Web Series : वेब सीरीज चिडिय़ा उड़ की कहानी अंडरवल्र्ड और मुंबई के रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की पृष्ठभूमि पर आधारित है. आबिद सुरती के उपन्यास ‘केज’ पर आधारित यह शो इस विचार की खोज करता है कि अगर कोई व्यक्ति खुले रूप से आजादी चाहता है तो पिंजरे में कैद नहीं रखा जा सकता…
कलाकार: जैकी श्रौफ, भूमिका मीणा, रवि कोठारी, सिकंदर खेर, मधुर मित्तल, मीता वशिष्ठ, मयूर मोरे, फ्लोरा सैनी, आभा परमार, उपेन चौहान, नबिया अंसारी, मोहित सिंह, शुभंकर दास, रोहन वर्मा, सुखविंदर चहल, प्रसन्ना शर्मा, शिवराज वाल्वेकर, अर्विका गुप्ता, गोपाल सिंह, छाया ठाकुर
निर्देशक: रवि जाधव, निर्माता: पम्मी बावेजा, हरमन बावेजा, विक्की बाहरी लेखक: मोहिंदर प्रताप सिंह,
चिंतन गांधी ओटीटी: अमेजन एमएक्स प्लेयर, संगीत: रोशिन बालू
वेब सीरीज (Web Series) ‘चिडिय़ा उड़’ 15 जनवरी, 2025 को ओटीटी प्लेटफार्म अमेजन एमएक्स प्लेयर पर रिलीज
की गई है. वेब सीरीज ‘चिडिय़ा उड़’ की कहानी पूरी तरह से प्रौस्टिट्यूशन के दलदल में लिप्त लोगों के जीवन की सच्चाई को बयां करती है. इस वेब सीरीज की कहानी 1990 के दशक की मुंबई की खतरनाक दुनिया की है. यह आबिद सुरती के मशहूर उपन्यास ‘केज’ पर आधारित है. कहानी के केंद्र में सेहर नाम की लड़की है, जो राजस्थान से एक छोटे गांव से सपने की उड़ान ले कर मुंबई आई है. लेकिन वह जिस्मफरोशी के दलदल में फंस जाती है. वह खुद को वेश्यालय की जंजीरों से मुक्त करने के लिए संघर्ष करती है, जहां उस के रास्ते में कादिर खान (जैकी श्रौफ) खड़ा है, जिस का इस बदनाम दुनिया पर राज चलता है.
इस वेब सीरीज में कादिर खान का किरदार अभिनेता जैकी श्रौफ ने निभाया है, जबकि सेहर मिर्जा के रोल में भूमिका मीणा, सिकंदर खेर (अकरम खान), रवि कोठारी (निनाद), मीता वशिष्ठ (रेशमा बाई), मयूर मोरे (सत्तार), मधुर मित्तल (बाबू राव), फ्लोरा सैनी (सुरैया), आभा परमार (हबीबा बेगम), उपेन चौहान (धनंजय राणा), नबिया अंसारी (नीति), अर्विका गुप्ता (चंपा), शिवराज वाल्वेकर (सतपुले), सुखविंदर चहल (राणा), प्रसन्ना शर्मा (एसआई प्रभा), गोपाल सिंह (राजू भाई), शुभंकर दास (गफूर) और छाया ठाकुर (फिरोजा) की भूमिकाओं में हैं.
एपिसोड नंबर 1
एपिसोड नंबर एक का नाम ‘ए रनवे लाइफ’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एक डैडबौडी दिखाई जाती है, जहां पर काफी संख्या मे लोग हैं. वहां पर काफी बरसात हो रही है. वहां पर रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) को दिखाया गया है. फ्लैशबैक में गाना चल रहा है तभी वहां पर कादिर खान (जैकी श्रौफ) आ कर गोलीबारी कर देता है. अगले दृश्य में सेहर को दिखाया गया है, जो राजस्थान के छोटे से गांव में रहती है. उस का कुछ लोग अपहरण कर उसे राणा (सुखविंदर चहल) को सौंप देते हैं. राणा सेहर के साथ जबरदस्ती करने लगता है तो सेहर उसे धक्का दे देती है और राणा उस नवनिर्मित मकान में लगे बांस से टकरा जाता है, जिस के कारण पूरी छत उस के ऊपर गिर जाती है.
सेहर वहां से भाग कर अपने घर पर आ कर अपनी मां सुरैया (फ्लोरा सैनी) को सब कुछ बता देती है. सुरैया अपनी बेटी सेहर को ले कर वहां से भाग निकलती है. इधर राणा के आदमी राणा के बेटे धनंजय राणा (उपेन चौहान) को यह बात बता देते हैं तो धनंजय मांबेटी को ढूंढने के लिए अपने आदमी भेज देता है. राणा के लोगों को पता चलता है कि सुरैया सेहर को ले कर हाईवे की तरफ भाग रही थी. अगले दृश्य में हाईवे पर सुरैया राजू भाई (गोपाल सिंह) को सेहर को मुंबई ले जाने के लिए रिक्वेस्ट करती है.
सुरैया कहती है कि मेरी बेटी सोने की खान है. तेरा ही फायदा होगा. यह तो तुझे कमा कर खिलाएगी. उस के बाद सुरैया राजू को 15 हजार रुपए भी गांव से भगाने के एवज में दे देती है. उस के बाद सेहर राजू के साथ एक ट्रक में चढ़ जाती है. उस ट्रक में और भी बहुत सी लड़कियां होती हैं. उन का ट्रक सहीसलामत मुंबई पहुंच जाता है. अगले दृश्य में सत्तार (मयूर मोरे) उन सभी लड़कियों को खाना खिलाने आता है, तभी वहां पर बाबूराव (मधुर मित्तल) आ कर वह राजू को हड़काने लग जाता है. सेहर राजू को देख कर हंसने लगती है और फिर सत्तार से पूछती है कि वह कौन है, जो राजू की क्लास ले रहा है. तब सत्तार सेहर को बताता है कि बाबूराव राजू का बौस है.
तभी वहां पर सत्तार आ कर सेहर से पूछता है कि तुम यहां अकेले, उन के साथ क्यों नहीं गई तुम? सेहर उसे बताती है कि मैं सो गई थी और कमरे से बाहर निकल जाती है. अगले दृश्य में कादिर वहां पर आ जाता है, जहां पर लड़कियों की नीलामी हो रही है और वह रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) को अपने पास बिठा लेता है. यह देख कर हबीबा बेगम (आभा परमार) को बहुत बुरा लगता है. अब वहां पर स्टेज के ऊपर लड़कियों की बोली लगने लगती है, जिन में कुछ लड़कियां अकरम खान (सिकंदर खेर) और कुछ बाबूराव (मधुर मित्तल) की होती हैं. इन दोनों में से जिन के ग्रुप की लड़कियों की बोली सब से ज्यादा लगेगी, वही आगे चल कर कादिर खान (जैकी श्रौफ) की गद्ïदी संभालेगा.
अगले दृश्य में बाबूराव राजू को फोन कर के सेहर और दूसरी लड़की को ढूंढने का आदेश देता है. इधर उस छोटी लड़की नीति (नबिया अंसारी) को हम अकरम के पास देखते हैं, जो अपने साथियों गफूर (शुभंकर दास) और परशु (रोहन वर्मा) को उसे कहीं ले जा कर जान से मारने के लिए कहता है, लेकिन गफूर और परशु उस छोटी लड़की नीति को मारने के बजाए बेचने के लिए चले जाते हैं.
इधर सेहर भागतेभागते लोगों से अपनी दोस्त चंपा (अविका गुप्ता) के बारे में पूछती है तो उसे पता चलता है कि चंपा हबीबा बेगम (आभा परमार) के कोठे पर धंधा करती थी, लेकिन एड्स होने के कारण उसे वहां से निकाल दिया गया था. तभी गफूर छोटी बच्ची नीति को ले कर बेचने के लिए कार में ले कर आता है. लड़की चिल्लाने लगती है तो सेहर उसे देख लेती है और वह शीशा तोड़ कर उसे अपने साथ ले कर भागती है. तभी राजू सेहर पर गोली चला देता है, जो उस की बांह में लग जाती है तो वह नीति को छोड़ कर वहां से भाग निकलती है. उस के बाद राजू नीति को ले कर चला जाता है और पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है.
पहले एपिसोड की बात करें तो शुरू में एक डैडबौडी को दिखाया गया है, वह किस की थी, वहां गोलीबारी क्यों हो रही थी, वह पात्र कौन था, उस का इंट्रोडक्शन ही गायब है. लड़कियों की नीलामी हो रही है तो वहां पर सेहर अचानक कैसे आ जाती है और फिर कादिर खान उसे क्यों भगा देता है, यह बात बिलकुल भी समझ से बाहर है. इस के अतिरिक्त कहानी में भी भटकाव दिखाई दे रहा है. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अपने अभिनय से दर्शकों को संतुष्ट करने में सफल नहीं रहा है.
एपिसोड नंबर 2
दूसरे एपिसोड का नाम ‘शैडोज ऐट प्ले’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में सेहर अपनी सहेली चंपा को ढूंढ लेती है. सेहर के गोली लगी होती है, इसलिए चंपा उसे ले कर एक डाक्टर के पास जाती है. डाक्टर उस की बांह से गोली निकाल लेता है तो सेहर उस गोली को अपने लौकेट में संभाल लेती है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुले (शिवराज वाल्वेकर) कादिर खान से मिलने आता है और उसे कहता है कि राजू और गफूर के बीच गोलीबारी की खबर पुलिस तक पहुंच चुकी है. कादिर अब अपने बेटे अकरम को फोन कर के बुलाता है तो अकरम गफूर को फोन कर के पूछता है कि क्या तुम ने उस बच्ची नीति को मार डाला?
गफूर घबरा कर बताता है कि नहीं बौस. तभी बाबूराव बच्ची नीति को ले कर कादिर के पास आ जाता है. अकरम भी वहां पर आ जाता है. अगले दृश्य में अकरम गफूर को बुरी तरह से पीटता है और कहता है कि मेरे कहने के बाद भी तूने उस बच्ची को क्यों नहीं मारा? उसे बेचने के लिए क्यों ले गया तू? तब गफूर कहता है कि मैं उसे बेचने के लिए नहीं ले गया था. वहां पर तो एक लड़की आ कर उसे हम से छीन कर ले गई थी. उस लड़की को गोली भी लगी है. अकरम अपने साथियों को सेहर को ढूंढने के लिए भेज देता है. परशु (रोहन वर्मा) सेहर को ढूंढते हुए डाक्टर के पास अपने साथियों को ले कर पहुंच जाता है. परशु को देखते ही सेहर छिप जाती है.
परशु और उस के साथियों के जाने के बाद और सेहर डाक्टर के पास आ जाती है. डाक्टर उसे एक शर्ट पहनने के लिए देता है और सेहर से कहता है कि इसे पहन लो, इस से तुम्हारा जख्म छिप जाएगा. बाहर तुम्हें गुंडे ढूंढ रहे हैं. सेहर शर्ट पहन कर चंपा के साथ बाहर आ जाती है. चंपा सेहर से कहती है कि जख्म को छिपाने से क्या तुम बच जाओगी. अगले दृश्य में राणा के आदमी सेहर की मां सुरैया को गांव में ढूंढ लेते हैं और उसे ले कर धनंजय राणा (उपेन चौहान) के पास ले कर आते हैं. इधर बाबूराव बैंकाक पहुंच जाता है और वहां पर सैक्स वर्कर की मुखिया आईवी से मिलता है और उसे इंडिया आने का उस के साथ काम करने का न्यौता देता है. बाबूराव आईवी से कहता है कि तुम अपनी बौस से मेरी मुलाकात करा दो, मेरे पास एक बिजनैस डील है.
इधर गफूर अपने आदमियों से कहता है कि हर लड़की का हाथ चेक करो. जिस के हाथ में गोली लगी हो, उसे खींच कर अकरम भाई के पास ले कर आओ. इधर चंपा सेहर को ले कर अपने घर आ जाती है तो सेहर चंपा से कहती है कि मुझे एक बार रेशमा बाई (गीता वशिष्ठ) के पास ले चलो. मैं चार पैसे कमाऊंगी तो तेरे भी काम आएंगे. तुझे भी मैं पैसे दूंगी. तू बस एक बार मुझे उस के पास ले कर तो चल. इस के बाद दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
दूसरे एपिसोड का विश्लेषण करें तो कहानी में भटकाव ही भटकाव नजर आ रहा है. पुलिस का इंसपेक्टर जिस्मफरोशी करने वाले बदमाश कादिर खान के पास हाजिरी लगाने आ रहा है. यह बात यकीन से परे लगती है. दूसरी बात यह है कि बाबूराव भी सेहर के पीछे पड़ा है और दूसरी ओर गफूर भी पड़ा है. यहां पर यदि सेहर को मुंह पर कपड़ा डाल कर, मास्क लगा कर अपना चेहरा भी छिपाते हुए दिखाया जाता तो कहानी वास्तविक लग सकती थी. अभिनय की दृष्टि से भी कलाकारों का अभिनय फीका रहा है.
एपिसोड नंबर 3
तीसरे एपिसोड का नाम ‘हंटर एंड प्रे’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में बाबूराव को आईवी अपनी बौस से मिलाने के लिए ले जाती है तो बाबूराव उस से कहता है कि वह आईवी को अपनी कुछ लड़कियों के साथ मेरे साथ मुंबई भेज दे. ये लड़कियां मुंबई में हमारी लड़कियों को ट्रेंड करेंगी, क्योंकि मैं मुंबई में एक आधुनिक मसाज पार्लर खोल रहा हूं. बाबूराव उसे 40 प्रतिशत हिस्से में बात फाइनल कर देता है.
अगले दृश्य में राजू इंसपेक्टर सतपुले से कहता है कि हमें एक लड़की की तलाश है, जिस की बांह पर गोली लगी है. तुम रेड का इंतजाम करो और थाने में लड़कियों को पकड़ कर लाओ. मैं एक कमरे की खिड़की से छिप कर देखता रहूंगा. तुम बस इशारा कर देना, मैं उस लड़की को पकड़ लूंगा. अगले दृश्य में धनंजय राणा डाक्टर से अपने पिता सुखविंदर चहल यानी कि राणा के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेता है और अपने पिता को उस अस्पताल से घर भेजने के लिए कहता है. उधर चंपा हबीबा बेगम से अपनी सहेली सेहर का 30 हजार रुपए में सौदा तय कर देती है.
अगले दृश्य में महिला पुलिस एकएक कर के लड़कियों को थाने में चैक कर रहे हैं, तभी सेहर की नजर खिड़की पर छिपे राजू पर पड़ जाती है तो वह वहां से तुरंत भाग खड़ी होती है. उस को भागते देख राजू उस के पीछे दौड़ पड़ता है और वहां पर गफूर यह देख लेता है और वह भी राजू के पीछे दौडऩे लगता है. उस का पीछा करते हुए गफूर पिस्टल ले कर सीढिय़ों पर चढऩे लगता है. जैसे ही गफूर उसे पकडऩे को होता है, तभी सेहर उसे जोर से धक्का दे देती है, जिस के कारण वह बालकनी से सीधे आ कर जमीन पर गिर जाता है और उस की मौत हो जाती है. राजू उसे जमीन पर मृत देख कर वहां से भाग जाता है.
अकरम अपने साथियों से कहता है कि बाबूराव के आदमियों ने ही गफूर को मारा है, उधर सेहर यह बात चंपा को बता देती है तो चंपा कहती है कि अब अकरम तुझे नहीं छोड़ेगा. सेहर डर जाती है तो चंपा उस से कहती है कि मेरे पास तुम्हारे लिए एक जुगाड़ है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते राजू से कहता है कि कहीं तूने तो नहीं टपका डाला गफूर को. राजू उसे अपने पास बिठाता है. अगले दृश्य में गफूर का जनाजा उस के घर से निकलता है तो गफूर की अम्मी कादिर से कहती है कि गफूर अपने बाप से ज्यादा अपने मामा से प्यार करता था.
सेहर अब अपना नाम बदल कर नया नाम निशा रख लेती है. इधर इंसपेक्टर सतपुते राजू को कहता है कि देख अकरम को यह बात पता नहीं है कि उस दिन तू और गफूर थाने से उस लड़की के पीछे भागे थे, इसलिए अच्छा यही रहेगा कि अब तू मुझे संभाल और मैं तुझे संभालता हूं. इधर बाबूराव बैंकाक से वापस आ कर राजू और अपने आदमियों पर गफूर मर्डर के लिए बरसता है, गालियां देता है. कादिर अपने कमरे में चुपचाप बैठा गफूर के बारे में सोच रहा होता है तभी उस का बेटा अकरम आ कर उसे कहता है कि बाबूराव ने ही गफूर को मरवाया है.
अब कब्रिस्तान में गफूर को दफन किया जा रहा है तो वहां पर बाबूराव भी आ जाता है. अकरम उस से भलाबुरा कहने लगता है तो बाबूराव कादिर से कहता है कि कादिर भाई यदि आप को मुझ पर शक है तो आप मुझे भी इधर ही दफन कर डालो. अगले दृश्य में सेहर नहा रही है तभी हबीबा बेगम का दलाल उसे गजरा पहन कर धंधे में आने के लिए कहता है. दोनों के बीच कुछ अश्लील बातें भी होती हैं. सेहर दलाल से अपनी अम्मी को फोन करने के लिए मांगती है तो दलाल कहता है कि अब हबीबा बेगम ही तेरी अब्बूअम्मी हैं. बस, अब तू रेडी हो कर आजा फटाफट. और फिर तीसरा एपिसोड यहीं पर समाप्त हो जाता है.
तीसरे एपिसोड में गंदीगंदी बातों और गालियों का भरपूर मात्रा में प्रयोग किया गया है. पुलिस को तो वेश्याओं के दलाल से भी बदतर दिखाया गया है. यह लेखक की गलती को साफसाफ दर्शाता है. इस के अतिरिक्त बाबूराव का चरित्र जिस अभिनेता यानी कि मधुर मित्तल ने जिस तरह से अभिनीत किया है, उस में वह गुंडा कम और जोकर ज्यादा दिखाई दे रहा है.
एपिसोड नंबर 4
चौथे एपिसोड का नाम ‘टेल औफ बेट्रेयल’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में सेहर उर्फ निशा कोठे पर ग्राहकों को आकर्षित कर रही है. हबीबा उस के पास कुछ ग्राहक भेजती है तो वे सभी ग्राहक हबीबा के पास आ कर सेहर की तारीफ कर के जाते हैं. अगले दृश्य में कादिर अकरम और बाबूराव व सभी गुंडों को अपने पास बुलाता है, वहां पर अकरम और बाबूराव लडऩे लगते हैं. अकरम कहता है कि सेहर एक लड़की को ले कर भागी थी. तब राजू कहता है कि सेहर तो मर गई. वहां पर इंसपेक्टर सतपुते भी कहता है कि वह हमारा पुलिस का औपरेशन था, वह लड़की तो मर गई.
इस के बाद कादिर कमाठीपुर की आगे की 4 गलियां अकरम और पीछे की 4 गलियां दोनों में बांट देता है. इधर एक गुंडा बाबूराव पर रास्ते में चाकू से वार कर उसे बुरी तरह से घायल कर देता है तो यह कादिर देख लेता है और उसे अपनी कार में बिठा कर उस का इलाज करवाता है. अगले दृश्य में बाबूराव अपने बंदों राजू वगैरह को अपने आधुनिक मसाज पार्लर के बारे में बताता है कि अब मैं 8 का 60 कर के दिखाऊंगा.
अगले दृश्य में गांव में एक पुलिस इंसपेक्टर हुक्म बजाने धनंजय राणा के पास आता है तो धनंजय उसे राजू का नंबर देते हुए कहता है कि इसे मारना है, क्योंकि यह गांव की एक लड़की को ले कर भागा है. इंसपेक्टर सतपुते को कादिर बुला कर कहता है कि तेरी चौकी से 4 किलोमीटर दूर गफूर मर गया, तुझे भनक भी नहीं लगी. अब मुझे वह लड़की चाहिए. वह या तो कातिल है या गवाह. अगला दृश्य कोठे का है, जहां सेहर को 2 बच्चियों के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है. वह कमरे को खोल कर उन दोनों बच्चियों से खेल कर उन का मन हलका करने की कोशिश करने लगती है तो दलाल सेहर की शिकायत हबीबा बेगम से कर देता है.
अगले दृश्य में बाबूराव बैंकाक की लड़की आईवी के साथ शारीरिक संबंध बना रहा है. उधर सेहर सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए मस्ती में एक रेस्टोरेट में पहुंच जाती है, वहां उसे सत्तार मिल जाता है. दोनों एक कमरा बुक करते हैं. दूसरी ओर हबीबा बेगम के कोठे पर राजू का गुंडा परशु (रोहन वर्मा) कोठे की सभी लड़कियों के हाथों पर गोली के निशान चेक करने लगता है. तभी वहां पर बाबूराव का आदमी उन लोगों को रोकते हुए कहता है कि ये गलियां बाबूराव की हैं, अकरम की नहीं. वहां पर आपस में मारपीट होने लग जाती है. हबीबा कहती है कि ये मेरा पिंजरा है, गली तेरे बाप की है तो क्या? परशु को वहां से बाबूराव के गुंडे मारपीट कर के भगा देते हैं. इसी के साथ चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
चौथे एपिसोड की बात करें तो इस में एक कवि को कविता कहते हुए फिर विकृत, घृणित सैक्स करते हुए दिखाया गया है. आज तक किसी कवि का ऐसा चारित्रिक पतन न तो कभी पढ़ा गया है और न ही सुना गया है. दूसरा इस एपिसोड में धनंजय राणा का पिता अपने बेटे को बता रहा है कि राजू सेहर को ले कर मुंबई भागा है जबकि शुरू में ही सेहर के द्वारा उस पर छत गिरने के कारण वह कोमा में चला गया था. अब यह बात उसे यदि सपने में किसी ने बताई हो तो कहा नहीं जा सकता, यह सब लेखक और निर्देशक की अयोग्यता को प्रदर्शित करता है. अभिनय भी सभी कलाकारों का स्तरहीन रहा है.
एपिसोड नंबर 5
पांचवें एपिसोड का नाम ‘सीक्रेट्स एंड चेन्स’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में धनंजय राणा (उपेन चौहान) अपने पिता राणा (सुखविंदर चहल) को घर पर खाना खिला रहा है तो राणा अपने बेटे से कहता है कि देख बेटे तू अकेले मेरे लिए परेशान हो रहा है तो तू मेरे लिए एक नर्स रख दे. अगले दृश्य में सत्तार सेहर के कोठे पर पहुंच कर उस का ग्राहक बन कर सारी बातें उसे बता देता है कि राजू और इंसपेक्टर सतपुते उसे मारने का प्लान बना चुके हैं. उस के बाद सेहर के साथ कोठे में कई ग्राहकों द्वारा सैक्स करते हुए दिखाया गया है.
यहां पर सेहर को पुरानी यादें उस के गांव की याद आने लगती है. चंपा को वह अपनी बहन समझती थी. वह दिन और आज का दिन इस दुनिया में रिश्तों की जरूरत नहीं, बल्कि जरूरतों के रिश्ते होते हैं. 10 ग्राहक निपटाने के बाद सेहर जब सैक्स करने से मना कर देती है तो हबीबा बेगम और दलाल उसे बुरी तरह से पीटने लगते हैं. तभी वहां पर एक लेडी सबइंसपेक्टर प्रभा (प्रसन्ना शर्मा) आ जाती है और वहां की तलाशी लेने लगती है. यह सूचना सेहर ने सत्तार को और सत्तार ने लेडी सबइंसपेक्टर को दी थी, जिस से एसआई प्रभा आखिरकार उन 2 नाबालिग लड़कियों को हबीबा के कोठे से बरामद कर हबीबा सहित कोठे की सभी लड़कियों को गिरफ्तार थाने में ले आती है.
उधर बाबूराव मसाज पार्लर में लड़कियों और गोटया का इंतजार कर रहा होता है, तभी राजू को घनंजय राणा का फोन आता है. वह कहता है कि जिस सेहर को तू यहां से ले कर भागा था, उसे 24 घंटे के भीतर मुझे सौंप कर जा. तब राजू उसे कहता है कि सेहर की तो किसी ने गोली मार कर हत्या कर दी है. अगले दृश्य में कादिर अकरम को समझाता है कि तू अब सुधर जा, तुझे गोटया को गोली मारने की क्या जरूरत थी. तभी एक आदमी बताता है कि हबीबा बेगम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अकरम कहता है अब्बू आप चिंता मत करो मैं देखता हूं. इधर थाने में सबइंसपेक्टर प्रभा कोठे की लड़कियों को समझा कर उन के बयान ले कर साइन लेती है.
सेहर कहती है आप ने बड़ी ईमानदारी का काम किया है पर इन लोगों की पहुंच काफी ऊपर तक है. आप दोनों मासूम लड़कियों को उन के घर छुड़वा दो. अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते अपने थाने में आता है तो हबीबा कहती है देखो न साहब, इन लोगों ने क्या हाल बना दिया हमारा. तब महिला कांस्टेबल बताती है कि सबइंसपेक्टर प्रभा ने छापा मार कर 2 नाबालिग लड़कियों को कोठे से बरामद किया है. तभी वहां पर अकरम आ कर इंसपेक्टर सतपुते को खींच कर उस के औफिस में ले जा कर खुद उस की कुरसी पर बैठ कर उसे जम कर गालियां देता है.
तभी वहां पर सबइंसपेक्टर प्रभा पहुंच जाती है तो सतपुते उसे कहता है कि उस ने प्रोसीजर का उल्लंघन किया और बिना सीनियर को बताए क्यों रेड मारी. प्रभा उसे सब बताती है तो सतपुते कहता है कि ईमानदारी अच्छी चीज है, पर अगली बार से प्रोसीजर और रैंक का खयाल रखना. अभी इन को छोड़ दो. अगले दृश्य में सत्तार सेहर को अपने घर ले कर आ जाता है तो सेहर उस के गले लग कर उसे चूम लेती है. सेहर कहती है कि मुझ पर एक उपकार और कर दो. मुझे रेशम बाई (मीता वशिष्ठ) के कोठे पर भरती करवा दो. मैं यहां पर कुछ बनने आई हूं. रेशम बाई का पिंजरा अकरम की गली में आता है तो बाबूराव या राजू वहां पर जाने की हिम्मत नहीं करेंगे.
इधर थाने में सबइंसपेक्टर प्रभा हबीबा से साइन करवाती है. तब हबीबा पूछती है कि मेरी लड़कियों को कब छोड़ेगे तो प्रभा कहती है कि मेरे पास और कोई काम नहीं है क्या जो तेरे बेतुके सवालों का जबाव दूं. हबीबा अपनी लड़कियों से कहती है कि तुम लोग डरना मत, मैं जल्दी तुम्हें छुड़वाती हूं. सेहर तभी अपने घर पर फोन करती है तो उधर दूसरी तरफ धनंजय राणा दिखाई देने लगता है और इस तरह पांचवां एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
पांचवें एपिसोड का विश्लेषण करें तो इस में बस कहानी नहीं बल्कि टुकड़ोंटुकड़ों में घसीटते हुए दृश्य दिखाए गए हैं. एक थाने के इंसपेक्टर का कुरसी पर एक गुंडा आ कर बैठ जाता है और इंसपेक्टर को गालियां और धमकी दे रहा है. यह दृश्य कभी भी वास्तविक नहीं लगते. इस एपिसोड में भी कलाकारों का अभिनय निम्न दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 6
इस एपिसोड का नाम ‘बैटल टू सरवाइव’ यानी कि जीवित रहने की लड़ाई रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में फोन की घंटी बज रही है, दूसरी तरफ गांव में धनंजय राणा अपनी एक्सरसाइज पूरी करने के बाद घर के अंदर आ कर नौकर से पूछता है कि बाबा को दवाई दे दी है न. तब तक फोन की घंटी बंद हो जाती है. अगले दृश्य में सत्तार सेहर को समझाता है कि तू चंपा के बारे में गलत मत सोच. क्योंकि एड्स का दर्द नशे से ही दूर हो सकता है. इधर सारी लड़कियां जेल से छूट कर कोठे पर आ जाती हैं, जिन में सेहर नहीं होती तो दलाल सेल्वा हबीबा बेगम से कहता है कि मुझे पता है वह कहां पर हो सकती है और तेजी से चला जाता है.
अकरम और बाबूराव को कादिर अपने पास बुला कर समझाता है कि गोलियां चलाना बंद करो, नहीं तो मैं तुम दोनों से कोठे की सारी गलियां ले लूंगा. इधर रेशमा बाई (मीता वशिष्ठ) के कोठे पर डाक्टर आ कर कोठे की सभी लड़कियों को एड्स की जानकारी देता है और उन का चेकअप कर रहा है. सेल्वा सेहर को ढूंढने चंपा के कमरे में आता है तो खिड़की से छिप कर सेहर उसे देखती है. मगर चंपा मर चुकी होती है तो सेल्वा वहां से चला जाता है. अगले दृश्य में सत्तार रेशमा बाई से सेहर को अपने कोठे पर शामिल होने के लिए रिक्वेस्ट करता है तो वह कहती है कि रात का सेहर को मेरे पास ले कर आ जाना. अब सेहर चंपा के कमरे में फूटफूट कर रोने लगती है और उसे चंपा के साथ बिताए हुए पलों की बहुत याद आती है.
अगले दृश्य में सेहर सत्तार से मिलने बुरके में आती है और इसे बताती कि चंपा मर गई है. इधर सबइंसपेक्टर प्रभा चंपा की लाश को एंबुलेंस में पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जाती है. इस के बाद कादिर खान इंसपेक्टर सतपुते को अपने घर पर बुला कर धमकी देते हुए कहता है मैं ने तुझे 36 घंटे दिए. अब तू या तो सेहर को या गफूर के कातिल को मेरे सामने ले कर हाजिर हो, नहीं तो मैं तेरा बुरा हश्र कर दूंगा. अगले दृश्य में बाबूराव को बाथटब में लड़कियां मसाज देते हुए नहला रही हैं, तभी कादिर का फोन आता है और वह बाबूराव को कहता है कि मैं ने तेरे नाम पर केवल 4 गलियां की थीं, पूरा मोहल्ला नहीं.
तू कल अपनी बैंकाक वाली लड़की के साथ आ कर मुझ से मिल. दूसरे दिन बाबूराव आईवी को ले कर कादिर के पास जाता है तो कादिर के आदमी उस की और आईवी की तलाशी लेते हैं. अगले दृश्य में कादिर बाबूराव को डांटता है कि मेरे पैसे में खुद तू बैंकाक जाएगा और फिर मेरा ही धंधा चौपट करेगा. कादिर कहता है कि तू नया धंधा खोल, मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर 70 टका मेरा. बाबूराव कहता है कि भाई मेरी तो बैंकाक वाली से 50 टका में डील हुई. कादिर कहता है तेरी जान मेरे पास और जुबान उस के पास, अब तू सोच. उधर चंपा की लाश का सेहर अंतिम संस्कार करती है. इस में सत्तार उस के पास रहता है.
अगले दृश्य में इंसपेक्टर सतपुते कंप्यूटर में सेहर के फोटो को पहचान कर उस के प्रिंटआउट निकाल कर अपने पुलिस अधिकारियों व सहयोगियों को देते हुए कहता है कि यह लड़की एक मर्डर केस में सस्पेक्ट है. तुम लोगों के पास 48 घंटे हैं, चलो लग जाओ. अगले दृश्य में सत्तार बुरका पहना कर सेहर को रेशम बाई से मिलवाता है. रेशम बाई कहती है इधर तुम को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. अच्छा ध्यान रखेंगे तुम्हारा. 3 टाइम का खाना, 2 टाइम चाय, हफ्ते में एक दिन की छुट्टी और महीने में एक बार डाक्टर से चेकअप होगा. जाते समय सत्तार से सेहर कहती है कि तुम्हारा किस तरह से शुक्रिया अदा करूं. सत्तार कहता है कि मैं तुम से मिलने आताजाता रहूंगा. फिर सेहर सोचती है कि सच कहा था सत्तार ने कि इतने जल्दी यह सब हजम नहीं होगा और इसी के साथ छठां एपिसोड समाप्त हो जाता है.
छठे एपिसोड में गंदे दृश्यों की भरमार दिखाई गई है. पुलिस की स्थिति कुत्तों से भी बदतर दिखाई गई है. अभिनय की दृष्टि से भी सभी कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है.
एपिसोड नंबर 7
सातवें एपिसोड का नाम ‘मेमोरीज ऐंड स्कार्स’ के नाम से रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में पुलिस वाले सेहर की फोटो जगहजगह दिखा कर उस के बारे में पता कर रहे हैं. सबइंसपेक्टर प्रभा सेहर की फोटो दिखा कर सत्तार से पूछती है और कहती है कि कादिर भाई के भतीजे गफूर के मर्डर का शक है इस के ऊपर. कादिर भाई के हाथ लगने से पहले यदि हमारे पास आ जाए तो शायद बच सकती है. अब सत्तार रेशमा बाई से सेहर को बाहर घुमाने की इजाजत ले कर उसे अपने साथ ले जाता है. सत्तार सेहर को पिक्चर हाल में फिल्म दिखा रहा है, तभी सेहर उस का मुंह चूम लेती है तो पीछे से एक दर्शक पीछे से कहता है कि यही सब करना था तो पीछे वाली सीट पकड़ लेते.
दोनों बहुत खुश हैं, तभी सत्तार सेहर को बता देता है कि पुलिस उसे गफूर के मर्डर में ढूंढ रही है. वह कहता है कि प्रभा अच्छी पुलिस वाली है. उस के सामने सरेंडर कर दे, वह तुझे बचा लेगी. सेहर कहती है कि प्रभा तो हबीबा और सेल्वा को भी अंदर करना चाहती थी, बोल कर पाई? सत्तार अपना फोन सेहर को उस की अम्मी से बात करने के लिए देता है. सेहर फोन लगा कर हैलो कहती है तो दूसरी तरफ गांव में घनंजय राणा सेहर की आवाज को सुन कर भौंचक्का रह जाता है और फोन काट देता है.
अगले दृश्य में अकरम के गुंडे उसे बताते हैं कि गोटया बता रहा था कि राजू ने गफूर के कातिल को देखा है तो अकरम उन्हें राजू का किडनैप कर सुमड़ी में लाने के लिए कहता है. इधर इंसपेक्टर सतपुते राजू से कहता है कि कादिर भाई ने मुझे जिंदा रहने के लिए 36 घंटे का वक्त दिया है. इसलिए जो भी सच्चाई है तू उसे बाबूराव को बता दे. वैसे उस सेहर को तो मैं ढूंढ ही लूंगा. अब अकरम आईवी के पास आ कर उस से अपने साथ काम करने को कहता है तो वह मना कर देती है तो अकरम उसे धमकी दे कर चला जाता है. इधर प्रभा पंडित से जिस ने चंपा का अंतिम संस्कार किया था, उसे अपने साथ ले जा कर स्केच आर्टिस्ट से उस का स्केच बनवा लेती है.
उधर रेशमा बाई की पीठ में असहनीय दर्द होने लगता है तो सेहर उस की मालिश करने लगती है. सेहर उसे बताती है कि पिछले हफ्ते हबीबा बेगम के कोठे से लड़कियों को पूछताछ के लिए पुलिस उठा कर थाने ले गई थी, मगर आप का रुतबा तो बड़ा है. तब रेशमा बाई बताती है कि कादिर भाई के लिए रेशमा बाई का पिंजरा काफी करीब है. तब सेहर सोचने लगती है कि जब हम गांव में फल चुराते हुए पकड़े जाते थे, तब भाग कर मालिक की छत पर ही छिप जाते थे. आदमी अपने दुश्मन को हर जगह ढूंढता है सिवाय अपने घर के आंगन के. उधर गुंडे राजू की जम कर पिटाई कर रह हैं. जब राजू पानी मांगता है तो एक गुंडा अपने पैंट की जिप खोल कर उस को पेशाब ही पिला देता है. सबइंस्पेक्टर प्रभा अब सत्तार को सेहर का स्केच दिखा कर पूछती है कि उन लड़कियों को पकड़वाने के लिए इसी ने टिप दी थी न?
अगले दृश्य में सबइंसपेक्टर प्रभा सत्तार से कहती है देख, मैं यह नहीं जानती कि तेरा और सेहर का रिश्ता क्या है, अब सेहर से कहो कि मेरे पास आए और सरेंडर कर दे. मैं उसे बचाने के लिए अपनी जान लगा दूंगी. सत्तार अपनी बाइक पर बैठ कर अब अपने और सेहर के बारे में सोचता हुआ कहीं जा रहा है. अगले सीन में सेहर कोठे पर एक ग्राहक के साथ सैक्स संबंध बना रही है, तभी दूसरी ओर सत्तार बाइक से संतुलन खो कर जमीन पर गिर जाता है और सड़क पर गिर कर दर्द से तड़प रहा है. अकरम के गुंडे आ कर अकरम को बताते हैं कि आप ने कहा था कि राजू को किडनैप कर के लाओ, मगर अकरम भाई वह तो शहर से ही गायब हो गया है. अकरम कहता है कि यदि उसे तुम लोगों ने नहीं उठाया तो वह कहां गायब हो गया.
इधर राजू को धनंजय राणा ने किडनैप कराया था, जो अभी राजू को धमका रहा है और इसी के साथ सातवां एपिसोड समाप्त हो जाता है. सातवें एपिसोड की बात करें तो इस एपिसोड में राजस्थान पुलिस का काम मुंबई पुलिस के मुकाबले बेहतर दिखाया गया है, जबकि पूरे भारत में मुंबई पुलिस की धाक है. लेकिन लेखक ने मुंबई पुलिस का तो काम ही तमाम कर के रख दिया है. अभिनय की निगाह से भी सैक्स के अलावा इस एपिसोड में देखने लायक और कुछ भी नहीं है.
एपिसोड नंबर 8
इस एपिसोड का नाम ‘द फाइनल शो डाउन’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में धनंजय बिजली का करेंट लगा कर राजू से सेहर के बारे में पूछताछ कर रहा है. अगले दृश्य में शरीर पर चोटों से ग्रसित सत्तार रेशम बाई के कोठे पर सेहर उर्फ निशा से मुलाकात करना चाहता है. उसे रेशम बाई वहां से भगा देती है. इस के अगले दृश्य में नेपाल से अकरम का आदमी नेपाली बल्ली ट्रक से लड़कियां उतार रहा है. इधर रेशमा बाई की पीठ पर सेहर उर्फ निशा तेल से मालिश कर रही है. रेशमा बताती है कि कल तुझ से मिलने सत्तार आया था, वह सेहर को प्यार न करने के लिए समझाती है.
इघर धनंजय राजू से इंसपेक्टर सतपुते को फोन करने को कहता है तो राजू सतपुते से कहता है कि मैं तुझे एक नंबर भेज रहा हूं. इस नंबर से सेहर ने अपनी मां को घर पर फोन किया था और उसे पकड़ कर सीधे मेरे पास लाना, कादिर भाई के पास नहीं. क्योंकि उस लड़की सेहर ने ही गफूर को मारा था, जिस का मैं गवाह हूं. अगले दृश्य में अब कादिर के गुंडे सत्तार को उल्टा लटका कर उस की जम कर पिटाई कर रहे हैं. उधर रेशम बाई सेहर से कहती है कि यदि तुम कुछ बात छिपाओगी या मेरे पिंजरे में कुछ आफत आई तो तुम्हें छोड़ूंगी नहीं.
अगले दृश्य में सत्तार उल्टा लटका कराह रहा है, तभी अकरम हाथ में बड़ी छुरी ले कर सत्तार के पेट पर वार कर उसे क्रूरता से मार डालता है. इधर राजू धनंजय से उसे छोडऩे के लिए कहता है. तभी इंसपेक्टर सतपुते का फोन आता है. वह राजू से कहता है कि लड़की सेहर मिल गई है, बोल कहां लाने का है. राजू कुछ बोलने वाला होता है तो धनंजय उसे इशारा करते हुए बाद में आने को कहता है. फिर सतपुते का फोन स्विच औफ हो जाता है. तब धनंजय राजू से कहता है कि बात कुछ और है, ये सतपुते हमें चूतिया बना रहा है. इधर अकरम आईवी के पास आ कर कहता है कि मेरी कमर में दर्द हो रहा है, जरा मालिश कर दे. आईवी उसे कहती है कि तुम्हारे साथ मैं केवल बिजनैस करूंगी और कुछ नहीं और मुझे मसाज पार्लर के लिए अनुभवी लड़कियां चाहिए, नई लड़कियां नहीं.
अगले दृश्य में सबइंसपेक्टर प्रभा को एक गोदाम के अंदर सत्तार की लाश मिलती है, जिसे देख कर वह बहुत दुखी हो जाती है. अगले दृश्य में अकरम रेशमा बाई के कोठे पर पहुंच कर उस से कहता है कि अब बाबूराव की विदाई का वक्त आ गया है. अकरम रेशमा बाई से कहता है कि मुझे मसाज पार्लर के लिए तुम्हारी लड़कियां चाहिए, बदले में नेपाल से आई नई लड़कियां मैं तुझे दे दूंगा. बोल कितने रुपए चाहिए तुझे. रेशमा उसे कहती है कि ये सब लड़कियां मेरा परिवार है और परिवार का सौदा नहीं होता. अकरम उसे धमकी देता हुआ गुस्से से वहां से चला जाता है. इधर सतपुते अपनी टीम के साथ धनंजय के अड्ïडे में राजू की तलाश में घुस जाता है. धनंजय और सतपुते के बीच काफी जंग होती है और वहां पर जब सतपुते राजू को अपने साथ ले जा रहा होता है तो धनंजय पीछे से गोली मार कर राजू की हत्या कर देता है.
अब अकरम अपने गुंडों को ले कर रेशमा बाई के कोठे पर पहुंच कर उसे लड़कियां सौंपने को कहता है, तभी कादिर का फोन अकरम को आता है कि तू कुछ नहीं करेगा, मैं आ रहा हूं. कादिर के आने पर रेशमा उस से अकरम की शिकायत करती है. कादिर यहां पर अपने बेटे का ही पक्ष लेता है और रेशमा से कहता है कि अकरम तेरा बेटा नहीं, बल्कि नजमा का बेटा है. कल सुबह 11 बजे तू अपनी सभी लड़कियों को अकरम को सौंपेगी और नेपाल से जो लड़कियां आई हैं, उन्हें तू अकरम से खरीदेगी वरना तेरे खानदान के साथ तुझे भी यहीं दफना दूंगा और फिर कादिर और अकरम वहां से चले जाते हैं.
इधर धनंजय राणा सभी कोठों पर जा कर सेहर को ढूंढने लगता है. अकरम और उस के गुंडे साथ में रहते हैं. इधर डाक्टर सेहर के पास आ कर बता देता है कि इंसपेक्टर सतपुते सत्तार को अपने साथ अकरम के पास ले गया, जहां अकरम ने सत्तार को जान से ही मार डाला. धनंजय अब हबीबा बेगम के कोठे पर सेहर को तलाश करता है. सबइंसपेक्टर प्रभा थाने में इंसपेक्टर सतपुते से कहती है कि तुम ने ही सत्तार को मरवाया है. इस पर सतपुते उसे इस केस से बाहर कर देता है और औफिस से बाहर भगा देता है. धनंजय राणा कादिर के पास आ कर कहता है कि अब रेशमा बाई का पिंजरा बाकी रह गया है. चलो, वहां पर सेहर की तलाश करते हैं. कादिर कहता है कि वहां पर जनाजा निकल रहा है, वहां आज नहीं जाएंगे तो धनंजय कहता कि जिसे मरना था वह मर गई, अब जिसे मारना है उस पर ध्यान देते हैं तो कादिर उसे परमिशन दे देता है.
दूसरी ओर बाबूराव के घर पर उस के कुछ पुराने साथी हथियार ले कर उस का साथ देने आ जाते हैं. अगले दृश्य में जोरजोर से आसमान में बिजली चमकने लगती है और फिर तेज वर्षा होने लगती है. कोठे में छाते ले कर लड़कियां खड़ी हैं, तभी वहां पर अकरम आता है और अपनी पिस्टल अपने साथी को दे कर फातिमा बी की कब्र पर दुआ पढ़ता है. सेहर उस को घूरघूर कर दूर से देखती है. अकरम दुआ पढ़ते हुए फातिमा के सिर पर हाथ रख कर जैसे ही नीचे हाथ डालता है, वैसे ही रेशमा बाई बाबू चिल्लाती है. उस के बाद वहां पर चारों तरफ से गोलियां चलने लगती हैं.
अगले दृश्य में फ्लैशबैक में रेशमा बाई और बाबूराव की मुलाकात दिखाई जाती है, जहां रेशमा बाई बाबूराव से कह रही है कि बाबूराव तुम से आगे बढऩे का आइडिया मैं ने अकरम को दिया था. अगर तुम अब बोलो कि आज की स्थिति में तुम मुझे जान से मारोगे या मेरे साथ मिल जाओगे. इधर सीन अब वर्तमान में आ जाता है. बाबूराव अकरम पर गोली चलाता है. इधरउधर और ऊपर से गोलियां बरस रही हैं. कोठे की लड़कियां इधरउधर बदहवास अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रही है. अकरम बाबूराव को मारने वाला ही होता है, तभी दृश्य एक बार फिर फ्लैशबैक में चला जाता है. रेशम बाई सेहर को बताती है कि सतपुते सत्तार को ले कर अकरम के पास गया था. अकरम ने ही बेदर्दी से सत्तार की हत्या कर दी थी.
तुम अब अकरम को मरे हुए देखना चाहती हो न. तभी सेहर वर्तमान में अकरम पर गोली चला देती है. अकरम घायल हो जाता है तो सेहर भूखी शेरनी की तरह पीछे से उस के कंधे पर चढ़ कर उस का गला दबाने लगती है. अकरम जमीन पर गिर जाता है तो सेहर अकरम के सीने पर गोली चला देती है. उस को तड़पता हुआ देख कर कादिर वहां आ कर कहता है मेरा बच्चा अकरम तू ठीक है न बेटा. धनंजय राणा, कादिर और सेहर अब आमनेसामने पिस्तौल ताने आ जाते हैं. तभी सेहर सोचती है मुसीबत से जितना दूर भागो, वह आप के दरवाजे पर आहट दे ही देती है. ये पहली बार नहीं था कि मैं ने अपनी मौत को अपने सामने खड़ा देखा था. लेकिन मंजिल तक पहुंचने के लिए मौत से सामना करना ही पड़ता है और फिर इस तरह इस एपिसोड के साथसाथ ये वेब सीरीज भी समाप्त हो जाती है.
आठवें एपिसोड की बात करें तो इस में भी स्थिरता कहीं दिखाई नहीं देती. सीरीज के अंतिम समय में कादिर और सेहर आमनेसामने बीच में अकरम और एक कोने में खून से लथपथ धनंजय को दिखाया गया है. इन में से कौन जिंदा बचा या मरा, यह सस्पेंस दर्शकों के ऊपर थोप दिया है. यदि अंतिम दृश्य में इस बात की सच्चाई लेखक और निर्देशक द्वारा दिखाई जाती तो वेब सीरीज का अंत तो कम से कम और बेहतर हो सकता था. यदि पूरी वेब सीरीज ‘चिडिय़ा उड़’ की समीक्षा करें तो सैक्स ट्रेड के भीतर की आंतरिक राजनीति की खोज में बहुत ज्यादा कल्पना की कमी है. सत्ता संघर्ष, विश्वासघात और पारस्परिक संबंध पूरी तरह से पूर्वानुमानित हैं और एक बिंदु के बाद दर्शकों को कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं रहती. किसी भी स्तर पर दर्शकों को आश्चर्यचकित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है.
यह समझना भी मुश्किल है कि उपन्यास में ऐसा क्या था, जो चौंकाने वाला था कि इस वेब सीरीज को 8 एपिसोड और 5 घंटे के लंबे प्रारूप से रूपांतरित करना पड़ा. वेब सीरीज के लेखक मोहिंदर प्रताप सिंह और चिंतन गांधी के चरित्र चित्रण के प्रयास स्पष्ट हैं, लेकिन उन्हें शो को अतीत में सैक्स व्यापार पर बनी कई फिल्मों से अलग करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए था. सच कहें तो वेब सीरीज चिडिय़ा उड़ ने उद्योग को साल की शुरुआत में फिर से ग्राउंड जीरो पर वापस ला दिया है, जिस में कोई भी नयापन नहीं है.
जैकी श्रौफ
मशहूर फिल्म अभिनेता जैकी श्रौफ का जन्म पहली फरवरी, 1957 को मुंबई में हुआ था. जैकी का असली नाम जयकिशन काकुभाई श्रौफ है. इसे जग्गू दादा के नाम से भी जाना जाता है. इस के पिता का नाम कटुभाई व माता का नाम रीटा श्रौफ है. जैकी श्रौफ मुंबई के बालकेश्वर इलाके में एक चाल में रहा करता था. फिल्मों में आने से पहले इस ने कुछ विज्ञापनों में एक मौडल के रूप में काम किया था. जैकी को सब से पहले देव आनंद साहब की फिल्म ‘स्वामी दादा’ में एक छोटी सी भूमिका मिली थी. 1983 में निर्मातानिर्देशक सुभाष घई ने इस को अपनी एक फिल्म ‘हीरो’ में प्रमुख भूमिका प्रदान की. खुशकिस्मती से यह फिल्म बहुत ही ज्यादा सफल हुई और जैकी रातोरात एक बड़ा सितारा बन गया. 80 के दशक में जैकी ने अपनी प्रेमिका आयशा दत्त से विवाह कर लिया. आयशा बाद में एक फिल्म निर्मात्री भी बनी.
जैकी अपनी पत्नी के साथ जैकी श्रौफ एंटरटेनमेंट लिमिटेड नामक मीडिया कंपनी भी चलाता है. इन के 2 बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी. बेटे का नाम टाइगर (जय हेमंत) और बेटी का नाम कृष्णा है. टाइगर श्रौफ भी एक मशहूर फिल्म अभिनेता है. जैकी की प्रमुख फिल्में ‘हीरा पन्ना’, ‘हीरो’, ‘तेरी मेहरबानियां’, ‘पाले खान’, ‘कर्मा’, ‘दिलजला’, ‘कुदरत का कानून’, ‘रामलखन’, ‘दूध का कर्ज’, ‘सौदागर’, ‘प्रेम दीवाने’, ‘गर्दिश’, ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, ‘रंगीला’, ‘कलिंगा’, ‘अग्निसाक्षी’, ‘बार्डर’, ‘बंधन’, ‘लावारिस’, ‘फूल और आग’, ‘मिशन कश्मीर’, ‘रिफ्यूजी’, ‘कुरबानी’, ‘हैप्पी न्यू ईयर’, ‘हाउसफुल 3’, ‘सरकार 3’ और ‘साहो’ हैं.
जैकी श्रौफ को 1990 में ‘परिंदा’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्मफेयर अभिनेता के अवार्ड से सम्मानित किया गया. फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ के लिए वर्ष 1995 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता, वर्ष 1996 में ‘रंगीला’ फिल्म के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता, वर्ष 2007 में हिंदी सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए विशेष औनर जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
भूमिका मीणा
अभिनेत्री भूमिका मीणा का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ था. इस की प्रारंभिक शिक्षा महारानी गायत्री देवी गल्र्स स्कूल, जयपुर से हुई. जहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की. वर्धमान महावीर मैडिकल कालेज (वीएमएमसी), सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से वर्ष 2012-2017 में बैचलर औफ मैडिसन ऐंड बैचलर औफ सर्जरी (एमबीबीएस) की पढ़ाई पूरी की. 27 वर्षीय डा. भूमिका मीणा शैक्षणिक रूप से प्रतिभाशाली छात्रा थी, जो नृत्य, नाटक और सार्वजनिक भाषण सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया करती थी.
भूमिका मीणा ने 2017 में नई दिल्ली अक्षरा थिएटर से अपने पेशेवर अभिनय करिअर की शुरुआत की, जहां पर उन्होंने ‘एलिस एंड कृष्णा इन वंडरलैंड’ (2017), ‘प्यार एक धोखा है’ (2018) जैसे नाटकों में अभिनय किया. अभिनय में अपनी रुचि को बढ़ाने के लिए भूमिका मुंबई गई. उन्होंने थिएटर आट्र्स ऐंड रिसर्च के लिए आदिशक्ति प्रयोगशाला, मुंबई में अतुल मोंगिया द्वारा द आर्टिस्ट कलेक्टिव और न्यूयार्क में ली स्ट्रैसबर्ग थिएटर ऐंड फिल्म इंस्टीट्यूट में अपना अभिनय का प्रशिक्षण पूरा किया. भूमिका मीणा ने ‘डाइंग’ (2020), ‘कशमकश’ (2022) और ‘चूहेदानी’ (2022) जैसी लघु फिल्मों में अभिनय किया. इस के बाद वह टेलीविजन सीरीज ‘स्लम गोल्फ’ (2023) में मुख्य भूमिका में दिखाई दी थी. उन्होंने फिल्म ‘दुकान’ (2024) में किंजल का किरदार निभाया, जो सरोगेसी पर केंद्रित था.
भूमिका की एक छोटी बहन लक्षिता मीणा है, जो पढ़ाई कर रही है. भूमिका मीणा को वर्ष 2019 में लघु फिल्म ‘चूहेदानी’ (2022) के लिए गोल्डन जूरी फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है. अभी भूमिका मुंबई में रहती हैं और इन्हें नृत्य और बागवानी का शौक भी है.
प्रस्तुति: नवीन पोखरियाल