Bihar Crime : शोभा सरकारी कर्मचारी पंकज कुमार गुप्ता की पत्नी थी, खुशहाल जिंदगी जी रही थी. इस के बावजूद 2 बच्चों की मां शोभा अपनी उम्र से 7 साल छोटे सन्नी से प्यार कर बैठी. इस के बाद जो हुआ, उस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

बात 8 जुलाई, 2020 की है. सुबह के साढे़ 7 बज गए थे. पंकज गुप्ता स्टील की 2 लीटर वाली डोलची हाथ में लटकाए दूध लेने शहरी बाजार समिति की ओर जा रहा था. वह रोजाना दूध लेने इसी समय पर जाया करता था. ऐसा नहीं था कि मोहल्ले में कोई दूधिया दूध देने नहीं आता था, लेकिन पंकज को आशंका थी कि दूधिए दूध में मिलावट करते हैं, इसलिए वह उन से दूध नहीं लेता था. दूसरे इसी बहाने उस की मार्निंग वाक भी हो जाती थी. इसलिए वह सुबहसुबह दूध लेने पैदल ही निकल जाता था. पंकज बिजली विभाग में नौकरी करता था. पंकज जैसे ही शहरी समिति के गेट के सामने पहुंचा, पीछे से तेजी से एक अपाचे मोटरसाइकिल उस के बगल से हो कर गुजरी.

बाइक पर 2 युवक सवार थे. बगल से बाइक गुजरने पर विकास हड़बड़ा गया और गिरतेगिरते बचा. ससंभल कर बुदबुदाते हुए वह आगे बढ़ा. वह थोड़ी दूर ही बढ़ा होगा कि वही बाइक मुड़ कर फिर उसी की ओर आई. बाइक को आता देख पंकज यह सोच कर रुक गया कि शायद बाइक सवार युवकों की नीयत ठीक नहीं है. उन के निकल जाने के बाद ही आगे बढ़ेगा. पंकज सोच रहा था कि बाइक निकले तो आगे बढ़े, लेकिन बाइक उस के पास आ कर रुक गई. इस से पहले कि पंकज कुछ समझ पाता, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने निशाना साध कर 2 गोलियां उस के सिर में उतार दीं और मौके से फरार हो गए.

गोली लगते ही पंकज धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा. चूंकि सुबह का वक्त था, लोग अभी अपनेअपने घरों में ही थे. गोली की आवाज सुन कर पासपड़ोस के लोग जमा हो गए. उन्होंने जमीन पर खून से लथपथ पड़े पंकज को पहचान लिया. पंकज पटना शहर के मोहल्ले अगवानपुर में रहता था. घटनास्थल से उस का घर थोड़ी दूर पर था. भीड़ में से किसी ने वारदात की सूचना बाढ़ थाने को दे दी और पंकज के घर पर भी खबर भिजवा दी. घटना की सूचना मिलते ही उस के घर में कोहराम मच गया. पत्नी शोभा और दोनों मासूम बेटियां चीखचीख कर रोने लगी. शोभा जिस हाल में थी, मासूमों को साथ लिए उसी हाल में घटनास्थल की ओर दौड़ी.

मौके पर पहुंची तो देखा पति पंकज हाथ में बाल्टी लिए चित अवस्था में लहूलुहान पड़ा है. पुलिस के खिलाफ पति की लाश से लिपट कर रोने लगी. मां को रोते देख कर बच्चे भी बिलखबिलख कर रो रहे थे. बच्चों को रोते देख वहां खड़े लोगों का दिल पसीजने लगा. उसी समय बाढ़ थाने के थानाप्रभारी संजीत कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस को देख कर स्थानीय लोग जाने के बजाए वहीं डटे रहे. उन में पुलिस के खिलाफ भारी आक्रोश था. दरअसल, उसी इलाके में कुछ दिनों पहले भी 2 हत्याएं हो चुकी थीं. दोनों घटनाओं के हत्यारे अभी भी फरार थे. अब तीसरी हत्या बिजलीकर्मी पंकज की हो गई थी.

इस हत्या से स्थानीय नागरिकों में पुलिस की भूमिका को ले कर गहरा आक्रोश था. आक्रोश बढ़ने पर लोग पंकज की हत्या के विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को जाम कर प्रदर्शन करने लगे. नागरिकों के धरने पर बैठते ही पुलिस के हाथपांव फूल गए. आननफानन में थानाप्रभारी संजीत कुमार ने एएसपी अंबरीश राहुल और एसएसपी उपेंद्र शर्मा को घटना की जानकारी दे दी. स्थिति तनावपूर्ण और विस्फोटक होती जा रही थी. स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने सब से पहले मृतक की लाश अपने कब्जे में ली और कागजी काररवाई कर के पोस्टमार्टम के लिए पटना मैडिकल कालेज भिजवा दी.

घटनास्थल का निरीक्षण करने पर पुलिस को वहां से कारतूस के 2 खोखे मिले, जिन्हें पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर कब्जे में ले लिया. उधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम की सूचना मिलते ही एएसपी अंबरीश राहुल मौके पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को मनाने में जुट गए. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि हत्यारों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो. एएसपी ने उन्हें भरोसा दिया कि अपराधी जो भी होंगे, उन की गिरफ्तारी जल्द से जल्द होगी.  एएसपी के आश्वासन पर प्रदर्शनकारियों ने जाम खोला. मृतक की पत्नी शोभा की तहरीर पर थानाप्रभारी संजीत कुमार ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस के लिए पंकज हत्याकांड चुनौती की तरह था, क्योंकि इस के पहले 2 हत्याओं का अब तक खुलासा नहीं हो सका था. हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए नागरिकों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. अगले दिन कुछ सम्मानित लोग बिजली कर्मचारी पंकज कुमार गुप्ता हत्याकांड के खुलासे के लिए एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा से मिले और हत्यारों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी ने अपने दफ्तर में आपात बैठक बुलाई.  बैठक में एएसपी अंबरीश राहुल और 4 थानों के थानाप्रभारियों एसओ (बख्तियारपुर) कमलेश प्रसाद शर्मा, एनटीपीसी एसओ अमरदीप कुमार, मोकामा एसओ राजनंदन, एसओ (बाढ़) संजीत कुमार, एएसआई राकेश कुमार रंजन, अनिरुद्ध कुमार, सिपाही अमित कुमार और शिव चंद्र शाह शामिल हुए.

एसएसपी ने शहर में हुई हत्याओं के खुलासे न होने पर नाराजगी जताई और पंकज गुप्ता के केस को खोलने के लिए उसी समय टीम बना दी. टीम का नेतृत्व उन्होंने एएसपी राहुल को सौंपा. पुलिस टीम जांच में जुट गई. उस के लिए सब से बड़ा सवाल यह था कि पंकज की हत्या क्यों की गई? इस सवाल का जवाब मृतक की पत्नी ही दे सकती थी. पुलिस ने अपनी तफ्तीश मृतक के घर से शुरू की. पुलिस ने शोभा से पंकज की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने पति की किसी से भी दुश्मनी होने की जानकारी से इनकार कर दिया. ऐसे में यह घटना पुलिस के लिए चुनौती बन गई. घटना की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई और मदद के लिए मुखबिरों की भी मदद ली.

मृतक की काल डिटेल्स में पुलिस को ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से घटना का खुलासा हो पाता. लेकिन 2 दिनों बाद यानी 10 जुलाई को मुखबिर ने पुलिस को जो चौंकाने वाली जानकारी दी, उसे सुन कर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. मुखबिर ने एसओ संजीत कुमार को बताया कि 9 जुलाई को शोभा ने अपने भारतीय स्टेट बैंक के एकाउंट से करीब पौने 3 लाख रुपए निकाले थे.

यह बात पुलिस को खटकी कि आखिर इतनी बड़ी रकम उस ने क्यों निकाली? पुलिस को हैरान करने वाली यह रकम ही सुराग की कड़ी बनी. एएसपी अंबरीश राहुल को शोभा पर शक हुआ कि कहीं पति की हत्या में पत्नी का ही हाथ तो नहीं है? पुलिस ने शोभा का फोन नंबर हासिल किया. उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और साथ ही उस के नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. संजीत कुमार ने काल डिटेल्स का बारीकी से अध्ययन किया तो चौंके. उन का शक सही निकला. घटना वाली रात से सुबह घटना के बाद तक शोभा लगातार किसी से फोन पर बात करती रही थी. काल डिटेल्स से घटना की तसवीर साफ होती दिख रही थी. जिस नंबर पर शोभा ने बात की थी, पुलिस ने उस नंबर की डिटेल्स निकलवा ली. वह नंबर सन्नी उर्फ गोलू निवासी अगवानपुर का था. मुखबिर के जरिए पुलिस को हत्यारे की सही जानकारी मिल गई थी.

पंकज की हत्या में उस की पत्नी शोभा भी शामिल थी. शोभा ने प्रेमी सन्नी को सवा 3 लाख की सुपारी दे कर पति की हत्या करवाई थी. इस के बाद पुलिस ने हत्या की अलगअलग कडि़यों को जोड़ना शुरू किया. 12 जुलाई को हत्या की कड़ी पूरी तरह जुड़ गई तो पुलिस ने शोभा और उस के प्रेमी सन्नी दोनों को अगवानपुर से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ शुरू की. जल्द ही दोनों ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. गोलू ने पंकज की हत्या में शामिल अन्य साथियों के नाम भी बता दिए. गोलू की निशानदेही पर पुलिस ने 5 और आरोपियों मुकेश (मृतक का सगा साला), मनीष कुमार, मोहित कुमार उर्फ आदित्य, राजा सिंह और आयुष को गिरफ्तार कर लिया. मुकेश को छोड़ बाकी सभी आरोपी अगवानपुर के ही निवासी थे.

अगले दिन 13 जुलाई, 2020 को एएसपी अंबरीश राहुल ने पुलिस लाइन में पत्रकारवार्ता बुलाई, जिस में पंकज हत्याकांड के सातों आरोपितों को  पत्रकारों के सामने पेश किया. सभी आरोपियों ने हत्या में शामिल होने का जुर्म कबूल कर लिया. इस के बाद उन्होंने हत्या की पूरी कहानी पत्रकारों के सामने परोस दी. वार्ता संपन्न होने के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. आरोपियों से पूछताछ के बाद कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय पंकज कुमार गुप्ता मूलरूप से पटना जिले के बाढ़ थाने के अगवानपुर का रहने वाला था. उस के परिवार में कुल 4 सदस्य थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे. उस का परिवार हर तरह सुखी था. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. वह बिजली विभाग में नौकरी करता था, जहां से उसे अच्छीभली तनख्वाह मिलती थी. कुछ ऊपर से भी कमाई कर लेता था. पंकज की पत्नी शोभा भले ही खूबसूरत नहीं थी लेकिन वह पढ़ीलिखी और सलीकेदार औरत थी. वह परिवार के अच्छेबुरे का खयाल रखती थी. पंकज और शोभा दोनों एकदूसरे की खुशियों पर पूरा ध्यान देते थे. लेकिन कालांतर में पता नहीं उन की खुशियों को किस की बुरी नजर लग गई, जिस ने हंसतेखेलते परिवार को महाभारत का मैदान बना दिया. कल तक जो पतिपत्नी एकदूसरे पर अपनी जान छिड़कते थे, वही अब एकदूसरे के खून के प्यासे हो गए थे.

कहानी में जिस दिन से गोलू उर्फ सन्नी नाम के किरदार का प्रवेश हुआ था उसी दिन से पंकज के हंसतेखेलते घर में कलह शुरू हो गई थी. हुआ कुछ यूं था कि पंकज दिन भर ड्यूटी पर घर से बाहर रहता था. उस के 2 छोटे बच्चे थे. उन की देखभाल शोभा ही करती थी. पंकज पैसे कमा कर पत्नी की हथेली पर रख देता था. उस के बाद घर में क्या हो रहा है, इस से उसे कोई मतलब नहीं रहता था. पति के इस रवैए से शोभा खिन्न रहती थी और दुखी भी. बात 2 साल पहले की है. शोभा की बड़ी बेटी तान्या की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी. उसे अस्पताल ले जा कर डाक्टर को दिखाना था. शोभा पति से कई बार कह चुकी थी कि बेटी को ले जा कर डाक्टर को दिखा दे. लेकिन पंकज नौकरी की दुहाई दे कर उस से कहता कि वही उसे ले जा कर किसी अच्छे डाक्टर को दिखा लाए.

अगवानपुर से कुछ दूरी पर एक नर्सिंगहोम था. शोभा बच्चों के इलाज के लिए यहीं आया करती थी. उस दिन भी वह बेटी को दिखाने इसी नर्सिंगहोम में आई थी. वहीं पर गोलू उर्फ सन्नी नाम का एक युवक भी अपने किसी परिचित को दिखाने आया था. बातोंबातों में दोनों के बीच परिचय हुआ. पता चला कि दोनों एक ही मोहल्ले अगवानपुर के रहने वाले हैं. गोलू साधारण शक्लसूरत का गबरू जवान था. लेकिन चपल और बातूनी. अपनी बातों से हर घड़ी सभी को गुदगुदाता रहता था. शोभा उस की बातें सुन कर अपनी हंसी काबू नहीं कर पा रही थी. वह खिलखिला कर हंस पड़ती थी. शोभा की हंसी गोलू के दिल में मकाम कर गई. हर घड़ी उस की आंखों के सामने शोभा का हंसता चेहरा थिरकता रहता था. कुंवारा गोलू समझ नहीं पा रहा था उसे ये क्या गया है.

शोभा 28 साल की शादीशुदा औरत थी जबकि गोलू उस से 7 साल छोटा यानी 21 साल का नौजवान था. गोलू के दिमाग पर शोभा के अक्स की रंगीन चादर बिछी थी, जो हटने का नाम ही नहीं ले रही थी. एक ही मुलाकात में गोलू को शोभा के गदराए जिस्म से प्यार हो गया था. वह उस के दीदार के लिए बेचैन रहने लगा. शोभा गोलू की इस चाहत से अंजान थी. उसे नहीं पता था एक ही मुलाकात में गोलू उस का दीवाना बन जाएगा. उस दिन के बाद शोभा बेटी को ले कर कई बार नर्सिंगहोम गई. इत्तफाक की बात यह रही कि शोभा जबजब बेटी को दिखाने नर्सिंगहोम पहुंचती, उसे उसे गोलू वहीं मिल जाता था. शोभा गोलू को देखती, उसे देखते ही उस के होंठों पर मीठी सी मुसकान थिरक उठती थी. गोलू भी उसे देख कर मुसकरा देता था.

धीरेधीरे दोनों के बीच दोस्ती हो गई. बाद में ये दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. एक शादीशुदा औरत के इश्क में गोलू ऐसा डूबा कि उसी का हो कर रह गया. उसे देखे बिना गोलू को चैन नहीं मिलता था. इधर पति के ड्यूटी पर चले जाने के बाद शोभा फोन कर के गोलू को अपने घर बुला लेती और उस के साथ घंटों रंगरेलियां मनाती. बंद दरवाजे के अंदर शोभा और गोलू का प्यार जवां हो रहा था. जमाने की नजरों से बेखबर दोनों मोहब्बत के सागर में गोते लगा रहा थे. वे समझते थे कि उन की मोहब्बत के बारे में कोई नहीं जानता. हर प्यार करने वाले को यही भ्रम होता है. जबकि मोहल्ले में दोनों के प्रेम के चर्चे होने लगे थे. फिजाओं में फैली उन के प्यार की खुशबू आखिरकार पति पंकज तक पहुंच ही गई.

पंकज को यकीन नहीं हुआ. वह तो पत्नी को बेहद प्यार जो करता था. वह सोच रहा था कि पत्नी उसे धोखा कैसे दे सकती है. किसी की बातों पर उसे यकीन नहीं हो रहा था. लेकिन वह उन बातों को झुठला भी नहीं पा रहा था. सच सामने लाने के लिए वह पत्नी की जासूसी में जुट गया. जब भी पंकज पत्नी को फोन करता, उस का फोन व्यस्त मिलता था. अब पंकज को यकीन होने लगा कि जरूर शोभा का किसी के साथ चक्कर है. समझदारी का परिचय देते हुए एक दिन पंकज ने पत्नी को उस के अफेयर को ले कर अप्रत्यक्ष तौर से समझाया ताकि पत्नी को यह न पता चले कि उसे उस के संबंधों के बारे में पता चल चुका है. पति का बारबार उसी की ओर इशारा कर के बात करने से शोभा समझ गई कि पति को उस पर शक हो गया है.

फिर क्या था, उस दिन के बाद से शोभा संभल गई और प्रेमी गोलू को भी सावधान कर दिया कि पति को उन के संबंधों पर शक हो गया है. जब तक वह उस के शक को मिटा नहीं देती, तब तक हमारा मिलना कम होगा. हम फोन पर ही बातें करेंगे. शोभा ने पति को विश्वास दिलाने के लिए कई कलाएं पेश कीं, लेकिन पंकज सब समझ रहा था. उसे उस की बातों पर तनिक भी यकीन नहीं हुआ. एक दिन तो पंकज ने शोभा को फोन पर प्रेमी से बात करते रंगेहाथ पकड़ लिया. यही नहीं उस ने जब पत्नी के हाथ पर गोलू के नाम का लिखा टैटू देखा तो उस का खून खौल उठा.

कोई भी पति यह बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की पत्नी अपने जिस्म पर किसी पराए मर्द का नाम लिखाए. उस दिन पंकज का गुस्सा पत्नी के अंगअंग पर टूटा. कई दिनों का गुस्सा पंकज ने उस पर उतार दिया. साथ ही सख्त हिदायत भी दी कि आज के बाद फिर प्रेमी से बात करने या मिलने की कोशिश की तो वह उसे जान से मार देगा. पति से पिटी शोभा ने भी उस से कह दिया, ‘‘गोलू मेरी जान है. मैं उस से दूर रह कर जिंदा नहीं रह सकती. तुम चाहो तो मेरी जान ही क्यों न ले लो. मुझे मर जाना मंजूर है लेकिन गोलू के बिना जीना मंजूर नहीं.’’

इस के बाद इसी बात को ले कर अकसर रोजाना ही शोभा की पिटाई होने लगी. पति की रोजरोज मारपीट से शोभा ऊब गई थी. उस ने पति नाम की बीमारी से छुटकारा पाने की योजना बनाई और प्रेमी गोलू से पति को रास्ते से हमेशा के लिए हटाने की बात कही. शोभा के प्यार में अंधे गोलू ने प्रेमिका की बात मान ली और पंकज को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. इस काम के लिए गोलू ने अपने दोस्त मनीष से मदद मांगी और साजिश में शामिल कर लिया. मनीष गोलू का साथ देने के लिए तैयार हो गया. गोलू जानता था कि मनीष का एक दोस्त है, जो भाड़े पर हत्या करता है. गोलू के कहने पर मनीष ने क्रिमिनल मोहित से संपर्क साधा और काम करने को कहा लेकिन मोहित ने यह कहते हुए हत्या की सुपारी लेने से इनकार कर दिया कि वह ये काम नहीं करता.

लेकिन उस का एक दोस्त राजा सिंह है जो ये काम करता है, उन्हें उस से मिला देगा, काम हो जाएगा. मोहित ने मनीष को राजा सिंह से मिलवा दिया. राजा ने काम के बदले एडवांस के रूप में 50 हजार रुपए मांगे. मनीष ने यह बात गोलू को बताई और गोलू ने प्रेमिका शोभा से एडवांस के 50 हजार रुपए मांगे. शोभा के पास इतनी रकम नहीं थी. उस ने अपने भाई मुकेश से पैसे मांगे तो उस ने भी हाथ खड़े कर दिए, लेकिन उस की साजिश में शामिल हो कर उस का साथ देने लगा. शोभा ने पति की हत्या के लिए उस के बनवाए अपने सोने के झुमके 45 हजार रुपए में बेच दिए. यह रकम राजा सिंह को दे दी गई.

उस के बाद आगे की योजना तय हो गई. फिर राजा सिंह ने घटना को अंजाम देने के लिए शूटर आयुष को सुपारी दी. आयुष ने काम के बदले शोभा से 3 लाख रुपए की डिमांड की. लेकिन ये सौदा सवा 3 लाख में तय हुआ. शोभा ने आयुष को बताया कि वह एडवांस के रूप में राजा सिंह को 50 हजार रुपए दे चुकी है. बाकी के पैसे काम होने के बाद दे देगी. शूटर आयुष को विश्वास दिलाने के लिए शोभा ने दस्तखत कर के एक ब्लैंक चैक उसे दे दिया. चैक पाने के बाद शूटर ने 8 जुलाई को घटना को अमली जामा पहना दिया. 7/8 जुलाई, 2020 की रात शोभा ने पति की हत्या के संबंध में गोलू को फोन में बातें की थीं. रोज की तरह पंकज सुबह दूध लेने स्टील की डोलची ले कर घर से निकला तो शोभा ने गोलू को फोन कर के बता दिया कि पंकज घर से निकल चुका है.

उस ने यह भी कहा कि आयुष पंकज को गोली मारे तो गोली की आवाज उसे जरूर सुनाए. गोलू ने उस से कहा ऐसा ही होगा. पंकज के घर से निकलने की बात गोलू ने शूटर आयुष को बता दी. उस समय आयुष पंकज के घर के आसपास ही मंडरा रहा था. जैसे ही गोलू का फोन आया वह सतर्क हो गया और अपाचे मोटरसाइकिल ले कर पंकज के पीछेपीछे लग गया. आयुष बाइक पर पीछे बैठा था, जबकि राजा सिंह बाइक चला रहा था. घर से निकल कर पंकज जैसे ही शहर समिति गेट के पास पहुंचा, बाइक पर पीछे बैठे शूटर आयुष ने पंकज को लक्ष्य साध कर उस के सिर में 2 गोलियां उतार दीं. गोली मारते समय आयुष ने अपना मोबाइल फोन औन किया हुआ था, उधर शोभा अपने फोन को कान से लगाए हुए थी.

गोली की आवाज सुन कर शोभा की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. इधर गोली मारने के बाद दोनों बदमाश बाइक ले कर फरार हो गए.  घटना के दूसरे दिन शोभा भाई मुकेश को ले कर भारतीय स्टेट बैंक पहुंची और बैंक से 2 लाख 80 हजार रुपए निकाल कर शूटर आयुष को दे दिए. मुखबिर के जरिए यह बात पुलिस को पता चल गई. एएसपी अंबरीश राहुल की सूझबूझ से पंकज कुमार गुप्ता हत्याकांड से परदा उठ गया और घटना में शामिल सभी अपराधी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए. पुलिस ने आरोपियों से हत्या में प्रयुक्त बाइक, पिस्टल और 2 जिंदा कारतूस बरामद किए. जिस प्रेमी गोलू से शोभा शादी रचाने का ख्वाब देख रही थी, उस ने भी इस घटना के बाद उस से शादी करने से इनकार कर दिया था. शोभा न इधर की रही, न उधर की.

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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