Extramarital Affair : समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली को इतना प्यार करता थ कि उस ने उस की खातिर अपने मांबाप और भाइयों को घर से निकाल दिया था. पूरी तरह स्वतंत्र हो जाने पर श्यामली के कदम बहक गए. फिर एक दिन उस ने पति को उस के विश्वास का ऐसा सिला दिया कि…

रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उस समय तक अधिकांश लोग गहरी नींद में खर्राटे भरते नजर आते हैं. लेकिन उस समय भी अगर किसी के घर से अचानक ही गोली चलने की आवाज आए तो नींद में खलल तो पड़ ही जाती है और उन लोगों की नींद उड़ ही जाती है, गोली की आवाज सुन कर अच्छेअच्छों के हौसले पस्त हो जाते हैं. उस समय जिस घर में गोली चली थी, वह समीर बिस्वास का घर था. जिला ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप मुखर्जी नगर में 25 वर्षीय समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली और अपने 3 वर्षीय बेटे देव के साथ रहता था. जबकि उस के पिता निताई बिस्वास ट्रांजिट कैंप के नजदीक ही अरविंद नगर में अपनी बीवी अनीता बिस्वास और 2 बेटों सुकीर्ति और विष्णु के साथ रहते थे.

उस समय समीर बिस्वास अपने मकान के एक कमरे में अकेला ही सोया था. उस की बीवी अपने बेटे देव को साथ ले कर अपनी सहेली के साथ ही अपने बैडरूम में सोई थी. घर में अचानक गोली चली तो सब से पहले श्यामली ही चीखी थी. उस की चीख सुन कर लोगों को लगा कि समीर के घर में बदमाश घुस आए हैं और बदमाशों ने किसी को गोली मार दी. घर में कोहराम मचा तो समीर बिस्वास की छत पर सो रहे उस के 2 दोस्त सूरज और छोटू भी छत से नीचे जाने वाली सीढि़यों की ओर दौड़े. लेकिन उन सीढि़यों पर नीचे से कुंडी लगी होने के कारण उन के सामने मजबूरी आ खड़ी हुई. फिर दोनों पड़ोसी के घर में प्रवेश कर उस की दीवार फांद कर समीर के कमरे  में जा पहुंचे.

सूरज और छोटू ने देखा कि समीर अपने बैड पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. जबकि उस की पत्नी श्यामली उसी के पास खड़ी बुरी तरह से दहाड़ मार कर रो रही थी. समीर के घर में रात में चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी इकट्ठे हो गए थे. लेकिन कोई भी यह नहीं समझ पा रहा था कि बदमाशों ने समीर की हत्या क्यों कर दी. अभी लोग इस मामले को पूरी तरह से समझ भी नहीं पाए थे कि उसी समय श्यामली रोतीबिलखती दूसरे कमरे में बंद हो गई. उस को कमरे में इस तरह से बंद होते देख सभी लोग हैरत में पड़ गए. लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि  उसे अचानक क्या हो गया.

तभी किसी ने खिड़की से झांक कर देखा तो श्यामली अपनी चुनरी को पंखे से बांध रही थी. जिस से लोगों को समझने में देर नहीं लगी कि वह पंखे से लटक कर आत्महत्या करने की कोशिश कर रही है. श्यामली की हरकतों को देख कर मौके पर मौजूद लोगों ने जैसेतैसे कर दरवाजा तोड़ कर उसे बाहर निकाला. उस के बाद उसे समझाने की कोशिश की. मृतक समीर बिस्वास के चाचा अर्जुन बिस्वास कांग्रेस पार्टी के नेता थे. अपने भतीजे की हत्या होने की बात सुनते ही अर्जुन बिस्वास भी तुरंत समीर के घर पर पहुंचे और थाना ट्रांजिट कैंप में इस सब की जानकारी दी. हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को यह सूचना सुबह लगभग 4 बजे मिली थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी सूचना पाते ही एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एसपी (सिटी) देवेंद्र पिंचा, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ अमित कुमार भी घटना स्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने काररवाई करते हुए समीर के कमरे की बारीकी से जांचपड़ताल की. समीर के माथे पर गोली लगी थी. समीर के शव को देख कर साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों ने समीर के गहरी नींद में सोने के दौरान ही गोली मारी थी. खून उस के चेहरे से होते हुए सारे बिस्तर पर फैल चुका था. पुलिस ने उस कमरे की पड़ताल की जिस में श्यामली ने पंखे में चुनरी बांध कर खुदकुशी करने का ढोंग ही किया था. पुलिस ने उस के परिवार वालों से समीर और उस की बीवी के बारे में जानकारी जुटाई तो इस केस ने अलग ही मौड़ ले लिया.

समीर के परिवार वालों ने पुलिस को जानकारी देते हुऐ बताया कि समीर और श्यामली ने अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व प्रेमविवाह किया था. शादी के बाद इन दोनों के बीच कुछ समय तक तो सब कुछ सही रहा, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच खटपट रहने लगी थी. उसी के चलते समीर की बीवी ने उसे परिवार से भी अलगथलग कर दिया था. उस के बाद वह न तो उसे किसी परिवार वाले से मिलनेजुलने देती थी और न ही किसी को अपने घर आने देती थी. परिवार वालों ने बताया कि श्यामली का चरित्र ठीक नहीं था. समीर की गैरमौजूदगी में उस के घर पर कुछ संदिग्ध लोगों का आनाजाना था. उस के किसी अन्य युवक के साथ अवैध संबंध थे. जिस का समीर विरोध करता था. जिस के कारण ही समीर की हत्या हुई.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. समीर की लाश को पोस्टमार्टम भेजने के बाद ही पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली के साथ रात गुजारने वाली उस की सहेली प्रियंका से भी पूछताछ की. लेकिन प्रियंका ने बताया कि वह स्वयं ही अपनी सहेली के घर मिलने के लिए आई थी. जिस के बाद वह रात का खाना खा कर सो गई थी. उस के सोने के बाद समीर के साथ क्या घटना घटी उसे कुछ नहीं मालूम. इस मामले की बाबत पुलिस ने श्यामली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात समीर और उस के दोस्तों सूरज और छोटू ने खाना खाया और उस के बाद सूरज और छोटू मकान की छत पर जा कर सो गए.

वह अपने बेटे देव को अपने साथ ले कर सहेली प्रियंका के साथ अलग कमरे में सो गई थी. जबकि समीर अपने कमरे में अकेला ही सोया था. रात के समय उस ने अपने घर में  गोली चलने की आवाज सुनी तो वह बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह अपनी सहेली प्रियंका के साथ कमरे से बाहर निकली तो उस ने घर से बाहर कुछ लोगों को भागते हुए देखा था. समीर को मरा देख कर वह खुद पर भी कंट्रोल नहीं कर पाई थी, जिस के बाद उस ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया. उस की काल डिटेल्स देखी तो आखिरी बार रात के 2 बजे के समय एक नंबर पर उस की बातचीत हुई थी, वह नंबर किसी विश्वजीत राय के नाम से फीड था.

पुलिस ने श्यामली से विश्वजीत राय से रात में बात करने का कारण पूछा तो वह कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाई. विश्वजीत का नाम सुनते ही उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. उस के बाद पुलिस श्यामली को पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने में पहुंचते ही श्यामली डर गई और सब कुछ बताने को राजी हो गई. श्यामली ने बताया कि उस के विश्वजीत से नाजायज संबंध थे. उन्हीं संबंधों के चलते उस ने प्रेमी के सहयोग से पति की हत्या करा दी. हत्या के इस केस की जो सच्चाई उभर कर सामने आई वह दोस्ती, प्यार, शादी और उस के बाद बेवफाई से जुड़ी एक हैरतअंगेज कहानी थी—

अब से कई साल पहले श्यामली के पिता प्रवास बिस्वास का परिवार बंगाल से आ कर रुद्रपुर और गदरपुर के बीच बसे दिनेशपुर में आ कर रहने लगा था. दिनेशपुर आने के बाद उस की बीवी अपर्णा बिस्वास 2 बच्चों, बेटी श्यामली और बेटे संजीत की मां बन गई. दिनेशपुर में बाहुल्य आबादी बंगालियों की ही है. बंगाल से आने के बाद इन लोगों ने यहां पर स्थानीय लोगों के यहां पर मेहनतमजदूरी करनी शुरू की. इन लोगों में ही कुछ लोग इतने समर्थ थे कि उन्होंने यहां पर कुछ जमीनें खरीदीं और कुछ ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर खेतीबाड़ी का काम शुरू किया. जिस के साथ ही इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरती गई.

इन के आने से पहले यहां के किसान अपनी जमीन से 2 ही फसलें लेते थे. रवि और खरीफ  की. इन लोगों ने यहां पर तीसरी फसल को जन्म दिया. वह थी बेमौसमी धान की फसल. गेहूं की फसल कटते ही धान को लगाया जाता था. जिस के कारण किसानों को एक और फसल से आमदनी बढ़ गई थी. उसी धान की पौध लगाई के दौरान समीर बिस्वास की मुलाकत श्यामली से हुई थी. समीर के पिता निताई बिस्वास का परिवार भी बंगाल से आ कर रुद्रपुर में बस गया था. निताई बिस्वास के 5 बच्चो में से समीर तीसरे नंबर पर था. अब से तकरीबन 7 साल पहले ही श्यामली और समीर के बीच दोस्ती हुई थी. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल कर शादी तक आ पहुंची. लेकिन समीर की मम्मी अनीता बिस्वास को श्यामली पसंद नहीं थी.

समीर का श्यामली के बिना एक पल भी रहना नामुमकिन था. अनीता बिस्वास ने अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए उसे श्यामली से दूरी बनाने को कहा तो मां भी उसे दुश्मन लगने लगी थी. यही बात श्यामली के साथ भी आड़े आ रही थी. श्यामली अपने मांबाप की एकलौती बेटी थी. वह भी समीर के बजाय श्यामली की शादी ऐसे घर में करना चाहते थे ताकि उस की गृहस्थी में किसी प्रकार की अड़चन न आए. हालांकि समीर बिस्वास और श्यामली दोनों ही एक ही बिरादरी के थे, लेकिन श्यामली के घर वालों को भी समीर पसंद नहीं था. समीर जिद्दी किस्म का युवक था. यही कारण था कि उस ने अपने मांबाप की एक न मानी और श्यामली से शादी करने पर अड़ गया. हालांकि दोनों के परिवार वाले इस के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. और सन 2013 में दोनों की शादी करा दी गई.

श्यामली निताई बिस्वास परिवार की बहू बन कर आई तो घर में खुशियां छा गईं. शादी हो जाने के बाद श्यामली ने समीर के साथसाथ अपने सासससुर और अन्य परिवार वालों का पूरी तरह से ध्यान रखा. शादी के 3 साल बाद वर्ष 2016 में श्यामली ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम उन्होंने देव रखा. दोनों के बीच सब कुछ ठीक ही चल रहा था. समीर के  परिवार वालों ने दिन रात कड़ी मेहनत कर के काफी पैसा कमाया था. जिस के बाद उन्होंने थाना ट्रांजिट कैंप अंतर्गत अरविंद नगर में शानदार मकान भी बना लिया था. उसी दौरान समीर कच्ची शराब बेचने के धंधे से जुड़ गया. समीर को शराब बेचने से मोटी आमदनी होने लगी, आमदनी में इजाफा होने पर श्यामली के भी पर लग गए.

उस के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया था. समीर को दिनभर में जो भी कमाई होती थी, वह उसे श्यामली के हाथ पर ला कर रख देता था. जिस के कारण श्यामली के व्यवहार में काफी अंतर आने लगा था. वह खुले हाथ से पैसा खर्च करने लगी थी. हालांकि इस बात से समीर को कोई फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन यह सब उस के मातापिता की बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. उन्होंने कई बार इस बात की शिकायत समीर से की. लेकिन समीर हमेशा ही अपने परिवार वालों की बातों को हल्के में लेता रहा. तब उन्होंने श्यामली को समझाने की कोशिश की. श्यामली तो पति की सारी कमाई पर अपना ही अधिकार समझती थी. इसलिए सासससुर के समझाने की बात उसे बुरी लगती थी. लिहाजा उस का सासससुर से मनमुटाव रहने लगा था.

वह बातबात पर अपनी सास को खरीखोटी भी सुनाने लगी थी. उस समय समीर को केवल कमाई ही दिखाई दे रही थी. उस के काम का दायरा बढ़ा तो उस ने अपनी सहायता के लिए 2 लड़कों सूरज और छोटू को भी अपने पास रख लिया. उसी दौरान विश्वजीत राय भी समीर के संपर्क में आया. विश्वजीत इलेक्ट्रीशियन था. विश्वजीत गुलरभोज (गदरपुर) का रहने वाला था. लेकिन कुछ समय बाद उस ने भी रुद्रपुर की नारायण नगर कालोनी में अपना मकान बना लिया था. समीर के घर की लाइट की फिटिंग भी उसी ने की थी. विश्वजीत समीर के संपर्क में आया तो उस की आमदनी भी बढ़ गई थी. शराब बेचने से हुई मोटी आमदनी से विश्वजीत ने बिजली फिटिंग का काम छोड़ दिया.

उस के बाद वह हर समय समीर के साथ ही उस के शराब के धंधे में लगा रहने लगा था. काम खत्म हो जाने के बाद विश्वजीत राय, सूरज और छोटू अकसर खानापीना समीर के घर पर ही किया करते थे. श्यामली तीनों को खाना बना कर खिलाती थी. लेकिन श्यामली को पति के परिवार वाले दुश्मन नजर आने लगे थे. समीर और विश्वजीत में गहरी दोस्ती भी हो गई थी. उसी दौरान श्यामली उस को अपना दिल दे बैठी. उन दोनों के बीच फोन पर खूब बातें होती थीं. समीर की गैरमौजूदगी में श्यामली विश्वजीत को अपने घर में ही बुलाने लगी थी. यह बात उस के ससुराल वालों को नागवार गुजरी. जिस के कारण समीर के घर की शांति भंग हो गई. श्यामली ने अपनी सास की शिकायत पति से करते हुए कहा कि वह उसे चरित्रहीन कहती है. समीर अपनी बीवी के प्रति एक भी बुराई सुनने को तैयार न था. नतीजन समीर अपने मातापिता को बुराभला कहने पर उतर आया था.

विश्वजीत के कारण समीर के घर में इतना विवाद बढ़ा कि अपनी बीवी के कहने पर उस ने अपनी मम्मीपापा और 2 छोटे भाइयों विष्णु और सुकीर्ति को भी घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिस के बाद 6 कमरों का मकान छोड़ कर उस के परिवार को ट्रांजिट कैंप दुर्गा मंदिर के पास किराए के मकान में रहने पर मजबूर होना पड़ा. जिस औलाद की जिद के आगे हार मान कर उन्होंने उस की शादी उस की मरजी से कराई, आज उसी कपूत ने उन्हें धक्का मार कर घर से निकाल दिया था. श्यामली की जिंदगी में विश्वजीत के आगमन के दौरान ही समीर की गृहस्थी में भी ग्रहण लगना शुरू को गया था. अपनी ससुराल वालों को घर से निकालने के बाद श्यामली समीर की गैरमौजूदगी का लाभ उठाते हुए विश्वजीत के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

जब कभी भी वह घर में अकेली होती तो वह फोन कर के विश्वजीत को बुला लेती और उस के साथ अय्याशी करती. विश्वजीत के संपर्क में आने के बाद श्यामली ने बीयर पीनी भी सीख ली थी. जब कभी भी समीर किसी काम से घर से बाहर जाता तो वह विश्वजीत को अपने घर बुला लेती और फिर सारी रात शराब और शबाव का दौर चलता. समीर की आंखों पर अभी भी श्यामली के प्यार की काली पट्टी बंधी हुई थी. श्यामली समीर की शराफत का लाभ उठाते हुए उस की कमाई का ज्यादातर हिस्सा विश्वजीत पर उड़ाने लगी थी. लेकिन समीर ने कभी भी पत्नी से घर के खर्च का हिसाबकिताब नहीं मांगा था. समीर अपनी बीवी के प्यार में इतना पागल था कि श्यामली ने उस से बीयर लाने की मांग की तो वह डिमांड भी उस ने पूरी की.

उस के बाद दोनों ही मियांबीवी रात में बीयर साथसाथ पीने लगे थे. बीयर पीने से समीर को तो कुछ नहीं हो पाता था, लेकिन श्यामली बीयर के नशे में टल्ली हो कर अपने दिल का पन्ना खुला ही छोड़ कर सो जाती थी. उसी खुले पन्ने के कारण एक दिन श्यामली की हकीकत भी समीर के सामने आ गई. एक रात श्यामली ने समीर के साथ ही बीयर पी और फिर उस ने समीर को सोया जान कर विश्वजीत को फोन मिला दिया. उस रात समीर को उस की हकीकत जान कर बहुत ही गहरा झटका लगा. समीर को उस रात अपनी बीवी की हकीकत पता चली तो वह खून के आंसू रोया. उस के बाद भी उसे विश्वजीत पर ही गुस्सा आया. लेकिन रात अधिक हो जाने के कारण वह कुछ भी नहीं कर सकता था.

अगले दिन सुबह होते ही वह सब कुछ काम छोड़छाड़ कर विश्वजीत से मिला. उस ने उसे समझाते हुए उस की बीवी से फोन पर बात न करने को कहा. उसी दौरान उस की विश्वजीत से कहासुनी भी हुई. उस के बाद समीर अपने घर आया और अपनी बीवी श्यामली को रात की हकीकत बता कर विश्वजीत से बात न करने की चेतावनी दी. पति के समझाने पर श्यामली तो ऐसी अंजान सी बन गई थी कि जैसे वह कुछ जानती ही नहीं. उस के बाद से समीर के आंखकान चौकन्ना हो गए थे. लेकिन समीर 24 घंटों में अपनी बीवी की कितने घंटे चौकसी कर सकता था.

समीर के समझाने के बाद भी वह प्रेमी से मोबाइल पर घंटों बात करती थी. बात करने के तुरंत बाद ही विश्वजीत की काल हिस्ट्री को डिलीट भी कर देती थी. उसी दौरान एक दिन श्यामली से वही गलती हुई जो मियांबीवी में विवाद का कारण बनी. जिस के कारण दोनों की बसीबसाई गृहस्थी में पूरी तरह से आग लग गई. श्यामली के प्रति समीर का विश्वास टूटा तो दोनों की जिंदगी में प्रलय आ गई. लिहाजा अगली सुबह समीर उसे उस के मायके छोड़ आया. श्यामली को मायके छोड़ने के कुछ समय बाद तक उस ने उसे कोई बात भी नहीं की. उस के कई महीनों बाद उस के ससुराल वालों ने उसे बुला कर ले जाने को कहा तो समीर ने उसे लाने से साफ मना कर दिया.

उस के बाद उस की ससुराल वालों ने समीर के परिवार वालों को बुला कर गांव में ही पंचायत की. श्यामली ने भरी पंचायत में अपनी गलती की माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही. उस के बाद श्यामली फिर से समीर के साथ रहने लगी थी. मायके से आने के कुछ दिनों तक तो श्यामली ठीकठाक रही. लेकिन एक बार 2 दिलों में आ चुकी दरार पूरी तरह से भर नहीं पाई. और समीर भी उसे पहला प्यार नहीं दे पा रहा था. जिस के कारण उस के मन में समीर के प्रति बसी छवि धूमिल होती चली गई. वहीं दूसरी ओर विश्वजीत उस की जिंदगी में बहार बन कर उस के सपनों का राजकुमार बन गया. यही कारण रहा है कि कुछ समय बाद ही फिर से वह चोरीछिपे विश्वजीत राय से  मिलनेजुलने लगी थी.

उसी मिलनेजुलने के दौरान श्यामली ने विश्वजीत के सामने प्यार के आंसू बहाते हुए किसी भी तरह से समीर को अपनी जिंदगी से निकालने वाली बात कही. विश्वजीत भी श्यामली को हद से ज्यादा प्रेम करने लगा था. वह किसी भी कीमत पर उसे अपनी बीवी के रूप में देखना चाहता था. लिहाजा वह समीर रूपी कांटे को हटाने के लिए तैयार हो गया. इस हत्याकांड को अंजाम देने से एक सप्ताह पूर्व ही श्यामली ने अपने प्रेमी विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुना. इस अंजाम को अमलीजामा पहनाने के लिए श्यामली ने घर में रखे 50 हजार रुपए खर्च वास्ते विश्वजीत को दिए.

विश्वजीत ने उन्हीं 50 हजार रुपए में से दिनेशपुर से 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस खरीदे. हालांकि श्यामली ने विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुन तो लिया था. लेकिन अंजाम को सोच कर वह बारबार परेशान हो रही थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि इतनी बड़ी बारदात को अंजाम देने के बाद अपने में कैसे हिम्मत जुटाएगी. उसी समय 18 जून, 2020 को उस की मुलाकात उस की एक पुरानी सहेली प्रियंका से हुई. प्रियंका कई दिन से उसी के नजदीक रहने वाली राधिका नाम की सहेली के साथ रह रही थी. वह प्रियंका से मिली तो उस ने श्यामली के सामने अपनी दिल की पीड़ा सुनाते हुए उसे अपने साथ रखने वाली बात कही. श्यामली उस की परेशानी सुन कर उसे अपने घर ले आई.

प्रियंका के आ जाने से श्यामली का मनोबल भी बढ़ गया था. एक सप्ताह पहले समीर की हत्या की साजिश रचने के बाद श्यामली पूरी तरह से सतर्क हो गई थी. 19 जून 2020 की शाम को श्यामली ने समीर के मोबाइल पर फोन कर कहा कि उस की सहेली प्रियंका भी बीयर पीती है. आज रात वह हमारे ही साथ रहेगी. इसीलिए वह बीयर की 3 केन ले कर आए. श्यामली के कहने पर समीर उस शाम वियर की 3 केन ले कर आया. उस दिन समीर के साथ काम करने वाले युवक सूरज और छोटू भी घर पर ही रुक थे. उस दिन श्यामली ने शाम को जल्दी ही खाना बनाया और समीर के आते ही उस ने सूरज और छोटू को खाना खिला कर ऊपर छत पर सोने के लिए भेज दिया था. उस के बाद समीर, श्यामली और प्रियंका तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद तीनों ने एक जगह बैठ कर बीयर पी.

बीयर पीने के कुछ समय बाद ही समीर नींद में झूमने लगा. श्यामली ने समीर की बीयर में नींद की गोलियां मिला दी थीं. समीर के गहरी नींद में सोने के बाद ही उस ने विश्वजीत को फोन कर के उस की लोकेशन का पता किया. उस के बाद भी वह बारबार छत पर जा कर सूरज और छोटू के सोने का जायजा लेती रही. उस समय सूरज और छोटू भी शराब पी कर सोए थे. नशे में होने के कारण वह दोनों भी शीघ्र ही सो गए थे. उन दोनों के सोते ही जब श्यामली को पूरा विश्वास हो गया कि वह दोनों भी गहरी नींद में सो चुके हैं तो उस ने जीने का दरबाजा अंदर से बंद कर दिया. उस के बाद उस ने अपने प्रेमी विश्वजीत राय को फोन कर शीघ्र आने को कहा.

श्यामली का फोन आने के तुरंत बाद ही विश्वजीत अपने 2 साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ रात के कोई 2 बजे के आसपास उस के घर के पास पहुंचा. उस के घर के पास पहुंचते ही मछली बाजार के नजदीक विश्वजीत ने अपनी बाइक रोकी और फिर से श्यामली से फोन पर बात कर स्थिति का सही आंकलन किया. उस के बाद विश्वजीत अपने साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ समीर के घर पहुंचा. श्यामली ने पहले से ही घर की दूसरी ओर खुलने वाला दरवाजा खुला छोड़ दिया था. उसी रास्ते से तीनों अंदर आ गए. अंदर जाते ही विश्वजीत ने गहरी नींद में सोए समीर के माथे पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. माथे पर गोली लगते ही समीर की तुरंत ही मौत हो गई.

समीर की हत्या करने के बाद विश्वजीत अपने साथियों के साथ पीछे वाले दरवाजे से ही निकल गया. समीर की हत्या हो जाने के बाद श्यामली की हिम्मत जवाब दे गई. जब उस ने समीर को रक्तरंजित हालत में देखा तो वह बुरी तरह से घबरा गई थी. उस के बाद प्रियंका ने उसे हिम्मत बंधाई और धैर्य रखने वाली बात कही. उस समय तक घर में गोली चलने की आवाज सुन कर छत पर सो रहे सूरज और छोटू भी पड़ोसी की छत से कूद कर नीचे आ गए थे. सूरज और छोटू के पूछने पर श्यामली ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले ही कुछ बदमाश घर में घुस आए थे, जिन्होंने आते ही समीर को गोली मार उस की हत्या कर दी और फिर फरार हो गए.

कुछ समय बाद ही पड़ोसी और समीर के मातापिता भी घर पहुंच गए थे. जब श्यामली कोई निर्णय नहीं ले पाई तो उस ने दूसरे कमरे में जा कर पंखे से चुन्नी बांधी और आए लोगों को उलझाने के लिए उस ने अपने को भारी सदमे में दिखा कर खुदकुशी करने का ड्रामा किया. लेकिन पुलिस की जांचपड़ताल के दौरान पंखे से लटकने वाली बात केवल उस का दिखावा ही था. श्यामली द्वारा अपना जुर्म कबूलते ही पुलिस ने इस केस में तीव्रता दिखाते हुए मात्र 9 घंटे में ही उस के प्रेमी विश्वजीत राय, उस के साथी शिबू अधिकारी और महेश सरकार को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही पुलिस ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा, बीयर में डाली गई नशे की बाकी बची 3 गोलियां और घटना में इस्तेमाल बाइक भी बरामद कर ली थी.

केस का खुलासा होते ही पुलिस ने इस मामले में हत्याकांड के मुख्य आरोपी श्यामली के प्रेमी विश्वजीत राय पुत्र शिबू अधिकारी, महेश सरकार, मृतक की बीवी श्यामली बिस्वास के खिलाफ आईपीएस की धारा 302/3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 20 जून को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस मामले के खुलासे के बाद एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने इस केस की जांचपड़ताल में लगी पुलिस टीम में शामिल सीओ अमित कुमार, थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी, एसआई विजय सिंह, प्रदीप शर्मा, कौशल भाकुनी, अर्जुन गिरि, मनोज कुमार, धीरज वर्मा, नीरज शुक्ला, नरेश जोशी, नीरज भोज, दिनेश चंद्र, राकेश उप्रेती, जितेंद्र चौहान, मुकेश मेहरा, गोकुल टम्टा आदि को ढाई हजार रुपए का ईनाम दे कर सम्मानित किया. इस केस की तफ्तीश स्वयं थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कर रहे थे.

 

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