Punjab News : भिखीविंड पंजाब का ही नहीं बल्कि देशभर में ऐसा कस्बा है, जहां के एक ही परिवार के 4 सदस्यों को शौर्य चक्र से नवाजा गया था. जब पूरा पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था, तब इस कस्बे के बलविंदर सिंह, उन के भाई और दोनों भाइयों की पत्नियों ने रात भर 200 आतंकवादियों से लोहा लिया था. इसी के लिए उन्हें शौर्य चक्र मिला. लेकिन अब 33 साल बाद आतंकवादियों ने धोखे से बलविंदर सिंह को…
पंजाब के तरनतारन जिले में एक कस्बा है भिखीविंड. कामरेड बलविंदर सिंह इसी कस्बे में रहते थे. बलविंदर सिंह दिलेर होने के साथसाथ बहादुर इंसान थे. वे अकेले ही नहीं, उन का पूरा परिवार निडर और साहसी था. आज से करीब 30-35 साल पहले जब पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था, तब वे आतंकियों से लोहा ले रहे थे. साल 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. राष्ट्रपति ने अकेले बलविंदर सिंह को ही नहीं बल्कि उन की पत्नी जगदीश कौर, बड़े भाई रणजीत सिंह और भाभी बलराज कौर को भी आतंकवादियों से लोहा लेने पर अदभ्य साहस के लिए विशेष रूप से एक साथ शौर्य चक्र से सम्मानित किया था.
पूरे देश में बलविंदर सिंह का अकेला ऐसा परिवार था, जिस के 4 सदस्यों को इस सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया था, वह भी एक साथ. उन्हीं बलविंदर सिंह की उम्र अब 60 साल से ज्यादा हो चुकी थी. फिर भी वे चुस्तदुरुस्त थे. सुबह जल्दी उठ जाते थे, नित्य कर्म से निपट कर वे अपने काम में जुट जाते थे. बलविंदर सिंह अपने घर में एक निजी स्कूल चलाते थे. बीते 16 अक्तूबर की बात है. महीने का दूसरा पखवाड़ा शुरू हो गया था. सुबह के समय गुलाबी ठंड पड़ने लगी थी. मैदानी इलाका होने की वजह से पंजाब में वैसे भी कुछ ज्यादा सर्दी पड़ती है. सर्दी की आहट होने के बावजूद बलविंदर सिंह की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया था.
उस दिन भी वे सुबह करीब 5 बजे सो कर उठे थे. सुबह साढ़े 6 बजे तक वे जरूरी कामों से फारिग होने के बाद नहाधो कर तैयार हो गए थे. उन्होंने बीवी जगदीश कौर से लस्सी बनाने को कहा. जगदीश कौर घर के दूसरे काम निपटा रही थीं. उन्होंने रसोई में जाते हुए कहा, ‘‘क्यूं जी, सुबहसुबह इतना शोर किसलिए मचा रहे हो. लस्सी तो मैं आप को रोजाना सुबह देती ही हूं.’’
बलविंदर प्यार से बीवी को छेड़ते हुए बोले, ‘‘जग्गो, जब तक मैं तेरे हाथ की मलाई वाली लस्सी का एक गिलास नहीं पी लेता, तब तक लगता ही नहीं कि सुबह हो गई है.’’
‘‘ओ जी, थोड़ा सब्र करो. बच्चे भी जाग गए हैं. उन की भी लस्सी बना देती हूं.’’ पत्नी ने कहा.
बलविंदर चारपाई पर बैठ कर लस्सी का इंतजार करने लगे. तभी बाहर से लोहे का मेन गेट खटखटाने की आवाज आई. बलविंदर ने चारपाई से उठ कर बाहर मेन गेट की तरफ आते हुए पूछा, ‘‘कौन है जी?’’
बाहर से आवाज आई, ‘‘बलविंदर जी से काम है.’’
‘‘हां जी.’’ बलविंदर ने मेन गेट खोलते हुए कहा. गेट पर एक युवक खड़ा था. उस ने ट्रैक सूट जैसे कपड़े पहन रखे थे. मुंह भी मंकी कैप से ढका हुआ था. युवक की केवल आंखें नजर आ रही थी. घर के सामने उस युवक का दूसरा साथी बाइक पर खड़ा था. बलविंदर ने एक सरसरी नजर बाइक सवार पर डाली. वह भी ट्रैक सूट पहने हुए था. मंकी कैप लगी होने के कारण उस का चेहरा भी नजर नहीं आ रहा था. बलविंदर ने अनुमान लगाया कि बाइक सवार युवक गेट पर खड़े युवक का साथी होगा. दोनों एक ही बाइक पर आए होंगे. बलविंदर ने गेट पर खड़े युवक से पूछा, ‘‘बोलो जी, क्या काम है?’’
युवक ने कहा, ‘‘स्कूल का काम है जी.’’
‘‘हां जी, आ जाओ.’’ बलविंदर ने कहा और घर में ही बने स्कूल के औफिस वाले कमरे की तरफ चल दिए. गेट खटखटाने वाला युवक उन के पीछेपीछे घर के अंदर आ गया. घर में घुसते ही उस ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाली और बलविंदर को गोलियां मार दी. बलविंदर सिंह की पीठ युवक की तरफ थी, इसलिए उन की पीठ में 5 गोलियां लगीं. गोलियां लगने पर बलविंदर पलटे, तो युवक ने एक गोली उन के चेहरे पर दाग दी. घर के आंगन में सुबहसुबह गोलियों की आवाज सुन कर जगदीश कौर रसोई से बाहर निकलकर आईं, तो उन की चीख निकल गई. बलविंदर सिंह जमीन पर पड़े थे और पीठ से खून बहुत ज्यादा बह रहा था. उन्होंने बाहर की तरफ देखा. 2 युवक जल्दी से बाइक पर बैठ कर तेजी से भाग रहे थे.
जगदीश कौर रोतेरोते अपने पति को उठाने लगीं. उन की आखिरी सांसें चल रही थी. जगदीश कौर की चीखपुकार सुन उन के बच्चे और आसपास के लोग आ गए थे. बाद में सब मिल कर बलविंदर सिंह को अस्पताल ले गए, लेकिन डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बलविंदर की मौत से घर में कोहराम मच गया. लोगों ने पुलिस को सूचना दी. बलविंदर के घर से भिखीविंड पुलिस थाना हालांकि आधा किलोमीटर ही दूर है. फिर भी पुलिस आधा घंटे बाद मौके पर पहुंची. बलविंदर सिंह कोई साधारण आदमी नहीं थे. उन की हत्या की खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गई. सूचना मिलने पर पहले डीएसपी राजवीर सिंह पहुंचे. फिर तरनतारन के एसएसपी धुम्मन निंबले भी मौके पर पहुंच गए. एसएसपी के पहुंचते ही सरपंच हरजिंदर सिंह और कस्बे के लोगों ने उन्हें घेर लिया और पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे.
बलविंदर के भाई रणजीत सिंह ने एसएसपी से कहा कि आतंकवाद के दौर में जब पुलिस थाने के अंदर छिप जाती थी, तब हम आतंकवादियों से लड़ते रहे. आज उस का हमें ये सिला मिला है. बलविंदर के बेटे गगनदीप ने कहा कि पहले सरकार ने उन को पुलिस सुरक्षा दे रखी थी. पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई और हम अब भी अफसरों के दफ्तरों के चक्कर लगातेलगाते थक गए. करीब सालभर पहले उन की पुलिस सुरक्षा वापस ले ली गई थी. लोगों ने एसएसपी से पूछा कि बलविंदर की मौत का जिम्मेदार कौन है? आप की इंटेलिजेंस कहां गई? आप का पुलिस महकमा क्या कर रहा है?
बलविंदर की पत्नी जगदीश कौर ने कहा कि वह पति के हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचा कर ही दम लेंगी. मैं पहले भी पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर आतंकियों से लड़ती रही और आगे भी तैयार हूं. जब तक कातिलों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक चैन से नहीं बैठूंगी. एसएसपी चुपचाप लोगों की बातें सुनते रहे. वे क्या जवाब देते? कहीं ना कहीं तो चूक हुई थी. इसी का नतीजा रहा था कि बलविंदर की हत्या कर दी गई. एसएसपी ने लोगों को आश्वासन दिया कि हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ा जाएगा. पुलिस वालों ने समझा बुझा कर लोगों को शांत किया. लोगों के शांत होने पर पुलिस ने पंचनाम बनाया. प्रारंभिक जांचपड़ताल के बाद बलविंदर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.
बलविंदर की हत्या की सूचना सरकार तक पहुंची, तो पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने डीजीपी दिनकर गुप्ता को विशेष जांच दल (एसआईटी) बना कर हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने के निर्देश दिए. डीजीपी ने मामले की जांच के लिए उसी दिन फिरोजपुर रेंज के डीआईजी हरदयाल सिंह मान के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी. एसआईटी ने 4 विशेष टीमें बना कर उसी दिन जांच भी शुरू कर दी. पुलिस ने बलविंदर सिंह के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. फुटेज के आधार पर हत्यारों और उन की बाइक को चिह्नित करने की कवायद शुरू कर दी गई. शव के पोस्टमार्टम की कार्रवाई में उस दिन शाम हो गई. पुलिस पूछताछ कर हत्यारों का सुराग लगाने की कोशिश में जुटी रही, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली.
दूसरे दिन 17 अक्टूबर को बलविंदर के घर वालों ने पुलिस व प्रशासन को चेतावनी दी कि जब तक कातिल नहीं पकड़े जाएंगे, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. इस चेतावनी से प्रशासन के हाथपैर फूल गए. पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भिखीविंड कस्बे पहुंचे. उन्होंने उच्चाधिकारियों से बात कर बलविंदर के घरवालों को आश्वासन दिया कि परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा. इस के अलावा परिवार को फिर से सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. सरकार की ओर से आश्वासन मिलने और लोगों के समझाने पर बलविंदर के घरवाले शव का अंतिम संस्कार करने पर राजी हुए. बाद में राजकीय सम्मान से बलविंदर सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया गया. सरकार ने उसी दिन बलविंदर के परिवार की सुरक्षा में 3 गनमैन भी तैनात कर दिए.
दुश्मनों ने पीठ पर गोलियां दाग कर भले ही शूरवीर बलविंदर सिंह को मौत की नींद सुला दिया, लेकिन उन की बहादुरी के किस्से आज भी पंजाब में कहे और सुने जाते हैं. बलविंदर जब जवान हुए, तब पंजाब में आतंकवाद ने अपना फन फैलाना शुरू कर दिया था. 1985-86 में बलविंदर की उम्र 26-27 साल रही होगी, तभी उन्होंने अपनी पत्नी जगदीश कौर और घर वालों के साथ मिल कर आतंकवाद का विरोध करना शुरू कर दिया. उन का परिवार हिंदुओं के साथ भाईचारे की बात करता था, इसलिए वह कट्टरपंथियों की आंखों में खटकने लगे. आतंकवादियों ने बलविंदर और उन के घर वालों को मारने के लिए कई बार हमले किए. लेकिन उन के साहस के आगे हर बार दुश्मनों को मुंह की खानी पड़ी. तत्कालीन सरकार ने बलविंदर और उन के घर वालों को सुरक्षा के लिए हथियार दिए थे. इसी दौरान वे बंदूक और पिस्तौल से ले कर स्टेनगन तक चलाना सीख गए थे.
बलविंदर ने आतंकवादियों से मुकाबले के लिए अपने मकान की छत पर बंकर बना लिए थे. कहा जाता है कि बलविंदर और उन के घर वालों पर 18-20 बार आतंकी हमले किए गए. इन हमलों में 8-10 आतंकियों से ले कर 200 आतंकी तक शामिल रहे. हर बार इस बहादुर परिवार ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. सब से खतरनाक हमला 30 सितंबर, 1990 को हुआ था. उस समय करीब 200 आतंकवादियों ने बलविंदर के मकान को चारों तरफ से घेर लिया. तब भिखीविंड छोटा सा गांव था. हमले से पहले आतंकियों ने उन के घर को जाने वाले रास्ते पर बारूदी सुरंगे बिछा दी थी, ताकि सहायता के लिए पुलिस या दूसरे लोग आएं, तो मौत के मुंह में समा जाएं. उस समय घर में बलविंदर, उन की पत्नी जगदीश, बड़े भाई रणजीत सिंह और भाभी बलराज के अलावा 2 बच्चे तथा 4 रिश्तेदार थे.
दोनों बच्चे रिश्तेदारों को सौंप कर बलविंदर सिंह भाई और दोनों की पत्नियां बंदूकें ले कर मकान की छत पर बने बंकरों में पहुंच गए और चारो कोनों से मोर्चा संभाल लिया. रात को करीब 6 घंटे तक दोनों तरफ से गोलीबारी होती रही. बलविंदर और उन के घर वालों ने बहादुरी से आतंकवादियों का मुकाबला किया. जब सुबह पुलिस आई, तब गांव वाले कह रहे थे कि बलविंदर के घरवालों की गोलीबारी से कई आतंकी मारे गए थे. मारे गए साथियों के शव आतंकी अपने साथ ले गए. साल 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने आतंकवाद के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ने वाले बलविंदर सिंह, उन की पत्नी जगदीश कौर, भाई रणजीत सिंह और भाभी बलराज कौर को शौर्य चक्र से सम्मानित किया था. इस से पहले और इस के बाद अब तक किसी भी एक ही परिवार के 4 सदस्यों को शौर्य चक्र से नहीं नवाजा गया है.
यह देश का इकलौता परिवार है, जिस के 4 सदस्यों को शौर्य चक्र दिया गया. उस समय बलविंदर सिंह के साहस पर कई डौक्युमेंट्री फिल्में भी बनी थीं. आतंकवादियों से खतरे को देखते हुए सरकार ने बलविंदर के परिवार को कई साल तक सुरक्षा मुहैया कराई थी. बाद में कई बार सुरक्षा हटा ली गई. बलविंदर और उन के घर वालों के अफसरों के पास चक्कर लगाने पर उन्हें बीचबीच में सुरक्षा भी दी जाती रही. करीब एक साल पहले उन की सुरक्षा में लगे पुलिस जवानों को वापस बुला लिया गया था. बलविंदर सिंह अफसरों से सुरक्षा की मांग करते रहे. डीजीपी को भी पत्र लिखा, लेकिन सुरक्षा नहीं मिली. इसी का फायदा उठा कर आतंकवादियों या उन के समर्थकों ने उन की हत्या कर दी. हालांकि तरनतारन पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि बलविंदर के परिवार की सुरक्षा क्यों हटाई गई?
बलविंदर की हत्या के बाद उन की पत्नी जगदीश कौर, 2 बेटों गगनदीप सिंह व अर्शदीप सिंह और एक बेटी प्रनप्रीत कौर की सुरक्षा के लिए भले ही सरकार ने अब फिर पुलिस जवान लगा दिए हैं, लेकिन आतंकियों का खतरा कम नहीं हुआ है. बलविंदर और उस के बड़े भाई का परिवार 35 साल से आतंकियों की हिट लिस्ट में है. जगदीश कौर और उन के बेटेबेटियों को इस बात का दुख है कि सरकार और पुलिस ने उन की सुरक्षा की गुहार पहले सुन ली होती, तो आज बलविंदर जीवित होते. जगदीश कौर का कहना है कि उन के पति की हत्या पंजाब में आतंकवाद के नए दौर की शुरुआत है. पंजाब को भारत से अलग करने में जुटे एसएफजे के इशारे पर खालिस्तानी आतंकियों ने उन के पति की जान ली है.
पंजाब पुलिस के साथ एनआईए भी इस मामले की जांच कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी है. पंजाब पुलिस ने उन लोगों की सुरक्षा के मजबूत उपाय करने का फैसला किया है, जो आतंकवादियों और गैंगस्टर्स के निशाने पर रहे हैं. उम्मीद है, बलविंदर सिंह के कातिल जल्दी पकड़े जाएंगे.