Bijnor News : मुसकान और शारिक एकदूसरे से दिली मोहब्बत करते थे, ऐसी मोहब्बत कि शारिक ने मुसकान को अपने प्लौट का नौमिनी तक बना दिया था. एक मामले में शारिक के जेल जाने के बाद मुसकान ने उस के जिगरी दोस्त अनस से नजदीकियां बढ़ा लीं. इन दोनों की दोस्ती में फांस बनी मुसकान ने आखिर एक दिन…
दोपहर करीब एक बजे का समय था. मुसकान खाना खाने के बाद घर पर आराम कर रही थी. उस की नजर घड़ी पर गई तो बिस्तर से उठ कर फटाफट तैयार होने लगी. उस ने धानी रंग का टौप और काले रंग की स्किन टाइट जींस पहनी तो उस का खूबसूरत बदन और भी खूबसूरत लगने लगा. कपड़े पहनने के बाद जब उस ने आइने में अपने आप को निहारा तो खुशी से फूली नहीं समाई. यह उस की आदत में भी शुमार था कि रोज आइने के सामने अपने संगमरमरी बदन को देख कर एक बार दिल से मुसकराती थी. वह तैयार हो कर घर से उस स्थान की तरफ निकल गई, जहां वह रोज अपने प्रेमी शारिक उर्फ शेट्टी से मिलती थी. जब वह उस स्थान पर पहुंची तो शारिक वहां पहले से बैठा था. वह बेसब्री से उसी का इंतजार कर रहा था.
मुसकान चुपचाप शारिक के पीछे पहुंची और उस की आंखों को अपने हाथों से बंद कर लिया. यह देख कर पहले तो शारिक हड़बड़ाया लेकिन मुसकान के हाथों को छू कर वह जान गया कि वह कोई और नहीं बल्कि उस की मुसकान है. उस ने मुसकान के हाथों को अपनी आंखों से हटाया तो वह उस के सामने आ कर खड़ी हो गई. उस की खूबसूरती देख शारिक की आंखों में अलग तरह की चमक आ गई.
‘‘क्या बात है मुसकान, आज तो तुम बिजली गिरा रही हो.’’
‘‘धत्त! लगता है, आज तुम ने मुझे बेवकूफ बनाने का इरादा कर रखा है.’’
‘‘नहीं मुसकान, मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रहा. तुम तो हीरा हो और हीरे की चमक को सिर्फ जौहरी ही जान सकता है.’’
‘‘अच्छा जौहरी साहब, आप ने इस हीरे की पहचान कर ली हो तो अब जरा यह भी बता दीजिए कि यह हीरे की चमक है या कुछ और…’’ मुसकान उस से नजरें मिलाते हुए बोली.
‘‘यह खूबसूरती और चमक खालिस हीरे की ही हो सकती है. लेकिन इस जौहरी ने अगर अपना जौहर हीरे पर दिखा दिया तो इस हीरे की खूबसूरती और चमक दोगुनी हो जाएगी.’’ शारिक ने मुसकान की आंखों में आंखें डाल कर प्यार से कहा तो मुसकान को भी उस की बात की गहराई समझते देर नहीं लगी. मुसकान अपनी पलकें झुकाते हुए बोली, ‘‘इस हीरे की चाहत सिर्फ तुम हो.’’ इतना कह कर उस ने आस भरी नजरों से शारिक की तरफ देखा तो वह मुसकरा रहा था. शारिक ने मुसकान का हाथ अपने हाथों में लिया और बड़े विश्वास के साथ बोला, ‘‘मुसकान, हम दोनों की चाहत जरूर पूरी होगी.’’
शारिक के प्यार के जुनून को देख कर मुसकान खुश हो गई. मुसकान उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के थाना नगीना देहात के गांव हरजानपुर में रहने वाले नाजिम की बेटी थी. उस के 2 भाई थे, जो दूसरे शहर में काम करते थे. मुसकान परिवार में इकलौती बेटी थी, इसी नाते उसे घर में ज्यादा लाड़प्यार मिला. इसी प्यार दुलार ने मुसकान को बेलगाम बना दिया था. घर में मिली खुली छूट से वह बेपरवाह हो गई थी. मुसकान खूबसूरत थी. इस का इल्म उसे तब होता, जब वह आइने के सामने खड़ी होती. अपने आप को आइने में देख कर वह किसी हीरोइन से कम नहीं समझती थी. शुरू में तो मुसकान का मन पढ़ाई में खूब लगा, लेकिन जैसे ही उस के बदन पर सोलहवें साल का यौवन उतरा, पढ़ाई से उस का मन उचट गया और वह सतरंगी सपनों की दुनिया में खोई रहने लगी.
मुसकान में भी दूसरी लड़कियों की तरह अच्छे रहनसहन की ललक थी. वह एक सामान्य परिवार से जरूर थी लेकिन पूरी जिंदगी सुख और खुशी से गुजारना चाहती थी. बिजनौर के मोहल्ला भाटान कुम्हारों वाली गली में शमीम रहते थे. उन के 5 बेटे और एक बेटी थी. बेटी का विवाह हो चुका था. शमीम के सभी बेटे कमाखा रहे थे सिवाय शारिक के. शारिक चौथे नंबर का बेटा था. उसे सीधे तरीके से पैसे कमाना अच्छा नहीं लगता था. उसे अपराध की दुनिया लुभाती थी, जिस में एक झटके में मालामाल हो जाने के रास्ते थे. जैसी चाहत हो, इंसान वैसी ही संगत ढूंढता है. शारिक ने भी अपराध की दुनिया में कदम रखा तो उस के दोस्त भी वैसे ही बन गए. वह आपराधिक वारदातों में शरीक हुआ तो शमीम ने शारिक से किनारा कर लिया.
शारिक ने भी घर जाना बंद कर दिया. वह यारदोस्तों के साथ रहता. जब कभी जेल जाता तो उस के यारदोस्त ही उस की जमानत करा देते. वर्तमान में शारिक पर शहर कोतवाली में ही 7 मुकदमे दर्ज थे. शारिक का हरजानपुर गांव जाना होता था, वहीं उस का एक परिचित रहता था. वहां आनेजाने के दौरान शारिक की मुलाकात मुसकान से हुई थी. इस के बाद दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों जबतब मिलने लगे. दिन में मुसकान घर पर अकेली होती थी. इसलिए वह उस के घर पर मिलने आने लगा. इन मुलाकातों में उसे पता चल गया कि मांबाप के काम पर जाने के बाद वह घर में अकेली रहती है. यह जान कर तो उसे जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई.
अब वह उसी समय उस के घर जाता, जब वह घर में अकेली होती. उस से खूब बातें करता, घुमाने ले जाता और उस की पसंद की चीजें खिलातापिलाता. जिस से मुसकान को भी उस का साथ अच्छा लगने लगा था. एक दिन शारिक जब मुसकान के घर पहुंचा तो मुसकान घर में अकेली थी. वह उसी समय नहा कर निकली थी. उस ने बदन पर सिर्फ एक हलकी मैक्सी डाल रखी थी. बाल गीले थे, इसलिए उसने अपना सिर तौलिए से ढक रखा था. उसी ने दरवाजा खोला. शारिक को उस ने अंदर आने को कहा लेकिन उस ने जैसे सुना ही नहीं, वह तो मुसकान के भीगे रूपसौंदर्य में खो सा गया था. उस का दिल कर रहा था कि वह आगे बढ़े और मुसकान को अपनी बांहों में भर ले.
शारिक की निगाहों का निशाना समझ कर मुसकान मुसकरा कर रह गई. फिर वह उसे झिंझोड़ते हुए बोली, ‘‘क्या बात है, कहां खो गए? अंदर भी आओगे या बाहर से ही लौटना है?’’
शारिक हड़बड़ाया, उस की तंद्रा भंग हुई तो एहसास हुआ कि वह अभी बाहर ही खड़ा हुआ है. वह बोला, ‘‘सौरी, क्या करूं, तुम इस समय कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो, इसलिए तुम्हारे बदन से नजरें हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं.’’
‘‘मजाक मत करो, मैं जानती हूं कि मैं इतनी खूबसूरत नहीं लग रही.’’ मुसकान शारिक के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर झेंप सी गई.
‘‘मैं सच कह रहा हूं मुसकान, तुम खूबसूरत तो हो ही, आज तो कयामत ढा रही हो.’’
घर के अंदर ले गई मुसकान मुसकान उसे ले कर घर के अंदर आ गई. शारिक उस से बोला, ‘‘देखो मुसकान, मेरी बात तुम्हें कुछ अजीब लग सकती है. मगर यह सच है कि पिछले काफी समय से तुम्हारे प्रति मेरी चाहत बढ़ती जा रही है. मुझे तुम से प्यार हो गया है. बताओ क्या तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार है?’’
मुसकान ने मुसकराते हुए शारिक के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा, ‘‘हां शारिक, मुझे भी तुम से प्यार है. मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो.’’ कह कर मुसकान ने नजरें झुका लीं. मगर उस के शब्दों ने शारिक पर जादू सा असर दिखाया था. शारिक ने आगे बढ़ कर मुसकान को अपनी बांहों में भर लिया और दोनों मस्ती में एकदूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. जब शारिक हद से आगे बढ़ने लगा तो मुसकान ने अपने तन को बेकाबू होने से रोका, साथ ही शारिक को भी हटा कर अलग कर दिया. वह अपनी धड़कनों और सांसों पर काबू करने का प्रयास करने लगी.
शारिक को यह अच्छा नहीं लगा, लेकिन उस ने बुरा नहीं माना. उस ने सोचा जब आज इतनी हद पार हो गई है तो किसी और दिन बाकी भी हो जाएगा. दूसरी तरफ मुसकान की धड़कनें और सांसें सामान्य स्थिति में आईं तो वह बोली, ‘‘प्लीज शारिक, इतना तक तो ठीक है लेकिन इस के आगे बढ़ने की कभी उम्मीद न करना और न ही कोशिश करना.’’
‘‘ठीक है, लेकिन जब हम प्यार करते हैं, हमारे दिल मिल चुके हैं तो शारीरिक मिलन में क्या दिक्कत है?’’
‘‘नहीं, जब तक मैं इस के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होऊंगी, तब तक ऐसावैसा कुछ नहीं करूंगी.’’
मुसकान ने शारिक को कुछ इस तरह समझाया कि वह बुरा भी न माने और वह उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने का जरिया बनाए रखे. शारिक मुसकान की जरूरतों का पूरापूरा खयाल रखने लगा. मुसकान ने जब पूरी तरह से शारिक को अपने ऊपर मेहरबान देखा तो एक दिन उस की चाहत को भी पूरा कर दिया. इस के बाद तो वह उस का पूरी तरह से दीवाना हो गया. मुसकान को बनाया नौमिनी शारिक ने शहर में एक प्लौट खरीद रखा था, दीवानगी में उस ने मुसकान को प्लौट का नौमिनी बना दिया. उस ने नोटरी से प्रमाणित एक शपथपत्र में मुसकान को लिख कर दे दिया कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो उस प्लौट की मालकिन मुसकान होगी, वह उसे बेच भी सकती है.
इस शपथपत्र से मुसकान बहुत खुश हुई. खुशी की बात भी थी, क्योंकि वक्तबेवक्त वह प्लौट उस के बहुत काम आ सकता था’ इसी बीच शारिक लंबे समय के लिए जेल चला गया. मुसकान अकेली पड़ गई. शारिक के न होने से उस की शारीरिक और आर्थिक जरूरतें दोनों ही पूरी नहीं हो पा रही थीं. ऐसे में मुसकान की नजर इधरउधर पड़ने लगी. उसे अपनी नजर को दूर तक नहीं ले जाना पड़ा. शारिक का एक जिगरी दोस्त था अनस. अनस शहर कोतवाली के काजीपाड़ा मोहल्ले में रहता था. अनस भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस पर नगीना देहात थाने में एनडीपीएस ऐक्ट और बाइक चोरी के 2 मुकदमे दर्ज थे.
दोस्ती के कारण हर गलत काम में दोनों एकदूसरे का साथ देते थे. दोनों ही नशे के भी आदी थे. अनस शारिक और मुसकान के प्रेम संबंध से पूरी तरह वाकिफ था. मुसकान भी अनस को बखूबी जानती थी. शारिक के न होने पर वह अनस की ही मदद लेने लगी. जब शारिक ने अनस को पहली बार मुसकान से मिलाया था तो अनस मुसकान को एकटक देखता रह गया था. मुसकान अनस से बड़े प्यार से पेश आने लगी. अपनी आंखों से अनस को उस की चाहत का दीदार कराने की कोशिश करने लगी. बातोंबातों और हंसीमजाक में उस के बदन से चिपकने लगी तो अनस को भी भांपते देर नहीं लगी कि मुसकान का मन बदल रहा है. जो वह चाहता था, उसे हकीकत में होता देख खुशी फूला नहीं समाया.
अब मुसकान की वजह से 2 दोस्तों की गहरी दोस्ती खतरे में आने वाली थी. वैसे भी अपराध की दुनिया में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, मतलब और समय के हिसाब से सब कुछ बदलता रहता है. अनस मुसकान को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था. एक दिन जब मुसकान उस के कंधे पर सिर रख कर चाहत दर्शाने लगी तो अनस से रहा न गया, वह बोला, ‘‘तुम्हारा तनमन बहुत खूबसूरत है. तुम इतनी प्यारी हो कि तुम्हारी तसवीर मेरे छोटे से दिल में बस गई है. उस तसवीर को मैं हमेशा अपने दिल में बसाए रखना चाहता हूं. ऐसे में मेरा यह जानना जरूरी है कि तुम मेरे दिल और नजरों की चाहत को पूरा करने की तमन्ना रखती हो कि नहीं?’’
मुसकान अनस के खूबसूरत जज्बातों को बड़े ही प्यार से सुनसमझ रही थी. उस की बात सुन कर मुसकान बोली, ‘‘अनस, मैं भी तुम से यहीं कहना चाह रही थी लेकिन बारबार मेरे जज्बात सीने में कैद हो कर रह जाते थे. यह सोच कर कि कहीं तुम मेरे दिल की बात को न समझ पाए तो मैं अंदर से टूट जाऊंगी.
‘‘लेकिन आज तुम्हारी बातें सुन कर मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा है. हम दोनों के विचार आपस में मिलते हैं, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई है. मैं भी तुम्हारे साथ जिंदगी बिताने का सपना देख रही थी, जो आज सच हो गया.’’ भावविभोर हो कर मुसकान अनस के सीने से लग गई. मुसकान ने बदल दिया प्रेमी अनस ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. इस से दोनों ने राहत की सांस ली और एकदूसरे के प्यार की गरमी को नजदीक से महसूस किया. इस के बाद दोनों के बीच एक बार जो संबंध बने, वह बेरोकटोक बनने लगे. 21 जुलाई की सुबह 6 बजे का समय था. खेतों पर काम करने वाले मजदूर काम पर जाने लगे थे. थाना कीरतपुर क्षेत्र के मोहल्ला अफगानान के पश्चिम में वासित खां के आम के बाग में मजदूरों ने एक चारपाई पर किसी अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी.
मजदूरों ने यह सूचना मोहल्ले वालों को दी. मोहल्ले वालों ने जा कर देखा तो वाकई वहां किसी युवक की लाश पड़ी थी. लाश मिलने की सूचना कीरतपुर थाना पुलिस को दे दी गई. थाना इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र करीब 27-28 साल रही होगी. उस के माथे पर 3 गहरे घाव थे, जो किसी धारदार हथियार से किए गए मालूम हो रहे थे. कपड़ों की तलाशी लेने पर मृतक की जेब से जो आधार कार्ड मिला, उस से पता चला कि वह लाश शमीम के बेटे शारिक की है. इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने मृतक शारिक के घरवालों को घटना की सूचना भिजवा दी. फिर जरूरी काररवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया और थाने वापस आ गए.
शारिक के पिता शमीम थाने आए तो उन की तरफ से अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने शमीम से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि डेढ़दो साल से शारिक घर नहीं आया था. वह अपने दोस्तों के साथ ही रहता था, जेल जाता था तो पता नहीं कौन लोग उस की जमानत कराते थे. इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने शारिक के जमानतदारों व दोस्तों का पता लगाया तो उन में से कुछ नाम शक के घेरे में आए. उन सब की डिटेल्स खंगाली गई तो उन में से अनस नाम के युवक पर उन का शक पुख्ता हो गया. अनस ही वह व्यक्ति था जो शारिक के सब से करीब था. दोनों हर काम साथ करते थे.
घटना वाले दिन की अनस के फोन की लोकेशन शारिक के साथ घटनास्थल की आ रही थी. शारिक और अनस की काल डिटेल्स में एक नंबर कौमन था, जिस पर दोनों की बातें होती थीं, उस नंबर से घटना की रात 12 बजे शारिक के नंबर पर काल भी की गई थी, शारिक ने बात भी की थी. जांच में वह नंबर मुसकान का निकला. शारिक की हत्या में दोनों का हाथ होने के पुख्ता सुबूत मिले तो इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने दोनों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए. लेकिन दोनों ही घर से गायब थे. 25 जुलाई, 2020 की सुबह करीब सवा 5 बजे इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने दोनों को मोतीचूर गेट के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयां कर दी.
अनस और मुसकान के बीच के संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि दोनों निकाह कर के एक साथ रहने की सोचने लगे थे. इन सब में सब से बड़ी अड़चन था शारिक. शारिक घटना से कुछ समय पहले ही एनडीपीएस के एक मामले में जमानत पर जेल से छूटा था. जब से वह आया था, दोनों खुल कर नहीं मिल पा रहे थे. मुसकान को आ गया लालच मुसकान अगर अनस के साथ रहती तो शारिक से मिलने वाला प्लौट उस के हाथ से चला जाता और शारिक भी उस की और अनस की जान का दुश्मन बन जाता. ऐसे में अनस के साथ मिल कर शारिक को ही अपने रास्ते से हटाने की योजना मुसकान ने बना ली.
शारिक के हटने से प्लौट और अनस दोनों ही उसे मिल जाने वाले थे. अनस को भी एक तरफ मुसकान मिलती तो दूसरी तरफ मुसकान की वजह से प्लौट भी उस का हो जाता, इसलिए वह अनस की हत्या करने को तैयार हो गया. दूसरी ओर शारिक को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उस की प्रेमिका उस से बेवफाई और दोस्त दगाबाजी करने पर उतर आए हैं. 20-21 जुलाई की रात अनस ने शारिक के साथ शराब पी. उस ने खुद तो कम पी, शारिक को अधिक पिलाई. अनस उसे बातों में लगा कर कीरतपुर के मोहल्ला अफगानान में वासित खां के आम के बाग में ले गया.
रात 12 बजे मुसकान ने फोन किया तो शारिक ने मुसकान से बात की. उस के लगभग एक घंटे बाद नशे में बेसुध हो कर शारिक वहीं पड़ी चारपाई पर लुढ़क गया. अनस ने साथ लाए सब्बल से बेसुध पड़े शारिक के माथे पर 3 प्रहार किए, जिस से उस की मौत हो गई. इस के बाद अनस ने शारिक का मोबाइल जेब से निकाल लिया. फिर सब्बल और शारिक का मोबाइल छिपा कर घर लौट गया. पकड़े जाने के डर से वह मुसकान के साथ घर से फरार हो गया.
लेकिन उन का जुर्म छिप न सका और दोनों कानून की गिरफ्त में आ गए. अनस की निशानदेही पर शारिक का मोबाइल और हत्या में इस्तेमाल सब्बल बरामद कर लिया गया. इस के अलावा पुलिस ने मुसकान और अनस का मोबाइल, मुसकान का आधार कार्ड, शारिक का आधार कार्ड और शपथपत्र की छाया प्रति भी बरामद कर ली. कागजी खानापूर्ति पूरी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित