Bollywood News : 38 वर्षीय फिल्म प्रोड्यूसर निशांत त्रिपाठी पत्नी अपूर्वा पारीक के द्वारा किए जाने वाले टौर्चर से इतना परेशान हो गया था कि उस ने मुंबई के ही एक होटल में सुसाइड कर लिया. आखिर अर्पूवा क्यों करती थी पति को टौर्चरï? पढ़ें, सोशल क्राइम की यह दिलचस्प कहानी.

25 फरवरी, 2025 की शाम फिल्म प्रोड्ïयूसर निशांत पालघर से मुंबई आया और उस ने विले पार्ले (ईस्ट) स्थित सहारा स्टार होटल में रूम बुक कराया. वह होटल के रूम नंबर 4023 में ठहरा. दूसरे रोज उस ने कमरे के बाहर ‘डू नौट डिस्टर्ब’ का बोर्ड लगा दिया ताकि कोई उसे डिस्टर्ब न करे. कमरे में वह टेंशन में घुटता रहा. उस के मन में तरहतरह के विचार आते रहे. 27 फरवरी, 2025 की शाम निशांत ने अपनी बहन प्राची त्रिपाठी से मोबाइल फोन पर बात कर अपनी पीड़ा साझा की. उस ने प्राची से कहा कि अपूर्वा पारीक (पत्नी) ने उस की जिंदगी तबाह कर के रख दी है. इस तबाही में प्रार्थना मौसी ने भी अपूर्वा का साथ दिया, जिस की वजह से वह घुटघुट कर जी रहा है.

भाई की दशा समझते हुए प्राची ने उसे बहुत समझाया और कहा कि तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा. तुम होली के पहले 5 मार्च तक घर आ जाओ. फिर बात करेंगे. लेकिन प्राची के समझाने का असर निशांत पर नहीं पड़ा, क्योंकि वह तो अपनी जीवनलीला समाप्त करने ही होटल आया था. इसलिए साथ में रस्सी का टुकड़ा भी लाया था. देर रात निशांत ने अपने मोबाइल फोन में अपनी कंपनी ग्रीन वायरस स्टूडियो प्रोडक्शन हाउस की वेबसाइट पर 5 पैराग्राफ का लंबा सुसाइड नोट लिखा.

पहला पैरा उस ने अपनी पत्नी अपूर्वा को लिखा— ‘जब तक तुम यह पढ़ोगी, मैं जा चुका होऊंगा. मेरे आखिरी लम्हों में मैं तुम से नफरत कर सकता था, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रहा हूं. इस पल के लिए मैं सिर्फ प्यार को चुनता हूं. मैं ने तुम से तब भी प्यार किया था, अब भी करता हूं और जैसा वादा किया था, मेरा प्यार कभी कम न होगा.’ सुसाइड नोट के दूसरे पैरा में निशांत ने लिखा—’मां जानती है कि मेरी बाकी परेशानियों के अलावा, तुम (अपूर्वा) और प्रार्थना मौसी मेरी मौत की जिम्मेदार हो. इसलिए मैं तुम से हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि अब मां के पास मत जाना. वह पहले ही पूरी तरह टूट चुकी हैं. उन्हें शांति से शोक मनाने देना.’

निशांत ने तीसरे पैरा में बहन प्राची त्रिपाठी, चौथे पैरा में मित्र प्रिंस तथा पांचवें पैरा में मित्र देविक के लिए अल्फाज लिखे और अंत में दर्द को बयां करती कविता लिखी. फिर रात के अंतिम पहर में बाथरूम में जा कर गले में रस्सी का फंदा डाल कर उस ने जीवन का अंत कर लिया. 28 फरवरी, 2025 की सुबह 11 बजे होटल का सफाई कर्मचारी रूम नंबर 4023 में पहुंचा और सफाई के लिए रूम का दरवाजा खटखटाया. अंदर से कोई हलचल न होने पर सफाई कर्मचारी ने मैनेजर को सूचना दी. मैनेजर ने डुप्लीकेट चाबी से रूम का दरवाजा खोला. वहां कमरे के बाथरूम में कुंडे से बंधी रस्सी के सहारे युवक की लाश लटक रही थी.

होटल रजिस्टर में दर्ज रिकौर्ड के अनुसार रूम में ठहरे व्यक्ति का नाम फिल्म निर्माता निशांत त्रिपाठी तथा पता निराला नगर कानपुर दर्ज था. रजिस्टर में उस का फोन नंबर भी दर्ज था. होटल मैनेजर ने फिल्म निर्माता निशांत त्रिपाठी द्वारा सुसाइड करने की जानकारी थाना एअरपोर्ट पुलिस को दी. सूचना पाते ही इंचार्ज योगेश चव्हाण तथा सीनियर इंसपेक्टर अलका अशोक मांडवी सहारा स्टार होटल पहुंच गईं. उन की सूचना पर डीसीपी मनीष कलवानिया, एसीपी दौलत साल्वे तथा रीजनल एसीपी परमजीत सिंह दहिया भी सहारा होटल जा पहुंचे.

पुलिस अधिकारियों ने होटल मैनेजर से सारी जानकारी जुटाई तथा कमरे व बाथरूम का बारीकी से निरीक्षण किया. उस के बाद निशांत के शव को फांसी के फंदे से उतरवा कर जरूरी काररवाई करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए डैडबौडी भिजवा दी. पुलिस अधिकारियों ने मृतक निशांत का सामान व मोबाइल फोन सुरक्षित कर लिया था. मोबाइल फोन के जरिए ही पुलिस को पता चला कि निशांत ने आत्महत्या की है. उस के मोबाइल फोन में उस की मम्मी नीलम चतुर्वेदी का फोन नंबर था, अत: पुलिस ने उन्हें सूचना दे दी. नीलम चतुर्वेदी कानपुर में ‘सखी’ नामक सामाजिक संस्था चलाती थीं.

28 फरवरी, 2025 को दोपहर डेढ़ बजे नीलम चतुर्वेदी को मुंबई पुलिस से फोन के जरिए सूचना मिली कि उन के बेटे निशांत ने विले पार्ले (ईस्ट) स्थित सहारा स्टार होटल में सुसाइड कर लिया है. बेटे की मौत की सूचना पा कर नीलम चतुर्वेदी बेहाल हो गईं. बेटी प्राची ने उन्हें संभाला. उस के बाद नीलम चतुर्वेदी ने बेटी प्राची को साथ लिया और कानपुर से टैक्सी से लखनऊ एअरपोर्ट पहुंचीं, फिर हवाई सफर कर मुंबई पहुंच गईं. नीलम चतुर्वेदी बदहवास हालत में पहले सहारा स्टार होटल पहुंचीं, फिर एअरपोर्ट पुलिस स्टेशन पहुंचीं.

सीनियर इंसपेक्टर अलका अशोक मांडवी उन्हें पोस्टमार्टम हाउस ले गई और शव की पहचान कराई. निशांत का शव देख कर मांबेटी फफक पड़ीं. इंसपेक्टर अलका अशोक मांडवी ने नीलम चतुर्वेदी को निशांत के मोबाइल में उस की कंपनी की वेबसाइट में दर्ज वह सुसाइड नोट दिखाया, जिस को उस ने सुसाइड से पहले लिखा था. चूंकि सुसाइड नोट में निशांत ने अपनी मौत का जिम्मेदार पत्नी अपूर्वा पारीक व उस की मौसी प्रार्थना मिश्रा को ठहराया था, अत: नीलम चतुर्वेदी ने तहरीर दे कर बीएनएस की धारा 108 के तहत एअरपोर्ट थाना मुंबई में अपूर्वा पारीक तथा प्रार्थना मिश्रा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

2 मार्च, 2025 को निशांत के शव का पोस्टमार्टम हुआ. फिर शव का ईको मोक्ष धाम में अंतिम संस्कार कर दिया. नीलम चतुर्वेदी और पुलिस से बात करने के बाद फिल्म प्रोड्यूसर निशांत त्रिपाठी के सुसाइड करने के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

नीलम संस्थाओं के जरिए उतरीं समाजसेवा में

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के थाना किदवई नगर में एक मोहल्ला है- निराला नगर. इसी मोहल्ले के यू ब्लाक में सुमन राज त्रिपाठी सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी नीलम चतुर्वेदी के अलावा एक बेटा निशांत व बेटी प्राची थी. सुमन राज त्रिपाठी सामाजिक कार्यकर्ता व प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. सुमन राज की पत्नी नीलम चतुर्वेदी चर्चित महिला हैं. वर्तमान में वह महिला मंच, सखी केंद्र और राष्ट्रीय गठबंधन भारतीय महिला संगठन की संस्थापक हैं. वह नैशनल अलांयस औफ वूमेन आर्गनाइजेशन की एक मुख्य सदस्य हैं तथा (हृ्रङ्खह्र) की भारतीय महिला संसद में विपक्ष की नेता हैं.

छात्र जीवन के दौरान ही नीलम चतुर्वेदी महिला उत्पीडऩ के विरोध में मुखर हो उठी थीं. उत्पीडऩ के विरोध में उन्होंने धरनाप्रदर्शन शुरू कर दिया था. प्रदर्शन के दौरान ही 18 वर्ष की उम्र में ही उन्हें जेल जाना पड़ा. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह जब अखबारों में घरेलू हिंसा, दहेज हत्या व बलात्कार जैसी घटनाएं पढ़तीं तो विचलित हो उठती थीं. आखिर में उन्होंने निश्चय किया कि वह महिला उत्पीडऩ की लंबी लड़ाई लड़ेंगी और उन्हें न्याय दिलाएंगी. इस के लिए एक प्लेटफार्म की जरूरत थी. अत: नीलम चतुर्वेदी ने हर वर्ग की पढ़ीलिखी महिलाओं को संगठित किया और उत्तर प्रदेश महिला मंच तथा सखी केंद्र वन स्टाप सेंटर नाम के 2 एनजीओ बनाए. साथ ही रजिस्ट्रैशन भी करवा लिया. सखी केंद्र का कार्यालय श्याम नगर पीएसी रोड पर बनाया गया. संस्था के कार्यालय उन्होंने कानपुर ही नहीं, यूपी के विभिन्न जिलों में भी बनाए.

संस्था के माध्यम से उन्होंने शारीरिक और मानसिक हिंसा, दहेज हत्या, बलात्कार, वेश्यावृत्ति आदि मुद्ïदों को ले कर धरनाप्रदर्शन शुरू किया. जल्द ही उन को सफलता मिली और उत्पीडऩ की शिकार महिलाएं उन से संपर्क करने लगीं. उन की संस्था की महिलाओं का धरनाप्रदर्शन इतना जबरदस्त होता कि पुलिस प्रशासन व शासन की चूलें हिल जातीं. उन का धरनाप्रदर्शन या तो आरोपी के घर के बाहर होता या फिर संबंधित थाने के बाहर. कभीकभी एसपी, एसएसपी कार्यालय या डीएम कार्यालय के बाहर. प्रदर्शन के दौरान महिलाओं पर लाठी भी चलती परंतु वे अडिग रहतीं. कुछ समय बाद ही नीलम चतुर्वेदी पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चित महिला बन गईं. नीलम दीदी के रूप में उन की पहचान बन गई. मीडिया में भी वह छा गईं.

उन के धरनेप्रदर्शन अखबार की सुर्खियां बनने लगे. कई मामलों में उन्हें राजनीतिक व पुलिस अधिकारियों का दबाव भी झेलना पड़ा, लेकिन वह निडरता से डटी रहीं और पीडि़त महिलाओं को न्याय दिला कर ही दम लिया. इस तरह उन्होंने एकदो नहीं, हजारों पीडि़तों को न्याय दिलाया. सुमन राज व उन की पत्नी नीलम चतुर्वेदी सामाजिक कार्य में व्यस्त जरूर रहते थे, लेकिन अपने बच्चों का भी भरपूर खयाल रखते थे. दोनों बच्चे निशांत व प्राची उन की आंखों के तारे थे. प्राची व निशांत भी अपने मम्मीपापा से खूब घुलेमिले थे. खेलनेकूदने के साथ दोनों पढऩेलिखने में भी तेज थे.

निशांत का रुझान कला क्षेत्र में था. उसे फिल्में देखना, फिल्मों की समीक्षा करना तथा फिल्म की कहानी लिखना पसंद था. शूटिंग में भी उसे विशेष रुचि थी. अत: पढ़ाई पूरी करने के बाद निशांत का मन कानपुर में नहीं लगा. उस ने फिल्मनगरी मुंबई का रुख किया. बेटे का रुझान देख कर मम्मीपापा ने भी उस का सहयोग किया.

प्रोड्यूसर बन कर मुंबई में बनाया ठिकाना

निशांत त्रिपाठी ने संकल्प कर लिया था कि वह प्रोड्ïयूसर बनेगा, अत: सब से पहले उस ने सृष्टि बेंगलुरु से 2 साल का एनिमेशन ऐंड डिजाइनिंग का कोर्स किया. उस के बाद मुंबई में रह कर सुभाष घई के इंस्टीट्यूट विसलिंग वुड्स से एनिमेशन व फिल्म मेकिंग का कोर्स किया. कोर्स करने के बाद निशांत ने मेहनत और लगन से काम शुरू किया. परिणामस्वरूप उसे पहले ही प्रोजेक्ट में अवार्ड मिला. इस सफलता के बाद निशांत का हौसला बढ़ा. उसे कई बड़े फाइनेंसर मिल गए, जिन के सहयोग से वह फिल्म बनाने लगा. उस ने ग्रीन वायरस स्टूडियो प्रोडक्शन हाउस नाम से एक कंपनी बनाई. फिर एक के बाद एक कई डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाईं. इस तरह निशांत फिल्म प्रोड्यूसर व डायरेक्टर बन गया.

फिल्म निर्माता बनने के बाद निशांत सारी व्यवस्था स्वयं ही देखता था. फिल्म बनाने की शुरुआत से ले कर अंत तक हर पहलू की वह देखरेख करता था. स्क्रिप्ट का चयन, कलाकारों का चयन, शूटिंग की व्यवस्था तथा वित्तीय व्यवस्था निशांत स्वयं ही करता था. महिलापुरुष कलाकारों का चयन वह कानपुर व मुंबई से करता था. कुछ खास साथी थे, जो उस की वित्तीय सहायता भी करते थे. निशांत त्रिपाठी ने मुंबई के पालघर शहर को अपना ठिकाना बना रखा था. शहर के बाहर के रमणीय दृश्य उसे बेहद पसंद थे. अपनी फिल्म में इन दृश्यों को वह विशेष दरजा देता था. मुंबई से दूर होने के बावजूद पालघर शहर उसे पसंद था. यहां रह कर उस ने कई डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाईं. कानपुर प्रवास के दौरान वह कानपुर में भी डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाता था और स्थानीय कलाकारों को अवसर प्रदान करता था.

कानपुर के मोतीझील, गंगा बैराज, नानाराव पार्क, फूलबाग तथा पालीधाम जैसे रमणीक स्थलों पर वह अपनी फिल्म की शूटिंग करता था. चूंकि निशांत त्रिपाठी फिल्म इंडस्ट्री में उगते सूरज की भांति उभरा था, इसलिए उस के मम्मीपापा को अपार खुशी हुई. उन्होंने सफलता का श्रेय बेटे की मेहनत व लगन को दिया. प्राची को भी भाई की सफलता पर अपार खुशी हुई. निशांत त्रिपाठी ने अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी करने और करिअर बनाने में लगभग 3 दशक बिता दिए थे. उस की उम्र 35 वर्ष पार हो चुकी थी. इसलिए नीलम चतुर्वेदी को अब उस के ब्याह की चिंता सताने लगी थी. वह बेटे के लिए ऐसी लड़की तलाश रही थीं, जो पढ़ीलिखी के साथ संस्कारवान हो. दहेज प्रथा की वह घोर विरोधी थीं, इसलिए दहेज का लालच उन के मन में न था.

नीलम चतुर्वेदी की संस्था ‘सखी केंद्र’ की एक महिला सदस्य थी प्रार्थना मिश्रा. वह भोपाल (मध्य प्रदेश) की रहने वाली थी. नीलम चतुर्वेदी से उन की पहली मुलाकात तब हुई थी, जब प्रार्थना मिश्रा किसी उत्पीडऩ की शिकार महिला को उन की संस्था में ले कर आई थी. नीलम ने कुछ महीनों में ही उस महिला की समस्या को हल कर दिया था. नीलम व उन की संस्था से प्रार्थना मिश्रा इतनी प्रभावित हुई कि वह भी संस्था की सदस्य बन गई और संस्था के लिए काम करने लगी. धीरेधीरे नीलम और प्रार्थना के बीच अपनत्व बढ़ता गया. प्रार्थना का नीलम के घर आनाजाना भी शुरू हो गया. निशांत से परिचय हुआ तो निशांत उन्हें मौसी कहने लगा.

प्रार्थना की बहन अर्चना, कानपुर शहर में थाना छावनी के अंतर्गत त्रिवेणी नगर मोहल्ला निवासी अनिल पारीक को ब्याही थी. इसलिए प्रार्थना का कानपुर आनाजाना लगा रहता था. संस्था से जुडऩे के बाद उन का कानपुर आनाजाना और भी बढ़ गया था. त्रिवेणी नगर (कानपुर) निवासी अनिल पारीक की एक जवान व खूबसूरत बेटी थी, जिस का नाम अपूर्वा पारीक था. युवावस्था मे आते ही उस की खूबसूरती में और भी निखार आ गया था. सुंदरता के साथ वह पढ़ीलिखी भी थी. उस ने बीए की डिग्री हासिल कर ली थी.

अनिल पारीक अपनी बेटी अपूर्वा के विवाह के लिए चिंतित रहते थे. इस की वजह यह थी कि वह अपूर्वा का विवाह एक बार कर चुके थे, लेकिन उस की अपने पति व ससुरालीजनों से नहीं पटी. अत: आपसी समझौते से दोनों के बीच तलाक हो गया. तलाक के बाद अपूर्वा मम्मीपापा के घर आ कर रहने लगी. पेरेंट्स भी जवान बेटी को घर पर कब तक बिठाए रखते, अत: वे उस का घर बसाने को लालायित थे.

मौल की मुलाकात कैसे बदली प्यार में

कानपुर प्रवास के दौरान एक रोज निशांत त्रिपाठी माल रोड स्थित जेड स्क्वायर माल में अपने लिए कपड़े खरीदने गया. वहां उस की मुलाकात प्रार्थना मौसी से हुई. मौसी के साथ एक लड़की भी थी, जो आधुनिक कपड़ों से सजीधजी थी. निशांत के पूछने पर प्रार्थना ने कहा, ‘यह मेरी बहन की बेटी अपूर्वा है. त्रिवेणीनगर में रहती है.’

इस के बाद निशांत और अपूर्वा के बीच हायहैलो हुई. पहली ही नजर में अपूर्वा और निशांत एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. माल में ही दोनों के बीच कुछ देर बातचीत होती रही फिर दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल फोन नंबर ले लिए. उस के बाद अपूर्वा व निशांत अपनेअपने घर चले गए. पहली मुलाकात के बाद दोनों एकदूसरे को मन ही मन चाहने लगे थे. उन के बीच मोबाइल फोन पर प्यार भरी बातें भी होने लगी थीं. कुछ समय बाद उन की मुलाकातें घर के बाहर भी होने लगी थीं. दोनों को एकदूसरे का साथ भाने लगा था. दोनों एकदूसरे के दिल की धड़कनों की आवाज और सांसों की सरगम को बखूबी महसूस करते थे. दोनों को नजदीकियां अच्छी लगने लगी थीं.

एक दिन साथ घूमते अपूर्वा और निशांत नानाराव पार्क पहुंचे. वहां एकांत में बात करते निशांत ने अपूर्वा को अपनी बांहों में भर लिया और बोला, ”अपूर्वा, जब से हम एकदूसरे के नजदीक आए हैं, तब से मैं ने तुम्हें बेहद करीब से देखा. अब ये नजरें तुम्हारे सिवा कुछ और देखना ही नहीं चाहतीं.’’

अपूर्वा तो जैसे उस के प्रेम से सराबोर हो गई और उस की आंखों में देखती हुई बोली, ”निशांत, मैं भी तुम से बेइंतहा प्यार करती हूं. मुझे तुम्हारा प्यार कुबूल है…कुबूल है.’’

यह सुन कर निशांत की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने अपूर्वा को अपने सीने से लगा लिया और बोला, ”आई लव यू… आई लव यू अपूर्वा.’’

निशांत के प्यार भरे शब्द अपूर्वा के कानों में रस घोल रहे थे. उसे मीठा सुखद अहसास हुआ तो उस ने अपनी आंखें बंद कर लीं और निशांत के कंधे पर सिर टिका दिया. काफी देर तक दोनों उसी स्थिति में बैठे रहे. कुछ देर बाद जब दोनों अलग हुए तो उन के चेहरे खिले हुए थे. इस के बाद तो अपूर्वा और निशांत की तूफानी मोहब्बत तेजी के साथ बुलंदियों की तरफ बढऩे लगी. दोनों के प्यार के चर्चे दोस्तों और सहयोगी कलाकारों के बीच भी होने लगे. दोस्तों के मार्फत ही दोनों के प्यार की जानकारी नीलम चतुर्वेदी को हुई.

नीलम तो चाहती ही थी कि उन के बेटे निशांत का रिश्ता किसी पढ़ीलिखी व सुयोग्य लड़की से हो जाए, अत: उन्होंने इस बाबत निशंात से पूछताछ की. निशांत ने तब बताया कि वह अपूर्वा पारीक से प्यार करता है. अपूर्वा पढ़ीलिखी व खूबसूरत लड़की है. अपूर्वा भी उसे चाहती है. हम दोनों शादी भी करना चाहते हैं. लेकिन शादी तभी संपन्न होगी, जब दोनों परिवारों की रजामंदी होगी.

”लेकिन यह अपूर्वा पारीक है कौन? उस की तुम्हारी मुलाकात कब, कहां और कैसे हुई?’’ नीलम ने निशांत से पूछा.

निशांत ने तब कहा, ”मम्मीजी, आप की संस्था की सदस्य प्रार्थना मिश्राजी हैं. उन्हीं की बहन की बेटी है अपूर्वा. अपूर्वा की मौसी हैं प्रार्थना मिश्रा. अपूर्वा के पापा अनिल पारीक त्रिवेणी नगर कैंट में रहते हैं. 3 महीने पहले अपूर्वा से उस की मुलाकात माल में हुई थी. वहां वह अपनी मौसी प्रार्थना के साथ खरीदारी को आई थी. बेटे की भावनाओं की कद्र करते हुए नीलम चतुर्वेदी ने निशंात की शादी अपूर्वा से करने का मन बना लिया. हालांकि उन के मन में फांस चुभ रही थी कि दोनों के प्यार की जानकारी प्रार्थना मिश्रा ने क्यों नहीं दी, जबकि संस्था व घर में उन का आनाजाना लगा रहता था. इस फांस के बावजूद नीलम चतुर्वेदी ने अपूर्वा तथा उस के मम्मीपापा से शादी के संबंध में बातचीत की और उन की इच्छा के बारे में जाना. नीलम ने प्रार्थना मिश्रा से भी शादी के संबंध में बात की और उन की इच्छाअनिच्छा के बारे में पूछा.

और प्यार बदल गया अरेंज्ड मैरिज में

नीलम के पूछने पर अपूर्वा और उस के मम्मीपापा भी शादी को राजी हो गए. प्रार्थना मिश्रा ने भी नीलम से कहा कि दोनों की जोड़ी खूब फबेगी. सब की रजामंदी के बाद नीलम बेटे निशांत का विवाह अपूर्वा के साथ करने को राजी हो गईं. लेकिन रिश्ता तय होने के वक्त अपूर्वा के मम्मीपापा व मौसी ने यह बात छिपा ली कि अपूर्वा तलाकशुदा है. रिश्ता तय होने के बाद 9 फरवरी, 2022 को निशांत का विवाह अपूर्वा पारीक के साथ हो गया.

शादी के बाद अपूर्वा, निशांत की दुलहन बन कर निराला नगर स्थित ससुराल आ गई. अपूर्वा के लिए शादी के शुरुआती कुछ महीने गुलाबी सपनों की तरह थे. निशांत और अपूर्वा एकदूसरे का साथ पा कर बेहद खुश थे. हर दिन रोमांटिक, हर पल खास. हाथों में हाथ डाल कर घूमना और अनगिनत बातें करना उन के जीवन का हिस्सा बन गया था. शादी के बाद निशांत कानपुर में ही शिफ्ट हो गया था. वह अपूर्वा का विशेष खयाल रखता था और उस की हर डिमांड पूरी करता था.

लेकिन वक्त तो रेत की तरह फिसलता है. शादी को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि घर में कलह शुरू हो गई थी. दरअसल, शादी के कुछ महीने बाद नीलम को पता चला कि अपूर्वा तलाकशुदा है. निशांत के साथ उस की दूसरी शादी है. इस बात को ले कर नीलम ने अपूर्वा से जवाबतलब किया तो अपूर्वा ने घर में कलह की. वह अपना झूठ कुबूल करने के बजाए नीलम पर ही हावी हो गई. नीलम ने भी समाज में बदनामी की वजह से तलाक वाली बात उजागर नहीं की.

नीलम चतुर्वेदी संघर्षशील महिला थीं. वह चाहती थीं कि बहू घर संभाले. लेकिन अपूर्वा लापरवाह व आलसी थी. वह घर का कोई काम नहीं करती थी. उसे खाना बनाने में भी रुचि न थी. नीलम संस्था के कामकाज से थकीहारी घर लौटतीं तो उन्हें घर अस्तव्यस्त मिलता. खाना भी नसीब न होता. कामकाज को ले कर नीलम अपूर्वा को टोकती तो वह नीलम पर हावी हो जाती.

निशांत पत्नी से क्यों रहता था परेशान

नीलम का आरोप है कि धीरेधीरे अपूर्वा ने पूरे परिवार को टौर्चर करना शुरू कर दिया. उस की न सास से पटती न ननद प्राची से. निशांत मां का पक्ष ले कर कुछ कहता तो अपूर्वा पति पर भी हावी हो जाती. वह पति को धमकी देती कि तुम सब ने टौर्चर किया तो वह अपनी जान दे देगी. अपूर्वा अपने मम्मीपापा व मौसी से भी फोन पर बात करती और सासननद व पति द्वारा टौर्चर करने की शिकायत करती. तब उस के मम्मीपापा व मौसी नीलम से विरोध जताते. वह नीलम को नसीहत देते कि उन की बेटी को ठीक से रखे. टौर्चर न करें. उन की तल्ख आवाज में नीलम की सच्चाई दब जाती. वह अपनी बात कह ही नहीं पाती.

नीलम का कहना है कि बहू अपूर्वा के टौर्चर से आजिज आ कर उन्होंने अपूर्वा व निशांत को अलग कर दिया और निराला नगर वाले मकान का ऊपरी पोर्शन उन्हें रहने को दे दिया. अपूर्वा पति के साथ अलग रहने लगी तो और भी स्वच्छंद हो गई. अब वह निशांत को टौर्चर करने लगी. बड़े होटल में खाना खाना, शौपिंग करना तथा सैरसपाटा करना उस ने अपनी दिनचर्या बना ली. निशांत कुछ महीने तक तो पत्नी की जरूरतें व शौक पूरे करता रहा, उस के बाद वह परेशान हो गया.

कभीकभी निशांत उसे होटल, क्लब या शौपिंग ले जाने को मना करता तो अपूर्वा नाराज हो जाती. वह निशांत को धमकी देती कि अगर ले कर नहीं चलोगे तो वह अपने हाथ की नस काट लेगी. इस धमकी से निशांत डर जाता और उसे ले कर जाना पड़ता. रोजरोज की किचकिच से परेशान हो कर निशांत मुंबई चला गया. उस ने अपना ठिकाना पालघर शहर में बनाया. अपूर्वा भी निशांत के साथ पालघर (मुंबई) आई. यहां भी अपूर्वा निशांत को मानसिक व आर्थिक रूप से टौर्चर करने लगी, जिस से निशांत चिंतित रहने लगा. वह अपना दर्द कभी बहन प्राची तो कभी मम्मी से फोन के जरिए बयां करता, तब मांबेटी उसे समझातीं कि सब ठीक हो जाएगा.

अपूर्वा पति के चरित्र पर भी शक करती थी. दरअसल, फिल्म निर्माण के कारण निशांत के ग्रुप में कुछ लड़कियां थीं. उन के फोटो व मोबाइल नंबर निशांत के मोबाइल फोन में थे. अपूर्वा को शक रहता था कि निशांत का किसी न किसी लड़की से मधुर रिश्ता जरूर होगा. इसी असुरक्षा की भावना से अपूर्वा ने पति से झगडऩा शुरू किया और कलह मचा कर लड़कियों के फोटो व मोबाइल नंबर डिलीट करा दिए.

इस के बावजूद अपूर्वा के शक की सुई घूमती रहती. निशांत को स्टूडियो से घर आने में जरा सी देर हो जाती तो वह फोन लगा कर बात कराने के लिए स्टाफ को परेशान करती. उस की इन हरकतों के कारण निशांत को काम मिलना कम हो गया, जिस से वह आर्थिक रूप से टूट गया और वह मानसिक तनाव से जूझने लगा. मानसिक तनाव के चलते निशांत कभी घर आता, कभी पार्क या बस स्टाप पर ही रात गुजार देता. इस कठिन समय में उस के दोस्तों ने उस का साथ दिया. उसे समझाया तथा उस की आर्थिक मदद भी की. उसे अपने घर में शरण दी तथा उसे खिलायापिलाया भी.

लेकिन इस के बावजूद अपूर्वा और निशंात के बीच विवाद खत्म नहीं हुआ. विवाद के चलते ही एक रोज निशांत ने कहा, ”अपूर्वा, हम दोनों में विवाद इतना बढ़ गया है कि हम साथ नहीं रह सकते. तुम अपने पेरेंट्स के घर जा कर रहो, मेरी मम्मी के साथ नहीं. तुम्हारे दुव्र्यवहार से मम्मी वैसे भी टूट चुकी हैं.’’

उस के बाद अपूर्वा मुंबई से कानपुर आ गई और त्रिवेणी नगर में मायके में रहने लगी. पत्नी के विवाद से छुटकारा मिला तो निशांत व नीलम को सुकून मिला. कानपुर में रहते निशांत ने अपने कलाकार साथी मुश्ताक खान, सचिन कुमार सिंह व महेंद्र सिंह के सहयोग से ‘पाली का पिल्ला’ डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई. इस फिल्म में पालीधाम व आसपास के गांवों की खूबसूरती को बखूबी दिखाया गया था. यह फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रसारित होने वाली थी. इस फिल्म के निर्माण से निशांत बेहद उत्साहित था. उसे उम्मीद थी कि इस के प्रसारित होने के बाद उस की आर्थिक समस्या हल हो जाएगी और उस की सारी उलझनें सुलझ जाएंगी.

निशांत ने प्यार के बजाए क्यों चुनी मौत

22 जनवरी, 2024 को निशांत की मम्मी नीलम चतुर्वेदी का जन्मदिन था. इस के बहाने अपूर्वा मायके से ससुराल आ गई. फिर वह यहीं रुक गई. लेकिन निशांत ने अपूर्वा के साथ रहने से साफ मना कर दिया और पालघर (मुंबई) चला गया. नीलम को उम्मीद थी कि बेटे के जाने के बाद बहू अपने मायके चली जाएगी, लेकिन वह नहीं गई. उस ने टौर्चर वाला रवैया भी नहीं बदला. परेशान हो कर नीलम अपूर्वा को मई 2024 में उस के मायके छोड़ आईं.

इधर निशांत को आभास हो गया था कि पत्नी के साथ उस का एक छत के नीचे रहना संभव नहीं है, अत: अपूर्वा से छुटकारा पाने के लिए निशांत ने 6 जुलाई, 2024 को कानपुर की फैमिली कोर्ट में तलाक का मुकदमा दर्ज करा दिया. हालांकि तलाक के मामले में निशांत ने अपनी मम्मी व बहन से भी गहन विचारविमर्श किया था. उस के बाद ही कोर्ट गया था. पति द्वारा तलाक का मुकदमा डालने की जानकारी अपूर्वा व उस के पेरेंट्स को हुई तो पूरा परिवार सकते में आ गया. अपूर्वा की मौसी प्रार्थना मिश्रा को तलाक की काररवाई का पता चला तो वह भी बौखला गई. प्रार्थना मिश्रा व अपूर्वा ने सोशल मीडिया का सहारा ले कर निशांत व उस की मम्मी नीलम चतुर्वेदी को बदनाम करना शुरू कर दिया. दोनों निशांत को फोन पर भी धमकातीं और उसे परिवार सहित जेल भेजने की धमकी देतीं.

पत्नी व प्रार्थना मौसी की धमकी से परेशान हो कर निशांत मुंबई चला गया. उस ने अपना ठिकाना बदल लिया और छिप कर रहने लगा. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल दिया. लेकिन अपूर्वा पति को खोजते पालघर (मुंबई) पहुंच गई. निशांत घर पर नहीं मिला तो वह उस के औफिस पहुंच गई. अपूर्वा और उस के फेमिली वालों ने कोर्ट के बाहर ही सेटलमेंट करने को कहा और 50 लाख रुपया मांगा. धमकी दी कि अगर रुपया नहीं दिया तो पूरे परिवार को जेल भिजवा देंगे.

इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. आए दिन उसे अपूर्वा और उस की मौसी प्रार्थना मिश्रा के द्वारा मामला सुलटाने व 50 लाख रुपया देने तथा न देने पर जेल भिजवाने की धमकियां मिलने लगीं. इन धमकियों से निशांत परेशान हो उठा. वह घुटघुट कर जीता और हर रोज तिलतिल कर मरता. आखिर हताश जिंदगी से ऊब कर उस ने जीवनलीला समाप्त करने का फैसला कर लिया, जिस के चलते उस ने होटल में पहुंच कर आत्महत्या कर ली. अब तक कानपुर शहर व आस-पास के जिलों में सखी केंद्र की प्रमुख नीलम चतुर्वेदी के फिल्म प्रोड्यूसर बेटे निशांत त्रिपाठी की मौत की खबर फैल चुकी थी.

जैसे ही 3 मार्च, 2025 को वह मुंबई से कानपुर आईं तो उन के घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए बुद्धिजीवियों, महिलाओं व वकीलों का हुजूम उमड़ पड़ा. नीलम ने उन के बीच अपना दर्द बयां किया. अगले दिन श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई, जिस में शामिल लोगों ने निशांत की पत्नी अपूर्वा पारीक व उस की मौसी प्रार्थना मिश्रा को गिरफ्तार करने की मांग की. सभा में महिलापुरुष तख्ती ले कर आए थे, जिस पर लिखा था— ‘हत्यारों को फांसी दो.’ फूलबाग में भी गांधी प्रतिमा के सामने लोग एकत्र हुए और कैंडल जला कर निशांत को श्रद्धांजलि दी.

इधर अपूर्वा, उस के मम्मीपापा व मौसी प्रार्थना मिश्रा डरीसहमी हैं. उन के मन में असुरक्षा की भावना है. अत: वे छिप कर रह रही हैं. उन का कहना है कि उन पर टौर्चर का लगाया गया इलजाम झूठा है. निशांत ने आत्महत्या क्यों की, यह जांच का विषय है. कथा संकलन तक मुंबई की एअरपोर्ट पुलिस ने आरोपी अपूर्वा पारीक व प्रार्थना मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया था. बयान के लिए उन्हें नोटिस जारी कर मुंबई बुलाया है, लेकिन वे वहां नहीं पहुंचीं. उधर मुंबई पुलिस का कहना है कि वह यह केस कानपुर पुलिस को ट्रांसफर करेगी.

 

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...