Maharashtra Crime : पूजा की जिंदगी में गैरमर्द की दखल बढऩे के साथ ही पति विजय के साथ किए गए कसमेवादे राख हो गए. जब इस पर कांस्टेबल पति ने सवाल उठाया तब पत्नी ने तलवार निकाल ली…और फिर जो हुआ, उस की सरल जिंदगी गुजारने में विश्वास रखने वाले कांस्टेबल ने कल्पना तक नहीं की थी…
कांस्टेबल विजय चव्हाण पत्नी पूजा से बेहद प्रेम करता था और उसे हरसंभव खुश रखने की कोशिश करता था. उस के चेहरे पर मुसकान देख कर वह अपनी थकान भूल जाता था. उन दोनों को जो भी देखता था, वह उन के बीच के प्रेमसंबंध की तारीफ किए बिना नहीं रहता था. पासपड़ोस के लोग उन्हें एक आदर्श दंपति मानते थे. उन का दांपत्य जीवन परवान चढऩे लगा था. जितना खुशमिजाज विजय था, उतनी ही हसीन दिलरुबा पूजा थी. उन की दिनचर्या एकदूजे के सलाहमशविरे के साथ शुरू होती थी. सारे कामकाज सहजता से निपटते रहते थे और रात एकदूजे के आलिंगन में गुजर जाती थी.
किंतु जब विजय अपनी ड्यूटी पर होता, तब वह अपने काम के दबाव में रहता, घरद्वार को भूल कर काम में उलझा रहता, जबकि पूजा घर में अकेले होती. समय गुजारने के लिए एकमात्र सहारा मोबाइल था. उस पर फिल्में, सीरियल्स, रील्स, यूट्यूब, तरहतरह की विडियो क्लिपिंग्स आदि देख कर मन बहलाती थी. ऐसे में कई बार वह किसी से बातें करने को तरसती रहती. उस की भावनाएं और दिल की बातें दिल में ही रह जातीं. महानगरीय जिंदगी में सभी तरह सुविधाएं हो कर भी यह एक तरह की कड़वाहट आमतौर पर हर किसी की जिंदगी में किसी न किसी रूप में होती ही है. इस का असर पूजा पर भी हुआ था. हालांकि इस का भी उस ने मोबाइल से समाधान निकाल लिया था. हुआ यह था कि एक बार उसे एक अनजान नंबर से काल आई.
”हैलो! कैसी हो पूजा?’’ दूसरी तरफ से आवाज आई.
”कौन बोल रहे हैं? और तुम्हें मेरा नाम कैसे पता है?’’ पूजा अकचका गई.
”अरे, तुम भूल गई इतनी जल्दी? मैं भूषण हूं…भूषण!’’ फोन करने वाला बोला.
”अच्छा भूषण ब्राह्मïणे!’’ पूजा बोली.
”हांहां सही पहचाना. क्या हो रहा है, मजे में जिंदगी गुजर रही है?’’
”अरे क्या मजे की जिंदगी, दिन में घर पर अकेली पड़ी रहती हूं. कोई बोलनेबतियाने वाला नहीं होता है…’’ पूजा निराशा से बोली.
”अरे मैं हूं न! आ गया हूं तुम्हारे शहर में ही. सिर्फ याद करो, हाजिर रहूंगा…गुलाम की तरह!’’ यह कहते हुए भूषण हंसने लगा.
”अच्छा जी!’’ पूजा खुश होती हुई बोली.
अचानक पूजा की जिंदगी में भूषण आ गया, वह पूजा को कई सालों से जानता था. वे आपस में मिलतेजुलते थे. उन के बीच दोस्ती थी. मन ही मन में भूषण उस से प्रेम करता था, लेकिन उस ने कभी अपने दिल की बात उसे बताई नहीं थी. इसी बीच पूजा की शादी हो गई. पूजा ससुराल आ गई. पति विजय को पा कर खुश थी. समय गुजरने के साथसाथ वह भूषण को लगभग भूल गई थी. अचानक उस का फोन आने पर उस के शांत मन में हलचल होने लगी.
दोनों काफी समय बाद मिले. फिर धीरेधीरे उन दोनों के बीच बातचीत बढ़ती चली गई. साथसाथ पुरानी यादें भी उजली होने लगीं. जानेअनजाने में उन के बीच नजदीकियां बढ़ गईं. भूषण ने पूजा को उस की इच्छाओं और सपनों की याद दिला कर उस की सोई हुई कामना और मनोकामना जगा दी थी. यही नहीं, उस ने उस की दबी काम वासना को भी भड़का दिया था. उसे लगने लगा कि भूषण उसे विजय से ज्यादा अच्छी तरह समझता है. वह उस के दिल के काफी करीब है. पति विजय से ज्यादा भूषण उसे सच्चा प्यार करता है.
उस से प्यार भरी बातें वाट्सऐप चैटिंग से होती थीं. पूजा इस से बेखबर थी कि उस की जानकारी दूसरे लोगों को भी हो सकती है और अगर विजय को मालूम हो गया, तब तो मानो उस के दांपत्य में कलह पैदा होनी निश्चित थी. एक बार जब दोनों युवा दिलों की धड़कनें प्रेम की धारा में बहने लगीं, तब वे सब कुछ भूल गए. एक समय ऐसा भी आया कि जब वे अनैतिक संबंधों के साथ वासना की आंधी में बह गए. कहते हैं न क्षण भर में लिया गया निर्णय जीवन भर पछतावे का कारण बन सकता है. ऐसा ही हुआ खुशहाल जीवन गुजार रहे दंपति पूजा और विजय के साथ. पूजा प्रेमी के प्यार में रंग चुकी थी. उस की बाहों में बेसुध हो जाती थी. वह पति की काल और मैसेज से अनजान हो जाती थी.
कई बार पति उस से शिकायती लहजे में कह चुका था कि उस ने काल क्यों नहीं रिसीव की? मिस काल का जवाब क्यों नहीं दिया? मैसेज क्यों नहीं देखा? इसे ले कर वह कई बार पूजा को डांट भी चुका था. वह उस के बदले व्यवहार से परेशान रहने लगा था. समझ नहीं पा रहा था कि उस की हर बात को मानने वाली पूजा उस की उपेक्षा क्यों करने लगी है? एक दिन ड्यूटी पर जाते वक्त डपटते हुए बोला, ”देख रहा हूं पूजा कि पिछले कई दिनों से तुम मेरे प्रति बेफिक्र होती जा रही हो. न तो मेरी पसंद का खाना पकाती हो और न मेरे कपड़े संभालती हो. आखिर क्या हो रहा है यह सब, मेरा फोन भी नहीं रिसीव करती हो. यह अच्छी बात नहीं है.’’
बड़बड़ाता हुआ विजय ड्यूटी पर चला गया. पूजा पर उस की बातों का कोई असर नहीं हुआ. उस के सामने मानो वह बहरी बन गई थी. उस के दिल और दिमाग पर तो प्रेमी भूषण का नशा चढ़ा हुआ था. उस के आगे पति फीका लगने लगा था. उस के साथ वह अपनी जिंदगी बेस्वाद समझने लगी थी. पूजा के बदले हुए व्यवहार को देख कर विजय को हैरानी हुई. उस की डांटडपट का भी कोई असर नहीं हुआ.
जबकि उस के साथ जब फोन पर बात होती तो तुरंत खत्म कर देती थी. जब भी विजय पूजा को काल करता, तब उस का फोन बिजी होता था, जो लंबे समय तक बना रहता था. इस बारे में पूछने पर पूजा बहाने बनाती हुई कभी रौंग नंबर तो कभी मार्केटिंग वाले का काल बता देती थी. बारबार झूठ बोलने से विजय को पूजा पर शक होने लगा. उस ने इस का पता लगाने की कोशिश की. एक दिन जब पूजा किचन में थी और उस का फोन चार्जिंग में लगा था. उस के फोन पर काल आने लगी. फोन साइलेंट मोड में था.
विजय उस पर अनजान नंबर देख कर चौंक गया. कुछ सेकेंड में ही मिस काल बंद हो गया, किंतु उस ने देखा उस नंबर से तुरंत वाट्सऐप मैसेज आया. स्क्राल कर वह मैसेज देखने लगा. तभी पूजा कमरे में आ गई और झपटते हुए फोन ले लिया. नाराजगी से बोली, ”क्या देखते हो मेरे फोन में? मैं तुम्हारा फोन देखती हूं कभी?’’
पूजा के फोन झपटने और डपटने के अंदाज से विजय का उस के प्रति शक और भी गहरा हो गया था. उस के बाद से विजय पत्नी के फोन काल और मैसेज पर नजर रखने लगा. जल्द ही उसे पता चल गया कि उस के पीछे पूजा क्या गुलछर्रे उड़ाती है. उस का जरूर किसी के साथ अफेयर चल रहा है. यह सब जान कर भी उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह जिस पूजा से बेहद प्यार करता है, वह किसी और से प्यार करने लगी है. फिर पता चल गया कि पूजा और भूषण ब्राह्मणे के बीच प्रेम संबंध शादी से पहले से चल रहे थे. अब वह अवैध संबंध फिर से कायम हो गए हैं. विजय ने इस पर दबी जुबान से आपत्ति जताते हुए पत्नी को समझाने की कोशिश की. उस पर भरोसा रखने को कहा. समाज, परिवार और संस्कार की बात की. किंतु इन सब का पूजा पर कोई असर नहीं हुआ.
एक दिन पूजा ने प्रेमी से कह दिया कि विजय को उन के संबंधों के बारे में पता लग चुका है, इसलिए अब हमें मिलने में ऐहतियात बरतनी होगी. पूजा ने यहां तक कह दिया कि अब छिपछिप कर मिलने में मजा नहीं आ रहा है.
”तो क्या किया जाए?’’ भूषण ने पूछा.
”कोई उपाय निकालो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’ पूजा बोली.
”तो तुम्हारा पति सांप है… कहीं हमें डंस लिया तो!’’ भूषण ने मजाक किया.
”इसीलिए तो कहती हूं…इस से पहले ही कुछ करो वरना देर हो जाएगी… हमारेतुम्हारे बीच वह दुश्मन बन चुका है, बातबात में भाषण देता है.’’ पूजा बोली.
”तुम्हीं बताओ, क्या किया जाए? तुम जो कहोगी मैं मानने को तैयार हूं. कहो तो यहां से भगा ले जाऊं?’’ भूषण मुसकराता हुआ बोला. पूजा को उस की एक तरह से सहमति मिल गई थी. धीमी आवाज में बोली, ”मेरे दिमाग में एक योजना है, कान इधर लाओ बताती हूं.’’
भूषण ने अपना कान उस की मुंह की ओर कर दिया. पूजा फुसफुसाती हुई कुछ बातें बोली. उस की योजना सुन कर भूषण बोल पड़ा, ”अरे वाह! तुम ने इतना कुछ सोच लिया. आगे का काम मैं संभाल लूंगा. जरूरत पड़ी तो किसी की मदद भी लूंगा. इस साल के अंतिम दिन नए साल के आगमन के जश्न के साथ काम भी पूरा हो जाएगा.’’
इस तरह से पूजा ने जो उपाय सोचा था, उसे सफल बनाने का काम भूषण के जिम्मे था. उस ने पूजा के दिमाग की तारीफ की और उस के मौसेरे भाई प्रकाश को अपने साथ कर लिया. साल 2024 का अंतिम दिन था. चारों तरफ नए साल के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं. विजय चव्हाण को भी उस रोज कुछ खास चाहत थी. वह शराब का शौकीन था, उस की सूखती हलक को शराब की जरूरत थी. दिसंबर 2024 की 31 तारीख के रात के साढ़े 11 बजे थे. उस रात प्रकाश चव्हाण, उस के साथी भूषण ब्राह्मणे और प्रवीण पानपाटिल की मुलाकात विजय चव्हाण से हुई. उन्होंने उसे नए साल के जश्न के लिए शराब पार्टी में आमंत्रित किया.
”अरे विजय दादा, आज नया साल आने वाला है. चलो, कुछ मजा करें!’’ प्रकाश के कहने पर विजय थोड़ा झिझका, लेकिन जब उस के दोस्तों ने उस से आग्रह किया तो वह उन्हें मना नहीं कर पाया.
उन्होंने जम कर नए साल के आगाज का जश्न मनाया. खूब शराब पी. उस के बाद रात में घनसोली रेलवे स्टेशन के पास एक ठेले पर नशे की हालत में जा पहुंचे. वहां उन्होंने बुर्जीपाव खाया. विजय पर शराब का नशा बहुत ज्यादा हावी हो चुका था. वह अद्र्धबेहोशी की हालत में था. उस के पैर चलते हुए लडख़ड़ा रहे थे. वे सुनसान रास्ते पर बढ़े जा रहे थे. प्रकाश ने भूषण की ओर देखा. भूषण ने इशारा समझ लिया और मुसकराया. इशारा पाते ही भूषण और प्रवीण ने नशे में धुत विजय का गला दबाना शुरू कर दिया. नशे में हट्ठाकट्ठा विजय शक्तिहीन बना रहा. उस की सांसें तुरंत बंद हो गईं और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.
योजना के मुताबिक विजय की मौत को दुर्घटना में बदलने की जरूरत थी. इस के लिए तीनों ने शव को घनसोली रबाले रेलवे ट्रैक पर फेंकने का फैसला किया. उन्होंने विजय के शव को अपनी गाड़ी में डाल दिया और रबाले से घनसोली के लिए रवाना हो गए. रेलवे स्टेशन के बीच जब ट्रैक के पास पहुंचे, उसी वक्त एक लोकल ट्रेन आ रही थी. भूषण ने अपने साथियों के साथ मिल कर विजय के शव को रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया. वहां से उन के जाने के बाद एक मोटरमैन यानी लोकल ट्रेन का ड्राइवर वहां से गुजर रहा था. उस ने लाश फेंकते हुए देख लिया था. उस ने वायरलेस सेट से इस की सूचना रेलवे पुलिस को दे दी.
नए साल 2025 के पहले दिन सुबह का समय था. ठाणे पनवेल लोकल के एक मोटरमैन ने घनसोली रेलवे स्टेशन पर तैनात एक पुलिस कांस्टेबल नागेश कदम को सूचित किया कि 2 अज्ञात लोगों ने रबाले और घनसोली स्टेशनों के बीच एक व्यक्ति को चलती ट्रेन के सामने धक्का दे दिया है. उस के बाद पुलिस कांस्टेबल नागेश ने इस की सूचना तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी. फिर वाशी रेलवे पुलिस स्टेशन के सीनियर इंसपेक्टर राजेश शिंदे, इंसपेक्टर संतोष माने (जांच अधिकारी), सचिन गावटे, विजय खेड़कर पुलिस टीम के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे.
घटनास्थल पर पुलिस ने देखा कि एक पुरुष का शव खून से लथपथ रेल ट्रैक के बीच में पड़ा हुआ था. पुलिस टीम तुरंत लाश ले कर नवी मुंबई के वाशी नगर निगम अस्पताल पहुंच गई. अस्पताल के डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जांच में शव के कपड़ों की तलाशी लेने पर मृतक के जेब से मिला पहचानपत्र देखने से चौंकाने वाला सच सामने आया. यानी कि खून से लथपथ मृत व्यक्ति कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि वह 42 साल का पुलिस कांस्टेबल विजय रमेश चव्हाण उम्र था.
आगे पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि वो पनवेल रेलवे पुलिस स्टेशन में पोस्टेड था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उस की हत्या 31 दिसंबर, 2024 की रात 9 बजे से 1 जनवरी, 2025 की सुबह साढ़े 5 बजे के बीच हुई थी. इस मामले में पहली जनवरी, 2025 को वाशी रेलवे पुलिस स्टेशन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1), 3(5) के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया. इस मामले की जांच के लिए लौह मार्ग पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में अपराध शाखा की विशेष टीमों का गठन किया गया था. तकनीकी जांच, सीसीटीवी फुटेज और खुफिया जानकारी के आधार पर पुलिस के हाथ एक बड़ी जानकारी लग गई. यानी इस अपराध में मृतक विजय चव्हाण की पत्नी पूजा का मौसेरा भाई प्रकाश उर्फ धीरज चव्हाण का हाथ होने की संभावना पैदा हो गई है.
पुलिस ने विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चला कर सब से पहले प्रकाश उर्फ धीरज गुलाब चव्हाण (उम्र 23 वर्ष) को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान प्रकाश गुलाब चव्हाण ने अपराध कबूल कर लिया. उस की निशानदेही पर उस के अन्य साथियों को धुले और नवी मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया. विजय चव्हाण की पत्नी पूजा चव्हाण को भी पति के कत्ल की साजिश में शामिल पाए जाने पर गिरफ्तार कर लिया गया. फिर उन्हें पुलिस थाने ला कर गहनता से पूछताछ की गई तो प्रकाश उर्फ धीरज चव्हाण के साथसाथ भूषण निंबा ब्राह्मणे (29 वर्ष), प्रवीण आबा पानपाटिल (21 वर्ष) भी पुलिस गिरफ्त में आ गया.
पूछताछ में पता चला कि भूषण ब्राह्मणे का मृतक की पत्नी पूजा चव्हाण के साथ अनैतिक संबंध था. यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आते ही विजय को खत्म करने की साजिश रची गई थी, क्योंकि वह उन के प्यार के रिश्ते में बाधक बन चुका था. इसी बीच पुलिस को एक अहम सबूत मिला कि विजय के मोबाइल पर गूगलपे अकाउंट पर 24 रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ. पुलिस ने इस लेनदेन पर नजर रखी. एक छोटे बुर्जीपाव ठेले से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज से पुलिस को विजय के अंतिम क्षणों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. उस रात विजय और प्रकाश तो वहीं थे, लेकिन उस के बाद विजय का कोई पता नहीं चला. जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी, पूजा और भूषण की काल रिकौर्ड से उन के बीच बारबार बातचीत का पता पुलिस को चला.
मुंबई रेलवे पुलिस आयुक्त रवींद्र शिसवे, पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल सर्कल रेलवे) मनोज पाटिल, एसीपी (हार्बर डिवीजन) राजेंद्र रानमाले के मार्गदर्शन में वाशी पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंसपेक्टर राजेश शिंदे, इंसपेक्टर संतोष माने (जांच अधिकारी), सचिन गवते, विजय खेडकर, सावंत, असिस्टेंट पुलिस इंसपेक्टर टेलर, गोपाल, एसआई कांबले, लोनकर, होलकर और वाशी रेलवे पुलिस स्टेशन क्राइम ब्रांच, पनवेल, वडाला और ठाणे की सतर्कता के कारण इस अपराध का परदाफाश हो गया.
पुलिस ने समस्त आरोपियों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.