Cyber Crime : डिजिटल क्रांति के बाद लोगों को सुविधाएं तो मिली हैं, लेकिन इस के दुष्परिणाम के रूप में साइबर अपराधों में वृद्धि हो रही है. सैकड़ोंहजारों किलोमीटर दूर बैठे अपराधी बड़ी आसानी से लोगों से लाखोंकरोड़ों रुपए की ठगी कर रहे हैं. आप भी जानें कि इन शातिर ठगों से कैसे बचा जाए?

कर्नाटक के बेंगलुरु में 17 नवंबर, 2024 को 60 साल के एक आईटी कर्मचारी प्रताप नारायण (परिवर्तित नाम) को अंजान नंबर से वाट्सऐप काल आई. काल करने वाले ने कहा, ”मैं सिटी यूनियन बैंक से बोल रहा हूं. आप के नाम पर एक क्रेडिट कार्ड जारी किया गया है. लेकिन कार्ड को ऐक्टिवेट करने और उसे इस्तेमाल करने के लिए अपने सिम को बदल कर एयरटेल का एक सिम लगाना होगा.’’

”इस का मुझे क्या फायदा होगा और मैं अपना मोबाइल नंबर क्यों बदलूं.’’ प्रताप नारायण ने संदेह जताते हुए पूछा.

क्रेडिट कार्ड के अनगिनत फायदे गिनाते हुए उस अजनबी कालर ने कहा, ”आप के एड्रेस पर नया सिम कार्ड और मोबाइल फोन आप को भेजा जा रहा है.’’

60 साल के प्रताप नारायण ने अजनबी कालर की बातों पर इसलिए भरोसा कर लिया, क्योंकि उस बैंक के वह खाताधारक थे. पहली दिसंबर, 2024 को 10 हजार रुपए का रेडमी मोबाइल फोन और सिम कार्ड कुरिअर से प्रताप नारायण को मिल गया. मोबाइल मिलने के बाद उस व्यक्ति ने प्रताप नारायण को भेजे गए फोन में नया सिम कार्ड लगाने को कहा. जैसे ही उन्होंने सिम कार्ड लगाया, उन्हें अनधिकृत लेनदेन का नोटिफिकेशन मिला. जब प्रताप नारायण ने अपना बैंक अकाउंट चेक किया तो यह जान कर वह गहरे सदमे में आ गए कि उन के बैंक अकाउंट से 2.8 करोड़ रुपए निकाल लिए गए हैं. तत्काल उन्होंने इस की शिकायत साइबर क्राइम ब्रांच में की.

इसी तरह जनवरी, 2025 में बेंगलुरु की आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले विजय कुमार के साथ 11 करोड़ रुपए का साइबर फ्रौड हो गया. साइबर ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बता कर विजय से आधार, पैन और केवाईसी की जानकारी निकलवा ली. इस के बाद उन्होंने 9 अलगअलग खातों में उन के पैसे ट्रांसफर कराए. जब पुलिस ने मामले की जांच की तो इस के इंटरनैशनल कनेक्शन निकले. मामले में अभी तक 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आगे की जांच जारी है.

बेंगलुरु के विजय कुमार एक आईटी कंपनी में काम करते हैं. उन के पास 50 लाख रुपए के शेयर थे, जो बढ़ कर 12 करोड़ रुपए के हो गए थे. किसी तरीके से यह बात साइबर ठगों को पता चल गई. ठगों ने विजय से संपर्क किया और खुद को पुलिस, कस्टम और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के रूप में पेश किया. यही नहीं, विजय को कथित तौर पर मनी लौंड्रिंग के मामले में गिरफ्तारी की धमकियां दी गईं.

गिरफ्तारी के डर से विजय कुमार ने अपने आधार, पैन कार्ड और केवाईसी जैसे पर्सनल डाक्यूमेंट्स ठगों से शेयर कर दिए. कई महीनों तक विजय से अलगअलग खातों में पैसे ट्रांसफर कराए गए. आरोपियों ने बताया कि यह सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा है. कुल 9 बैंक खातों में पूरा पैसा भेज दिया गया. जब विजय को समझ आया कि उन के साथ ठगी हुई है तो उन्होंने साइबर क्राइम पुलिस को इस बात की जानकारी दी.

दुबई से चल रहा था ठगी का नेटवर्क

शिकायत मिलते ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में एक बैंक अकाउंट से 7.5 करोड़ रुपए का पता लगाया. पुलिस को जांच में पता चला कि ठगी के पैसों से गुजरात के सूरत में सोना खरीदा गया था और इस काम को धवल शाह नाम के एक ब्रोकर ने अंजाम दिया था. जांच में पता चला कि धवल ने यह सारा काम दुबई में बैठे एक ठग के कहने पर किया था. सोना खरीदने के बदले उसे 1.5 करोड़ रुपए का कमीशन मिला था. यह सोना ‘नील भाई’ नाम के एक व्यक्ति को दे दिया गया था. पुलिस ने धवल शाह को गिरफ्तार कर लिया है. इस के अलावा 2 अन्य आरोपियों की गिरफ्तारियां भी हुईं, जिन के नाम तरुण नतानी और करण हैं.

आरोपी तरुण नतानी ने पैसों के बदले नकली सिम कार्ड और बैंक खाते मुहैया कराए थे. साथ ही उस ने वीपीएन के जरिए सारे स्कैम को छिपाया. दूसरे आरोपी करण के कथित तौर पर चीन और पाकिस्तान सहित कई इंटरनैशनल ठगों के नेटवर्क से कनेक्शन हैं. साथ ही यह खातों और सिम की जानकारियों को ठगों को बेचता है. पुलिस को पता चला कि दुबई में स्थित एक ठग ने इस पूरी ठगी को अंजाम दिया था. पुलिस अब आगे के लिंक की जांच कर रही है, जिस से रैकेट के इंटरनैशनल कनेक्शन का पता लग सके.

फरवरी, 2025 के पहले सप्ताह में राजस्थान पुलिस ने भी साइबर फ्रौड करने वाले ठगों को पकडऩे में सफलता प्राप्त की, जो लोगों को तरहतरह के फ्रौड से अपना निशाना बना रहे थे. राजस्थान में साइबर अपराध पर रोकथाम के लिए डीग पुलिस द्वारा चलाए जा रहे औपरेशन एंटीवायरस के तहत 2 अलगअलग थानों की पुलिस ने कुल 5 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया. इन आरोपियों के कब्जे से मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड और एक बाइक बरामद की गई है. ये आरोपी अश्लील वीडियो बना कर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे.

डीग के एसपी राजेश कुमार मीणा ने बताया कि थाना कामां पुलिस ने राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज शिकायतों के आधार पर काररवाई करते हुए गांव बिलोंद के जंगल से 3 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया. इन की पहचान मुबीन पुत्र रमजान (28 वर्ष), आस मोहम्मद पुत्र अजरुद्ïदीन (30 वर्ष) और अकरम पुत्र असलूप (25 वर्ष) के रूप में हुई है. पुलिस ने इन के पास से 3 एंड्रायड मोबाइल फोन और 5 एटीएम कार्ड बरामद किए. पूछताछ में इन अपराधियों ने कुबूल किया कि वे औनलाइन अश्लील वीडियो बना कर लोगों को ब्लैकमेल कर ठगी करते थे. ठगी की रकम को वे फरजी बैंक खातों में जमा करा कर निजी उपयोग में लेते थे. इस पूरे कार्य में फरजी एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन और सिम कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था.

आरोपियों के खिलाफ थाना कामां में भारतीय डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (बीएनएस) और आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया. महंगे फोन को सस्ते दाम पर बेचने का दावा करने ववाले लोगों से भी आप सावधान रहें. राजस्थान के थाना कैथवाड़ा पुलिस ने साइबर ठगी में लिप्त 2 अपराधियों को रंगेहाथों गिरफ्तार किया, जो सोशल मीडिया पर सस्ते दामों में मोबाइल फोन बेचने का झांसा दे कर ठगी करते थे. गिरफ्तार आरोपियों के नाम नब्बी पुत्र ईशाक (23 वर्ष) और शहबाज पुत्र अहमद अली (19 वर्ष) हैं. पुलिस ने इन के पास से 2 मोबाइल फोन, 2 सिम कार्ड, 3 एटीएम कार्ड और एक बाइक बरामद की.

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे फेसबुक पर महंगे मोबाइल फोन को सस्ते दामों में बेचने का झांसा देते थे. ग्राहक से औनलाइन पेमेंट करवाने के बाद वे मोबाइल नहीं भेजते थे. इस पूरे रैकेट में कई अन्य लोग भी शामिल हैं, जो फरजी सिम कार्ड, चोरी के मोबाइल फोन और फरजी बिल बनाने का काम करते हैं. इस मामले में थाना कैथवाड़ा में मामला दर्ज किया गया है. अन्य फरार आरोपियों की तलाश जारी है. यदि फेसबुक पर आई अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट को आप स्वीकार कर लेते हैं तो सावधान हो जाएं. अनजान व्यक्ति को फेसबुक फ्रेंड बनाना भी भारी पड़ सकता है. 2025 के फरवरी महीने में गुजरात के अहमदाबाद में  इस तरह का एक ताजा मामला सामने आया है.

फेसबुकिया फ्रेंड ने कैसे ठगे 2 करोड़

अहमदाबाद के बोडकदेव में रहने वाले स्टील कारोबारी को फेसबुक पर एक अनजान महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करना भारी पड़ गया. इस दोस्ती की आड़ में महिला ने व्यापारी से 1.92 करोड़ रुपए निवेश करवा कर साइबर ठगी को अंजाम दिया. अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 48 साल के सुमित ग्रोवर अहमदाबाद में विनोद इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड नाम से स्टील का कारोबार करते हैं. और वे एंटरप्रेन्योरशिप में पीएचडी कर चुके हैं. अगस्त 2024 में फेसबुक पर किरा शर्मा नामक महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने के बाद वह इस जाल में फंस गए.

पहले तो कुछ दिनों तक दोनों के बीच सामान्य बातचीत हुई. किरा ने खुद को दुबई में जिम इक्विपमेंट की फैक्ट्री की मालिक बताया और मुंबई में भी उस का एक औफिस बताया. वाट्सऐप नंबर एक्सचेंज होने के बाद दोनों के बीच बातचीत बढ़ती चली गई. किरा ने व्यापारी से उन का विश्वास जीतने के लिए खुद की लग्जरी लाइफस्टाइल दिखाने के लिए वीडियो काल की और अपनी विभिन्न लोकेशंस की तसवीरें साझा कीं. कुछ समय बाद किरा शर्मा ने सुमित को बताया कि उस के चाचा जेपी मोर्गन में एनालिस्ट हैं और उन्हें इन्वेस्टमेंट की टिप्स देते हैं, जिस से उसे अब तक करोड़ों का मुनाफा हुआ है. उस ने सुमित को भी ‘वेबुल’ नाम की वेब बेस्ड एप्लिकेशन में निवेश करने का सुझाव दिया.

शुरुआत में सुमित ने मात्र 5 सौ डिजिटर डालर (यूएसडीटी लगभग 45,000 रुपए) का निवेश किया. बाद में किरा ने एक स्कीम बता कर 50 हजार डालर निवेश करने पर 20 हजार डालर बोनस मिलने का लालच दिया. सुमित का विश्वास बढ़ाने के लिए किरा ने उन के अकाउंट में खुद 30 हजार यूएसडीटी ट्रांसफर किए, जिस से सुमित को लगा कि यह एक भरोसेमंद निवेश है. दिसंबर तक उन्होंने 1.92 करोड़ रुपए निवेश कर दिए. एप्लीकेशन पर सुमित को उन की कुल वैल्यू 6.77 लाख यूएसडीटी (करीब 6 करोड़ रुपए) दिखाई गई, जिस से वह पूरी तरह से आश्वस्त हो गए.

सुमित ने जब 77 हजार यूएसडीटी निकालने की कोशिश की तो उन से कहा गया कि पहले 20 प्रतिशत टैक्स भरना होगा. जब उन्होंने कंपनी से अनुरोध किया कि टैक्स उन की राशि में से ही काट लिया जाए तो कोई जवाब नहीं मिला. इसी बीच किरा शर्मा ने अपना पुराना वाट्सऐप नंबर बंद कर नया नंबर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिस में सामान्य कालिंग की सुविधा नहीं थी. जब सुमित को संदेह हुआ तो उन्होंने ‘वेबुल’ नामक कंपनी के बारे में औनलाइन खोजबीन की और पाया कि यह एक साइबर ठगी का माध्यम बन चुका है. इस के बाद उन्होंने अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. साइबर क्राइम पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 61(2), 316(2), 318(4), 319(2) और आईटी अधिनियम की धारा 66(ष्), 66(स्र) के तहत रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

जागरूकता ने ठगी से बचाया एडवोकेट को

 

17 फरवरी, 2025 दोपहर करीब एक बजे का वक्त रहा होगा. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट तनुज गोयल अपने औफिस में एक जरूरी केस की फाइल पलट रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन पर एक काल आई. मोबाइल स्क्रीन पर दिख रहा नंबर 7204183333 था. ट्रूकालर ऐप इस नंबर को ‘मुत्तु वालीकर’ के नाम से दिखा रहा था. तनुज गोयल ने यह सोच कर काल रिसीव कर ली कि शायद उन के किसी नए क्लाइंट की काल होगी. तनुज ने जैसे ही हैलो कहा, दूसरी तरफ से आवाज आई, ”मैं डीग पुलिस कोतवाली से सबइंसपेक्टर बोल रहा हूं, पुलिस ने एक संदिग्ध आरोपी को पकड़ा है, जो अमेरिका से आया है. यह जो एड्रेस बता रहा है, वह आप की लोकेशन से मैच हो रहा है.’’

”लेकिन इंसपेक्टर साहब, हम तो ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं जानते, जो अमेरिका से आया हो और हम से कभी मिला हो.’’ एडवोकेट गोयल ने कहा.

”आप अपनी पर्सनल जानकारी और एड्रेस प्रूफ दीजिए, जिस से पुलिस वेरिफिकेशन हो सके.’’ कालर बोला. जब एडवोकेट तनुज गोयल ने अपनी पहचान बताते हुए कालर से कई सवाल किए तो वह घबरा गया और तुरंत माफी मांग कर फोन काट दिया. उस के बाद एडवोकेट तनुज गोयल ने उचित काररवाई कर साइबर क्राइम हेल्पलाइन में सूचित कर शिकायत दर्ज करवा दी. साइबर हेल्पलाइन से गोयल को बताया गया, ”यह साइबर ठगी का एक नया तरीका हो सकता है, जहां कालर खुद को पुलिस अधिकारी, कोर्ट कर्मी, सरकारी अधिकारी या बैंक प्रतिनिधि बता कर लोगों को मानसिक रूप से परेशान करते हैं और ठगी करने की कोशिश करते हैं.’’

एडवोकेट तनुज गोयल के साथ हुई यह घटना दर्शाती है कि साइबर ठग अब नए तरीके अपना कर लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. पहले आम नागरिक इन के निशाने पर थे, लेकिन अब पेशेवर लोग, वकील, डाक्टर और बिजनेसमैन भी इन के टारगेट पर हैं.’’

सैक्सटार्शन भी है ठगी का जरिया

राजस्थान के गोपालगढ़ थाना पुलिस ने भी 2 साइबर ठगों, हरवीर पुत्र दयाल (19) और जीतेंद्र पुत्र लक्ष्मण (21) को गिरफ्तार किया है, जो सोशल मीडिया पर महिलाओं के नाम से फरजी प्रोफाइल बना कर ठगी करते थे. हरवीर ने अवनी पात्रा नाम से फरजी फेसबुक और वाट्सऐप प्रोफाइल बनाई, जिस के जरिए उस ने महिलाओं से दोस्ती कर अश्लील बातें कीं और उन के वीडियो रिकौर्ड कर ठगी की. उस के पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया, जिस में ठगी से संबंधित चैट और फरजी जीमेल व वाट्सऐप प्रोफाइल मिले.

वहीं, जीतेंद्र ने संध्या शर्मा नाम से सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाई और ठगी के लिए महिलाओं से बातचीत कर उन की वीडियो रिकौर्ड किए. उस की गैलरी में भी कई अश्लील वीडियो पाई गई और उस के 2 मोबाइल फोन से ठगी से जुड़े साक्ष्य मिले. दोनों आरोपियों के खिलाफ ठगी और साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए. डीग एसपी राजेश कुमार मीणा ने बताया कि आरोपी सोशल मीडिया पर महिलाओं के नाम से फरजी प्रोफाइल बना कर लोगों से दोस्ती करते थे. इस के बाद वे सेक्सटार्शन (अश्लील वीडियो रिकौर्डिंग के जरिए धमकी दे कर पैसे मांगने) का तरीका अपनाते थे.

आरोपियों द्वारा की जा रही ठगी में चोरी के मोबाइल, फरजी सिम कार्ड और फरजी बैंक खातों का उपयोग किया जाता था. आरोपियों ने वीडियो वायरल करने और पुलिस अधिकारी बन कर मुकदमों में फंसाने की धमकी दे कर भोलेभाले लोगों से पैसे वसूलने की कोशिश की. आरोपियों ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया कि वे अन्य साथियों के साथ मिल कर यह साइबर ठगी करते थे. रमन पुत्र पूरन जाटव निवासी चंदूपुरा, थाना गोपालगढ़ चोरी के मोबाइल और फरजी सिम कार्ड उपलब्ध कराता था. वहीं शौकीन पुत्र एर मेव निवासी पथराली, थाना गोपालगढ़ पुलिस अधिकारी बन कर लोगों को धमकी देने का काम करता था.

ई-चालान भेज कर ऐसे की जा रही ठगी

25 नवंबर, 2024 को इंदौर के एक ट्रांसपोर्टर सी.एल. मुकेती को एक ई-चालान भेज कर ठगी करने की कोशिश की गई, परंतु ट्रांसपोर्टर की समझदारी से वह ठगी से बच गए. साइबर ठगों की तरफ से आने वाले लिंक पर क्लिक कर भुगतान की कोशिश में लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं. कोई भी यूजर क्लिक करता है और अपने बैंक अकाउंट डिटेल या डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी डालता है, वैसे ही हैकर्स सब से पहले उस के फोन को हैक कर लेते हैं. थोड़ी देर तक फोन को अपने कंट्रोल में रख कर बैंक खाता या डेबिट/क्रेडिट का पूरा बैलेंस साफ कर देते हैं.

ई-चालान के नाम पर होने वाला यह नया स्कैम लोगों को ठगने का एक तरीका बन गया है. इस में स्कैमर्स फरजी ई-चालान का मैसेज भेजते हैं और लोगों को लगता है कि उन्हें असली चालान जमा करना है. इस स्कैम में शामिल मैसेज में एक लिंक दिया होता है, जिस पर क्लिक कर के चालान का भुगतान करने के लिए कहा जाता है. यह लिंक असली ट्रैफिक विभाग के पोर्टल जैसा दिखता है, लेकिन असल में यह एक फरजी वेबसाइट होती है, जो आप की निजी जानकारी चुराने के लिए बनाई जाती है.

ध्यान रखें कि कभी भी ई-चालान का मैसेज किसी भी मोबाइल नंबर से नहीं आता है. जिस लिंक को खोल कर आप चालान का भुगतान कर रहे हैं, उस वेबसाइट का लिंक .द्दश1.द्बठ्ठ पर खत्म होना चहिए. वहीं ई-चालान का मैसेज आने पर साइट पर जा कर भी जांच कर सकते हैं. यातायात पुलिस के अफसरों का कहना है कि असली चालान के मैसेज में इंजन नंबर, चेसिस नंबर जैसी जानकारी होती हैं. असली चालान के मैसेज के साथ आए लिंक पर क्लिक करने पर वह लिंक यूजर्स को सरकार की आधिकारिक साइट https:/echallan.parivahan.gov.in पर री-डायरेक्ट करता है, जबकि नकली साइट का लिंक कुछ ऐसा https:/echallan.parivahan.in/ है. इस में gov.in को हटा दिया जाता है.

देशभर में इन दिनों साइबर ठगी का मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. साइबर ठग ठगी के पैसे खपाने के लिए नईनई जगहों की तलाश में लगे हुए हैं. एक तरफ जहां झारखंड के जामताड़ा में साइबर ठगों का बड़ा अड्ïडा है तो वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भी अब ठगों की पसंदीदा जगहों में से एक हो गया है. यहां ठगों ने न केवल एक साल में 5 हजार अकाउंट खोले हैं, बल्कि उन में 1800 करोड़ रुपए के लेनदेन भी किए हैं. साइबर सेल की जांच में इस का खुलासा हुआ है. इस के बाद पुलिस ने करीब 2 हजार म्यूल अकाउंट को बंद करवाया गया है. वहीं अभी 3 हजार खातों की तलाश की जा रही है. इस मामले में कई छोटे बैंक भी संदेह के घेरे में हैं. केवल राजधानी में इतने म्यूल अकाउंट मिले तो पुलिस और साइबर सेल ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है.

इस के बाद पता चला कि यहां इस तरह के खाते खोलने के लिए एक संगठित रैकेट काम कर रहा है, जिस के सदस्य पैसों का लालच दे कर लोगों के डाक्यूमेंट्स ले लेते हैं और फिर खाता खुलवाते हैं. किसी को एक बार में पैसा दे दिया जाता है तो किसी को 10-12 हजार रुपए प्रति माह कमीशन के तौर पर दिया जाता है. स्कूल और कालेज के छात्र भी 50 हजार से ले कर एक लाख रुपए तक ले कर खाता किराए पर दे रहे हैं. इस के अलावा यह भी जानकारी मिली है कि पिछले एक साल में 11 हजार से ज्यादा सिम से राज्य के अलगअलग इलाकों में औनलाइन ठगी की गई है. यह आंकड़ा भी केवल रायपुर रेंज का है.

आईजी (रायपुर रेंज) अमरेश मिश्रा ने  बताया कि एक ट्रांजैक्शन की जांच करने के लिए बैंकों से 20-20 खातों की जानकारी लेनी पड़ रही है. ठग अलगअलग खातों में पैसा जमा करने के बाद उन पैसों को मल्टीपल खातों में ट्रांजैक्शन करते हैं या पैसा जमा करते हैं. ताकि पुलिस आसानी से उन्हें ट्रेस न कर सके. रायपुर में अभी तक 120 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अगर आप के साथ साइबर ठगी होती है और आप 3 से 4 दिन बाद शिकायत करते हैं तो बहुत कम उम्मीद है कि आप का रुपया आप को मिल जाए. ठगी होने के एक से 3 घंटे बेहद महत्त्वपूर्ण घंटे होते हैं.

अगर इस समय आप ठगी की शिकायत कर देते हैं तो आप से ठगी गई रकम आप को वापस मिलने की उम्मीद बढ़ जाती है. अगर ऐसा किया जाता है तो फिर अपराघी को अकाउंट से पैसे निकालने से रोका जा सकता है.

साइबर फ्रौड से बचने के लिए करें ये काम

अगर आप को लगता है कि आप साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं तो आप सब से पहले नैशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल कर के उस को रिपोर्ट करें. अपने पास इस से जुड़े हर तरह के सबूत को एकत्रित कर के रखिए. अगर 1930 पर फोन नहीं उठता है तो साइबर क्राइम की वेबसाइट पर रिपोर्ट कर सकते हैं. एसपी राजेश कुमार मीणा ने नागरिकों से अपील की है कि औनलाइन लेनदेन करते समय सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध काल या ट्रांजैक्शन की सूचना तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें. साथ ही सोशल मीडिया पर फरजी आफर्स से सावधान रहें.

वह साइबर ठगी से बचने के तरीके बताते हुए कहते हैं कि आजकल लोग एजूकेटेड तो हैं, लेकिन अवेयर नहीं. यही वजह है कि सब से ज्यादा सायबर फ्रौड के शिकार वेल एजूकेटेड डाक्टर, वकील, टीचर जैसे लोग ही हो रहे हैं. फोन पर किसी से भी बैंक डिटेल साझा न करें, किसी के भी डराने पर घबराएं नहीं, बल्कि पुलिस को सूचना दें. अपने परिचितों की आवाज में पैसे ट्रांसफर करने वालों से सावधान रहें, अन्य नंबरों से इस की जांच करें. वाट्सऐप के नए अनजान ग्रुपों में यदि कोई शामिल करता है तो तुरंत ब्लौक कर दें. यदि फोन पर कोई खुद को बैंककर्मी, पुलिसकर्मी या फिर कोई और सरकारी कर्मी बता कर निजी जानकारी मांगे तो हरगिज न दें.

फोन पर आने वाले स्पैम मेल, मैसेज आदि पर क्लिक न करें बल्कि इन्हें तुरंत डिलीट कर दें. अगर फोन बच्चों के हाथ में है तो उन्हें यह जरूर समझा दें कि किसी भी मैसेज में क्लिक न करें. किसी भी अनजान ऐप, जिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है, उसे डाउनलोड न करें. फोन में आटोमैटिक डाउनलोड का विकल्प बंद कर दें. किसी अनजान लिंक को खोलने से बचें. अपने वाट्सऐप को हमेशा टूस्टेप वेरिफिकेशन पर रखें. यदि गलती से डाउनलोड हो जाए तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें.

ऐसे धोखेबाजों और साइबर फ्रौड से बचे रहने के लिए सरकार लगातार लोगों को जागरूक करती रहती है. लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि कभी भी पुलिस, सीबीआई, ईडी, आरबीआई या कस्टम पुलिस वीडियो काल के जरिए आप से पूछताछ या बयान दर्ज करने की काररवाई नहीं करती. इसलिए जब भी इस तरह कोई वीडियो काल करे और आप को धमकाने, डराने की कोशिश करे तो सब से पहले तो ऐसी काल को डिसकनेक्ट कर दें. कोई भी अनजान व्यक्ति  आप के बैंक अकाउंट की डिटेल के लिए फोन, एसएमएस या ईमेल करे तो इसे इग्नोर कर दें. इस के बावजूद भी यदि कोई साइबर  फ्रौड का शिकार हो तो सब से पहले बैंक को सूचना दे कर नजदीकी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराएं.

इंश्योरेंस एजेंट बन कर 96 लाख की ठगी

सरकारी एजेंसियां जितना लोगों को साइबर फ्रौड से बचने के तरीके बता रही हैं, उस से कहीं ज्यादा तरीके ठग इस्तेमाल कर रहे हैं. मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी  इंदौर में एक रिटायर्ड प्रोफेसर के साथ 96 लाख रुपए की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. ठगों ने खुद को एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस का अधिकारी बता कर महिला को 2 साल तक गुमराह किया और विभिन्न बहानों से उन से बड़ी रकम ऐंठ ली. पीडि़त महिला का खाता भारतीय स्टेट बैंक में है और उन्होंने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की 2 पौलिसियां पहले से ली हुई थीं.वर्ष 2023 में उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर बताया, ”मेरा नाम राजीव शर्मा है और मैं एसबीआई में प्रोबेशनरी अधिकारी हूं.’’

”हां बोलिए, किसलिए फोन किया है?’’ पीडि़त महिला ने उस से कहा.

”आप की एसबीआई लाइफ की जो पौलिसियां चल रही हैं,उन पर एक ‘सरेंडर अमाउंट’ निकाला जा सकता है, ऐसा करने से आप को ज्यादा फायदा होगा.’’ फोन करने वाले व्यक्ति ने बताया.

”किस तरह सरेंडर एमाउंट लिया जा सकता है, मुझे समझ नहीं आ रहा.’’ महिला ने कहा.

”आसानी से सरेंडर एमाउंट मिल सकता है, लेकिन इस के लिए उन्हें पहले एक प्रीमियम राशि जमा करनी होगी.’’ सरेंडर एमाउंट के फायदे गिनाते हुए ठग ने कहा. महिला ने उस की बातों पर विश्वास कर लिया, क्योंकि ठग ने उन की बीमा पालिसियों के बारे में जो बातें की थीं, उन्हें सुन कर उन्हें लगा कि वह बैंक का अधिकारी है. उन्होंने सब से पहले एक लाख रुपए प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में ट्रांसफर कर दिए. इस के बाद ठगों ने बारबार अलगअलग बहाने बना कर महिला से और पैसे मंगवाने शुरू कर दिए.

उन्होंने दावा किया कि पौलिसी प्रोसेसिंग, टैक्स और भविष्य में अधिक लाभ पाने के लिए उन्हें नियमित भुगतान करना होगा. इस तरह महिला ने कुल 34 औनलाइन ट्रांजैक्शन किए, जिन की कुल राशि 96 लाख रुपए तक पहुंच गई. जनवरी 2025 में जब महिला ने उन लोगों से संपर्क किया तो उन का मोबाइल फोन बंद पाया. तब महिला को शक हुआ कि उन के साथ ठगी हुई है. इस के बाद उन्होंने तुरंत इंदौर क्राइम ब्रांच से संपर्क किया और नैशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत दर्ज कराई. अधिकारियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और संबंधित बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है.

इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया, ”रिटायर्ड असिस्टेंट महिला प्रोफेसर ने शिकायत दर्ज कराते हुए जानकारी दी है कि उन्होंने अलगअलग पौलिसियों में अपना पैसा इन्वेस्ट किया था, जो लगातार बढ़ रहा था. इसी दौरान एक व्यक्ति ने इंश्योरेंस एजेंट बन कर फोन किया और कहा कि यदि आप हमारे बताए अनुसार विभिन्न पौलिसी में इन्वेस्ट करेंगे तो आप को काफी प्रौफिट मिलेगा. पीडि़त महिला उस के झांसे में आ गई और उस के बताए अनुसार विभिन्न जगहों पर अलगअलग तरह से ट्रांजैक्शन करना शुरू कर दिए.’’

फिलहाल, इंदौर क्राइम ब्रांच ने इंश्योरेंस एजेंट बन कर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. बता दें कि आरोपी ने महिला से 96 लाख रुपए ठगे हैं. ये पैसे उस ने अलगअलग राज्यों की 13 बैंकों के 30 खातों में ट्रांसफर करवाए थे. कथा लिखने तक पुलिस बैंक अकाउंट के आधार पर आरोपी की तलाश में जुटी हुई थी.

 

 

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