी कर ली है.

चूंकि रजनी उस के बच्चों की मां थी इसलिए नीटू कभीकभी उसे बच्चों से मिलाने के लिए अपने साथ गांव ले जाता था. रजनी पहली पत्नी थी और उस से नीटू का कानूनी तलाक भी नहीं हुआ था, इसलिए जब वह उस के साथ शारीरिक संबध भी बनाता रहता था. रजनी भी कभी इनकार नहीं कर पाती थी. इसी दौरान लीलू ने अपनी निजी जरूरत के लिए नीटू से 12 लाख रुपए लिए और कुछ समय बाद वापस करने का वादा कर दिया. लेकिन काफी दिन बीत जाने पर भी जब वह पैसे वापस नहीं कर पाया तो नीटू ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

आखिर एक दिन ऐसी नौबत आई कि नीटू व लीलू में इस बात को ले कर खटपट इतनी बढ़ गई कि नीटू ने उस का हिसाबकिताब चुकता कर उसे पार्टनरशिप से हटा दिया. लेकिन इस के बावजूद नीटू के उस पर 10 लाख रुपए बकाया रह गए. अब नीटू जब भी बच्चों से मिलने के लिए गांव जाता तो लीलू पर अपनी रकम वापस करने का दबाव डालता था. कुछ इंसान गलतियों से भी सीख नहीं लेते. नीटू भी ऐसा ही इंसान था. दौलत की चमक ने उस में अय्याशी की जो भूख पैदा कर दी थी, उसे पूरा करने के बावजूद वह अय्याशियों से बाज नहीं आया. लिहाजा 2019 आतेआते नीटू का अपने ही दफ्तर में काम करने वाली एक लड़की ज्योति पर दिल आ गया और उस ने ज्योति से आर्यसमाज मंदिर में शादी कर के उसे किराए के एक मकान में रख दिया.

वह कभी शिखा के पास चला जाता तो कभी ज्योति की बाहों का हार बन जाता. लेकिन एक दिन शिखा पर उस की तीसरी शादी का राज खुल गया तो शिखा से उस का झगड़ा शुरू हो गया. आखिर एक दिन शिखा ने पुलिस बुला ली. जिस के बाद शिखा ने 4 लाख रुपए ले कर नीटू को तलाक दे दिया. जब ज्योति को इस बात का पता चला कि उस से पहले नीटू 2 शादी कर चुका है और इस के अलावा भी कई लड़कियों के साथ उस के संबंध हैं तो 2019 खत्म होतेहोते उस ने भी नीटू से नाता तोड़ लिया और तलाक का आवेदन कर दिया. उधर लीलू नीटू के कर्ज को ले कर परेशान था. वह नीटू की पत्नी रजनी के लगातार संपर्क में था और नीटू की तीनों शादियों के बारे में उसे भी बता दिया था.

इसी बीच जब ज्योति नीटू को छोड़ कर चली गई तो एक बार फिर उसे औरत की जरूरत महसूस होने लगी. इस बार उस ने शादी डौट कौम पर जीवनसाथी की तलाश कर एक ऐसी लड़की के साथ शादी करने का फैसला किया जो उस के दोनों बच्चों को भी अपना सके. नीटू की तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गुरुग्राम में रहने वाली कविता भी जीवनसाथी खोज रही थी, जिस ने एक बच्चा होने के बाद अपने पति की शराब की लत से परेशान हो कर उसे तलाक दे दिया था. कविता संपन्न परिवार की लड़की थी. कविता के साथ बात आगे बढ़ी तो उस ने नीटू के दोनों बच्चों को अपनाने की सहमति दे दी. नीटू ने भी कविता की बेटी को पिता का नाम देने और उसे अपनाने की अनुमति दे दी.

सपना, सपना ही रह गया लौकडाउन के दौरान 20 मई को परिवार वालों की मौजूदगी में नीटू ने कविता से शादी कर ली. शादी के बाद नीटू कविता को ले कर अपने गांव भी गया और उसे दोनों बच्चों से भी मिलाया. नीटू ने फैसला कर लिया था कि कोरोना का चक्कर खत्म होने के बाद जब लौकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाएगा तो दोनों बच्चों व कविता को उस की बेटी के साथ दिल्ली के मकान में ले आएगा. फिलहाल कविता अपनी बेटी के साथ अपने मायके में ही रह रही थी. इस दौरान सुधीर उर्फ लीलू के जरिए रजनी को यह बात पता चल गई कि नीटू ने फिर से चौथी शादी कर ली है.

इस बार उस ने जिस लड़की से शादी की है वो नीटू के परिवार को भी काफी पसंद आई है तो रजनी अपने भविष्य को ले कर चिंता में पड़ गई. क्योंकि नीटू ने एक तो उसे छोड़ दिया था, ऊपर से उसे खर्चा भी नहीं देता था. अगर कविता से उस के संबध सही रहे तो उस के दोनों बच्चे भी उस के हाथ से चले जाएंगे. ऐसे में न तो उसे नीटू की प्रौपर्टी में से कोई हिस्सा मिलेगा न ही उसे बच्चे मिलेंगे. लिहाजा उस ने लीलू को दिल्ली बुला कर कोई ऐसा उपाय करने को कहा जिस से उसे नीटू की प्रौपर्टी में हिस्सा मिल जाए. लीलू तो पहले ही नीटू से छुटकारा पाने की सोच रहा था. लिहाजा उस ने रजनी से कहा कि अगर नीटू की हत्या करा दी जाए तो न सिर्फ उस से छुटकारा मिल जाएगा बल्कि उस की प्रौपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी.

एक बार इंसान के दिमाग में खुराफात समा जाए तो फिर अपने लालच को पूरा करने के लिए वह उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेता है. रजनी ने लीलू से कहा कि अगर वह किसी कौंट्रेक्ट किलर से नीटू की हत्या करवा दे तो वह केवल नीटू का दिया कर्ज माफ कर देगी बल्कि नीटू का निहाल विहार वाला दूसरा मकान जिस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है, उस के नाम कर देगी. साथ ही उस ने ये भी कहा कि हत्या कराने के लिए जो भी खर्च आएगा वो उस का भी आधा खर्च उसे दे देगी. लीलू तो पहले ही अपने कर्ज से मुक्ति और नीटू से बदला लेने के लिए किसी ऐसे ही मौके की तलाश में था, अब तो उसे बड़ा फायदा होने की भी उम्मीद थी, लिहाजा उस ने रजनी की बात मान ली.

सुधीर उर्फ लीलू ने विकास की हत्या करने के लिए कौन्ट्रैक्ट किलर से संपर्क किया. बागपत के ही रोहित उर्फ पुष्पेंद्र, सचिन और रवि से उस की पुरानी जानपहचान थी. उस ने इस काम के लिए उन तीनों को 6 लाख की सुपारी देना तय किया. 3 लाख रुपए एडवांस दे दिए. लीलू ने उन्हें बता दिया था कि नीटू दिल्ली से अपने गांव आने वाला है, गांव में उस की हत्या को अंजाम देना है. 19 जून को दिन में ही लीलू ने हत्यारों को फोन कर के बता दिया था कि नीटू अपने घेर में बोरिंग करवा रहा है. घेर में उसे मारना बेहद आसान है, इसलिए आज ही मौका देख कर उस का खात्मा कर दें. शाम को रोहित नाम का बदमाश गांव में आया और लीलू से मिला. लीलू ने उसे नीटू का घेर दिखा दिया और अपने साथ ले जा कर रोहित को नीटू की शक्ल भी दिखा दी. उस के बाद वे लोग चले गए.

रात को करीब साढे़ 8 बजे जब पूरी तरह अंधेरा छा गया तो रोहित अपने दोनों साथियों रवि और सचिन के साथ स्पलेंडर बाइक पर गमछे बांध कर घेर पर पहुंचा और विकास उर्फ नीटू की गोली मार कर हत्या कर दी. पुलिस ने पूछताछ के बाद अभियुक्त रोहित के कब्जे से 1 लाख 20 हजार रुपए, घटना में प्रयुक्त एक स्पलेंडर बाइक, एक तमंचा 315 बोर और 2 जिंदा कारतूस बरामद कर लिए, जबकि नीटू की हत्या की सुपारी देने वाले आरोपी सुधीर उर्फ लीलू से 2 लाख रुपए नकद और स्कोडा कार बरामद हुई.  रजनी से 4 हजार रुपए बरामद किए गए.

रोहित से पूछताछ में पता चला कि 12 जून, 2020 को उस ने अपने 2 साथियों के साथ अब्दुल रहमान उर्फ मोनू पुत्र बाबू खान, निवासी बावली जोकि खल मंडी में एक आढ़ती के पास पल्लेदार का काम करता है, से 93,500 रुपए लूट लिए थे, इन्हीं पैसों से उन्होंने नीटू की हत्या के लिए हथियार खरीदे थे क्योंकि घटना को अंजाम देने के लिए हथियारों की व्यवस्था करने का काम शूटर्स का ही था. नीटू हत्याकांड के तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. 2 फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस  प्रयास कर रही थी.

—कथा पुलिस व पीडि़त परिवार से मिली जानकारी पर आधारित

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