UP News : दिल्ली के अशोक वाल्मिकी ने जब 38 वर्षीय पत्नी मीनाक्षी से महाकुंभ जाने की बात कही तो वह फूली नहीं समा रही थी, क्योंकि महाकुंभ की भव्यता का दर्शन कर उस की दिली इच्छा भी त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने की थी. लेकिन अशोक के मन में तो कुछ और ही चल रहा था. उस ने प्रयागराज ले जा कर एक लौज में पत्नी की गरदन काट कर हत्या कर दी. आखिर अशोक ने ऐसा क्यों किया?
पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में रहने वाली मीनाक्षी घरेलू समस्याओं और उलझनों को ले कर कुनमुनाई हुई थी. घर की छोटी सी रसोई में खाना पकाते समय बारबार उस के हाथ से बरतन छूट जा रहे थे. वह चिढ़ती हुई बुदबुदा रही थी, ”मैं यहीं रसोई में सड़ रही हूं… एक दिन यहीं मरखप जाऊंगी…सभी कुंभ जा रहे हैं…जब से वो हरामजादी आई है, तब से मेरा जीवन और नरक बन गया है. आज आने दो उस को साफसाफ कह दूंगी वैशाली या फिर मैं…’’
घर में अशोक के आने की आहट होते ही मीनाक्षी और भी तेज आवाज में बोलने लगी. बोलतेबोलते वह आक्रामक हुई जा रही थी. बारबार वैशाली का नाम ले रही थी. आखिर अशोक से रहा नहीं गया. बोला, ”तुम बारबार मुझ पर शक करती हो, मैं किसी वैशाली को नहीं जानता.’’
”खाओ मेरी कसम! रखो बच्चों के सिर पर हाथ और कहो कि मेरा वैशाली से कोई चक्कर नहीं है.’’
”हांहां सौगंध लूंगा, लेकिन यहां नहीं गंगा में तुम्हारे साथ खड़े हो कर.’’ अशोक बोला.
”गंगा स्नान को ले कर जाओगे तब न,’’ मीनाक्षी बोली.
”तैयारी करो, आने वाले शनिवार को चलते हैं.’’ अशोक बोला.
”कहां ले चलोगे, हरिद्वार या फिर प्रयागराज के संगम में?’’ मीनाक्षी बोली.
”जहां तुम कहो, लेकिन हां, फिर मुझ पर शक नहीं करना कि तुम्हारी कोई सौतन भी है.’’
”चलो देखती हूं.’’ कहती हुई मीनाक्षी ने एक लंबी सांस ली और रसोई के बचे काम को पूरा करने में लग गई. पति द्वारा गंगा स्नान के लिए ले जाने का आश्वासन मिलते ही वह खुश हो गई. उस की पति के प्रति नाराजगी भरी कुनमुनाहट पल भर में दूर हो गई. हो भी क्यों न, उस की सालों की तमन्ना पूरी जो होने वाली थी.
अशोक के मन को भी थोड़ी शांति मिली. उस ने एक आश्वासन से मीनाक्षी की कड़वी बातों में मिठास घोल दी थी. हालांकि उस के मन में कुछ और ही चल रहा था. इस का अंदाज उस की कुटिल मुसकान से लगाया जा सकता था. दरअसल, अशोक काफी समय से पत्नी के व्यवहार से खफा था. उस के ताने सुनसुन कर ऊब चुका था. कान पक गए थे. वह वैशाली नाम की युवती के प्रेम जाल में फंसा हुआ था. इस की जानकारी मीनाक्षी को हो गई थी. वैशाली को भी मीनाक्षी के विरोधी तेवर के बारे में मालूम था. उस की धमकियों के बारे में सुन चुकी थी और अशोक पर कोई रास्ता निकालने का दबाव डालती रहती थी. अशोक ने वैशाली को भी इस का समाधान करने का आश्वासन दे रखा था. कुल मिला कर भीतर से बेचैन अशोक एक खतरनाक प्लान को पूरा करने का मन बना चुका था.
पत्नी को ले कर अशोक के मन में क्या पक रही थी खिचड़ी
असल में अशोक अपने प्लान को पूरा करने के लिए ही मीनाक्षी को गंगा स्नान पर ले जाना चाहता था. तय तारीख को वह सुबहसुबह मीनाक्षी को ले कर हरिद्वार पहुंच गया. ठहरने के लिए हर की पौड़ी के पास एक होटल में गया. उस ने रिसैप्शन पर बैठे ऊंघते व्यक्ति को हाथ से काउंटर की मेज को थपथपा कर जगाया.
”क्या है?’’ अलसाई आवाज में उस ने पूछा.
”मुझे कमरा चाहिए.’’
”सिंगल या डबल?’’
”कोई भी.’’
”साथ में कोई है?’’
”वाइफ है, नीचे है.’’
”किसी एक का आधार कार्ड दो.’’
”वह तो घर पर छूट गया.’’
”वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस…कुछ भी जिस में तुम्हारा एड्रैस लिखा हो.’’
”असल में घर से निकलते वक्त मेरा छोटा पर्स घर पर ही छूट गया, उसी में सारे कार्ड थे.’’ अशोक मायूस हो कर बोला.
”तो कमरा बुक नहीं हो सकता.’’
”कोई तो उपाय निकालो. इतनी सुबहसुबह कहां जाऊंगा? फ्रैश भी होना है. मैनेजर से पूछ लो.’’ अशोक ने आग्रह किया.
”नहीं भाई, बगैर किसी आईडी के कमरा बुक नहीं होगा. पुलिस का सख्त और्डर है.’’
काउंटर पर बैठे व्यक्ति ने साफसाफ मना कर दिया. अशोक होटल की तंग सीढिय़ां उतर कर सड़क किनारे खड़ी मीनाक्षी के पास आ कर बोला, ”दूसरे होटल चलते हैं. यहां कमरा साफ नहीं है.’’
”अच्छा! बाहर से तो बहुत चमक रहा है.’’
”यहां ऐसा ही है…बाहर कुछ, भीतर कुछ और…’’ अशोक ने बड़ी सफाई से कमरा बुक नहीं होने की बात छिपा ली थी.
पास के दूसरे होटल में गया. वहां भी आईडी प्रूफ की समस्या आई और कमरा बुक नहीं करवा पाया. कई छोटेछोटे लौजनुमा होटलों में घूमने के बाद बड़ी मुश्किल से एक धर्मशाला में ठहरने का इंतजाम करवा पाया. दरअसल, वह बिना आईडी या आधार कार्ड के होटल में कमरा लेना चाहता था. उस की मंशा दिल्ली से बना कर लाए गए प्लान को सफल बनाने की थी, जिस के बारे सिर्फ वही जानता था. मीनाक्षी को तो इस का आभास तक नहीं था. कुछ भी हो, अशोक ने जैसेतैसे कर मीनाक्षी की गंगा नहाने की मंशा पूरी कर दी थी. उसे वहां के सभी धार्मिक अनुष्ठान पूरे कर कई मंदिरों के दर्शन करवा दिए थे. मीनाक्षी अपने पति के भक्तिभाव को देख कर बहुत खुश थी. दोनों ने हरिद्वार में
मीनाक्षी बहुत खुश थी. उसे ऐसा लग रहा था, जैसे सब कुछ उस के मन के मुताबिक चल रहा हो. जबकि सच्चाई तो यह थी कि सब कुछ पति अशोक की सुनियोजित प्लान के अनुरूप चल रहा था, जिस में होटल का कमरा नहीं मिलने से थोड़ी बाधा आ गई थी. अगले रोज अशोक वापस दिल्ली लौट आया. सब कुछ सामान्य तरीके से चल रहा था. मीनाक्षी को भरोसा हो गया था कि अशोक का वैशाली नाम की किसी युवती सें संबंध नहीं है. 2 महीने बाद महाकुंभ के बारे में चर्चा जोरशोर से होने लगी थी. जिसे देखो, वही प्रयागराज जा कर संगम में डुबकी लगाने की तैयारी कर रहा था. औरतों में इसे ले कर गजब की ललक थी. जैसे भी हो, वह महाकुंभ में जरूर जाना चाहती थी. मीनाक्षी की इसी भावना को देखते हुए अशोक के मन में एक बार फिर करीब 2 महीने पहले बनाई योजना को अंजाम देने की चाहत जागी.
उस ने मीनाक्षी को महाकुंभ मेले में जाने के लिए राजी कर लिया. उस ने फटाफट जरूरी सामान बांधा और 17 फरवरी, 2024 को अशोक संग प्रयागराज के लिए निकल पड़ी. दोनों 18 फरवरी को प्रयागराज पहुंच गए. संगम में स्नान किया. सेल्फी ली और सोशल मीडिया के अपने अकाउंट पर मुसकराहटों वाली कुछ तसवीरें अपलोड कर दीं. उस के बाद दोनों थकेहारे प्रयागराज के शहरी इलाके में होटल की तलाश में निकल पड़े, जहां उन्हें कमरा मिल सके. वहां भी अशोक ने बगैर आईडी प्रूफ दिए होटल का कमरा बुक करवाने की कोशिश की, जिस में वह असफल रहा. सभी ने बिना आईडी के कमरा देने से इनकार कर दिया.
इस दरम्यान अशोक जब होटल के रिसैप्शन पर बात करने जाता तो पत्नी को नहीं ले जाता था. कई बार वह उसे होटल के बाहर ही खड़ा रखता था. हालांकि पत्नी को उस का ऐसा करना थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन उस ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई. कमरा तलाशते हुए अशोक की मुलाकात एक लोकल व्यक्ति सुरेंद्र बिंद से हो गई. वह अस्थायी बने निजी लौज आदि के लिए ब्रोकर का काम करता था. कुंभ में आने वालों को देखते हुए प्रयागराज के कई निवासियों ने अपने खाली घर को ही अस्थायी लौज का रूप दे दिया था, जिस में कुछ घंटे के लिए लोग ठहरते थे. वहां किसी तरह की आईडी प्रूफ जैसी झंझट नहीं थी.
अशोक की उम्र और साथ में पत्नी को देख कर सुरेंद्र ने नई झूंसी, आजाद नगर इलाके में महाकुंभ मेले के निकट अपनी मौसी के बेटे संजय का कमरा दिलवा दिया. एक रात गुजारने का किराया 500 रुपए लिए. बदले में उस ने अपना कमीशन भी लिया. अशोक ने संजय को अपना मोबाइल नंबर तक नहीं दिया. उस ने कहा कि उस का मोबाइल मेले में खो गया है. अशोक और मीनाक्षी ने राहत की सांस ली. उन्होंने आराम किया. थकी मीनाक्षी जल्द सो गई, जबकि अशोक छिपा कर रखे मोबाइल पर वेब सीरीज देखने लगा.
मीनाक्षी की गला काट कर की हत्या
अगले रोज 19 फरवरी, 2025 को थाना झूंसी के एसएचओ उपेंद्र सिंह के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. उन्होंने मोबाइल काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ”यहां एक महिला की लाश पड़ी है. आप जल्द आ जाइए.’’ काल करने वाले ने उन्हें घटनास्थल का एड्रैस भी बता दिया. एसएचओ उपेंद्र सिंह तुरंत अपने सहयोगी पुलिसकर्मियों को ले कर आजाद नगर की केवट बस्ती में पहुंच गए. वहां मकान की पहली मंजिल पर अस्थाई लौज के कमरे के पास बने बाथरूम में एक महिला की खून में लथपथ लाश पड़ी थी.
पुलिस ने घटना की जांच शुरू की तो पता चला कि दंपति बीती रात यहां आया था. लौज चलाने वाले व्यक्ति ने उस से किसी भी तरह की आईडी नहीं ली थी. रजिस्टर में दिल्ली के त्रिलोकपुरी का पता लिखवाया गया था. वह भी अधूरा जैसा ही लग रहा था. उस लौज के मैनेजर संजय ने ही इस की सूचना पुलिस को दी थी. उस ने पुलिस को बताया कि वे पतिपत्नी के रूप में यहां आ कर रुके थे. उन के बीच कोई तनाव जैसी बात नजर नहीं आई थी. रात के एक बजे तक दोनों जागे थे. कमरे के बाहर कंबाइन बने बाथरूम और लैट्रिन के पास ही लाश पड़ी थी. वे एफ 4 नंबर के कमरे में ठहरे थे. यह लैट्रिन बाथरूम को फस्र्ट फ्लोर पर रुकने वाले या अन्य लोगों के लिए भी था.
पुलिस टीम ने कई ऐंगल से लाश के फोटो लिए. कमरे की तलाशी ली. कमरे में दंपति का किसी तरह का कोई सामान नहीं मिला. बाथरूम के फर्श से खून के नमूने लिए गए. शव को सील कर दिया गया. पंचनामा भरने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. पुलिस के लिए उस की गुत्थी सुलझाना आसान नहीं था, क्योंकि महाकुंभ की भारी भीड़ थी और लाश की गरदन आधी कटी हुई थी. यानी यह मर्डर का मामला था. पुलिस के सामने एक बड़ा सवाल था कि कमरे में ठहरने वाला व्यक्ति वहां से फरार था तो क्या हत्याकांड का संबंध उस से जुड़ा था? उसे महाकुंभ की भीड़ में तलाशना भी कोई आसान नहीं था.
उसी रोज शाम के वक्त अंधेरा घिर आने पर अशोक ने दिल्ली में अपने बेटे को फोन किया. काल रिसीव होते ही वह रोने लगा. कुछ बात नहीं कर पा रहा था. पापा को फोन पर सुबकने की आवाज सुन कर पूछा, ”पापा, क्या हुआ? आप क्यों रो रहे हैं? कोई परेशानी है तो बताइए.’’
”अरे बेटा, तुम्हारी मम्मी को मैं पिछले 18 घंटे से तलाश कर रहा हूं, लेकिन वह मिल नहीं रही है. पता नहीं महाकुंभ की इस भीड़ में अचानक कहां लापता हो गई? मैं उसे सुबह से ही ढूंढ रहा हूं…’’ कहतेकहते आशोक फिर रोने लगा.
”ऐसे कैसे लापता हो गई, पापा परेशान मत हो. मम्मी जरूर मिल जाएंगी. आप पुलिस में शिकायत लिखवा दो.’’ बेटे ने समझाया.
बेटे की तसल्ली से अशोक शांत हो गया. बेटे से बोला, ”तुम भी परेशान नहीं होना. मैं यहां उस की तलाश कर के लौटूंगा.’’
”ठीक है पापा. आप वहीं रुक कर मम्मी की तलाश करो, मैं भी छोटे भाई के साथ आ जाता हूं, हम लोग मिल कर मम्मी को ढूंढ निकालेंगे.’’ बेटा बोला.
उस ने अपने छोटे भाई आदर्श को मम्मी के महाकुंभ में गुम होने की बात बताई. उन्होंने इस की जानकारी अपने मामा प्रवेश को दी और उन से जितनी जल्दी हो सके, प्रयागराज चलने की विनती की.
अशोक के दोनों बेटे अश्विनी और आदर्श अपने मामा प्रवेश के साथ अगले रोज ही प्रयागराज पहुंच गए. मीनाक्षी की तलाश शुरू करने से पहले वह प्रयागराज के थाना दारागंज गए. वहां मम्मी मीनाक्षी की फोटो दे कर मेले में गुम होने की शिकायत दर्ज की. फोटो देखते ही पुलिस चौंक गई. तीनों को असलियत बताए बिना पुलिस ने उन्हें थाना झूंसी जाने के लिए कहा. तीनों उम्मीद के साथ थाना झूंसी पहुंचे. वहां एसएचओ उपेंद्र प्रताप सिंह से मुलाकात की. बेटों ने उन्हें मम्मी की फोटो दिखाते हुए उन के मेले में गुम होने की बात बताई. उपेंद्र प्रताप सिंह महिला की तसवीर देख कर चौंक गए.
वह जिस अज्ञात लाश की शिनाख्त को मुश्किल भरा समझ रहे थे, उस की पहचान तसवीर से ही गई थी. तब एसएचओ ने उन्हें आजाद नगर के लौज से बरामद महिला की लाश के फोटो दिखाए. फोटो देखते ही बेटे रोने लगे. उन्होंने कहा कि यह तो उन की मम्मी मीनाक्षी की लाश है. तब पुलिस उन्हें मुर्दाघर ले गई और बरामद लाश उन्हें दिखाई. अपनी मां की लाश देख कर दोनों भाई बिलखबिलख कर रोने लगे. वे बड़ी उम्मीद ले कर दिल्ली से आए थे. उन्होंने इस की कल्पना तक नहीं की थी कि उस की मां इस हालत में मिलेगी. वह भी आधी गरदन कटी हुई. उन के द्वारा महिला की शिनाख्त मीनाक्षी पति अशोक कुमार निवासी त्रिलोकपुरी, दिल्ली के रूप में हुई.
पुलिस जांच की काररवाई आगे बढ़ी. लौज के आसपास कोई सीसीटीवी नहीं था. दूर की सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरों से 2 क्लिप मिलीं. उस में मीनाक्षी नजर आ गई. उस के साथ नजर आने वाले व्यक्ति की पहचान बेटे ने पापा अशोक कुमार के रूप में कर ली. दोनों भाइयों ने 19 फरवरी, 2025 की रात में पापा से फोन पर हुई बात एसएचओ को बताई तो उन्होंने दोनों भाइयों से कहा कि वह अपने पापा को फोन कर यहां बुला लें, लेकिन मम्मी की मृत्यु के बारे में उन्हें नहीं बताएं. उसे इसी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के बारे में बताएं.
बात 21 फरवरी, 2025 की है. अश्विनी ने अपने पापा को फोन कर थाना झूंसी में बुलाया. कहा कि मम्मी कि गुमशुदगी की सूचना दर्ज करानी है. बेटे के कहने पर अशोक सीधे झूंसी थाने आ गया तो पुलिस ने उसे तुरंत हिरासत में ले लिया. कारण, उस पर पुलिस को पत्नी मीनाक्षी की हत्या में शामिल होने का शक हो गया था. पुलिस ने अशोक से सख्ती से पूछताछ की तो अशोक घबरा गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही पत्नी मीनाक्षी का कत्ल किया है. उस की गरदन चाकू से काट डाली थी और उस के बाद चाकू बैग में ले कर भाग गया था. वह चाकू अपने साथ पहले से ही ले कर आया था. उस ने पत्नी की हत्या तब की थी, जब वह बाथरूम गई थी. उस ने उस पर पीछे से वार कर दिया था.
उस ने सोचा था कि महाकुंभ की भीड़ में पुलिस को कभी कुछ पता नहीं चलेगा. किंतु ऐसा नहीं हो सका और उस की गिरफ्तारी हो गई. पत्नी की हत्या का कारण भी कुछ कम रोमांच से भरा नहीं था. अशोक का पड़ोस की एक महिला वैशाली से प्रेम संबंध था, जबकि वह अधेड़ उम्र का व्यक्ति 3 बेटों का बाप था. उस की प्रेम कहानी भैया से सैंया बनाने की है. एक बार अशोक अपनी बाइक से घर से निकला था. थोड़ी दूर ही चला था कि उसी मोहल्ले की रहने वाली वैशाली ने हाथ दिखा कर लिफ्ट मांगी. अशोक ने बाइक रोक दी. वह बोली, ”भैया मुझे बस स्टौप तक छोड़ देना.’’
”भैया कहना जरूरी है क्या? रिश्ता कुछ और भी हो सकता है. आप तो पड़ोसन हैं, आप का पूरा अधिकार है, आप मुझ से कुछ भी काम ले सकती हो.’’ अशोक बोलने लगा.
”बसबस, बहुत हो गई तारीफ, आगे से खयाल रखूंगी, नाम से बुलाऊंगी. देख लो, मुझ से काफी बड़े हो…बुरा मत मानना.’’ वैशाली भी मुसकरा कर उसी के अंदाज में बोलने लगी.
”अच्छाअच्छा ठीक है…बैठो जल्दी.’’ अशोक बोला.
वैशाली अशोक का कंधा पकड़ कर बाइकपर बैठने की कोशिश करने लगी.
”अरे दिल्ली वाली हो, एक तरफ पैर क्यों, दोनों पैर क्रौस कर बैठो.’’ अशोक बोला.
वैशाली आंखों से इशारा कर मुसकरा दी. दोनों की नजरें मिलीं और एकदूसरे के दिल में उतर गई. अशोक ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ”संभल कर बैठो न, तुम ने तो अपनी नजरों से मुझे घायल कर दिया. अब संभालना तुम्हारा काम है.’’
वैशाली अपने चेहरे पर शरारत भरी मुसकान बिखेरते हुए बाइक पर बैठ गई और उसी के लहजे में बोली, ”नजरों के तीर चलाने में तुम तो मंझे हुए लगते हो. बाइक संभाल कर चलाना, झटके नहीं देना. हमारेतुम्हारे बीच की दूरी इंचदो इंच भर की है. वह बनी रहनी चाहिए.’’
वैशाली का इतना कहना था कि अशोक ने अचानक जोर से ब्रेक लगाया. वैशाली ने अपना बचाव करते हुए अशोक को पीछे से पकड़ लिया. दोनों हाथों की पकड़ उस की कमर तक जा पहुंची थी.
”कर दी न शरारात!’’ वैशाली तुनकती हुई बोली, किंतु उस के उन्नत वक्षों के स्पर्श से ही अशोक के जिस्म में बिजली सी कौंध गई थी.
…और धीरेधीरे वैशाली से हो गया प्यार
उस के जिस्म की गरमाहट से वैशाली को भी एक अजीब आनंद की अनुभूति हुई. स्टौप आ गया था. वैशाली उतर गई, लेकिन जिस अंदाज में हाथ हिला कर गई, उस में जल्दी मिलने का स्पष्ट संकेत था. वैशाली बहुत खूबसूरत थी, लेकिन उस का पति उस के भरपूर यौवन की तरफ कोई ध्यान नहीं देता था, जो एक फैक्ट्री में नौकरी करने वाला मेहनतकश इंसान था. दिन भर ड्यूटी के बाद कुछ घंटे का ओवर टाइम भी कर लिया करता था. इस कारण थकाहारा घर आता और खाना खा कर सो जाता था. वैशाली की तड़प बढ़ जाती थी. जब से अशोक और वैशाली मिले थे, तब से दोनों के बीच वासना लिपटे प्यार का अंकुर फूट पड़ा था. दोनों का मिलनाजुलना शुरू हो गया था. यह अंकुर पौधे से कब वृक्ष बन गया, पता ही नहीं चला. देखतेदेखते दो जिस्म एक जान हो गए.
अशोक कुमार वाल्मिकी का विवाह करीब 20 साल पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी मीनाक्षी से हुआ था. उस के 3 बेटे हैं अश्विनी, आदर्श व आशीष. अशोक 40 साल का हो चुका था, जबकि मीनाक्षी 38 वर्ष की थी. अशोक दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन (एमसीडी) में नौकरी करता था. वह फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का फैन था. अधेड़ अवस्था में भी वह बिल्कुल उसी के स्टाइल में रहता है. उस के बोलने की स्टाइल भी मिथुन चक्रवर्ती की तरह ही थी. उदार स्वभाव का होने के कारण वह हर किसी से बहुत जल्दी ही घुलमिल जाता था. पत्नी मीनाक्षी भी काफी सुंदर थी. वह ग्रामीण परिवेश में पलीबढ़ी थी.
हत्या के बाद प्रेमिका ने भी मोड़ लिया मुंह
गृहस्थी को संभालते- संभालते उस के यौवन में पहले जैसी कशिश और आकर्षण में कमी आ गई थी. बड़ेबड़े बच्चों का लिहाज करते हुए वह अपने पति के साथ रोमांस के लिए कुछ पल भी नहीं निकाल पाती, जिस से दोनों के बीच की दूरी बढ़ती जा रही थी. सैक्स करने की इस आवश्यकता का तकाजा कई बार उसने अपनी पत्नी मीनाक्षी से किया, लेकिन मीनाक्षी ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया और कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. ऐसी स्थिति में अशोक का मन विचलित होना एक स्वाभाविक बात थी. अब वैशाली से उस की मुलाकातें बढ़ती जा रही थीं. एक दिन की बात है कि मीनाक्षी अपने बेटों के साथ दिल्ली में ही किसी शादी के प्रोग्राम में गई हुई थी.
मौका देख कर अशोक ने वैशाली को अपने घर ही बुला लिया. दोनों ने भरपूर रोमांस किया. मौजमस्ती की और जम कर बातें की. भविष्य की योजनाएं बनाई. अशोक ने कहा कि तुम्हें जीवनसाथी बनाना चाहता हूं. तुम अपने पति को छोड़ कर मेरे साथ रहने की तैयारी कर लो. दिल्ली में किसी दूसरे इलाके में एक कमरा किराए पर ले कर हम दोनों वहीं एक साथ ही रहेंगे. कसमेवादे हो रहे थे कि अचानक दरवाजे को किसी ने खटखटाया. अशोक को अंदाजा नहीं था कि पत्नी प्रोग्राम से इतनी जल्दी वापस आ सकती है. अशोक ने दरवाजा खोला तो सामने पत्नी ही खड़ी थी. वह अंदर आई.
वैशाली को वहां देखते ही उस का पारा चौथे आसमान पर पहुंच गया. उस ने वैशाली को जम कर बुराभला कहा. इतना ही नहीं, उस ने झपट कर वैशाली के बाल पकड़े और खींच कर उसे घर से बाहर निकाल दिया. अशोक को यह बात बहुत बुरी लगी. दोनों में जम कर नोकझोंक होने लगी. बात इतनी बढ़ गई कि अशोक ने मीनाक्षी की जम कर पिटाई कर दी. उस के बाद घर में कलह रहने लगी. बात इतनी बढ़ गई कि पतिपत्नी का एक साथ रहना मुश्किल सा हो गया. एक रोज मीनाक्षी ने अशोक को धमकी दी थी कि उस ने वैशाली से मिलनाजुलना बंद नहीं किया तो वह अपने भाइयों की मदद से सबक सिखाएगी. उस के बाद से ही अशोक अपमानित महसूस करने लगा था. इस की जानकारी वैशाली को भी हुई. उस ने जब इस का समाधान पूछा, तब अशोक ने उसे अपनी योजना बताई.
अशोक की योजना क्या थी, इस बारे में उस ने कुछ नहीं बताया. फिर अशोक ने प्लान के मुताबिक पत्नी मीनाक्षी की हत्या कर दी. अशोक ने पत्नी की हत्या करने की बात प्रेमिका मीनाक्षी को बताई, तब वह सहम गई और उस से हमेशा के लिए संबंध तोडऩा ही मुनासिब समझा.
पुलिस ने आरोपी अशोक वाल्मिकी से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.