UP Crime : पुलिस ने जब मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा को पकड़ा तो यह देख कर दंग रह गई कि दिन में तो वह मदरसे में बच्चों को मजहब की तालीम देता था, जबकि रात को उसी मदरसे में नकली नोट छापे जाते थे. 5 बीवियों के शौहर नूरी बाबा ने आखिर मदरसे को ही क्यों बनाया जुर्म का अड्डा?
उत्तर प्रदेश के जनपद श्रावस्ती के थाना हरदत्त नगर गिरंट के एसएचओ शैलकांत उपाध्याय दोपहर को अपने कार्यालय में आवश्यक कार्यों में व्यस्त थे, तभी उन का मोबाइल फोन की घंटी बजी. एसएचओ ने मोबाइल स्क्रीन पर नंबर देखा तो उन्होंने तुरंत काल रिसीव कर ली. वह काल उन के एक खास मुखबिर की थी.
”कहो सुरेश (काल्पनिक नाम) क्या खास खबर है. कई महीनों से तो तुम चुपचाप बैठे थे. मैं ने तो सोचा कि कहीं तुम साइलेंट मोड में तो नहीं चले गए हो.’’ एसएचओ ने कहा.
”साहबजी, ऐसी खबर है कि जिस के लिए मैं ने पूरे 7 महीने खर्च किए हैं. देखो साहब, मेरा इस काम में बहुत पैसा भी खर्च हो चुका है. मुझे मेरी मेहनत का पैसा मिल जाए, मेरे लिए तो वही बहुत है.’’ सुरेश ने कहा.
”सुरेश, तुम मुझे यह बताओ कि तुम ने मुझे आज तक जो भी खबर दी है, मैं ने अपने ऊपर के अधिकारियों से कह कर तुम्हारा पूरा हक दिलवाया है न! ऐसी बात तो मत कहो,’’ एसएचओ ने कहा.
”साहब, आप के ऊपर विश्वास है, इसीलिए तो आप को यह खबर मैं दे रहा हूं.’’ सुरेश बोला.
”देखो सुरेश, अब पहेलियां बिलकुल भी मत बुझाओ, खबर क्या है बस मुझे तुरंत बता दो.’’ एसएचओ ने कहा.
मुखबिर ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर तो एकबारगी एसएचओ शैलकांत उपाध्याय भी चौंक गए. सचमुच बात ही कुछ ऐसी थी. शैलकांत उपाध्याय ने मुखबिर को उस संदिग्ध व्यक्ति और उस की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा और इस विशेष खबर की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को तुरंत दे दी.
मदरसे में ही क्यों छापता था नकली नोट
मुखबिर द्वारा मिली सूचना पर एसपी घनश्याम चौरसिया के निर्देश पर एएसपी प्रवीण कुमार यादव व सीओ (भिनगा) संतोष कुमार की देखरेख में एसओजी प्रभारी नितिन यादव, एसएचओ शैलकांत उपाध्याय, एसआई विशाल शुक्ला, अंकुर वर्मा, छैल बिहारी, अनीष गोड़, हैडकांस्टेबल जितेंद्र कुमार यादव, भोला सिंह, कांस्टेबल विवेक सिंह, संजीत कुमार, प्रवीण पांडेय, अभिषेक सिंह, अवनीश, विक्रम सिंह, वीरेंद्र यादव आदि को शामिल किया.
यह टीम पहली जनवरी, 2025 को लक्ष्मणपुर के मदरसे में पहुंची तो वहां पर काम कर रहे लोगों में अफरातफरी मच गई और वे सब वहां से बाहर की ओर भागने लगे. लेकिन दूसरी तरफ पूरी पुलिस टीम चौकन्नी थी. उन्होंने मदरसे को चारों ओर से घेर रखा था, इसलिए पुलिस ने उन्हें दबोच लिया.
पुलिस टीम ने मदरसे से 5 लोगों को हिरासत में ले लिया. गिरफ्तार लोगों ने अपने नाम रामसेवक, धर्मराज शुक्ला, जलील अहमद निवासी बहराइच, अवधेश कुमार, मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा निवासी श्रावस्ती बताया.
मौके से पुलिस को नकली नोट बनाने के उपकरण सहित 1 प्रिंटर, 2 लैपटाप, 4 इंक बोतल, 35,400 रुपए के नकली नोट, 14,500 रुपए के असली नोट, एक देसी तमंचा .315 बोर व एक जिंदा कारतूस .315 बोर, एक कैंची, एक स्केल, 3 असली नोट चिपके हुए फर्मा, एक बाइक, 5 मोबाइल फोन आदि सामान मिला. पुलिस सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर थाने ले आई.
इस संबंध में उन के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 02/2025 धारा 178, 179, 180, 181, 3 (5) बीएनएस व 3/25 आयुध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.
पुलिस द्वारा जब सभी पांचों अभियुक्तों से सख्ती से पूछताछ की गई तो आरोपियों ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब देख कर नकली नोट छापने के तरीके सीखे थे, जिस में उन्हें समय तो लगा, मगर वे अपने मकसद में कामयाब हो गए, जिस के बाद वे नकली नोटों को मशीन से प्रिंट करने लगे और फिर स्कैनर से नोटों की अन्य रूपरेखाओं को असली नोट की तरह तैयार करने लगे.
इस के बाद तैयार किए गए नकली नोटों को वह जनपदों और विभिन्न ग्रामीण इलाकों में जगहजगह असली नोटों में मिला कर चलाने लगे. इस के अलावा वह लोगों में रकम दुगनी करने का लालच दे कर उन के असली नोटों के बदले में दुगने नकली नोटों का धंधा भी करने लगे थे. इस गैंग का सरगना मदरसा संचालक मुबारक अली उर्फ बाबा था.
गिरफ्तार करने के बाद जब पुलिस ने आरोपियों की हिस्ट्री खंगाली तो और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए.
क्या है आरोपियों का काला इतिहास
जब पुलिस ने आरोपियों के आपराधिक इतिहास की गहनता से जांचपड़ताल की तो कुछ आरोपियों का काफी काला और रहस्यमयी इतिहास सामने आया.
आरोपी जलील अहमद निवासी काशीजीत जनपद बहराइच पर 2 गंभीर केस पहले से ही दर्ज हैं. जिन में पहला मुकदमा अपराध संख्या 220/2021 भादंवि की धारा 325, 323, 504 के तहत थाना पयागपुर में चल रहा है. जबकि उस के ऊपर दूसरा केस मुकदमा अपराध संख्या 829/2014 भादंवि की धारा 308, 323 और 504 के तहत थाना पयागपुर में चल रहा है. आरोपी रामसेवक निवासी गांव बेगमपुर रामगांव जनपद बहराइच पर 3 आपराधिक केस दर्ज हैं.
तीसरे आरोपी अवधेश कुमार पांडेय निवासी गांव ककंधू जनपद श्रावस्ती पर एक मुकदमा अपराध संख्या 32/2019 धारा 3/25 आयुध अधिनियम थाना सोनवा जनपद श्रावस्ती में दर्ज पाया गया.
जबकि इस नकली नोटों के गिरोह के सरगना मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा पुत्र असगर अली निवासी लक्ष्मणपुर, श्रावस्ती के खिलाफ 3 आपराधिक मुकदमे दर्ज पाए गए. पूछताछ के बाद मदरसे में नूरी बाबा के नकली नोट छापने की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—
कैसे बना कबाड़ी से मदरसा संचालक
उत्तर प्रदेश की मशहूर नदी राप्ती के किनारे पर बसे लक्ष्मणपुर गंगापुर जनपद श्रावस्ती से निकला मुबारक अली पहले कबाड़ी बना, फिर मौलाना बना और उस के बाद फैजुर नबी मदरसा का संचालक भी बन गया. इतना ही नहीं, दीनी तालीम और झाडफ़ूंक की आड़ में इस ने काफी अय्याशियां भी की. पकड़े जाने पर निकाह कर बचने का प्रयास भी खूब किया. यह भी कहा जाता है कि नकली नोटों से नहीं बल्कि मदरसे की फंडिंग ने मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा को रातोंरात करोड़पति बना डाला था.
श्रावस्ती जनपद के मल्हीपुर थाना क्षेत्र लक्ष्मणपुर गंगापुर गांव एवं गांव में मौजूद आवासीय मदरसा दारुल उलूम फैजुर्रनबी आज उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में एक चर्चा का विषय बन चुका है. इसे इतनी सुर्खियों में लाने वाले मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा की पूरी स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है.
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा ने अपने अब्बू की मौत के बाद अपने और परिवार के जीवनयापन के लिए सब से पहले गांवगली, मोहल्ले जा कर कबाड़ खरीदने से शुरुआत की थी. कबाड़ खरीदने के बाद मुबारक अली ने मल्हीपुर के वीरगंज बाजार में एक कबाड़ की दुकान खरीद ली, जहां पर वह चोरी से लोहे की पोल काट कर लाते समय पुलिस द्वारा पकड़ा गया.
उस के बाद इस कबाड़ के कारोबार से उस का मोहभंग हो गया. फिर अपने आप को एक पत्रकार व मंडलीय ब्यूरो का परिचय दे कर गांव वालों व आसपास के लोगों में अपना रौब गांठने लगा था.
ताज्जुब की बात तो यह है कि इस के निजी वाहनों पर आज भी मीडिया लिखा हुआ है. इस बीच मुबारक अली मदरसे का कामकाज भी देखता रहा. वह इस मदरसे में पढऩे व पढ़ाने के लिए आने वाली युवतियों को भी तरहतरह से प्रताडि़त कर उन का यौनशोषण भी करने लगा था. इस का खुलासा तब हुआ, जब 2 जनवरी, 2025 को एसएसपी की जांच में मदरसे के अंदर काफी संख्या में कामोत्तेजक दवाएं बरामद की गईं.
उसी जांच के दौरान गांव के एक व्यक्ति ने पुलिस को यह भी बताया कि कुछ समय पहले मदरसे में रह रही गोंडा निवासी एक युवती के पिता ने थाने में मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा पर अपनी बेटी के यौनशोषण का आरोप भी लगाया था. मगर जेल जाने से बचने के लिए मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा ने उस युवती के साथ निकाह कर लिया, जोकि मौजूदा समय में गोंडा में है.
इसी बीच नेपाल सीमा क्षेत्र से सटे मुबारक अली के एक गांव निवासी रिश्तेदार ने मुबारक अली की पहचान बहराइच के पयागपुर थाना क्षेत्र के काशीजोत जलील अहमद उर्फ जलील बाबा से करा दी, जिसे नूरी बाबा ने मदरसे में नौकरी देने के बहाने अपने खास आदमियों में रख कर नकली नोट छापने का कारोबार शुरू कर दिया.
मुबारक अली को बचपन से ही थी करोड़पति बनने की ख्वाहिश
लक्ष्मणपुर गंगापुर निवासी मुबारक अली बचपन से ही करोड़पति बनने की ख्वाहिश रखता था. इस के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए हमेशा तैयार भी रहता था. मदरसा चलाना तो उस का बस एक बहाना भर ही था. उस का असली मकसद तो विदेशी फंडिंग जुटाने का था.
नूरी बाबा ने सब से पहले अपना कामधंधा कबाड़ से शुरू किया था. उस के घर के बाहर खड़ी 2 ठेलियां आज भी इस की गवाही दे रही हैं. इस के बाद इस शातिर बदमाश ने धर्म अथवा मजहब का रास्ता चुना और इस ने मदरसा खोलने की तैयारी शुरू कर दी. वह अपने इस खेल में भी आसानी से कामयाब हो गया. इस अपराधी ने मदरसे के नाम पर मोटा चंदा भी इकट्ठा कर लिया था और उस के बाद का सारा खेल मदरसे के भीतर ही रचा गया.
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा को जब पुलिस ने गिरफ्तार किया तो इस के तथाकथित मदरसे से पुलिस को कई सैक्सवर्धक दवाइयां भी मिलीं. इस सब को देख कर तो एकबारगी पुलिस की टीम भी हैरान रह गई थी. मुबारक अली की 5 बीवियों की जानकारी भी पुलिस को मिली है, जिन में से एक पत्नी मदरसा संभालती है.
वैसे आमतौर पर मदरसे में महिलाएं नहीं होती हैं, लेकिन मुबारक अली के इस मदरसे में उस की पांचों बीवियों के अतिरिक्त अन्य कई युवतियों का आनाजाना भी लगा रहता था.
इन का नकली नोट छापने का यह मकसद था कि मजहब के नाम पर नौजवानों को जोडऩा और उस के बाद उन का कनैक्शन पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ जोडऩा था.
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा कभी फकीर बन कर जकात मांगता तो कमी रमजान के महीने में मसजिद व मदरसा के लिए चंदा वसूलता था. कभी नेपाल तो कभी पश्चिम बंगाल में जा कर तकरीर करता था. लोगों से खुद को जोडऩे के लिए वह अपने कट्टर मुसलमान होने का भी प्रमाण देता था.
नूरी बाबा का पाकिस्तान प्रेम भी आया सामने
बताया जाता है कि नूरी बाबा ने केवल 10 सालों में नकली नोटों की अवैध कमाई और विदेशों से मिल रही अवैध फंडिंग से करीब 60 बीघा जमीन नेपाल सीमा में खरीदी थी.
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा के सोशल मीडिया प्लेटफार्म और फेसबुक पर 7 अक्तूबर, 2017 को उस के द्वारा डाली गई पोस्ट भी उस के पाकिस्तान प्रेम को उजागर कर रही है. इस पोस्ट में मुबारक अली ने पाकिस्तानी ध्वज के साथ अपनी फोटो भी पोस्ट की थी, जोकि आज भी उस के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मौजूद है. ऐसे में अब यह अंदाजा भी लगाया जा रहा कि कहीं मुबारक अली का संबंध आईएसआई के साथ तो नहीं है.
आखिरकार नूरी बाबा ये सब क्यों और किस के लिए और किस की शह पर कर रहा था? इस का मंसूबा आखिर क्या था? आखिर कौन था इस शातिर के निशाने पर?
सब से बड़ी बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पुलिस इस केस को बाकी केसों से अलग एक संदिग्ध केस समझ कर इस की विस्तृत जांचपड़ताल में लगी है. इस कहानी में आखिर ऐसा क्या है, जिस का अंदाजा लगाना उत्तर प्रदेश पुलिस के बस का भी नहीं था.
इस केस की जांच में कई सिंघम आईपीएस पुलिस अधिकारी और कई इंसपेक्टरों को लगा दिया. पुलिस कर्मचारी इस नूरी बाबा के पीछे क्यों पड़े थे? आखिर मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा ने ऐसा क्या किया था कि उस की तलाश नेपाल से ले कर महाराष्ट्र तक होने लगी और फिर पुलिस को पता चला है कि यह नूरी बाबा तो दिल्ली में है.
उस के बाद नूरी बाबा का कनेक्शन प्रयागराज से मिला. आखिरकार इस की सही और एग्जेक्ट लोकेशन पुलिस को मिली तो उसे दबोच लिया गया. इस शातिर अपराधी की गिरफ्तारी के बाद का सच ऐसा था कि इस शातिर अपराधी की जानकारी उत्तर प्रदेश के एटीएस चीफ अमिताभ यश तक पहुंचाई गई.
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा को अब सूली पर चढ़ाने की तैयारी उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही है. इस की बाकी बुरके वाली बीवियां कहां हैं, इन सब की तलाश अभी भी जारी है. मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा के फोन से पाकिस्तानी संगठनों के साथ बातचीत के ठोस सबूत भी पुलिस के हाथ लगे हैं.
उत्तर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में कोई न कोई मौलवी या बाबा आए दिन पकड़ा जाता है. लेकिन इन सब के बीच में मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा का मंसूबा काफी खतरनाक था. यह शातिर अपनी ही तरह और लोगों को ट्रेंड कर रहा था. उस का असली मकसद क्या था, यह तो अब पुलिस पूछताछ में पता चलेगा.
बीवी और बहन के पुलिस पर आरोप
मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा का पहला निकाह राबिका से हुआ था, जिस से उस की 4 बेटियां और 3 बेटे हैं. इस के साथ वह गांव में ही रहता है, जबकि दूसरी बीवी बहराइच के मदरसा जामिया नूरिया मसजिद में टीचर है. वहीं अन्य 3 बीवियां अलगअलग स्थानों पर रहती हैं, जिस की जानकारी गांव वालों को भी नहीं है.
नूरी बाबा की बीवी राबिका ने मीडिया से कहा कि मेरे पति मुबारक अली पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे सारे गलत हैं. मैं उन के साथ इतने सालों से रह रही हूं, मैं ने तो उन्हें कभी नोट छापते हुए नहीं देखा. अब जो कुछ भी मदरसे में हुआ है, मैं ने अपनी आंखों से तो नहीं देखा है तो इस के बारे में क्या बता
सकती हूं.
जब उस से यह सवाल किया गया कि गांव वाले तो कहते हैं कि आप मदरसे में काफी आतीजाती रहा करती थीं, तब राबिका ने कहा कि मैं अपने छोटे बच्चे को मदरसे में छोडऩे और लाने के लिए आती थी. जब यह पूछा गया कि मदरसे में बाहरी महिलाओं का भी तो बहुत आनाजाना लगा रहता था तो राबिका ने बताया कि जिन बच्चों के दाखिले मदरसे में होते थे, वही महिलाएं यहां आतीजाती थीं.
उस ने यह भी बताया कि रमजान के महीने में मुबारक अली मुंबई जाते थे. नेपाल आतेजाते रहते थे, इस बात का उसे कुछ पता नहीं था. वहीं दूसरी ओर मुबारक अली की बहन समीरा ने तो पुलिस टीम पर ही आरोप लगा दिए.
समीरा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पुलिस मेरे भाई मुबारक अली को फरजी बाबा कह कर फंसा रही है. हमारा गांव में एक आदमी से 10-12 साल से विवाद चल रहा है. वही आदमी मेरे भाई को फंसा रहा है.
पुलिस के अनुसार मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा का इतिहास और चरित्र शुरू से ही संदिग्ध रहा है. कबाड़ी नूरी बाबा रमजान माह में मुंबई में रह कर चंदा वसूल करता था. कभी पश्चिम बंगाल तो कभी नेपाल जाता था. कबाड़ी से शुरू हुआ उस का यह सफर नकली नोट छापने तक पहुंच गया.
अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए ही मुबारक अली मदरसा संचालक बना था, ताकि उस के कारनामे कभी भी उजागर न हो सकें. इस के लिए उस ने गांव के ही 5 भाइयों से उन के हिस्से की जमीन ले कर 8 साल पहले मदरसा खोला. जिस की आड़ में वह हर गलत काम करता था, जो उसे तथा उस के काले कारनामों से बचाने का माध्यम बना.